रविवार 21 जनवरी, 2018 का अलसाया हुआ दिन था. बसंत ऋतु ने दस्तक दे दी थी, लेकिन सूरज की किरणों में फिर भी तेजी नहीं आई थी. सिहराती सर्द हवाओं के बीच आसमान दिन भर मटमैले बादलों से ही अटा रहा. लेकिन मौसम की बदमिजाजी से लोगों की आमदरफ्त में कोई तब्दीली नहीं आई थी.
कोटा स्टेशन की बाहरी हदों से शुरू होने वाले बाजार में रोजमर्रा की रौनक जस की तस कायम थी. अगर कोई फर्क था तो इतना कि लोगों के चेहरों पर कशमकश के भाव थे और शौपिंग की बजाय उन की उत्सुकता चोपड़ा फार्म जाने वाली गली नंबर-2 की तरफ थी, जिसे पूरी तरह पुलिसकर्मियों ने घेर रखा था.
तेज होती खुसुरफुसुर से ही पता चला कि किसी ने एक महिला और उस के बेटे की हत्या कर दी है. यह वारदात वहां रहने वाले चर्चित भाजपा नेता नीरज पाराशर के परिवार में हुई थी.
बदमाशों ने घर में घुस कर नीरज पाराशर की पत्नी सोहनी और 12 साल के बेटे पीयूष को गोली मार दी थी.
बेटी तान्या वारदात का शिकार होने से बच गई थी. दरअसल, गोली लगने से पहले ही सोहनी ने उसे घर से बाहर फेंक दिया था. शोर मचा तो आसपास के रहने वाले लोग फौरन मौके पर पहुंच गए, लेकिन बदमाश तब तक भाग चुके थे.
खबर मिलने पर भीममंडी के थानाप्रभारी रामखिलाड़ी पुलिस बल के साथ वहां पहुंच गए थे. इस दोहरे हत्याकांड की खबर जब उन्होंने आला अधिकारियों को दी तो एएसपी समीर कुमार, डीएसपी शिवभगवान गोदारा, राजेश मेश्राम भी वहां आ गए. 10 मिनट बाद आईजी विशाल बंसल और एसपी अंशुमान भोमिया भी वहां पहुंच गए.
पुलिस अधिकारियों के सामने जो चुनौती मुंह बाए खड़ी थी, उस से निपटना आसान नहीं था. क्योंकि कुछ ही दिनों पहले स्टेशन क्षेत्र में एक और भाजपा नेता की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी. इस के अलावा शहर में हत्या की और भी कई वारदातें अनसुलझी पड़ी थीं. इस सब को ले कर एसपी साहब के चेहरे पर तनाव साफ दिखाई दे रहा था.
केस बड़ा पेचीदा था. पुलिस इस बात पर भी हैरान थी कि इस चहलपहल वाले इलाके में नीरज पाराशर के मकान में बदमाश बेखौफ हो कर आए और मांबेटे को गोलियों से भून कर चले गए.
सोहनी की करपटी और उस के बेटे पीयूष के सीने में गोलियां लगी थीं. लग रहा था जैसे उन्हें गोली बहुत करीब से मारी गई थी. एक गोली कमरे की दीवार पर भी लगी थी, दीवार पर गोली टकराने का निशान बन गया था. पुलिस ने मौके से गोली का खोल भी बरामद कर लिया.
सूचना मिलने पर पुलिस फोटोग्राफर, क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम, डौग स्क्वायड और एफएसएल की टीमें भी वहां पहुंच गई थीं. सभी टीमें अपनेअपने ढंग से काम कर के लौट गईं. थानाप्रभारी रामखिलाड़ी मीणा ने शवों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया और आगे की जांच में जुट गए.
उन्होंने नीरज पाराशर से बात की तो उस ने बताया कि घटना के वक्त वह सब्जी लेने के लिए बाजार गया हुआ था. सरेआम हुई इस वारदात ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी थी. गोली चलाने वाले कौन थे, किस तरफ भागे थे, किसी को कुछ पता नहीं था. पुलिस ने आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज भी खंगाले, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
पुलिस ने पड़ोसियों से बात की तो उन्होंने बताया कि हम ने गोलियां चलने की आवाज तो नहीं सुनी अलबत्ता मार दिया…मार दिया… की चीखपुकार जरूर सुनी थी. जिस के बाद वे लोग पाराशर के मकान की तरफ दौड़े. हालांकि कुछ लोगों ने पाराशर के मकान से एक आदमी को भागते देखा, लेकिन वह कौन था, कैसे आया और कहां गया, इस बाबत कुछ नहीं बता पाए.
पुलिस पूछताछ में रोताबिलखता नीरज ठीक से कुछ नहीं बता पा रहा था. टुकड़ों में जो कुछ वह कह रहा था, उस से पुलिस सिर्फ इतना समझ पाई कि उस की पत्नी सोहनी मुरैना की रहने वाली थी, जहां पड़ोस में रहने वाले चंद्रकांत पाठक उर्फ दिलीप से उस का अफेयर था. 2 महीने पहले सोहनी उस के साथ भाग गई थी, जिस की गुमशुदगी की सूचना उस ने थाना भीममंडी में दर्ज करा रखी थी.
पिछले दिनों उसे सोहनी के मुरैना में होने का पता चला तो वह मुरैना जा कर उसे ले आया. नीरज ने पुलिस को बताया कि वारदात करने वाला चंद्रकांत पाठक के अलावा कोई नहीं हो सकता. थानाप्रभारी ने यह सारी जानकारी एसपी अंशुमान भोमिया को दे दी.
इन सब बातों से अंशुमान भोमिया को लगा कि पूरे घटनाक्रम में सोहनी की कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका रही होगी. इसलिए उन का पूरा ध्यान उस के अतीत और उस के प्रेमी चंद्रकांत पाठक पर अटक गया.
नीरज ने एसपी साहब से मुलाकात की. उस ने उन्हें एक नई जानकारी यह दी कि चंद्रकांत पाठक ने चेतन शर्मा के नाम से एक फरजी फेसबुक आईडी बना रखी थी. चंद्रकांत एक उच्चशिक्षित युवक था, साथ ही अच्छा शूटर भी. मध्य प्रदेश में उसे शार्पशूटर का अवार्ड मिल चुका था.
पुलिस ने नीरज से इस बारे में विस्तार से जानकारी मांगी कि सोहनी कब और कैसे गायब हुई थी? इस पर नीरज ने बताया, ‘‘नवंबर, 2017 में मैं अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अपनी ससुराल मुरैना गया था. वहां से 20 नवंबर को हम कोटा लौट आए थे. 22 नवंबर को मैं गोवर्धन परिक्रमा के लिए वृंदावन चला गया था.
मेरी गैरमौजूदगी में चंद्रकांत पाठक आया और जबरन पत्नी को ले कर चला गया. उस समय दोनों बच्चे भी घर पर थे, जो सो रहे थे. बाद में जब बेटा पीयूष सो कर उठा और उस ने मां को नहीं देखा तो उस ने मुझे फोन किया. तब मैं ने पत्नी की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराई और अपने स्तर पर भी उस की तलाश करता रहा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी.’’
उस ने आगे बताया, ‘‘सर, जनवरी, 2018 में अचानक मेरे पास पत्नी का फोन आया. उस ने किसी और के मोबाइल से फोन किया था. पत्नी ने मुझे बताया कि चंद्रकांत ने उसे कैद कर रखा है, आ कर उसे छुड़ा लें. यह जानने के बाद मैं मुरैना गया और पत्नी को साथ ले कर कोटा आ गया. चंद्रकांत पत्नी से कोई संपर्क न कर सके, इसलिए मैं ने पत्नी का फोन नंबर भी बदल दिया था. इस से खीझ कर एक दिन चंद्रकांत ने मुझे फोन पर ही धमकी दी कि सोहनी से बात करवा दो वरना पूरे परिवार को जान से मार देगा.’’
नीरज से पूछताछ के समय एसपी अंशुमान भोमिया भी वहीं मौजूद थे. उन्होंने नीरज को तीखी नजरों से देखा, वह उन से आंखें नहीं मिला सका. नीरज के हावभाव और बातों से उन्हें उसी पर शक होने लगा था. लेकिन उन्होंने जानबूझ कर उसे ज्यादा कुरेदना उचित नहीं समझा. इसी बीच एक नई जानकारी ने पुलिस की तहकीकात का रुख मोड़ दिया.
पता चला कि चंद्रकांत पाठक शनिवार 20 जनवरी, 2018 की देर रात कोटा पहुंचा था और स्टेशन क्षेत्र के ही एक होटल में ठहरा था. पुलिस का मानना था कि निश्चित रूप से उस ने अगले रोज 21 जनवरी को दिन भर नीरज के घर के आसपास रेकी की होगी और जैसे ही उसे मौका मिला, वह वारदात को अंजाम दे कर भाग गया.
पुलिस ने नीरज और सोहनी की फेसबुक देखी तो इस प्रेम कहानी का काफी कुछ खुलासा हो गया. फेसबुक पर मोहब्बत और नफरत के जज्बात साथसाथ मौजूद थे. पत्नी के इस तरह छोड़ कर चले जाने से नीरज पाराशर इस हद तक परेशान था कि उस की यादें सहेजने के लिए पुराने फोटो शेयर करने के साथ मोहब्बत और हिकारत दोनों उगल रहा था.
15 दिसंबर, 2017 को नीरज ने अपनी फेसबुक पर लिखा, ‘आई हेट सोहनी पाराशर एंड माई लाइफ…’ 28 दिसंबर को सुर बदला तो उस के मन में सोहनी के लिए तड़प पैदा हुई. उस ने लिखा, ‘आप कहां हो सोहनी, कम बैक प्लीज…’
31 दिसंबर को मोहब्बत ने जोर मारा तो नए साल की मुबारकबाद देते हुए लिखा, ‘विश यू ए हैप्पी न्यू ईयर सोहनी पाराशर’. 5 जनवरी को वैराग्य का भाव जागा तो कुछ अलग ही असलियत उजागर हुई, ‘सोहनी पैसे की दीवानी थी’. नीरज ने आगे लिखा, ‘इस दुनिया में कोई रिश्ता इंपोर्टेंट नहीं है, सब कुछ केवल पैसा है.’
पुलिस ने चंद्रकांत पाठक के फरजी नाम चेतन शर्मा की फेसबुक सर्च की तो चंद्रकांत और सोहनी की तूफानी मोहब्बत खुल कर सामने आ गई. 15 जनवरी को चंद्रकांत ने सोहनी के साथ करीब डेढ़ सौ फोटो शेयर किए थे, जो होटलों में मौजमस्ती और घूमनेफिरने की तस्दीक कर रहे थे.
17 जनवरी, 2018 को चंद्रकांत ने जो कुछ फेसबुक पर लिखा, उस ने उस के इरादों पर मुहर लगा दी. चंद्रकांत ने लिखा था, ‘इस दुनिया को अलविदा, मेरी जिंदगी यहीं तक थी. माफ कर देना, सभी का दिल दुखाया, बट गलत मैं था. माफ कर देना… लव यू आल…सौरी.’
टूटे हुए दिल से निकले अल्फाज चंद्रकांत की उस मनोदशा की तसदीक कर रहे थे, जब कोई शख्स खुदकुशी का फैसला करता है जबकि सोहनी का कत्ल तो कुछ और ही कहानी की तरफ इशारा कर रहा था.
मामला काफी संदिग्ध था. नीरज अपनी बात पर अडिग था कि उस की पत्नी सोहनी की हत्या चंद्रकांत पाठक ने की है. लेकिन एसपी अंशुमान भोमिया के इस सवाल का उस के पास कोई जवाब नहीं था कि अगर तुम्हारी पत्नी से उस का अफेयर था तो आखिर ऐसा क्या हुआ कि वह उस की हत्या करने पर आमादा हुआ और मासूम बच्चे से चंद्रकांत की क्या दुश्मनी थी जो उस ने उसे भी गोली मार दी?
नीरज इस बाबत भी चुप्पी साधे रहा. एसपी अंशुमान भोमिया ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक समीर कुमार की अगुवाई में तेजतर्रार अफसरों डीएसपी शिवभगवान गोदारा, राजेश मेश्राम और भीमंडी नयापुरा और रेलवे कालोनी के थानाप्रभारियों को शामिल कर के एक पुलिस टीम बनाई और चंद्रकांत की तलाश में भेज दी. इस टीम ने उसे बिलासपुर, श्योपुर और देहरादून में तलाशा.
पुलिस की यह कोशिश रंग लाई. चंद्रकांत को मध्य प्रदेश के श्योपुर से गिरफ्तार कर लिया गया. थाने ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो पता चला कि वह उच्चशिक्षित था. उस ने मैथ्स, कैमिस्ट्री और कंप्यूटर साइंस में मास्टर डिग्री प्राप्त की थी. पीजीडीए किए चंद्रकांत पाठक के पास मास्टर औफ फाइन आर्ट्स की भी डिग्री थी.इतना ही नहीं, वह सटीक निशानेबाज भी था. उसे बेस्ट शूटर का प्रोसीडेंट अवार्ड भी मिल चुका था. वह एनसीसी का सी सर्टिफिकेट होल्डर भी था.
एसपी भोमिया ने उस से पूछा कि इतना क्वालीफाइड हो कर भी उस ने इतनी संगीन वारदात को अंजाम कैसे दिया. इस बारे में उस ने जो कुछ बताया, उस से पूरी कहानी मोहब्बत पर आ कर सिमट गई.
चंद्रकांत पाठक उर्फ दिलीप उर्फ चेतन शर्मा मूलरूप से मुरैना के दत्तपुरा का रहने वाला था. सोहनी का परिवार उस के घर के ठीक सामने ही रहता था. दोनों का बचपन एक साथ खेलते पढ़ते बतियाते बीता था. बचपन की यह दोस्ती कब प्यार में बदल गई, दोनों ही नहीं समझ सके. अलबत्ता दोनों मोहब्बत में इस कदर डूबे थे कि एकदूसरे के बिना रहने की कल्पना करना भी उन्हें गवारा नहीं था.
लेकिन पारिवारिक बंदिशों के कारण यह मोहब्बत जीवनसाथी की डोर में नहीं बंध पाई. कालांतर में सोहनी का विवाह कोटा के नीरज पाराशर से हो गया और चंद्रकांत ने भी परिवार की जिद के आगे सिर झुका कर कहीं दूसरी जगह शादी कर ली.
दोनों अलगअलग रिश्तों की डोर में बंध तो गए, लेकिन आशिकी खत्म नहीं हुई. चंद्रकांत के पिता का मुरैना में डीजे का काम था. वह पिता के काम में ही हाथ बंटाने लगा. बाद में चंद्रकांत के भी एक बेटा हो गया और सोहनी भी 2 बच्चों की मां बन गई.
इस के बावजूद सोहनी और चंद्रकांत के संबंध बने रहे. सोहनी अपने मायके मुरैना आती तो वह चंद्रकांत से जरूर मिलती. किसी तरह नीरज को इस बात की भनक लग गई. इस के बाद दोनों ने मिलने में ऐहतियात बरतनी शुरू कर दी. चंद्रकांत का कहना था, ‘कोई 2 महीने पहले मैं बिलासपुर में था. सोहनी वहीं आ गई थी. सोहनी अपनी ससुराल वालों को बिना बताए आई थी. इस के बाद चंद्रकांत ने सोहनी के साथ रहना शुरू कर दिया था.
‘इसी दौरान चंद्रकांत ने 20 लाख रुपए में अपनी दुकान बेची थी. वह रकम उस के पास मौजूद थी. इस बीच सोहनी उस की गैरहाजिरी में अपने पति के साथ कोटा चली गई. जाते समय वह मेरे 2 लाख रुपए और गहने अपने साथ ले गई थी. सोहनी ने मेरे साथ फरेब किया था.’
‘‘सोहनी के कत्ल की नौबत क्यों आई? अगर फरेब की कोई वजह थी तो उस मासूम बच्चे को क्यों मारा?’’ एसपी भोमिया ने पूछा.
‘‘नहीं सर, मेरा इरादा ऐसा नहीं था. मैं नीरज की गैरमौजूदगी में ही सोहना से मिलना चाहता था. ऐसा मैं ने किया भी.’’ एक पल रुकते हुए चंद्रकांत ने कहना शुरू किया, ‘‘मैं ने अपनी रकम और जेवरात सोहनी से मांगे तो वह उल्टे मुझ पर ही बरस पड़ी. मैं ने उसे डराने के लिए पिस्टल दिखाई, लेकिन अचानक बच्चा मेरे ऊपर झपट पड़ा और पिस्टल छीनने की कोशिश करने लगा. इस छीनाझपटी में ही ट्रिगर दब गया और बच्चे को गोली लग गई.
‘‘सोहनी को तो मुझे मजबूरी में मारना पड़ा. उसे नहीं मारता तो वह बेटे की हत्या की गवाह बन जाती. बेटे की मौत से सोहनी को अपनी बेटी की जान भी खतरे में नजर आई तो उस ने बच्ची को दरवाजे की तरफ फेंक दिया. सोहनी पर मैं ने 2 गोलियां चलाईं. अफरातफरी में निशाना चूक गया और एक गोली दीवार में धंस गई. एक गोली उस की कनपटी पर लगी थी. उस के बाद मैं बुरी तरह दहशत में आ गया था. इस के बाद मैं पहले दिल्ली चला गया फिर श्योपुर आ गया.’’
पुलिस ने उस से पूछताछ करने के बाद उसे भादंसं की धारा 302 के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. 2 लाख की रकम और जेवरात अभी पुलिस बरामद नहीं कर पाई. कथा लिखे जाने तक चंद्रकांत जेल में बंद था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित