16 वर्षीय नाजिमा की मौत की गुत्थी उलझती ही जा रही थी, 23 दिन बाद कब्र से उस की लाश निकलवा कर पोस्टमार्टम कराया गया, लेकिन पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची. फिर उस के फोन की गैलरी में मिले फोटोग्राफ्स ने ऐसी कहानी बयां कर दी कि…

चीख की आवाज से मोहल्ले वालों का ध्यान जाकिरा के घर की ओर गया, क्योंकि वह आवाज वहीं से आ रही थी. कोई कुछ समझ पाता, उस से पहले ही उसी के घर से जोरजोर से रोने की आवाजें भी आने लगीं. यह सुन कर कुछ लोग जाकिरा के घर की तरफ लपके. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा क्या हो गया जो जाकिरा के घर से चीखने और रोने की आवाजें आ रही हैं. 

सभी हड़बड़ाए हुए जाकिरा के घर पहुंचे, वहां का दृश्य अंदर तक हिला डालने वाला था. जाकिरा की 16 वर्षीय बेटी नाजिमा फर्श पर पड़ी थी. उस के पास उस के दादादादी बैठे जोरजोर से रो रहे थे. 

क्या हुआ नाजिमा को?’’ एक बुजुर्ग ने हैरानी से पूछा.

मालूम नहीं महमूद मियां, नाजिमा रात को तो भलीचंगी थी, लेकिन मैं सो कर उठा तो इस हाल में मिली.’’ बताने के बाद बुजुर्ग दादा जोरजोर से रोने लगे. 2-3 बुजुर्गों ने नीचे बैठ कर फर्श पर निर्जीव पड़ी नाजिमा की नब्ज टटोली. नाजिमा के शरीर में कोई हरकत नहीं थी. उन्होंने ध्यान से उसे देखा. कहीं कोई चोट जख्म का निशान नहीं था, जिस से यह समझा जाता कि किसी ने उस की हत्या कर दी है. 

कल तो शाम को यह गांव में अपनी सहेलियों के साथ खूब उछलकूद मचा रही थी… अचानक रात को ही कुछ हुआ है…’’ एक बुजुर्ग ने गंभीर स्वर में कहा, ”मुझे तो लग रहा है, इसे हार्ट अटैक आया है. इस के अम्मीअब्बू नेपाल में हैं.. उन्हें खबर कर दो कोई.’’ महमूद ने कहा.

तो भीड़ से मोहम्मद साहिम नाम का युवक निकल कर सामने आया, ”चाचा, मैं नाजिमा के अब्बा इकबाल मियां को फोन कर देता हूं, मेरे पास नंबर है उन का.’’

”बेटा, तुम इकबाल को फोन कर दो. हम कल सुबह तक उन का इंतजार करेंगे. नहीं आए तो कल दफना देंगे.’’ मोहम्मद नासिर ने जैसे फैसला सुनाया, ”और हां, इस मौत की जानकारी गांव की सरहद में ही रहेगी. कोई बात उड़ाएगा नहीं.’’ 

ठीक है.’’ सभी ने सिर हिला कर स्वीकार किया. फिर सभी नाजिमा के दादादादी को ढांढस बंधाने में लग गए. यह बात 13 अप्रैल, 2024 की है. इकबाल नेपाल से नहीं लौटा तो 14 अप्रैल को गांव के लोगों ने नाजिमा के शव को गांव के कब्रिस्तान में दफन कर दिया.

नाजिमा की अम्मी जाकिरा अपने पति इकबाल अहमद के साथ नेपाल में ही काम करती थी. नाजिमा दादादादी के साथ रहती थी. 2 दिन बाद नाजिमा की अम्मी जाकिरा अपने पति इकबाल के साथ अपने गांव अमरिवडिय़ा में नेपाल से वापस लौटी. यह गांव उत्तर प्रदेश के जिला पीलीभीत में स्थित है.  घर में पसरा सन्नाटा दोनों के दहाड़े मार कर रोने से टूट गया. गांव के लोग उन्हें सांत्वना देने के लिए घर के बाहर जमा हो गए. गांव की महिलाओं ने अंदर जा कर इस मातम में शिरकत की. उन्होंने दोनों मियांबीवी को सब्र करने के लिए कहा, उन के आंसू पोंछे. 

उस वक्त मोहम्मद साहिम ने ही बड़े बुजुर्ग की तरह दोनों को समझाया, ”आप लोग नेपाल में थे, तुरंत आ नहीं सकते थे. गरमी की वजह से नाजिमा की डेडबौडी में अकडऩ आ गई थी, इसलिए क्रियाकर्म करना पड़ा.’’  जाकिरा कितना रोती, आखिर उस ने अपने आंसुओं को पी लिया. धीरेधीरे वह सामान्य होने लगी. कई दिनों से घर की साफसफाई न होने से गंदा पड़ा था. जाकिरा ने झाड़ू उठाई और घर की साफसफाई में लग गई. 

चारपाई के नीचे से सफाई करते वक्त उसे नाजिमा का मोबाइल फोन नजर आया. उस ने फोन उठाया और उसे औन करने के लिए बटन पुश किया. फोन औन नहीं हुआ. जाकिरा ने उस समय मोबाइल को अलमारी में रख दिया. पूरी साफसफाई से निपट लेने के बाद वह नहाई.

जाकिरा को पता था कि नाजिमा के फोन में नाजिमा की ढेरों फोटो थे. बेटी को देखने की तमन्ना मन में जागी तो वह मोबाइल औन करवाने के इरादे से गांव में स्थित मोबाइल रिपेयरिंग शौप पर पहुंच गई. मोबाइल में ज्यादा खराबी नहीं थी. घंटा भर बैठ कर जाकिरा ने मोबाइल फोन ठीक करवाया और उसे ले कर घर आ गई. 

मोबाइल गैलरी से आगे बढ़ी पुलिस की जांच

जाकिरा ने चारपाई पर बैठ कर मोबाइल की गैलरी को खोला. गैलरी में बेटी के लुभावने पोज वाले कई फोटो थे. नाजिमा हर फोटो में मुसकरा रही थी. बेटी के फोटो ने एक बार फिर से जाकिरा को रुला दिया. आंसुओं ने उस की आंखें भिगो दीं. जाकिरा सुबकते हुए बेटी के फोटो देख रही थी कि अचानक वह चौंक पड़ी. 

नाजिमा के मोबाइल की गैलरी में एक पुलिस वाले के भी फोटो दिखाई दिए थे. वह यूपी (उत्तर प्रदेश) पुलिस की वरदी में था. जाकिरा के लिए वह अनजान था. जाकिरा ने उस फोटो को सरकाया तो उस का माथा भन्ना गया. गैलरी में आगे उस पुलिस वाले के कई और फोटो थे, लेकिन दूसरे फोटो में वह अकेला नहीं था. उस के साथ अलगअलग पोजों में 2 लड़कियां भी नजर आ रही थीं, जिन्हें जाकिरा अच्छे से पहचानती थी. ये दोनों लड़कियां गांव अमरिवडिय़ा की ही थीं. 

एक का नाम केतकी और दूसरी का नाम परवीन था. जाकिरा की समझ में नहीं आ रहा था कि इन दोनों लड़कियों और पुलिस वाले के फोटो बेटी के मोबाइल में क्यों और कैसे हैं? क्या नाजिमा के मोबाइल से ये फोटो खींचे गए हैं या इन तीनों में से किसी ने यह बेटी के मोबाइल में भेजे हैं?

फोटो देख कर जाकिरा के मन में तरहतरह के खयाल उभरने लगे. उसे पक्का विश्वास हो गया कि जरूर ही नाजिमा को इन लोगों ने ही रास्ते से हटाया है. अच्छीभली वह अपनी मौत नहीं मरी है. जाकिरा का पति इकबाल घर में नहीं था. शाम को वह वापस लौटा तो जाकिरा ने बेटी के मोबाइल के फोटो पति को दिखाए. 

ये लड़कियां तो अपने ही गांव की हैं.’’ इकबाल चौंक कर बोला, ”यह पुलिस वाला मेरे लिए अंजान है, लेकिन इन फोटो से यही लग रहा है कि पुलिस वाले से इन दोनों लड़कियों का प्रेम संबंध होगा, लेकिन ये फोटो अपनी बेटी के मोबाइल में कैसे हैं?’’ 

यही तो मैं भी दिन भर सोचती रही हूं.’’ जाकिरा गंभीर हो गई, ”मैं इस नतीजे पर पहुंची हूं कि नाजिमा के मोबाइल पर इन तीनों में से किसी ने ये फोटो भेजे होंगे, इस बात पर नाजिमा का उन से झगड़ा हुआ होगा. इन्होंने अपनी नाजिमा की जान ली है. नाजिमा के अब्बू, हमें पुलिस के पास जा कर इन के खिलाफ रिपोर्ट लिखवानी चाहिए.’’ 

हां.’’ इकबाल ने सिर हिलाया, ”लेकिन जाकिरा, पहले इन लड़कियों से मालूम कर लो कि इन फोटो का नाजिमा के मोबाइल में होने का राज क्या है.’’

जाकिरा अपने पति इकबाल अहमद को ले कर थाना जहानाबाद न जा कर पीलीभीत पहुंच गई. पीलीभीत में वह एएसपी विक्रम दहिया से मिली. विक्रम दहिया ने जाकिरा की बात को बहुत ध्यान से सुना. उन्होंने नाजिमा के मोबाइल में सेव कर के रखे हुए यूपी पुलिस के सिपाही के साथ 2 लड़कियों के फोटो भी देखे. इस से उन के भी दिमाग में यह संदेह उभरा कि नाजिमा की मौत के पीछे कोई रहस्य अवश्य छिपा है. 

उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लिया और थाना जहानाबाद के एसएचओ संजीव शुक्ला को फोन कर के नाजिमा की संदिग्ध अवस्था में हुई मौत की रिपोर्ट दर्ज कर के इस पर तुरंत काररवाई करने के निर्देश दे दिए. पुलिस कप्तान के आदेश पर थाना जहानाबाद में आईपीसी की धारा 302/34/427/326 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. 

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एसएचओ संजीव शुक्ला ने जाकिरा और उस के पति इकबाल अहमद से नाजिमा के चरित्र, मौत आदि के संबंध में बात की. दोनों मियांबीवी ने एसएचओ को सारी बातें विस्तार से बता दीं. जाकिरा ने नाजिमा का फोन भी एसएचओ को सौंप दिया. एसएचओ संजीव शुक्ला ने मोबाइल की गैलरी में जा कर फोटो देखने शुरू किए तो यूपी पुलिस के एक सिपाही का फोटो देख कर चौंक पड़े. 

यह तो सिपाही राजकुमार है.’’ वह हैरानी से बोले, ”कुछ महीने पहले तक थाना जहानाबाद की परेवा वैश्य चौकी पर तैनात था. अब इस का तबादला मुरादाबाद हो गया है. इस के फोटो तुम्हारी लड़की के मोबाइल में कैसे आए? और ये 2 लड़कियां जो इस के साथ हैं, ये दोनों कौन हैं?’’

साहब, दोनों लड़कियां मेरे गांव अमरिवडिय़ा की हैं, एक का नाम केतकी है, दूसरी का नाम परवीन है. मुझे इन तीनों पर शक है. मेरी बेटी की मौत में जरूर इन का हाथ होगा.’’ 

मामला संदिग्ध है.’’ प्रभारी संजीव शुक्ला गंभीर हो गए, ”तुम यह मोबाइल छोड़ जाओ, मैं कप्तान साहब से बात कर के आगे की काररवाई करता हूं.’’

ठीक है साहब,’’ जाकिरा ने आश्वस्त हो कर कहा और नाजिमा का मोबाइल वहीं छोड़ कर पति इकबाल के साथ वापस गांव लौट गई. 

कब्र से क्यों निकाला गया नाजिमा का शव

नाजिमा की मौत 12 और 13 अप्रैल, 2024 की रात में किसी समय हुई थी, उस को 14 अप्रैल को दफनाया गया था. चूंकि उस की मौत अब पुलिस की नजर में संदेह के दायरे में आ गई थी, इसलिए पुलिस नाजिमा के शव का पोस्टमार्टम करवाना चाहती थी. इस के लिए एएसपी विक्रम दहिया ने पीलीभीत के डीएम से लिखित अनुमति ली और नाजिमा की मौत के 23 दिन बाद यानी 6 मई, 2024 को मजिस्ट्रैट की मौजूदगी में सुबह उस का शव कब्र खोद कर निकाला गया. शव लगभग गल ही गया था. केवल हड्डियों का ढांचा ही मिला, जिसे उच्चाधिकारियों के सामने पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया गया. 

उसी दिन पुलिस को नाजिमा के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई. मौत कैसे हुई, यह बात रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं थी, लिहाजा उस का विसरा जांच के लिए सुरक्षित रख लिया गया था. मामला जहां से शुरू हुआ था वहीं अटक गया था. अब पुलिस के लिए एक ही रास्ता बचा था. केस की तफ्तीश के लिए संदेह के दायरे में आए यूपी पुलिस के सिपाही राजकुमार और उस के साथ मोबाइल में नजर आने वाली दोनों लड़कियों को हिरासत में ले कर पूछताछ के दायरे में लाना. 

एसपी महोदय ने नाजिमा के मामले की जांच के लिए एक पुलिस टीम का गठन कर दिया. इस टीम में जहानाबाद थाने के एसएचओ संजीव शुक्ला, एसआई सुनील शर्मा (प्रभारी सर्विलांस टीम), इंसपेक्टर क्रांतिवीर सिंह (प्रभारी एसओजी टीम), हैडकांस्टेबल राजेश कुमार, कांस्टेबल सोनू नागर को शामिल किया गया. 

टीम का निर्देशन एएसपी विक्रम दहिया ने खुद संभाला था. उन के दिशानिर्देशन में उसी शाम एक टीम कांस्टेबल राजकुमार को हिरासत में लेने के लिए मुरादाबाद भेजी गई. एक टीम गांव अमरिवडिय़ा रवाना की गई, जहां से 2 लड़कियों केतकी और परवीन को पकड़ कर थाने में लाना था. ये दोनों लड़कियां राजकुमार के साथ नाजिमा के मोबाइल फोन में नजर आ रही थीं. 

नाजिमा की कहानी में कैसे आया नया मोड़

रात ढली और 7 मई, 2024 की सुबह की धूप खिल गई. जो टीम मुरादाबाद भेजी गई थी, वह वहां से कांस्टेबल राजकुमार को हिरासत में ले कर थाना जहानाबाद लौट आई. सुबह ही अमरिवडिय़ा गांव से केतकी और परवीन को ले कर दूसरी टीम भी थाने में आ गई. तीनों को एक साथ कक्ष में बिठाया गया तो राजकुमार के चेहरे पर पसीना छलक आया. केतकी और परवीन के चेहरे भी वहां राजकुमार को देख कर सफेद पड़ गए. 

प्रभारी संजीव शुक्ला उन के चेहरों की रीडिंग कर रहे थे. तीनों के चेहरों के बदलते रंग से इतना तो वह भांप गए कि तीनों एकदूसरे को भलीभांति जानते हैं. वहां गहरी खामोशी छा गई थी. इस खामोशी को कांस्टेबल राजकुमार ने ही तोड़ा. अपनी जगह बेचैनी से पहलू बदलते हुए उस ने पूछा, ”सर, मुझे किस जुर्म में हिरासत में ले कर यहां लाया गया है?’’

तुम इन दोनों लड़कियों को पहचानते हो राजकुमार?’’

हां सर, इन में से यह दाईं ओर बैठी लड़की परवीन है जिस से मेरे प्रेमिल संबंध हैं. दूसरी केतकी है, यह परवीन की सहेली है और कभीकभी यह भी मुझ से बोलती है. हंसीमजाक करती है.’’ राजकुमार ने बेझिझक बताया. 

ओह! तुम तीनों में तो अच्छी जानपहचान है. अब यह भी इतनी ही बेबाकी से बता दो कि तुम तीनों ने नाजिमा की हत्या क्यों की है?’’ 

क्या कह रहे हैं सर.. क्या नाजिमा की हत्या हो गई है?’’ राजकुमार बुरी तरह चौंक कर खड़ा हो गया. 

नाटक मत करो राजकुमार, तुम जानते ही हो कि पुलिस किस तरह सामने वाले से सच्चाई उगलवा लेती है.’’ संजीव शुक्ला गंभीर स्वर में बोले. 

मैं जानता हूं सर. आप मेरी बात पर यकीन कीजिए, मैं ने नाजिमा की हत्या नहीं की है. मैं तो ड्यूटी पर मुरादाबाद में ही हूं, 2 महीने से मैं जहानाबाद भी नहीं आया हूं. आप बेशक इंक्वायरी करवा लीजिए.’’ 

”हम भी बेगुनाह हैं साहब.’’ परवीन डरते हुए बोली, ”नाजिमा हमारी अच्छी सहेली थी. उस की डैड बौडी ईद के 2 दिन बाद घर में मिली तो खबर पा कर हम सन्नाटे में रह गई थीं. हम ने नाजिमा की हत्या नहीं की है.’’

लेकिन नाजिमा के मोबाइल में तुम लोगों के ढेरों फोटो हैं, वह उस के मोबाइल में कैसे आ गए?’’ 

साहब, नाजिमा के फोन से परवीन राजकुमार से बात करती थी, परवीन मुझे भी कभीकभी साथ ले कर आती थी तो मैं भी इन्हें (राजकुमार) पहचानने लगी थी. यह दिल के अच्छे हैं, इन्होंने परवीन या मेरे साथ कभी गलत बात नहीं की है. यह परवीन को बहुत प्यार करते हैं, इस से शादी करना चाहते हैं.’’ केतकी ने हिम्मत बटोर कर सारी बात बता दी. 

एसएचओ संजीव शुक्ला ने गहरी सांस ली. उन्होंने अगला सवाल किया, ”परवीन, तुम राजकुमार के संपर्क में कैसे आई? यह तो पहले जहानाबाद में डय़ूटी पर था और तुम गांव में रहती हो, फिर..’’ 

साहब, हमारी पहचान मोहम्मद साहिम ने करवाई थी. साहिम मेरे ही गांव का है, वह अकसर जहानाबाद जाता रहता था. वहां राजकुमार से उस की दोस्ती हुई तो राजकुमार से साहिम ने मेरी भी दोस्ती करवा दी. उसी साहिम ने नाजिमा के मोबाइल को राजकुमार और मेरी बातचीत का जरिया बनाया था. नाजिमा के मोबाइल से हम चैटिंग करते थे.’’ 

संजीव की आंखों में तीखी चमक उभरी, ”फिर तो साहिम नाजिमा के बीच भी प्यार का संबंध रहा होगा.’’

हां साहब,’’ परवीन ने सिर हिलाया, ”नाजिमा मोहम्मद साहिम को बहुत प्यार करती थी.’’

हूं.’’ एसएचओ ने सिर हिलाया और उठ कर खड़े हो गए, ”देखो राजकुमार, अभी तुम तीनों हमारी हिरासत में रहोगे. नाजिमा के कातिल तक हम पहुंच जाएंगे तो तुम्हें छोड़ दिया जाएगा.’’ कह कर संजीव शुक्ला कक्ष से बाहर निकल गए. 

प्रेमी ने क्यों की नाजिमा की हत्या

मोहम्मद साहिम पुलिस की नजरों में संदिग्ध कातिल के रूप में उभरा था. उन्होंने जाकिरा से नाजिमा का मोबाइल ले कर अपने पास रख लिया था, वह मोबाइल उन्होंने प्रभारी सर्विलांस टीम के एसआई सुनील शर्मा को जांच के लिए दे दिया. सुनील शर्मा ने नाजिमा के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाल कर देखी तो उस की एक नंबर पर लंबीलंबी बातें होने का ब्योरा मिला. उस नंबर को खंगाला गया तो वह अमरिवडिय़ा गांव के मोहम्मद साहिम का ही निकला. 

ईद के दूसरे दिन 12 अप्रैल, 2024 को भी रात साढ़े 9 बजे नाजिमा और मोहम्मद साहिम के बीच बातें हुई थीं. उसी रात नाजिमा के साथ मौत का खेल हुआ था, जो एक पहेली बन गया था. नाजिमा की आखिरी बार मोहम्मद साहिम से बात हुई थी, इसलिए पूछताछ के लिए उसे गांव अमरिवडिय़ा से हिरासत में ले कर थाने लाया गया. 

गांव अमरिवडिय़ा की केतकी और परवीन को भी हिरासत में पहले से थी. इस से गांव के लोग काफी नाराज थे. इस के लिए वे इकबाल अहमद और जाकिरा को दोषी मान रहे थे. गांव के बड़ेबुजुर्ग, साहिम के पिता अब्दुल शाहिद उर्फ नन्हें, केतकी के पिता, परवीन के पिता के अलावा जाकिरा और इकबाल अहमद को अपने साथ ले कर थाना जहानाबाद आ गए.

सभी काफी गुस्से में थे. उन्हें थाने के प्रांगण में बुला कर बिठा दिया गया. उन से एसएचओ संजीव शुक्ला ने कहा कि वे आधा घंटे बैठ जाएं, सारी हकीकत सामने आ जाएगी. मोहम्मद साहिम के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं. उस से सख्ती से पूछताछ शुरू हुई. एसएचओ ने उसे घूरते हुए पूछा, ”साहिम, 12 अप्रैल, 2024 की रात को तुम्हारी नाजिमा से बात हुई थी, बताओ तुम्हारे बीच क्या बातें हुईं?’’ 

साहब, मैं नाजिमा से पिछले 4 सालों से प्यार करता हूं. हम रातों में अकसर मिला करते थे. 12 अप्रैल को नाजिमा ने मुझे साढ़े 9 बजे फोन कर के अपने घर बुलाया था.’’ 

तुम वहां गए?’’

”जी हां, मैं नाजिमा के घर के पास पहुंचा तो 2 लड़कों को मैं ने नाजिमा के घर से निकलते हुए देखा. अंधेरे में मैं उन्हें नहीं पहचान सका, मैं ने उन्हें रुकने को कहा तो वे भाग गए.’’

फिर बोला, ”मैं यह सोच कर गुस्से में भर गया कि जिस नाजिमा को मैं अपनी समझ बैठा था, उस के दूसरे युवकों के साथ अनैतिक रिश्ते हैं. मैं गुस्से में भरा नाजिमा के पास पहुंचा और उस से उन दोनों युवकों के बारे में पूछा. 

नाजिमा सकपका गई, उस ने मुझे कोई जवाब नहीं दिया. उस ने मेरी गुस्से की आग में घी का काम किया. मैं ने नाजिमा की गरदन पकड़ ली और फिर से उन युवकों के बारे में पूछा. नाजिमा ने होंठों पर जैसे ताला लगा लिया था. उस की खामोशी यह इशारा कर रही थी कि वह मेरे लिए वफादार नहीं है. गुस्से में मैं अपने पंजे का दबाव बढ़ाने लगा, जब उस का दम घुट गया और वह बेदम हो कर नीचे गिरी तो मैं घबरा गया. 

”मैं ने उस की धड़कन टटोली, धड़कन रुक गई थी. वह मर गई थी. मैं डर गया. उस को सीधा लिटा कर मैं चुपचाप वहां से निकल भागा. अंधेरा था और गांव में शायद सभी सो चुके थे, मुझे किसी ने नहीं देखा. मैं नाजिमा की हत्या का दोषी हूं, आप मुझे अब जो सजा देना चाहें, दे दीजिए.’’

मोहम्मद साहिम ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था. जाकिरा की ओर से अज्ञात के खिलाफ लिखाई गई रिपोर्ट की धाराएं मोहम्मद साहिम पर लगा कर उसे विधिवत गिरफ्तार कर लिया. एसएचओ संजीव शुक्ला ने वहां आए गांव के लोगों को जब नाजिमा की मौत की सच्चाई बताई तो सभी सन्न रह गए. 

एएसपी विक्रम दहिया को नाजिमा के हत्यारे की गिरफ्तारी की सूचना दी गई तो वह थाने में आ गए. उन्होंने थाने में रोक कर रखे गए कांस्टेबल राजकुमार, परवीन और केतकी को छोडऩे का आदेश दिया, क्योंकि वे तीनों बेकुसूर थे.  विक्रम दहिया ने प्रैस कौन्फ्रैंस बुला कर नाजिमा मर्डर केस का खुलासा किया. दूसरे दिन मोहम्मद साहिम को कोर्ट में पेश कर दिया गया. कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया. 

नाजिमा का शव इकबाल अहमद और जाकिरा को सौंप दिया गया, उन्होंने नम आंखों से अपनी बेटी को दोबारा से कब्र में दफन किया. नाजिमा नादान थी. मांबाप नेपाल कमाने गए तो वह मोहम्मद साहिम से दिल लगा बैठी, जिस का अंजाम उसे मौत के मुंह में ले गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, कथा में केतकी, नाजिमा और परवीन नाम परिवर्तित हैं.

 

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