जिस पिंकी की हत्या के आरोप में उस का पति अरुण और उस के घर के अन्य सभी लोग जेल की हवा खा आए, वही पिंकी वाराणसी में अपने प्रेमी नितेश के साथ मौज से रह रही थी वाराणसी के थाना कैंट के थानाप्रभारी इंसपेक्टर विपिन राय अपने औफिस में बैठे सहयोगियों से किसी मामले पर चर्चा कर रहे थे कि तभी उन के सीयूजी मोबाइल फोन की घंटी बजी. उन्होंने फोन उठा कर देखा, नंबर बिहार का था. उन्होंने फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘जयहिंद सर, मैं झारखंड के जिला गिरिडीह से सिपाही रामकुमार बोल रहा हूं. हमारे एसपी साहब आप से बात करना चाहते हैं.’’

‘‘ठीक है, बात कराएं.’’ इंसपेक्टर विपिन राय ने कहा. इस के तुरंत बाद फोन एसपी साहब को स्थानांतरित किया गया तो इंसपेक्टर विपिन राय ने कहा, ‘‘जयहिंद सर, मैं वाराणसी के थाना कैंट का थानाप्रभारी इंसपेक्टर विपिन राय, आदेश दें सर.’’

‘‘विपिनजी, मेरे जिले के थाना घनावर की एक टीम कुछ अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए कल वाराणसी जा रही है. चूंकि अभियुक्तों का हालमुकाम पांडेपुर है, जो थाना कैंट के अंतर्गत आता है, इसलिए मैं चाहता हूं कि आप उन की हर संभव मदद करें.’’

‘‘सर, उन की हर संभव मदद की जाएगी.’’ इंसपेक्टर विपिन राय ने कहा तो दूसरी ओर से फोन काट दिया गया. यह 20 दिसंबर, 2013 की बात है.

अगले दिन 21 दिसंबर, 2013 की दोपहर को थाना घनावर की पुलिस टीम थाना कैंट पहुंची, जिस में एक सबइंस्पेक्टर, एक हेडकांस्टेबल और 2 महिला सिपाही थीं. सबइंसपेक्टर ने इंसपेक्टर विपिन राय के औफिस में जा कर कहा, ‘‘सर, मैं गिरिडीह के थाना घनावर का सबइंस्पेक्टर पशुपतिनाथ राय. कल आप की हमारे एसपी साहब से बात हुई थी ?’’

‘‘बैठिए, पहले चाय वगैरह पी लीजिए, उस के बाद अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए चलते हैं.’’

इस के बाद थानाप्रभारी विपिन राय ने मुंशी को आवाज दे कर चाय और नाश्ता भिजवाने को कहा. इसी के साथ उन्होंने छापा मारने के लिए ड्राइवर को भी तैयार होने के लिए कह दिया. चायनाश्ता आता, उस से पहले इंसपेक्टर विपिन राय ने पूछा, ‘‘मामला क्या, जिस में आप गिरफ्तारी के लिए यहां आए हैं?’’

 ‘‘सर, हमारे थानाक्षेत्र की एक शादीशुदा लड़की पिंकी 2 जून, 2011 को राउरकेला से नागपुर जाते समय बिलासपुर से रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो गई थी. मायके वालों का कहना था कि ससुराल वालों ने उस की हत्या कर दी है. उस की हत्या के आरोप में पति समेत ससुराल के 5 लोगों को जेल भेज दिया गया था, जिन में से सब की जमानतें तो हो गई थीं, लेकिन उस का पति अरुण अभी भी जेल में बंद है. जबकि हमें पता चला है कि पिंकी अपने प्रेमी नितेश के साथ आप के थानाक्षेत्र के पांडेपुर में किराए का कमरा ले कर 2 सालों से छिप कर मजे से रह रही है.’’

चायनाश्ता करा कर थानाप्रभारी इंसपेक्टर विपिन राय गिरिडीह से आई पुलिस टीम को साथ ले कर पांडेपुर के लिए रवाना हो गए. जिस मकान में पिंकी और नितेश के किराए पर रहने की सूचना मिली थी, उस पर छापा मारा गया तो दोनों जिस कमरे में रहते थे, उस में ताला बंद मिला. पूछने पर मकान मालिक ने बताया, ‘‘मेरे मकान में गिरिडीह का रहने वाला नितेश अपनी पत्नी पिंकी और बेटे के साथ लगभग 2 सालों से रह रहा था. लेकिन आज सुबह ही वह गिरिडीह चला गया है. दोनों निकले भी बड़ी हड़बड़ी में हैं. शायद उन्हें आप लोगों के आने का आभास हो गया था.’’

सबइंसपेक्टर पशुपतिनाथ राय ने मकान मालिक से उन के मोबाइल नंबर के बारे में पूछा तो उस ने कहा, ‘‘सर, मोबाइल फोन तो दोनों के पास अलगअलग थे, लेकिन हमें कभी उन के नंबरों की जरूरत ही नहीं पड़ी, इसलिए मैं ने उन के नंबर लिए ही नहीं. हर महीने समय पर वे हमारा किराया दे देते थे, बाकी हम से कोई ज्यादा मतलब नहीं था.’’

आसपड़ोस वालों से भी नितेश और पिंकी का मोबाइल नंबर पूछा गया. सभी ने कहा कि उन से उन के संबंध तो अच्छे थे, लेकिन उन का नंबर उन के पास नहीं है. सभी हैरान भी थे कि आखिर उन्होंने ऐसा कौन सा अपराध किया है कि गिरिडीह से पुलिस उन की तलाश में इतनी दूर आई है. पुलिस ने कुछ बताया नहीं. इसलिए सभी ने यही अंदाजा लगाया कि दोनों घर से भागे होंगे. थानाप्रभारी विपिन राय गिरिडीह से आई पुलिस टीम के साथ वापस थाने गए. थाने कर उन्होंने सबइंसपेक्टर पशुपतिनाथ राय को आश्वसन दे कर वापस भेज दिया कि नितेश और पिंकी के यहां आते ही वह उन्हें गिरफ्तार कर के सूचना देंगे.

 इतना कुछ जानने के बाद मन में यह उत्सुकता तो पैदा ही होती है कि मामला क्या था, जो गिरिडीह पुलिस को नितेश और पिंकी की गिरफ्तारी के लिए वाराणसी आना पड़ा. यह जानने के लिए हमें गिरिडीह ही चलना होगा. झारखंड के जिला गिरिडीह के थाना घनावर के गांव ओरखार के रहने वाले नूनूराम खेतीबाड़ी तो करते ही थे, वह लकड़ी के फर्नीचर के कारीगर भी बहुत अच्छे थे. उन के 2 बेटों में परमेश्वर बड़ा था तो अरुण छोटा. खेती और फर्नीचर बनाने के काम से उन्हें अच्छी आमदनी हो रही थी, इसलिए उन की जिंदगी आराम से कट रही थी.

नूनूराम विश्वकर्मा भले ही ज्याद पढ़ेलिखे नहीं थे, लेकिन वह बेटों को पढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते थे. उन के लाख चाहने पर भी बड़ा बेटा परमेश्वर हाईस्कूल से ज्यादा नहीं पढ़ सका. उस का मन पढ़ने में नहीं लगा तो उन्होंने उसे भी अपने काम में लगा लिया. परंतु छोटा बेटा अरुण पढ़ने में ठीकठाक था, इसलिए वह उस के मनोबल को बढ़ाते हुए आगे पढ़ने के लिए प्रेरित करे रहे. परमेश्वर अपने पैरों पर खड़ा हो गया तो नूनूराम ने कोडरमा के रहने वाले अपने एक रिश्तेदार की ममेरी साली की बेटी गुडि़या के साथ उस का विवाह करा दिया. तब तक अरुण भी बीए कर चुका था. अब वह पढ़ाई के साथसाथ पिता के काम में उन की मदद करने लगा था. 

नूनूराम का अपना ही काम इतना फैला हुआ था कि उन्हें बेटों से नौकरी कराने की जरूरत नहीं थी. इसलिए अरुण शादी लायक हुआ तो वह उस के लिए रिश्ता ढूंढ़ने लगे. संयोग से अरुण के लिए उन्हें गांव के नजदीक ही अलगदेशियो कुबरी गांव में बढि़या रिश्ता मिल गया. केदार राणा की बेटी पिंकी हाईस्कूल तक पढ़ी थी. नूनूराम को वह बेटे के लिए पहली ही नजर में पसंद गई. इस के बाद 26 मई, 2010 को अरुण और पिंकी की शादी हो गई. पिंकी ने ससुराल आ कर अपने बात व्यवहार से ससुराल वालों का मन मोह लिया था. अरुण तो उसे पा कर बहुत खुश था. वह रहने वाली भले गांव की थी, लेकिन उस का रहनसहन शहर की लड़कियों जैसा था. अरुण और पिंकी के दिन हंसीखुशी से गुजरने लगे. दिनभर का थकामांदा अरुण पत्नी के पास आता तो उस की एक झलक पा कर सारी थकान भूल जाता.

आदमी कामधंधे से लगा हो तो उसे समय का कहां पता चलता है. अरुण की शादी के भी 11 महीने बीत गए, उसे पता नहीं चला. अचानक उस ने पिंकी के साथ कहीं घूमने जाने का प्रोग्राम बनाया. वह नागपुर जाना चाहता था, जिस के लिए उस ने पहले ही टे्रन में सीट रिजर्व करा ली. 1 जून, 2011 को पिंकी अरुण के साथ टे्रन से नागपुर जा रही थी तो जब टे्रन बिलासपुर में रुकी तो वह अचानक गायब हो गई. यह 1 जून, 2011 की बात थी.

पिंकी के एकाएक गायब होने से अरुण परेशान हो उठा. जब तक ट्रेन स्टेशन पर रुकी रही, वह उसे टे्रन में ढूंढता रहा. टे्रन चली गई तो उस ने स्टेशन का चप्पाचप्पा छान मारा, लेकिन पिंकी का कुछ पता नहीं चला. अरुण पिंकी को खोज ही रहा था कि उस के मोबाइल पर उस के साले दिनेश ने फोन कर के कहा कि वह पिंकी से उस की बात कराए. जब अरुण ने उसे बताया कि पिंकी टे्रन से गायब हो गई है तो पहले दिनेश ने उसे खूब गंदीगंदी गालियां दीं, उस के बाद उस पर सीधे आरोप लगाया कि उस ने पिंकी को ट्रेन के नीचे फेंक कर मार दिया है.

अरुण लाख सफाई देता रहा, लेकिन दिनेश ने उस की एक नहीं सुनी. उसे गालियां देते हुए दिनेश एक ही बात कहता रहा कि उस ने पिंकी को मार डाला है, इसलिए उसे इस करनी का फल भोगना ही होगा. अरुण वैसे ही परेशान था, साले की इस धमकी ने उस की परेशानी और बढ़ा दी. अरुण बिलासपुर में पिंकी को खोज ही रहा था कि दूसरी ओर उस के ससुर केदार राणा ने थाना घनावर जा कर तत्कालीन थानाप्रभारी महेंद्र प्रसाद सिंह से मिल कर पिंकी को टे्रन से फेंक कर मार डालने की रिपोर्ट अरुण, उस के पिता नूनूराम, मां रामनी, भाई परमेश्वर और भाभी गुडि़या के खिलाफ दर्ज करा दी.

मुकदमा दर्ज होते ही थाना घनावर पुलिस ने नामजद लोगों को गिरफ्तार करने के लिए छापा मारा. नूनूराम को रिपोर्ट दर्ज होने का पता चल गया था, इसलिए पुलिस से बचने के लिए वह परिवार सहित छिप गया था. लेकिन वे लोग कितने दिनों तक रिश्तेदारों के यहां छिपे रह सकते थे, इसलिए धीरेधीरे सभी ने आत्मसमर्पण कर दिया. अरुण तो पहले ही पकड़ा जा चुका था. इस तरह नूनूराम का पूरा परिवार पिंकी की हत्या के आरोप में जेल चला गया. नूनूराम, परमेश्वर, रामनी और गुडि़या की तो जमानतें हो गईं, पर अरुण की जमानत नहीं हो सकी. नूनूराम के जमानत पर जेल से बाहर आने के कुछ दिनों बाद पिंकी का बाप केदार राणा उन से मिलने आया. इस मुलाकात में उस ने नूनूराम से कहा कि अगर वह चाहें तो इस मामले में वह समझौता कर सकता है. लेकिन इस के लिए उन्हें उसे 8 लाख रुपए देने होंगे.

समधी की इन बातों से नूनूराम का माथा ठनका. वह इस बात पर गौर करने लगा कि जिस आदमी ने बेटी की हत्या के आरोप में उस के पूरे परिवार को जेल भिजवाया हो, वह पैसे ले कर समझौता करने को क्यों तैयार है? जरूर इस में कोई राज है. उस ने केदार राणा से कहा, ‘‘जिस अपराध को हमारे परिवार ने किया ही नहीं, उस के लिए समझौता करने की बात कहां से गई. हम तो वैसे भी जेल हो आए हैं, तुम 8 लाख की बात कर रहे हो, हम फ्री में भी समझौता नहीं करेेंगे.’’

इस के बाद नूनूराम ने एक वकील से सलाह कर के गिरिडीह की अदालत में 10 दिसंबर, 2012 को पिंकी की हत्या के मामले में अपने परिवार को निर्दोष बताते हुए एक परिवाद दाखिल किया. यही नहीं, अपने समधी की बातों से उन्हें पूरा यकीन हो गया था कि इस मामले में उन के परिवार को फंसाया गया है. यही सोच कर उन्होंने निश्चय कर लिया कि वह असलियत का पता लगा कर रहेंगे. पिंकी जिंदा है, लेकिन कहां है, इस का पता उन्हें लगाना था. नूनूराम को पता था कि आदमी कैसा भी हो, उस का कोई कोई दुश्मन होता ही है. उन्हीं दुश्मनों से मिल कर नूनूराम सच्चाई का पता लगाने लगे. इसी खोजबीन में उन्हें पता चला कि कुबरी के जिस स्कूल में पिंकी पढ़ती थी, उसी स्कूल के प्रिंसिपल चंद्रभानु राय का बेटा नितेश कुमार भी पिंकी के साथ पढ़ रहा था. पढ़ाई के दौरान ही दोनों में प्यार हो गया था.

नितेश के घर वालों को तो पिंकी को बहू बनाने में कोई ऐतराज नहीं था, लेकिन जब इस बात की जानकारी पिंकी के घर वालों को हुई तो उन लोगों ने हंगामा खड़ा कर दिया. इस की वजह यह थी कि नितेश उन की जाति का नहीं थानितेश और पिंकी का प्यार अब तक इस स्थिति तक पहुंच चुका था कि वे अलग होने के बारे में सोच कर ही डर जाते थे. इसलिए पिंकी ने नितेश के साथ भाग कर अपनी अलग दुनिया बसाने का निर्णय कर लिया था. इस के लिए नितेश भी तैयार था. अब वे मौके की तलाश में थे. लेकिन घर वालों ने पिंकी को घर में कैद कर दिया था, इसलिए उसे मौका ही नहीं मिल रहा था. उसे मौका मिलता, उस के पहले ही केदार राणा ने नूनूराम के बेटे अरुण के साथ उस की शादी कर दी. अरुण बीए तक पढ़ा भी था और उस का फर्नीचर का काम भी बढि़या चल रहा था.

पिंकी दुलहन बन कर अरुण के घर आ तो गई, लेकिन वह अपने प्रेमी नितेश को दिल से निकाल नहीं पाई. ऐसे में ही जब कहीं से नितेश ने उस का नंबर ले कर उसे फोन किया तो वह यह भूल गई कि अब वह किसी और की अमानत हो चुकी है. फिर तो दोनों में लगातार बाते होने लगीं. इन्हीं बातों में यह बातें भी होती थीं कि वह किस तरह उस के पास पहुंचे. क्योंकि नितेश अभी भी उसे अपनाने को तैयार था. शादी होने पर अरुण पत्नी को कहीं घुमाने नहीं ले गया था. इसलिए उस ने पिंकी के साथ नागपुर घूमने जाने का कार्यक्रम बनाया. उस ने टिकट भी करा लिया था. पिंकी ने यह बात अपने प्रेमी नितेश को बताई तो उस के लिए आतुर शातिर दिमाग नितेश ने उसे पाने की योजना बना डाली. उस ने पिंकी से कहा, ‘‘अगर तुम मेरे साथ भागना चाहो तो मैं तुम्हें उपाय बताऊं?’’

‘‘मैं तो तुम्हारे साथ भागने को कब से तैयार हूं, तुम उपाय बताओ.’’ पिंकी ने कहा.

‘‘जब तुम नागपुर जाने लगोगी, मैं तुम्हें बिलासपुर में मिलूंगा. तुम वहीं टे्रन से उतर जाना.’’ नितेश ने उपाय बताया तो पिंकी बोली, ‘‘ठीक है, मैं पूरी तैयारी कर के आऊंगी. लेकिन तुम समय से पहुंच जाना.’’

इस के बाद नितेश ने पिंकी से कोच और सीट नंबर पूछ लिया. 1 जून, 2011 को अरुण पिंकी के साथ राउरकेला से नागपुर जा रहा था तो रात में जब टे्रन बिलासपुर में रुकी तो योजनानुसार नितेश वहां मिल गया. पिंकी चुपके से उस के साथ टे्रन से उतर गई. नितेश वहां से उसे ले कर दिल्ली चला गया. पिंकी के टे्रन से उतरते ही उस के भाई दिनेश ने अरुण को फोन किया कि वह पिंकी से उस की बात कराए. जब अरुण ने बताया कि पिंकी ट्रेन से लापता हो गई है तो दिनेश ने आरोप लगाया कि उस ने पिंकी को मार दिया है और टे्रन से गायब होने का नाटक कर रहा है. यही नहीं, पिंकी के पिता केदार राणा ने अगले दिन यानी 2 जून, 2011 को थाना घनावर में अरुण और उस के घर वालों के खिलाफ बेटी की हत्या की रिपोर्ट भी दर्ज कर दी थी.

नूनूराम को जब पिंकी और प्रिंसिपल चंद्रभानु राय के बेटे नितेश कुमार के प्रेमसंबंधों के बारे में पता चला तो उस ने नितेश के बारे में पता किया. पता चला, नितेश भी तब से गांव में नहीं दिखाई दिया है, जब से पिंकी गायब है. वह समझ गया कि इस का मतलब पिंकी जहां कहीं भी है, नितेश के साथ ही है. यही नहीं, पिंकी के जिंदा होने और निलेश के साथ होने की जानकारी पिंकी के घर वालों को भी है. साफ था केदार राणा के घर वालों ने पूरा षडयंत्र रच कर उस के घर वालों को फंसाया था. नूनूराम ने पत्नी और बेटे से भी पिंकी के बारे में पूछा. पत्नी ने बताया कि काम खत्म होते ही बहू कमरे में बंद हो जाती थी.

फिर वह फोन पर फुसुरफुसुर बातें करती रहती थी. बेटे ने भी कुछ ऐसा ही बताया. उस का कहना था कि एक पत्नी को जिस तरह अपने पति के प्रति समर्पित होना चाहिए, वह समर्पण भाव पिंकी में नहीं था. इन बातों ने साफ कर दिया था कि पिंकी का प्रेमसंबंध नितेश था. सारी जानकारी जुटा कर नूनूराम ने थाना घनावर में पिंकी को षडयंत्र रच कर गायब करने और उन के परिवार को झूठे मुकदमे में फंसाने का मुकदमा 6 फरवरी, 2013 को केदार राणा, पिंकी, उस के प्रेमी नितेश राय, उस के भाई निरेश राय, पिता चंद्रभानु राय, नितेश की बहन कल्याणी, केदार राणा के दामाद चतुर शर्मा के खिलाफ दर्ज करा दिया. मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने नामजद लोगों से पूछताछ तो की, लेकिन सुबूत होने की वजह से कोई काररवाई नहीं कर सकी.

नूनूराम ने देखा कि पुलिस कुछ नहीं कर पा रही है तो वह अपने स्तर से नितेश के बारे में पता लगाने लगे. आदमी चाह ले तो कौन सा काम नहीं हो सकता. आखिर नूनूराम ने पता कर ही लिया कि नितेश के पिता चंद्रभानु राय अपने खाते से हर महीने नितेश के खर्च के लिए पैसा ट्रांसफर करते हैं. लेकिन वह पैसा कहां ट्रांसफर करते हैं, यह पता नहीं चल रहा था. उन्होंने हार नहीं मानी और अंत में पता कर ही लिया कि वह पैसा कहां जाता है. नूनूराम ने पता कर लिया था कि निश्चित तारीख पर चंद्रभानु वाराणसी के लिए पैसा ट्रांसफर करते हैं. इस से उन्हें लगा कि नितेश और उन की बहू पिंकी, जिस की हत्या के आरोप में उन का बेटा अरुण जेल में बंद है, वह वाराणसी में कहीं रह रही हैं.

इतने बड़े वाराणसी में उन्हें खोजना आसान नहीं था. लेकिन नूनूराम ने घुटने नहीं टेके और मेहनत कर के पता लगा ही लिया कि नितेश और पिंकी वाराणसी के पांडेपुर में रह रहे हैं. उन्हें यह भी पता चल गया था कि पिंकी अब नितेश के बेटे की मां भी बन चुकी है. पूरी जानकारी जुटाने के बाद नूनूराम ने इस बात की सूचना इस मामले की जांच कर रहे सबइंसपेक्टर पशुपतिनाथ राय और थाना घनावर के थानाप्रभारी रासबिहारी लाल को दे दी. थानाप्रभारी रासबिहारी लाल के लिए इतनी जानकारी काफी थी. उन्होंने सारी बात गिरिडीह के पुलिस अधीक्षक क्रांति कुमार गढ़देसिया को बताई तो उन्होंने पिंकी और नितेश की गिरफ्तारी के लिए सबइंसपेक्टर पशुपतिनाथ राय के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी, जिस में हेडकांस्टेबल हरेंद्र सिंह, 2 महिला कांस्टेबल सुनीता और सरिता को शामिल किया गया

पुलिस अधीक्षक क्रांति कुमार ने थाना कैंट के इंस्पेक्टर विपिन राय को फोन कर के इस टीम का सहयोग करने के लिए भी कह दिया. लेकिन वाराणसी से इस पुलिस टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा. क्योंकि नितेश, पिंकी और बेटे को ले कर एक दिन पहले ही गिरिडीह चला आया था. गिरिडीह पुलिस को नितेश और पिंकी भले ही नहीं मिले, लेकिन यह तो पता चल ही गया था कि पिंकी जिंदा थी और नितेश के साथ रह रही थी. सबइंसपेक्टर पशुपतिनाथ ने वहीं से थानाप्रभारी रासबिहारी लाल को नितेश और पिंकी के गिरिडीह जाने की सूचना दे दी थी. सूचना मिलते ही उन्होंने तुरंत मुखबिरों को नितेश के घर पर नजर रखने के लिए सहेज दिया.

उन्हीं मुखबिरों में से किसी मुखबिर ने थानाप्रभारी रासबिहारी लाल को सूचना दी कि पिंकी और नितेश गिरिडीह के टावर चौक पर कहीं जाने की फिराक में खड़े हैं. यह सूचना मिलते ही थानाप्रभारी रासबिहारी लाल सहयोगियों के साथ टावर चौक पहुंच गए. महिला सिपाहियों की मदद से पिंकी तो बेटे के साथ पकड़ी गई, लेकिन नितेश फरार होने में कामयाब हो गया. पिंकी को थाने ला कर पूछताछ की गई तो उस ने जो बताया, वह कुछ इस तरह थापिंकी के बताए अनुसार, 11 जून, 2011 को पिंकी अपने पति अरुण के साथ नागपुर जाने के लिए निकली तो योजनानुसार टे्रन के बिलासपुर पहुंचने पर वह चुपके से नितेश के साथ टे्रन से उतर गई.

नितेश उसे ले कर रेलवे स्टेशन के बाहर गया और वहां से दोनों दिल्ली चले गए. कुछ दिनों तक दोनों दिल्ली से जुड़े गाजियाबाद में किराए का कमरा ले कर रहे. उस के बाद दोनों उत्तर प्रदेश के वाराणसी गए, जहां थाना कैंट के मोहल्ला पांडेपुर में किराए का कमरा ले कर रहने लगे. यहीं उन्हें एक बेटा पैदा हुआ. पिंकी ने थानाप्रभारी को बताया कि वह अरुण से शादी नहीं करना चाहती थी, लेकिन मांबाप के दबाव के आगे उस ने उस से शादी कर ली थी. 11 महीनों तक उस के साथ रही, लेकिन एक दिन के लिए भी वह दिल से उस की नहीं हो सकी. जबकि अरुण और उस के घर वाले उसे पूरा प्यार और सम्मान दे रहे थे. अरुण के साथ रहते हुए वह पल भर के लिए भी नितेश को भूल नहीं पाई. इसीलिए मौका मिलते ही उस के साथ भाग निकली. वह उसी के साथ अपना यह जीवन बिताना चाहती थी.

उस ने यह भी बताया कि उस के मांबाप और भाई को पता था कि वह जीवित है और नितेश के साथ वाराणसी में रह रही है. नितेश उस के साथ रह कर पढ़ाई कर रहा था. उन का खर्च नितेश के पिता चंद्रभानु राय वहन कर रहे थे. यह जो कुछ भी हुआ था, वह उस के परिवार वालों की सहमति से हुआ था. पिंकी के अपराध स्वीकार कर लेने के बाद थानाप्रभारी रासबिहारी लाल ने 23 दिसंबर, 2013 को उसे न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रीमती अपर्णा कुजूर की अदालत में पेश किया, जहां उस का धारा 164 के तहत कलमबद्ध बयान दर्ज कराया गया. बयान दर्ज कराने के बाद उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में गिरिडीह की जिला जेल भेज दिया गया

पिंकी को जेल भेजने के बाद थाना घनावर पुलिस ने नामजद अन्य अभियुक्तों में से नितेश को छोड़ कर सभी को गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया. कथा लिखे जाने तक नितेश पुलिस के हाथ नहीं लगा था पुलिस उस की तलाश कर रही थी. अरुण को जेल से रिहा कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई थी. मामले की जांच सबइंसपेक्टर पशुपतिनाथ राय कर रहे थे.

   

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