2 बच्चों की मां पूजा संखवार एक नहीं बल्कि 3-3 प्रेमियों के साथ गुलछर्रे उड़ा रही थी. ससुराल वालों ने जब उस पर लगाम लगाने की कोशिश की तो उस ने अपने तीनों प्रेमियों के साथ मिल कर ऐसी खूनी योजना को अंजाम दिया कि…
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पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतक गुरुचरण की उम्र 38 वर्ष के आसपास थी. उस का शव झाडिय़ों के पास पड़ा था. पैरों पर बाइक पलटी पड़ी थी. शव के पास ही शराब का एक क्वार्टर पड़ा था. वह सफेद रंग की कमीज व पैंट पहने था. उस के शरीर पर चोट के निशान थे. शुरुआती जांच में पुलिस को यही लगा कि गुरुचरण की मौत दुर्घटना नहीं है. क्योंकि उस के शरीर पर कोई गंभीर चोट नहीं थी.
सूचना पा कर एसपी (कानपुर देहात) बी.बी.जी.टी.एस. मूर्ति तथा सीओ शिव ठाकुर भी मौका ए वारदात पर आ गए. उन्होंने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. उस दिन जुलाई 2024 की 26 तारीख थी. सुबह से ही आसमान में काली घटाएं छाई थीं. पुरवइया की ठंडी हवा भी चल रही थी. ऐसे सुहावने मौसम में मनकापुर गांव का युवक जसवंत अपने कंधों पर दोनों हाथों से लाठी टिकाए कोई गीत गुनगुनाता हुआ और मस्ती में झूमता हुआ अपने खेत की ओर जा रहा था. वह जैसे ही खेत पर पहुंचा तो उस के मुंह से चीख निकल पड़ी. खेत में झाडिय़ों के पास एक लाश पड़ी थी. उस के पैरों पर बाइक पलटी पड़ी थी. उस ने लाश को गौर से देखा तो उस के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. क्योंकि वह लाश गांव के ही युवक गुरुचरण संखवार की थी.
जसवंत खेत से भागता हुआ गांव आया. उस ने गुरुचरण की लाश खेत में पड़ी होने की सूचना उस के घर वालों को दी. इस के बाद तो घर व गांव में कोहराम सा मच गया. जिस ने भी सुना, वही खेत की ओर दौड़ पड़ा. देखते ही देखते खेत पर लोगों की भीड़ जुट गई. घर वाले भी हांफते हुए वहां पहुंचे. लाश देख कर मृतक की पत्नी पूजा छाती पीटपीट कर रोने लगी. मां रानी देवी भी जवान बेटे का शव देख कर फफक पड़ी. इसी बीच किसी व्यक्ति ने इस की सूचना कानपुर देहात के थाना मंगलपुर पुलिस को दे दी.
एसएचओ संजय कुमार गुप्ता ने इस सूचना से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया. फिर सहयोगी पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. सीओ शिव ठाकुर ने मौके पर मौजूद मृतक के घर वालों से पूछताछ की. मृतक की पत्नी पूजा देवी इस बात से सहमत थी कि उस के पति की मौत दुर्घटना है. लेकिन उस के भाई राजकुमार व मां रानी देवी को शक था कि गुरुचरण की हत्या की गई है. गुरुचरण की हत्या हुई या उस की मौत दुर्घटना में हुई, इस का पता तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही चल सकता था. इसलिए पुलिस ने घटनास्थल की जरूरी काररवाई पूरी कर गुरुचरण के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल माती भिजवा दिया.
राजकुमार ने क्यों जताया भाभी के ऊपर हत्या का शक
शाम 6 बजे एसएचओ संजय कुमार गुप्ता गश्त पर निकलने वाले ही थे, तभी कांस्टेबल अशोक त्रिपाठी मृतक गुरुचरण की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ले कर उन के पास पहुंचा. उत्सुक्तावश संजय कुमार गुप्ता ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ी तो पह चौंक पड़े. क्योंकि रिपोर्ट के अनुसार गुरुचरण की हत्या गला दबा कर की गई थी. गले की हड्डी टूटी पाई गई थी और चोटों का भी उल्लेख था. इस के बाद एसएचओ ने मृतक के भाई राजकुमार को थाने बुलवा लिया. उन्होंने उसे बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार तुम्हारे भाई की हत्या गला कस कर की गई है. क्या तुम्हें किसी पर शक है?
