गुजरात में कारोबार करने गए कारोबारी भानुप्रताप को बंधक बना कर बदमाशों ने 21 लाख रुपए ठगे थे. इस के बाद भानुप्रताप ने भी गुजरात के कारोबारियों को जादुई चश्मा के नाम पर ऐसा ठगना शुरू किया कि…
लालच बुरी बला होती है. यह समझते हुए भी गुजरात के कुछ कारोबारी बदमाशों के चंगुल में फंस कर ‘जादुई चश्मा’ और नेपाल की महारानी के ‘हीरों का हार’ लेने के लिए बदमाशों के चंगुल में फंस जाते थे. बदमाशों ने अपना जाल गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे 3 प्रदेशों में फैला रखा था. गुजरात से शिकार को फंसा कर लखनऊ बुलाया जाता था, फिर उन्हें लखनऊ में रखा जाता था. लाखों की फिरौती देने के बाद भी कारोबारी बदमाशों की पकड़ से आजाद नहीं हो पाता था. बदमाश फिरौती लेने के लिए अमानवीय व्यवहार करते थे. लखनऊ पुलिस ने इन लोगों को पकड़ कर 3 राज्यों में फैले इस ठगी के कारोबार का परदाफाश कर दिया.
‘‘मोटा भाई, यह बात केवल खास लोगों को ही बताता हूं. आप मेरे लिए बहुत खास हो और यह जादुई चश्मा आप के लिए बहुत खास है. आप जैसे लोगों के लिए ही इसे बनाया गया है.’’
भानु ने गुजरात के जूनागढ़ में रहने वाले कारोबारी सुरेशभाई से कहा. ‘‘तुम्हारी बात सही है भाया, पर यह तो बताओ कि तुम्हारे इस खास जादुई चश्मे का राज क्या है? क्याक्या दिखता है इस से?’’ सुरेश ने उत्सुकता से पूछा.
‘‘मोटा भाई, यह पूछो क्या नहीं दिखता. समुद्र के अंदर कहां तेल और यूरेनियम हो सकता है, किसी पुरानी हवेली में कहां खजाना हो सकता है, हीरे की खदानें कहां हैं, यह सब इस जादुई चश्मे से दिख जाता है.’’ भानु ने जादुई चश्मे की खासियत बताते हुए कहा.
‘‘बहुत करामाती चश्मा है यह तो.’’ जादुई चश्मे के गुण सुन कर सुरेश चकित रह गया.
‘‘और नहीं तो क्या मोटा भाई. सालों की मेहनत का नतीजा है. सरकार इसे बाजार में बेचना थोड़े ही चाहती है. इसलिए नजर बचा कर बेचना पड़ रहा है.’’ जादुई चश्मा के बारे में भानु ने ज्यादा जानकारी देते हुए कहा.
‘‘कितनी गहराई तक देख लेता है?’’ सुरेशभाई की उत्सुकता लगातार बढ़ती जा रही थी.
‘‘मोटा भाई, 7 फीट गहराई में तो यह साफ देख लेता है. अगर उस से गहरा कुछ है तो यह सिगनल भेज देता है.’’ भानु ने उस की दूसरी खासियत भी बताई.
‘‘तब तो यह कपड़ों के आरपार भी देख लेता होगा?’’ सुरेशभाई का लालच बढ़ गया था.
‘‘मोटा भाई, एक रुपए में 6 चवन्नी करना चाहते हो तो जादुई चश्मा ले लो फिर देखना क्याक्या दिखता है.’’ सुरेश की उत्सुकता को देख कर भानु ने कहा.
‘‘इस की कीमत तो बताई नहीं?’’
‘‘इस की कीमत तो माटी के भाव जैसी है. केवल एक करोड़ रुपए.’’
‘‘यह तो बहुत ज्यादा है.’’
‘‘ज्यादा नहीं है. एक बार भी इसे लगा कर वह दिख गया जो सब को नहीं दिखता तो कीमत से कई गुना मिल जाएगा.’’
‘‘कुछ भी हो पर एक करोड़ होता तो ज्यादा ही है. कैसे देखने को मिलेगा?’’
‘‘मोटा भाई, ज्यादा लग रहा है तो 2 लोग मिल कर ले लो. आप दोनों को लखनऊ आने का हवाई टिकट करा देता हूं. यहां होटल में रुको, चश्मा देखो और फिर पैसे दे कर ले जाओ.’’ भानु ने मछली फंसती देखी और उसे यकीन हो गया कि अब सौदा हो जाएगा.
