उस समय सुबह के करीब 11 बज रहे थे, तारीख थी 22 मई, 2024. डा. मनीष पुत्तेवार अपने हौस्पिटल में वार्ड का दौरा कर रहे थे, तभी उन के फोन की घंटी बजी. उन्होंने फोन में देखा तो काल चंद्रपुर में रहने वाले उन के बड़े भाई डा. हेमंत की थी.
”हां बड़े भैया, आज सुबह सुबह कैसे फोन किया?’’ डा. मनीष ने काल रिसीव करते हुए पूछा.
”मनीष एक दुखद सूचना है. मुझे अभीअभी अजनी थाने से फोन आया है कि पापा का बालाजी नगर में एक कार से ऐक्सीडेंट हो गया है. मैं नागपुर के लिए निकल रहा हंू. तुम भी सीधे अजनी थाने पर पहुंचो,’’ डा. मनीष के बड़े भाई हेमंत ने रोते हुए कहा.
”भैया, आप रो क्यों रहे हैं? मैं अभी वहां पर जा कर देखता हूं. अभी थोड़ी देर पहले ही तो पापा यहां पर मम्मी से मिल कर गए हैं. आप बिलकुल भी चिंता मत करो, मैं उन्हें अभी अपने हौस्पिटल ले कर आता हंू.’’ डा. मनीष ने कहा.
”भाई, मनीष हमारे पापा अब नहीं रहे. मुझे अभी अभी थाने से यही खबर मिली है. भाई, मैं आप मम्मी के बारे में, पापा से उन की तबीयत के बारे में पूछ रहा था, तभी दूसरी ओर से मुझे पुलिस द्वारा यह दुखद समाचार मिला है. कोई कार वाला पापा को कुचल कर भाग गया.’’ कह कर हेमंत फिर से फूटफूट कर रोने लगे.
”भाईसाहब, मुझे तो कभी ऐसी सपने में भी उम्मीद नहीं थी कि हमारे पापा हम सब को ऐसे छोड़ कर चले जाएंगे. आप फिक्र मत कीजिए, अपना ध्यान रखिएगा. मैं तुरंत अजनी थाने पहुंच रहा हंू,’’ कहते हुए मनीष ने काल डिसकनेक्ट कर दी.
डा. मनीष पी. पुत्तेवार अजनी पुलिस स्टेशन पहुंचे तो अब तक पुलिस राहगीरों की मदद से पुरुषोत्तम को सरकारी अस्पताल ले गई थी, परंतु चोट इतनी घातक थी कि अस्पताल ले जाते हुए उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया था. अजनी थाने के सीनियर इंसपेक्टर अशोक भंडारे डा. मनीष को अपने साथ ले कर घटनास्थल पर भी गए.
मृतक पुरुषोत्तम पुत्तेवार
वहां सड़क पर चारों तरफ खून ही खून बिखरा हुआ था. डा. मनीष पुत्तेवार की तहरीर पर अजनी थाने में भादंवि की धारा 304 (ए) के तहत ऐक्सीडेंट का मामला दर्ज कर लिया गया और अज्ञात हत्यारे और अज्ञात कार की तलाश में पुलिस जुट गई.
उधर पुलिस ने लाश का पंचनामा बना कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया और पोस्टमार्टम के बाद पुरुषोत्तम के शव को उन के परिजनों को सौंप दिया. 23 मई, 2024 को उन का अंतिम संस्कार भी कर दिया.
बड़े बेटे को क्यों आई षडयंत्र की बू
मृतक पुरुषोत्तम पुत्तेवार (82 वर्ष), नागपुर के शुभ नगर निवासी थे. उन के पास करोड़ों की प्रौपर्टी थी. उन के परिवार में पत्नी शकुंतला के अलावा 2 बेटे हेमंत पुत्तेवार, मनीष पुत्तेवार व एक बेटी योगिता थी. इन दिनों पुरुषोत्तम पुत्तेवार की पत्नी शकुंतला का औपरेशन हुआ था, जो एलेक्सिस मल्टीस्पेशलिटी हौस्पिटल, मनकापुर में भरती थीं. यह हौस्पिटल उन के छोटे बेटे डा. मनीष पुत्तेवार का था.
पुरुषोत्तम सुबह शाम अपनी पत्नी शकुंतला के लिए खाना खुद ही ले जाते थे. हौस्पिटल उन की बेटी योगिता के घर के नजदीक था, इसलिए वह अपनी बेटी योगिता के घर पर ही रह रहे थे.
22 मई, 2024 को भी सुबह पुरुषोत्तम अपनी पत्नी को नाश्ता दे कर वापस लौट रहे थे, तभी पीछे से तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी थी, जिस के कारण घटनास्थल पर ही उन की दर्दनाक मौत हो गई थी.
इन दिनों पुरुषोत्तम पुत्तेवार के बड़े बेटे डा. हेमंत भी चंद्रपुर से सपरिवार नागपुर आ गए थे. उन का चंद्रपुर में अपना निजी क्लीनिक था, वह जनरल फिजिशियन थे. मृतक पुरुषोत्तम पुत्तेवार की शोकसभा का तीसरा दिन था, तभी वहां पर डा. हेमंत का बचपन का दोस्त पंकज पंवार आ गया.
डा. मनीष पुत्तेवार डा. हेमंत पुत्तेवार
दोनों काफी देर तक बातचीत करते रहे. दोनों बचपन से जवानी तक एक साथ खेल कर पढ़ कर बड़े हुए थे. बाद में फिर हेमंत मैडिकल लाइन में चले गए और पंकज ने एमबीए करने के बाद अपनी फैक्ट्री संभाल ली थी.
”यार हेमंत, मुझे तुम काफी बुझेबुझे और परेशान से लग रहे हो. तुम्हारे दिल के भीतर जरूर कुछ न कुछ बात है. देखो, मैं तुम्हारा बचपन का दोस्त हूं. तुम किसी भी बात को काफी अधिक समय दिल में रख लेते हो. मुझे खुल कर बताओ, शायद हम दोनों मिलबैठ कर कुछ समाधान निकाल सकें.’’ पंकज ने यह बात कही और दोनों फिर एक अलग कमरे में बैठ गए.
”यार पंकज, मुझे लग रहा है कि पापा का किसी ने कत्ल किया है, पर वारदात ऐसी दिखाई गई है कि यह ऐक्सीडेंट का केस लगे.’’ यह कहते हुए डा. हेमंत फूटफूट कर रोने लगे थे.
”देख भाई हेमंत, मेरे साथ तू अभी चल, मेरे एक अच्छे मित्र हैं जो डीसीपी हैं. उन का नाम निमिष गोयल है. मैं तुझे उन के पास ले कर चलता हूं.’’ कहते हुए पंकज ने डीसीपी (क्राइम) निमिष गोयल को फोन कर दिया.
डीसीपी निमिष गोयल
थोड़ी ही देर के बाद पंकज अपने दोस्त हेमंत को ले कर डीसीपी निमिष गोयल के औफिस में पहुंच चुका था. पंकज ने कुछ बातें तो फोन पर ही निमिष गोयल को बता दी थीं. बाकी सारी जानकारी भी उस ने औफिस पहुंच कर निमिष गोयल को दे दी थी. डीसीपी निमिष गोयल पंकज के एक अच्छे मित्र थे, इसलिए उन्होंने सारी बातें तसल्ली से सुनीं.
”डा. हेमंत, आप को ऐसा क्यों लगता है कि आप के पापाजी का किसी ने मर्डर किया है. आप को किसी पर संदेह है?’’ डीसीपी ने सीधा प्रश्न हेमंत से किया.
”डीसीपी साहब, मेरे पापाजी का इस हादसे से पहले भी 2 बार खतरनाक ऐक्सीडेंट हुआ है. उस समय तो मेरी समझ में कुछ नहीं आया, मगर मुझे उन दोनों हमलों में भी किसी खतरनाक षडयंत्र की बू आ रही थी. इस बार तो मुझे पूरा यकीन है कि किसी गहरी साजिश के तहत मेरे पापाजी का प्रीप्लांड मर्डर किया गया है.’’
इस के बाद डा. हेमंत ने कई अन्य जानकारियां भी डीसीपी (क्राइम) निमिष गोयल से साझा कीं, ”डा. हेमंत, आप अब बेफिक्र हो कर यहां से जा सकते हैं. मैं इस बारे में सारी जांचपड़ताल करूंगा और मैं आप को विश्वास दिलाता हूं कि आप को पूरापूरा न्याय अवश्य मिलेगा.’’ डीसीपी (क्राइम) निमिष गोयल ने डा. हेमंत को आश्वस्त करते हुए अपने औफिस से विदा करते हुए कहा.
पुलिस ने क्यों समझा इसे सामान्य दुर्घटना
डीसीपी (क्राइम) निमिष गोयल ने अजनी थाने से संपर्क कर के जब जानकारी ली तो मामला संदिग्ध लगा. उन्होंने यह केस फिर नागपुर के कमिश्नर रवींद्र सिंघल को बताया तो मामले की गंभीरता को देखते हुए नागपुर कमिश्नर ने यह केस नागपुर क्राइम ब्रांच यूनिट- 4 को विस्तृत जांच के लिए सौंप दिया.
कमिश्नर रवींद्र सिंघल
22 मई की सुबह ये वारदात तब हुई थी, जब 82 साल के बुजुर्ग पुरुषोत्तम पुत्तेवार अस्पताल से पैदल ही अपनी बेटी के घर लौट रहे थे. अस्पताल में उन की पत्नी का औपरेशन होने के कारण वह वहां पर भरती थीं.
पिछले कुछ दिनों से पुरुषोत्तम पुत्तेवार का यही रुटीन चल रहा था, लेकिन पुरुषोतम अपनी बेटी घर पहुंच पाते, तभी नागपुर के बालाजी नगर इलाके में एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी और कार उन्हें घसीटते हुए काफी दूर तक ले गई थी, जिस के कारण उन की जान चली गई. लेकिन कार चालक वहां से तुरंत फरार हो गया था.
पहले तो सभी को यह मामला ऐक्सीडेंट का लगा था. इसीलिए पुलिस ने भी आईपीसी की धारा 304-ए के तहत ऐक्सीडेंट का केस दर्ज किया था. उस के बाद अजनी पुलिस कार की नंबर प्लेट, सीसीटीवी फुटेज व आसपास के प्रत्यक्षदर्शियों के माध्यम से कार ड्राइवर नीरज ईश्वर निमजे तक पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया.
पूछताछ में ड्राइवर नीरज ने इसे गलती से हुआ ऐक्सीडेंट बताया और बाद में पुलिस ने नीरज निमजे को जमानत पर रिहा भी कर दिया.
सीसीटीवी फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के बाद जब आरोपी ड्राइवर नीरज निमजे को गिरफ्तार करने के बाद जब जमानत पर छोड़ दिया गया तो उस के तुरंत बाद नागपुर शहर में इस सनसनीखेज रोड एक्सीडेंट को ले कर तरह तरह की बातें होने लगी थीं. लोग पुलिस की कार्यप्रणाली को ले कर प्रश्नचिह्न लगाने लगे थे.
मृतक पुरुषोत्तम के बेटे और अन्य रिश्तेदारों व परिचितों के माध्यम से पुलिस के उच्च अधिकारियों को कत्ल की साजिश से अवगत कराया गया. चूंकि मृतक पुरुषोत्तम पुत्तेवार नागपुर में करोड़ों की प्रौपर्टी के मालिक भी थे और उन का इन प्रौपर्टीज को ले कर अपने रिश्तेदारों से कई सालों से विवाद भी चला आ रहा था.
उन के परिचित व रिश्तेदारों को लगता था कि शायद इस ऐक्सीडेंट के पीछे कोई गहरी साजिश छिपी हो सकती है. यह बात पुलिस के कानों तक भी पहुंच चुकी थी.