”हां साहब, मुझे भाई गुरुचरण की पत्नी पूजा पर शक है.’’
”वह कैसे?’’ संजय कुमार गुप्ता ने पूछा.
”साहबजी, पूजा बदचलन औरत है. उस के एक नहीं 3-3 युवकों शिवम, गुलाब और विष्णुदयाल के साथ अवैध संबंध हैं. गुरुचरण पूजा के नाजायज रिश्तों का विरोध करता था तथा उसे पीटता भी था. विरोध के कारण ही पूजा ने अपने यारों के साथ साजिश रच कर मेरे भाई को मरवा दिया.’’
इस के बाद एसएचओ संजय कुमार गुप्ता ने राजकुमार की तहरीर पर धारा 103(1), 61(2) भारतीय न्याय संहिता तथा धारा 3(2)(अ) एससी/एसटी ऐक्ट के तहत गुलाब संखवार, पूजा संखवार, शिवम उर्फ ज्वाला तथा विष्णुदयाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और जांच शुरू कर दी. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एसपी बी.बी.जी.टी.एस. मूर्ति ने हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के लिए एक टीम सीओ शिव ठाकुर की निगरानी में गठित कर दी. इस टीम में एसएचओ संजय कुमार गुप्ता, इंसपेक्टर (क्राइम) रजनीश कुमार, एसआई नेम सिंह, हेडकांस्टेबल अशोक त्रिपाठी, निजामुद्ïदीन, सुनील कुमार व महिला कांस्टेबल आरती परिहार को शामिल कीं.
पुलिस टीम ने देर रात नामजद आरोपी गुलाब, शिवम उर्फ ज्वाला व विष्णुदयाल के घरों पर छापा मारा, लेकिन वे फरार थे. शायद उन्हें उन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज होने की जानकारी मिल गई थी. इसलिए वे गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हो गए थे. दूसरे दिन सुबह 11 बजे पुलिस टीम आरोपी पूजा के घर पहुंची. पूजा उस समय घर पर ही थी. पुलिस टीम को देख कर वह त्रियाचरित्र कर जोरजोर से रोने लगी. एसएचओ संजय कुमार गुप्ता ने कहा, ”पूजा, मुझे तुम्हारे साथ पूरी हमदर्दी है. अब रोने से क्या फायदा. रोने से पति तो मिल नहीं जाएगा. तुम्हें पता है कि तुम्हारे पति की हत्या हुई है. इसलिए अब तुम हमारी मदद करो. ताकि हम हत्यारों को पकड़ सकें.’’
पूजा ने आंसू पोंछते हुए बताया, ”साहब, मेरे पति शराबी थे. बीती शाम 7 बजे वह घर से बाइक ले कर निकले थे. फिर रात भर घर नहीं आए. अगले दिन हमें खबर मिली कि उन की लाश खेत में पड़ी है. साहब, अब आप मुझे परेशान क्यों कर रहे हैं. जो कुछ मुझे मालूम था, मैं ने आप को बता दिया. मेरा तो सब कुछ लुट गया है. मैं अपने पति की मौत का सदमा बरदाश्त नहीं कर पा रही हूं. आप लोग पूछताछ कर मुझे क्यों दुखी कर रहे हैं. प्लीज, आप मुझ पर रहम कीजिए.’’
”पूजा, मैं ने सुना है कि तुम्हारा पति तुम्हें मारतापीटता था.’’ संजय कुमार ने पूछा.
”नहीं, यह सरासर गलत है. जब कभी शराब का नशा ज्यादा चढ़ जाता था, तभी मारपीट करते थे.’’
”क्या तुम गुलाब, शिवम व विष्णु को जानती हो?’’ उन्होंने अगला सवाल किया.
”साहब, गुलाब हमारे परिवार का है. बाकी 2 को मैं नहीं जानती.’’ पूजा ने जवाब दिया.
”क्या गुलाब से तुम्हारा नाजायज रिश्ता है?’’
”कैसी बात करते हैं साहब. आप मुझे बदनाम कर रहे हैं. लगता है, आप के किसी ने कान भरे हैं.’’ पूजा तमतमाते हुए बोली.
”देखो पूजा, तुम्हें सब पता है, लेकिन तुम सब कुछ जानते हुए भी सच्चाई बताना नहीं चाहती.’’
तब पूजा ने कहा, ”साहब, मुझे परेशान न करें. मेरी तबीयत ठीक नहीं है.’’
पुलिस चाहती तो पूजा को उसी समय गिरफ्तार कर सकती थी, लेकिन टीम बिना ठोस सबूत के उसे गिरफ्तार नहीं करना चाहती थी. इसलिए पुलिस पूछताछ कर वापस आ गई. गुलाब, शिवम व विष्णुदयाल को पकडऩे के लिए पुलिस टीम ने अनेक स्थानों पर छापे मारे, लेकिन वे हाथ नहीं आए. पुलिस ने मुखबिरों का जाल बिछा दिया. इधर पूजा को आशंका हुई कि पुलिस को सारे रहस्यों का पता लग गया है. वह उसे कभी भी गिरफ्तार कर सकती है. इसलिए गिरफ्तारी से बचने के लिए वह रात में घर से फरार हो गई. उसे अपने आशिकों का ठिकाना पता था. अत: वह भी उन्हीं के साथ छिप गई.
पुलिस टीम को पूजा के फरार होने कीे जानकारी हुई तो पुलिस का शक विश्वास में बदल गया. इस के बाद पुलिस टीम सतर्क हो गई. अब आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए टीम ने अकबरपुर, झींझक, रूरा आदि स्थानों पर छापा मारा. लेकिन आरोपी गिरफ्त में नहीं आए. 31 जुलाई, 2024 की सुबह 6 बजे एसएचओ संजय कुमार को मुखबिर के जरिए सूचना मिली कि सभी आरोपी रेलवे स्टेशन झींझक रोड तिराहा के पास मौजूद हैं. पूजा भी उन के साथ है. इस सूचना पर संजय कुमार गुप्ता पुलिस टीम के साथ झींझक रोड तिराहा पर पहुंच गए और गुलाब, शिवम, विष्णुदयाल को हिरासत में ले लिया. पूजा ने घूंघट निकाल कर भागने का प्रयास किया, लेकिन महिला सिपाही आरती परिहार ने उसे दबोच लिया. सभी को थाने लाया गया.
जब उन सभी से गुरुचरण की हत्या के संबंध में पूछताछ की गई तो सभी ने सहज ही हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. जिस गमछे से आरोपियों ने गुरुचरण का गला घोंटा था, उन्होंने वह गमछा भी बरामद करा दिया, जिसे उन्होंने संदलपुर स्थित बंबा की झाडिय़ों में छिपा दिया था. केस का खुलासा होने पर पुलिस सभागार में एसपी तथा सीओ ने भी आरोपियों से पूछताछ की. पुलिस जांच में एक ऐसी औरत की कहानी सामने आई, जिस ने देह सुख पाने के लिए अपने पति के साथ घात कर अपनी ही मांग का सिंदूर मिटा दिया.
उत्तर प्रदेश के कानपुर (देहात) जनपद के थाना मंगलपुर के अंतर्गत आता है एक गांव मनकापुर. इसी गांव में रामप्रकाश संखवार अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी रानी देवी के अलावा 2 बेटियां तथा 2 बेटे गुरुचरण व राजकुमार थे. रामप्रकाश किसान था. कृषि उपज से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. रामप्रकाश की तमन्ना थी कि वह दोनों बेटों को पढ़ालिखा कर योग्य बना दे ताकि वह अपने पैरों पर खड़े हो जाएं, लेकिन उस की यह तमन्ना पूरी न हो सकी. कारण, गुरुचरण व राजकुमार का मन पढ़ाई में लगता ही नहीं था. फिर वह पिता के साथ किसानी करने लगे. बेटों का साथ मिला तो रामप्रकाश की गृहस्थी ठीक से चलने लगी.
