17 अप्रैल, 2023 को रोशनी का डिजिटल मार्केटिंग का पेपर था. वह जालौन जिले के एट कस्बा स्थित रामलखन पटेल डिग्री कालेज में बीए (द्वितीय वर्ष) की छात्रा थी. इसी कालेज में उस की बड़ी बहन शीलम भी पढ़ती थी. वह बीए फाइनल में थी. उस का हिंदी साहित्य का पेपर था. सुबह 8 बजे उन दोनों को उन का भाई श्रीचंद्र अपनी बाइक से कालेज गेट पर छोड़ कर चला गया था.
लगभग साढ़े 10 बजे रोशनी और शीलम परीक्षा दे कर कालेज से निकलीं. हाथों में प्रवेश पत्र थामे दोनों बहनें अपने घर की तरफ चल दीं. चलतेचलते दोनों आपस में बातचीत भी करती जा रही थी. जैसे ही वे कोटरा तिराहे की ओर बढ़ीं, तभी रोशनी एकाएक ठिठक कर रुक गई.
किसी अनचाहे शख्स के अंदेशे में उस ने पलट कर देखा. पीछे एक बजाज पल्सर बाइक सवार को देख कर उस की आंखों में खौफ की छाया तैर गई. क्योंकि वह बाइक पर पीछे की सीट पर बैठे युवक को जानती थी. रोशनी ने तुरंत अपनी बड़ी बहन शीलम का हाथ जोर से पकड़ा और घसीटते हुए कहा, ”जरा तेज कदम बढ़ाओ.’’
शीलम ने रोशनी को खौफजदा पाया तो फौरन पलट कर पीछे देखा. वह भी पूरा मामला समझ गई. इस के बाद दोनों बहनें फुरती से तेजतेज चलने लगीं.
चेहरे पर हलकी दाढ़ी और सख्त चेहरे वाला युवक राज उर्फ आतिश था, जो रोशनी का मंगेतर था, पर किसी वजह से उस से सगाई टूट गई थी. राज व उस के साथी को देख कर दोनों बहनों की चाल में लडख़ड़ाहट आ गई थी. आशंका को भांप कर रोशनी ने मोबाइल निकाल कर किसी का नंबर मिलाया.
वह मोबाइल पर बात कर पाती, उस के पहले ही राज बाइक से उतर कर उस के पास पहुंच गया. उस ने मोबाइल वाला हाथ झटकते हुए रोशनी का गला दबोच लिया. गले पर कसते सख्त हाथों की गिरफ्त से छूटने के लिए रोशनी ने जैसे ही हाथ चलाने की कोशिश की, राज ने कमर में खोंसा तमंचा निकाला और रोशनी के सिर पर सटा कर फायर कर दिया.
गोली लगते ही रोशनी चीखी और सड़क पर बिछ गई. उस के सिर से खून की धार बह निकली. कुछ देर छटपटाने के बाद रोशनी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. बदहवास शीलम ने चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन उस के गले से आवाज निकलने के बजाय वह जड़ हो कर रह गई. इसी बीच कुछ लोगों को आते देख कर राज डर गया. हड़बड़ाहट में वह भागा तो उस का तमंचा हाथ से छूट गया. वह बिना तमंचा उठाए ही अपने साथी के साथ बाइक पर सवार हो कर फरार हो गया.
हत्यारे फरार हो गए, तब शीलम जोरजोर से चीखने लगी. उस ने कई लोगों से मदद मांगी, लेकिन सभी ने मुंह फेर लिया. उस के बाद उस ने हिम्मत जुटा कर मोबाइल फोन से अपने घर वालों को जानकारी दी.
सामने हुई हत्या तमाशबीन क्यों रहे लोग
रोशनी की हत्या की खबर सुनने के बाद घर में कोहराम मच गया. कुछ ही देर बाद मृतका के मम्मीपापा, भाई व परिवार के अन्य लोग वहां पहुंच गए और खून से लथपथ रोशनी की लाश देख कर दहाड़ मार कर रोने लगे.