‘‘ठीक है भाया, हम और साथी केतनभाई लखनऊ आएंगे, तुम जादुई चश्मा तैयार रखना.’’
भानुप्रताप सिंह बहराइच के केवलपुर का रहने वाला था. सूरत से कपड़े ले जा कर वह नेपाल में बेचने का धंधा करता था. गुजरात में 3 साल पहले काम शुरू करने वाले भानुप्रताप ने सोचा था कि कपड़े बेच कर वह बड़ा कारोबारी बन जाएगा. पर उस की यह धारणा जल्द ही गलत साबित हुई थी. गुजरात में कारोबार करने गए भानुप्रताप सिंह को खुद ठगी का शिकार होना पड़ा था. ठगी करने वाले बदमाशों ने उसे बंधक बना कर 21 लाख रुपए ऐंठ लिए. इतना पैसा देने से उस का पूरा कारोबार डूब गया. यह पैसा उसे कई लोगों से कर्ज ले कर देना पड़ा था.
इस घटना से भानुप्रताप को पता चल गया कि ईमानदारी से कारोबार करना बहुत मुश्किल है. ऐसे में उस ने अब पैसा कमाने के लिए ठगी का धंधा शुरू कर दिया. जिस तरह से वह फंसा था, वैसे ही उस ने भी दूसरों को फंसाना शुरू किया. भानुप्रताप ने बहराइच के रहने वाले जितेंद्र सोनी को अपने साथ लिया और वापस गुजरात पहुंच गया. यहां उस ने कई बेरोजगारों को अपने साथ मिलाया. ये युवक बिना किसी मेहनत के लाखों रुपया कमाना चाहते थे. इन का काम गुजरात में रहने वालों से संपर्क कर उन्हें जादुई चश्मा बेचने का था.
गांधीनगर के रहने वाले कैमिकल कारोबारी भूपेंद्र पटेल को भी इन लोगों ने संपर्क कर जादुई चश्मा खरीदने के लिए कहा. इस के लिए 6 जनवरी को उन्हें लखनऊ बुलाया और बंधक बना कर रख लिया. इस के बाद फिरौती के 15 लाख रुपए वसूल किए. बंधक बना कर भूपेंद्र को कई तरह से यातनाएं दी गईं. बेल्ट से पिटाई और नाखून उखाड़ने तक की यातना दी गई. वह जान बख्श देने की दुहाई देते रहे.
भूपेंद्र घर वालों के संपर्क में थे. किसी तरह से 14 जनवरी को बंधकों के चंगुल से आजाद हो कर अपने घर पहुंचे. लगातार मिली प्रताड़ना से उन का जिस्म बुखार से तप रहा था. अगले ही दिन उन की मौत हो गई. घर वालों को पहले लगा कि बुखार की वजह से मौत हुई है. जब उन का अंतिम संस्कार की तैयारी हो रही था तो घर वालों ने देखा कि उन के नाखून गायब थे. शरीर पर डंडे की पिटाई के निशान दिख रहे थे. भूपेंद्र का मोबाइल खंगालने के बाद पता चला कि वह एक सप्ताह लखनऊ में थे. उन के बैंक खातों से लाखों रुपए निकाले गए थे. पुलिस की छानबीन से पता चला कि जादुई चश्मा लेने के लिए भूपेंद्र ने कई लोगों से ले कर पैसे दिए थे. भानु का गैंग जादुई चश्मा बेचने में लगा हुआ था.
भानु ने खुद को कारोबारी बता कर जानकीपुरम कालोनी में रहने वाले आफाक अहमद से उन के साढ़ू नियाज अहमद का मकान किराए पर लिया, जो सऊदी में रहते हैं. इस के बाद बदमाशों ने जूनागढ़ के दवा कारोबारी सुरेश भाई और सूरत के मयंक भाई और केतन जरीवाला को जादुई चश्मे का झांसा दे कर बुलाया. ये लोग 21 फरवरी को हवाईजहाज से लखनऊ आ गए. पहले उन्हें रेलवे स्टेशन के पास चारबाग इलाके में होटल में ठहराया गया. यहां पर होटल सस्ते मिल जाते हैं.
यहां से इन्हें बंधक बना कर अड्डे पर ले गए. वहां इन लोगों को प्रताडि़त कर के पैसे वसूल करने शुरू किए. बदमाशों ने तीनों से 20 लाख रुपए वसूले. 28 फरवरी को जब इन्हें दूसरे ठिकाने पर ले जाया जा रहा था तो तीनों व्यापारी औटो से कूद कर भाग निकले. सुरेश ने पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया. केतनभाई की लखनऊ के मैडिकल कालेज में 9 मार्च को मौत हो गई. जादुई चश्मा लेने के झांसे में फंसने के बाद व्यापारी को बंधक बना लिया जाता था. इस के बाद रिहाई के लिए उस के रिश्तेदारों से फिरौती मांगी जाती थी. पैसे देने के बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया जाता था. जब मुंहमांगी रकम नहीं मिलती थी तो बदमाश कहते थे कि अगर पैसा नहीं मिला तो 20 से 50 लाख रुपए में उन के गुर्दे का सौदा हो रहा है.
इस से घबरा कर कारोबारी खुद पैसे का इंतजाम करने लगता था. फिरौती की रकम हवाला के जरिए वसूल होती थी. ये लोग खुद को व्यापारी बता कर किराए पर पूरा मकान लेते थे. लोगों को वहीं पर बंधक बना कर रखा जाता था. एक माह में 4 से 6 कारोबारियों से वसूली करने के बाद ये लोग मकान छोड़ देते थे. लखनऊ के जानकीपुरम में गुजरात के 6-7 कारोबारियों को लूटने के बाद इन लोगों ने राजस्थान के राजसमंद जिले में अपना ठिकाना बनाया था. वहां भी 3 लोगों से 15 लाख रुपए वसूल चुके थे. धमकी और यातना से परेशान कारोबारी पैसा दे देते थे.
लखनऊ पुलिस ने इन बदमाशों की तलाश शुरू कर दी थी. एसपी (ट्रांसगोमती) हरेंद्र कुमार की अगुवाई में यह टीम काम कर रही थी. इस टीम को बदमाशों तक पहुंचना आसान काम नहीं था. सब से अहम भूमिका सर्विलांस सेल की थी. कई नंबरों को सामने रख कर छानबीन शुरू हुई. सर्विलांस और स्वाट टीम के एसआई अजय प्रकाश त्रिपाठी, कांस्टेबल विद्यासागर, रामनरेश कनौजिया, मोहम्मद आजम खां और सुधीर सिंह ने लोकेशन ट्रेस करने का काम शुरू किया.
जानकीपुरम थाने के एसआई दयाशंकर सिंह, कांस्टेबल जितेंद्र प्रताप सिंह को राजसमंद के काकरौली थाने की पुलिस को साथ ले कर उदयपुर जाना पड़ा. वहां इन के ठिकाने पर दबिश दी गई. राजस्थान पुलिस को अपनी नाक के नीचे हो रहे अपराध का पता तक नहीं था. जैसे ही लखनऊ पुलिस ने इन्हें पकड़ा, वहां पुलिस ने खुद के गुडवर्क की खबर फैला दी. वहां दबिश देने पर पुलिस को गुजरात के भावनगर के रहने वाले रामजीभाई, आरिफ, राजकोट के भावेश, दिलीपभाई और बहराइच के भानुप्रताप सिंह को पकड़ा गया. इन लोगों ने गुजरात के कच्छ निवासी इरफान, विनोद, सरफराज को पकड़ रखा था.
ये लोग कमरे में रस्सी से जकड़े पड़े थे. इन तीनों को बेरहमी से पीटा गया था. ये लोग बंधकों से 16 लाख रुपए वसूल कर चुके थे. पिटाई से तीनों की चमड़ी उधेड़ी गई थी. इन तीनों ने राजस्थान के राजसमंद जिले के काकरौली थाने में मुकदमा लिखाया. बदमाशों ने सरफराज को गैराज का मालिक समझ कर उठा लिया था. लेकिन वह मैकेनिक निकला. सरफराज को बताया कि उन के पास नेपाल की महारानी का चुराया हुआ हीरों का हार है, जबकि इरफान और विनोद को जादुई चश्मे के झांसे में बुलाया गया था.
इस गिरोह की सफलता पर बात करते हुए पुलिस ने बताया कि पकड़े गए 5 बदमाशों को काकरौली थाने की पुलिस ने मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया. जानकीपुरम थाने में दर्ज एफआईआर की विवेचना कर रहे एसएसआई दयाशंकर सिंह ने पांचों बदमाशों को अपनी कस्टडी में लेने के लिए रिमांड की अरजी दी, लेकिन उन्हें लखनऊ लाने की अनुमति नहीं दी गई. अब बदमाशों को वारंट बी बना कर लखनऊ लाया जाएगा, जिस से आगे की पूछताछ की जा सके.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित