विभा केवट की उम्र 24 साल थी. सामान्य कदकाठी की विभा देखने में सुंदर होने के साथ पढ़नेलिखने में भी होशियार थी. चूंकि उस के घर की माली हालत अच्छी नहीं थी इसलिए पिछले 2 सालों से वह फैमिली दंत चिकित्सालय में अटेंडेंट की नौकरी कर रही थी.
सतना के धावरी स्थित कलैक्ट्रेट रोड पर यह दंत चिकित्सालय डा. आशुतोष त्रिपाठी का था. विभा का घर मल्लाह मोहल्ले में था. वह हर रोज सुबह 8 बजे घर से क्लीनिक के लिए निकल जाती थी और पेशेंट देखने में डा. आशुतोष की मदद करती थी.
दोपहर में वह लंच करने के लिए घर लौटती. लंच के बाद फिर वापस क्लीनिक में लौट आती थी. रात के 8 बजे डा. आशुतोष त्रिपाठी क्लीनिक बंद कर के कार से पहले विभा को उस के घर के पास छोड़ता फिर अपने घर जाता था. यह विभा की रोज की दिनचर्या थी.
नौकरी में अपना अधिकतर समय देने के बाद भी विभा पढ़ाई के लिए समय निकाल लेती थी. उस का सपना एलएलबी कर के वकील बनने का था. वह एक प्राइवेट कालेज से एलएलबी कर रही थी.
चूंकि घर की हालत सही न होने के कारण वह अपनी पढ़ाई के खर्चों को पूरा करने में असमर्थ थी. इसलिए पिछले 2 सालों से इस क्लीनिक में नौकरी कर रही थी. वह अपने काम से खुश थी और जिंदगी सामान्य ढर्रे पर चल रही थी.
पिछले साल 14 दिसंबर को वह रोज की तरह घर से ड्यूटी पर गई थी. दोपहर के समय वह घर आई और लंच कर के वापस ड्यूटी पर लौट गई. उस रात नौ बजे तक वह घर नहीं लौटी तो उस के पिता रामनरेश केवट और मां रमरतिया की आंखों में परेशानियों के बादल घुमड़ने लगे. उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ था. उन के मन में तरह तरह के बुरे खयाल आ रहे थे.
रात भर इंतजार के बाद सुबह भी विभा घर नहीं लौटी तो क्लीनिक खुलने के समय दोनों डाक्टर से मिलने उस के क्लीनिक जा पहुंचे. डा. आशुतोष क्लीनिक में पेशेंट देख रहे थे. बुरी तरह परेशान रामनरेश केवट ने जब डा. आशुतोष से बेटी के बारे में पूछा तो उस ने विभा के घर नहीं पहुंचने पर हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि कल शाम विभा ने उस से पगार के छह हजार रुपए लिए और कुछ जरूरी काम से बाहर जाने की बात कह कर चली गई थी. लगता है, उस ने कहीं दूसरी जगह काम पकड़ लिया है. चिंता न करो वह कुछ दिनों में खुद ही घर लौट आएगी.
रामनरेश और रमरतिया वहां से घर लौट आए और बारबार विभा के मोबाइल पर काल कर उस से संपर्क साधने का प्रयास करते रहे. लेकिन बीती रात से ही उस का मोबाइल स्विच्ड औफ आ रहा था. रामनरेश ने अपने सभी रिश्तेदारों से फोन कर पूछा, लेकिन निराशा ही हाथ लगी.
बाद में रामनरेश ने फिर डा. आशुतोष त्रिपाठी से विभा के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि विभा ने उस के यहां से नौकरी छोड़ दी है. वह तुम लोगों से नाराज है और किसी दूसरी जगह पर कमरा ले कर रहने लगी है. उस ने अपना फोन नंबर भी बदल लिया है. विभा ने कहां पर कमरा लिया है इस की जानकारी उसे नहीं है.
बेटी के अलग रहने की बात रामनरेश और रमरतिया के गले से नहीं उतरी. फिर भी उन्होंने बेटी की तलाश में शहर का चप्पाचप्पा छान मारा लेकिन वह उस का पता लगाने में नाकामयाब रहे. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि उसे जमीन निगल गई या आसमान खा गया.
दरअसल, विभा के मातापिता को ऐसा लग रहा था जैसे डाक्टर को विभा के बारे में जानकारी है और वह शायद बाद में विभा के बारे उन्हें बता देगा.
विभा की तलाश करतेकरते डेढ़ महीने गुजर जाने के बाद भी जब उस का पता नहीं चला तो रमरतिया ने एक फरवरी, 2021 को धवारी की सिटी कोतवाली में बेटी की गुमशुदगी दर्ज करा दी और पुलिस अधिकारियों से उसे तलाश करने की गुहार लगाई.
सिटी कोतवाली इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने 24 वर्षीय युवती विभा केवट के गायब होने के मामले को गंभीरता से लिया. वह इस की जांच में जुट गईं.
इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने विभा के मातापिता से उस के गायब होने के बारे में विस्तार से पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि 14 दिसंबर की सुबह विभा डा. आशुतोष के क्लीनिक में ड्यूटी पर गई थी. जहां डाक्टर के अनुसार उस ने शाम तक ड्यूटी की.
इस के बाद वह डाक्टर से 6 हजार रुपए लेने के बाद कहीं दूसरी जगह रहने चली गई. उस ने अपना मोबाइल नंबर भी बदल लिया था.
यह जानकारी मिलने के बाद इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष त्रिपाठी को कोतवाली बुला कर उस से विभा केवट के बारे में पूछताछ की. थोड़ी पूछताछ के बाद डा. आशुतोष को घर जाने की इजाजत मिल गई.
लेकिन डाक्टर के बारबार बदले बयानों को ले कर इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी को उस पर संदेह हो गया था. उन्होंने डा. आशुतोष त्रिपाठी और विभा के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर देखी तो पता चला कि विभा ने आखिरी बार 14 दिसंबर को डा. आशुतोष त्रिपाठी से 750 सेकंड बातें की थीं.
इस के बाद उस का मोबाइल स्विच्ड औफ हो गया था, जो फिर औन नहीं हुआ था. इस का मतलब था कि विभा के गायब होने का राज डा. आशुतोष को मालूम था.
इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष त्रिपाठी को दोबारा थाने बुला कर मनोवैज्ञानिक तरीके से कुरेदना शुरू किया तो वह ज्यादा देर तक नहीं टिक सका.
उस ने विभा के बारे में जो कुछ बताया उसे सुन कर अर्चना द्विवेदी आश्चर्यचकित रह गईं. उस ने बताया कि दरअसल विभा का कत्ल हो चुका है और उस की लाश एक गड्ढे में दबा दी गई थी.
कत्ल की बात पता चलते ही इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी ने डा. आशुतोष को गिरफ्तार कर लिया और इस की सूचना सतना के एसपी (सिटी) विजय प्रताप सिंह को दी.
20 फरवरी, 2021 शनिवार को एसपी (सिटी) विजय प्रताप सिंह, तहसीलदार अनुराधा सिंह, नायब तहसीलदार हिमांशु भलवी, यातायात थानाप्रभारी राजेंद्र सिंह राजपूत और इंसपेक्टर अर्चना द्विवेदी आरोपी डा. आशुतोष के साथ घटनास्थल पर पहुंचे जहां पर विभा की लाश एक गड्ढे में दबी थी.
मिल गई विभा की लाश
डा. आशुतोष की निशानदेही पर नगर निगम के श्रमिकों की मदद से गड्ढे की खुदाई की गई तो कुछ देर खुदाई के बाद उस में से एक कुत्ते की लाश निकली. कुत्ते की लाश को बाहर निकालने के बाद थोड़ी और खुदाई की गई तो वहां एक युवती की लाश दिखाई पड़ी.
लाश को बाहर निकाला गया. लाश के गले में एक दुपटटा तथा कमर के नीचे लोअर मौजूद था. रामनरेश केवट और उस की पत्नी रमरतिया को लाश दिखाई गई तो दोनों ने कपड़ों के आधार पर उस की पहचान अपनी बेटी विभा केवट के रूप में की.
शिनाख्त हो जाने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. डा. आशुतोष के बयान और पुलिस की तहकीकात के आधार पर विभा केवट हत्याकांड के पीछे एक सनसनीखेज कहानी उभर कर सामने आई—
सतना के धावरी इलाके में चांदमारी रोड, मंगल भवन के पीछे अंग्रेजी के शिक्षक नरेंद्र त्रिपाठी अपने परिवार के साथ रहते थे. वह राजकीय कन्या विद्यालय, धावरी में नौकरी करते हैं. उन के 2 बेटे हैं. बड़ा बेटा अभिषेक त्रिपाठी छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर स्थित एक रियल एस्टेट फर्म में बतौर फाइनेंस मैनेजर कार्यरत है. दूसरा बेटा आशुतोष डेंटिस्ट है. 2 साल पहले आशुतोष को अपने क्लीनिक के लिए एक अटेंडेंट की जरूरत थी.
मल्लाह मोहल्ले में रहने वाले रामनरेश केवट की दूसरी बेटी विभा को जब इस नौकरी बारे में पता चला तो उस ने डा. आशुतोष से मिल कर उस के यहां काम करने की इच्छा जाहिर की. डा. आशुतोष ने विभा को क्लीनिक से संबंधित जरूरी कामकाज के बारे में समझाते हुए जब सैलरी के बारे में उसे बताया तो उस ने वहां काम करने के लिए हामी भर दी. यह बात सन 2018 की थी.
डा. आशुतोष ने विभा को क्लीनिक से संबंधित सभी बातों को समझने के बाद यह भी समझा दिया कि वहां आने वाले पेशेंट से किस प्रकार व्यवहार करना है. फिर उसे अपना मोबाइल नंबर देते हुए कहा कि अगर उस की अनुपस्थिति में उसे कोई भी मुश्किल आए तो मुझे कभी भी काल कर सकती हो. उसी समय विभा और डा. आशुतोष ने अपनेअपने मोबाइल में एक दूसरे के नंबर सेव कर लिए.
विभा तेजतर्रार युवती थी. थोड़े ही दिनों में वह सारा काम सीख गई. उस की कुशलता देख कर डा. आशुतोष भी खुश हुआ. विभा यहां काम पा कर पूरी तरह संतुष्ट थी. क्योंकि उस के प्रति डाक्टर का व्यवहार ठीक था. वह वेतन भी टाइम से दे देता था.
इस तरह धीरेधीरे समय का पहिया घूमता रहा. सालभर गुजर जाने के बाद डाक्टर आशुतोष और विभा आपस में काफी घुलमिल गए थे. पेशेंट की मौजूदगी में वे दोनों एक दूसरे से सिर्फ काम की ही बातें करते थे.
लेकिन जब वहां कोई नहीं होता तो वे हंसीमजाक से ले कर दुनियाजहान की बातें करते थे. बातों बातों में वक्त आसानी से कट जाता था. इसी दौरान डाक्टर आशुतोष ने मन ही मन विभा को पाने की योजना तैयार की और उस पर अमल करना आरंभ कर दिया.
अपनी योजना के तहत शाम को जब वह क्लीनिक बंद करता तो घर जाने से पहले विभा को उस के घर छोड़ने जाने लगा.
विभा डा. आशुतोष के इस बदले हुए व्यवहार के पीछे की चाल को नहीं भांप सकी. उस ने सोचा कि डा. आशुतोष खुश हो कर उस की मदद कर रहे हैं. कभीकभार वह विभा को घर छोड़ने से पहले किसी होटल या रेस्टोरेंट में ले जाता जहां खाने के दौरान वह विभा का दिल जीतने की कोशिश करता था.
विभा एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखती थी. जल्द ही वह उस की बातों में आ गई.
डा. आशुतोष ने जब ताड़ लिया कि विभा उस की इच्छा का विरोध नहीं करेगी तो एक दिन उस ने विभा को शादी करने का झांसा दे कर उस के साथ शारीरिक संबंध बना लिया. उस दिन के बाद विभा के प्रति डा. आशुतोष का व्यवहार एकदम बदल गया.
विभा को खुश रखने के लिए वह उसे महंगे तोहफे आदि देता रहता था. ताकि उस की जिस्मानी जरूरतों को पूरा करने में विभा आनाकानी न करे. अलबत्ता एक दिन विभा ने अपनी बड़ी बहन को आशुतोष से अपने अफेयर की बात बता दी और यह भी कहा कि कुछ दिनों के बाद डाक्टर उस से शादी कर लेगा.
इस पर उस की बहन ने उसे समझाते हुए कहा भी कि अमीर लोग गरीब घर की लड़की से शादी करने की बात अपना मतलब निकालने के लिए करते हैं. कहीं तुम आगे चलकर ठगी न जाओ, इसलिए जितनी जल्दी हो सके शादी कर लो.
बहन की बात सुन कर विभा ने उसे जवाब दिया कि उस का प्यार इतना कच्चा नहीं है कि डाक्टर उस से शादी का बहाना कर असानी से अपना मुंह फेर ले. उस वक्त कहने के लिए तो विभा ने बड़़े ही आत्मविश्वाश के साथ अपनी बड़ी बहन को जवाब दे दिया. लेकिन उसी दिन उस ने मन में ठान लिया कि वह डाक्टर से जल्द शादी करने को कहेगी.
विभा बन गई गले की हड्डी
इस के बाद जब भी आशुतोष विभा को शारीरिक संबंध बनाने के लिए राजी करने की कोशिश करता तो वह उस से पहले शादी करने की बात करती. इतना ही नहीं, जब भी दोनों क्लीनिक में अकेले होते वह उस से शादी करने का दबाव डालना शुरू कर देती थी.
आशुतोष एक बड़े परिवार से ताल्लुक रखता था. समाज में उस की अपनी अच्छीखासी हैसियत थी. उस ने तो केवल विभा के साथ मौजमस्ती करने के लिए उस से शादी की बात कही थी. वास्तव में उस ने दिल से कभी विभा से शादी के बारे में सोचा तक नहीं था. इसलिए जब विभा ने उस पर शादी का अधिक दबाव बनाना शुरू किया तो 14 दिसंबर, 2020 को आशुतोष ने बात बढ़ जाने पर विभा की गला घोंट कर हत्या कर दी.
उस समय क्लीनिक में उन दोनों के सिवा कोई नहीं था. विभा की हत्या करने के बाद आशुतोष ने उस की लाश एक बोरी में डाल कर क्लीनिक के अंदर ही एक कोने में रख दी. अगले दिन वह क्लीनिक में पेशेंट का इलाज करते हुए मन ही मन विभा की लाश को ठिकाने लगाने की तरकीब सोचता रहा. दोपहर के बाद उस ने कुछ मजदूरों को बुलाया और क्लीनिक के पीछे बारिश का गंदा पानी जमा करने की बात कह कर एक 6 फुट गहरा गड्ढा खुदवाया. रात को उस ने विभा की लाश गड्ढे में डाल कर उस के उपर नमक डाला फिर उस पर थोड़ी मिट्टी डाल दी.
इस के बाद कहीं से उस ने एक कुत्ते की लाश का इंतजाम किया. कुत्ते की लाश को उसी गड्ढे में डालने के बाद उस ने उस के उपर अच्छी तरह मिट्टी भर दी. कुत्ते की लाश गड्ढे में इसलिए डाली गई कि ताकि विभा की लाश की बदबू आसपास फैलने पर अगर लोग बदबू उठने का कारण पूछे तो वह सब को बता सके कि वहां कुत्ते की लाश दबाई गई है.
इस तरह विभा की लाश इस गड्ढे में दबी होने की बात उजागर नहीं होगी. लेकिन पुलिस को विभा की अंतिम काल और उस के मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर आशुतोष के ऊपर शक हो गया.
जब उस से थोड़ी सख्ती बरती गई तो उस ने सारा सच उगल दिया. विभा की लाश का डीएनए टेस्ट कराने के लिए सैंपल भी सुरक्षित रख लिया गया ताकि तय हो सके कि लाश विभा की ही थी.
विभा की लाश की बरामदगी के बाद इस मामले में हत्या और साजिश की धारा 302, 201, जोड़ दी गई. पुलिस ने आशुतोष त्रिपाठी से पूछताछ करने के बाद उसे गिरफ्तार कर सतना की अदालत में पेश किया
गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.