कुछ लोग इतने अंधविश्वासी होते हैं कि वह ढोंगी बाबाओं से अपना इलाज तक कराने पहुंच जाते हैं. ऐसे ही
राजस्थान के एक कथित बाबा द्वारा मरीज की पथरी अपने मुंह से निकालने की सच्चाई सामने आई तो…
हमारे देश में आस्था के नाम पर अंधविश्वास का खेल सदियों से चला आ रहा है. कहीं सयानेभोपो
झाड़फूंक से लोगों का इलाज करते हैं. कहीं तांत्रिक अपने टोटकों से लोगों की समस्याएं दूर करने का दावा करते हैं, तो कहीं ढोंगी बाबा अपने चमत्कार दिखाते हैं. कहीं फकीर का चोला पहन कर लोगों का दुख दूर किया जाता है. कोई बाबा दरबार सजाता है तो कोई मंदिर की आड़ में इस तरह के काम करता है. कोई मजार पर बैठ कर झाड़ा लगाता है.
यह सिलसिला आज से नहीं बल्कि लंबे समय से चला आ रहा है. कोई तथाकथित भूत उतारने का दावा करता है तो कोई लड़का पैदा होने की दवा देता है. कोई कैंसर की बीमारी का इलाज करने की बात करता है तो कोई वशीकरण मंत्र के नाम पर मुकदमा जीतने और खोया प्यार दिलाने की गारंटी देता है.
कई जगह तो महिलाएं भी ऐसे कथित चमत्कार दिखाती हैं कि अंधविश्वास में डूबे लोग उन की जयजय कार करते हैं. कई जगह तो इलाज के नाम पर पीडि़त पर अत्याचार भी किए जाते हैं. पीडि़त को लोहे की जंजीरों से पीटा जाता है.
विज्ञान के इस युग में ये कथित बाबा और भोपाभोपी आमजन के विश्वास से खिलवाड़ कर रहे हैं. शिकायत होने पर पुलिस और संबंधित विभागों के अधिकारी कभीकभार इन के खिलाफ काररवाई करते हैं. लेकिन ये काररवाई इतनी हल्की होती है कि ढोंगी बाबाओं पर कोई असर नहीं पड़ता. कुछ दिन के बाद ये लोग फिर अपनी दुकान जमा लेते हैं. अपने ही लोगों के माध्यम से ये भक्तों का ऐसा मायाजाल बुनते हैं कि दुखी, पीडि़त लोग इन की चौखट पर माथा टेकने पहुंच जाते हैं और फिर शुरू कर देते हैं आस्था के नाम पर
लोगों को ठगना.
अंधविश्वास की इस कमाई से आजकल दूर देहात के गांव और पहाड़ों में रहने वाले ये कथित बाबा भी हाईटेक हो गए हैं. उन के पास नएनए मौडल के मोबाइल फोन और लैपटाप के अलावा अपने वाहन तक हैं. राजस्थान में ढोंगी बाबाओं की बाढ़ सी आ गई है. कई तो चमत्कारिक तरीके से लोगों का इलाज करने का दावा करते हैं. यहां पर हम ऐसे ही एक कथित बाबा के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनी कथित शक्ति के बल पर किसी भी तरह की पथरी चुटकी में निकालने का दावा करता है.
राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है विश्व प्रसिद्ध सरिस्का बाघ अभयारण्य. इसी अभयारण्य के मुख्यालय के पास भर्तृहरि का समाधि स्थल है. भर्तृहरि मध्य प्रदेश की रियासत उज्जैन के राजा थे. वह न्यायप्रिय और जनसेवक थे. बाद में वह भोगविलास में उलझ गए. जब उन्हें अपनी गलती का पश्चाताप हुआ तो वह राजपाट छोड़ कर जंगलों में चले गए. बाद में उन्होंने सरिस्का के रमणीक जंगलों में समाधि ले ली. फिर वहीं पर उन का विशाल मंदिर बन गया.
भर्तृहरि बाबा के समाधिस्थल के पास इंदौक गांव है. इस गांव में ढोलमजीरे की आवाज के साथ बंदर की तरह कूदने वाला एक बाबा कथित चमत्कार दिखाता है. नारायण मीणा नाम का यह बाबा किडनी और पित्त की थैली की पथरी मुंह से उगलने के नाम पर पिछले करीब 8 सालों से लोगों को बेवकूफ बना रहा है.