पत्नी से गुरुचरण की क्यों शुरू हुई कलह
गुरुचरण अब तक 20 वर्ष का हो चुका था. अत: रामप्रकाश ने जून, 2012 में उस का विवाह पूजा देवी के साथ कर दिया. पूजा सांवले रंग की जरूर थी, लेकिन शरीर मांसल व नैननक्श आकर्षक थे. इसलिए रामप्रकाश व उस की पत्नी रानी देवी ने पूजा को अपने बेटे के लिए पसंद कर लिया था. पूजा के कामकाज से जहां सासससुर खुश थे तो वहीं गुरुचरण भी उस से संतुष्ट था. शुरूशुरू में शारीरिक आकर्षण होता ही है. अत: उन दोनों ने भी प्यार से जिंदगी की शुरुआत की.
धीरेधीरे 5 साल बीत गए. इन 5 सालों में पूजा एक बेटे और एक बेटी की मां बन गई. गुरुचरण खेतीकिसानी में जो कमाता था, वह अपनी ही फैशनपरस्ती पर खर्च कर देता था. उसे न तो बच्चों की परवरिश की चिंता थी और न ही पत्नी की. पूजा को अपनी जरूरतों के लिए सास रानी देवी के आगे हाथ फैलाने पड़ते थे. सास कभी तो उसे पैसे दे देती, कभी ताना भी कसती, ”मेरे आगे हाथ क्यों फैलाती है, अपने खसम से पैसे क्यों नहीं मांगती?’’
सास के ताने से पूजा तिलमिला उठती. उसे पति पर भी खूब गुस्सा आता. लेकिन वह मन मसोस कर रह जाती. पूजा को अब बच्चों की परवरिश की चिंता कुछ ज्यादा ही सताने लगी थी, लेकिन पति का रवैया पहले जैसा ही रहा. पूजा अब और अधिक तंगहाली बरदाश्त नहीं करना चाहती थी. इसलिए इस बाबत उस की पति से तूतूमैंमैं होने लगी थी. दोनों के बीच भरोसा भी टूट गया था. पतिपत्नी के बीच स्थापित भरोसे की बुनियाद का ढहना, दांपत्य जीवन की सब से दुखद त्रासदी होती है. इस से गुरुचरण का परिवार भी अछूता नहीं रहा. कलह ने उस के घर में पैर पसार लिए थे. आए दिन पतिपत्नी एकदूसरे से लड़तेझगड़ते नजर आते थे.
ऐसे माहौल में एक बुराई और घर में घुस आई, वह थी गुरुचरण की शराबखोरी. गुरुचरण जब शराब पी लेता था तो उस में हैवान समा जाता था. वह पूजा को इतना पीटता था कि पड़ोसियों का कलेजा दहल जाता था. एक बार तो उस ने पूजा को घर से भी खदेड़ा था. पर पूजा थी कि सब कुछ सह लेती थी. इन्ही दिनों गांव के एक शादी समारोह में पूजा की मुलाकात शिवम उर्फ ज्वाला से हुई. वह पड़ोसी गांव जरिहां का रहने वाला था. पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे के प्रति आकर्षित हुए. उस के बाद उन की मुलाकातें चोरीछिपे होने लगीं. चूंकि शिवम उर्फ ज्वाला शरीर से हट्टाकट्टा व जवान था. इसलिए पूजा भी उस पर फिदा हो गई.
उस के बाद जल्द ही दोनों के बीच अवैध रिश्ता बन गया. वह चोरीछिपे शारीरिक भूख मिटाने लगे. संबंध कायम होने के बाद शिवम पूजा की आर्थिक मदद करने लगा. साथ ही उस की डिमांड भी पूरी करने लगा. पूजा ने अब पति से दूरियां बना ली थीं और आशिक शिवम की बांहों में झूलने लगी थी. लेकिन कुछ ही समय बाद पूजा और शिवम के अवैध रिश्तों की चर्चा मोहल्ले में होने लगी तो गुरुचरण के कान खड़े हो गए. उस ने इस बाबत पूजा से सवालजवाब किया तो वह साफ मुकर गई. झूठ बोलने पर गुरुचरण ने उस की जम कर पिटाई की और उस पर नजर रखनी शुरू कर दी. इस का नतीजा यह हुआ कि दोनों का मिलन बंद हो गया. इस के बाद दोनों बेचैन रहने लगे. इसी बीच शिवम उर्फ ज्वाला ने पूजा को फुसलाया और साथ भाग चलने को कहा. पूूजा इश्क में अंधी हो चुकी थी, इसलिए वह शिवम के साथ जाने को राजी हो गई. वह शिवम के साथ महाराष्ट्र भाग गई. वह 2 माह तक महाराष्ट्र में रही, फिर वापस गांव आ गई.
एक बार बहकने के बाद क्यों नहीं संभल पाई पूजा
गुरुचरण पूजा को घर में रखना नहीं चाहता था, लेकिन मां के समझाने व बच्चों की खातिर वह उसे रखने को राजी हो गया. वापस आने के बाद पूजा कुछ समय तो ठीक से रही, उस के बाद वह फिर से शिवम से मिलने लगी. शिवम को ले कर अकसर दोनों में झगड़ा होता और वह पूजा की पिटाई करता. कई बार शिवम से भी उस की रार हुई. कहते हैं औरत एक बार फिसल जाए तो वह फिसलती ही जाती है. पूजा के साथ भी ऐसा ही हुआ. पूजा की आशिकी शिवम से अभी चल ही रही थी कि पूजा की नजर पड़ोसी युवक गुलाब संखवार पर पड़ी. 20 वर्षीय गुलाब गबरू जवान था. पारिवारिक रिश्ते में वह पूजा का चचेरा देवर था. उस का पूजा के घर आनाजाना था. पूजा का उस पर दिल आया तो वह उस पर डोरे डालने लगी.
चूंकि उन के बीच देवरभाभी का रिश्ता था, इसलिए पूजा गुलाब से हंसीमजाक व छेड़छाड़ भी करने लगी. गबरू जवान गुलाब को भी पूजा की बातों में रस आने लगा था. वह भी पूजा को चाहने लगा था. अत: जल्द ही दोनों के बीच शारीरिक रिश्ता बन गया.
गुलाब को अब जब भी मौका मिलता तो वह पूजा के साथ मौजमस्ती करता. चूंकि गुलाब पूजा से कम उम्र का था, सो पूजा को उस से ज्यादा ही लगाव हो गया. गुलाब का एक साथी था विष्णुदयाल. वह पड़ोस के गांव फरीदपुर निटर्रा का रहने वाला था. शराब ठेके पर अकसर उन दोनों की मुलाकात होती थी. दोनों साथ बैठ कर पीते थे. गुलाब ने एक दिन शराब के नशे में विष्णुदयाल को पूजा के बारे में बताया और कहा कि यदि वह चाहे तो वह पूजा के साथ ऐश कर सकता है.
विष्णुदयाल की दोस्ती शिवम से भी थी. शिवम और पूजा के अवैध रिश्तों की जानकारी भी उसे थी. इसलिए जब गुलाब ने पूजा के साथ ऐश की बात की तो वह राजी हो गया. इस के बाद गुलाब ने विष्णुदयाल की भी दोस्ती पूजा से करवा दी. अब पूजा अपने 3 आशिकों की बांहों में झूलने लगी, लेकिन वह गुलाब को ही ज्यादा तवज्जो देती थी. वह उस के साथ घर बसाने के सपने देखने लगी थी. एक शाम ठेके पर शराब पीने के दौरान गुरुचरण को उस के एक शराबी साथी ने चेताया, ”गुुरुचरण, शराब में इतना मत डूब जाओ कि घर ही बरबाद हो जाए. आजकल तुम्हारे परिवार का लड़का गुलाब तुम्हारी बीवी के साथ गुलछर्रे उड़ा रहा है. उसे रोको, वरना हाथ मलते रह जाओगे.’’
साथी की बात सुन कर गुरुचरण का माथा ठनका. देर शाम वह घर लौटा तो गुलाब उस के घर में मौजूद था. गुलाब पर नजर पड़ते ही उस के तनबदन में जैसे आग लग गई. उस ने गुलाब से तो कुछ नहीं कहा, पर तड़ाक से पूजा के गाल पर थप्पड़ जड़ दिया. वह उस के बाल पकड़ कर खींचने ही वाला था कि गुलाब ने उसे झपट कर दूर ढकेल दिया.
”खबरदार! जो अब पूजा भाभी को हाथ लगाया.’’ गुलाब गुर्रा उठा.
”हरामजादे, तेरी यह मजाल. तू होता कौन है मेरे और मेरी बीवी के बीच बोलने वाला. यह मेरी बीवी है. मैं इसे खूब मारूंगा.’’ कहते हुए गुरुचरण गुलाब से गुंथ गया. किसी तरह पूजा ने उन दोनों को अलग किया. फिर गुलाब चला गया.इस घटना के बाद गुरुचरण चोरीछिपे पूजा की निगरानी करने लगा था. वह पूजा को रंगेहाथ पकडऩा चाहता था. एक रोज सुबह गुरुचरण बाइक से अकबरपुर कस्बा जाने और देर रात तक लौटने को कह कर घर से चला गया. पूजा उस की तरफ से बेफिक्र हो गई.
पूजा प्रेमी के साथ कैसे पकड़ी गई रंगेहाथ
दोपहर को अचानक ही गुरुचरण लौट आया. वह उढ़के हुए किवाड़ खोल कर दबे पांव अंदर दाखिल हुआ. कमरे का नजारा देख कर उस का खून खौल उठा. पूजा और गुलाब आलिंगनबद्ध लेटे हुए थे. उस पर नजर पड़ते ही गुलाब तो भाग खड़ा हुआ. फिर गुरुचरण ने लातघूंसों से पूजा की जम कर पिटाई की. पूजा ने रोरो कर पूरा मोहल्ला इकट्ठा कर लिया. उस रोज पूरा मोहल्ला जान गया कि पूजा और गुलाब के बीच नाजायज रिश्ता है.
गुरुचरण का भाई राजकुमार पूजा की बदचलनी के बारे में जानता था. उस ने उसे समझाने का भी प्रयास किया. लेकिन वह नहीं मानी. राजकुमार सख्ती से इसलिए पेश नहीं आया कि कहीं वह उस पर ही कोई इलजाम न लगा बैठे. रंगेहाथ पकड़े जाने के बाद गुरुचरण पूजा और गुलाब पर कड़ी नजर रखने लगा. जिस दिन गुलाब घर के आसपास दिख जाता तो वह गुलाब को खूब गालियां बकने लगता. कभीकभी तो मारपीट भी हो जाती. कड़ी निगरानी की वजह से अब पूजा और गुलाब का मिलन बंद हो गया. अब दोनों फोन पर ही बात करते थे और दिल की लगी बुझाते थे. पूजा को मोबाइल फोन व सिम गुलाब ने ही दिया था. मौका पा कर ही वह गुलाब से फोन पर बात करती थी.
एक रोज दोपहर को गुलाब को पता चला कि गुरुचरण घर से बाहर है तो गुलाब हिम्मत जुटा कर पूजा के पास जा पहुंचा. पूजा अपनी चारपाई पर लेटी हुई बारबार करवटें बदल रही थी. उस की बेचैनी भांप कर गुलाब ने पूछा, ”पूजा भाभी, तुम्हारी तबियत ठीक नहीं है क्या?’’ पूजा उठ कर बैठ गई. वह कुछ देर तक गुलाब के चेहरे पर नजर गड़ाए रही, फिर सपाट स्वर में बोली, ”गुलाब, तुम मुझ से प्यार करते हो न?’’
”अरे भाभी, यह भी कोई पूछने की बात है?’’ गुलाब भी उठ बैठा, ”तुम्हें मेरे प्यार पर भरोसा नहीं है क्या? मेरी चाहत में कहीं कोई खामी नजर आई तुम्हें?’’ उस ने पूजा का चेहरा अपने हाथों में थाम लिया.
”नहीं गुलाब, मुझे तुम पर पूरा भरोसा है लेकिन…’’
”लेकिन क्या भाभी?’’
”हम इस तरह कब तक मिलते रहेंगे गुलाब? जब तक वह हरामी जिंदा है, मैं तुम्हारी पत्नी तो नहीं बन सकती.’’
”तुम्हारा मतलब गुरुचरण..?’’
”हां, मेरा पति तो वही है. तुम्हारा और मेरा रिश्ता तो नाजायज ही है.’’
”तो फिर?’’
”कुछ करना पड़ेगा गुलाब. अगर तुम साथ दो तो…’’
”तुम बोलो तो सही. मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करने को तैयार हूं.’’
”तो सुनो मेरी बात.’’ वह गुलाब को अपनी ओर खींच कर उस के कान में कुछ फुसफुसाने लगी.
इस के बाद गुलाब ने पूजा के प्रेमी शिवम उर्फ ज्वाला के साथ मिल कर गुरुचरण की हत्या की योजना बनाई. गुरुचरण शिवम व पूजा के देह मिलन में रोड़ा बनता था, सो वह उस की हत्या करने को राजी हो गया. योजना बनी कि देर शाम गुरुचरण को खेत पर शराब पीने के बहाने बुलाया जाए, फिर मौत की नींद सुला देंगे. लेकिन समस्या यह थी कि शराब के लिए उसे किस के जरिए बुलाया जाए. क्योंकि गुलाब व शिवम से तो वह खुन्नस खाता था और देखते ही भड़क जाता था. काफी सोचविचार के बाद गुलाब को फरीदपुर निटर्रा निवासी विष्णुदयाल का नाम याद आया. वह गुरुचरण का साथी था. वह उस के साथ कई बार जाम से जाम टकरा चुका था.
पूजा ने प्रेमियों के साथ क्यों उजाड़ा सुहाग
गुलाब और शिवम ने उस से बात की तो विष्णुदयाल ने साफ मना कर दिया. इस पर गुलाब ने पूजा से बात की. पूजा ने विष्णुदयाल को मिलन का लालच दे कर राजी कर लिया. उस के बाद शिवम, गुलाब व विष्णुदयाल ने कान से कान जोड़ कर गुरुचरण की हत्या की पूरी रूपरेखा तैयार की और जानकारी पूजा को भी दे दी. 25 जुलाई, 2024 की शाम 6 बजे विष्णुदयाल मनकापुर गांव के बाहर खेत में पहुंच गया. उस के हाथ में शराब का क्वार्टर भी था. वहीं से उस ने गुरुचरण से मोबाइल फोन पर बात की और शराब पीने के लिए गांव के बाहर खेत पर बुलाया. शराब का शौकीन गुरुचरण अपनी बाइक से शाम 7 बजे पहुंच गया. गुरुचरण व विष्णुदयाल आपस में बात कर शराब पीने लगे.
अभी आधा घंटा ही बीता था कि गुलाब व शिवम भी वहां आ गए. गुलाब व शिवम को देख कर गुरुचरण का पारा चढ़ गया. वह उन दोनों को गाली बकने लगा. इसी समय उन तीनों ने गुरुचरण को दबोच लिया और उसे मारनेपीटने लगे. जान जोखिम में देख गुरुचरण छूटने का प्रयास करने लगा. तभी विष्णुदयाल ने गुरुचरण के पैर दबोच लिए और गुलाब तथा शिवम उस का दोनों हाथों से गला कसने लगे. लेकिन वह मरा नहीं. तब उन लोगों ने उस के गले में पड़ा गमछा निकाला फिर उसी गमछे से उस का गला घोंट दिया.
हत्या करने के बाद गुलाब, शिवम व विष्णुदयाल ने गुरुचरण के शव को झाडिय़ों के समीप घूरे के ढेर के पास फेंक दिया. उस की बाइक पैरों पर उलट दी ताकि लगे मौत दुर्घटना से हुई है. शव को ठिकाने लगाने के बाद गुलाब ने फोन के जरिए पूजा को सूचना दी कि उस के पति का काम तमाम हो गया है. फिर तीनों फरार हो गए. अगले दिन 10 बजे मंगलपुर पुलिस को मनकापुर गांव के बाहर खेत पर गुरुचरण की लाश पड़ी होने की सूचना मिली. लाश को कब्जे में ले कर जांच शुरू की. जांच में अवैध रिश्तों में हुई मौत का खुलासा हुआ.
पूछताछ करने के बाद पहली अगस्त, 2024 को पुलिस ने हत्यारोपी शिवम उर्फ ज्वाला, गुलाब संखवार, पूजा संखवार व विष्णुदयाल को कानपुर देहात की माती कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित