महाराष्ट्र की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर का फरजीवाड़ा उजागर होने के बाद इन दिनों पूरे देश में संघ
लोक सेवा आयोग (यूपीएसपी) में चयन को ले कर भी बहस छिड़ी हुई है. यूपीएसपी और डिपार्टमेंट औफ
पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) से ले कर कई सरकारें अपने स्तर पर विकलांगता कोटे से आईएएस बने
अधिकारियों की जांच करने में जुट गई हैं. गुजरात में 4 आईएएस के खिलाफ जांच शुरू हो गई है.
ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर के फरजीवाड़े का कभी पता ही नहीं चलता, अगर वह लाइमलाइट से दूर रहती और उस के चर्चे सोशल मीडिया पर वायरल नहीं होते. दरअसल, पूजा खेडकर का मामला तब सुर्खियों में आया, जब सोशल मीडिया पर सब से पहले महाराष्ट्र के बीड जिले में रहने वाले वैभव कोकट ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट लिखी.
वैभव को सामाजिक और राजनीतिक मुद्ïदों पर लिखना अच्छा लगता है. खुद को नास्तिक कहने वाले
वैभव पूर्व में एक जनसंपर्क कंपनी में भी काम कर चुके हैं. एक्स पर उन के 31 हजार से ज्यादा फालोअर्स हैं.
वैभव ने 6 जुलाई को 'एक्स’ पर एक फोटो के साथ पूजा खेडकर के बारे में जानकारी पोस्ट की थी.
वैभव कोकट ने अपनी पहली एक्स पोस्ट में लिखा था कि प्रोबेशनरी आईएएस औडी कारों का उपयोग
कर रहे हैं. नियम कहता है कि निजी वाहन पर 'महाराष्ट्र सरकार’ का साइनबोर्ड लगाना अनुचित है.
लेकिन पुणे कलेक्टरेट में प्रोबेशन पर चल रही 2022 बैच की आईएएस डा. पूजा खेडकर ने महाराष्ट्र
सरकार की वीआईपी नंबर वाली निजी औडी कार ली.
इस के अलावा इस प्राइवेट कार में नीली बत्ती भी लगी हुई थी. पुणे कलेक्टर औफिस में हमेशा इस बात
की चर्चा होती रहती है कि आखिर ये बड़ा अधिकारी कौन है, जो औडी कंपनी की लोगो और लैंप वाली
लग्जरी कार ले कर औफिस आता है.
खास बात यह है कि ये औफिसर मैडम दिन में भी अपनी कार की लाइटें जलाए रखती हैं. इन अधिकारी मैडम के कारनामे सिर्फ कार तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि जब वरिष्ठ अधिकारी सुहास दिवासे सरकारी काम के लिए मुंबई मंत्रालय गए तो इस अधिकारी महोदया ने उन के औफिस पर कब्जा कर लिया और वरिष्ठों के औफिस का सामान बाहर निकलवा दिया. वहां अपना औफिस बनाया और अपने नाम का एक बोर्ड भी लगाया.
मैडम को रुतबा दिखाना क्यों पड़ा भारी वैभव ने अपनी पहली पोस्ट में आगे लिखा था कि पुणे के कलेक्टर सुहास दिवासे ने इस व्यवहार को लेकर अपर मुख्य सचिव मंत्रालय को एक रिपोर्ट भेजी है और इस रिपोर्ट में कलेक्टर ने अधिकारी मैडम की जिद का जिक्र किया है कि मेरा कार्यालय कलेक्टर के कार्यालय के बगल में होना चाहिए और मुझेएक कांस्टेबल चाहिए और मुझे सरकारी कार चाहिए.
अधिकारी मैडम के पिता भी कलेक्टर कार्यालय आते हैं और वहां के कर्मचारियों व अधिकारियों से कहते
हैं कि तुम सब मेरी बेटी को परेशान कर रहे हो, तुम्हें जीवन भर ऐसा पद कभी नहीं मिलेगा. धमकी भी
देते हैं कि अगर तुम मेरी बेटी को परेशान करोगे तो भविष्य में तुम्हें भी भुगतना पड़ेगा.