अलवर शहर से करीब 32 किलोमीटर दूर इस गांव के एक छोटे से मंदिर पर बाबा हर बुधवार और शनिवार को दरबार लगाता है. बाबा ने आस्था के नाम पर भक्तों का ऐसा मायाजाल बना रखा है कि उस के दरबार में राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से लोग आते हैं. इस कथित बाबा के गोरखधंधे में 8-10 लोग शामिल हैं. ये लोग मरीज की किडनी या पित्त की थैली की पथरी निकालने से पहले बाकायदा अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट ऐसे देखते हैं जैसे वह कोई डाक्टर हों. इस के कुछ देर बाद ही बाबा अपने मुंह से पथरी के नाम से पत्थर उगल देता है.
मजे की बात तो यह है कि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में जितनी पथरी बताई जाती हैं, बाबा उतने ही आकार की और उतने ही पत्थर अपने मुंह से उगल देता है. निर्धारित दिन मरीज जब बाबा के दरबार में पहुंचते हैं तो सब से पहले बाबा के दरबार में अगरबत्ती और प्रसाद चढ़ाने के नाम पर उन से 120 रुपए लिए जाते हैं. यह प्रसाद बाबा के परिवारजन ही मंदिर के बाहर बेचते हैं. इस के बाद बाबा का बेटा प्रत्येक मरीज से नाम पूछता है और उन से 300-300 रुपए लेता है.
फिर सभी मरीजों की कतार लगवा ली जाती है. इस के बाद मजीरे बजते हैं. इन्हीं ढोलमजीरों की तेज आवाज के बीच बंदर की तरह उछलताकूदता हुआ नारायण मीणा नाम का बाबा मंदिर पर पहुंचता है. बाबा मंदिर में कई बार ऐसा दिखावा करता है जैसे कि उस के शरीर में किसी देवता का प्रवेश हो गया है. इस के बाद बाबा मंदिर के चबूतरे पर चुपचाप बैठ जाता है.
बाबा के पास बैठा उस का परिजन मरीज की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देख कर उस से पथरी की संख्या पूछता है. कोई मरीज अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट नहीं लाता तो उस से मुंहजबानी पूछा जाता है कि पथरी कहां और कितनी हैं. इस के बाद रिपोर्ट देखने वाला वह व्यक्ति बाबा को अंगुलियों से इशारा करता है. इस बीच वही व्यक्ति बालों की बनी रस्सी मरीज के शरीर पर उस जगह घुमाताफिराता है. जहां पथरी बताई गई है. फिर बाबा को एक आदमी पानी पिलाता है. इस के बाद बाबा वहां बैठे अपने परिजन के हाथ में थमी हुई थाली में अपने मुंह से छोटेछोटे पत्थर उगल देता है. इन पत्थरों की संख्या उतनी ही होती है, जितनी मरीज ने अपने शरीर में पथरी बताई थीं.
आमतौर पर इन पत्थरों की संख्या एक या 2 होती है. इन पत्थरों को बाबा का परिजन कागज की एक पुडि़या में बांध कर मरीज को दे देता है और कहता है कि ये लो पथरी निकल गई है. पर हाल ही में एक स्टिंग औपरेशन में इस बाबा की करतूत सामने आ गई है. इस स्टिंग औपरेशन में अलवर जिले के राजगढ़ के थाना राजाजी निवासी बबली सैनी का जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराया गया.
अल्ट्रासाउंड में बबली सैनी की दाईं किडनी में 3 और बाईं किडनी में एक पथरी बताई गई. बबली की यह अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देख कर मंदिर में कथित बाबा ने अपने मुंह से पत्थर के 3 टुकड़े उगल कर उसे थमा दिए. इस के बाद बबली सैनी का दोबारा अलवर के जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराया तो उस की दोनों किडनियों में चारों पथरियां मौजूद मिलीं.
स्टिंग औपरेशन में इस कथित बाबा ने एक मीडियाकर्मी को भी अपने मुंह से एक पत्थर का टुकड़ा उगल कर दे दिया जबकि उस मीडियाकर्मी के कोई पथरी नहीं थी. बाबा की करतूत उजागर करने के लिए दरबार में पहुंचे मीडियाकर्मी से जब बाबा के परिजन ने अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट मांगी तो उस ने कहा कि रिपोर्ट घर पर रह गई है. लेकिन पेट में साढ़े 6 एमएम की पथरी है.
इस पर बाबा ने अपने मुंह से पथरी के नाम पर पत्थर का एक टुकड़ा उगल दिया. इन पत्थरों की जांच कराई गई तो ये नदियों में बजरी के साथ निकलने वाले कंकड़ पत्थर निकले. बाबा के इस कथित चमत्कार के पीछे का सच यह है कि उसी के परिवार के 8-10 लोग इस पूरे ढोंग को अंजाम देते हैं. अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देखने के बाद मरीज से पथरी की संख्या पूछ कर बाबा का परिजन इशारे से बाबा को पथरी की संख्या बताता है इसी के साथ दूसरा आदमी उस मरीज के शरीर पर पथरी वाली जगह पर बालों को बनी एक रस्सी घुमाताफिराता है. इसी दौरान बाबा कथित चमत्कार दिखाते हुए अपने मुंह से पथरी के नाम पर उतने ही कंकड़पत्थर उगल देता है.
बाबा दरबार में पहुंचने से पहले अपने मुंह में छोटेछोटे कंकड़पत्थर दबा कर लाता है. इसीलिए पथरी निकालने के ढोंग के दौरान वह किसी से बात तक नहीं करता. जब उस के मुंह में पत्थर खत्म हो जाते हैं. तब वह चादर ओढ़ कर एक तरफ बैठ जाता है. उस चादर की आड में वह फिर से अपने मुंह में पत्थर भर लेता है. पथरी निकालने का दावा करने के बाद बाबा के परिजन उस मरीज को भभूत की एक पुडि़या देते हैं. साथ ही यह भी कह देते हैं कि भर्तृहरि धाम जा कर वहां से एक और भभूत की पुडि़या लेकर पानी में मिला कर पीनी है. इस के बाद भगवान शंकर का जल और दूध से अभिषेक कर के और बंदरों को चने खिलाने हैं.
मछली को गुंथा हुआ आटा और गाय को ढाई किलो दलिया खिलाना है. कन्या को भोजन करा कर दक्षिणा देनी है. फिर चीटिंयों को मीठा आटा डालना है. बाबा का यह कथित चमत्कार सप्ताह में 2 दिन और महीने में 8 दिन चलता है. हर बार मोटे तौर पर 250 से 300 मरीज वहां पहुंचते हैं. इस तरह बाबा का परिवार लोगों को बेवकूफ बनाकर हर महीने करीब 4 लाख रुपए तक ठग रहा है.
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि मानव शरीर में सामान्य तौर पर पथरी पित्त की थैली यानी गाल ब्लेडर और किडनी में बनती है. मैडिकल साइंस में पित्त की थैली की पथरी को आमतौर पर औपरेशन से निकाला जाता है. किडनी की पथरी एवं यूरिनरी सिस्टम, यूरेटर और ब्लेडर की पथरियों का इलाज उन के आकार और स्थान पर निर्भर करता है.
कानूनी रूप से औषधि और जादुई उपचार अधिनियम 1954 आपित्तजनक विज्ञापन तथा औषधि प्रसाधन
अधिनियम 1940 के अंतर्गत जादूटोना, चमत्कार आदि से इलाज करना प्रतिबंधित है. ऐसे मामलों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग सीधे तौर पर काररवाई कर सकता है. पहली बार पकड़े जाने पर 6 महीने तक और दूसरी बार पकडे़ जाने पर एक साल तक की सजा का प्रावधान है. इस अधिनियम में पथरी, अंधता, कैंसर, मिर्गी, डायबिटीज, बहरापन, मोतियाबिंद सहित 54 बीमारियों को शामिल किया गया है. इतना सब कुछ होने के बावजूद कथित चमत्कारी बाबा आस्था के नाम पर लोगों को ठग कर खूब फलफूल
रहा है.