खुद मृतक पुरुषोत्तम के कुछ रिश्तेदारों ने इस सनसनीखेज केस को ले कर नागपुर के पुलिस कमिश्नर से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात भी की थी, जिस के बाद मामला संदिग्ध पाए जाने पर पुलिस कमिश्नर डा. रवींद्र सिंघल ने इस मामले की जांच अजनी पुलिस से ले कर क्राइम ब्रांच के हवाले कर दी थी और फिर यहीं से मामले में ऐसा चौंकाने वाला ट्विस्ट सामने आया, जिस ने पूरे नागपुर शहर व महाराष्ट्र को ही नहीं, बल्कि समूचे देश को चौंका कर रख दिया.
आरोपी नीरज ईश्वर निमजे
शराब पार्टियों ने कैसे खोला मर्डर का राज
नीरज ईश्वर निमजे जो एक छोटामोटा अपराधी था, जिस ने कभी भी अपने दोस्तों को एक पार्टी तक नहीं दी थी. उस ने हमेशा दोस्तों, परिचतों और लोगों से पैसे उधार लिए मगर उस ने उधार कभी चुकाया तक नहीं था. अचानक जब उस ने अपने दोस्तों को पार्टियां देनी शुरू कर दीं, महंगी महंगी ब्रांड की शराब दोस्तों को पेश की तो इस वजह से लोगों को उस पर शक हुआ.
मुखबिरों के माध्यम से यह खबर उड़ते उड़ते पुलिस के कानों भी जा पहुंची थी कि नीरज निमजे जो एक चिल्लर अपराधी है, उस के पास अचानक इतना सारा पैसा आखिर कहां से आ गया? कुबेर का खजाना उसे अचानक कब और कैसे मिल गया?
बुजुर्ग पुरुषोत्तम पुत्तेवार की बहू अर्चना निकली मास्टरमाइंड
पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जब इन रहस्यों को खंगालना शुरू किया और नीरज निमजे को एक बार फिर गिरफ्तार कर सख्ती से पूछताछ की तो उस ने कुबूल किया कि पुरुषोत्तम पुत्तेवार की मौत कोई हादसा नहीं थी, बल्कि एक सोचीसमझी साजिश के चलते इस हत्या को अंजाम दिया गया था.
नागपुर के रहने वाले एक बुजुर्ग शख्स के कत्ल की साजिश इतनी भयानक होगी, यह किसी ने कभी सोचा तक नहीं था. सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई वे तसवीरें बहुत साफ तो नहीं थीं, लेकिन इन्हें देख कर फौरी तौर पर इतना तो कहा ही जा सकता था कि यह मामला महज एक ऐक्सीडेंट का नहीं था.
22 मई, 2024 की सुबह हुई इस वारदात की तसवीरों को देख कर शुरू में नागपुर पुलिस को भी कुछ ऐसा ही लगा था. क्योंकि सीसीटीवी की उन फुटेजों में जो दिखा था, वो असल सच नहीं था और जो हकीकत थी वह उन तसवीरों में दिखी नहीं.
पुलिस की पूरी जांच में पूरा केस हिट एंड रन का नहीं, बल्कि इरादतन की गई हत्या की एक बड़ी साजिश का निकला, पुलिस के मुताबिक इस खूनी साजिश की पूरी स्क्रिप्ट लिखने वाली मास्टरमाइंड मृतक की बहू अर्चना निकली, जिस ने करीब 300 करोड़ रुपए की संपत्ति के लालच में अपने ससुर के मर्डर का प्लान बनाया था.
पुरुषोत्तम पुत्तेवार के कत्ल के मास्टरमाइंड के तौर पर जिस महिला का नाम सामने आया, वह मृतक की बहू होने के साथसाथ महाराष्ट्र के ही गढ़चिरौली और चंद्रपुर के टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट की वर्तमान में असिस्टेंट डायरेक्टर है, यानी कि सरकारी महकमे की वह क्लास वन औफिसर भी है. जबकि इस साजिश में अर्चना का साथ उस के भाई प्रशांत पार्लेवार ने दिया, जोकि नागपुर के ही माइक्रो स्माल ऐंड मीडियम इंटरप्राइजेज के डायरेक्टर है.
2 क्लास वन अफसरों ने कैसे रची खूनी खौफनाक साजिश
प्रशांत अर्चना पुत्तेवार का सगा भाई है. असल में पुलिस की गिरफ्त में आए कातिलों ने कुबूल किया था कि पुरुषोत्तम पुत्तेवार का मर्डर करने के लिए अर्चना ने ही उन्हें पूरे एक करोड़ रुपए की सुपारी दी थी.
जब पुलिस ने इस खुलासे के बाद अर्चना को गिरफ्तार कर उस से विस्तृत पूछताछ की तो मास्टरमाइंड अर्चना के पीछे एक और मास्टरमाइंड प्रशांत पार्लेवार का नाम सामने आया. यानी एक ऐसा शख्स जो एक बड़ा सरकारी अफसर तो है ही, जो सत्ताधारी दल के नेताओं का भी बेहद करीबी माना जाता है.
अपने ही ससुर की हत्या की सुपारी देने वाली क्लास वन अधिकारी अर्चना ने अपने ससुर को अपने पिता के खिलाफ गवाही देने से रोकने और ससुर की संपत्ति हड़पने के लिए ससुर पुरुषोत्तम पुत्तेवार का मर्डर कराया था.
मृतक की बहू आरोपी अर्चना
अर्चना के परिवार में 2 भाई एक बहन थे. बड़ा भाई प्रशांत पार्लेवार, उस से छोटा प्रवीण पार्लेवार व अर्चना, जबकि पुरुषोत्तम पुत्तेवार के परिवार में पत्नी शकुंतला, बेटे हेमंत, मनीष व एक बेटी योगिता थी. इन में अर्चना की शादी डा. मनीष पुत्तेवार से व अर्चना के भाई प्रवीण की शादी पुरुषोत्तम पुत्तेवार की बेटी योगिता के साथ हुई थी.
पुलिस को दिए गए अपने बयान में अर्चना ने कहा कि उस के भाई प्रवीण की मौत अकस्मात हो गई थी. प्रवीण की मृत्यु के बाद योगिता अपने पिता पुरुषोत्तम पुत्तेवार की संपत्ति में हिस्सा चाहती थी. इस के लिए योगिता ने कोर्ट में केस भी दाखिल किया था. इस मामले में अर्चना के ससुर पुरुषोत्तम पुत्तेवार गवाह थे.
वहीं दूसरी ओर अर्चना के पिता अपनी संपत्ति अपने दूसरे बेटे प्रशांत पार्लेवार और बेटी अर्चना को देना चाहते थे. अर्चना अपने पिता की ओर से योगिता को बेदखल तो करना ही चाहती थी, साथ ही वह यह भी चाहती थी कि योगिता को उस के पिता पुरुषोत्तम पुत्तेवार की संपत्ति से भी कुछ न मिले.
इस मामले में अर्चना ने अपने ससुर पुरुषोत्तम पुत्तेवार को कई बार गवाही न देने के लिए कहा भी था, लेकिन जब पुरुषोत्तम ने इंकार कर दिया तो फिर अर्चना ने अपने भाई प्रशांत पार्लेवार के साथ मिल कर ससुर को हमेशा हमेशा के लिए रास्ते से हटाने की योजना बना डाली.
अर्चना ने अपने बयान में पुलिस को बताया कि उस के पिता के पास भी करोड़ों की संपत्ति है. इस में नागपुर के ऊंटखाना इलाके में 6 हजार वर्ग फीट जमीन शामिल है. अर्चना और प्रशांत इसी जमीन पर माल बनाना चाहते थे. अगर योगिता इस जमीन में अपना हिस्सा ले लेती तो माल बनाने के लिए बहुत कम जमीन बच रही थी.
अपने ससुर पुरुषोत्तम पुत्तेवार की हत्या की साजिश अर्चना ने काफी योजनाबद्ध ढंग से रची थी. इस खूनी साजिश में उस ने अपने पति डा. मनीष पुत्तेवार के ड्राइवर सार्थक साहेबराव बागड़े, अपने भाई प्रशांत पार्लेवार और अपनी पीए पायल नागेश्वर को भी शामिल किया था. अर्चना ने इन को हत्या करने के लिए एक करोड़ रुपए का लालच भी दिया.
ड्राइवर सार्थक ने अपने प्लान में अपने 3 साथियों नीरज निमजे, सचिन धार्मिक और संकेत घोड़मारे को शामिल किया था. अर्चना ने जिन लोगों को अपने ससुर की सुपारी दी थी, उन्हें शुरुआत में 17 लाख रुपए और कुछ गोल्ड ज्वैलरी एडवांस में दी थी. बाकी पैसे काम होने पर देने की बात कही गई थी.
इस मामले में बहू अर्चना ने एक लाख 76 हजार में एक पुरानी आई20 कार खरीदी. इसी कार से टक्कर मारने के बाद पुरुषोत्तम पुत्तेवार की मौके पर ही मौत हो गई थी.
खास बात तो यह थी कि बहू ने अपने ससुर को मरवाने की एक ही महीने में 3 बार कोशिश की थी. 2 बार तो पुरुषोत्तम बच गए, मगर तीसरी बार वह उन का शिकार बन गए.
नागपुर के पुलिस कमिश्नर रवींद्र सिंघल ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया, ”पुरुषोत्तम पुत्तेवार को मारने के 2 अन्य प्रयास 8 मई, 2024 और 16 मई, 2024 को किए गए थे. 8 मई को सचिन धार्मिक ने उन्हें कार से कुचलने की कोशिश की थी, जबकि 16 मई को सचिन धार्मिक और नीरज निमजे ने पुरुषोत्तम के सिर पर लोहे की रौड से वार किया और फिर स्कूटर से भाग गए.
”चूंकि उन्हें ज्यादा चोटें नहीं आई थीं, इसलिए उन के बेटे डा. मनीष ने इसे दुर्घटना मानते हुए पुलिस में कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई थी.’’
इस संबंध में डीसीपी निमिष गोयल ने कहा, ”सीसीटीवी फुटेज से हमें पता चला कि यह महज दुर्घटना नहीं थी, क्योंकि पुरुषोत्तम सड़क के एकदम किनारे पर चल रहे थे और ड्राइवर ने जानबूझ कर उन्हें कार से कुचल कर नीचे गिरा दिया. साथ ही उन्हें काफी दूर तक घसीटा भी गया ताकि उन्हें गंभीर चोटें लगें और बचने की कोई उम्मीद न रहे.’’
डीसीपी ने आगे बताया, ”जांच के दौरान हमें पता चला कि एक एक्टिवा स्कूटी लगातार पुरुषोत्तम पुत्तेवार का पीछा कर रही थी. एक्टिवा भी घटनास्थल पर मिली थी. और दुर्घटना के तुरंत बाद एक्टिवा पर सवार 2 लोग वहां से भाग गए थे.
इस के आधार पर फिर से जांच की गई तब नीरज निमजे ने अपने साथी सचिन धार्मिक की भूमिका का खुलासा किया. इस के बाद भारतीय दंड संहिता और मोटर वाहन अधिनियम की हत्या, साजिश और सबूत नष्ट करने की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई, फिर नीरज निमजे और सचिन धार्मिक को 4 जून, 2024 को गिरफ्तार कर लिया गया.
सचिन धार्मिक की काल डिटेल्स से पता चला कि वह लगातार अर्चना के संपर्क में था. उस के बाद जब गिरफ्तारी के बाद उस से पुलिस द्वारा कड़ी पूछताछ की गई तो उस ने अपना अपराध कुबूल कर लिया और फिर उस ने ड्राइवर सार्थक बागड़े की भूमिका का भी खुलासा कर दिया.
पुलिस ने बताया कि अर्चना ने पुलिस को गुमराह करने के लिए काफी कोशिशें की थीं और यह दावा भी किया था कि उस ने 6 महीने पहले सार्थक बागड़े को नौकरी से निकाल दिया था. इसलिए उस ने हमारे परिवार से बदला लेने के लिए यह अपराध बदले की भावना से किया था.
हालांकि पुलिस जांच में यह तथ्य सामने आया कि सार्थक बागड़े ने 20 मई, 2024 तक उन के साथ काम किया था और जिस के बाद अर्चना और सार्थक बागड़े की नागपुर पुलिस द्वारा 6 जून और 10 जून, 2024 को गिरफ्तार कर लिया गया था.
बहन द्वारा रची गई कत्ल की साजिश में भाई कैसे बना मददगार
इस कत्ल की मास्टरमाइंड अर्चना पत्नी डा. मनीष पुत्तेवार ने पहले अपने ड्राइवर सार्थक बागड़े को इस काम के लिए राजी किया, उसे पूरे एक करोड़ रुपए की सुपारी का लालच दिया. सार्थक बागड़े के साथसाथ नीरज निमजे, सचिन धार्मिक और संकेत घोड़मारे से विस्तृत बातचीत की गई, जिन्होंने पुरुषोत्तम का कत्ल करने के लिए हामी भर दी.
सचिन धार्मिक को एक बीयर बार लाइसेंस का लालच भी दिया गया. अर्चना ने ये काम पूरा कर देने पर अपने भाई एमएसएमई के डायरेक्टर प्रशांत पार्लेवार से लाइसेंस दिलाने में मदद करने का वादा किया.
प्रशांत पार्लेवार लगातार अपनी बहन अर्चना को इस कत्ल की साजिश को पूरा करने के लिए गाइड कर रहा था. क्राइम ब्रांच ने ऐक्सीडेंट वाली जगह के आसपास के कई किलोमीटर के सीसीटीवी फुटेज निकाल कर चैक किए तो इस कोशिश में पुलिस को कुछ अहम सुराग मिले.
पुलिस को यह पता चला कि उस दिन 22 मई, 2024 को जब आई20 कार ने पुरुषोत्तम पुत्तेवार को कुचला था, तब कार ड्राइवर नीरज निमजे के साथ उस का एक साथी सार्थक बागड़े भी मौजूद था. इस आई 20 कार के पीछे एक एक्टिवा भी आगेपीछे चल रही थी. अब पुलिस इन लोगों की पहचान करना चाहती थी.
दूसरी बार जब क्राइम ब्रांच ने नीरज निमजे और सार्थक बागड़े को हिरासत में ले कर जब नए सिरे से पुलिसिया ढंग से पूछताछ की तो पता चला कि उस दिन उन की कार के पीछे एक्टिवा पर चल रहे 2 लोग सचिन धार्मिक और संकेत घोड़मारे थे, जोकि पुरुषोत्तम पुत्तेवार की और उन की पहचान कराने के लिए बालाजी नगर पहुंचे थे, ताकि नीरज निमजे अपनी कार से पुरुषोत्तम पुत्तेवार को कुचल कर आसानी से वहां से भाग सकें.
आरोपी अर्चना पहले से है करोड़ों की मालकिन
ससुर पुरुषोत्तम पुत्तेवार मर्डर की मुख्य आरोपी अर्चना ने पुलिस पूछताछ में अपनी अकूत संपत्ति का भी खुलासा किया है. उस ने बताया कि नियोजन विभाग में काम करते हुए उस ने काफी संपत्ति अर्जित की थी. वह खुद बैरमजी टाउन में अपने एक आलीशान फ्लैट में रहती है. इस के अलावा उस के पास 2 और भी फ्लैट हैं और एक आलीशान फार्महाउस भी है.
उस ने पुलिस को दिए अपने बयान में स्वीकार किया कि उस ने अपने ससुर की हत्या करने के लिए एक करोड़ रुपए की सुपारी दी थी. इस में से उस ने 17 लाख रुपए नकद, 40 ग्राम सोने के कंगन और 100 ग्राम सोने के बिसकुट एडवांस के तौर पर हत्यारों को दिए थे. पुलिस ने हत्यारों से रुपए, सोने के बिसकुट गहने बरामद भी कर लिए हैं
पुलिस के अनुसार अर्चना ने सरकारी विभाग में काम करते हुए करोड़ों रुपए की संपत्ति बनाई है. वहीं पुलिस को बड़सा के एक व्यापारी के माध्यम से अर्चना द्वारा बेनामी संपत्ति खरीदे जाने का भी पता चला है. काली कमाई से बनाई गई संपत्ति की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा कराई जाएगी. पुलिस जल्द ही इस संबंध में एसीबी को पत्र भेजने वाली है.
इस के अलावा पुलिस जांच में अर्चना मनीष पुत्तेवार के कार्यस्थल पर कई अनियमितताएं भी उजागर हुई हैं. अर्चना पुत्तेवार अपने पद का इस्तेमाल काफी गलत ढंग से कर रही थी. उस के खिलाफ लोगों द्वारा कई शिकायतें भी दर्ज कराई गई थीं. अर्चना पर नियमों को तोडऩे और अनधिकृत लेआउट को मंजूरी देने जैसे कई गंभीर आरोप लगाए गए थे, हालांकि अर्चना के राजनीतिक संबंधों के कारण किसी भी आरोप को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया गया था.
कुछ साल पहले कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि बेटी का पिता की संपत्ति पर अधिकार होता है, इसे ले कर तमाम जगहों पर काफी होहल्ला भी हुआ था.
पायल नागेश्वर
अर्चना की 3 दिन की पुलिस रिमांड के दौरान पायल अर्चना के बैरमजी टाउन के आलीशान अपार्टमेंट में चली गई और उस ने अपने मोबाइल फोन से आपत्तिजनक संदेश और काल रिकौर्ड डिलीट कर दिए. पुलिस के अनुसार गिरफ्तारी के बाद पायल नागेश्वर ने अपने और अर्चना के मोबाइल से काल, चैट, मैसेज और तसवीरें मिटाने की बात स्वीकार की है.
पुलिस अब साइबर विशेषज्ञों के माध्यम से मिटाए गए सबूतों को वापस लाने और गैजेट को फोरैंसिक प्रयोगशाला में भेजने की तैयारी कर रही थी. पुलिस जांच दल का मानना है कि काल, चैट, संदेशों और तसवीरों से हत्या के कई सबूत सामने आ सकते हैं, जिस में प्रत्येक आरोपी की भूमिका और आपसी संबंध उजागर किए जा सकेंगे. पायल नागेश्वर ने मर्डर की सरगना अर्चना की ओर से हत्यारों के बीच सुपारी की रकम बांटने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
कहानी लिखे जाने तक नागपुर पुलिस पुरुषोत्तम पुत्तेवार मर्डर के आरोपी अर्चना पुत्तेवार (53 वर्ष) पत्नी डा. मनीष पुत्तेवार, प्रशांत एम. पार्लेवार (58 वर्ष) महाराष्ट्र के मध्यम एवं लघु उद्योग डायरेक्टर, अर्चना की पीए पायल नागेश्वर (28 वर्ष) निवासी बैरमजी टाउन नागपुर, सार्थक साहेबराव बागड़े (29 वर्ष) निवासी चैतन्येश्वर नगर वाथोडा नागपुर, नीरज ईश्वर निमजे (30 वर्ष) निवासी शक्ति माता नगर खरबी रोड नागपुर, सचिन मोहन धार्मिक (29 वर्ष) निवासी बगडग़ंज नागपुर और सातवें आरोपी संकेत घोड़मारे (23 वर्ष) निवासी नागपुर को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी थी.
—कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है. तथ्यों का नाट्य रूपांतरण किया गया है. कथा में पंकज पवार नाम काल्पनिक है.