यहां तक कि अधिकारी महोदया को भी वह कार्यालय पसंद नहीं आया, जिस की मरम्मत अत्यधिक
आग्रह से की गई थी. जबकि ट्रेनिंग पर रहने वाले अधिकारियों को कार, सुरक्षा या कार्यालय आदि
सुविधाएं उपलब्ध कराने का कोई सरकारी प्रावधान नहीं है.
वैभव कोकट ने पत्र में आगे लिखा था कि जिलाधिकारी सुहास दिवासे ने पूजा खेडकर के जिद्दी व
अवांछित व्यवहार को देख कर उन से पदभार ने उन्हें अपर जिलाधिकारी वापस लेने का संकेत दिया था.
जिस पर पूजा खेडकर ने उन्हें वाट्सऐप मैसेज भेज कर कहा कि ये मेरा अपमान है.
प्रोबेशन पर चल रही पूजा खेडकर का आचरण एक प्रशासनिक अधिकारी के अनुरूप था ही नहीं. जिला
कलेक्टर ने मंत्रालय के सचिव को भेजी अपनी रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि जिले में सरकारी कामकाज
को सुचारु रूप से चलाने के लिए और सघन प्रशिक्षण के लिए पूजा खेडकर का जिला बदला जाना
चाहिए. रिपोर्ट में पुणे कलेक्टर ने जो लिखा था, वैभव कोकट ने उस का जिक्र करते हुए ही लिखा था.
वैभव कोकट की यह पोस्ट देखते ही देखते वायरल हो गई. मीडिया ने भी इस पोस्ट का संज्ञान लिया.
समाचार पत्रों में खबरें प्रकाशित होने लगी. टीवी चैनलों में डिबेट होने लगी. वैभव के पास सामाजिक
कार्यकर्ताओं और आरटीआई कार्यकर्ताओं के फोन आने लगे. वैभव को पूजा खेडकर के बारे में बहुत सारी
जानकारी मिलने लगी और गड़े मुरदे उखडऩे लगे.
मामले के तूल पकड़ते ही महाराष्ट्र सरकार ने पूजा खेडकर के खिलाफ जांच शुरू करा दी. जांच शुरू हुई
तो पूजा खेडकर के आईएएस बनने के लिए किए गए फरजीवाड़े भी सामने आने लगे. ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर प्रकरण ने देश की प्रशासनिक सेवा की कई संस्थाओं के कारनामों को एक साथ उजागर कर दिया है. लालबहादुर शास्त्री अकादमी, मसूरी में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही पूजा खेडकर की यह ट्रेनिंग अगले साल जुलाई में पूरी होनी थी.
इस दौरान उसे फील्ड ट्रेनिंग के लिए असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में पुणे भेजा गया. वहां जाते ही उस ने
सभी नियमकायदे और नैतिकता को ताक पर रख ऐसेऐसे काम किए, जो देश की पूरी प्रशासनिक सेवा के
लिए कलंक कहे जा सकते हैं.
उस ने वहां जाते ही नीली बत्ती लगी सरकारी गाड़ी, एक अलग औफिस, घर और चपरासी इत्यादि की मांग
की. यहां तक कि अपनी निजी औडी गाड़ी पर खुद ही अवैध रूप से नीली बत्ती भी लगवा ली, जबकि उस
गाड़ी के खिलाफ यातायात नियमों के उल्लंघन के दरजन भर मामले दर्ज हैं और जुरमाना तक बकाया है.
आईएएस अधिकारी बनने के बाद उस पर ऐसा नशा छाया कि पुणे में तैनात एक अन्य अफसर के
कार्यालय से जबरन उन का नाम हटा कर अपनी नेम प्लेट लगा दी. बहरहाल, पूजा खेडकर का मामला सामने आने के बाद संघ लोक सेवा आयोग की तरफ से एक कमेटी का गठन कर जांच शुरू हुई तो एक के बाद एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई, जिस से एक आईएएसकी कलंक कथा कहें तो गलत नहीं होगा.
सब से पहले पूजा खेडकर के बारे में जान लेना जरूरी होगा. पूजा खेडकर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले
की पाथर्डी तहसील के नौकरशाहों और राजनेताओं के परिवार से है. पूजा खेडकर ने पुणे में स्थित श्रीमती
काशीबाई नवले मैडिकल कालेज से एमबीबीएस किया है.
कई मीडिया रिपोट्र्स में उसे एंडोक्रिनोलौजिस्ट बताया जा रहा है. पूजा के पिता दिलीपराव खेडकर
महाराष्ट्र पौल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के रिटायर्ड अधिकारी हैं. उस के नाना जगन्नाथ बुधवंत वंजारी समुदाय के
पहले आईएएस अफसर थे. पूजा की मां मनोरमा भलगांव की सरपंच है. एक गलती ने पूजा को कहीं का न छोड़ा अब बात करते हैं पूजा के फरजीवाड़े की. एक पुरानी कहावत के बारे में सुना ही होगा कि मुजरिम
कितना भी शातिर क्यों न हो, एक गलती जरूर करता है. उसी एक गलती की वजह से उस का सारा भांडा फूट जाता है.
पूजा खेडकर ने भी ऐसी ही एक गलती की थी, जो चंद रोज पहले तक आईएएस की ट्रेनिंग कर रही थी. उस का हर तरफ जलवा ही जलवा था. आईएएस मैडम की शान में पीछे खड़े पुलिस वाले, नीली बत्ती वाली कार और नंबर प्लेट के ऊपर लिखा महाराष्ट्र सरकार, उस का भौकाल देख कर आम लोग सहम जाते थे.
लेकिन उसे सरकारी नीली बत्ती वाली गाड़ी का इस कदर शौक था कि उसे पाने के लिए कुछ दिनों का इंतजार नहीं कर सकी और यही उस पर भारी पड़ गया.
बस इसी नीली बत्ती ने उस की बत्ती ऐसी गुल कर दी कि आईएएस मैडम साहिबा को अब जेल जाने से
कोई रोक ही नहीं सकता. यूपीएससी की जांच में पता चला है कि पूजा ने परीक्षा में चयन के लिए नियमों के तहत मान्य अधिकतम सीमा से भी अधिक बार परीक्षा दी और उस का लाभ उठाया है.
यूपीएससी जांच से यह भी पता चला है कि पूजा खेडकर ने अपना नाम, अपने पिता और माता का नाम,
अपनी फोटो, हस्ताक्षर, अपनी ईमेल आईडी, मोबाइल नंबर और पता बदल कर अपनी फरजी पहचान बना कर निर्धारित सीमा से अधिक प्रयास कर धोखाधड़ी की.
यूपीएससी ने उस के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने का फैसला किया है. इस के तहत थाने में
एफआईआर कराई गई है. सिविल सेवा परीक्षा 2022 के नियमों के तहत उस की उम्मीदवारी रद्ïद करने
और भविष्य की परीक्षाओं में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाने के लिए कारण बताओ नोटिस भी जारी
किया गया है.
यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) की इस जांच से साफ हो गया है कि आईएएस बनने के
लिए पूजा खेडकर ने तमाम तरह की धोखाधड़ी की है. दरअसल, यूपीएससी के एग्जाम में बैठने के लिए
अलगअलग कैटेगरी के तहत उम्मीदवारों को अलगअलग मौके मिलते हैं.
मसलन, जनरल कैटेगरी का कोई भी उम्मीदवार 32 साल की उम्र से पहले तक कुल 6 बार यूपीएससी का
एग्जाम दे सकता है. ओबीसी कैटेगरी के तहत 35 साल की उम्र तक कुल 9 बार इम्तिहान देने की छूट
है. जबकि एससी और एसटी कोटा के तहत 37 साल की उम्र तक यूपीएससी के इम्तिहान में बैठा जा
सकता है.
पूजा खेडकर ने एग्जाम क्लीयर करने के लिए तय सीमा से ज्यादा बार इम्तिहान दिया है. इस के लिए
हर बार उस ने नए नाम और नई पहचान का सहारा लिया. यहां तक कि एग्जाम में बैठने के लिए अपने
मांबाप का नाम तक बदल डाला. लेकिन ये धोखाधड़ी तो कुछ भी नहीं है. असली फरजीवाड़ा तो कुछ
और ही है.
दरअसल, पूजा ने साल 2022 में यूपीएससी का एग्जाम क्लीयर किया था. आल इंडिया रैंक था- 841. चूंकि
वो इम्तिहान में ओबीसी नौन क्रीमीलेयर के कोटे से बैठी थी और साथ ही दिव्यांगता के कोटे से आई थी,
लिहाजा 841 रैंक के बावजूद उसे आईएएस की कैटेगरी में रखा गया था.
इस के बाद में ट्रेनिंग के लिए सभी कामयाब छात्रों के साथ पूजा खेडकर भी मसूरी के लाल बहादुर
शास्त्री प्रशासन अकादमी पहुंची. 2 साल की ट्रेनिंग में अब कुछ महीने ही बचे थे. इसी बीच उसे ट्रेनी
आईएएस अफसर के तौर पर असिस्टेंट कलेक्टर बना कर पुणे कलेक्टरेट औफिस में तैनाती दे दी गई.
बस यहीं से असली कहानी शुरू हुई.
हुआ यूं कि पुणे के कलेक्टर के औफिस में तैनाती का लेटर मिलते ही पूजा ने कलेक्टर के औफिस
इंचार्ज को पहले फोन किया और फिर वाट्सऐप मैसेज. उस ने कहा कि वो वहां चार्ज लेने आ रही है,
इसलिए उस के लिए सभी जरूरी व्यवस्थाएं कर दी जाएं.
मसलन, नीली बत्ती वाली सरकारी गाड़ी, बंगला, सुरक्षा के लिए कांस्टेबल और बाकी सरकारी इंतजाम कर
दिया जाए. लेकिन मैडम के कहने पर भी कुछ हुआ नहीं. लिहाजा तय तारीख पर मैडम कलेक्टर औफिस
पहुंची.
शायद उसे पता था कि उस दिन कलेक्टर सुहास दिवासे शहर में नहीं हैं. कलेक्टर औफिस पहुंचते ही उस
ने उन के कमरे पर कब्जा कर लिया. उन की नेमप्लेट हटा कर अपनी नेमप्लेट लगवा ली. कुरसी सोफा
फरनीचर सब बाहर कर दिया. लेटरहेड से ले कर विजिटिंग कार्ड तक छप चुके थे. मैडम पहुंची भी पूरी
टशन में थी. नीली बत्ती वाली औडी कार से.
इस तरह कानून के शिकंजे में फंसता गया पूरा परिवार उस कार के पीछे बाकायदा महाराष्ट्र सरकार भी लिखवा रखा था. अब यहां तक तो ठीक था. लेकिन अब अगले दिन जैसे ही कलेक्टर साहब दफ्तर पहुंचे, अपने ही कमरे का मंजर देख उन के होश उड़ गए.
पता किया तो मैडम के बारे में पता चला. वो इस बात पर हैरान थे कि एक ट्रेनी आईएएस अफसर सीधे
कलेक्टर का चार्ज कैसे ले सकती हैï?
बात और शिकायत मुंबई में बैठे चीफ सेक्रेटरी साहब तक पहुंची. जांच हुई तो पता चला कि शिकायत
सही है. आननफानन में मुंबई से नया आदेश निकला और मैडम को पुणे से वाशिम ट्रांसफर कर दिया
गया. यहां मामला अब भी दब गया होता.
लेकिन अब मैडम के साथ जो कुछ कलेक्टर औफिस में हुआ था, वो जानकारी घर तक पहुंच गई. मैडम
की मम्मी मनोरमा को भी गुस्सा आ गया. कुछ लोकल अखबारों में बेटी की फोटो और खबर भी छप
चुकी थी. मैडम की मम्मी अब मीडिया को ही धमकाने लगी.
अब मीडिया भी कहां उस के रुआब में आने वाली थी. मीडिया वालों ने खोद कर मैडम की मम्मी
मनोरमा का चंबल की रानी वाला वो फोटो और वीडियो ढूंढ निकाला, जिस में वो हाथ में पिस्टल लहराते
किसी को धमका रही थी. ये मामला और तूल पकड़ गया. अब मम्मी के बाद बचे पापा तो पता चला कि
बेटी की तरह पापा दिलीप खेडकर भी कभी आईएएस अफसर थे.
नौकरी से रिटायर होतेहोते दिलीप खेडकर 40 करोड़ से ज्यादा की संपति के मालिक बन बैठे. इतना पैसा
आया था तो सोचा कि सत्ता का सुख भी भोग लूं. इसलिए अभी इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में भी कूद पड़े. चुनाव तो हार गए, पर चुनाव के दौरान चुनाव आयोग को सौंपी संपत्ति का ब्यौरा अब खुद उन
के साथसाथ उन की आईएएस बेटी के गले पड़ गया.
चूंकि संपत्ति के ब्यौरे में अपने अलावा उन्होंने पत्नी और बेटी की भी जानकारी दी थी तो पता चला कि
पूरा परिवार आधा अरबपति है. जिस बेटी ने ओबीसी नौन क्रीमी लेयर के कोटे से यूपीएससी का
इम्तिहान पास किया, उस के नाम 17 से 20 करोड़ की संपत्ति है.
इस संपत्ति से लाखों रुपए किराया भी आता है. अब यूपीएससी के इम्तिहान में बैठने वाले नौन क्रीमी
लेयर के छात्रों का पैमाना यह है कि उन की आमदनी सालाना 8 लाख से कम होनी चाहिए तो नीली
बत्ती की छटपटाहट में करोड़ों की संपत्ति सामने आ गई.
सवाल उठने लगे कि गरीबी का ये कौन सा कोटा है, जो करोड़पतियों के हिस्से आता है. अब बात निकल
चुकी थी तो दूर तक जानी ही थी. अब मीडिया और मीडिया के कैमरे पूजा के खानदान की तरफ घूम
चुके थे. जांच शुरू हुई तो पता चला कि पूजा की मां का भी विवादों से पुराना नाता है.
इसी बीच उस का पिस्टल लहराता एक वीडियो वायरल हो गया. जांच करने पर पता चला कि ये वीडियो
2023 का था. मनोरमा के पति दिलीप राव खेडकर ने 25 एकड़ की एक जमीन पूणे के मुल्शी तहसील में
ली थी. उसी पर कब्जे के दौरान खेडकर परिवार ने आसपास की जमीन को हड़पने की कोशिश की थी.
किसानों ने जब इस का विरोध किया तो मनोरमा खेडकर ने अपने बाउंसर्स के साथ पिस्टल लहराते हुए
किसानों को धमकाया था. पुणे पुलिस ने इसी वीडियो के आधार पर मनोरमा खेडकर के खिलाफ मुकदमा
दर्ज कर लिया. बेटी के विवाद में फंसने और अपना पुराना वीडियो वायरल होने के बाद मनोरमा खेडक को अपने ऊपर गाज गिरने की आशंका हो गई थी,
लिहाजा वह फरार हो गई. लेकिन पुलिस तो पुलिस ठहरी. ढूंढ और सूंघ कर निकाल ही लिया. अब मां गिरफ्तार है और जेल में है.बीवी और बेटी की हरकतों से बाप को अंदाजा हो चुका था कि देरसवेर मेरा भी नंबर आएगा. लिहाजा गिरफ्तारी से बचने के लिए वो अदालत पहुंच गए.
अंतरिम जमानत मांगने के लिए. बेटी की वजह से बाप की जायदाद जब जमाने के सामने आई तो
अहसास हो चुका था कि नौकरी से इतनी कमाई और इतनी संपत्ति तो ईमानदारी से कमाई ही नहीं जा
सकती. लिहाजा अब उन की भी फाइल खुल चुकी थी. आईएएस रहते हुए उन्होंने कितनी रिश्वत खाई,
अब उस की जांच हो रही है.
दिव्यांग कोटे का कैसे लिया फायदा ये तो रही मांबाप की कहानी, अब जरा आईएएस मैडम की सुन लीजिए. नाम, पता, जाति, मांबाप, फोन नंबर, ईमेल आईडी, इन सब का फरजीवाड़ा छोडि़ए, मैडम के ऊपर जिस सब से बड़े फरजीवाड़े का आरोप है, वो है खुद को दिव्यांग बताने का.
दरअसल, यूपीएससी एग्जाम में बैठने के दौरान पूजा खेडकर ने खुद के दिव्यांग होने का एक सर्टिफिकेट
दिया था. इस मैडिकल सर्टिफिकेट के मुताबिक उसे मानसिक दिक्कत है और नजरें कमजोर. रोशनी जा
रही है. मानसिक दिक्कत के बारे में उस ने बताया कि उसे चीजें याद नहीं रहतीं. यूपीएससी में ऐसे छात्रों
के लिए बाकायदा दिव्यांग कोटा होता है.
