रौतू का राजफिल्म में मसूरी (उत्तराखंड) के छोटे से गांव रौतू की बेली की कहानी है. यहीं के दिव्यांग बच्चों के स्कूल सेवाधाम में वार्डन संगीता की हत्या हो जाती है. इंसपेक्टर दीपक नेगी को जांच का अनुभव न होने के कारण यह केस लगातार उलझता जाता है. फिर बाद में जो नतीजा निकलता है, वह इतना चौंकाने वाला होता है कि…

कलाकार: नवाजुद्ïदीन सिद्ïदीकी, राजेश कुमार, नारायणी शास्त्री, अतुल तिवारी, अनूप त्रिवेदी, विक्की दत्त, समृद्धि चंदोला, प्रथम राठौर, कैलाश कंडवाल, संदीप शर्मा, दृष्टि गावा, कृतिका पवार, अनिल रस्तोगी, परिमल आलोक, प्रीति सूद, रिया सिसौदिया.

लेखक: शरीक पटेल, आनंद सुरपुर, प्रोड्ïयूसर: उमेश के.आर. बंसल, आनंद, सुरपुर और चिंटू श्रीवास्तव

निर्देशक: आनंद सुरपुर

रौतू का राजएक मर्डर मिस्ट्री फिल्म है. रौतू की बेली उत्तराखंड के एक हिल स्टेशन मसूरी का एक छोटा सा गांव है, जहां का पनीर काफी प्रसिद्ध है. यह एक काफी छोटा गांव है, जहां पर 650-700 लोग ही रहते हैं. पहाड़ों में कभी भी हत्या जैसे अपराध नहीं होते हैं, इस का कारण यह है कि लोग अपने कामधंधों में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन को लडऩेझगडऩे का समय ही नहीं है.

उत्तराखंड के इस गांव में चल रहे एक ब्लाइंड स्कूल में अचानक से एक महिला वार्डन की मौत हो जाती है. वार्डन की मौत शुरू में नैचुरल डेथ लगती है, लेकिन बाद में यह घटना पूरे इलाके में एक चर्चा का विषय बन जाती है. उस के बाद यह घटना नैचुरल डेथ और मर्डर के बीच में बुरी तरह से उलझ जाती है. इस केस का जांच अधिकारी दीपक नेगी इस गुत्थी को सुलझाने के लिए अपनी टीम के साथ निकल पड़ता है. मर्डर का शक ब्लाइंड स्कूल के ट्रस्टी पर भी जाता है. जांच करने के दौरान ही यह पता भी चलता है कि इस स्कूल से पायल नाम की एक लड़की भी मिसिंग है.

जैसेजैसे आप दूसरे भाग में पहुंचते हैं, यह और भी ज्यादा मनोरंजक होता चला जाता है. इस फिल्म में वास्तविक जीवन के दृष्टिहीन पात्रों को पेश किया गया है, जो पलक झपकते ही दिखाई देते हैं, जिस से विश्वसनीयता बनी रहती है. रौतू का राजथ्रिलर मूवी की शुरुआत में थाने के एसएचओ दीपक नेगी (नवाजुद्ïदीन सिद्ïदीकी) को देखते हैं, जो उस गहरी नींद में एक लड़की का सपना देख रहा होता है, तभी उस के मोबाइल फोन की घंटी बजती है तो वह फोन उठाता है. यह फोन एसआई नरेश डिमरी (राजेश कुमार) का होता है, जो उसे बताता है कि सेवाधाम स्कूल की वार्डेन संगीता (नारायणी शास्त्री) की अकस्मात मौत हो गई है. 

क्या छिपा था वीडियो में

यह खबर सुनते ही इंसपेक्टर दीपक नेगी (नवाजुद्ïदीन सिद्ïदीकी), कांस्टेबल राजेंद्र त्रिपाठी (अनूप त्रिवेदी) के साथ घटनास्थल पर निकल पड़ता है. सेवाधाम स्कूल के सभी छात्रछात्राएं मूक, बधिर और दृष्टिहीन होते हैं, इसलिए एसआई नरेश डिमरी स्कूल के स्टाफ से शुरुआती पूछताछ शुरू कर देता है. वहां पर स्कूल की सहायक वार्डन हेमा (प्रीति सूद) पुलिस को सारी डिटेल्स बताती है. तभी वहां पर कालेज के प्रिंसिपल का असिस्टेंट त्रिजुगी सेमवाल (गौतम शर्मा) एसआई नरेश डिमरी को एक वीडियो सौंप देता है, जिस में उस घटना की वीडियो रिकौर्ड थी. जब स्कूल के स्टाफ ने दरवाजा तोड़ कर प्रवेश किया था. 

पूछताछ के दौरान पुलिस को यह बात भी पता चलती है कि मृतका संगीता इस स्कूल में पिछले 7 वर्षों से कार्य कर रही थी और उस की नियुक्ति सेवाधाम स्कूल के ट्रस्टी मनोज केसरी ने की थी. सारी पूछताछ करने के बाद एसआई नरेश डिमरी संगीता की लाश का पंचनामा बना कर पोस्टमार्टम के लिए भेजने लगता है तो सेवाधाम का प्रिंसिपल विश्वनाथ कुमाई (कैलाश कडवा) नरेश डिमरी को बताता है कि जब संगीता की मौत नैचुरल है तो डैडबौडी को पोस्टमार्टम के लिए भेजना बिलकुल भी उचित नहीं है. लेकिन प्रिंसिपल की बात को सुन कर एसआई नरेश डिमरी कहता है कि अब तक की जांच में यह मामला मर्डर का ही लग रहा है, इसलिए आगे की जांच के लिए लाश का पोस्टमार्टम कराना जरूरी है. यह सुन कर प्रिंसिपल विश्वनाथ चुप हो जाता है.

इस बीच घटनास्थल पर एसएचओ दीपक नेगी पहुंच जाता है और वह एसआई नरेश डिमरी को संगीता के कमरे की अच्छी तरह से जांच करने को कहता है और फिर संगीता के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया जाता है. अब एसआई नरेश डिमरी एसएचओ दीपक नेगी को बताता है कि मृतका संगीता और कालेज के ट्रस्टी मनोज केसरी के बीच काफी वर्षों से प्रेम संबंध थे. मौकाएवारदात से मृतका संगीता का मोबाइल फोन भी मिसिंग है. अब एसएचओ दीपक नेगी समझ जाता है कि यह एक साधारण मौत नहीं, बल्कि मर्डर का मामला है.

अगले दृश्य में एसएचओ दीपक नेगी एक चाल खेलता है और वह नरेश डिमरी को संगीता की डैडबौडी जल्दी रिलीज करने को कहता है ताकि कालेज के स्टाफ को यह लगे कि मजबूरीवश पुलिस लाश का पोस्टमार्टम करा रही है. पोस्टमार्टम कराने के बाद संगीता की डैडबौडी को कालेज के प्रिंसिपल को अंतिम संस्कार के लिए सौंप दिया जाता है. आगे के सीन में यह दिखाया गया है कि एसएचओ दीपक नेगी पिछले 10 सालों में छुट्टी पर अपने घर गया ही नहीं था, जिस के कारण उस के मातापिता अपने बेटे के लिए काफी परेशान रहते थे. एसएचओ अपनी टीम के साथियों को सेवाधाम स्कूल जा कर विस्तृत पूछताछ करने का आदेश देता है. \

ट्रस्टी रात को क्यों आता था संगीता के पास

महिला कांस्टेबल लता बिष्ट (समृद्धि चंदोला) को स्कूल की सहायक वार्डन हेमा (प्रीति सूद) से बात करने पर पता चलता है कि वार्डन संगीता काफी स्ट्रिक्ट थी, कालेज के रजत (प्रथम राठौर) व छात्रा दीया (दृष्टि गाबा) के प्रेम प्रसंग की बात जब संगीता को पता चली थी तो उस ने दीया को कालेज से निकाल दिया था.  हैडकांस्टेबल दिनेश पंत (विक्की दत्त) को स्कूल का वाचमैन (अमित कुमार सिन्हा) बताता है कि हमारे स्कूल का ट्रस्टी मनोज केसरी (अतुल तिवारी) लगभग रोज रात को स्कूल की वार्डन संगीता से मिलने आता था और फिर दूसरे दिन सुबह 5 बजे स्कूल से अपने घर जाता था.

दीपक नेगी स्कूल के ट्रस्टी मनोज केसरी से पूछताछ करने उस के औफिस आता है और उस से पूछता है कि उस के व संगीता के बीच कैसा रिश्ता था. तब मनोज केसरी बताता है कि सामान्य संबंध थे. तब इंसपेक्टर दीपक नेगी मनोज केसरी को 3,80,000/- की रसीद दिखाता है, जो ज्वैलरी केसरी ने संगीता को गिफ्ट की थी, उस के बाद इंसपेक्टर नेगी केसरी को बताता है कि संगीता की मौत स्वाभाविक नहीं हुई है, बल्कि उस का मर्डर किया गया है. यह कह कर दीपक नेगी उस के औफिस से चला जाता है. इस के अगले दृश्य में एसआई नरेश डिमरी दीपक नेगी को वह वीडियो दिखाता है, जो त्रिजुगी सेमवाल ने वारदात वाले दिन दी थी. पूरी पुलिस टीम ध्यान से उस वीडियो को देखती है, जिस में स्कूल का स्टाफ दरवाजा तोड़ कर संगीता के कमरे में घुसता है तो संगीता के सामने उस का मोबाइल दिखाई देता है. 

मगर जैसे ही कैमरा दूसरे कोने से आ कर संगीता के सामने आता है तो एकाएक संगीता का मोबाइल वहां से न जाने कहां और कब गायब हो जाता है. यह देख कर इंसपेक्टर दीपक नेगी समझ जाता है कि उस समय कोई वहां पर ऐसा व्यक्ति मौजूद था, जिस ने संगीता का मोबाइल गायब कर दिया था. इंसपेक्टर दीपक नेगी को अपने एक विश्वस्त मुखबिर से पता चलता है कि एक अशरफ जानी (नितिन राणा) नाम का बिल्डर है, जिस का संगीता के साथ काफी उठनाबैठना रहता था. दीपक नेगी थाने पर बुला कर जब अशरफ जानी से पूछताछ करता है तो पता चलता है कि अशरफ जानी सेवाधाम स्कूल को खरीदना चाहता था, जबकि ट्रस्टी मनोज केसरी स्कूल बेचने को तैयार नहीं था. 

जब अशरफ ने संगीता से स्कूल खरीदने और मनोज केसरी को मनाने की बात कही तो संगीता ने इस काम के लिए 40 लाख रुपए की डिमांड की थी, जिस के लिए अशरफ ने 20 लाख रुपए बतौर एडवांस संगीता को दे दिए थे. मगर अब तो संगीता ने अशरफ का फोन उठाना भी बंद कर दिया था, दीपक ने अशरफ से कहा कि इसीलिए फिर तूने गुस्से में आ कर संगीता का मर्डर किया है नइस पर बिल्डर अशरफ कहता है साहब, मैं ने संगीता को नहीं मारा है. मुझे तो केवल मेरे 20 लाख रुपए वापस चाहिए थे, दीपक नेगी को फिर भी बिल्डर की बातों पर विश्वास नहीं होता और वह अशरफ को थाने में ही बंद कर देता है.

पायल चौधरी कैसे हुई गायब

अगले दिन इंसपेक्टर दीपक नेगी सेवाधाम स्कूल आ कर स्कूल की संगीत शिक्षिका नताशा (रिया सिसौदिया) से पूछताछ करता है. नताशा बताती कि इस स्कूल में मेरे लिए दीया (दृष्टि गाबा) और रजत (प्रथम राठौर) शुरू से ही काफी स्पैशल थे. दीया बेस्ट स्टूडेंट थी तो रजत कीबोर्ड का एक बड़ा प्लेयर था. इस के बाद दीपक नेगी दृष्टिहीन छात्र (प्रथम राठौर) से पूछताछ करता है. रजत बताता है कि भले ही दीया आज उस से बहुत दूर है, मगर वह जिंदा है. यही मेरे लिए बहुत है. मैं दीया को खोना नहीं चाहता, दीपक नेगी रजत से दीया के बारे में और जानना चाहता है. लेकिन रजत कोई जवाब नहीं देता और वहां से चला जाता है. 

इंसपेक्टर दीपक नेगी एक होटल में रात को एसआई नरेश डिमरी से मिलता है और कहता है कि तुम स्कूल में जा कर पूछताछ करो सेवाधाम स्कूल से कोई लड़की गायब तो नहीं हुई है. दूसरे दिन सुबह एसआई नरेश डिमरी स्कूल में जा कर वहां के चौकीदार (अमित कुमार सिन्हा) से पूछताछ करता है तो चौकीदार उसे बताता है कि हमारे स्कूल में पायल चौधरी (कृतिका पवार) नाम की एक लड़की थी. पता नहीं कि वह कहां चली गई. उस के साथ स्कूल प्रिंसिपल के पुराने असिस्टेंट गोविंद (परिमल आलोक) ने बहुत बुरा काम करने की कोशिश की थी. तब उसे संगीता ने देख लिया और स्कूल की बदनामी न हो, इसलिए संगीता ने गोविंद को नौकरी से निकलवा दिया था. अब एसआई नरेश डिमरी अपनी टीम से गोविंद का पता लगाने को कहता है.

इधर इंसपेक्टर नेगी दृष्टिहीन लड़की दीया से पूछताछ करने उस के घर पर आता है. दीया बताती है कि वह और रजत एकदूसरे से प्यार करते थे, एक दिन जब वे दोनों एकदूसरे का हाथ पकड़ कर बातें कर रहे थे तो उन्हें वार्डन संगीता ने देख लिया था. फिर संगीता ने दीया को कालेज से निकाल दिया था. अगले दृश्य में इंसपेक्टर दीपक नेगी वार्डन संगीता के कमरे की तलाशी लेता है तो वहां से काफी बड़ी रकम और ढेर सारे गहने बरामद होते हैं. वहीं पर संगीता का मिसिंग मोबाइल फोन भी मिल जाता है, मगर मोबाइल का सारा डाटा किसी के द्वारा डिलीट कर दिया गया होता है. 

अब पुलिस संगीता के मोबाइल फोन के डाटा को रिस्टोर करती है तो एक फोन काल मिलता है, जिस में संगीता फोन पर स्कूल के ट्रस्टी मनोज केसरी को धमका रही थी कि वह सेवाधाम की बिल्डिंग बिल्डर अशरफ जानी को तुरंत बेच दे. यदि उस ने ऐसा नहीं किया तो वह अपने और उस के (मनोज केसरी) आपत्तिजनक वीडियो सारी दुनिया को दिखा देगी, जिस से वह समाज में किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाएगा. वीडियो देख कर और कई औडियो सुन कर इंसपेक्टर दीपक नेगी का शक अब मनोज केसरी पर आ जाता है कि उसी ने वीडियो के सार्वजनिक होने के डर से संगीता का मर्डर करवाया होगा.

गोविंद बाथरूम में क्यों ले गया था पायल को

इधर, एसआई नरेश डिमरी को गोविंद के ठिकाने की खबर मिलती है तो इंसपेक्टर दीपक नेगी और नरेश डिमरी की टीम गोविंद को गिरफ्तार कर थाने ले कर आ जाती है. यहां पर इंसपेक्टर दीपक नेगी पायल चौधरी (कृतिका पवार) के बारे में गोविंद से पूछताछ करता है. गोविंद बताता है कि एक दिन रात को पायल अकेले घूम रही थी तो उस की नीयत उस पर डोल गई और वह पायल को खींच कर बाथरूम में ले गया और उस से गलत हरकतें करने लगा. 

इसी बीच पायल का पैर फिसल गया और वह जोरजोर से चीखने लगी. उस की चीख सुन कर वार्डन संगीता वहां पर आ गई और गोविंद को डांटने लगी. स्कूल की बदनामी न हो, इसलिए संगीता ने गोविंद को नौकरी से निकलवा दिया था. इंसपेक्टर दीपक नेगी उस से कहता है कि इसलिए फिर गुस्से में आ कर तुम ने संगीता का मर्डर कर दिया, लेकिन गोविंद कहता है कि मैं ने संगीता को नहीं मारा है. गोविंद आगे कहता है कि यह बात सच है कि मैं उस रात स्कूल के हौस्टल में सीसीटीवी की फुटेज डिलीट करने जरूर गया था, जिस में मेरे और पायल के फुटेज कैद थे. क्योंकि मुझे डर था कि इस सीसीटीवी फुटेज के आधार पर संगीता मुझे कभी भी जेल भिजवा सकती थी. अब इंसपेक्टर दीपक नेगी को यकीन हो जाता कि संगीता का मर्डर गोविंद ने नहीं किया है.

इंसपेक्टर नेगी को मनोज केसरी पर ही क्यों हो रहा था हत्या का शक

इस के बाद इंसपेक्टर दीपक नेगी स्कूल के प्रिंसिपल विश्वनाथ कुमाई (कैलाश कंडवाल) से पूछताछ करने उस के औफिस आता है. तब प्रिंसिपल बताता है कि उस दिन संगीता के कमरे से उस का मोबाइल हटाने के लिए उस से ट्रस्टी मनोज केसरी ने कहा था, इसलिए मैं ने उस के कहने पर घटनास्थल से संगीता का मोबाइल हटाया था. प्रिंसिपल की सारी बातें रिकौर्ड कर दीपक नेगी अब मनोज केसरी पास आ कर उस से पूछताछ करता है और उसे प्रिंसिपल की रिकौर्डिंग सुनाता है. इस पर मनोज केसरी उल्टा ही दीपक नेगी से कहता है कि मैं ने नहीं बल्कि प्रिंसिपल विश्वनाथ कुमाई ने ही संगीता का मर्डर किया है, मगर इंसपेक्टर दीपक नेगी को मनोज केसरी पर ही मर्डर का शक रहता है.

इस के अगले दृश्य में मनोज केसरी गृह मंत्री (अनिल रस्तोगी) के पास आ कर इस केस को क्लोज करने की गुहार लगाता है. इस के अगले दिन सीओ अर्जुन पंवार (संदीप शर्मा) इंसपेक्टर दीपक नेगी को फोन कर के बताता है कि उसे गृह मंत्री ने मिलने के लिए अपने औफिस बुलाया है. इंसपेक्टर दीपक नेगी सीओ अर्जुन पंवार के साथ गृह मंत्री के औफिस में उन से मिलने के लिए पहुंच जाता है. गृह मंत्री इंसपेक्टर दीपक नेगी से संगीता मर्डर केस क्लोज करने को कहता है और इस के बदले में मनोज केसरी दीपक नेगी को एक 3 कमरे का फ्लैट गिफ्ट करेगा, इस बात का आश्वासन भी देता है. इंसपेक्टर दीपक नेगी हाथ जोड़ कर इस फ्लैट के गिफ्ट को लेने से मना कर देता है. 

अब हमें यह पता चलता है कि असल में गृह मंत्री ने मनोज केसरी को कहा था कि वह उस का केस क्लोज करा देगा, मगर मनोज केसरी को सेवाधाम स्कूल बिल्डर को बेचना होगा और एक 3 कमरे का फ्लैट इंसपेक्टर दीपक नेगी को देना पड़ेगा क्योंकि स्कूल बेचने की डील में गृह मंत्री को बिल्डर मोटा कमीशन दे रहा था. इस के बाद मनोज केसरी अब सेवाधाम स्कूल बिल्डर को बेचने के लिए राजी हो गया था. इंसपेक्टर दीपक नेगी अब मनोज केसरी के पास आ कर उसे बताता है कि संगीता मर्डर केस क्लोज हो गया है. संगीता का मर्डर मनोज केसरी ने नहीं, बल्कि गोविंद ने किया था. उस रात जब संगीता ने गोविंद को पायल के साथ गंदी हरकत करते देख उसे नौकरी से निकाल दिया था तो इसी बात पर गुस्सा हो कर उस ने संगीता का खून कर दिया था. 

अगले दृश्य में इंसपेक्टर दीपक नेगी अपनी पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे देता है. अब कहानी इंसपेक्टर दीपक नेगी के फ्लैशबैक में चली जाती है. दरअसल, दीपक नेगी नैना नाम की एक लड़की से बहुत प्यार करता था, मगर नैना को एक बीमारी हो जाती है जिस के कारण अब वह जल्दी मरने वाली थी. यह बात नैना अपने प्रेमी दीपक नेगी को बता नहीं पाती, क्योंकि उन दिनों दीपक नेगी पुलिस ट्रेनिंग कर रहा था. नैना यह कभी भी नहीं चाहती थी कि उस के कारण दीपक का करिअर खराब हो. बाद में फिर इसी बीमारी के कारण नैना की मौत हो जाती है. यही कारण था कि दीपक नेगी पिछले 10 सालों से अपने घर नहीं गया था, क्योंकि वहां पर जाने से दीपक को नैना की यादों से चाह कर भी छुटकारा नहीं मिल पाता था. इसी कारण उसे अब नींद भी बहुत कम आती थी. 

संगीता मर्र्डर केस के बाद दीपक नौकरी तो छोड़ ही देता है, इस के साथ ही वह यह फैसला भी कर लेता है कि अब वह अपने गांव वापस जाएगा, अपने गांव जाने से पहले दीपक नेगी रजत से मिलने उस के घर पर जाता है. रजत से मिल कर दीपक नेगी रजत को एक पत्र देता है और कहता है, रजत तुम इस लैटर को पढ़ लेना और यह कह कर इंसपेक्टर दीपक नेगी वहां से चला जाता है. इस से हमें अब यह पता चलता है कि वार्डन संगीता (नारायणी शास्त्री) का मर्डर गोविंद (परिमल आलोक) ने नहीं, बल्कि दृष्टिहीन छात्र रजत ने किया था.

पायल ने क्यों की थी आत्महत्या

अगले दृश्य में रजत दीपक नेगी के पत्र को लिपि के माध्यम से हाथ से पढ़ रहा होता है, जिस में दीपक रजत से कहता है कि जरूर कोई ऐसी बात रही होगी, जो तुम ने गुस्से में आ कर अपनी वार्डन संगीता का खून कर दिया था, लेकिन मुझे इस बारे में कुछ भी पता नहीं है. अगले सीन में दिखाया गया है, जब एक दिन मनोज केसरी संगीता से मिलने उस के कमरे पर रात को आता है तो खिड़की में उस समय रजत उन दोनों की बातें छिप कर सुन रहा होता है. संगीता मनोज केसरी से कहती है कि उस ने पायल (कृतिका पवार) की डैडबौडी को ठिकाने लगा दिया है. 

दरअसल, उस दिन रात को गोविंद (परिमल आलोक, बलात्कारी) ने पायल के साथ जो भी गलत काम किया था, उस के कारण पायल डिप्रेशन में चली गई थी और उस के एकदो दिन के बाद उस ने आत्महत्या कर ली थी. यह बात जब वार्डन संगीता को पता चली तो उस ने पायल की लाश को जमीन में दफना दिया था ताकि स्कूल की बदनामी न हो सके. इसलिए अब संगीता मनोज केसरी को धमकाती है कि वह सेवाधाम स्कूल को उस अशरफ जानी नाम के बिल्डर को बेच दे. यदि उस ने ऐसा नहीं किया तो वह पायल की बात और अपने व मनोज केसरी के आपत्तिजनक वीडियो सब को दिखा डालेगी, जिस से मनोज केसरी की बहुत बदनामी होगी. 

संगीता को इस धमकी के बावजूद भी मनोज केसरी अपने स्कूल की बिल्डिंग को बिल्डर को बेचने के लिए तैयार नहीं हुआ. यह सुन कर वार्डन संगीता स्कूल के ट्रस्टी मनोज केसरी को 48 घंटे का अल्टीमेटम देती है और कहती है कि मैं तुम्हें अब केवल 48 घंटे का समय दे रही हूं, यदि तुम ने यह स्कूल बिल्डर अशरफ जानी को नहीं बेचा तो… ये सारी बातें खिड़की से रजत सुन रहा होता है. फिर रजत को संगीता पर बहुत गुस्सा आ जाता है. मनोज केसरी के संगीता के कमरे से जाने के बाद रजत एक खाली इंजेक्शन ले कर आता है और इंजेक्शन की हवा न निकालते हुए वह इंजेक्शन सोई हुई संगीता की बांह पर लगा देता है, जिस के कारण संगीता के सारे शरीर में हवा फैल जाती है. उसे हार्ट अटैक आ जाता है, जिस से उस की मौत हो जाती है. 

इंसपेक्टर नेगी ने संगीता की पोस्टमार्टम रिपार्ट अच्छी तरह से पढ़ी थी, जिस में मौत का कारण शरीर में हवा भरने के कारण हार्ट अटैक बताया गया था. उस के बाद इंसपेक्टर नेगी सेवाधाम स्कूल के डाक्टर से पूछताछ करता है तो उसे डाक्टर बताता है कि यदि इंजेक्शन को इंजेक्ट करने से पहले उस में से हवा नहीं निकाली जाए और उसे इंसान के शरीर में दाखिल करा दिया जाए तो इस से उस इंसान को हार्ट अटैक हो सकता है और उस की जान भी जा सकती है. इंसपेक्टर दीपक डाक्टर पूछता है कि क्या कभी रजत ने आप से एयर एम्बोलिज्म (नस या दिल में हवा के बुलबुलों की वजह से खून की सप्लाई में रुकावट आना) के बारे में पूछताछ की थी

तब डा. इंसपेक्टर दीपक नेगी को बताता है कि एक बार रजत को कुत्ते ने काट लिया था, मैं उसे इंजेक्शन लगा रहा था. इंजेक्शन लगाने से पहले मैं ने एकदो बार इंजेक्शन से हवा बाहर निकाली, उस के बाद इंजेक्शन में दवाई भर कर रजत को लगाया था. तब रजत ने मुझ से इस बारे में बात की थी. मैं ने फिर रजत को एयर एंबोलिज्म के बारे में विस्तार से बताया था. इन सभी बातों को अच्छी तरह से जांचपरख कर इंसपेक्टर दीपक नेगी यह बात अच्छी तरह से समझ चुका था कि वार्डन संगीता का मर्डर रजत ने ही किया था. 

अब अगले दृश्य में इंसपेक्टर दीपक नौकरी छोड़ कर अपनी कार में अपने गांव जा रहा है और इसी के साथ फिल्म रौतू का राजसमाप्त हो जाती है. रौतू का राजफिल्म में ऐसा कुछ भी नया नहीं है, जो आप ने पहले कभी नहीं देखा हो. एक घंटा 55 मिनट की इस फिल्म की कई कमियों में से एक इस की घिसीपिटी दुखद पुलिस कहानी है.

खामियां ही खामियां हैं फिल्म में

इस फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी का किरदार अपने साथी को खोने के गम से जूझते हुए विकसित दिखाया गया है, लेकिन अब समय आ गया है कि फिल्म निर्मातानिर्देशक और लेखक इस पुरानी अवधारणा को अब छोड़ दें. पुलिस वाले बिना किसी दुखद अतीत के भी साहसी बन सकते हैं और यही आज समय की भी मांग है. इस फिल्म में 2 बुजुर्गों द्वारा अपने गांव में हो रही घटनाओं के बारे में बात करने के रूप में फिलर्स का इस्तेमाल किया गया है. हालांकि इसे एकरसता को तोडऩे और दर्शकों को सीधे उन के विचारों पर विचार करने के लिए संबोधित करने के लिए जोड़ा जा सकता था, लेकिन यह बिलकुल भी अनावश्यक लगता है.

इस फिल्म में कई सीन जबरदस्ती ठूंसे गए हैं. इस में कुछ और भी बड़ी कमियां है, जैसे ऐक्टर 20 लाख की रकम को कई जगह पर 20 लाख तो कई जगहों पर 30 लाख बोलते सुनाई देते हैं. पुलिस द्वारा जब इन्वैस्टीगेशन हो रही होती है तो पहली बार पूरा कमरा चैक किया जाता है. उस समय कोई कैश नहीं मिलता है. मगर जब दोबारा चैक किया जाता है तो वहां पर बड़ी रकम मिल जाती है. यह दृश्य देख कर ऐसा लगता है मानो लेखक ने अपने मुताबिक कहानी कहने के लिए चीजों में अपने हिसाब से बदलाव कर लिया हो.

कई और चीजें भी साफसाफ नजर आती हैं, जैसे कुछ कैरेक्टर्स की भाषा में गढ़वाली टोन दिखता है तो कुछ सीधीसीधी हिंदी बोलते नजर आते हैं. इस पूरी फिल्म में 2 बुजुर्गों के कई सीन रखे गए है, जो नैरेटर की तरह बीचबीच में आ कर एसएचओ दीपक नेगी और मर्डर वाली घटना की बातें करते नजर आते हैं. ये नैरेटर क्यों रखे गए थे, यह बात आप को पूरी की पूरी फिल्म खत्म होने के बाद भी समझ में नहीं आएगी. इन्वैस्टीगेशन औफिसर दीपक नेगी की भूमिका में नवाजुद्ïदीन सिद्ïदीकी ने फिल्म रौतू का राजको अपने कंधों पर उठाने की एक असफल कोशिश की है.

फिल्म में एसआई नरेश कुमार डिमरी का किरदार निभाने वाले अभिनेता राजेश कुमार कहने को तो अच्छा कलाकार है. लेकिन पिन बोर्ड पर क्राइम सीन के किरदारों को ले कर तानेबाने को जैसे ही वह स्कौटलैंड पुलिस से जोड़ता है. सैक्रेड गेम्स से ले कर 2024 में अब तक की क्राइम फिल्में और सीरीज देख कर पक चुका दर्शक अपना माथा पीट लेता है. फिल्म के बाकी किरदार भी अपनी भूमिकाओं से न्याय कर पाने में बुरी तरह से असफल रहे हैं. फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले बेहद कमजोर है. निर्देशक ने इस फिल्म में कुछ ऐसे दृश्य बनाए हैं, जोकि मूल कथानक से मेल तक नहीं खाते. आखिरी 5 मिनट को छोड़ कर पूरी की पूरी फिल्म उबाऊ है. खोजी दृश्यों के लिए थोड़े और शोध करने की नितांत आवश्यकता थी. 

फिल्म में एक भी गाना ऐसा नहीं है जो आप को गुनगुनाने के लिए मजबूर कर दे. मर्डर मिस्ट्री और सस्पेंस जैसे विषयों पर बनी फिल्मों में बहुत ही अच्छे बैकग्राउंड म्यूजिक होना अत्यंत जरूरी होता है, जो दृश्यों को आकर्षक व प्रभावशाली बना सके. लेकिन इस फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी कुछ खास नहीं है. 

नवाजुद्दीन सिद्दीकी

भारतीय फिल्म अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी का जन्म 19 मई, 1974 को बुधना, उत्तर प्रदेश में हुआ था. वह लंबरदारों के एक जमींदारी मुसलिम परिवार से है. अपने परिवार में 9 भाईबहनों में वह सब से बड़ा है. उस ने अपनी युवावस्था का अधिकांश समय उत्तराखंड में बिताया. नवाजुद्ïदीन ने हरिद्वार (उत्तराखंड) गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. इस के बाद उस ने नौकरी की तलाश में दिल्ली जाने से पहले एक साल तक बड़ोदरा (गुजरात) में एक रसायनज्ञ के रूप में भी काम किया. यहां पर तमाम तरह के कैमिकल की टेस्टिंग करनी पड़ती थी, इसलिए उस ने वहां जौब छोड़ दी और दिल्ली चला आया. दिल्ली में उस ने वाचमैन तक की नौकरी की. यहां पर वह एक थिएटर समूह में शामिल हो गया. 

उस के बाद उन का नामांकन नैशनल स्कूल औफ ड्रामा (एनएसडी) में और एनएसडी से पास होने के बाद वर्ष 2004 में वह अपने अभिनय करिअर को आगे बढ़ाने के लिए मुंबई आ गया. वर्ष 1999 में आमिर खान की फिल्म सरफरोशमें उस ने बहुत ही छोटी भूमिका के साथ बौलीवुड में अपने अभिनय करिअर की शुरुआत की थी. नवाज वर्ष 2003 में आई कौमेडी फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएसमें एक चोर (पौकेटमार) की भूमिका में भी दिखाई दिया. वर्ष 2002 और 2005 के बीच उन के पास कोई काम नहीं था और वह मुंबई का एक फ्लैट 4 लोगों के साथ साझा करता था. वर्ष 2007 में नवाज को अनुराग कश्यप की फिल्म ब्लैक फ्राइडेमें प्रमुख भूमिका मिली, जिस के चलते उसे अब अन्य महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं के लिए प्रस्ताव आने शुरू हो गए. 

वर्ष 2010 में आमिर खान प्रोडक्शन की फिल्म पीपली लाइवमें उसे एक अभिनेता के रूप में मान्यता मिली, जिस में उस की भूमिका एक पत्रकार की थी. वर्ष 2012 में नवाज ने फिल्म कहानीमें एक खुफिया अधिकारी की बेहतरीन भूमिका निभाई, जिस के कारण वह काफी लोकप्रिय अभिनेता हो गया. अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग्स औफ वासेपुरमें उस के द्वारा निभाए गए फैजल खान की भूमिका को उम्दा भूमिकाओं के रूप में आज भी भारतीय सिनेमा में याद किया जाता है. वर्ष 2015 में न्यूयार्क इंडियन फिल्म फेस्टीवल में उसे फिल्म हरामखोरमें उन की भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

नवाजुद्ïदीन सिद्दीकी की पर्सनल लाइफ लंबे समय तक काफी सुर्खियों में रही थी. अभिनेता का अपनी पत्नी आलिया आनंद पांडे के साथ घरेलू विवाद इतना बढ़ गया था कि दोनों ने तलाक लेने का एक समय फैसला भी ले लिया था. आलिया बच्चों के साथ दुबई में रहती थी और नवाज मुंबई में, दोनों की ओर से काफी लंबे समय तक एकदूसरे के ऊपर काफी गंभीर आरोप लगाए गए थे.  लेकिन इस साल फरवरी 2024 में आलिया ने एक फोटो शेयर कर सब को हैरान कर दिया था. उस ने अपने दोनों बच्चों के साथ नवाजुद्ïदीन और खुद की फोटो शेयर कर अपनी शादी की सालगिरह का दावा करते हुए बताया कि शादी सालगिरह पर नवाजुद्दीन सिद्दीकी उन से और बच्चों से मिलने दुबई गए थे. 

ई-टाइम्स को दिए इंटरव्यू में उस ने बताया कि उन की शादी में दिक्कतें किसी तीसरे के कारण आई थीं और अब सब कुछ ठीकठाक है. उस ने बताया कि दोबारा साथ आने के पीछे का कारण उन के दोनों बच्चे हैं.

नारायणी शास्त्री

अभिनेत्री नारायणी शास्त्री का जन्म 16 अप्रैल, 1978 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था. उस ने पुणे के सिंबायोसिस कालेज से स्नातक उपाधि प्राप्त की. नारायणी शास्त्री पिछले 2 दशकों से इंडस्ट्री का हिस्सा रही है और अपने हर शो के साथ उस ने दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ी है. नारायणी शास्त्री ने वर्ष 2000 में कहानी सात फेरों कीसे छोटे परदे पर अपनी शुरुआत की और तब से कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. इस के बाद नारायणी ने कोई अपना सा’, ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’, ‘संजीवनी’, ‘प्रिया का घर’, और कुसुमजैसे कई सुपरहिट सीरियल में काम किया. 

इस के अलावा नारायणी ने सीरियल ‘रिश्तों का चक्रव्यूह’ में भी नकारात्मक रोल निभाया था. नारायणी की इमेज एक बोल्ड एक्ट्रैस की रही है, क्योंकि यदि फैशन की बात करें तो वह हमेशा समय के साथ चलने में शामिल रही है.  नारायणी शास्त्री ने टीवी सीरियल्स के साथसाथ कई फिल्मों में भी काम किया है, जिन में ‘प्यार कोई खेल नहीं’, ‘चांदनी बार’, ‘मुंबई मेरी जान’ और ‘न घर के न घाट के’ शामिल हैं. नारायणी ने टीवी पर सीधीसादी लड़की का किरदार निभाने के साथसाथ तेजतर्रार महिला का किरदार भी निभाया है. टीवी सीरियल ‘पिया रंगरेज’ में भंवरी सिंह की भूमिका से नारायणी ने अपनी भोलीभाली लड़की की इमेज को तोड़ कर सब को हैरान कर दिया था.

इस के अलावा नारायणी शास्त्री अटल बालाजी की वेब सीरीज गंदी बात 1’ और जी 5 की वेब सीरीज नक्सलबारीमें भी काम कर चुकी है. अब बात करते हैं नारायणी शास्त्री की रियल लाइफ की, जो बहुत सारे धमाकों से भरी है. नारायणी का नाम सब से पहले ऐक्टर गौरव चोपड़ा के साथ जुड़ा था, दोनों ने डांस शो नच बलिए-2’ में भी एकदूसरे के बलिए बन कर हिस्सा लिया था और ये दोनों काफी लंबे समय तक रिलेशनशिप में भी रहे. लेकिन इन का यह रिश्ता इतना चर्चा में नहीं, जितना ब्रेकअप में रहा था. गौरव चोपड़ा को नारायणी की स्मोकिंग की आदत अच्छी नहीं लगती थी, इसी कारण धीरेधीरे दोनों का रिश्ता खत्म हो गया.

उस के बाद फिर नारायणी शास्त्री को एक विदेशी बिजनैसमैन स्टीवन ग्रेवर से प्यार हो गया और दोनों ने वर्ष 2015 में गुपचुप शादी रचा ली. स्टीवन पिछले 8 सालों से नारायणी के साथ मुंबई में रह रहा है.

 

 

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