शादीशुदा होते हुए भी परशुराम ने नूरी से शादी कर ली. यह शादी उस के जी का ऐसा जंजाल बनी कि…

उत्तर प्रदेश की राजधानी से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित है गांव दुर्गागंज. इसी गांव में परशुराम अपनी पत्नी राजरानी और 2 बच्चों के साथ रहता था. वह सीधे और सरल स्वभाव का था.  परशुराम पहले गांव में ही छोटामोटा काम करता था जिस से घर का खर्चा चलाने में परेशानी होती थी. तब उस की पत्नी राजरानी ने गांव में ही स्वास्थ्य कार्यकर्त्री आशा के पद पर काम करना शुरू कर दिया. उसी दौरान काम की तलाश में परशुराम भी गांव से लखनऊ चला गया.

लखनऊ में वह ड्राइवर के रूप में काम करने लगा. वह लखनऊ के अलीगंज क्षेत्र में गाड़ी चलाता था. यहीं पर उस की मुलाकात नूरी नाम की एक युवती से हुई. नूरी परशुराम से उम्र में छोटी थी. वह वहीं के एक डाक्टर के घर में खाना बनाने का काम करती थी.

इस के बाद दोनों की मुलाकातें बढ़ने लगीं. अलगअलग धर्मों के होने के बावजूद भी उन की दोस्ती प्यार में बदल गई. नूरी ने परशुराम के दिल में प्यार की ऐसी घंटी बजा दी थी कि उस ने किसी भी कीमत पर नूरी को हासिल करने की ठान ली.

परशुराम ने जब कई बार नूरी से अकेले में मिलने की बात कही तो एक दिन नूरी ने उस से कहा, ‘‘परशुराम हम दोनों एकदूसरे को बहुत प्यार करते हैं. पर बिना शादी के हमारा अकेले में मिलना ठीक नहीं है. हमें सब से पहले शादी करनी होगी. इस के बाद हमें कहीं भी मिलनेमिलाने में परेशानी नहीं होगी.’’

  ‘‘नूरी, तुम चिंता मत करो, हम लोग जल्द ही शादी कर लेंगे.’’ परशुराम ने उसे समझाया. यह बात कहने से पहले वह यह भी भूल गया था कि वह शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप है.

‘‘मैं जानती हूं कि तुम मुझे बहुत प्यार करते हो. मैं ने अपने डाक्टर साहब से बात की थी. उन्होंने कहा था कि वह मुझे जल्द ही घर के काम से हटा कर अपने नर्सिंगहोम के काम में लगा लेंगे. मैं वहां नर्स के रूप में काम करने लगूंगी. फिर मेरी तनखाह भी बढ़ जाएगी. और हमें वहीं पर रहने के लिए एक क्वार्टर भी मिल जाएगा.’’ नूरी ने बताया.

‘‘तब तो बहुत अच्छी बात है. हम दोनों वहीं साथ रहा करेंगे.’’ कह कर परशुराम नूरी की जुल्फों से खेलने लगा. लेकिन नूरी उसे एक हद से आगे बढ़ने नहीं दे रही थी. उस ने पहले शादी करने को कहा. नूरी को पाने के लिए परशुराम उस से शादी करने को तैयार हो गया. फिर सन 2016 में दोनों ने शादी कर ली. शादी के बाद वह उसी के साथ रहने लगा. उसे नूरी के रूप में शहर की पत्नी मिल गई. नूरी के चक्कर में वह गांव में रही पहली पत्नी राजरानी और दोनों बच्चों को भूल चुका था.

 

वैसे भी परशुराम अपने गांव कम ही जाता था. नूरी से शादी के बाद तो उस ने पूरी तरह से गांव जाना बंद कर दिया था, जिस से नूरी से शादी करने वाली बात उस के गांव में किसी को पता नहीं लगी. अपने भाई बलराम और बाकी सब को परशुराम ने बता रखा था कि वह एक डाक्टर की गाड़ी चलाता है. वहीं पर उस के रुकने का भी इंतजाम हो गया है. वहां से ज्यादा छुट्टी भी नहीं मिलती.

साथ रहते हुए नूरी और परशुराम एकदूसरे को अच्छी तरह समझ गए थे. समय अपनी गति से बीतता रहा और नूरी एक बेटी की मां बन चुकी थी. बेटी होने के बाद परशुराम काफी खुश था. उस ने इस खुशी में नर्सिंगहोम में मिठाई भी बांटी थी, पर उन का यह प्यार बहुत ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सका.

कुछ दिनों बाद नूरी को लगा कि परशुराम उस से कुछ छिपा रहा है. उसे इस बात का अंदेशा होने लगा कि कहीं परशुराम उसे छोड़ कर चला न जाए, इसलिए जब भी परशुराम अपने गांव जाने की बात करता पूरी उसे मना कर देती थी. यहीं से दोनों के बीच लड़ाई शुरू होने लगी. यह लड़ाई अब उस के प्यार पर भारी पड़ने लगी. नूरी से मिलने के लिए उस की बहनें आती थीं. परशुराम को लगा कि यह दोनों बहनें ही नूरी को सिखाती हैं, जिस के बाद घर में झगड़ा शुरू हो जाता है.

परशुराम ने इस की शिकायत नूरी से की तो नूरी ने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘तुम गलत समझ रहे हो. मेरी बहनें मुझे कुछ नहीं सिखातीं. सच्ची बात यह है कि अब मुझे ही लग रहा है कि तुम ही मुझ से कुछ छिपा रहे हो. मैं ने तो तुम्हारी बात मान कर सब कुछ तुम्हारे हवाले कर दिया और अब तुम मुझे धोखा दे रहे हो.’’

‘‘बताओ तो सही कि भला मैं तुम्हें धोखा कैसे दे रहा हूं.’’ परशुराम बोला.

‘‘मेरे नाम पर आज तक तुम ने अपनी कोई जायदाद नहीं की. मान लो, तुम किसी दिन मुझे छोड़ कर चले जाओगे तो मैं क्या करूंगी.’’ नूरी ने अपने दिल की बात खुल कर रख दी.

‘‘नूरी बताओ, मेरे पास क्या है जो मैं तुम्हारे नाम कर दूं. जो कमाता हूं वह तो सब तुम्हारे ऊपर ही खर्च कर देता हूं.’’ परशुराम ने कहा.

‘‘यदि तुम मुझे वास्तव में चाहते हो तो तुम अपनी गाड़ी ही मेरे नाम कर दो.’’ नूरी ने समझाया.

‘‘ठीक है. अगर तुम इस से खुश हो तो मैं यह काम कर देता हूं.’’ इतना कह कर परशुराम चला गया. कुछ दिनों के बाद परशुराम ने अपनी गाड़ी नूरी के नाम कर दी. नूरी और परशुराम के बीच कुछ दिन सब ठीक रहा पर धीरेधीरे फिर तकरार रहने लगी.

एक दिन दोनों में फिर झगड़ा शुरू हो गया. उसी दौरान परशुराम ने नूरी पर लांछन लगाते हुए चरित्रहीन कह दिया. यह बात नूरी को बुरी लगी तो उस ने कहा, ‘‘परशुराम अभी तक तुम जो कह रहे थे उन बातों को मैं ने गंभीरता से नहीं लिया. लेकिन आज तुम ने जो मुझे चरित्रहीन कहा, यह बात मेरे दिल में नश्तर की तरह चुभी है. तुम्हारी यह बात भी गलत है कि मैं ने अपनी बहनों के साथ मिल कर तुम्हें फंसाया और लूटा है. इस तरह की बातें सहन करना अब मेरे बस की बात नहीं है.’’

 

जाड़े की रात थी. 31 दिसंबर, 2017 को परशुराम अपने गांव चला गया. नूरी को जब पता चला तो उस ने आधी रात को ही उसे फोन कर के गांव से वापस शहर आने को मजबूर कर दिया. परशुराम आधी रात को अपने घर से यह बहाना बना कर चला आया कि कोई इमरजेंसी की वजह से उसे अभी लखनऊ जाना पड़ेगा.

वह जानता था कि वह अभी नहीं गया तो सुबह को नूरी उस के गांव पहुंच सकती है और गांव में वह हंगामा कर देगी. जिस से गांव के लोगों को भी पता चल जाएगा कि उस ने वहां दूसरी शादी कर ली है. बहरहाल मौजमस्ती के लिए नूरी से की गई शादी अब उसी के लिए तनाव पैदा कर रही थी.

अलीगंज स्थित जिस नर्सिंगहोम में नूरी काम करती थी, उस में 31 जनवरी, 2018 को हंगामा हो गया. अस्पताल में तैनात नर्स ने बताया कि सुबह करीब 3 बजे नूरी के कमरे से चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं. ड्यूटी पर तैनात दिनेश, सुशीला और मोनिका ने नूरी का कमरा खुलवाने का प्रयास किया.
इस के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो सब ने नर्सिंगहोम के मालिक डा. राज अवस्थी को घटना की जानकारी दी. डा. राज अवस्थी के आने पर जब परशुराम को आवाज दी तो वह दरवाजा खोल कर बाहर आया और उस ने बताया कि नूरी ने उसे जहर दे दिया है. अस्पताल के कर्मचारी कमरे के अंदर गए तो देखा कि पूरे कमरे में खून फैला था. नूरी की गरदन कटी हुई थी और उस की 2 माह की बेटी की भी गदरन कटी हुई थी.

अस्पताल में सन्नाटा पसर गया था. पुलिस को भी सूचना दे दी गई. सूचना पाते ही एएसपी (ट्रांस गोमती) हरेंद्र कुमार, सीओ (अलीगंज) डा. मीनाक्षी, थानाप्रभारी (मडियांव) अमरनाथ वर्मा पुलिस बल के साथ वहां पहुंच गए.

पुलिस ने परशुराम को हिरासत में ले कर जब उस की तलाशी ली तो हत्या में प्रयोग किया गया चाकू और एक पत्र उस की जेब से मिला. पत्र में उस ने नूरी और उस की बहनों के द्वारा प्रताडि़त किए जाने की बात लिखी थी. उस ने लिखा था कि यह लोग शादीशुदा लोगों को फंसाती हैं, उन से रुपए भी ऐंठती हैं. परशुराम की बातें कितनी सच हैं यह पता नहीं पर यह बात सही है कि परशुराम ने खुद ही अपने परिवार और पत्नी से झूठ बोला. परशुराम ने अपने पत्र में यह भी लिखा था कि नूरी उसे मार सकती है.

परशुराम की पत्नी राजरानी और भाई बलराम ने बताया कि उन लोगों को परशुराम की दूसरी पत्नी के बारे में कुछ भी पता नहीं था. जहर खाए परशुराम का इलाज शुरू हुआ पर कुछ ही देर बाद उस की भी मौत हो गई.  पुलिस ने मामले की जांच शुरू की तो पता चला कि परशुराम ने ही नूरी और बेटी की हत्या करने के बाद जहर खा लिया होगा. अगर नूरी ने उसे जहर दिया होता तो वह उन दोनों की हत्या करने की हालत में नहीं रह जाता. कथा संकलन तक पुलिस जांच कर रही थी कि इस अपराध में कोई और तो शामिल नहीं था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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