कोलकाता की ट्रेनी डाक्टर के साथ रेपमर्डर की वारदात का हंगामा सड़क से ले कर संसद तक में गूंज उठा. पूरा देश गुस्से में आ गया. सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और सीबीआई की जांच रिपोर्ट के बाद एक साइको दरिंदे संजय राय की हैवानियत का खुलासा हुआ. लेकिन एक बार फिर वही सवाल उठ गया है कि लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा को ले कर सरकार के पास आखिर क्या उपाय है?
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता शहर में आर.जी. कर मैडिकल अस्पताल (राधा गोविंद कर मैडिकल कालेज ऐंड हौस्पिटल) 10 अगस्त की सुबहसुबह सुर्खियों में आ गया था. कुछ घंटे पहले की शांति भंग हो चुकी थी. पूरे शहर में कोहराम मचा हुआ था. गलीनुक्कड़ की चाय की दुकानों पर सुबह के चाय की चुस्कियां लेते लोगों के होंठ और जीभ जलने लगे थे. उन की जुबान अनहोनी घटना की चर्चाओं से छिलने लगी थी.
दरिंदों ने लड़की को रौंद डाला! गैंग रेप! मर्डर! और शासनप्रशासन, सरकार… कानून को लात मारता वहशीपन…हैवानियत…बेखौफ दरिंदगी… आदि से असुरक्षित बेटियों की सुरक्षा को ले कर चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आई थीं. अस्पतालों में सुबह की पहली पाली की ड्यूटी पर जाने को निकले स्वास्थ्यकर्मियों का मन बेचैन था. दिमाग में खलबली मची हुई थी. फूट पडऩे वाले गुस्से का उबाल उठने लगा था. आसमान में सूरज के चढ़ते ही अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गई थीं.
इंडियन मैडिकल एसोसिएशन ने अहम बैठक कर देशव्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी थी…और फिर इस वारदात ने तेजी से पूरे देश को अपनी गिरफ्त में ले लिया. क्या प्रिंट और क्या इलैक्ट्रौनिक मीडिया, इंटरनेट की वेब और सोशल मीडिया में डाक्टरों का गुस्सा उबाल पर आ गया था. मामला अस्पताल की एक 31 वर्षीया ट्रेनी महिला डाक्टर के साथ ड्यूटी के दरम्यान रेप व मर्डर का था. फिर इस पर जो कुछ लगातार होने लगा, उस की तारीखें इस तरह से आम लोगों को अपनी चपेट में लेती चली गईं. इस केस को ले कर पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार पर सवाल उठे. देशभर में लोगों का आक्रोश दिखा.
रेप और मर्डर केस में कब क्या हुआ?
कोलकाता के व्यस्त इलाके में बंगाल सरकार द्वारा संचालित आर.जी. कर मैडिकल कालेज और अस्पताल के इतिहास में 9 अगस्त, 2024 काला दिन साबित हुआ. सुबह साढ़े 9 बजे आर.जी. कर अस्पताल में स्नातकोत्तर प्रथम वर्ष की प्रशिक्षु ने एक डैडबौडी को दूर से देखा. इस की जानकारी उस ने तुरंत अपने सहकर्मियों और सीनियर डाक्टरों को दी. फिर सीनियर डाक्टर्स ने अस्पताल प्रशासन को सूचित कर दिया. प्रशासन अलर्ट हो गया.
सुबह 10 बज कर 10 मिनट पर इस की जानकारी आर.जी. कर अस्पताल के प्रशासन की पुलिस चौकी ने टाला पुलिस थाने को दे दी. आननफानन में पुलिस दल वहां पहुंच गया. शुरुआती जांच में उस ने पाया कि आपातकालीन भवन की तीसरी मंजिल पर स्थित सेमिनार कक्ष में एक महिला अचेत अवस्था में लकड़ी के मंच पर पड़ी है. महिला अर्धनग्नावस्था में है. सूचना मिलने पर मानव की हत्या संबंधित जांच करने वाली होमिसाइड टीम मौके पर पहुंच गई. टीम ने घटनास्थल से सबूत जुटाए. उसी वक्त कोलकाता पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए और उन्होंने फोरैंसिक टीम को बुलाया.
अपराह्नï एक बजे पीडि़ता के मम्मीपापा अस्पताल पहुंच गए. वे पुलिस और अस्पताल के अधिकारियों से मिले. न्यायिक मजिस्ट्रैट की मौजूदगी में शाम सवा 6 बजे डाक्टरों के बोर्ड द्वारा पीडि़ता के शव का पोस्टमार्टम किया गया. उस वक्त भी पीडि़ता के परिवार के सदस्य और सहकर्मी मौजूद रहे और पोस्टमार्टम प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई. उसी दिन रात को 8 बजे डौग स्क्वायड को मौके पर ले जाया गया. घटनास्थल की 3डी मैपिंग की गई. इस दौरान फोरैंसिक टीम ने 40 से अधिक वस्तुओं के जांच के नमूने सुरक्षित रख लिए. उसी वक्त पोस्टमार्टम के बाद शव घर वालों को सौंप दिया गया.
पीडि़ता के पापा की शिकायत पर पुलिस ने रेप और मर्डर की रिपोर्ट दर्ज कर ली. ट्रेनी डाक्टर के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट बेहद डरावनी है. उसे जान कर किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार उस के प्राइवेट पार्ट समेत 14 जगहों पर गंभीर चोटें चीखचीख कर बताती हैं कि पीडि़ता के साथ कई बार बर्बरता की गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्रूरता का खुलासा मृतका के शरीर पर दरजन भर से अधिक चोटों के निशान से होता है. रिपोर्ट के अनुसार मृतका के सिर, गाल, होंठ, नाक, दाहिना जबड़ा, ठोड़ी, गरदन, बायां हाथ, बायां कंधा, बायां घुटना, टखना और प्राइवेट पार्ट पर चोट के निशान मिले. वहीं, शरीर के अंदरूनी हिस्सों में भी चोटें आईं. शरीर के कई हिस्सों में खून के थक्के जमने के साथ फेफड़ों में रक्तस्राव पाया गया. जननांग के अंदर भी सफेद गाढ़ा चिपचिपा तरल पदार्थ मिला. रिपोर्ट बताती है कि दोनों हाथों से गला घोंटने के कारण पीडि़ता की मृत्यु हुई. रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ कि आरोपी ने कई बार पीडि़ता के साथ जबरदस्ती यौनशोषण किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लिया स्वत:संज्ञान
कोलकाता डाक्टर रेपमर्डर के इस मामले से न केवल दिल्ली निर्भया कांड की यादें ताजा हो गईं, बल्कि डाक्टरों की सुरक्षा को ले कर भी सवाल खड़े हो गए. डाक्टरों के संगठनों ने देशव्यापी हड़ताल कर दी. दिल्ली के एम्स तक में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई. सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को गंभीरता से लिया और इस में खुद दखल देेते हुए इस मामले को ‘ट्रेनी डाक्टर के रेप एंड मर्डर केस’ के नाम से लिस्ट किया. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले में 20 अगस्त, 2024 को सुनवाई की.
यानी किसी याचिका के बिना ही सुप्रीम कोर्ट ने ऐक्शन लिया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दखल बहुत महत्त्वपूर्ण बन गया. सुप्रीम कोर्ट ने दोहरी भूमिका निभाई. क्योंकि इस घटना का सीधा असर देशभर के डाक्टरों पर पड़ा. देश के अलगअलग शहरों में डाक्टरों का प्रदर्शन होने और अस्पतालों में इलाज में रुकावट आने से ले कर रेपमर्डर के मामले की निष्पक्ष जांच पर नजर भी रखी गई. उधर पुलिस ने जांच के बाद सिविक वालंटियर संजय राय को गिरफ्तार कर लिया. रेप या गैंगरेप का सही जवाब तलाशने के क्रम में अब बारी थी गिरफ्तार आरोपी सिविक वालंटियर संजय राय के साइको टेस्ट की. सीबीआई ने उसे अपनी कस्टडी में ले कर उस की मनोदशा की जांच के लिए मनोविश्लेषणात्मक प्रोफाइल यानी साइको एनालिटिक प्रोफाइल जांच कराने का फैसला किया था.
बेहद गोपनीय रिपोर्ट से हट कर जो बातें सामने आईं, वह बेहद रोंगटे खड़े करने वाली थीं. साइको रिपोर्ट से आरोपी की न केवल रेप जैसी हरकत का पता चला, बल्कि इस से उस के वहशीपन, दरिंदगी और जानवरों जैसी सोच का भी खुलासा हुआ. सीबीआई के साइको टेस्ट में संजय राय ने लगातार अपने बयान बदले. उस ने कभी खुद को फांसी पर लटकाने की बात कही तो अगले ही पल उस ने अपनेआप को निर्दोष बताया. हालांकि पुलिस की जांच और सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार संजय राय ने अपना अपराध कुबूल कर लिया है. सीबीआई संजय को ले कर आर.जी. कर अस्पताल गई थी और वारदात को रिक्रिएट करवाया था. उस से घंटों पूछताछ की गई थी.
दरअसल, सेमिनार हाल की तरफ जाने वाले सीसीटीवी फुटेज में सिर्फ एक संदिग्ध नजर आया था, वह संजय राय ही था. इस के अलावा कुछ लोग कैमरे में वहां से गुजरते दिखाई देने वाले 3 से 5 मिनट के दरम्यान अपनेअपने वार्ड में जाते या अपनेअपने काम में लगे नजर आए थे, जबकि एकमात्र संजय 40 मिनट से अधिक समय तक सेमिनार हाल में नजर आया था.
ब्लूटूथ ने दिया ठोस सबूत
सेमिनार हाल से बरामद एक नेकबैंड ब्लूटूथ भी एक अहम सबूत बन गया था, क्योंकि उस का कनेक्शन संजय के मोबाइल से पाया गया था. उल्लेखनीय है कि इसी आधार पर वह वारदात के 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार कर लिया गया था. इस पूरे मामले का वह इकलौता आरोपी था, जिसे पूछताछ के लिए 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में ले कर प्रेसिडेंसी जेल भेज दिया गया था. उसे सीबीआई ने 14 अगस्त को जब से अपनी हिरासत में लिया था, तब से जांच में संजय ने खुद को सीबीआई के हाथों से बचाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन आखिरकार सीबीआई के उलझा देने वाले सवालों का जवाब देते हुए उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. और तो और, उस ने रात और सुबह की पूरी कहानी बयां कर दी.
जांच में यह भी पता चला कि पीडि़ता के साथ रेप हुआ था, गैंगरेप नहीं. यानी रेप के मामले में अकेला आरोपी संजय राय ही शामिल था. इसी रेप के दौरान आरोपी ने ही जूनियर डाक्टर का कत्ल किया. इस बाबत सीबीआई ने आर.जी. कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से भी पूछताछ की. वारदात के बाद की तमाम लापरवाहियों की कडिय़ों को जोडऩे के लिए ये पूछताछ महत्त्वपूर्ण बताई गई. जांच और पूछताछ रेप के साथसाथ मर्डर की भी थी, जो हैवानियत को दर्शाने वाली थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, इस केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. आरोपी की दरिंदगी की चौतरफा निंदा हुई.
जांच में पता चला कि आरोपी एक साइको था, जिस ने वारदात से पहले उस रात शराब पी थी, सैक्सवर्कर के बहुचर्चित इलाके सोनागाछी गया था और मोबाइल पर पोर्न वीडियो देखी थी. सीबीआई जांच और पूछताछ के दरम्यान आरोपी संजय के चेहरे पर न डर, न चेहरे पर शिकन दिखाई दी. उस के भीतर छिपे ‘जानवर’ को देख सीबीआई के अधिकारी हैरान रह गए. क्रिएट किए गए क्राइम सीन पर जो कुछ भी हुआ, उसे बताते समय वह बिलकुल भावशून्य दिख रहा था. उस के बारे में तैयार की गई साइकोएनालिटिक प्रोफाइल के अनुसार उस की तसवीर पशुओं जैसी प्रवृत्ति वाली ही दिख रही थी. रेप और मर्डर का आरोपी संजय को सैक्स एडिक्ट बताया गया है. साइको- एनालिस्ट्स की टीम जब उस से पूछताछ कर रही थी, तब उस के माथे पर कोई शिकन तक नहीं थी. जैसे उसे कोई पछतावा नहीं है. वह बेशरमी से अपना पक्ष रख रहा था, जिसे देख कर सीबीआई भी हैरान रह गई.
कोलकाता पुलिस की जांच में पाया गया कि आरोपी घटना वाली रात (8 अगस्त) को रेडलाइट एरिया गया था. वहां वह 2 वेश्यालयों में गया और जम कर शराब पी. जब वहां से निकला तो नशे में धुत था. वेश्यालयों में जाने के बाद आरोपी आधी रात के बाद अस्पताल गया, जहां वह काम करता था. उसी दरम्यान वह सीसीटीवी फुटेज में आ गया था. उसी के आधार पर उसे गिरफ्तार किया गया, जिस में वह सेमिनार हाल में घुसता और निकलता हुआ दिखाई दे रहा था. वहीं पीडि़ता जूनियर डाक्टर सोने के लिए गई थी. अस्पताल से इकट्ठा किए गए सीसीटीवी फुटेज में संजय राय को 8 अगस्त को सुबह 11 बजे के आसपास चेस्ट डिपार्टमेंट के वार्ड के पास देखा गया था. उस समय पीडि़ता 4 अन्य जूनियर डाक्टरों के साथ वार्ड में ही थी. जाने से पहले राय कुछ देर तक उसे घूर भी रहा था.
आरोपी के बारे में सीबीआई ने शहर पुलिस कल्याण बोर्ड के सदस्य और सहायक उपनिरीक्षक अनूप दत्ता से पूछताछ में पता चला कि आरोपी की उन से निकटता थी, जिस से पुलिस बैरक में जाने और आर.जी. कर अस्पताल जैसी संस्था में वह दिन या रात के किसी भी समय स्वतंत्र रूप से घूम सकता था. बताते हैं कि सीबीआई को कथित तौर पर अनूप दत्ता और संजीव राय को साथ में दिखाने वाली कई तसवीरें मिल चुकी हैं. मृतका ट्रेनी डाक्टर के नाम की नेमप्लेट कई दिनों तक उन की चैंबर के बाहर लगी रही. वहां के कर्मचारी उन्हें डाक्टर दीदी कह कर बुलाते थे. उन के बारे में अस्पताल के डाक्टरों ने बताया कि वह खुले विचारों वाली थीं. बहुत अच्छी डाक्टर थीं और इत्मीनान से मरीज की समस्याओं को सुनती थी.
बताते हैं कि कि आर.जी. कर अस्पताल की यह डाक्टर जिस इलाके में रहती थी, वहां भी सप्ताह में 2 से 3 दिन मरीजों का इलाज करती थी. सीबीआई के हाथ लगी पीडि़ता की डायरी के मुताबिक उस ने कई सपने देखे थे, जिसे वह पूरा करना चाहती थी. डायरी के पन्ने पर उस की जिंदगी की दास्तान लिखी हुई है. इस डायरी में उस ने वैसी बातें लिखी हुई थीं, जिन्हें वो जिंदगी में करना चाहती थी. सीबीआई ने डायरी के हैंडराइटिंग की जांच के लिए डायरी एक्सपर्ट को भेज दी. उस की हैंडराइटिंग मिलाने के घर से कुछ नोट्स भी हासिल कर लिए थे, ताकि उस की जांच हो सके.
सुप्रीम कोर्ट ने खड़े किए सवाल
इस केस को ले कर सुप्रीम कोर्ट काफी सख्त थी. उस ने वारदात को ले कर कई सवाल पूछे. कोर्ट ने मामले की लगातार सुनवाई के दौरान दूसरे दिन 22 अगस्त को बचाव पक्ष के वकील कपिल सिब्बल से कई सवाल किए, जिस पर वह हक्काबक्का रह गए. चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने वकील कपिल सिब्बल से कड़े सवाल करते हुए पूछे. इन में एक सवाल अप्राकृतिक मौत का मामला (यूडी केस) दर्ज करवाने के ‘समय’ को ले कर भी था.
दरअसल, सुनवाई शुरू ही हुई थी कि जस्टिस मनोज मिश्रा ने यूडी केस दर्ज कराने की ‘टाइमिंग’ पर सवाल किया. उन्होंने पूछा कि आटोप्सी रिपोर्ट के मुताबिक आटोप्सी 9 अगस्त की रात के 9 बजे की गई थी, फिर अप्राकृतिक मौत का मुकदमा रात को 23.30 यानी 11.30 बजे दर्ज किया गया. ऐसा क्यों? इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि नहीं, 23.30 बजे तो एफआईआर दर्ज करवाई गई थी. थोड़ी देर जस्टिस मिश्रा और सिब्बल के बीच बातचीत हुई, फिर जस्टिस जे.बी. पारदीवाला सिब्बल से पूछताछ करने लगे. उन्होंने कहा कि आप अपने रिकौर्ड के मुताबिक बताइए कि पोस्टमार्टम कब हुआ?
इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि पोस्टमार्टम शाम 6.10 से 7.10 बजे शाम के बीच हुआ. तब जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि जब मामला अप्राकृतिक मौत का नहीं था तो फिर पोस्टमार्टम करवाने की नौबत क्यों आई? दरअसल, जस्टिस पारदीवाला ये कह रहे थे कि बिना अप्राकृतिक मौत के तो पोस्टमार्टम करवाया नहीं जाता? इस का मतलब है कि आप मान रहे थे कि मौत अप्राकृतिक है, तभी तो आप बौडी को पोस्टमार्टम के लिए ले गए. तब सिब्बल कुछ बोलने लगे तो जस्टिस पारदीवाला ने उन्हें टोका. तब सिब्बल ‘सौरी, सौरी’ करने लगे. जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि जब शाम 6.10 से 7.10 बजे के बीच पोस्टमार्टम हो गया तो फिर अप्राकृतिक मौत का केस (यूडी केस) दर्ज करवाने में इतनी देर क्यों हुई? आप ने रात साढ़े 11 बजे यूडी केस क्यों दर्ज करवाया?
इस पर कपिल सिब्बल बोले कि साढ़े 11 बजे तो एफआईआर दर्ज करवाई गई है, यूडी केस नहीं. तब जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि आप के रिकौर्ड के मुताबिक यूडी केस कब दर्ज करवाया गया? इस पर सिब्बल ने कहा कि यूडी केस अपराह्न पौने 2 बजे दर्ज करवाया गया था. तब जस्टिस पारदीवाला ने हैरानी जताई कि आखिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले यूडी केस कैसे दर्ज करवा दिया गया? जब पता ही नहीं कि मामला अप्राकृतिक मौत का है या नहीं तो पहले ही केस कैसे दर्ज हो गया? इस पर कपिल सिब्बल हक्काबक्का रह गए. उन्हें कोई जवाब नहीं सूझा तो यह बोल कर बच निकले कि ऐसा उन्हें बताया गया है.
जस्टिस पारदीवाला ने सिब्बल का पीछा नहीं छोड़ा. उन्होंने कहा कि अगर आप के आफिसर यहां हैं तो उन से पूछ कर बताइए कि सच्चाई क्या है? अगर यही बात है जो आप बता रहे हैं, तब तो यह बहुत खतरनाक है. तब सिब्बल को मजबूरी में सहमति जतानी पड़ी. वो जस्टिस पारदीवाला के इस तहकीकात पर कहने लगे, ‘जी, मैं आप से सहमत हूं.’ उस के बाद औफिसर ने माइक पर आ कर बोलना शुरू किया, ‘मी लार्ड, मैं बताना चाहता हूं…’ तभी न्यायाधीशों ने उन्हें थोड़ी देर रुकने को कहा. जस्टिस पारदीवाला ने सिब्बल से कहा कि वह अपने औफिसर को समझा दें कि सीधासीधा जवाब दें, घुमाफिरा कर नहीं. फिर जस्टिस पारदीवाला ने पूछा, ‘यूडी केस नंबर 861 किस वक्त दर्ज कराया गया?’
इस पर लंबे वक्त तक कोई जवाब नहीं आया तो जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि अगर कुछ गड़बड़ है तो आप सुधार लें, फिर बताएं. इस बीच सौलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमारी रिपोर्ट उसी केस डायरी पर आधारित है, जो उन्होंने हमें दी है. इस पर जस्टिस पारदीवाला ने रोकते हुए कहा कि आप थोड़ा रुकिए, उन्हें हमारे सवालों का जवाब देने दीजिए. फिर देर तक सिब्बल की तरफ से कोई जवाब नहीं आया तो जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि आखिर आप इतना वक्त क्यों ले रहे हैं? डाक्यूमेंट पर जो वक्त लिखा है, वह देख कर बस बता दें. देर तक सिब्बल कुछ नहीं बोल पाए तो जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि अगली सुनवाई में आप किसी जिम्मेदार पुलिस वाले को यहां मौजूद रखिएगा.
यानी कि 9 अगस्त को अस्पताल प्रशासन की तरफ से हुई देरी और लापरवाही को ले कर सुप्रीम कोर्ट ने भी तमाम सवाल उठाते हुए बारबार पूछते रहे कि घटना वाले दिन कब डीडी एंट्री हुई? कब केस डायरी दर्ज हुई? कब एफआईआर लिखी गई? पोस्टमार्टम कितने बजे हुआ? लाश घर वालों को कब सौंपी गई? अंतिम संस्कार कब हुआ? पंचनामा कितने बजे किया गया? पश्चिम बंगाल सरकार और खासकर पुलिस के रवैए से कोर्ट बेहद नाराज नजर आया. चीफ जस्टिस ने कहा, ”आप अपने दस्तावेज में देखें. पुलिस डायरी में एंट्री सुबह 5 बज कर 20 मिनट की है. अस्पताल से पुलिस को सुबह 10 बज कर 10 मिनट पर सूचना दी गई कि एक महिला अर्धनग्न हालत में पड़ी हुई है. मैडिकल बोर्ड ने राय दी कि उस के साथ रेप हुआ और पुलिस की जीडी एंट्री ये पता चलता है कि मौकाएवारदात की घेराबंदी पोस्टमार्टम के बाद की गई.’’
पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष भी शिकंजे में
आखिरकार मैडिकल कालेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष भी सीबीआई के शिकंजे में आ गए. उन के घर और ठिकानों समेत 14 जगहों पर छापेमारी के बाद 25 अगस्त, 2024 को गिरफ्तारी हो पाई. सीबीआई ने उन पर वित्तीय अनियमितता के साथसाथ पीडि़ता को ही दोषी ठहराने का आरोप लगाया है. पीडि़ता के घर वालों ने घोष पर आरोप लगाया कि अस्पताल के प्रिसिंपल (जो उस वक्त संदीप घोष थे) और दूसरे प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें फोन पर बताया कि उन की बेटी ने आत्महत्या कर ली है. उन के खिलाफ एक दिन पहले एफआईआर दर्ज की थी. उस के बाद ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू की गई थी.
इस मामले में पहले कोलकाता में बनाई गई एसआईटी जांच कर रही थी. इस दल को तय सीमा के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपनी थी. इस का नेतृत्व राज्य के पुलिस महानिरीक्षक प्रणव कुमार के जिम्मे थे. जांच से जुड़े एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि कई बार नोटिस भेजे जाने के बाद भी संदीप घोष जांच दल के सामने पेश नहीं हो रहे थे. जबकि उन पर लगे आरोपों की जांच के लिए दल में शामिल सीबीआई के अधिकारी और दूसरे अधिकारी अस्पताल के रिकौर्ड खंगालने लगे थे.
एसआईटी ने 24 अगस्त की सुबह कोलकाता के सीबीआई औफिस जा कर इस केस से संबंधित तमाम दस्तावेज सीबीआई को सौंप दिए. इस से पहले 23 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति राजश्री भारद्वाज की एकल खंडपीठ ने डा. संदीप घोष पर लगे आरोपों की जांच का जिम्मा भी सीबीआई को सौंप दिया था. उस के बाद सीबीआई ने अलग से एक विशेष टीम बनाई. डा. संदीप घोष और अस्पताल प्रशासन की कड़ी आलोचना कलकत्ता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हुई. उन से सीबीआई भी लंबी पूछताछ कर चुकी थी. इस घटना के तुरंत बाद उन्होंने कालेज से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि कुछ घंटे बाद ही उन की नियुक्ति कलकत्ता नैशनल मैडिकल कालेज और अस्पताल में प्रिंसिपल के पद पर हो गई.
संदीप घोष ने अपनी स्कूली शिक्षा कोलकाता के पास बोंगांव हाईस्कूल से पूरी की थी. मैडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल करने के बाद उन्होंने आर.जी. कर मैडिकल कालेज में पढ़ाई की. साल 1994 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की और एक आर्थोपेडिक सर्जन बने. फिर वह 2021 में आर.जी. कर मैडिकल कालेज के प्रिंसिपल बन गए.
इस से पहले उन्होंने कलकत्ता नैशनल मैडिकल कालेज में वाइस प्रिंसिपल के रूप में कार्य किया था. बताते हैं कि वह अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे. एक प्रशासक के तौर पर भी उन का बेहद सम्मान रहा. आर.जी. कर कालेज में प्रिंसिपल के तौर पर कार्यभार संभालने के बमुश्किल 2 साल बाद ही उस कालेज के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने राज्य सतर्कता आयोग में उन के खिलाफ एक शिकायत दर्ज करवा दी थी, जिस में संदीप घोष के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए थे.
इस के बावजूद पिछले एक साल में डा. घोष के खिलाफ कोई ठोस काररवाई नहीं की गई और वह आर.जी. कर मैडिकल कालेज के प्रिंसिपल बने रहे. डाक्टर के मृत पाए जाने के बाद संदीप घोष और अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया को ले कर कोलकाता हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा कड़ी आलोचना हुई. हाईकोर्ट ने कहा कि जब मृतक पीडि़ता अस्पताल में कार्यरत एक डाक्टर थी तो यह आश्चर्यजनक है कि प्रिंसिपल/अस्पताल ने औपचारिक शिकायत क्यों नहीं दर्ज की? यह हमारे विचार में एक गंभीर चूक थी, जिस ने संदेह को जगह दी.
हाईकोर्ट ने उन के इस्तीफे के कुछ घंटों बाद डा. घोष को दूसरे कालेज का प्रिंसिपल नामित करने की राज्य की ममता बनर्जी सरकार की ‘अत्यावश्यकता’ पर भी सवाल उठाया. उन से अब सीबीआई ने लगातार 6 बार पूछताछ की. उन से 5 दिनों में ही 60 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की गई. राज्य सरकार द्वारा भ्रष्टाचार और बलात्कार हत्या पीडि़ता की पहचान को कथित तौर पर उजागर करने के मामले में भी उन की जांच की गई.
पौलीग्राफ टेस्ट में उलझे आरोपी
सीबीआई ने सच जानने के लिए पौलीग्राफ टेस्ट का सहारा लिया. इस के लिए सीबीआई अधिकारियों द्वारा 24 अगस्त को संजय राय के पौलीग्राफ टेस्ट की सभी प्रक्रियाएं पूरी करने के लिए करीब डेढ़ घंटे तक प्रेसीडेंसी जेल में तैयारी की गई. यह टेस्ट आरोपी समेत 7 लोगों के किए जाने हैं, जिस में एक कालेज के पूर्व प्राचार्य संदीप घोष भी हैं. कारण घटना की रात 4 डाक्टर और एक सिविल वालंटियर शामिल था. पौलीग्राफ टेस्ट के दौरान व्यक्ति की ओर से सवालों के जवाब दिए जाने के समय एक मशीन की मदद से उस की शारीरिक प्रतिक्रियाओं की माप की जाती है. इस दौरान आरोपी झूठ बोलता है तो आमतौर पर उस की हृदयगति बढ़ जाती है, रक्तचाप बढ़ जाता है, काफी पसीना आता है, सांस लेने में कठिनाई होती है, त्वचा में कई तरह के बदलाव देखे जाते हैं. इस आधार पर यह पता लगाया जाता है कि वह कितना सच और कितना झूठ बोल रहा है.
हर सवाल को 3 बार पूछा जाता है. आरोपी को हां और न में जवाब देना होता है. यदि जवाब 3 बार का एक ही होता है तो इस का मतलब होता है कि वह झूठ नहीं बोल रहा है और यदि जवाब में अंतर आता है, तब आरोपी के विभिन्न शारीरिक परिवर्तन दिखाई पड़ते हैं. इस जांच की जिम्मेदारी दिल्ली के केंद्रीय फोरैंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) में तैनात ‘पौलीग्राफ’ विशेषज्ञों के एक दल को सौंपी गई है. कथा लिखे जाने तक वे कोलकाता के लिए रवाना हो चुके थे. इस जांच की जरूरत के बारे में सीबीआई का कहना था कि इसे सुप्रीम कोर्ट के कहे जाने के बाद जरूरी समझा गया.
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को कहा था कि स्थानीय पुलिस ने ट्रेनी डाक्टर से बलात्कार और उस की हत्या के मामले को दबाने का प्रयास किया था और जब तक इस की जांच सीबीआई हाथ में आई, तब तक घटनास्थल पर छेड़छाड़ की जा चुकी थी और इस वारदात के खिलाफ देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. पौलीग्राफ जांच में संदीप घोष से सीबीआई के 12 सवाल पूछे, वे सवाल थे जब ट्रेनी डाक्टर का रेप और हत्या हुई उस रात को आप कहां थे? आप को घटना के बारे में किस ने सूचित किया और आप की पहली प्रतिक्रिया क्या थी? आप ने परिवार को सूचित करने का निर्देश किसे दिया था और कैसे? किस ने पुलिस से संपर्क किया?
मम्मीपापा को शव देखने के लिए करीब 3 घंटे तक इंतजार क्यों कराया? चेस्ट मैडिसिन विभाग का साप्ताहिक रोस्टर क्या था? पीडि़त डाक्टर को लगातार 48 घंटे तक काम करने के लिए क्यों कहा गया था? शव मिलने के 2 दिन बाद आप ने इस्तीफा दे दिया? आप ने ऐसा क्यों किया? सेमिनार रूम का बगल वाला हिस्सा क्यों टूटा हुआ है? आप खुद एक डाक्टर हैं? क्या आप को नहीं लगता है कि क्राइम सीन को सुरक्षित रखना जरूरी है, फिर क्यों और किस के कहने पर रिनोवेशन करवाया? आप ने कलकत्ता हाईकोर्ट से सुरक्षा मुहैया कराने को कहा? आप को किस से अपनी जान का खतरा है? क्या रात से गायब ट्रेनी डाक्टर की सुबह 10 बजे तक किसी को जरूरत नहीं पड़ी?
डाक्टर की डेथ की सूचना मिलने पर आप ने इसे आत्महत्या क्यों बताया? डाक्टर के मम्मीपापा से झूठ क्यों बोला गया और देर से एफआईआर क्यों दर्ज कराई? कैसे संजय राय पुलिस की बाइक ले कर जाता था रेड लाइट एरिया? बहरहाल, इस मामले में अभी दूध का दूध और पानी का पानी होना बाकी है. साथ ही पीडि़ता के मम्मीपापा न्याय की उम्मीद लगाए बैठे हैं.