रोशनी की हत्या दिनदहाड़े कस्बे के कोटरा तिराहे के भीड़ भरे बाजार में की गई थी, लेकिन हत्यारों का सामना करने की कोई हिम्मत नहीं जुटा सका था. दुकानदार तो इतने दहशत में आ गए थे कि वे अपनी दुकानों के शटर गिरा कर तमाशबीन बन गए थे.
दरअसल, दहशत इसलिए थी कि एक दिन पहले ही कुख्यात माफिया अतीक व उस के भाई की हत्या प्रयागराज में गोली मार कर की गई थी. लोगों के दिमाग में भय था कि इस हत्या का कनेक्शन कहीं उस वारदात से तो नहीं जुड़ा है.
घटनास्थल से एट कोतवाली की दूरी मात्र 200 मीटर थी. कोतवाल अवधेश कुमार सिंह चौहान को वारदात की खबर लगी तो वह कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पहुंच गए. पुलिस के पहुंचते ही भीड़ का सैलाब उमड़ पड़ा. कोतवाल अवधेश कुमार सिंह ने मामले की जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी, फिर निरीक्षण में जुट गए.
21 वर्षीया रोशनी की हत्या सिर में गोली मार कर की गई थी. शव के पास ही .315 बोर का तमंचा पड़ा था, जिस से उस की हत्या की गई थी. पुलिस ने तमंचे को साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर लिया. मृतका का मोबाइल फोन व प्रवेशपत्र भी वहीं पड़ा था. पुलिस ने उसे भी सुरक्षित कर लिया.
अभी यह सब काररवाई चल ही रही थी कि एसपी डा. ईरज राजा, एएसपी असीम चौधरी तथा सीओ (कोंच) शैलेंद्र बाजपेई भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया.
पुलिस अफसरों के आते ही चीखपुकार बढ़ गई. मृतका की मम्मी सुनीता, पापा मानसिंह तथा भाई श्रीचंद्र दहाड़ें मार कर रोने लगे. पुलिस अधिकारियों ने किसी तरह उन्हें शव से अलग किया, फिर घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. फोरैंसिक टीम ने जांच कर साक्ष्य जुटाए.
घटनास्थल पर मृतका की बहन शीलम मौजूद थी. पुलिस अधिकारियों को उस ने बताया कि उस की बहन रोशनी की हत्या उस के मंगेतर राज उर्फ आतिश ने की है. वह कंदौरा थाने के गांव जमरेही का रहने वाला है. रोशनी और राज आपस में प्रेम करते थे. मम्मीपापा ने दोनों का रिश्ता भी तय कर दिया था.
लेकिन जब रोशनी को पता चला कि राज गुस्से वाला, शक्की व सनकी स्वभाव का है तो रोशनी ने उस से शादी करने से इंकार कर दिया. इस से वह नाराज हो गया और रोशनी को डराने धमकाने लगा. रोशनी नहीं मानी तो आज उस ने गोली मार कर उस की हत्या कर दी. उस के साथी को वह जानती पहचानती नहीं है.
निरीक्षण व पूछताछ के बाद पुलिस ने मृतका रोशनी के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. साथ ही मृतका की बड़ी बहन शीलम की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के तहत राज उर्फ आतिश तथा एक अज्ञात व्यकित के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करा दी.
पुलिस ने ऐसे ढूंढ निकाला आरोपी
एसपी डा. ईरज राजा ने छात्रा रोशनी हत्याकांड को बड़ी गंभीरता से लिया. अत: आरोपियों को पकडऩे के लिए उन्होंने पुलिस की 4 टीमें गठित कीं. एक टीम सीओ (कोंच) शैलेंद्र बाजपेई तथा दूसरी टीम कोतवाल अवधेश कुमार सिंह की अगुवाई में गठित की.
एसओजी तथा सर्विलांस टीम को भी सहयोग के लिए शामिल किया. इन चारों टीमों ने आरोपितों के हरसंभावित ठिकानों, हमीरपुर, कंदौरा, जमरेही, विवार तथा धनपुरा में ताबड़तोड़ दबिशें दीं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी.
शाम 5 बजे कोतवाल अवधेश कुमार सिंह को मुखबिर के जरिए पता चला कि आरोपी राज एट थाने के गांव सोमई में किसी परिचित के घर छिपा है. इस सूचना पर पुलिस टीम ने सोमई गांव में दबिश डाल कर और उसे दबोच लिया. पुलिस टीम ने उस की बिना नंबर प्लेट वाली बजाज पल्सर बाइक भी बरामद कर ली. पूछताछ के लिए उसे थाना एट लाया गया.
थाने में जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया और रोशनी की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि रोशनी उस की प्रेमिका थी. वह उस से शादी करना चाहता था. घर वाले भी राजी हो गए थे, लेकिन रोशनी ने शादी से इंकार कर दिया. उस ने उसे प्यार से भी समझाया और धमकाया भी. लेकिन जब वह नहीं मानी तो उसे मौत की नींद सुला दिया.
”तुम्हारे साथ जो अन्य युवक था, उस से तुम्हारा क्या संबंध है?’’ कोतवाल अवधेश सिंह ने पूछा.
”सर, वह मेरा ममेरा भाई रोहित उर्फ गोविंदा था. वह हमीरपुर जिले के विवार थाने के गांव धनपुरा का रहने वाला है. हमारे और रोशनी के बारे में उसे सब पता था. हम ने जब उसे प्रेमिका की बेवफाई और उसे सबक सिखाने की बात कही तो वह साथ देने को राजी हो गया.’’
”तुम्हारी बाइक की नंबर प्लेट नहीं है. क्या वह चोरी की है?’’ श्री सिंह ने पूछा.
”नहीं सर, बाइक चोरी की नहीं है. हम ने पहचान छिपाने के लिए नंबर प्लेट जंगल में छिपा दी तथा खून से सने कपड़े चिकासी गांव के पास बेतवा नदी में फेंक दिए थे.’’
चूंकि सबूत के तौर पर खून से सने कपड़े तथा नंबर प्लेट बरामद करना जरूरी था, अत: कोतवाल अवधेश कुमार सिंह ने आरोपी राज की निशानदेही पर कपड़े व प्लेट बरामद करने पुलिस टीम के साथ निकल पड़े. अब तक अंधेरा छा चुका था. राज जब पचखौरा नहर पुलिया के पास पहुंचा तो उस ने पुलिस जीप रुकवा दी.
वह नीचे उतरा और बताया कि यहीं नहर झाडिय़ों में उस ने नंबर प्लेट छिपाई थी. पुलिस के साथ राज झाडिय़ों की तरफ बढ़ा, तभी अचानक उस ने कोतवाल अवधेश कुमार सिंह के हाथ से सरकारी पिस्टल छीन ली और फायर झोंकने की धमकी दे कर भागने लगा. पुलिस टीम ने भी उस की घेराबंदी कर जवाबी काररवाई शुरू कर दी.
राज ने एक फायर किया, तभी पुलिस ने भी गोली चला दी. पुलिस की गोली राज के पैर में लगी, जिस से वह जख्मी हो कर जमीन पर गिर पड़ा. घायल राज को तुरंत जिला अस्पताल में इलाज हेतु भरती कराया गया.
पुलिस की अन्य टीमें दूसरे आरोपी रोहित उर्फ गोविंदा को पकडऩे के लिए अथक प्रयास में जुटी रहीं, लेकिन वह हाथ नहीं आया. पुलिस जांच में एक ऐसे शक्की व सनकी प्रेमी की कहानी सामने आई, जिस ने एक होनहार छात्रा की सांसें छीन लीं और स्वयं का जीवन भी अंधकारमय बना लिया.
मौसी के घर ऐसे बढ़ी प्रेम की बेल
उत्तर प्रदेश का एक जिला है जालौन. इसी जिले के एट थाना अंतर्गत ऐंधा गांव में मानसिंह अहिरवार सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी सुनीता के अलावा 2 बेटे हरीश कुमार, श्रीचंद्र और 4 बेटियां रजनी, मोहनी, शीलम तथा रोशनी थी. मानसिंह किसान था.
खेतीबाड़ी से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. उस का बड़ा बेटा हरीश कुमार उरई में प्राइवेट जौब करता था, जबकि छोटा बेटा श्रीचंद्र खेती के काम में हाथ बंटाता था. 2 बेटियों रजनी व मोहनी के जवान होते ही मानसिंह ने उन का विवाह कर दिया था.
मानसिंह की सब से छोटी बेटी का नाम रोशनी था. वह बहुत चंचल थी. इसलिए वह किसी से भी बातचीत में नहीं झिझकती थी. रोशनी से बड़ी शीलम थी. वह भी बातूनी व हंसमुख थी. दोनों बहनें सुंदर तो थीं ही, पढऩे में भी तेज थी.
दोनों एट कस्बा स्थित रामलखन पटेल महाविद्यालय में पढ़ती थीं और साथसाथ कालेज जाती थीं. कालेज में लड़के लड़कियां साथ पढ़ते थे, लेकिन कभी किसी लड़के की हिम्मत नहीं हुई कि वह इन दोनों बहनों से पंगा ले.
रोशनी की मौसी अनीता, कदौरा थाने के गांव जमरेही में ब्याही थी. वह रोशनी को बहुत चाहती थी. बात उन दिनों की है, जब रोशनी ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी. मौसी के बुलावे पर वह जमरेही गांव पहुंची. वहां मौसी ने उस की खूब आवभगत की और कुछ दिनों के लिए उसे अपने घर रोक लिया था.
मौसी के घर पर ही एक रोज रोशनी की मुलाकात राज उर्फ आतिश से हुई. पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे से प्रभावित हुए. राज उर्फ आतिश, रोशनी की मौसी अनीता का पड़ोसी था और उस की जातिबिरादरी का था.
चूंकि राज का अनीता के घर बेरोकटोक आनाजाना था, इसलिए उस की मुलाकातें बढऩे लगीं. उन मुलाकातों ने दोनों के दिलों में प्रेम के बीज बो दिए. धीरेधीरे दोनों के बीच बातचीत भी होने लगी. खूबसूरत रोशनी जहां राज के दिल में समा गई थी, वहीं स्मार्ट राज से बातचीत करना रोशनी को भी अच्छा लगने लगा था.
एक रोज राज अनीता के घर गया तो वह घर में नहीं दिखी. इस पर राज ने पूछा, ”रोशनी, आंटी नहीं दिख रहीं, क्या वह कहीं गई हैं?’’
”हां, मौसी खेत पर गई हैं. घंटे-2 घंटे बाद ही आएंगी.’’ रोशनी ने जवाब दिया.
रोशनी की बात सुन कर राज मन ही मन खुश हुआ. उसे लगा कि आज उसे अपने दिल की बात कहने का अच्छा मौका मिला है. अत: वह बोला, ”रोशनी आओ, मेरे पास बैठो. मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं. लेकिन..?’’
”लेकिन क्या?’’ रोशनी ने आंखें नचा कर पूछा.
”यही कि डर लगता है कि कहीं तुम मेरी बात का बुरा न मान जाओ.’’
”तुम मुझे गाली तो दोगे नहीं, फिर भला मैं बुरा क्यों मान जाऊंगी?’’
”रोशनी, तुम मेरे जीवन को भी रोशनी से भर दो.’’ कहते हुए राज ने रोशनी का हाथ अपने हाथ में ले लिया. फिर बोला, ”रोशनी, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना अब मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता है. मैं तुम्हें अपने घर की रोशनी बनाना चाहता हूं.’’
रोशनी कुछ क्षण मौन रही फिर बोली, ”राज, मुझे तुम्हारा प्यार तो कुबूल है, लेकिन शादी का वादा नहीं कर सकती. क्योंकि एक तो मैं अभी पढ़ रही हूं, दूसरे शादी विवाह की बात घर वाले ही तय करेंगे. मैं ऐसा कोई वादा नहीं करना चाहती, जिस के टूटने से तुम्हारे दिल को ठेस लगे.’’
इस के बाद रोशनी और राज का प्यार परवान चढऩे लगा. दोनों ने एकदूसरे का मोबाइल नंबर ले लिया था, अत: उन की बात देरसवेर फोन पर भी होने लगी थी. ज्यादा देर बात करने को मौसी टोकती तो वह कालेज की सहेली से बात करने का बहाना बना देती. कभीकभी मां या बड़ी बहन से बात करने की बात कहती. अनीता उस की बातों पर सहज ही विश्वास कर लेती.
लेकिन अनीता के विश्वास को ठेस तब लगी, जब उस ने एक शाम धुंधलके में राज और रोशनी को आपस में छेड़छाड़ करते देख लिया. दूसरे रोज अनीता ने रोशनी को प्यार से समझाया, ”बेटी, लड़की की इज्जत सफेद चादर की तरह होती है. भूल से भी उस पर दाग लग जाए तो वह दाग जीवन भर नहीं जाता.’’
रोशनी समझ गई कि मौसी को उस पर शक हो गया है. उस ने अपनी सफाई में बहुत कुछ कहा. लेकिन अनीता ने यकीन नहीं किया. उस ने राज को भी फटकार लगाई. इसी के साथ वह दोनों पर निगरानी रखने लगी. लेकिन फिर भी दोनों फोन पर बतिया लेते थे और दिल की लगी बुझा लेते थे.
अनीता नहीं चाहती थी कि उस के घर पर रहते रोशनी कोई गलत कदम उठाए और वह बदनाम हो जाए. अत: उस ने रोशनी को उस के घर ऐंधा भेज दिया. रोशनी प्रेम रोग ले कर घर वापस आई थी. अत: उस का मन न तो पढ़ाई मेंं लगता था और न ही घर के दूसरे काम में.
वह खोईखोई सी रहने लगी थी. बड़ी बहन शीलम ने उस से कई बार पूछा कि वह खोईखोई सी क्यों रहती है? लेकिन रोशनी ने उसे कुछ नहीं बताया. वह बुत ही बनी रही.
बड़ी बहन को ऐसे पता लगा रोशनी के अफेयर का
एक रोज रोशनी बाथरूम में थी, तभी उस के फोन पर काल आई. काल शीलम ने रिसीव की और पूछा, ”आप कौन और किस से बात करनी है?’’
इस पर दूसरी ओर से आवाज आई, ”मैं राज बोल रहा हूं. मुझे रोशनी से बात करनी है. जब वह मौसी के घर जमरेही आई थी, तभी उस से जानपहचान हुई थी.’’
”ठीक है, अभी वह घर पर नहीं है.’’ कह कर शीलम ने काल डिसकनेक्ट कर दी. फिर सोचने लगी कि कहीं रोशनी किसी लड़के के प्यार के चक्कर में तो नहीं पड़ गई. कहीं रोशनी उसी के प्यार में तो नहीं खोई रहती. यदि ऐसा कुछ है तो वह आज भेद खोल कर ही रहेगी.
कुछ देर बाद रोशनी बाथरूम से बाहर आई तो शीलम ने पूछा, ”रोशनी, यह राज कौन है? तू उसे कैसे जानती है?’’
”दीदी, मैं किसी राज को नहीं जानती.’’ रोशनी धीमी आवाज में सफेद झूठ बोल गई.
”देखो रोशनी, अभी कुछ देर पहले जमरेही से राज का फोन आया था. वैसे तो उस ने मुझे तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दिया है. लेकिन मैं सच्चाई तुम्हारे मुंह से सुनना चाहती हूं.’’
रोशनी समझ गई कि उस की आशिकी का भेद खुल गया है. अब सच्चाई बताने में ही भलाई है. अत: वह बोली, ”दीदी, जब हम मौसी के घर गए थे तो वहां हमारी मुलाकात मौसी के पड़ोस में रहने वाले अशोक अहिरवार के बेटे राज उर्फ आतिश से हुई थी. कुछ दिनों बाद ही हमारी मुलाकातें प्यार में बदल गईं और हम दोनों एकदूसरे को प्यार करने लगे. दीदी, राज पढ़ालिखा स्मार्ट युवक है. परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक है. राज मुझे बेहद प्यार करता है और शादी करना चाहता है.’’
सच्चाई जानने के बाद शीलम ने सारी बात अपनी मम्मी सुनीता तथा पापा मानसिंह को बताई तो उन के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. उन दोनों ने पहले प्यार से फिर डराधमका कर रोशनी को समझाने की कोशिश की, लेकिन रोशनी नहीं मानी. दोनों भाइयों ने भी रोशनी को समझाया. पर रोशनी ने राज से बातचीत करनी बंद नहीं की. वह कालेज आतेजाते तथा देर रात में राज से बातें करती रहती.
रोशनी की दीवानगी देख कर घर वालों को लगा कि यदि रोशनी पर ज्यादा सख्ती की गई तो कहीं ऐसा न हो कि रोशनी पीठ में इज्जत का छुरा घोंप कर अपने प्रेमी के साथ फुर्र न हो जाए. इसलिए मानसिंह ने अपने परिवार के साथ इस गहन समस्या पर मंथन किया. फिर निर्णय हुआ कि रोशनी की शादी राज के साथ तय कर दी जाए. लेकिन शर्त होगी कि शादी बीए फाइनल करने के बाद ही होगी.
इस के बाद सुनीता अपने पति मानसिंह के साथ अपनी बहन अनीता के घर जमरेही पहुंची. उस ने बहन को राज और रोशनी के प्रेम संबंधों के बारे में बताया और दोनों की शादी तय करने की बात कही. अनीता को दोनों के संबंधों के बारे में पहले से ही पता था सो वह राजी हो गई. अनीता ने कहा कि राज पढ़ालिखा है. संपन्न किसान का बेटा है. सब से बड़ी बात जातबिरादरी का है. अत: रिश्ता हर मायने में सही है.
सब को रिश्ता उचित लगा तो मानसिंह ने अशोक अहिरवार से उन के बेटे राज उर्फ आतिश के रिश्ते की बात चलाई. अशोक भी तैयार हो गया. उस के बाद रोशनी का रिश्ता राज के साथ तय हो गया. शर्त यह रखी गई कि रोशनी जब बीए पास कर लेगी, तब दोनों की शादी होगी. इस शर्त को राज व उस के घर वालों ने मान लिया.
शादी तय हो जाने के बाद राज का रोशनी के घर आनाजाना शुरू हो गया. वह हर सप्ताह बाइक से रोशनी के घर पहुंच जाता, रोशनी उस के साथ घूमने फिरने निकल जाती. फिर शाम को ही वापस आती. इस बीच दोनों खूब हंसते बतियाते, रेस्तरां में खाना खाते और जम कर लुत्फ उठाते. उन पर घर वालों की कोई पाबंदी न थी. अत: उन्हें किसी प्रकार का कोई डर भी न था. इस तरह एक साल बीत गया.
रोशनी अब तक बीए (प्रथम वर्ष) पास कर द्वितीय वर्ष में पढऩे लगी थी. जबकि उस की बड़ी बहन शीलम तृतीय वर्ष में पढ़ रही थी. दोनों बहनें एट कस्बा स्थित रामलखन पटेल महाविद्यालय की छात्रा थीं. वह घर से कालेज साथ ही आतीजाती थीं. रोशनी को फोन पर बतियाने का बहुत शौक था. कालेज से निकलते ही वह बतियाने लगती थी. जबकि शीलम गंभीर थी. उसे फालतू बकवास पसंद न थी.
मंगेतर को ऐसे हुआ रोशनी पर शक
एक रोज राज ने रोशनी को काल की तो उस का नंबर व्यस्त बता रहा था. कई बार कोशिश करने पर भी जब रोशनी से बात नहीं हो पाई तो राज के मन में शक बैठ गया कि रोशनी उस के अलावा किसी और से भी प्यार करती है. जिस से वह घंटों बतियाती है. इसलिए उस का फोन व्यस्त रहता है. उस रोज वह बेहद परेशान रहा और कई तरह के विचार उस के मन में आते रहे.
राज के मन में शक समाया तो वह दूसरे रोज सुबह 11 बजे कालेज गेट पहुंच गया. रोशनी कालेज से निकली तो वह उस का पीछा करने लगा. उस रोज रोशनी कालेज अकेले ही आई थी. कुछ दूर पहुंचने पर रोशनी फोन पर किसी से हंसहंस कर बातें करने लगी. राज का शक यकीन में बदल गया कि रोशनी का कोई और भी यार है.
गुस्से से भरा राज रोशनी के पास जा पहुंचा और मोबाइल छीन कर बोला, ”तुम हंसहंस कर किस से बात कर रही थी. क्या मेरे अलावा कोई और भी दिलवर है?’’
राज को सामने देख कर रोशनी घबरा गई और बोली, ”मैं अपनी सहेली से बात कर रही थी. वह आज कालेज आई नहीं थी. लेकिन तुम यह बहकीबहकी बातें क्यों कर रहे हो?’’
”क्योंकि मुझे सच्चाई पता है. तुम सहेली से नहीं, अपने यार से बात कर रही थी.’’
”लगता है तुम शक्की और सनकी इंसान हो. मुझ पर यकीन नहीं तो मिलने क्यों आते हो. लगता है तुम्हारा प्यार छलावा है. तुम तो प्यार के काबिल ही नहीं हो.’’
उन दोनों के बीच उस दिन जम कर बहस हुई. इस बहस से रोशनी का दिल टूट गया. राज के प्रति उस की जो मोहब्बत थी, वह घायल हो गई. वह सोचने को मजबूर हो गई कि ऐसे शक्की इंसान के साथ वह जीवन कैसे गुजार सकेगी. रोशनी इस बात को ले कर परेशान रहने लगी. जबकि बड़ी बहन शीलम उसे समझाती कि वह चिंता न करे. सब ठीक हो जाएगा.
कहते हैं कि शक की विषबेल बहुत जल्दी पनपती है. राज के साथ भी ऐसा ही हुआ. उस का शक दिनबदिन बढ़ता ही गया. वह जब भी रोशनी को किसी से फोन पर बात करते देख लेता तो वह बात करने से रोकता, साथ ही उसे डांटता व अपशब्द भी कहता.
रोशनी को यह नागवार गुजरता था. फिर भी उस ने कई बार राज को समझाया भी कि वह अपनी दोस्त सहेलियों से ही बात करती है. लेकिन राज रोशनी की कोई बात सुनने को तैयार न था. कई बार समझाने पर भी जब राज के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया तो रोशनी उस से दूरी बनाने लगी. उस ने उस से मिलना भी कम कर दिया.
राज के दुव्र्यवहार से अब रोशनी चिंतित रहने लगी थी. सुनीता ने बेटी के माथे पर चिंता की लकीरें पढ़ीं तो उस ने एक रोज रोशनी से पूछा, ”बेटी, आजकल तू गुमसुम रहती है. चेहरे से हंसी भी गायब है, खाना भी समय पर नहीं खाती. आखिर बात क्या है?’’
मां की सहानुभूति पा कर रोशनी की आंखों में आंसू आ गए. बोली, ”मां, मैं राज को ले कर चिंतित हूं. वह शक्की इंसान है. फोन पर किसी से बात करते देखता है तो शक करता है. मैं ने उस से दिल लगा कर भूल की है. मैं ऐसे शक्की इंसान से शादी नहीं कर सकती.’’
बेटी के दर्द से सुनीता भी तड़प उठी. उस ने यह बात पति मानसिंह को बताई तो उस का पारा भी चढ़ गया. इस के बाद मानसिंह ने अपनी पत्नी व बेटों से विचारविमर्श किया और शादी तोड़ देने का निश्चय किया. रिश्ता खत्म करने की जानकारी मानसिंह ने अशोक अहिरवार व उस के बेटे राज को भी दे दी.
राज क्यों नहीं चाहता था रोशनी से रिश्ता तोडऩा
रिश्ता टूटने से राज उर्फ आतिश बौखला गया. उस ने रोशनी से बात करने की कोशिश की, लेकिन उस ने काल रिसीव ही नहीं की. दूसरे रोज राज रोशनी के कालेज पहुंच गया. रोशनी कालेज के बाहर आई तो उस ने पूछा, ”रोशनी, रिश्ता तुम ने तोड़ा है या तुम्हारे घर वालों ने?’’
”मैं ने अपनी व घर वालों की मरजी से खूब सोचसमझ कर रिश्ता तोड़ा है.’’
”क्यों तोड़ा है?’’ राज ने पूछा.
”इसलिए कि तुम शक्की व सनकी इंसान हो. तुम जैसे इंसान के साथ मैं जीवन नहीं बिता सकती.’’
”सोच लो. कहीं तुम्हारा यह फैसला भारी न पड़ जाए.’’ राज ने धमकी दी.
”मैं ने अच्छी तरह सोचसमझ कर ही फैसला लिया है. तुम्हारी धमकी से मैं डरने वाली नही हूं. और हां, आज के बाद मुझ से मिलने कालेज में मत आना.’’
लेकिन रोशनी की बात पर राज ने गौर नहीं किया. वह अकसर कालेज आ जाता और रोशनी को धमकाता कि वह उस से शादी करे. यही नहीं राज रोशनी के मम्मीपापा व भाइयों को भी फोन पर धमकाने लगा था कि रिश्ता तोड़ कर तुम लोगों ने अच्छा नहीं किया. अब भी समय है रिश्ता जोड़ लो. वरना परिणाम अच्छा न होगा.
अप्रैल, 2023 के दूसरे सप्ताह से रोशनी और शीलम की वार्षिक परीक्षा शुरू हो गई थी. दोनों बहनें साथसाथ परीक्षा देने आतीजाती थीं. 14 अप्रैल, 2023 को रोशनी व शीलम पेपर दे कर निकलीं तो कालेज गेट से कुछ दूरी पर राज ने रोशनी को रोक लिया और बोला, ”रोशनी, मैं तुम से आखिरी बार पूछ रहा हूं कि मुझ से रिश्ता जोड़ोगी या नहीं?’’
रोशनी गुस्से से बोली, ”मैं तुम से एक बार नहीं, सौ बार कह चुकी हूं कि तुम जैसे शक्की और सनकी इंसान से मैं शादी हरगिज नहीं करूंगी.’’
”यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?’’ राज ने आंखें तरेर कर पूछा.
”हां, यह मेरा आखिरी फैसला है.’’ रोशनी ने भी आंखें तरेर कर ही जवाब दिया.
”तो तुम मेरा फैसला भी सुन लो, यदि तुम मेरी दुलहन नहीं बनोगी तो मैं तुम्हें किसी और की दुलहन भी नहीं बनने दूंगा.’’ धमकी दे कर राज चला गया.
राज उर्फ आतिश का ममेरा भाई था रोहित उर्फ गोविंदा. वह हमीरपुर जनपद के विवार थाने के गांव धनपुरा का रहने वाला था. राज की रोहित से खूब पटती थी. रोहित को रोशनी और राज के रिश्तों की बात पता थी. प्यार में जख्मी राज रोहित के पास पहुंचा और उसे बताया कि रोशनी ने शादी से इंकार कर दिया है. वह उस को बेवफाई का सबक सिखाना चाहता है. उस की मदद चाहिए.
रोहित मदद को राजी हो गया. इस के बाद दोनों ने मिल कर तमंचा व कारतूस का इंतजाम किया और एट आ गए.
17 अप्रैल, 2023 को शीलम और रोशनी अपनाअपना पेपर दे कर कालेज से निकलीं तो बाइक से राज व रोहित ने उन का पीछा करना शुरू किया. शीलम व रोशनी जैसे ही कोटरा तिराहा पहुंचीं, तभी राज व रोहित ने उन्हें घेर लिया. फिर बिना कुछ कहे राज ने रोशनी के सिर में तमंचा सटा कर फायर कर दिया. रोशनी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया.
पूछताछ करने के बाद 19 अप्रैल, 2023 को पुलिस ने हत्यारोपी राज उर्फ आतिश को उरई कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. दूसरा आरोपी रोहित उर्फ गोविंदा फरार था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित