प्रदीप मित्तल का इकलौता बेटा यश मित्तल ग्रेटर नोएडा की बैनेट यूनिवर्सिटी के कैंपस हौस्टल में रह कर बीबीए कर रहा था. एक दिन वह हौस्टल से गायब हो गया. फिर उस की लाश गजरौला के एक खेत में दफन पाई गई. आखिर किस ने की थी यश की हत्या?
यश मित्तल ने दोस्तों के आगे हाथ जोड़े, पैर पकड़े कि अब ऐसी बात नहीं करूंगा. लेकिन उस के दोस्त नहीं माने और उन्होंने रास्ते में ही यश मित्तल की गला दबा कर हत्या कर दी. उस की लाश उन्होंने कार में अपने पैरों तले डाल दी. कोई बोला कि इस की लाश को कहीं फेंक दो तो एक दोस्त ने कहा कि अगर इसे कहीं फेंक देंगे तो जरूर पुलिस का शक हम पर जाएगा और हम लोग पकड़े जाएंगे.
सभी ने यह तय किया कि रचित नागर का तिगडिय़ा भूड़ में घर है, वहीं पर तैवा फैक्ट्री के सामने उस का खेत है. लाश को ले कर सभी खेत पर पहुंच गए. पहले सभी ने खेत पर बैठ कर शराब पार्टी की. उस के बाद उन्होंने 7 फीट गहरा गड्ढा खोद कर दोस्त यश मित्तल के शव को दफन कर दिया. फिर सभी फरार हो गए.
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के औद्योगिक क्षेत्र गजरौला की टीचर्स कालोनी में रहने वाले प्रदीप मित्तल वहीं पर रेलवे ओवर ब्रिज के नीचे इलैक्ट्रोनिक शोरूम चलाते हैं. उन का एक मात्र बेटा यश मित्तल ग्रेटर नोएडा में स्थित बैनेट यूनिर्वसिटी में बीबीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहा था. वह यूनिवर्सिटी के हौस्टल में ही रहता था. 26 फरवरी की शाम 6 बजे कुछ दोस्तों के बुलाने पर यश हौस्टल से बाहर आया. दोस्त उस को स्विफ्ट कार से ले कर चले गए थे. रोजाना की भांति यश मित्तल शाम को अकसर अपने घर फोन करता था, लेकिन उस दिन उस का फोन नहीं आया.
प्रदीप मित्तल ने भी बेटे को फोन किया तो उस का फोन बंद आ रहा था. उन्होंने समझा कि शायद फोन की बैटरी डाउन हो गई या फोन खराब हो गया होगा. ठीक करवाने गया होगा. 27 फरवरी, 2024 की दोपहर तक घर वालों ने यश के फोन आने का इंतजार किया. लेकिन बेटे की काल नहीं आई. फिर अगले दिन शाम साढ़े 5 बजे पिता प्रदीप मित्तल के फोन पर एक मैसेज आया, उस में लिखा था कि अपने बेटे यश मित्तल को अगर जिंदा देखना चाहते हो तो 6 करोड़ रुपयों का तुरंत बंदोबस्त कर लो. हम लोग तुम्हें बाद में फोन करेंगे.
मैसेज पढ़ते ही प्रदीप मित्तल के होश उड़ गए. इस मैसेज का जिक्र प्रदीप ने अपने घर वालों व परिचितों से किया. यश मित्तल के पिता प्रदीप मित्तल कुछ लोगों को साथ ले कर ग्रेटर नोएडा के थाना दादरी पहुंच गए. उन्होंने पुलिस को वह मैसेज दिखाया, जो उन के मोबाइल पर आया था. वह मैसेज पढ़ कर एसएचओ सुजीत उपाध्याय चिंतित हो गए थे. उन्होंने तुरंत ही इस की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दी. मामला किडनैपिंग का था, इसलिए सूचना पा कर ग्रेटर नोएडा के डीसीपी साद मियां खान थाना दादरी पहुंच गए थे. एडिशनल डीसीपी अशोक कुमार भी थाने में आ गए थे. पुलिस अधिकारियों ने एसएचओ प्रदीप मित्तल से बात कर घटना की पूरी जानकारी हासिल की. इस के बाद डीसीपी ने 3 पुलिस टीमों का गठन किया. एक टीम का नेतृत्व वह स्वयं कर रहे थे. इस केस में एसओजी टीम व सर्विलांस टीम को भी लगा दिया.
ग्रेटर नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) के डीसीपी साद मियां खान ने मृतक के पिता प्रदीप मित्तल से पूछा कि तुम्हारी किसी से दुश्मनी तो नहीं है, उस के दोस्तों के नामपते बताओ. प्रदीप मित्तल ने बताया कि साहब हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है. उन्होंने उस के 5 दोस्तों शुभम चौधरी, सुमित, शिवम, रचित और सुशांत की सारी डिटेल्स बता दी. घटनास्थल के पास अपहरण के समय जो फोन नंबर सक्रिय थे, उन सभी की लोकेशन उन्होंने निकलवाई. जांच में पता चला कि एक अनजान नंबर 9457703333 से 41 बार यश मित्तल से बात हुई थी.
उक्त मोबाइल नंबर के आईएमईआई नंबर को ट्रेस किया तो पता चला कि यह फोन जिला अमरोहा के गजरौला कस्बे के गांव तिगडिय़ा भूड़ निवासी रचित नागर इस्तेमाल कर रहा है. इस के बाद ग्रेटर नोएडा पुलिस ने उस के घर दबिश डालने की योजना बनाई. ग्रेटर नोएडा पुलिस सादा कपड़ों में जिला अमरोहा गांव तिगडिय़ा भूड़ निवासी रचित नागर को उठाने उस के घर पहुंची तो पूरे गांव में शोर मच गया कि बदमाश रचित नागर को अपहरण कर ले जा रहे हैं. नोएडा पुलिस को गांव वालों के विरोध का सामना करना पड़ा. थोड़ी देर में आसपास के गांव वाले भी आ गए. इस के बाद ग्रामीण पुलिस टीम को घेर कर हंगामा करने लगे.
गांव वालों ने पुलिस का क्यों किया विरोध
अपना बचाव करने के लिए नोएडा पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी. स्थानीय पुलिस की मदद से लोग शांत हुए. उन्हें पूरी बात बताई गई. इस के बाद पुलिस रचित नागर को पकड़ कर थाना गजरौला ले गई. थाने में रचित नागर से सख्ती से पूछताछ की.
पहले तो वह अपने को बेकसूर बताता रहा, पुलिस ने जब रचित नागर से कहा कि 26 फरवरी, 2024 की शाम तुम ने यश मित्तल को फोन कर के बुलाया था, कालेज के हौस्टल से तुम व तुम्हारा दोस्त उसे स्विफ्ट कार से ले कर गए थे. बताओ, यश मित्तल को कहां ले कर गए थे? वह अब कहां है?
रचित नागर ने डरते हुए बताया कि साहब, यश मित्तल अब इस दुनिया में नहीं है. हम 5 लोगों ने मिल कर उस की हत्या कर दी है. उस का शव गजरौला के गांव तिगडिय़ा भूड़ में स्थित अपने खेत में गड्ढा खोद कर दबा दिया था.
इस के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर 28 फरवरी को यश मित्तल का शव 10 फीट गहरे गड्ïढे से बरामद कर उसे अमरोहा के जिला अस्पताल पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. रचित नागर से उस के साथियों के फोन नंबर ले कर उन्हें सर्विलांस पर लगा दिया. उन की लोकेशन मिलने के बाद 28 फरवरी की रात को पुलिस ने जब 3 संदिग्ध लोगों को घेराबंदी कर ललकारा तो तीनों जंगल की तरफ भाग निकले.
पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए फायङ्क्षरग कर दी, जिस में तीनों लोग घायल हो गए थे. उन के पैरों में गोली लगी थी. जांच में पता चला कि उन तीनों के नाम सुमित, शिवम और सुशांत थे. यह भी यश मित्तल के अपहरण और हत्या में शामिल थे. पुलिस ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया. मौके का फायदा उठा कर मुख्य आरोपी शुभम चौधरी फरार हो गया था.
अमरोहा जिले के गजरौला निवासी प्रदीप मित्तल के परिवार में पत्नी वर्षा मित्तल के अलावा बेटी ईशा मित्तल व छोटा बेटा यश मित्तल था. यह छोटा परिवार हंसीखुशी से रह रहा था. प्रदीप मित्तल के दोनों बच्चे पढऩे में होशियार थे. प्रदीप मित्तल ने बेटी ईशा मित्तल का एडमिशन ग्रेटर नोएडा स्थित बैनेट यूनिवर्सिटी में करा दिया था. वह बीबीए द्वितीय वर्ष की छात्रा थी. यूनिर्वसिटी के कैंपस स्थित हौस्टल में रह रही थी. उन्होंने इकलौते बेटे यश मित्तल का भी एडमिशन बैनेट यूनिवर्सिटी में करवा दिया था. वह भी बीबीए प्रथम वर्ष का छात्र था.
बैनेट यूनिवर्सिटी से पूर्व यश मित्तल की पढ़ाई गजरौला से हुई थी. इसी दौरान यश मित्तल की दोस्ती कुछ सहपाठियों से हो गई थी. दोस्ती इतनी गहरी कि आए दिन वह अपने दोस्तों के साथ पार्टी वगैरह करता रहता था, उक्त पार्टी का जितना भी खर्चा आता था, वह सब यश मित्तल ही उठाता था. यारदोस्त फ्री में अपना शौक पूरा करते थे.
गलत संगत ऐसे ले डूबती है
कुछ लोगों ने यश को पार्टियों में देखा तो उन्होंने उस के पापा प्रदीप मित्तल से शिकायत की और उन्हें आगाह किया कि आजकल आप के बेटे की दोस्ती कुछ ज्यादा ही बदमाश टाइप के लोगों से है, वह बार रेस्तरां में अकसर पार्टी करते रहते हैं. कई बार इन दोस्तों में आपस में भी झगड़ा हुआ था. प्रदीप मित्तल ने बेटे यश को समझाया, ”बेटा, तुम इज्जतदार पिता के बेटे हो. जिन लोगों की संगत तुम कर रहे हो उन का स्वभाव ठीक नहीं है, कई लोगों ने मुझ से तुम्हारी शिकायत की है.’’
इतना सुनते ही यश मित्तल ने कहा, ”ठीक है पापा, अब मैं उन के साथ नहीं जाऊंगा.’’ इस के बाद यश मित्तल ने अपने दोस्तों से दूरी बना ली, जिस कारण उस के दोस्त उस से नाराज हो गए थे. नाराज होना स्वाभाविक था, क्योंकि उन्हें फ्री में पार्टी मिलनी बंद हो गई थी.
यूनिवर्सिटी कैंपस में बने हौस्टल में रहने के बावजूद गजरौला के उस के 5 दोस्तों ने उस का पीछा बैनेट यूनिवर्सिटी तक जारी रखा. वहां भी यश मित्तल दोस्तों को दावत देता रहता. लेकिन पार्टी देना पहले से कम कर दिया था, जिस कारण पांचों दोस्तों को बड़ा नागवार लगा था. घटना से कुछ दिन पहले उस के पांचों दोस्तों ने गजरौला में शराब पार्टी रखी थी. सभी दोस्तों ने मिल कर खूब शराब पी. इस पार्टी में सुमित, सुशांत व शिवम तीनों अमरोहा जिले के गांव सैद नगली के रहने वाले हैं.
शुभम चौधरी और गजरौला निवासी रचित नागर ने यश मित्तल को सबक सिखाने के लिए उस का अपहरण कर उस के पिता से करोड़ों रुपए की फिरौती वसूलने की एक खतरनाक योजना बना ली थी. योजना के अनुसार सुमित, सुशांत, शिवम, शुभम चौधरी व रचित नागर 26 फरवरी, 2024 की शाम को स्विफ्ट कार से गे्रटर नोएडा की बैनेट यूनिवर्सिटी पहुंचे. बैनेट यूनिवर्सिटी से पहले गोल चक्कर पर 3 लोग सुमित सिंह, शिवम सिंह, शुभम चौधरी चाय के ठेले पर रुक गए थे.
कार ले कर रचित नागर और सुशांत बैनेट यूनिवर्सिटी पहुंच गए थे. बता दें कि कुछ माह पहले अमरोहा निवासी प्रिंस का एक्सीडेंट हो गया था. उसी दौरान सुशांत ने उस का मोबाइल फोन पार कर दिया था, वह पुलिस का मुखबिर था. उसी फोन नंबर 9457703333 से सुशांत और उस के साथी यश मित्तल से बात करते थे. इसी फोन से रचित नागर ने यश मित्तल को काल कर के उसे हौस्टल के बाहर बुलाया. यश मित्तल हौस्टल से बाहर आ गया था. उस समय शाम के करीब साढ़े 6 बज रहे थे. रचित नागर ने उस से कहा, ”यार, आज सुशांत का बर्थडे है. नोएडा में ही पार्टी होगी.’’
नोएडा के एक रेस्टोरेंट में तीनों दोस्त गए. उस के बाद वह यश मित्तल से बोले, ”यार, यहां मजा नहीं आएगा. गजरौला चलते हैं.’’ यश ने दोस्तों की बात नहीं टाली. वह उन के साथ कार में बैठ गया. रास्ते में गोल चौराहे पर चाय के ठेले के पास खड़े अन्य दोस्त सुमित, शिवम और शुभम चौधरी को सुशांत ने कार में बैठा लिया. सभी इधरउधर की बातें करते जा रहे थे. उसी समय यश ने जेब से अपना फोन निकाल कर अपने घर वालों से
बात करनी चाही. वह बताना चाह रहा था कि वह घर आ रहा है, लेकिन फोन करने से पहले ही दोस्तों ने उस का फोन छीन लिया. तभी दोस्तों ने उस से कहा, ”यश, अब तू बता हम लोगों की तूने बेइज्जती क्यों की थी कि मैं फ्री में तुम लोगों की पार्टी करता हूं? हम तुझे आज सबक सिखा कर रहेंगे.’’
यश मित्तल ने उन से कहा, ”मैं ने तो मजाक में कहा था. मुझे नहीं पता कि आप लोग इसे दिल पर ले जाएंगे.’’ यश ने इस के लिए दोस्तों से माफी भी मांगी, लेकिन उन दिल नहीं पसीजा और उन्होंने कार में ही गला दबा कर उस की हत्या कर दी, फिर उस की लाश खेत में गड्ïढा खोद कर दफन कर दी.
यश मित्तल के पिता प्रदीप मित्तल का जब बेटे से संपर्क नहीं हो पाया तो उन्होंने इन पांचों दोस्तों से भी बेटे के बारे में पूछा. सभी ने मना कर दिया था. कहा था कि जब से वह नोएडा पढऩे गया है, हमारा उस से ज्यादा मिलनाजुलना नहीं हो रहा. चारों आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेज दिया. इस के बाद पुलिस फरार आरोपी शुभम चौधरी की तलाश में जुट गई. पुलिस के प्रेशर के बाद शुभम ने ग्रेटर नोएडा (गौतमबुद्ध नगर) की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. पहली अप्रैल, 2024 को दादरी पुलिस ने आरोपी शुभम चौधरी को रिमांड पर ले कर पूछताछ की.
शुभम चौधरी ने भी यश की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. उस की निशानदेही पर पुलिस ने उत्तराखंड के जिला नैनीताल के कालाढूंगी के जंगलों से घटना में प्रयुक्त स्विफ्ट कार, मृतक का सिम कार्ड, फिरौती मांगने के लिए इस्तेमाल मोबाइल फोन व गजरौला थानांतर्गत से तिगडिय़ा भूड़ के जंगल से घटना में प्रयुक्त एक फावड़ा बरामद किया. रिमांड अवधि पूरी होने से पहले ही पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित