भूषण कुमार सिंह और विक्की कुमार काम की तलाश में बिहार से दिल्ली आए थे. चाहते तो उन्हें काम मिल जाता, लेकिन उन्होंने शौर्टकट चुना और अपहरण हत्या के आरोप में जा पहुंचे जेल. मूलरूप से मुजफ्फरपुर, बिहार के रहने वाले रामनाथ यादव सालों पहले काम की तलाश में दिल्ली आए थे. वह पढ़ेलिखे थे, इसलिए 

किसी अच्छी कंपनी में नौकरी ढूंढने लगे. जब उन के मनमुताबिक नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने एक सीए के यहां नौकरी कर ली. नौकरी मिल गई तो वह अपने बीवीबच्चों को भी दिल्ली ले आए और परिवार के साथ पश्चिमी दिल्ली के नांगलोई रोड पर स्थित अग्रसेन पार्क में रहने लगे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटियां और एक बेटा सचिन यादव था.

21 साल का सचिन कृष्णा मंदिर नजफगढ़ के पास स्थित बालाजी कारपेट की दुकान पर नौकरी करता था. रामनाथ ने सचिन की शादी कर दी थी. करीब 2 महीने पहले ही सचिन के बेटा हुआ था. घर में बच्चे की किलकारियां गूंजने से सभी खुश थे. लेकिन इसी साल मई के दूसरे सप्ताह में उन के घर में एक ऐसी घटना घटी, जिसे यह परिवार जिंदगी भर नहीं भुला सकेगा.

दरअसल 12 मई, 2018 को सुबह करीब साढ़े 7 बजे सचिन के मोबाइल पर किसी की काल आई. फोन पर बात करने के कुछ देर बाद वह किसी के साथ बाइक पर बैठ कर निकल गया. जब 2 घंटे बाद भी सचिन घर नहीं लौटा तो घर वालों ने उस का फोन नंबर मिलाया, पर उस का फोन स्विच्ड औफ मिलासचिन वैसे तो कभी भी अपना फोन बंद नहीं करता था, पर फोन बंद आने पर घर वालों ने सोचा कि शायद उस के फोन की बैटरी डाउन हो गई होगी.

उस के एकाध घंटे बाद उन्होंने फिर से सचिन का नंबर मिलाया. इस बार भी उस का फोन बंद ही मिला. घर वालों ने सोचा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि वह उधर से ही अपनी ड्यूटी पर चला गया हो. इस बात की पुष्टि करने के लिए रामनाथ यादव ने बालाजी कारपेट की दुकान का फोन मिलाया. वहां बात करने पर पता चला कि वह दुकान पर नहीं पहुंचा है. यह जानकारी मिलने के बाद घर वालों का परेशान होना लाजिमी था. फिर तो उन्होंने उस के यारदोस्तों और जानपहचान वालों के पास फोन करने शुरू कर दिए

रामनाथ यादव पूरे दिन इधरउधर बेटे को तलाशते रहे, लेकिन कहीं से भी उस के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली. जवान बेटे के गायब होने के बात रामनाथ के परिचितों को पता लगी तो वह भी खोजने में उन की मदद करने लगे. बीचबीच में घर वाले सचिन का फोन भी मिलाते रहे लेकिन उस का फोन बंद ही मिलता रहा. सचिन की पत्नी, मां और बहनों का तो रोरो कर बुरा हाल था. 12-13 मई की रात को घर के सभी लोगों की नींद गायब थी. सभी की निगाहें दरवाजे पर ही लगी हुई थीं. 

कभीकभी तो उन के दिमाग में सचिन को ले कर तरहतरह के विचार आते. सभी लोग यह नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर सचिन मोटरसाइकिल पर बैठ कर कहां चला गया. सचिन जिस युवक के साथ गया था, उसे कोई नहीं जानता था. घर वाले सभी संभावित जगहों पर सचिन को ढूंढ चुके थे. इस के बावजूद भी 13 मई की पौ फटने के बाद वह फिर से सचिन की तलाश में जुट गए. चारों ओर से हताश होने के बाद जब उस का कहीं पता नहीं चला तो आखिर वह क्षेत्र के थाना हरिदासनगर पहुंच गए

रामनाथ ने थानाप्रभारी को सचिन के गायब होने की बात बताई. थानाप्रभारी ने सचिन की गुमशुदगी दर्ज कर ली. उस की गुमशुदगी दर्ज करने के बाद उन्होंने वह सब जरूरी काररवाई की, जो किसी की भी गुमशुदगी दर्ज होने के बाद अमूमन की जाती है. मसलन सभी थानों को गुम हुए व्यक्ति का हुलिया भेजना, पैंफ्लेट छपवा कर सार्वजनिक स्थानों पर चिपकवाना आदि. अपने स्तर से पुलिस भी सचिन का पता लगाने में जुट गई. सचिन 21 साल का युवक था, इस बात को देखते हुए इस बात की भी आशंका जताई जा रही थी कि कहीं उस का किसी के साथ कोई अफेयर तो नहीं चल रहा था

हालांकि वह शादीशुदा था, लेकिन प्यारमोहब्बत के मामले में किसी का कुछ नहीं कहा जा सकता. इसलिए पुलिस उस के दोस्तों से यह जानने में लग गई कि कहीं उस का किसी लड़की के साथ कोई चक्कर तो नहीं था. दोस्तों ने थानाप्रभारी को बताया कि सचिन इस किस्म का नहीं था. और तो और वह किसी से फालतू बात तक नहीं करता था. सचिन को गायब हुए 3 दिन बीत चुके थे, तो पुलिस और ही सचिन के घर वालों को उस के बारे में कोई जानकारी मिल पा रही थी. 15 मई को सचिन की बहन ने फिर सचिन का फोन नंबर मिलाने की कोशिश की तो उस दिन उस का नंबर मिल गया. इस से बहन बहुत खुश हुई. लेकिन फोन उस के भाई के बजाय किसी और ने उठाया. बहन ने जब सचिन के बारे में पूछा तो उस व्यक्ति ने कहा कि सचिन अभी टायलेट में है.

पास में रामनाथ यादव भी थे. बेटी से हो रही बातचीत को सुन कर उन्हें लगा कि सचिन के बारे में शायद जानकारी मिल गई है. इसलिए बेटी से फोन ले कर वह खुद बात करने लगे. उन्होंने भी उस शख्स से बेटे के बारे में जानकारी हासिल करनी चाही, लेकिन वह शख्स उन्हें इधरउधर की बातें सुनाने लगा. उन्होंने जब पूछा कि वह कौन और कहां से बोल रहे हैं तो वह रामनाथ यादव से उलटीसीधी बातें करने लगा. इतना ही नहीं, वह उन्हें धमकी भी देने लगा. इस के बाद उस ने फोन काट दिया.

रामनाथ ने फिर से बेटे का नंबर मिलाया, लेकिन इस बार वह स्विच्ड औफ हो गया. वह घबरा गए कि जो शख्स उन से बात कर रहा था वह कौन था. कहीं ऐसा तो नहीं कि सचिन का किसी ने अपहरण कर लिया हो. वह घबराए हुए सीधे थाना हरिदासनगर पहुंचे और थानाप्रभारी को बात बताई. थानाप्रभारी ने उसी समय अपने फोन से सचिन का नंबर मिलाया तो वह स्विच्ड औफ मिला. मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने सचिन यादव के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कर ली. इस के बाद पुलिस ने सचिन के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाने की काररवाई शुरू कर दी.

15 मई, 2018 को ही रामनाथ यादव के पास उन के बेटे सचिन के फोन से काल आई. अपने फोन स्क्रीन पर बेटे का नंबर देख कर रामनाथ यादव खुश हो गए. उन्होंने जैसे ही काल रिसीव की, तभी दूसरी ओर से किसी ने रौबदार आवाज में कहा, ‘‘तुम घबराओ मत, सचिन हमारे कब्जे में है. यदि तुम उसे सहीसलामत चाहते हो तो 50 लाख रुपए का इंतजाम कर लो, वरना सचिन की लाश कई टुकड़ों में मिलेगी.’’ ‘‘देखो जी, मैं आप के आगे हाथ जोड़ कर विनती करता हूं कि मेरे बेटे को कुछ नहीं कहना. आप चाहे मेरा सब कुछ ले लो, मगर मेरे सचिन को मुझे दे दो.’’

‘‘हम भी तो यही कह रहे हैं कि यदि बेटा जिंदा चाहिए तो 50 लाख रुपए हमें दे दो.’’ अपहर्त्ता ने कहा. ‘‘देखिए साहब, मैं एक मामूली नौकरी वाला आदमी हूं. इतने पैसे तो पूरी उमर काम कर के भी नहीं कमा सकूंगा. मेरी प्राइवेट नौकरी है. इतने पैसे भला मैं कहां से लाऊंगा.’’ रामनाथ गिड़गिड़ाए.

‘‘यदि तुम्हारा बेटा अस्पताल के आईसीयू में भरती हो और डाक्टर इलाज के 50 लाख बता रहा हो तो बताओ उसे ऐसे ही मर जाने दोगे या बचाने की कोशिश करोगे?’’ उस शख्स ने सवाल किया.

‘‘देखिए जी, मैं क्या दुनिया का हर बाप बेटे को बचाने की कोशिश करेगा लेकिन जब डाक्टर द्वारा मांगी गई वह रकम उस के बूते के बाहर की होगी तो वह हाथ खड़े कर देगा. क्योंकि यह उस की मजबूरी होगी.’’ रामनाथ यादव बोले.

‘‘बहरहाल, अब तुम देख लो कि तुम्हें पैसा प्यारा है या बेटा.’’ अपहर्त्ता ने एक तरह से धमकी दी.

‘‘देखिए साहब, मैं गरीब आदमी हूं. इतने पैसे मेरे पास नहीं हैं.’’ रामनाथ यादव ने मजबूरी जताई, ‘‘मैं अपनी हैसियत के अनुसार दे सकता हूं.’’

दोनों तरफ से बात होती रही और अंत में 4 लाख रुपए में बात तय हो गई. अपहर्त्ता ने फिरौती की रकम एशिया की सब से बड़ी आजादपुर सब्जीमंडी में ले कर आने को कहा. फिरौती मांगने पर यह स्पष्ट हो गया कि सचिन का अपहरण कर लिया गया है और इस समय वह अपहर्त्ताओं के कब्जे में हैं. घर वाले और अन्य लोग सचिन के सहीसलामत होने की कामना करने लगे. अपहर्त्ता से रामनाथ की फोन पर जो बातचीत हुई थी, उस के बारे में उन्होंने पुलिस को भी बता दिया. फिर तो पुलिस भी सक्रिय हो गई. अब पुलिस ने उस फोन नंबर पर जांच केंद्रित कर दी, जिस नंबर से फिरौती की काल आई थी. उधर अपहर्त्ता की जो 4 लाख रुपए की डील फाइनल हुई थी, पुलिस ने योजना बना कर रामनाथ को पैसे ले कर आजादपुर मंडी भेजा

पुलिस टीम भी सादा कपड़ों में रामनाथ के इधरउधर रही. लेकिन अपहर्त्ता वहां पैसे लेने नहीं आया और न ही उस ने इस के लिए रामनाथ को फिर से फोन किया. इस से यही लगा कि अपहर्त्ता को पुलिस के मौजूद होने की भनक लग गई थी. पुलिस की टैक्निकल सर्विलांस टीम ने बताया कि अपहर्त्ता ने उत्तरी दिल्ली के मजनूं का टीला इलाके से फोन कर के फिरौती मांगी थी. पुलिस मजनूं का टीला इलाके में पहुंच गई. फोन की लोकेशन के आधार पर पुलिस मजनूं के टीला से हरियाणा के पानीपत शहर पहुंची, लेकिन किडनैपर्स वहां भी नहीं मिले. पकड़े जाने के भय से वे बिहार भाग गए.

दिल्ली पुलिस की टीम भी पीछा करते हुए बिहार चली गई और उस ने 20 मई की रात को बिहार में एक जगह दबिश डाल कर भूषण कुमार सिंह उर्फ वरुण को हिरासत में ले लिया. उस से सचिन यादव के बारे में पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि सचिन तो दिल्ली में ही है. दिल्ली में वह किस जगह पर है, पूछने पर भूषण ने बताया कि वह अब जीवित नहीं है. बल्कि उन्होंने उस की हत्या कर लाश के टुकड़े गटर में डाल दिए हैं. यह बात सुन कर पुलिस टीम को धक्का लगा. पुलिस ने भूषण से पूछताछ की तो उस ने बताया कि इस मामले में उस के साथ विक्की कुमार भी शामिल था. करीब 2 घंटे की मशक्कत के बाद पुलिस ने विक्की कुमार को भी बिहार से ही गिरफ्तार कर लिया. ये दोनों आपस में सालेबहनोई थे. 

दोनों आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर ले कर टीम दिल्ली लौट आई. दिल्ली के कोर्ट में पेश करने के बाद थानाप्रभारी ने दोनों आरोपियों से पूछताछ की तो उन्होंने अपहरण की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली. भूषण कुमार सिंह और विक्की कुमार दोनों ही बिहार के रहने वाले थे. दोनों काम की तलाश में बिहार से दिल्ली आए थे. ये दोनों उसी शोरूम पर ठेके पर काम करते थे, जहां सचिन नौकरी करता था. पर वहां सचिन की नौकरी लग जाने के बाद शोरूम मालिक ने इन दोनों को काम से हटा दिया था. इन के वहां से हट जाने के बाद भी सचिन की उन से फोन पर बातचीत होती रहती थी. करीब 2 महीने पहले सचिन के घर बेटा हुआ तो उस ने इस खुशी में कुछ लोगों को घर पर पार्टी दी थी. इस पार्टी में उस ने भूषण और विक्की को भी बुलाया था.

भूषण और विक्की तो सचिन से इस बात की रंजिश रखते थे कि उस के शोरूम पर नौकरी पर लगने के बाद उन दोनों की छुट्टी हो गई थी. इस के लिए वह सचिन को ही दोषी मानते थे. इस बात का सचिन को आभास नहीं हुआ. वह तो उन्हें अपना दोस्त ही समझता था, तभी तो उस ने बेटा पैदा होने पर दोनों को अपने घर पार्टी में बुलाया था. सचिन का रहनसहन देख कर भूषण और विक्की समझने लगे कि सचिन अमीर बाप का बेटा है. उसी दिन उन्होंने सचिन को सबक सिखाने की ठान ली. उन्होंने सोचा कि यदि किसी तरह सचिन का अपहरण कर लिया जाए तो इस के बदले में मोटी फिरौती मिल सकती है. इस के बाद उन्होंने सचिन का अपहरण करने की योजना बना ली.

योजना बनाने के बाद उन्होंने 12 मई, 2018 को सुबह करीब साढ़े 7 बजे सचिन को फोन किया और भूषण मोटरसाइकिल ले कर सचिन के घर के पास पहुंच गया. चूंकि सचिन उस की योजना से अनजान था और वह उस पर विश्वास करता था, इसलिए वह उस के साथ मोटरसाइकिल पर बैठ कर चला गया. मोटरसाइकिल से वह सचिन को दिल्ली के ओल्ड खयाला रोड पर प्रेमनगर स्थित एक कमरे पर ले गया. वह कमरा उस ने 2 दिन पहले ही किराए पर लिया था. भूषण और विक्की ने वहां उसे नशे की गोली मिली कोल्डड्रिंक पीने को दी. 

जब सचिन अर्द्धबेहोशी की हालत में हो गया तो उन दोनों ने गला दबा कर उस की हत्या कर दी. हत्या करने के बाद उन्होंने उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ कर के अपने कब्जे में ले लिया और लाश टांड पर छिपा दी. इस के बाद वे लाश को ठिकाने लगाने के उपाय खोजने लगे. लाश को वे बाहर ले कर नहीं जा सकते थे लिहाजा उन्होंने 21 वर्षीय सचिन की लाश के 6 टुकड़े किए और उन टुकड़ों को गटर में डाल दिया. लाश ठिकाने लगा कर वे निश्चिंत हो गए थे. फिर उन्होंने सचिन का फोन प्रयोग करते हुए उस के घर वालों से फिरौती मांगनी शुरू कर दी. जिस में वे सफल नहीं हो सके. 

उन्हें शक हो गया कि मामला पुलिस तक पहुंच गया है. पुलिस कभी भी उन के पास पहुंच सकती है, लिहाजा दोनों बिहार भाग गए पर दिल्ली पुलिस उन्हें वहीं से गिरफ्तार कर लाई. दोनों अभियुक्तों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन की निशानदेही पर खयाला रोड, प्रेमनगर के गटर से भारी मशक्कत के बाद सचिन के शरीर के सभी टुकड़े बरामद कर लिए, जिन्हें पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए राव तुलाराम अस्पताल भेज दिया. अभियुक्त भूषण कुमार सिंह उर्फ वरुण और विक्की कुमार को गिरफ्तार कर पुलिस ने न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. पुलिस अब यह जांच कर रही है कि इस मामले में इन दोनों के अलावा कहीं कोई तीसरा तो शामिल नहीं था.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

   

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