डा. सैम फ्रांसिस अपनी साउंडप्रूफ लैबोरेटरी में किसी भी व्यक्ति को इतनी तेज आवाज में म्यूजिक सुनाता था कि उस व्यक्ति की हार्टअटैक से मौत हो जाती थी. एकएक कर वह लोगों को अपना शिकार बनाता जा रहा था. वैज्ञानिक होने के बावजूद आखिर वह ऐसा क्यों कर रहा था?

पुलिस कप्तान ए.के. समीर अपने कार्यालय में बैचेनी से चहलकदमी कर रहे थे. उन की बेचैनी का कारण अखबार में छपी एक खबर थी. हालांकि अखबार स्थानीय स्तर का ही था और आसानी से दबाया भी जा सकता था, मगर फिर भी कप्तान साहब पूरी चौकसी रखना चाहते थे. इसी कारण उन्होंने संबंधित क्षेत्र के डीएसपी आशीष चौबे और एसएचओ अविनाश मलिक को तुरंत अपने औफिस में तलब किया. संबंधित दोनों अधिकारी कप्तान साहब का आदेश पाते ही उन के औफिस में पहुंच गए.

क्या आप को पता है कि मैं ने आप दोनों को यहां क्यों बुलाया है?’’ एसपी साहब ने दोनों से प्रश्न किया.

मेरे विचार से किसी लीडर के आकस्मिक आने की सूचना आदरणीय कलेक्टर साहब ने दी होगी और उन की सुरक्षा के लिए प्रोटोकाल ड्यूटी की व्यवस्था करनी होगी. आजकल नेता लोग इतने भड़काऊ भाषण जो दे रहे हैं.’’ डीएसपी चौबे ने अनुमान लगाया.

आजकल सड़क पर कोई कुत्ता भी मर जाए तो लोग समझते हैं कि उस की मौत की जांच करवाने के लिए चक्का जाम कर देंगे.’’ इंसपेक्टर मलिक थोड़े जोश में बोले.

मैं ने कोई फिक्शन या कहानी बताने के लिए नहीं बुलाया है. और हां, यहां मौत एक कुत्ते की नहीं बल्कि 3 आदमियों की हुई है.’’ एसपी साहब बोले.

”3 आदमी?’’ दोनों अधिकारी चौंक कर बोले.

मगर अभी तक ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं आई है सर,’’ एसएचओ बोले. 

परसों आप के क्षेत्र में उस हैंडपंप के पास पीपल के पेड़ के नीचे एक आदमी की लाश मिली थी. उस के बारे में क्या खबर है?’’ एसपी साहब ने पूछा. उन के स्वर में गंभीरता थी.

जी सर, उस की रिपोर्ट मैं ने आप को भेजी थी. उस लाश के बारे में स्पष्ट उल्लेख है कि उस आदमी की मौत हार्ट अटैक से स्वाभाविक परिस्थितियों में हुई थी. इस संदर्भ में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला भी दिया गया था.’’ इंसपेक्टर मलिक ने अपना स्पष्टीकरण दिया.

हां और उस रिपोर्ट के आधार पर ही मैं ने केस को खत्म करने की अनुशंसा भी की थी,’’ डीएसपी चौबे ने अपना पक्ष रखा.

”आप लोग नया केस आने के बाद पुराने केस को भूल जाते हो क्या?’’ एसपी साहब ने पूछा.

”बिलकुल नहीं सर,’’ इंसपेक्टर ने कहा.

क्या मरा हुआ व्यक्ति हमारे विभाग से संबंधित था? हमारे पास उस मृतक से संबंधित कोई सूचना है क्या?’’ डीएसपी चौबे ने पूछा. 

मेरे सामने यह स्थानीय अखबार योद्धारखा है, इसे पढ़ा आप लोगों ने?’’ एसपी साहब ने पूछा.

अरे सर, यह तो 2 कौड़ी का अखबार है. इसे तो वैसे भी कोई नहीं पढ़ता.’’ इंसपेक्टर ने मुसकराते हुए कहा.

सर, इस पेपर को तो रद्ïदी वाले भी नहीं खरीदते हैं. ऐसी क्या खबर छाप दी उस ने कि आप इतने गंभीर हो गए?’’ डीएसपी आशीष चौबे बोले.

”खबर छोटी, मगर महत्त्वपूर्ण है. पुलिस की नजर ऐसी ही छोटीछोटी खबरों पर होनी चाहिए. इस अखबार ने छापा है कि उस पीपल के पेड़ के नीचे पिछले 6 महीनों में यह तीसरी मौत है, जो हार्टअटैक से हुई है. उस ने प्रश्न उठाया है कि क्या उस पेड़ के नीचे कोई भूत रहता है जो राहगीरों की जान ले लेता है?’’ एसपी साहब ने पेपर में छपी खबर का विवरण दिया.

लेकिन सर, अगर कोई स्वाभाविक मौत मरता है तो हम क्या कर सकते हैं? ‘‘ इंसपेक्टर ने कहा. 

एसपी ए.के. समीर ने कहा, ”एक जगह पर 6 महीनों में 3 लोगों की स्वाभाविक मौत एक ही बिंदु पर होती है तो वह अस्वाभाविक जरूर हो जाती है और फिर पुलिस का काम ही शक करना है. एक बात और है, सभी मौतें उस समय पर हुई हैं, जब लोग मौर्निंग वाक के लिए निकलते हैं. इसलिए शक लाजिमी है.’’ 

यह एक संयोग भी हो सकता है सर.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

”अगर यह कोई प्राकृतिक संयोग है तब तो ठीक है, लेकिन लगातार इस तरह की घटनाएं होने से लोगों में भूतप्रेत के प्रति अंधविश्वास बढ़ सकता है, जिस की आड़ में असामाजिक तत्त्व अपनी गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं. इसलिए जांच जरूरी है.’’  एसपी साहब निर्णयात्मक स्वर में बोले.

ठीक है सर, मैं उस इलाके में अपने मुखबिर छोड़ देता हूं.’’ इंसपेक्टर मलिक बोले. 

देखो, जो भी मुखबिर छोड़ो, वह पूरी तरह विश्वसनीय होना चाहिए. क्योंकि एक ही स्थान पर 3 एक जैसी मौतें किसी बड़े षडयंत्र का हिस्सा भी हो सकती हैं. और अगर यह षडयंत्र है तो इस के पीछे जरूर किसी मास्टरमाइंड का दिमाग होगा. साधारण हत्यारे इस तरह सफाई से अपने काम को अंजाम नहीं देते.’’ एसपी साहब अपना अंतिम निर्देश देते हुए बोले.

जी, मैं किसी खास मुखबिर को ही वहां पर तैनात करूंगा.’’ इंसपेक्टर ने जवाब दिया.

क्या था 3 मौतों का राज

इंसपेक्टर मलिक ने कप्तान साहब के आदेशों का पालन किया और एक खास मुखबिर को काम पर लगा दिया. इस घटना को 3 महीने गुजर चुके थे, मगर वहां कोई घटना नहीं हुई, न ही कोई संदेहास्पद व्यक्ति दिखाई दिया.

सर, मुखबिर को काम पर लगाए 3 महीने हो चुके हैं. अभी तक कोई ऐसी घटना न ही कोई व्यक्ति दिखाई पड़ा, जिस पर शक किया जा सके. क्या हम अपने मुखबिर को वहां से हटा लें?’’ इंसपेक्टर मलिक ने एसपी साहब से पूछा.

नहीं, अभी नहीं. अगर ये घटनाएं किसी अपराध के तहत हुई हैं तो अपराधी एक बार फिर उस जगह जरूर आएगा, यह पुलिस की क्राइम साइकोलौजी कहती है. हमें उस समय तक इंतजार करना चाहिए.’’ एसपी साहब बोले.

जैसा आप का आदेश सर.’’ कह कर इंसपेक्टर बाहर निकल गए. कुछ समय गुजर जाने के बाद एक दिन. 

”सर, उस स्थान पर पिछले 2 घंटे से एक कार 3 चक्कर काट चुकी है और हर बार कुछ पलों के लिए रुकी भी है.’’ मुखबिर ने फोन लगा कर इंसपेक्टर को सूचना दी.

”मामला कुछ गड़बड़ लगता है. उस कार का नंबर नोट करो और उस की गतिविधियों पर नजर रखो.’’ इंसपेक्टर ने कहा.

सर, गाड़ी का नंबर एससी 02 बीबी 2222 है.’’ मुखबिर ने बताया 

इंसपेक्टर मलिक की दिलचस्पी बढ़ गई. वह बोले, ”ठीक है, तुम वहीं रहो मैं एसपी साहब को सूचित कर वहां पहुंचता हूं.’’ कह कर इंसपेक्टर ने अपने स्टाफ को गाड़ी के नंबर की जानकारी निकालने के आदेश दे दिए और एसपी साहब को फोन लगाया. 

हां, कहिए इंसपेक्टर मलिक,’’ एसपी साहब ने फोन उठाते ही कहा.

सर, एक सस्पेक्टेड गाड़ी उस इलाके में देखी गई है.’’ इंसपेक्टर ने कहा. 

आप ने गाड़ी के नंबर की जानकारी निकलवाई? किस की है वो गाड़ी? क्या एक्टिविटी है गाड़ी के ड्राइवर की?’’ एसपी साहब ने प्रश्नों की बौछार लगा दी.

इंसपेक्टर मलिक ने पूरा विवरण देते हुए कहा, ”जी सर, गाड़ी का नंबर साइंटिस्ट प्रोफेसर सैम फ्रांसिस का है. स्वयं सैम फ्रांसिस 3 बार गाड़ी उस स्थान पर ला कर मुआयना कर चुका है. गाड़ी की रफ्तार उस स्थान पर आ कर बहुत ही कम हो जाती है. शक करने का एक कारण और भी है कि ड्राइवर के होने के बावजूद सैम फ्रांसिस खुद गाड़ी ड्राइव कर रहा है.’’

ओह! मुझे पहले से ही शक था कि यह काम किसी प्रोफेशनल किलर का न हो कर किसी पढ़ेलिखे व्यक्ति का हो सकता है. आप तुरंत सर्च वारंट जारी करवाइए और सैम फ्रांसिस के घरदफ्तर की जांच कीजिए.’’ एसपी साहब ने आदेश दिया. 

यस सर,’’ कह कर इंसपेक्टर मलिक आदेश को तामील करने के लिए निकल पड़े. 

वैज्ञानिक ने क्यों की थीं 3 हत्याएं

कुछ ही देर में पुलिस पार्टी सैम फ्रांसिस के घर व दफ्तर में थी, जोकि मुख्य शहर से लगभग 5 किलोमीटर दूर सड़क से 200 मीटर अंदर की तरफ था. सैम फ्रांसिस का घर क्या था, वह तो एक किलेनुमा रचना थी.  यह किला काफी बड़े इलाके में फैला हुआ था और सुरक्षा की दृष्टिकोण से चारों तरफ से चौड़ी बाउंड्री वाल से घिरा हुआ था. बाहर नेमप्लेट लगी हुई थी— ‘डा. सैम फ्रांसिसऔर नीचे छोटेछोटे अक्षरों में लिखा था— ‘न्यू एक्सपेरिमेंटल लैब’. मतलब सैम फ्रांसिस का घर और दफ्तर एक ही जगह पर है. मन ही मन इंसपेक्टर ने सोचा.

सर, सैम फ्रांसिस के दादाजी अंगरेजों के जमाने में बहुत बड़े अधिकारी थे. ब्रिटेन से भारत नियुक्त होने पर उन्हें इस स्थान की आबोहवा इतनी पसंद आई कि इन्होंने कभी ब्रिटेन वापस जाने के बारे में सोचा ही नहीं. अपने प्रभाव से अपने पुत्र मतलब सैम फ्रांसिस के पिताजी को भी भारत सरकार में ऊंचे ओहदे पर नौकरी लगवा दी.

यह सब जमीनजायदाद उसी समय खरीदी हुई है. सैम भी पढऩे में बहुत अच्छा था और उस ने उच्च शिक्षा ग्रहण की है. अभी सैम गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कालेज में प्रोफेसर है और खाली समय में कुछकुछ प्रयोग भी करता रहता है. इसी कारण घर में एक प्रयोगशाला भी खोली हुई है.’’ एक स्थानीय सिपाही ने जानकारी दी.

किस तरह के प्रयोग करता है डा. सैम फ्रांसिस?’’ इंसपेक्टर ने पूछा. 

सर, इस के बारे में जानकारी तो अंदर काम करने वाले लोग ही दे सकते हैं.’’ सिपाही  ने जवाब दिया. 10 मीटर के अंतराल से लगे 2 सिक्युरिटी गेट से गुजरने के बाद पुलिस पार्टी की गाड़ी सैम फ्रांसिस के पोर्टिको में खड़ी थी. 

आइए इंसपेक्टर.’’ पोर्टिको में स्वागत करने के लिए खुद सैम फ्रांसिस खड़ा था. 

जी, डा. फ्रांसिस, आप से ही मिलना था.’’ इंसपेक्टर अविनाश मलिक ने सीधेसीधे विषय पर आते हुए कहा.

मैं जानता हूं इंसपेक्टर, आप मुझ से मिलना और बहुत कुछ जानना चाहते हैं.’’ डा. फ्रांसिस मुसकराते हुए बोला. 

फिर तो आप यह भी जानते होंगे कि मैं आप से क्यों मिलना चाहता हूं?’’ इंसपेक्टर ने कहा. 

बेशक मैं जानता हूं कि आप उन 3 नैचुरल डेथ के बारे में जानना चाहते हैं, जिन की मौतें उस पीपल के पेड़ के नीचे हुई हैं. वैसे आप के डिपार्टमेंट का शक सही है. वे सभी मौतें नैचुरल नहीं, बल्कि इंड्यूस्ड हैं.’’ डा. सैम फ्रांसिस ने बताया.

जी हां डा. सैम, हम यह जानना चाहते हैं कि ये हत्याएं प्राकृतिक मौत में तब्दील कैसे हुईं?’’ इंसपेक्टर मलिक ने पूछा. 

हत्या? हां साहब, वह सौ प्रतिशत हत्याएं ही थीं और उन हत्याओं को मैं ने प्राकृतिक रूप में कैसे बदला, यह जानना हो तो आप को मेरी लैब में चलना होगा. वैसे कुल कितने लोग हैं इस पुलिस टीम मेंïï?’’ डा. सैम फ्रांसिस ने पूछा.

ड्राइवर समेत हम कुल 9 लोग हैं.’’ इंसपेक्टर ने जवाब दिया. डा. फ्रांसिस बोला, ”लैब यहां से 200 मीटर पीछे इसी बाउंड्री में है. ड्राइवर सहित आप सभी उस लैब में पहुंचिए. चूंकि विज्ञान की बातें है, अत: यदि एक को समझ में नहीं आए तो दूसरा समझा दे.’’ 

जी नहीं, मेरी पार्टी जीप से वहां जाएगी, मगर मैं आप के साथ ही वहां जाऊंगा. मैं आप को अकेला भागने के लिए नहीं छोड़ सकता.’’ इंसपेक्टर ने दृढ़ता से कहा. 

यह भी ठीक है. यदि मुझे भागना ही होता तो मैं कब का भाग चुका होता.’’ डा. फ्रांसिस बोला. 

बातें करते हुए दोनों सैम फ्रांसिस की प्रयोगशाला में पहुंच गए. वैसे इंसपेक्टर मलिक डा. फ्रांसिस के ज्ञान के आगे अपने आप को बौद्धिक रूप से बौना समझ रहे थे तथा डा. फ्रांसिस के ज्ञान का सम्मान करते हुए सम्मोहित रूप से उस का अनुसरण कर रहे थे. 

म्यूजिक के साथ मौत का क्या था कनेक्शन

डा. सैम फ्रांसिस की प्रयोगशाला किसी आडिटोरियम से कम नहीं थी. एक बहुत बड़ा हाल था, जिस में बैठने के लिए लगभग 50 आरामदायक कुरसियां लगी हुई थीं. एक छोटा सा स्टेजनुमा प्लेटफार्म बना हुआ था, जिस के पीछे एक ब्लैकबोर्डनुमा बोर्ड लगा हुआ था.

डा. फ्रांसिस लेक्चर देगा क्या हम लोगों को?’’ एक सिपाही ने पूछा. 

पता नहीं?’’ दूसरा बोला. 

सुनिए, आप लोग ध्यान से,’’ सैम फ्रांसिस स्टेज पर चढ़ कर बोला, ”मैं आप को अपने नए प्रयोगों के बारे में कुछ बताऊंगा और शायद आप भी साक्षी बनें इस लैबोरेटरी में होने वाले पहले एक्सपेरिमेंट का. जी हां, आज इस लैबोरेटरी का उद्ïघाटन आप लोगों के द्वारा ही होगा.

”प्रयोग शुरू करने से पहले मैं आप लोगों को इस हाल की रचना के बारे में बता दूं. यह हाल पूरी तरह से साउंडप्रूफ है. इस हाल को बनाने के लिए 2 परतों वाली दीवार बनाई गई है और इन दोनों परतों के बीच का गैप 2 इंच का रखा गया है. इस गैप को भरने के लिए 6 एमएम मोटी ग्लास फाइबर की शीट तथा थर्मोकोल डाला गया है.’’

सैम फ्रांसिस ने आगे बताया, ”पूरी तरह से साउंडप्रूफ बनाने के लिए सौ प्रतिशत सुरक्षा बरती गई है. इसी कारण इस हाल के अंदर और बाहर विशेष तरह के मटीरियल का प्लास्टर किया गया है, जो चावल की भूसी से बना होता है और एक बेहतरीन साउंडप्रूफ एजेंट का काम करता है.

”अब अगर इस प्रयोगशाला में 10 डीजे भी एक साथ बजाए जाएं तो रत्ती भर भी आवाज इस हाल के बाहर नहीं जाएगी. साउंड के वाइब्रेशन से इस बिल्डिंग को नुकसान न पहुंचे, इसलिए हाल की छत को डोमनुमा बनाया गया है और एक 12 इंच डक्ट निकालते हुए उसे जमीन में ले जा कर गाड़ दिया गया. इस से यहां ध्वनि से पैदा की गई छोटी से  छोटी तरंग जमीन में समाहित हो जाएगी और बिल्डिंग सुरक्षित रहेगी.’’

लेकिन यह सब आप हमें क्यों बता रहे हैं? इस का हमारे केस से क्या संबंध है?’’ इंसपेक्टर मलिक ने सैम फ्रांसिस को बीच में टोकते हुए कहा. 

इंसपेक्टर साहब, इन सब बातों का सीधा और गहरा संबंध है इस केस से. मैं प्रयोग कर रहा था कि आदमी को कैसे मारा जाए कि उस की मौत प्राकृतिक लगे, जबकि वह हो सुनियोजित हत्या. और सब से बड़ी बात उस तकनीक को मास यानी कई लोगों पर एक साथ आजमाया जा सके.

जिस तरह निर्जीव रबर एक सीमा तक ही तनाव सह सकती है, उस के बाद टूट जाती है. उसी प्रकार आदमी भी एक स्तर तक ही तनाव सह सकता है, उस के बाद उस के शारीरिक अवयव जैसे दिमाग और दिल इसे सहने की क्षमता खो देते हैं और परिणामस्वरूप या तो उसे ब्रेन हैमरेज हो जाता है फिर सिवियर हार्ट अटैक आ जाता है. 

अपनी स्टडी के दौरान मैं ने पाया कि एक स्वस्थ आदमी 60 डेसिबल तक का साउंड आसानी से सह सकता है. उस के बाद का साउंड कुछ सीमा तक असहनीय होने लगता है और शरीर पर प्रतिकूल असर डालने लगता है. 

यद्यपि कुछ म्यूजिक कांसट्र्स में साउंड 120 डेसिबल तक का होता है. इसे इंसान का शरीर इसलिए सहन करता है, क्योंकि यह उस की पसंद का होता है तथा सब से बड़ी बात यह खुले आसमान के नीचे कुछ सीमित समय के लिए ही होता है. अत: इस का हानिकारक प्रभाव तुलनात्मक रूप से कम होता है.

मधुर लगने वाले और पेड़ पौधों तक को जीवन देने वाले संगीत को मैं मौत के हथियार के रूप में इस्तेमाल करना चाहता था. इसी कारण मैं ने इस लैबोरेटरी का निर्माण किया.’’ डा. सैम फ्रांसिस कह रहा था. सस्पेंस बढऩे पर इंसपेक्टर मलिक ने पूछा, ”मगर तुम तो कह रहे थे कि आज इस लैब का उद्ïघाटन है तो इस से पहले जिन 3 आदमियों पर तुम ने प्रयोग किए, वह कैसे और कहां पर किए?’’

”वो यहीं मेरे घर के ऊपरी मंजिल वाले हाल में किए थे. पहला आदमी बेचारा कई दिनों से भूखा इधरउधर घूम रहा था. मुझे अपने प्रयोग के परीक्षण के लिए आदमी की जरूरत थी. मैं ने नौकरी का झांसा दे कर अपने पास रख लिया. 2 दिन भर पेट खाने के बाद वह स्वस्थ हो गया. फिर उसे तेज संगीत सुना कर मार डाला.’’ सैम फ्रांसिस ने बताया.

लेकिन उस ने इतनी आसानी से मौत को गले लगाना स्वीकार कैसे कर लिया?’’ इंसपेक्टर ने पूछा. 

”आसानी से कहां? उसे तो पता ही नहीं था कि वह मरने जा रहा है. मैं ने उसे समझाया कि मैं संगीत के जरिए ऐसा प्रयोग करने जा रहा हूं, जिस से आदमी अपनी शक्ति बिना खोए और बिना खायपिए एक बरस तक जिंदा रह सकता हैं.’’ सैम ने बताया.

”क्या ऐसा संभव है?’’ उस आदमी ने पूछा. 

बिलकुल संभव है और मुझे खुशी है कि मैं ने अपने इस प्रयोग को पूरा करने के लिए पहले आदमी के रूप में तुम्हें चुना है.’’ सैम बोला, ”मैं जानता था कि खुले हाल में इतना तेज संगीत लगातार नहीं बजाया जा सकता है, अत: मैं ने उस के कानों में उच्च तकनीकी क्षमता वाले ईयर फोंस लगा दिए.

”इतना निश्चित था कि ध्वनि की तीव्रता बढऩे पर वह उन ईयर फोंस को निकाल कर फेंक देता. अत: मैं ने उसे समझाया कि एक साल के लिए शक्ति संचय करने के लिए उस का निश्चल रहना जरूरी है और यह तभी संभव होगा जबकि शक्ति संचय के लिए उस के शरीर को अच्छे से बांध दिया जाए. 

”बांधने का कोई निशान नहीं आए, इस के लिए पहले उसे मोटी बैडशीट में रैप किया गया, फिर ऊपर से एक ब्लैंकेट से लपेटा गया और सब से आखिर में चौड़े पैकिंग टेप से कस कर इस तरह से पैक किया गया कि वह हिलडुल भी न सके. 

”अब उस के ईयरफोन को एक डीजे से कनेक्ट कर दिया. यह डीजे से 150 डेसिबल का शोर उत्पन्न कर सकता था. उस की इच्छा थी कि उसे धार्मिक ग्रंथों का पाठ सुनाया जाए.

”उस के ईयरफोन में वाल्यूम बढऩे के साथ ही वह तड़पने लगा और छोड़ देने की विनती करने लगा. मगर मैं अपने प्रयोग को अधूरा कैसे छोड़ सकता था. मैं ने साउंड को फुल वाल्यूम तक बढ़ाया.

”लगभग 6 घंटे बाद बाद वह बेहोश हो गया और जैसे ही होश आने को हुआ मैं ने उसे मौत का संगीत उसी तीव्रता के साथ फिर से सुनाना शुरू कर दिया. बेचारा 2 घंटों में ही मौत की नींद सो गया. यह एक प्लांड मर्डर था, जिसे मैं ने स्वाभाविक मौत का जामा पहना दिया था. मैडिकल की भाषा में इसे इंड्यूस्ड हार्ट अटैक कहते हैं.

इसी तरह मैं ने दूसरे और तीसरे प्रयोग भी किए, जो सफल रहे. अब इस प्रयोग को मैं एकएक आदमी पर अलगअलग करना नहीं चाहता. इसीलिए मैं जानबूझ कर उस पेड़ के सामने रुका था. वह तो शिकार को फंसाने के लिए फेंका चारा था, जिस में 9 बकरियां फंस गईं.

बताइए इंसपेक्टर, आप कौन सा संगीत सुनते हुए मरना पसंद करेंगे?’’ सैम फ्रांसिस ने पूछा.

देखिए डाक्टर साहब, आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं. मैं ने अपने मोबाइल पर आप के बयान रिकौर्ड कर लिए हैं. मैं अभी इसे अपने सीनियर्स को फारवर्ड कर देता हूं.’’ इंसपेक्टर यह कह कर अपनी कुरसी से उठने लगे.

लेकिन वह कुरसी से उठ नहीं पाए, क्योंकि उन की कलाइयां और बाहें किसी नर्म कुशन वाले रबर की बेल्ट से बंध गई थीं. सभी 9 पुलिसकर्मी अपनीअपनी कुरसियों से बंध गए थे.

”हाहाहा…’’ हंसते हुए सैम फ्रांसिस बोला, ”इतना मूर्ख समझते हो क्या साइंटिस्ट को? मैं इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकता था इंसपेक्टर? तुम ने इस हाल में घुसने से पहले अपने मोबाइल की रिकौर्डिंग औन जरूर की थी, मगर इस में घुसते ही मैं ने अपने फ्रीक्वेंसी कंट्रोलर से सभी के मोबाइल आटो औफ मोड में डाल दिए हैं. अब किसी को तुम्हारी लोकेशन की भनक तक नहीं लगेगी.

कुरसियों पर जो बेल्ट बंधी हैं, उन के अंदर एक विशेष तरह के फोम का कुशन लगा हुआ है. इस से आप लोगों को किसी तरह की तकलीफ नहीं  होगी और आप लोगों के शरीर पर किसी तरह का निशान तक नहीं आएगा. और यह लीजिए, मैं आप लोगों को कमर के ऊपर के हिस्से को भी जकड़ देता हूं. अब आप लोग चैन की मौत मर सकते हैं. एंजौय द म्यूजिकल डेथ. हाहाहा…’’ सैम फ्रांसिस ने कुटिलता से हंसते हुए पूछा, ”कोई आखिरी इच्छा?’’

आखिर तुम यह सब क्यों कर रहे हो? क्या उद्ïदेश्य  है तुम्हारा?’’ इंसपेक्टर ने पूछा. 

मरते दम तक भी अपनी कर्तव्यनिष्ठा नहीं छोड़ रहे हो इंसपेक्टर.’’ सैम फ्रांसिस शब्दों को चबा कर बोला, ”ठीक कहते हो इंसपेक्टर, हर काम के पीछे एक मोटिव होना तो जरूरी है और मेरा मोटिव है बदला सिर्फ बदला.’’ 

अगर बदला लेना ही मोटिव है तो उन 3 लोगों के बारे में तो पता नहीं, मगर हम 9 लोगों में से तो किसी ने भी तुम्हारे साथ कुछ नहीं किया. फिर बदला किस बात का?’’ इंसपेक्टर ने बात को लंबा करने के लिहाज से पूछा.

बदला… बदला तो मुझे भारत में रहने वाले हर व्यक्ति से लेना है. सोच रहे होगे क्यों? मैं बताता हूं. हम अंगरेज तो कुछ घूमने कुछ ढूंढने के मकसद से यहां आए थे. मगर तुम्हारे पूर्वजों की मूर्खता के कारण हमें यहां अपने पर शासन करने का अवसर दिया. 

अच्छा बताओ अंगरेजों के आने से पहले तुम क्या थे? अनपढ़, जाहिल और गंवार न? हम अंगरेजों ने तुम्हें सभ्य लोगों की तरह रहना, बोलना, पढऩा और व्यवहार करना सिखाया.

मगर उन सब बातों का अहसान न मानते हुए तुम लोगों ने हमारे ही खिलाफ विद्रोह कर दिया. मेरे दादाजी पता नहीं क्या सोच  कर यहीं रुक गए. उन के इस निर्णय से हम न तो भारतीय हो पाए और न ही अपने देश के हो पाए. लेकिन मेरी रगों में अभी भी ब्रिटिश हुकूमत दौड़ रही है.

इसी कारण सम्मेलनों में, साहित्य में या फिल्मों में जब किसी अंगरेज का अपमान किया जाता है तो मेरा खून खौल उठता है और मैं हर भारतीय से बदला लेने को बेचैन हो जाता हूं. 

बहुत अहिंसा…अहिंसा का पाठ पढ़ते हो न? इसी कारण बदला लेने के लिए यह अहिंसात्मक हत्याएं करता हूं. इस में न कोई हथियार उठता है और न कोई खूनखराबा होता है. कोई सबूत भी नहीं रहता है तो कोई मुझ पर आरोप नहीं लगा सकता. न ही कोई शक कर सकता है.

आज तुम 9 लोग अपनी मौत की ध्वनि सुनोगे. इस के बाद इस प्रयोगशाला में 50 ऐसे लोग आएंगे, जो लकी ड्रा के माध्यम से बुलाए जाएंगे. मरने के बाद लाशों को यहां से बहुत दूर अलगअलग जगहों पर फेंका जाएगा. अगर मैं हजार पांच सौ को मारने के बाद पकड़ा भी जाऊं तो मैं समझूंगा कि मेरा बदला पूरा हो गया.’’

देखो डाक्टर, ऐसा मत करो. हम ने कई अंगरेज विद्वानों का सम्मान भी किया है. अगर तुम्हारी नजर में हम ने कुछ गलती की भी है तो उसे माफ कर देने में तुम्हारा बड़प्पन ही दिखाई देगा.’’ इंसपेक्टर ने एक बार फिर अनुरोध किया.

चलो बातें बहुत हो गईं. अब इस प्रयोग को शुरू करते हैं. इस में संगीत की आवृत्ति धीरेधीरे बढ़ते हुए अपने चरम पर जाएगी और तुम लोगों को मौत की नींद सुलाएगी. फाइनली गुडबाय टू एवरीवन. इट्स टाइम टू प्ले म्यूजिक फौर मर्डर. हैव अ नाइस जर्नी टू हेवन.’’ कहता हुआ सैम फ्रांसिस म्यूजिक चालू कर के लैबोरेटरी से बाहर निकल गया.

एसपी ने कैसे बचाई 9 पुलिसकर्मियों की जान

उधर पुलिस मुख्यालय में एसपी ए.के. समीर ने डीएसपी आशीष चौबे को फोन किया, ”हैलो डीएसपी चौबे?’’

यस सर, बोल रहा हूं.’’ डीएसपी ने जवाब दिया.

इंसपेक्टर को सैम फ्रांसिस के यहां गए 3 घंटे से भी ज्यादा गुजर चुके हैं, मगर कोई फीडबैक नहीं मिला. आप के पास कोई सूचना है क्या?’’ एसपी ने पूछा.

नहीं सर, अभी तक कोई नहीं.’’ उधर से जवाब आया. 

”तुरंत दूसरी टीम तैयार करो, हमें अभी वहां के लिए निकलना पड़ेगा, शायद वे लोग किसी परेशानी में हों.’’ एसपी समीर ने कहा. 

कुछ ही देर में लगभग 15 लोगों की दूसरी टीम सैम फ्रांसिस के घर पर थी. एसपी ए.के. समीर ने सैम फ्रांसिस से सीधे और कड़क लहजे में पूछा, ”इंसपेक्टर सहित हमारी पुलिस पार्टी कहां है?’’ 

वे लोग तो काफी समय पहले ही यहां से निकल चुके हैं.’’ सैम को पुलिस पार्टी से इतनी त्वरित प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी, अत: उस ने झूठ बोला, जबकि उस की घबराहट चेहरे से झलक रही थी.

यह झूठ बोल रहा है, इसे पुलिस की भाषा में अच्छा सबक सिखाओ. शायद इंसपेक्टर मलिक कुछ नरमी कर गया, इसी कारण मुसीबत में फंस गया लगता है.’’ एसपी साहब ने साथ आए जवानों को आदेश दिया.

कप्तान साहब का आदेश मिलते ही पुलिसकर्मियों ने डा. सैम फ्रांसिस को हिरासत में ले लिया. पुलिस की थोड़ी सी पिटाई के बाद सैम ने पीछे वाली लैब का पता बता दिया. फिर एसपी टीम के साथ वहां पहुंचे तो लैबोरेटरी में इंसपेक्टर सहित पूरी पुलिस पार्टी लगभग बेहोशी की अवस्था में मिली. सभी को तुरंत अस्पताल ले जाया गया. 2-3 घंटे बाद इंसपेक्टर मलिक और अन्य पुलिसकर्मी होश में आ गए. फिर इंसपेक्टर मलिक ने सारी बात एसपी साहब को बता दी. इस के बाद पुलिस ने सैम फ्रांसिस को कई धाराओं के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

काश! इस वैज्ञानिक ने अपने ज्ञान का प्रयोग जन उपयोगी कार्यों के लिए किया होता तो समाज का कितना भला होता.’’ घटना सुनाने वाला हर शख्स यही कह रहा था.

 

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