यहां तो मैडम पूजा के पास कोटा के 2-2 हथियार थे. एक ओबीसी नौन क्रीमी लेयर का हथियार और दूसरा दिव्यांगता का. इन दोनों हथियारों के बलबूते पर उस ने यूपीएससी का एग्जाम क्लीयर किया और 2022 में आल इंडिया रैंक 841 के साथ आईएएस बन गई.
हालांकि लिखित परीक्षा और इंटरव्यू को मिला कर पूजा के जो कुल नंबर आए थे, अगर वही नंबर किसी
जनरल कैटेगरी के स्टूडेंट के आते तो सवाल ही नहीं था कि वो आईएएस बन पाता. आईएएस बनते ही
मैडम अब मसूरी पहुंच गई. ट्रेनिंग शुरू हो गई, लेकिन यूपीएससी के भी अपने कुछ कायदेकानून हैं.
यूपीएससी चाहता था कि पोस्टिंग से पहले पूजा दिव्यांगता की अपनी सारी रिपोर्ट सौंप दे. इस के लिए
यूपीएससी ने बाकायदा एम्स में उस की जांच कराने का फैसला किया. ये रुटीन जांच थी. यूपीएससी सिर्फ सरकारी अस्पतालों की रिपोर्ट को ही मानता है. इस रिपोर्ट के जरिए इस बात की तस्दीक करना चाहता था कि पूजा को सचमुच मानसिक बीमारी है और उस की नजरें कमजोर हैं.
पूजा के मैडिकल टेस्ट के लिए यूपीएससी ने कुल 6 बार एम्स में डाक्टरों से अपौइंटमेंट लिया. लेकिन वो
हर बार बहाना बना कर टेस्ट से बचती रही. पहली बार 22 अप्रैल, 2022 को उसे टेस्ट के लिए कहा गया.
पूजा खेडकर ने कोरोना का बहाना बना कर जाने से इनकार कर दिया.
इस के बाद 26 मई, 2022 को दूसरी बार एम्स जाने को कहा गया. वो तब भी नहीं गई. फिर पहली जुलाई, 2022, 26 अगस्त 2022, 2 सितंबर 2022 और 25 नवंबर, 2022 को भी टेस्ट के लिए एम्स जाने को कहा गया.
इस दौरान उस का एमआरआई भी किया जाना था, ताकि ये पता किया जा सके कि उस की रोशनी जाने
की वजह क्या है. लेकिन वो बारबार यूपीएससी के कहने के बावजूद टेस्ट के लिए नहीं गई. कुछ वक्त
बाद उस ने एक प्राइवेट अस्पताल का मैडिकल सर्टिफिकेट यूपीएससी को सौंप दिया. यूपीएससी ने वह
सर्टिफिकेट मानने से इनकार कर दिया.
इसी के बाद यूपीएससी ने पूजा का मामला कैट यानी सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के पास भेज दिया.
कैट ने भी पूजा की दिव्यांगता को ले कर प्राइवेट हौस्पिटल के मैडिकल सर्टिफिकेट को मानने से इनकार
कर दिया. कायदे से इस के बाद पूजा की कहीं तैनाती नहीं होनी चाहिए थी.
लेकिन हैरतअंगेज तौर पर इसी साल जून में उस को महाराष्ट्र कैडर देते हुए पुणे में ट्रेनी आईएएस अफसर के तौर पर असिस्टेंट कलेक्टर बना कर भेज दिया गया.उस की इस तैनाती का फरमान डीओपीटी यानी डिपार्टमेंट औफ पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग की तरफ से जारी किया गया था. डीओपीटी सीधे प्रधानमंत्री के अधीन आता है.
अब सवाल यह है कि जब पूजा खेडकर ने दिव्यांगता का सबूत यूपीएससी के सामने रखा ही नहीं.
यूपीएससी के बारबार कहने पर मैडिकल टेस्ट कराया ही नहीं, जिस के रिपोर्ट को मानने से कैट तक ने
इनकार कर दिया. उस पूजा को पोस्टिंग कैसे दे दी गई?
जानकारों की मानें तो यहां गलती यूपीएससी से नहीं, बल्कि डीओपीटी से हुई है. क्या डीओपीटी में पूजा
या उस के परिवार का कोई जानकार बैठा है? इस की जांच भी होनी चाहिए. वैसे जांच की शुरुआत हो
चुकी है. यूपीएससी के हुक्म पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पूजा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता
और आईटी ऐक्ट की धारा 318 (4), धारा 336 (3) और धारा 340 (2) के तहत रिपोर्ट दर्ज की.
बता दें कि ये सभी धाराएं धोखाधड़ी, फरजी डाक्यूमेंट्स के जरिए जालसाजी और जाली डाक्यूमेंट्स का
वास्तविक तौर पर इस्तेमाल करने से जुड़ी हैं. अगर पूजा खेडकर विभागीय जांच में दोषी पाई जाती है
तो उस पर कानूनी काररवाई की जाएगी. उस के खिलाफ एक चार्जशीट बन सकती है, जो चीफ सेक्रेटरी
को सौंपी जाएगी. उस के खिलाफ यूपीएससी की एफआईआर में उस के नाम को ले कर भी जिक्र किया
गया है.
यूपीएससी की तरफ से पूजा खेडकर का असली नाम मिस पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर बताया गया है.
यूपीएससी ने इसी नाम से पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई है. इस के अलावा यूपीएससी के नोटिस
में पूजा खेडकर की प्राइवेट औडी कार का भी जिक्र किया गया है. बता दें कि दस्तावेजों में पूजा खेडकर
ने पहले अपने नाम के आगे डाक्टर लिखा था, जिसे बाद में हटा दिया था.
पुलिस ने जिन धाराओं के तहत केस दर्ज किया है, उन के तहत गिरफ्तारी तय है. यूपीएससी ने भी साफ
कर दिया है कि उस ने धोखाधड़ी और फरजीवाड़ा किया है. इसीलिए उसे कारण बताओ नोटिस दिया गया
है. जवाब आते ही न सिर्फ पूजा का रिजल्ट रद्ïद होगा, बल्कि उस के नाम के आगे या पीछे लगा
आईएएस का तमगा भी हट जाएगा.
यानी कुल मिला कर जिस आईएएस के तमगे के साथ नीली बत्ती वाली गाड़ी पाने की बेसब्री में पूजा
खेडकर ने एक छोटी सी गलती की थी, वही छोटी सी गलती उसे कहां से कहां पहुंचा गई. वो कुछ दिन
सब्र कर लेती तो क्या पता ये सारा फरजीवाड़ा कभी सामने ही न आ पाता.
एक और पूर्व आईएएस अधिकारी फंसा विवादों में पूजा खेडकर के बाद विवादों में घिरे इस आईएएस अधिकारी का नाम अभिषेक सिंह है और उस पर यूपीएससी को फरजी विकलांगता प्रमाणपत्र देने का आरोप है. अभिषेक सिंह 2011 बैच का आईएएस अधिकारी है, जिस ने अक्तूबर 2023 में इस्तीफा दे दिया था.
अभिषेक सिंह का चयन संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में दिव्यांग कोटे से हुआ था. उसे
लोकोमोटिव डिसऔर्डर (चलने में असमर्थता) का पता चला था. लेकिन पिछले साल 2023 में अभिषेक
सिंह ने ऐक्टिंग करिअर के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
अभिषेक सिंह ने आईएएस की नौकरी छोड़ कर बौलीवुड की राह पकड़ ली है. अभिषेक सिंह की पत्नी
दुर्गा शक्ति नागपाल भी आईएएस हैं, जो वर्तमान में लखीमपुर खीरी की डीएम हैं.
हाल ही में अभिषेक सिंह के जिम और डांस के वीडियो वायरल हुए हैं. इस के बाद सवाल उठने लगे हैं
कि दिव्यांगता के आरक्षण से उस का चयन कैसे हो गया. अभिषेक सिंह ने इस दावे को खारिज किया
और लोगों से अपील की कि उस के बारे में झूठ फैलाना बंद किया जाए.
अभिषेक सिंह ने पूजा खेडकर मामले को ले कर सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया था और
प्रशासनिक चयन प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता की मांग की थी. लेकिन फिर सोशल मीडिया यूजर्स ने उस
की ही पसंद पर सवाल उठाए. उस पर यूपीएससी में फरजी विकलांगता प्रमाण पत्र दे कर यूपीएससी में
लाभ पाने का भी आरोप लगा.
पिता रिश्वत के आरोप में हुए थे सस्पेंड महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर विवादों में बुरी तरह घिर गई है. पूजा के कारनामों के बाद उस की मां मनोरमा खेडकर के कारनामे सामने आए थे, अब पूजा के पिता दिलीप खेडकर को ले कर भी नएनए खुलासे हो रहे हैं. दिलीप खेडकर अभी तक 2 बार सस्पेंड हो चुके हैं.
महाराष्ट्र सिविल सेवा (आचरण) नियम 1979 के नियम 3 (1) और महाराष्ट्र सिविल सेवा (अनुशासन और
अपील) नियम, 1979 के नियम संख्या 4 की उपधारा 1 (ए) के साथ ही महाराष्ट्र जल (प्रदूषण की
रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1983 के नियमों के तहत क्षेत्रीय अधिकारी दिलीप खेडकर को 24
फरवरी, 2020 से विभागीय जांच के अधीन निलंबित कर दिया था.
जब दिलीप खेडकर मुंबई के क्षेत्रीय कार्यालय में क्षेत्रीय अधिकारी के रूप में कार्यरत थे, तब करीब 300-
400 छोटे उद्यमियों ने शिकायत की थी कि दिलीप खेडकर मुंबई क्षेत्र में कई व्यवसाय मालिकों और
प्रतिष्ठानों के लिए अनावश्यक परेशानी पैदा कर रहे थे और उन से अवैध तरीके से जबरन वसूली कर रहे
थे. 6 अक्तूबर, 2015 को मुख्यमंत्री से शिकायत की गई थी.
उक्त शिकायत बोर्ड में दर्ज कर ली गई.पुणे के सुप्रभा पौलिमर एंड पैकेजिंग ने 13 मार्च, 2019 को शिकायत की थी, इस में कहा गया था कि क्षेत्रीय अधिकारी दिलीप खेडकर ने 20 लाख रुपए की मांग की है, समझौता राशि 13 लाख बताई गई.
इस शिकायत की प्रारंभिक जांच का आदेश मुख्यालय के माध्यम से दिया गया था. दिलीप खेडकर जब कोल्हापुर के क्षेत्रीय कार्यालय में कार्यरत थे, तब बोर्ड को कोल्हापुर मिल और टिंबर मर्चेंट द्वारा डीएसपी (भ्रष्टाचार निरोधक शाखा, कोल्हापुर) से पहली मार्च, 2018 को की गई शिकायत की प्रति प्राप्त हुई.
इस शिकायत में उद्यमी से पैसे की मांग की गई थी और बिजलीपानी की आपूर्ति बहाल करने के लिए रुपए की मांग की गई. इतना ही नहीं, नोटिस वापस लेने के लिए 25 हजार और 50 हजार रुपए की मांग की गई है.
सतारा के सोना अलायज प्राइवेट लिमिटेड ने 15 मार्च, 2019 को पत्र के माध्यम से शिकायत दी थी. इस
में कहा गया था कि 50 हजार रुपए की मांग की गई थी, दिलीप खेडकर ने उन्हें परेशान किया, क्योंकि
संबंधित उद्योग ने उक्त राशि का भुगतान करने से इनकार कर दिया.
क्षेत्रीय अधिकारी दिलीप खेडकर का कोल्हापुर से मैत्री कक्ष, महाराष्ट्र, लघु उद्योग विकास निगम, मुंबई में
ट्रांसफर कर दिया गया था, लेकिन दिलीप खेडकर ने पद ग्रहण नहीं किया और बिना अनुमति के 6 से 7
महीने तक अनुपस्थित रहे.
वहीं, एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) के शीर्ष सूत्रों ने बताया था कि ऐसे संकेत मिले हैं कि ट्रेनी आईएएस
पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर ने महाराष्ट्र सरकार में अपनी सेवा के दौरान आय से अधिक संपत्ति
अर्जित की थी. वह साल 2020 में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डायरेक्टर पद से रिटायर हुए थे.