वेब सीरीज ‘बजरी माफिया’ बजरी (रेत) खनन माफिया के पुलिस और राजनीति के सफेदपोश चेहरों की मिलीभगत से अपनी जेब भरने का खुला खेल दिखाती है.

एक्टर्स : नीर राव, कृतिका माथुर, पवन कुमार, अंतरिक्ष नागरवाल, अलीशा सोनी, अल्ताफ खान, शुभम पारीक, कपूर करण, अशोक व्यास, अशिमा सुथार, अमरदान चारण, हिमांशी जैन, दीपक गुर्जर, देवा शर्मा

डायरेक्टर : जतिन सूर्यवंशी,  मोहित बोस, भरत सैन
एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर: विमल रावतिया
लेखक: जतिन सूर्यवंशी, पार्थ दीक्षित,  भरत सैन,
म्यूजिक: एम.एस. रूपर्ट
एडिटर: तरुण कुंदानी
प्लेटफार्म: एयरटेल एक्सट्रीम

बजरी ठेकेदारों को सरकार एक निश्चित दायरे  में बजरी खनन का सरकारी टेंडर देती है. लेकिन ठेकेदार निश्चित दायरे से बाहर रेत खनन करते रहे हैं और करते रहेंगे, यह दायरे से बाहर जा कर पचासों नहीं सैकड़ों गुना बजरी खुदाई करते हैं. टेंडर की आड़ में बजरी ठेकेदार अवैध खनन कर के न केवल सरकार को चूना लगाते हैं, बल्कि नदियों और प्रकृति का भी विनाश करते हैं. यह सब संबंधित विभागों की मिलीभगत से चलता रहता है.

निर्मातानिर्देशक जतिन सूर्यवंशी इस सीरीज के लेखक भी हैं, मगर लगता है कि उन्होंने बजरी माफिया पर रिसर्च नहीं किया. वेब सीरीज को 3 राइटर जतिन सूर्यवंशी, पार्थ दीक्षित और भरत सैन ने लिखा है. 6 एपिसोड की सीरीज का एकएक एपिसोड करीब 27-28 मिनट का है. सीरीज की कहानी उबाऊ लगती है. कुछ घटनाएं सत्य हैं. बाकी पूरी सीरीज किसी थर्ड क्लास के सीरियल से भी गईगुजरी लगती है.

इस सीरीज में बजरी माफिया गजेंद्र सिंह (अल्ताफ खान) और धीरेन सिंह को भाई दिखाया गया है. दोनों किसी भी हद तक जाने वाले यानी धीरेन सिंह को वेश्यागामी और पुलिस अधिकारी इंसपेक्टर की हत्या करते दिखाया है. वहीं बजरी माफिया गजेंद्र सिंह एसपी, थानेदार तक को गैंग से मरवा डालते हैं.

राजस्थान में बजरी माफिया ने अब तक किसी एसपी, सबइंसपेक्टर और थानेदार को नहीं मारा. यह देखने के बाद ऐसा लगा कि बजरी माफिया झूठ का पुलिंदा मात्र है. हर सिस्टम को चलाने वाली जन समाज पार्टी की नेता मैडम देवी कुमारी जहां भी जाती है, अकेली होती है. आजकल तो एक विधायक के साथ भी तमाम लोग चलते हैं. विधायक, सांसद के आने पर हजारों की भीड़ उमड़ पड़ती है. मगर सीरीज में ऐसा कुछ भी नहीं दिखाया गया है. इसी तरह सतपाल (नीर राव) और ज्योति ( कृतिका माथुर) की प्रेम कहानी दमदार नहीं है.

एसपी जगदीश (शुभम पारीक) के सामने हवलदार किशन शर्मा (अमरदान चारण) बोतल में से पहला पैग बना कर गटागट पीता है और फिर वहीं एसपी के सामने प्लेट में खड़ाखड़ा खाना खाता है. क्या हकीकत में किसी हवलदार की कोई मजाल है कि वह एसपी के शराब मांगने पर बोतल में से पैग बना कर पीए और फिर खाना खाए. एसपी सिर्फ एक थानेदार पवन कुमार (कपूर करण) और हवलदार किशन शर्मा और एक अन्य पुलिसकर्मी के साथ ही पूरी सीरीज में दिखते हैं. यह भी गजब है.

एसपी के नीचे कितने पुलिस के अधिकारी, इंसपेक्टर, थानेदार, हवलदार और पुलिसकर्मी होते हैं. सीरीज में सिर्फ एसपी और थानेदार पवन कुमार को एक जीप में आतेजाते दिखाया गया है. यह सब देख कर सीरीज बजरी माफिया जीरो है.तमाम तथ्यों पर ध्यान न देना यह दिखाता है कि राजस्थानी फिल्मों की वेब सीरीज भी किन्हीं सीख रहे निर्माता, निर्देशक, राइटर एवं अन्य तमाम लोगों ने बनाई है. म्यूजिक भी कमजोर है. जहां शूटिंग हुई वे जगहें भी कोई खास नहीं हैं.

एपिसोड नंबर 1

पहले एपिसोड की शुरुआत शहर की ऊंची इमारतों के दृश्यों से होती है. इस के बाद सड़क पर रेत यानी बजरी से भरे ट्रक आतेजाते दिख रहे हैं. जेसीबी से खुदाई कर के ट्रकों में लद रही बजरी का दृश्य. बहती नदी का दृश्य और इस के बाद धीरेन सिंह (अंतरिक्ष नागरवाल) और गजेंद्र सिंह (अल्ताफ खान) सड़क पर चल रहे हैं. ये दोनों भाई ठेकेदार हैं बजरी खनन के.

देवी कुमारी सरकार की तरह हर अवैध ट्रक पर 150 रुपए लेती है. इन के राज्य में ऐसे 3 हजार ट्रक चलते हैं. बाकी का हिसाब तो आप खुद लगा सकते हैं. कोर्ट के आदेश ने पूरे बजरी सिंडिकेट की नींव हिला कर रख दी थी. धीरेन सिंह और गजेंद्र सिंह के 10 बजरी ट्रकों का भी पता नहीं चल पा रहा था.इस के बाद देवी कुमारी और गजेंद्र सिंह एक कमरे में जाते हैं. वहां दोनों आगे के काम की प्लानिंग करते हैं.

अगले सीन में जेल का गेट ‘चें’ की आवाज के साथ खुलता है. एक लड़का वहां जेल से बाहर निकलता है. दाएं कंधे से बैग झुलाता हुआ थोड़ी सी बढ़ी हुई दाढ़ी का युवक सीधे सड़क पर चलने लगता है. जेल की दीवार कच्ची ईंटों की दिख रही थी. जैसे जेल न हो कर पशु बाड़ा हो. जेल से निकला चुपचाप आगे चला जा रहा है सड़क पर.

इस के बाद दृश्य दिखता है 2 युवतियों का. इन में एक युवती ज्योति (कृतिका माथुर) है, जो एक छोटा सा एनजीओ चलाती है. ज्योति अपने एनजीओ के माध्यम से पीडि़त महिलाओं के हक की लड़ाई लड़ती है.

कविता (अशिमा सुथार) अपनी ससुराल वालों से प्रताडि़त हो कर ज्योति से मदद मांगने उस के एनजीओ कार्यालय में आई है. कविता का पति पवन कुमार (कपूर करण) पुलिस में सबइंसपेक्टर है. थानेदार पवन कुमार के मातापिता बहू कविता को कम दहेज लाने का ताना देने के साथ छोटीछोटी बातों पर हर वक्त ताने देते थे. कविता के 5 साल का बेटा था. इसी के कारण कविता सब कुछ सहती रही.

आखिर जब थक गई तो वह पति पवन कुमार से तलाक लेने के लिए ज्योति के एनजीओ पर आई थी.

कविता को ज्योति हिम्मत और धैर्य दे कर कंप्यूटर सिखा रही थी. ज्योति ने जैसे ही हाल के मुख्य गेट पर देखा तो वही जेल से निकला युवक खड़ा था. ज्योति ने उसे देखा तो वह अपलक देखती रह गई. उस युवक का नाम सतपाल है. उसे इंसपेक्टर बलवीर सिंह चौहान (आशीष जैन) ने पेपर लीक मामले में झूठा फंसाया था.

इस के बाद दाढ़ी बना कर नहाधो कर सतपाल नौकरी के लिए ट्यूटर हब अपने गुरुजी टीचर (सुरेंद्र कुमार) के पास जा कर काल बेल बजाता है.

टीचर घर का दरवाजा खोलता है. सामने सतपाल को देख टीचर पूछता है कि कब आए.

”कल आया.’’

”क्या लेने आया तू?’’

”गुरुजी, काम. मैं बच्चों को कोचिंग करा सकता हूं.’’ सतपाल आने का कारण बताता है.

सुन कर टीचर कहता है, ”तेरे को यह सब बोलते शर्म नहीं आती.’’

”गुरुजी, आप को मेरे ऊपर भरोसा नहीं है क्या?’’ सतपाल ने कहा तो टीचर उखड़ते हुए बोला, ”तूू राजा हरिश्चंद्र की औलाद है? ये कोर्ट, प्रशासन और ये मीडिया, सब तो बेवकूफ हैं न? ऐसी कोई गाली नहीं बची, जो मैं ने तुझे पिछले 3 साल में नहीं दी हो. अब मेरी हिम्मत नहीं. अब तुझे जहां जाना है, वहां जा. जो करना है वो कर. मेहरबानी कर मेरे संस्थान और मेरे बच्चों पर रहम कर फिर कभी मुड़ कर मत देखना. रास्ता छोड़ और यहां से उड़ जा. मैं ने कहा न चल यहां से निकल भाग.’’

इतने कड़वे वचन और बेइज्जत हो कर सतपाल उलटे पांव लौट गया. उसे वे शब्द याद आने लगे.

तभी उस के पास बजरी ठेकेदार गजेंद्र सिंह और धीरेन सिंह का मुनीम आ कर कहता है, ”बीस ट्रैक्टर निकले हैं बजरी के 6 चक्कर.’’

मुनीम इंसपेक्टर बलवीर सिंह चौहान को चैकपोस्ट से बजरी के अवैध ट्रैक्टर पार करने के एवज में रिश्वत की राशि दे कर बाइक स्टार्ट कर चला जाता है.

इस तरह रात के अंधेरे में बलवीर चैकपोस्ट पर अकेला था. उसे पैसे की भूख ने अंधा कर दिया था. वह बेटी की शादी बड़ी धूमधाम से हो, इस के लिए रुपए छापने में लगा था. इस कारण बाकी पुलिसकर्मी तो थाने जा चुके थे. बलवीर ड्यूटी दे रहा था. सतपाल को जब यह पता लगा तो वह चैकपोस्ट पर पहुंच जाता है.

आज सतपाल को मौका मिला था. सतपाल ने बलवीर चौहान को जीप में से खींच कर बाहर निकाला और उसे मारनेपीटने लगा. बलवीर जानता था कि अब भागने में ही भलाई है. वह सतपाल से छूट कर भागने लगा.

उधर बलवीर चौहान को रिश्वत दे कर धीरेन सिंह रसीली के साथ थोड़ी दूर गाड़ी में बैठा प्रेमालाप कर रहा था. उधर बलवीर वहीं आ कर गिरा, जहां पर धीरेन और रसीली बैठे थे.

सतपाल ने बलवीर को गिराया और पीटते हुए कह रहा था कि तूने मेरी जिंदगी बरबाद कर दी. झूठे केस में फंसा कर तूने कहीं का नहीं छोड़ा. इस तरह बलवीर को पीटपीट कर अधमरा कर दिया.

तब सतपाल कहता है, ”इसे जिंदा छोड़ा तो ये कई लोगों का जीवन बरबाद करेगा.’’

यह सुन धीरेन कहता है, ”बात तो तूने सही कही है. नाम क्या है तेरा?’’

सुन कर सतपाल बोला, ”सतपाल.’’

”मेरी खातिर काम करेगा?’’ धीरेन ने पूछा.

सतपाल ने पूछा, ”क्या काम?’’

”जो मैं कहूं.’’ धीरेन ने कहा.

”और पैसा?’’ सतपाल बोला.

”जो तू कहे.’’

और इसी के साथ बलवीर चौहान को गोली मार दी. रसीली ने गोली मारते देखा तो उस ने नजरें दूसरी तरफ घुमा लीं. रात के अंधेरे में पुलिस अफसर का मर्डर कर दिया और इसी के साथ पहला एपिसोड पूरा हो गया.

एपिसोड नंबर 2

दूसरे एपिसोड की शुरुआत में सतपाल अपनी किताबें आग के हवाले कर देता है. इस के बाद अपनी प्रेमिका ज्योति से मिलने जाता है. ज्योति कविता के साथ वकील के पास गई.

वकील उस से अपनी फीस के लिए कहता है. ज्योति फीस थोड़ी कम करने को वकील से कहती है. इस पर ज्योति के पास खड़ा सतपाल कहता है कि फीस की चिंता मत करो. फीस पूरी दूंगा. वकील चला जाता है तो ज्योति सतपाल से कहती है कि कहां से फीस हो जाएगी और यह मिठाई. क्या चल रहा है, तब सतपाल कहता है कि मेरी एक बिल्डर के यहां साइट मैनेजर की नौकरी लग गई. इस के बाद सतपाल मिठाई का पीस ज्योति को खिलाता है.

तभी गजेंद्र सिंह का मुनीम पुनीत (देवा शर्मा) दरवाजा खोल कर सतपाल से कहता है कि चलो तो दोनों बाइक पर बैठ कर चल देते हैं. रास्ते में सेठ का चचेरा भाई राजू शराबी खेत में शराब पिए एक महिला को पकडऩे को बेताब हो रहा था. तभी बाइक पर पुनीत और सतपाल आ जाते हैं, वे राजू को कहते हैं कि सेठ ने बुलाया है. राजू कहता है मैं सेठ का नौकर नहीं. तब पुनीत पिस्टल उस पर तान कर अपने साथ सेठ के पास ले जाता है.

सेठ राजू से उस की जमीन हड़पना चाहता है. करोड़ों की जमीन 30 लाख में. तब राजू मना कर देता है. कहता है मर जाऊंगा मगर जमीन नहीं दूंगा. ऐसे में सतपाल कहता है कि राजू का खेत मिल जाएगा. धीरेन से वह 2 लाख रुपए लेता है. सतपाल वहां से ज्योति के पास मिलने जाता है.

कविता के पति सबइंसपेक्टर पवन कुमार (कपूर करण) को उस के पिता धिक्कारते हैं कि वह नपुसंक है, जो बीवी कविता उसे छोड़ गई. पवन इस के लिए पिता को ही जिम्मेदार बताता है. तभी पुलिस अफसर बलवीर चौहान की बेटी दिव्या चौहान आ कर पवन से कहती है कि पापा का फोन नहीं लग रहा. पिछले 2 दिन से लापता हैं. दिव्या की शादी है. पवन कहता है कि मैं ढूंढ कर लाऊंगा. पवन आश्वस्त कर के दिव्या को घर भेज देता है.

उधर राजू उसी खेत वाली महिला से रेप कर रहा होता है. सतपाल उस का वीडियो बना लेता है. राजू कहता है कि तुझ हरामजादे की हिम्मत कि तू मेरा वीडियो बना रहा है. इस पर सतपाल उसे धमकी देता है कि यह वीडियो अगर पुलिस को दूं तो. तब राजू ऐसा न करने को गिड़गिड़ाता है.

सतपाल ब्लैकमेल कर राजू का खेत बजरी माफिया गजेंद्र सिंह के नाम करा देता है. मरता क्या न करता. राजू को खेत बेचना ही पड़ता है. राजू पैसे ले कर जमीन गजेंद्र के नाम कर देता है.

रिपोर्टर तुषार एक पत्र भेज कर धीरेन और सतपाल से कहता है कि उस ने बलवीर चौहान को मारते देखा है. तब रिपोर्टर का मुंह बंद करने के लिए मुंहमांगी रकम उसे दे कर हमेशा के लिए उस का मुंह बंद कर दिया जाता है. बस, यहीं पर दूसरे एपिसोड का अंत हो जाता है.

एपिसोड नंबर 3

तीसरे एपिसोड की शुरुआत चाय पीती देवी कुमारी से होती है. रिपोर्टर तुषार आर्य बलवीर चौहान की मौत को सनसनी बनाने को तैयार हो जाता है. रिपोर्टर नौसिखिए की तरह वहां मौजूद पुलिस वालों से सवाल पूछता है. पुलिस वाले भी न जाने जोकर की तरह वर्दी पहने जवाब दे रहे हैं, तभी देवी कुमारी बलवीर के घर आती है.

देवी कुमारी जिंदाबाद के सिर्फ 4 व्यक्ति नारे लगा रहे थे. अरे भाई, जब विधायक, सांसद गांव में आते हैं तो सैकड़ों की भीड़ इकट्ठा होती है. इस कारण देवी कुमारी भी बनावटी नेता से ज्यादा कुछ नहीं लग रही.

वह रिपोर्टर के किसी सवाल का जवाब नहीं देती. देवी कुमारी कहती है कि जिस दिन बलवीर गायब हुआ, उस दिन उस ने कहा था कि मेरी बेटी दिव्या चौहान की डोली उठे, तब आशीर्वाद देने आना.

देवी कुमारी दुलहन दिव्या से वादा करती है कि वह बलवीर को किसी भी कीमत पर वापस लाएगी. गजेंद्र सिंह अपने भाई धीरेन से कहता है कि बजरी जल्दजल्द पहुंचाओ. धीरेन कहता है कि राजू की जमीन मिल गई, उस में खूब बजरी है. राजू के पास जमीन रहती तो दारू में जाती. सुन कर गजेंद्र सिंह कहता है कि मेरी समझ में नहीं आ रहा कि उस ने जमीन कैसे दे दी.

तभी मुनीम पुनीत कहता है कि चैनल पर खबर आ रही है कि लालमंडी का बलवीर चौहान गायब है. धीरेन कहता है कि हम ने तो उसे बजरी पकडऩे के बदले ढाई लाख रुपए दे दिए थे. पुनीत कहता है मैटर क्लोज्ड.

किशन काम पर लग जाता है. तभी पवन की बीवी कविता का पवन के पास तलाक के लिए कोर्ट आने का फोन आता है. पवन कहता है कि वह बलवीर चौहान के लापता होने के केस में सर्च कर रहा है अगली पेशी पर तलाक दे दूंगा.

झाडिय़ों के बीच पुलिसकर्मियों को खून से सने 2 हजार के बिखरे नोट मिलते हैं. पुलिस उन रुपयों की जब्ती की काररवाई करती है. उधर सतपाल के पास दोस्त आता है और 4 हजार रुपए में सरकारी नौकरी के लीक पेपर देने की बात कहता है. सतपाल उसे यह सब करने से मना कर देता है. मगर दोस्त के ज्यादा उकसाने व लालच देने पर पेपर खरीदने निकल जाता है. बजरी का काम जो दिनदहाड़े होता था, वह कोर्ट की रोक के बाद रात के अंधेरे में धड़ल्ले से होने लगा था. नदियों के किनारे पर जहां बजरी थी, वहां पहुंचने के लिए बजरी माफिया स्वयं रास्ते बनाने लगे, ताकि खनन कर सकें.

गांव में बेरोजगारी और लाचारी ने बजरी माफिया के साथ युवाओं को जुडऩे पर मजबूर कर दिया. वे बजरी माफिया के लिए काम करने लगे. पुलिस अपना काम कर रही थी. रिपोर्टर तुषार अपना काम कर रहा था.

देवी कुमारी के पास थानेदार पवन कुमार का फोन आता है. वह कहता है, ”मैडमजी, लाश मिली है.’’

यह सुन कर देवी कुमारी मन ही मन मुसकरा उठी थी. उसे लगा कि चुनाव जीतने का हथियार मिल गया है. उसी वक्त तीसरा एपिसोड खत्म हो जाता है.

एपिसोड नंबर 4

चौथे एपिसोड की शुरुआत होती है. बलवीर चौहान के घर के प्रथम तल के कमरे में दुलहन के लाल जोड़े में सजी दुलहन दिव्या चौहान से. वह आईने के सामने खड़ी अपना गमगीन, बुझा सा चेहरा देख रही है.

खिड़की में टंगे शीशे में देखतेदेखते जैसे ही उस की नजर खिड़की में से घर के आगे वाली सड़क पर पड़ती है, वह बदहवास स्थिति में उधर दौड़ पड़ती है. 4 पुलिसकर्मी कंधों पर अर्थी उठाए उस के घर की तरफ आ रहे थे.

घर के बाहर दिव्या चौहान को दौड़ कर आते देख पुलिसकर्मी अर्थी को वहीं पर बाहर रख देते हैं. उसी वक्त वहां पर एसपी जगदीश (शुभम पारीक) आते हैं. वे किसी फ्लौप हीरो की तरह एक सेकेंड भी नहीं रुकते. न किसी से सांत्वना के 2 शब्द बोलते हैं. 4 कदम आगे आ कर काले शीशे का चश्मा डालते हैं और वहां से चल देते हैं.

पुलिस अफसर बलवीर चौहान की लाश मिलने पर एसपी जगदीश का हीरो की तरह फुदकना शर्मनाक दृश्य से ज्यादा कुछ नहीं है.

क्या गजब डायलौग मारा एसपी ने किसी चवन्ने की तरह. इंसानों के चेहरे बकरे जैसे पता नहीं कब से होने लगे. एसपी द्वारा ही पानी की बोतल से थानेदार पवन अपना मुंह धोता है. इस के बाद एसपी बोनट से नीचे कूदते हैं और फाइल मांगते हैं. थानेदार उसे फाइल देता है. एसपी फाइल देखता है, फिर पवन थानेदार से जल्दी थाने पहुंचने को कहता है.

उधर नदी के किनारे रात के अंधेरे में धीरेन सिंह के गुर्गे सतपाल और मुनीम पुनीत बजरी के अवैध ट्रक भरा रहे थे. दिन उदय होने में 2 घंटे बाकी थे. सतपाल व पुनीत मजदूरों से कहते हैं, चलो भाई जल्दी करो. तभी पेड़ों के पीछे किसी के होने का अहसास होता है.

सतपाल के मना करने के बाद भी पुनीत उस का निशाना लगा कर गोली चला देता है. गोली एक व्यक्ति को लगती है. बजरी खनन का काम रुक जाता है. उधर गजेंद्र सिंह एक नए ठेकेदार से धीरेन सिंह की मुलाकात कराता है और कहता है ये नए ठेकेदार हैं हम से बजरी लेंगे.

उधर नया ठेकेदार गजेंद्र सिंह से कहता है कि एक पुलिस वाले का मर्डर हो गया. उसी की न्यूज चल रही है. नए ठेकेदार की एक साइट चल रही थी और 10 नई साइटें शुरू होने वाली थीं. इस कारण नया ठेकेदार गजेंद्र सिंह से मिलने आया था बजरी के लिए.

उधर, सरपंचजी गांव के लोगों को बुला कर बताते हैं कि कल रात बाबू पर गोली चली है. बाबू के खेत के बीचोंबीच रास्ता निकाल कर रेत माफिया नदी से बजरी निकाल रहा है. पुलिस भी असमर्थ है. अगर हम लोग नहीं चेते तो हमारी जमीने भी यूं ही जाएंगी.

पिता की बातें वहां खड़ी ज्योति भी सुन रही थी. सरपंच ने कहा कि उन्हें रोकना है. सभी लोग रात में तैयार रहना. यह सब सुन कर ज्योति सतपाल से जा मिलती है.

सतपाल ज्योति से कहता है तू क्यों इस पचड़े में पड़ रही है. वो इतना ताकतवर है कि पूरे गांव को उजाड़ सकता है. बेबस औरत को कंप्यूटर सिखाने में और बंदूक ले कर लडऩे में फर्क होता है.

ज्योति बजरी का अवैध खनन रुकवाने के लिए जाने को निकल रही होती है. तब सतपाल उस का हाथ पकड़ लेता है.

ज्योति पुलिस को फोन करने लगती है तो सतपाल उस का हाथ पकड़ लेता है. वह हाथ छुड़ाने के लिए बिलबिला उठती है. तभी सतपाल उस का हाथ झटके से छोड़ कर आंखें तरेरते हुए कहता है, ”जो कुछ हुआ, उस से तुझे अक्ल नहीं आई. याद रखना, जो होगा उस की जिम्मेदार तू होगी.’’

यह कह कर ज्योति को दोनों हाथों से छिटका कर वहां से निकल जाता है. सतपाल बाहर जा कर पुनीत को फोन करता है. फोन उठा कर कहता है, आप जिस ग्राहक से बात करना चाहते हैं वह पुलिस हिरासत में है.

पुनीत को पुलिस ने पकड़ लिया है. यह जान कर सतपाल को करंट सा लगता है. एसपी से पुनीत कहता है पिछले 10 सालों से इस धंधे में हूं. ऐसा कोई नाका नहीं, जो पार न कराया हो.

इस के बाद दृश्य बदल जाता है. सरपंच हाथ में मशाल लिए अकेले ही बजरी खनन रुकवाने पहुंच जाते हैं. वहां पर धीरेन सिंह अपने गुर्गों के साथ अवैध बजरी खनन करवा रहा था. धीरेन अपने आदमियों से बोला, ”किसी कीमत पर आज खनन का काम रुकना नहीं चाहिए.’’

तभी बूढ़े सरपंच वहां आ कर कहते हैं, ”कौन है तू. जहां से आया है, चला जा.’’

इस पर धीरेन सिंह कहता है, ”झड़लू, तुझे तो मैं अकेला ही निपटा दूंगा.’’

धीरेन के इशारे पर उस के गुर्गे सरपंच पर टूट पड़ते हैं. सरपंच को अधमरा कर वे लोग बजरी खनन का काम शुरू कर देते हैं.

एसपी जगदीश पूछताछ करते राजू के पास पहुंच गया. राजू वैसे भी जमीन हड़पने के कारण गजेंद्र, धीरेन व सतपाल से खार खाए बैठा था. राजू ने एसपी से कहा, ”साहब, पकड़ लो उस हरामजादे को और उस के चेले को. वे रोज रात में रसीली के घाघरे में घुसे पड़े रहते हैं.’’

सुन कर एसपी कहता है कि पुनीत को पहले ही पकड़ लिया. तब राजू कहता है कि वह पूनिया कोनी. यह पूनिया दूसरा है साहब. एक बार वह हाथ से निकल गया तो जिंदगी भर अफसोस रहेगा.

इशारा सतपाल की तरफ था. तब एसपी शराब की तरफ इशारा कर के कहता है तू इसे छोड़ दे लंबा जीएगा.

उसी समय पुलिस वाला आ कर एसपी जगदीश से कहता है, ”साहब… साहब बजरी वालों ने गांव वालों पर हमला कर दिया.’’

यह सुन कर एसपी व थानेदार पवन वहां से घटनास्थल की तरफ गाड़ी में रवाना हो गया. सतपाल अपनी प्रेमिका ज्योति के सरपंच को ढूंढता हुआ बजरी खनन के पास पहुंचता है और घायल सरपंच को सहारा दे कर बाइक से घर ले जाता है. ज्योति घायल पिता को सहारा देती है तभी पुलिस की गाड़ी का सायरन सुन कर सतपाल ज्योति से कहता है, ”तूने पुलिस को तो नहीं बताया.’’

सायरन सुन कर सतपाल भाग खड़ा होता है. उधर धीरेन सिंह रसीली से मिलने जाता है तो वहां पर एसपी जगदीश मिलता है. एसपी हथकड़ी दिखा कर कहता है, ”यह तो मैं पहना ही दूंगा. चलो.’’

इस के बाद एसपी सीधे मैडम देवी कुमारी से मिलने पहुंचता है.

सुन कर देवी कुमारी कहती है, ”किस ने मारा?’’

तब एसपी कहता है, ”वो मैं आप को सब बता दूंगा. मगर आप मुझे यह बताओ कि सच्ची में आप को केस सुलटाना है या इलेक्शन जीतना है.’’

तभी चाय आ गई. एसपी चाय की चुस्की लेते हुए बोला, ”वो जो भी है धीरेन और रसीली को नहीं बचा रहा. वो अपने आप को बचा रहा है, मर्डर रात के अंधेरे में हुआ और लाश 200 किलोमीटर दूर मिली. आज तक मुर्दा खड़ा हो कर नहीं बताया कि वो किस जगह दफन है. मगर मैडमजी, आप ने मेरी बात का जवाब नहीं दिया. औप्शन ए केस, औप्शन बी चुनाव. सी और डी तो है ही नहीं.

घूरघूर कर देख रही मैडम देवी कुमारी ने तब कहा, ”सभी को पकड़ कर लाओ.’’

सुन कर एसपी बोला, ”इतना सरल काम नहीं है मैडमजी. सारे फरार हैं.’’

एपिसोड नंबर 5

पांचवें एपिसोड की शुरुआत में एसपी जगदीश और मैडम देवी कुमारी आमनेसामने बैठे हैं.

गजेंद्र सिंह के सामने रिपोर्टर चुपचाप खड़ा है. गजेंद्र कहता है, ”देवी विद्या मंदिर. देवी जन कल्याण संस्थान. देवी अनाथालय. 2 साल पहले मुख्यमंत्री साहब ने इन के रिबन काटे थे. इन बिल्डिंगों के नीचे मैडम ने 4 लाशें गाड़ी हैं. पत्रकार तुषार अब तू बता, टीवी पर तो बहुत चलती है, अब बोलती क्यों बंद है?’’

गजेंद्र सिंह रिपोर्टर से कहता है कि पता लगाओ किसकिस को कहां पर गाड़ा. गजेंद्र जेब से पिस्टल निकाल कर कहता है कि या तो जिंदा रहने की वजह बताओ. या फिर ये बताओ कि कहां पर गाड़ूं.

यह सुन एवं साक्षात मौत को सामने देख सतपाल बोला, ”मैं ने भाई को पुलिस से बचाया.’’

तब गजेंद्र बोला, ”फंसाया भी तूने ही था,’’ यह सुन कर सतपाल बोला, ”मैं ने अपना बदला पूरा कर लिया. भाईजी वहां नहीं होते तो भी बलबीर की जान तो जानी ही थी.’’

गजेंद्र कहता है, ”बात तो तेरी सही है.’’

सतपाल अपनी जान बख्शने को कहता है तो गजेंद्र पिस्टल रिपोर्टर तुषार पर तान देता हैं. सतपाल उसे जिंदा रखने को कहता है और कहता है कि काम आएगा. तुषार भी हां कहता है. गजेंद्र कहता है, ”कोई गड़बड़ की तो गोली चलने में कोई टाइम नहीं लगता.’’

गजेंद्र पिस्टल जेब में रख लेता है. जैसा रौबदाब बजरी माफिया में होना चाहिए, वैसा रौब न गजेंद्र में और न धीरेन में नजर आता है. दोनों बस नमूनों की तरह नजर आते हैं. सतपाल भी डरा सा लड़का नजर आता है. मैडम देवी कुमारी गाड़ी में बैठी इंतजार कर रही है, गजेंद्र सिंह आ कर गाड़ी में बैठ जाता है. दोनों को चिंता है कि कैसे धंधा किया जाए.

सतपाल गजेंद्र से कहता है, ”पुलिस वालों को सबक सिखाना है, सिस्टम से हारा व्यक्ति जब जुर्म के साथ हाथ मिलाता है. तब वह व्यक्ति सिस्टम को हराए बगैर चैन नहीं लेता है.’’

सतपाल बिसात बिछा रहा था. सतपाल अपने सेठ बजरी माफिया गजेंद्र सिंह भाईजी को अपनी प्लानिंग समझा रहा था. अपना आदमी पुलिस के हरेक नाके पर जाएगा. वो कुछ करेगा नहीं, पुलिस वालों की लोकेशन देखेगा. इस की खातिर वह अपना दिल और जान सब कुछ देने को तैयार है.

सतपाल अपनी बजरी गैंग के व्यक्तियों को पुलिस के सभी नाकों पर भेज कर औफिस में बैठ कर भाईजी के साथ पुलिस वालों की लोकेशन मोबाइलों में देख रहा है. एसपी और थानेदार पुलिस की एक जीप में बैठे हैं.

उधर बजरी माफिया के लोग एक जगह गोली चलाते हैं तो वायरलैस पर एसपी को खबर लगती है. एसपी जगदीश और थानेदार पवन संदेश मिलते ही वहां के लिए रवाना हो जाते हैं.

तभी स्क्रीन पर रिपोर्टर तुषार आर्य बताता है, ”बात दरअसल यह है कि पुलिस प्रशासन बलवीर चौहान के हत्यारों को पकडऩे की आड़ में अवैध वसूली का धंधा करने में लगी है. और इस मामले में कर्ताधर्ता है एसपी जगदीश. इस घटना का खुलासा इस चैनल पर हुआ तो एसपी जगदीश फरार हो गया.’’

इस के बाद एसपी जगदीश एक जगह पर अद्र्धबेहोश हालत में पाया जाता है.

उस के सामने खड़ा है बजरी माफिया गजेंद्र सिंह और उस का खास गुर्गा सतपाल. सतपाल भाईजी गजेंद्र से कहता है, ”मैं ने कहा था न कि मैं जेल नहीं जाऊंगा. इस की खातिर मैं किसी भी हद तक जा सकता हूं.’’

गजेंद्र एसपी जगदीश से कहता है कि इस लड़के के कहने पर ही छोड़ रहा हूं. तुझे तो पता ही है, मेरे माल पर हाथ डालने का नतीजा.

इतना कह कर गजेंद्र सिंह कमीज की साइड वाली जेब से मोबाइल निकाल कर एक नंबर डायल कर कान से लगा कर कहता है, ”मैडमजी मैं ने अपने भाई को बचा लिया, अब आप अपनी कुरसी बचाओ.’’

एपिसोड नंबर 6:

छठे एपिसोड की शुरुआत होती है, जंगल में घायलावस्था में खड़े होते थानेदार पवन कुमार से. थानेदार लडख़ड़ाता खड़ा हो कर चारों तरफ देख कर जोरजोर से कहता है. साहब… साहब… उसी समय एक बजरी माफिया का गुर्गा थानेदार पर हमला कर देता है. मगर पवन कुमार उसे मार डालता है.

सवाल यह है कि जो चलने लायक भी नहीं, वह एक नौजवान को कैसे मार डालता है. नए दृश्य में सतपाल बाइक चला रहा है और पीछे बैठा है रिपोर्टर तुषार आर्य. बाइक सतपाल रोक कर कहता है, ले उतर और मैडमजी का इंटरव्यू ले कर नया कुर्ता ले लेना और यह बूट भी इन पर बजरी का खून लगा है. तुषार उसे घूर कर चुपचाप देख रहा है. सतपाल कहता है, जो ढूंढने गए थे वो सब मिल गया नाम, पैसा. फिर भी चेहरा मुरझाया हुआ है.

नए दृश्य में बजरी माफिया गजेंद्र सिंह थाने के एक कक्ष में कुरसी पर बैठा है. दोनों हाथों में हथकड़ी पहने मुनीम पुनीत कक्ष में आता है. गजेंद्र सिंह उसे घूर कर देख रहा है, पुनीत कुरसी पर आ कर गजेंद्र के सामने बैठ जाता है. दोनों थोड़ी देर चुप बैठे रहते हैं. गजेंद्र उस पर से नजरें हटा कर शून्य में ताकने लगता है.’’

गजेंद्र सिंह अपने घर चला जाता है. पुनीत पुलिस के सामने यह बात कुबूल कर लेता है, कि बलवीर चौहान को उस ने मारा था. सतपाल और ठेकेदार (प्रतीक चौहान) का दृश्य उभरता है. दोनों एक जगह मिलते हैं. ठेकेदार कहता है सतपाल से, ”भाईजी, इतना माल तो एक नंबर में भी नहीं निकलेगा. तुम दो नंबर की बात कर रहे हो. हमें भी आगे जवाब देना पड़ता है.’’

सुन कर नोटों का पैकेट सतपाल ठेकेदार के हाथ में दे कर कहता है, ”जवाब तो भाईजी तुम इन से देना. और तुम्हारे लिए भी एक तोहफा है.’’

सुन कर ठेकेदार कहता है, ”तोहफा?’’

सतपाल उधर देखता है, जहां शबनम खड़ी है. गजब की सुंदर और सैक्सी बाला. ठेकेदार उसे देख कर लार टपकाने लगता है. ठेकेदार उस सुंदर बाला के पास जा कर प्यार की बातें करने लगता है.

अगले दृश्य में कविता तलाक की फाइल निकाल कर देख रही है. उसी वक्त उस का पति थानेदार पवन कुमार वहां आ जाता है. वह दारू के नशे में टल्ली है और लडख़ड़ाता हुआ कविता के आगेपीछे मंडरा रहा है.

पवन कहता है, ”चल… मैं ने कभी तेरे पर हाथ छोड़ा. तू मेरे से कौन सी दुश्मनी निकाल रही है. कभी तेरे सामने ऊंचा बोला हूं, क्या करना चाहती है.’’

सुन कर कविता चुप रहती है. पवन कहता है, ”कंप्यूटर चलाना है तुझे, चला लेगी. तू बस घर चल. मैं तेरे हाथ पकड़ूं, पैर पकड़ूं. तू बस घर चल.’’

यह सुन कर कविता बोली, ”चल, मगर तू मुझे यह बता दे. तेरे मांबाप ने गाली दी. तेरा कभी मुंह खुला. मेरे लिए नहीं, अपने बेटे के लिए तो कभी उन से कह देता कि यह सब क्यों कर रहे हो. कहता है कभी हाथ नहीं उठाया. अरे तुझे शर्म नहीं आई अपनी पत्नी को बाप को सौंपते हुए.

यह सुन कर पवन बोला, ”ये क्या बक रही है तू.’’ सुन कविता बोली, ”तेरा बाप तो तुझे सब कुछ बताता था. तब यह बात क्यों नहीं बताई.’’

यह सुन पवन नजरें नीची कर के बोला, ”पर बेटा तो मेरा ही है न.’’

कविता ने कहा, ”चल, नहीं बताती तुझे.’’

पवन अपना सा मुंह ले कर चला गया. रिपोर्टर तुषार मैडम देवी कुमारी से इंटरव्यू करने पहुंच जाता है. इंटरव्यू के दौरान जब उस ने अवैध खनन के बारे में सवाल किया तो देवी कुमारी ने इस सवाल का जवाब तो नहीं दिया. मगर यह

जरूर कहा कि आप लोगों ने कोर्ट के आदेश के बाद नवंबर, 2017 के बाद अगर राज्य में इमारतें बनती देखी हैं तो विधायक देवी कुमारी का इसे जवाब समझ लीजिए.

मगर सत्य यह है कि बजरी खनन नहीं रुका था. काम रुका था सिर्फ सरकारी बांधों का, अस्पताल का, स्कूल का. बजरी का खेल ऐसे ही धड़ल्ले से पूरे राज्य में चलता रहा. अगले सीन में सतपाल नोटों की अनगिनत गड््िडयां टेबल पर डाले गिन रहा था कि मोबाइल पर फोन आया. बताया कि सरपंच कोर्ट में बयान देने जा रहा है. थानेदार पवन बैग लटकाए ज्योति के घर पत्नी कविता से मिलने आता है. गेट पर कविता टकरा जाती है.

मगर कविता कोई जवाब नहीं देती, वह मुंह फेर लेती है. अंदर सरपंच साहब बयान देने जाने की तैयारी में हैं. ज्योति उन्हें रोकना चाहती है. मगर वे रुकते नहीं.

सरपंच घर से ज्योति के साथ बाहर आए तो पवन पत्नी कविता से बात कर के जाने लगा. सरपंच जैसे ही ज्योति के साथ घर के बाहर आए. उसी वक्त बजरी माफिया के गुंडे कार में पहुंचे और पल में ही सरपंच, कविता, ज्योति को पकड़ लिया.

थोड़ी दूर गए पवन ने यह सब देखा तो वह दौड़ कर वहां पहुंचा और गुंडों से भिड़ गया. गुंडे की गोली कविता की जान ले लेती है. एक गुंडा मारा जाता है. सरपंच का अपहरण कर के गुंडे ले जाते हैं. पवन और ज्योति के सामने कविता की रक्तरंजित लाश पड़ी थी.

पवन उसे बस देख रहा था, अपलक. गजेंद्र सिंह का चचेरा भाई शराबी राजू सतपाल से कहता है, ”इन भाइयों के चक्कर में न पड़. कोई काम के नहीं है, जो तू आज उन के खातिर कर रहा है न एक टाइम मैं उन के खातिर करता था. वे बेच कर खा जाएंगे तुझे.’’

इसी के साथ छठा एपिसोड पूरा हो जाता है. मगर कहानी अधूरी रह जाती है. बहुत सारे झोल कहानी में हैं. धीरेन सिंह फरार है. जब बलवीर के मर्डर का जुर्म पुनीत ने कुबूल कर लिया तो धीरेन सिंह फरार क्यों है.

एसपी जगदीश के लापता होने पर उस की खोजबीन न करना. सीरीज में पेपर लीक की घटना भी दिखा दी. मगर घटना के पीछे कौन थे, इस के बारे में कुछ खुलासा नहीं हुआ. इस तरह राजस्थानी भाषा की सीरीज ‘बजरी माफिया’ काफी मायूस करती है.

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