दोपहर के करीब 3 बजे थे. महाराष्ट्र के शहर अंबानगरी, जिसे लोग अब अमरावती के नाम से जानते हैं, की
सड़कों पर काफी भीड़ थी. सड़क किनारे गोपाल प्रभा मंगल कार्यालय है, उस के सामने जानामाना शाह कोचिंग सेंटर है, जिस की क्लास छूटी थी.
सेंटर से बाहर निकलने वाले छात्रछात्राओं की वजह से भीड़ और बढ़ गई थी. सड़क की चहलपहल से अलग साइड में खड़ा एक युवक बड़ी बेसब्री से क्लास से निकलते छात्रछात्राओं को देख रहा था.
ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी का इंतजार कर रहा हो. थोड़ी देर बाद उस का इंतजार खत्म हो गया. सारे छात्र और छात्राओं के निकलने के कुछ देर बाद 2 छात्राएं बाहर निकलीं और आपस में बातें करते हुए बस स्टौप की ओर जाने लगीं. साइड में खड़ा युवक उन के पीछे लग गया.
इस के पहले कि दोनों छात्राएं बस स्टौप तक पहुंच पातीं, युवक ने आगे आ कर उन का रास्ता रोक लिया. उस ने जिन छात्राओं का रास्ता रोका था, वह उन में से एक छात्रा से बात करना चाहता था. उन में एक छात्रा का नाम अर्पिता था और दूसरी का अपर्णा. दोनों लड़कियां फ्रैंड थीं.
अचानक इस तरह सामने आए युवक को देख कर अर्पिता के दिल की धड़कन बढ़ गई. डरीसहमी अर्पिता ने एक बार अपनी फ्रैंड अपर्णा की तरफ देखा. फिर उस ने हिम्मत जुटा कर युवक की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘तुषार, तुम यहां?’’
‘‘गनीमत है, तुम ने मुझे पहचाना तो. मैं तो समझा था कि तुम मुझे भूल गई होगी. मैं यहां क्यों आया हूं, यह बात तुम अच्छी तरह जानती हो.’’ तुषार के होंठों पर कुटिल मुसकान तैर गई.
‘‘बेकार की बातें छोड़ो और हट जाओ हमारे रास्ते से. हमारी बस निकल जाएगी.’’ अर्पिता ने रोष में कहा.
‘‘बसें तो आतीजाती रहेंगी. यह बताओ कि तुम मेरे पास कब आओगी? मेरी इस बात का जवाब दिए बिना तुम यहां से नहीं जाओगी. तुम मुझ से कटीकटी क्यों रहती हो? तुम्हारे घर वाले मुझे तुम से नहीं मिलने देते. आखिर मेरी गलती क्या है, हम दोनों ने एकदूसरे से प्यार किया है, शादी की है.’’ तुषार ने अर्पिता को विनम्रता से समझाने की कोशिश की.
‘‘वह सब हमारी नादानी और बचपना था. अब उन बातों का कोई मतलब नहीं है. मैं सब भूल चुकी हूं, तुम भी भूल जाओ.’’ कह कर अर्पिता उस के बगल से हो कर निकलने लगी. लेकिन तुषार ने उसे निकलने नहीं दिया. वह उस के सामने अड़ कर खड़ा हो गया.
‘‘ऐसे कैसे भूल जाऊं, मैं तुम्हें प्यार करता हूं. तुम्हें अपनी पत्नी मानता हूं. भले ही हमारी शादी घर वालों की मरजी से न हुई हो लेकिन मंदिर में ही सही, हुई तो है. तुम मेरी पत्नी हो और पत्नी ही रहोगी.’’ तुषार ने अर्पिता से कड़े शब्दों में कहा.
‘‘देखो तुषार, तुम मेरी बातों को समझने की कोशिश करो. मैं अपना कैरियर देख रही हूं. तुम अपना कैरियर देखो, उसी में हमारी भलाई है. तुम मुझे अपने दिल से निकाल कर हकीकत की दुनिया में आ जाओ, यही दोनों के लिए अच्छा है.’’
अर्पिता की सहेली अपर्णा ने भी तुषार को समझाने की कोशिश की कि वह उसे भूल जाए. अर्पिता और अपर्णा की बातों से परेशान हो कर तुषार का चेहरा क्रोध से तमतमा उठा.
‘‘तो क्या यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?’’ तुषार ने अर्पिता की आंखों में आंखें डाल कर पूछा.
‘‘हां, यही मेरा आखिरी फैसला है. मैं अपने परिवार और समाज के खिलाफ नहीं जा सकती. मेरा परिवार जो कह रहा है, मुझे वही करना होगा.’’ अर्पिता ने कहा.
उस का स्पष्ट जवाब सुन कर तुषार आपा खो बैठा और उस ने कपड़ों के अंदर छिपा कर लाया चाकू बाहर निकाल लिया. उस के हाथों में चाकू देख कर अर्पिता और अपर्णा दोनों बुरी तरह घबरा गईं.
इस के पहले कि वे दोनों कुछ बोल पातीं, तुषार ने अर्पिता के पेट, सीने और गले पर लगभग 18 वार कर दिए. अपर्णा ने जब अपनी फ्रैंड अर्पिता की मदद करने की कोशिश की तो तुषार ने उसे भी बुरी तरह जख्मी कर दिया. तुषार के इस हमले से दोनों जमीन पर गिर पड़ीं और मदद के लिए चीखनेचिल्लाने लगीं.
अर्पिता और अपर्णा की चीखपुकार से आनेजाने वाले लोगों के कदम रुक गए. कुछ मिनटों तक तो किसी की समझ में नहीं आया कि माजरा क्या है. लोग मूक बने खून में डूबी लड़कियों को देखते रहे. जब समझ में आया तो लोग अर्पिता और अपर्णा की मदद के लिए आगे बढ़े. लोगों को अर्पिता और अपर्णा की मदद करते देख तुषार समझ गया कि अब उस का वहां रुकना ठीक नहीं है.
वह चाकू घटनास्थल पर फेंक कर भागने की कोशिश करने लगा. लेकिन उस के कारनामों से क्रोधित कुछ लोग उस के पीछे पड़ गए. वहां मौजूद कुछ लोगों ने आटो रोक कर अर्पिता और अपर्णा को स्थानीय अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने अर्पिता को मृत घोषित कर दिया और घायल अपर्णा के उपचार में जुट गए.
दूसरी तरफ तुषार का पीछा कर रहे लोगों ने उसे ईंटपत्थरों से घायल कर के दबोच लिया. उन्होंने उस की जम कर पिटाई की. गुस्साए लोग उसे छोड़ने को तैयार नहीं थे.
इस घटना की खबर थोड़ी दूरी पर स्थित राजापेठ पुलिस थाने की पुलिस को लगी तो वह तुरंत हरकत में आ गई. थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने सब से पहले लोगों की गिरफ्त में फंसे तुषार को अपनी कस्टडी में लिया. थानाप्रभारी ने इस मामले की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रोल रूम को भी दे दी.
थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी ने अपने सहयोगियों के साथ घटनास्थल का निरीक्षण किया. घटनास्थल पर पड़े रक्तरंजित चाकू और रक्त सनी मिट्टी का नमूना ले कर उसे सील कर दिया गया. इस के बाद पुलिस ने वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के बयान लिए. वहां से वह सीधे अस्पताल चले गए.
यह घटना 9 जुलाई, 2019 की थी. कुछ ही मिनटों में दिल दहलाने वाली इस वारदात की खबर पूरे शहर में फैल गई. मामले की जानकारी पा कर अमरावती के सीपी संजय वाबीस्कर, डीसीपी जोन-2 शशिकांत सातव और एसीपी (राजापेठ) बलिराम डाखरे भी पुलिस टीम के साथ अस्पताल पहुंच गए.
अस्पताल पहुंच कर उन्होंने वहां के डाक्टरों से मिल कर बात की और मृत अर्पिता और घायल अपर्णा का सरसरी निगाह से निरीक्षण किया. फिर थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी को जरूरी निर्देश दे कर लौट गए.
थानाप्रभारी ने अपनी टीम के साथ मृतका अर्पिता की फ्रैंड अपर्णा का विस्तृत बयान लिया. इस के बाद हत्या का केस नामजद दर्ज कर के अर्पिता के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया. पुलिस ने थाने लौट कर इस घटना की जानकारी अर्पिता और अपर्णा के घर वालों को दी. साथ ही केस की जांच की जिम्मेदारी इंसपेक्टर संभाजी पाटिल व दत्ता नखड़े को सौंप दी.
इस घटना की खबर मिलते ही अर्पिता के परिवार वाले रोतेपीटते राजापेठ पुलिस थाने पहुंचे. जांच अधिकारियों ने उन्हें सांत्वना दे कर उन से पूछताछ की. अर्पिता के घर वालों ने बताया कि तुषार उन की बेटी अर्पिता से एकतरफा प्यार करता था और उस पर शादी के लिए दबाव बनाता रहता था. वह सालों से उन की बेटी के पीछे पड़ा था.
उन्होंने बताया कि तुषार अर्पिता को अकसर छेड़ता और परेशान करता था. साथ ही धमकियां भी देता था. उस ने अर्पिता से शादी का एक फरजी वीडियो भी तैयार कर रखा था, जिसे वह सोशल मीडिया पर डालने की धमकी देता था.
दोनों के परिवारों की अपनीअपनी कहानी उन लोगों ने इस की शिकायत वडनेरा पुलिस थाने में भी की थी. लेकिन पुलिस ने उस पर कोई काररवाई नहीं की. पुलिस ने उस से वह वीडियो डिलीट करवाया और माफीनामा ले कर छोड़ दिया था.
तुषार के परिवार वालों ने भी अर्पिता पर कुछ इसी तरह का आरोप लगाया था. उन के अनुसार अर्पिता ने तुषार से प्यार किया था, उसे सपना दिखाया था. यहां तक कि दोनों ने मंदिर में जा कर शादी भी कर ली थी. तुषार का कोई कसूर नहीं था. अर्पिता ने उसे अपने प्रेमजाल में फंसा कर धोखा दिया था, जिस से हताश हो कर उस ने इस तरह का कदम उठाया.
दोनों के घर वालों के बयानों में कितनी सच्चाई थी, इस का पता लगाने के लिए जांच अधिकारियों ने जब गहराई से जांच की तो असफल प्रेम कहानी सामने आई.
22 वर्षीय तुषार अमरावती जिले के तालुका भातकुली गांव मलकापुर का रहने वाला था. उस के पिता का नाम किरण मसकरे था. वह गांव के एक गरीब किसान थे. उन का और उन के परिवार का गुजारा गांव के संपन्न किसानों के खेतों में मेहनतमजदूरी कर के होता था. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण तुषार ने इंटरमीडिएट के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. परिवार में उस के मातापिता के अलावा एक बड़ा भाई और एक छोटी बहन थी.
सुंदर और महत्त्वाकांक्षी अर्पिता तुषार के पड़ोसी गांव कठवा वहान की रहने वाली थी. उस के पिता का नाम दत्ता साहेब ठाकरे था. ठाकरे गांव के प्रतिष्ठित और संपन्न किसान थे. उन के परिवार में अर्पिता के अलावा उस की मां और एक बड़ा भाई था. अर्पिता पढ़ाई लिखाई में तो तेज थी ही, व्यवहारकुशल भी थी. तुषार मसकरे उस की खूबसूरती और व्यवहार का कायल था.
गांव में उच्चशिक्षा की व्यवस्था नहीं थी. अर्पिता दत्ता ठाकरे की लाडली बेटी थी. वह उसे उच्चशिक्षा दिलाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अर्पिता को पूरी आजादी दे रखी थी. लेकिन यह जरूरी नहीं कि आदमी जो सोचे वह हो ही जाए. दत्ता ठाकरे की भी यह चाहत पूरी नहीं हो सकी.
18 वर्षीय अर्पिता और तुषार की लव स्टोरी सन 2017 में तब शुरू हुई थी, जब दोनों ने गांव के हाईस्कूल से निकल कर तालुका के भातकुली केशरभाई लाहोटी इंटर कालेज में दाखिला लिया. दोनों एक ही क्लास में थे, दोनों के गांव भी आसपास थे. जल्दी ही दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं.
कालेज में कई युवकयुवतियों ने अर्पिता से दोस्ती के लिए हाथ बढ़ाए, लेकिन अर्पिता ने उन्हें महत्त्व नहीं दिया. वह मन ही मन तुषार से प्रभावित थी. अर्पिता को जितना भी समय मिलता, तुषार के साथ बिताती थी. तुषार भी अर्पिता जैसी दोस्त पा कर खुश था.
कालेज आनेजाने के लिए अर्पिता के पास स्कूटी थी. तुषार का घर अर्पिता के रास्ते में पड़ता था, इसलिए वह तुषार को अकसर अपनी स्कूटी पर उस के घर तक छोड़ देती थी. इस के चलते दोनों कब एकदूसरे के करीब आ गए, उन्हें पता ही नहीं चला. पहले दोनों में दोस्ती हुई, फिर प्यार हो गया. इस बात का दोनों को तब पता चला जब उन के दिलों की बेचैनी बढ़ने लगी.
इंटरमीडिएट करतेकरते उन की चाहत इतनी बढ़ गई कि दोनों ने अपने प्यार का इजहार कर लिया. इस के साथ ही दोनों ने साथसाथ जीनेमरने की कसमें भी खा लीं. इतना ही नहीं, दोनों ने सालवर्डी जा कर एक मंदिर में विवाह भी कर लिया. इस विवाह का वीडियो भी बनाया गया था.
जब तक दोनों एक ही कालेज में पढ़ते रहे, उन के प्यार और शादी की किसी को भनक तक नहीं लगी. लेकिन जब अर्पिता ग्रैजुएशन के लिए दूसरे कालेज में गई और तुषार ने पढ़ाई छोड़ दी तो उन के बीच दूरी आ गई.
इसी बीच उन के प्यार और प्रेम विवाह की खबर उन के घर वालों के कानों तक भी पहुंच गई. अर्पिता के पिता ने बेटी के अच्छे भविष्य के लिए उस का दाखिला अमरावती के मधोल पेठ स्थित महात्मा फूले विश्वविद्यालय में करा दिया था. उस ने बीकौम फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था.
दोनों के परिवार रह गए सन्न तुषार की पारिवारिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह आगे की पढ़ाई कर पाता. आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से वह गांव वालों के खेतों में किराए का ट्रैक्टर चला कर अपने परिवार की आर्थिक मदद करने लगा.
अर्पिता से दूरियां बढ़ जाने के कारण तुषार का एकएक दिन बेचैनी में गुजरता था. जल्दी ही उस का धैर्य जवाब देने लगा. जब उसे लगने लगा कि अब वह अर्पिता के बिना नहीं रह सकता तो वह फोन पर बात कर के या गांव आतेजाते अर्पिता पर दबाव बनाने लगा कि वह अपनी पढ़ाई छोड़ कर उस के पास आ जाए.
इस बात की खबर जब दोनों परिवारों तक पहुंची तो उन के होश उड़ गए. इस हकीकत जान कर तुषार के परिवार वाले सन्न रह गए तो अर्पिता के घर वालों के पैरों के नीचे से जैसे जमीन खिसक गई. उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस बेटी के भविष्य के लिए वह उसे उच्चशिक्षा दिलाना चाहते हैं, वह ऐसा कर बैठेगी.
मामला काफी नाजुक था. फिर भी उन्होंने अर्पिता को आड़े हाथों लिया. उसे उस के भविष्य, मानसम्मान और समाज के बारे में काफी समझायाबुझाया. साथ ही तुषार से दूर रहने की सलाह भी दी.
अर्पिता ने जब अपने परिवार की बातों पर गहराई से सोचविचार किया तो उसे अपनी भूल पर पछतावा हुआ. तुषार के साथ वह उज्ज्वल भविष्य की कल्पना नहीं कर सकती थी, न ही तुषार उस के काबिल था. सोचविचार कर अर्पिता ने तुषार से दूरी बना ली.
अर्पिता की दूरियां तुषार से बरदाश्त नहीं हुई. एक दिन वह बिना किसी डर के अर्पिता का हाथ मांगने उस के घर चला गया. उस ने उस के परिवार को धमकी देते हुए कहा कि अगर आप लोग अर्पिता का हाथ मेरे हाथ में नहीं देंगे तो वह उसे जबरन ले जाएगा. क्योंकि वह अर्पिता के साथ मंदिर में शादी कर चुका है. उस के पास शादी का वीडियो भी है. तुषार ने यह भी कहा कि अगर उस की बात नहीं मानी गई तो वह वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा.
बात मानसम्मान की थी. उस की इस धमकी से अर्पिता का परिवार काफी डर गया. बात उन की इज्जत की थी. उन्होंने इस की शिकायत पुलिस में कर दी. पुलिस की काररवाई से तुषार को बहुत गुस्सा आया. वह अर्पिता और उस के परिवार के प्रति रंजिश रखने लगा. उस ने अर्पिता को कई बार फोन किया लेकिन उस ने फोन नहीं उठाया.
फलस्वरूप उसे अर्पिता से सख्त नफरत हो गई. अंतत: प्रेमाग्नि में जलते तुषार ने एक खतरनाक योजना बना ली. उस ने फैसला कर लिया कि अगर अर्पिता ने उस के मनमुताबिक उत्तर नहीं दिया तो वह उसे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगा. अर्पिता उस की पत्नी है और उस की ही रहेगी.
अपनी योजना को फलीभूत करने के लिए तुषार अपने एक दोस्त से मिला और उस से एक तेजधार वाले लंबे फल के चाकू की मांग की. उस का कहना था कि गांव के आसपास उस के बहुत सारे दुश्मन हो गए हैं, जिन से वह डरता है. दोस्त ने उस की बातों पर विश्वास कर के उस के लिए चाइना मेड एक चाकू का बंदोबस्त कर दिया.
चाकू का इंतजाम हो जाने के बाद तुषार घटना के दिन सुबहसुबह मधोल पेठ पहुंच कर अर्पिता का इंतजार करने लगा. बाद में जब उसे मौका मिला तो उस ने अर्पिता और उस की फ्रेंड पर हमला बोल दिया. इस हमले में अर्पिता की जान चली गई और उस की फ्रैंड अपर्णा बुरी तरह घायल हुई. इस के पहले कि वह भाग पाता, लोगों ने उसे दौड़ा कर पकड़ लिया.
इस घटना के कुछ घंटों बाद इस वारदात को ले कर पूरा अमरावती शहर एक हो गया. राजनीतिक पार्टियां और सामाजिक संगठन एकजुट हो कर पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारे लगाने लगे.
वे अभियुक्त तुषार मसकरे को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहे थे. बहरहाल, तुषार मसकरे ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया था. पूछताछ के बाद उसे अदालत पर पेश कर के जेल भेज दिया गया. द्य