दिल्ली के व्यवसायी एक अनजान फोन काल रिसीव करते ही साइबर ठगों के जाल में फंसते चले गए. इस का अहसास उन्हें तब हुआ, जब वह उन्हें 33 लाख रुपए अपनी मरजी से दे चुके थे. आप भी जानें कि साइबर ठगों ने उन से कैसे की लाखों रुपए की ठगी?
व्यवसायी कमल हांडा टीवी पर न्यूज देख रहे थे, तभी उन के मोबाइल की घंटी बजी. स्क्रीन पर नया नंबर था, इसलिए पहली बार में कमल हांडा ने फोन नहीं उठाया. जब दोबारा उसी नंबर से काल आई तो उन्होंने काल रिसीव करते हुए कहा, ”हैलो, मैं कमल हांडा बोल रहा हूं, आप कौन हैं?’’
दूसरी तरफ से एक महिला की आवाज आई, ”हमें कमल हांडा से ही बात करनी है.’’
”आप ने अपना परिचय नहीं दिया मैडम. आप…’’
”मेरा परिचय पूछ कर क्या मुझ से शादी करेगा? सुन मेरा नाम सीमा चौहान है और मैं लखनऊ के आरामबाग थाने से बोल रही हूं.’’
”थाने से…’’ कमल हांडा घबरा कर पलंग पर उठ कर बैठ गए, ”म…मेरा थाने से क्या लेनादेना मैडम…’’
”तेरा नहीं, हमारा तो है हांडा.’’ सीमा चौहान का स्वर उभरा, ”तेरे खिलाफ यहां थाने में 17 एफआईआर दर्ज हैं.’’
”क्या कह रही हैं मैडम, मैं तो कभी लखनऊ गया भी नहीं.’’ कमल हांडा बुरी तरह घबरा गए, ”आप को अवश्य कोई गलतफहमी हुई है. आप…’’
सीमा चौहान ने उस की बात काट दी, ”तुम लखनऊ गए या नहीं गए, इस से हमें कुछ लेनादेना नहीं है. यहां तुम्हारी 17 एफआईआर दर्ज हैं और यही बताने के लिए मैं ने तुम्हें फोन किया है. ले तू एसआई महीपाल सिंह से बात कर.’’ कमल हांडा का सारा बदन पसीने से भीग गया… उन्हें अपनी सांसें गले में अटकती महसूस हुईं. उन के कान में कुछ ही क्षण बाद एक रौबदार आवाज पड़ी, ”कमल हांडा बोल रहा है न तू?’’
”ज… जी हां साहब.’’ कमल हांडा थूक गटक कर जल्दी से बोला.
”आरामबाग थाने में तेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज है. तेरी हमें कई दिनों से तलाश थी, तुझे हम ने कई बार काल की, लेकिन तूने कभी काल अटेंड नहीं की…’’
”मुझे कोई काल नहीं आई साहब. आज पहली बार मैडम ने फोन किया है.’’
”यानी मैं झूठ बोल रहा हूं.’’ दूसरी तरफ से एसआई महीपाल सिंह ने डपट कर कहा.
”नहीं साहब… आप कह रहे हैं तो ठीक ही होगा. मैं ने ही नया नंबर देख कर फोन नहीं उठाया होगा.’’ अपनी उखड़ती सांसों पर काबू पाने का भरसक प्रयास करते हुए व्यवसायी कमल हांडा बोले, ”मैं सच कह रहा हूं साहब… मैं कभी लखनऊ नहीं गया. फिर मेरे खिलाफ 17 एफआईआर… कुछ समझ नहीं आ रहा है.’’
”तू लखनऊ आ जा हांडा… किसी को कैसे समझाते हैं, वह यहां हम बता देंगे.’’
”मैं बालबच्चेदार आदमी हूं साहब, मुझे लखनऊ मत बुलाइए.’’ कमल हांडा कहतेकहते रोने लगे.
”तो इन 17 एफआईआर का दंड क्या तेरा बाप भुगतेगा.’’ एसआई ने घुड़क कर कहा, ”लखनऊ तो तुझे आना ही पड़ेगा, तू नहीं आएगा तो हमें तेरे घर आना पड़ेगा.’’
”साहब, मैं मर जाऊंगा. मुझ पर रहम कीजिए.’’ कमल हांडा जोरजोर से रोने लगे.
”रोना बंद कर हांडा, पहले यह जान ले कि तेरे खिलाफ 17 एफआईआर किस बात की हैं.’’
”बता दीजिए साहब…’’ कमल हांडा अपने आंसू पोंछते हुए धीरे से बोला, ”मैं फिर भी कहूंगा, मैं लखनऊ कभी नहीं गया हूं.’’
”किसी ने तुम्हारे नाम से कोई मोबाइल सिम इश्यू करवाई होगी हांडा, उस ने उन नंबरों से हवाला और मानव तस्करी जैसे अपराध किए हैं. वह कौन है, यह हमें नहीं पता, लेकिन आधार कार्ड तुम्हारा इस्तेमाल हुआ होगा और कई सिम इश्यू करवा ली गईं. इस में अपराधी तो तुम ही हुए. हवाला और मानव तस्करी जैसा अपराध तुम्हें पूरी जिंदगी जेल में सड़ा सकता है.’’
”नहीं साहब…’’ कमल हांडा जेल के नाम से थरथर कांपने लगे, ”अब बताओ, तुम लखनऊ आओगे या हम दिल्ली आएं.’’ एसआई ने गंभीर स्वर में पूछा.
”मैं शरीफ आदमी हूं साहब… आप मुझे बचा लीजिए. मैं ने यह गुनाह नहीं किए हैं.’’
”देखो, इस मामले में एसपी साहब खुद दिलचस्पी ले रहे हैं. तुम उन से बात कर के देख लो. वह बताएंगे क्या कुछ हो सकता है. तुम हांडा अपनी ओर से वीडियो काल कर के एसपी साहब से आमनेसामने बात कर लो.’’ कमल हांडा ने कांपते हाथ से मोबाइल की वीडियो काल चालू की. दूसरी ओर उसे एक कमरे में लंबी मेज नजर आई, मेज पर ग्लोब, कुछ रजिस्टर और पुलिस कैप रखी दिखाई दी. उस मेज के पीछे एक चेयर पर लंबाचौड़ा वरदीधारी पुलिस अफसर बैठा दिखा. यह वरदी यूपी पुलिस की थी और ठीक ऐसी ही थी, जो एसपी पहनते हैं. उस लंबे पुलिस अफसर का रौबदार चेहरा बड़ीबड़ी सफेद मूछों से और रौबदार लग रहा था. उस के हाथ में मोबाइल फोन था.
एसपी ने क्यों कही सेटलमेंट की बात
”तुम्हीं कमल हांडा हो.’’ एसपी ने कमल हांडा के चेहरे पर तीखी नजर डालते हुए पूछा.
”जी साहब,’’ कमल हांडा ने सिसकते हुए कहा, ”आप मुझे बचा लीजिए साहब, किसी ने मेरे आधार का मिसयूज किया है.’’
”तुम अपराधी हो हांडा और तुम्हारे खिलाफ हम ने ठोस सबूत भी इकट्ठे कर लिए हैं. तुम्हें कम से कम 10-15 साल की सजा होगी.’’
”मैं ने गुनाह नहीं किया है साहब. मुझे किसी ने फंसाया है…’’
”तुम मामला रफादफा करवाना चाहोगे क्या हांडा?’’
”जी हां, साहब…’’
”तुम्हें मैं बचा लूंगा, लेकिन इस के लिए हमें दूसरे केस रजिस्टर में शो करने पड़ेंगे. कागज तैयार करने और कोर्ट में केस लडऩे के लिए वकील खड़ा करना पड़ेगा. वह वकील उन केसों में तुम्हें साफ बरी करवा देगा.’’
”जी, आप कुछ भी कीजिए… मैं खर्चा दे दूंगा.’’
”ठीक है.’’ एसपी ने अपने पास खड़े एसआई की ओर देखा, ”आप कमल हांडा से कोर्ट फीस, वकील का खर्च ले लीजिए, मामला 420 का बनाइए. कमल हांडा को बचाना है.’’
”ओके सर.’’ एसआई महीपाल सिंह ने कहा और एसपी से मोबाइल ले कर कमल हांडा से बात करने लगा, ”हांडा, मैं तुम्हें वाट्सऐप पर एक बैंक अकाउंट भेज रहा हूं, तुम इस में 2 लाख रुपए डाल दो. मैं तुम्हारे केस को रफादफा कराता हूं.’’
”बहुत मेहरबानी साहब.’’ कमल हांडा ने अपने आंसू पोंछते हुए जल्दी से कहा, ”मैं 2 लाख रुपए ट्रांसफर कर दूंगा. आप अकाउंट नंबर भेज दीजिए.’’
”हां.’’ एसआई महीपाल सिंह ने कहा और थोड़ी देर में उस ने वाट्सऐप पर एक अकाउंट नंबर भेज दिया.
व्यवसायी कमल हांडा ने उस अकाउंट में 2 लाख रुपए तुरंत ट्रांसफर कर दिए. अब वह कुरसी पर बैठ कर अपनी उखड़ी सांसों को दुरुस्त करने लगा था. यह 13 जुलाई, 2024 की बात है.
साइबर क्राइम पुलिस ने शुरू की जांच
18 जुलाई, 2024 को सेंट्रल दिल्ली के कमला मार्किट साइबर थाने के एसएचओ खेमेंद्र पाल सिंह को वाट्सऐप द्वारा एक साइबर ठगी की शिकायत मिली. शिकायतकर्ता था दिल्ली का करोल बाग निवासी कमल हांडा. कमल हांडा ने शिकायत की थी कि ठगों ने उसे डराधमका कर 31 लाख 55 हजार रुपए का चूना लगा दिया है. कमल हांडा ने करोल बाग में स्थित अपने घर का पता भी लिखा था और अपना मोबाइल नंबर भी. इतनी बड़ी ठगी उस के साथ हो गई थी, लेकिन वह सामने नहीं आया था. उस ने अपनी शिकायत वाट्सऐप द्वारा साइबर थाने में की थी.
यह इंसपेक्टर खेमेंद्र पाल सिंह को थोड़ा विचित्र लगा, लेकिन यह सोच कर कि कुछ लोग पुलिस थानों के नाम से ही डरते हैं. उन की हिम्मत बेकुसूर होने के बाद भी पुलिस से आंख मिलाने की नहीं होती है. शायद यह कमल हांडा भी इन्हीं लोगों में से एक होगा. बहरहाल, उस से बात तो करनी ही थी, तभी पूरा मामला समझ में आता. कुछ सोच कर इंसपेक्टर खेमेंद्र पाल सिंह ने कमल हांडा का मोबाइल नंबर मिला लिया. दूसरी ओर घंटी बजती रही, लेकिन किसी ने फोन अटेंड नहीं किया. इंसपेक्टर खेमेंद्र पाल चौंके, ‘बंदा क्या चीज है जो पुलिस की काल अटेंड नहीं कर रहा है.’
इंसपेक्टर खेमेंद्र पाल सिंह ने दोचार बार कमल हांडा का नंबर मिलाया और दूसरी तरफ से उसे उठाया नहीं गया तो इंसपेक्टर झल्ला गए. उन्होंने घंटी बजा कर अर्दली से कहा कि वह हैडकांस्टेबल सतीश को बुला कर लाए. कुछ ही देर में हैडकांस्टेबल सतीश उन के सामने खड़े थे.
”गुड आफ्टरनून सर. आप ने मुझे बुलाया है?’’
इंसपेक्टर खेमेंद्र पाल सिंह ने हैडकांस्टेबल को कमल हांडा के फ्लैट का एड्रैस नोट करवा कर आदेश दिया कि कमल हांडा को साइबर थाने में साथ ले कर आएं. ध्यान रहे, इन्हें इज्जत के साथ यहां लाना है. हैडकांस्टेबल सतीश अपनी मोटरसाइकिल से उसी वक्त करोल बाग के लिए निकल लिए. आधा घंटे में वह दिए गए एड्रैस पर पहुंच गए. उन्हें कमल हांडा घर पर ही मिल गया. कमल हांडा दरवाजे पर पुलिस हैडकांस्टेबल को देख कर चौंक पड़े.
”कहिए! आप को किस से मिलना है?’’ शिष्टाचार दिखाते हुए उन्होंने हैडकांस्टेबल से पूछा.
”कमल हांडा यहीं रहते हैं.’’
”जी, मेरा ही नाम कमल हांडा है.’’
”आप को मेरे साथ थाने में चलना है, साहब ने आप को बुलाया है.’’ हैडकांस्टेबल ने कहा. कमल हांडा को समझते देर नहीं लगी कि उन की वाट्सऐप शिकायत पर उन्हें साइबर थाने बुलाया गया है. वह तैयार हो कर हैडकांस्टेबल के साथ कमला मार्किट के साइबर थाने में पहुंच गए. हैडकांस्टेबल सतीश ने उसे इंसपेक्टर खेमेंद्र पाल सिंह के कमरे में पहुंचा दिया. कमल हांडा ने दोनों हाथ जोड़ कर इंसपेक्टर खेमेंद्र पाल सिंह को नमस्ते की.
”आप ही कमल हांडा हैं?’’ कमल हांडा को उपर से नीचे तक देखते हुए इंसपेक्टर सिंह ने पूछा.
”जी हां.’’
”बैठिए.’’ इंसपेक्टर सिंह ने कुरसी की ओर इशारा कर के कहा. कमल हांडा बैठ गए. कुछ क्षण वह मौन रहे. इस मौन को इंसपेक्टर खेमेंद्र पाल सिंह ने तोड़ा, ”आप के साथ लाखों रुपए की ठगी कर ली गई. आप थाने नहीं आए, अपनी शिकायत आप वाट्सऐप से मुझे भेज रहे हैं.’’
”जी सर, मैं थानाकचहरी से बहुत डरता हूं, इसलिए मैं ने वाट्सऐप से साइबर थाने को शिकायत भेजी थी.’’
”आप को कैसे ठगा गया, मैं विस्तार से जानना चाहता हूं.’’ इंसपेक्टर सिंह गंभीर हो गए, ”मैं समझता हूं, बस आप ही नहीं ठगे गए होंगे. उन ठगों ने और भी लोगों को ठगा होगा.’’
32 लाख की ऐसे हुई ठगी
इस के बाद कमल हांडा ने अपने साथ की गई ठगी की सारी दास्तान इंसपेक्टर खेमेंद्र पाल सिंह को सुना दी. उन्होंने बताया कि एसआई महीपाल सिंह नाम के व्यक्ति ने जो अकाउंट नंबर दिया था, उस में मैं ने 2 लाख रुपए डाल दिए. इस के बाद एसआई महीपाल सिंह ने 2-3 दिन तक मुझ से नएनए बहानों से अलगअलग अकाउंट्स में पैसा डलवाए. मैं 4 दिन में उन्हें 31 लाख 55 हजार रुपया दे चुका था. मैं तब चौंका जब मैं ने लखनऊ पहुंच कर एसआई महीपाल सिंह से मिलने की बात की. उस ने मुझ से कहा कि मैं सामने न आऊं, मेरी जगह वह दूसरा आदमी कोर्ट में खड़ा कर लेंगे.
हांडा ने बताया कि इस के बाद से उस एसआई ने अपना फोन स्विच्ड औफ कर लिया है. मैं ने अपने दोस्त को सारी बात बताई तो उस ने कहा कि अवश्य ही मुझे ठग लिया गया है. मुझे साइबर पुलिस को इस ठगी की शिकायत करनी चाहिए. कमल हांडा ने गहरी सांस ली, ”सर, आप मालूम कीजिए, क्या लखनऊ के आरामबाग में कोई सीमा चौहान, एसआई महीपाल सिंह और सफेद मूंछें रखने वाला एसपी है.’’
”नहीं है.’’ इंसपेक्टर खेमेंद्र सिंह गंभीर स्वर में बोले, ”यह इसलिए कह रहा हूं कि किसी भी जिले में ऊंचे पद पर बैठे एसपी 17 एफआईआर जो संगीन अपराधों में दर्ज की गई हैं, दूसरे केसों में नहीं बदलेंगे. ऐसे मामलों में उन की भी जवाबदेही होती है. अवश्य ही आप को फरजी पुलिस वालों ने डरा कर आप से मोटी रकम हड़प ली है.’’
”अब क्या होगा सर, मेरे 31 लाख 55 हजार रुपए क्या वापस नहीं मिलेंगे?’’
”पहले हमें उन साइबर ठगों तक पहुंचने तो दीजिए. देखते हैं, उन्होंने आप की तरह और कितने लोगों को चूना लगाया है.’’ इंसपेक्टर सिंह ने डायरी उठा कर कहा, ”आप ने जिन अकाउंट्स में रुपया डाला है, उन की रसीद या नंबर तो होंगे आप के पास?’’
”मैं ने पेटीएम से उन अकाउंट में रुपया भेजा है. मैं आप को वह सभी अकाउंट नंबर नोट करवा देता हूं.’’ कमल हांडा ने कह कर अपने मोबाइल से अकाउंट नंबर निकाल कर इंसपेक्टर खेमेंद्र पाल सिंह को नोट करवा दिए.
”अब आप अपने घर जाइए, हम इन अकाउंट्स की जांच कर मालूम करते हैं कि यह किन लोगों के अकाउंट हैं.’’
”ठीक है सर.’’ कमल हांडा कुरसी से खड़े हो गए, ”मैं आप के संपर्क में रहूंगा सर. मेरी जहां जरूरत हो आप मुझे काल कर देना, मेरा मोबाइल नंबर है आप के पास.’’
”मेरे पास है.’’ इंसपेक्टर खेमेंद्र पाल सिंह ने सिर हिलाया. कमल हांडा उन्हें नमस्ते कर के उन के कक्ष से बाहर निकल गया कमल हांडा से 31 लाख 55 हजार की साइबर ठगी की वारदात को इंसपेक्टर खेमेंद्र पाल सिंह ने गंभीरता से लिया. कमल हांडा के जाने के बाद उन्होंने डीसीपी एम. हर्षवर्धन को फोन पर सारा मामला बताने के बाद उन से सलाह मांगी.
साइबर ठगों तक इस तरह पहुंची पुलिस
डीसीपी एम. हर्षवर्धन ने खेमेंद्र पाल सिंह को इस ठगी के मामले में तुरंत काररवाई करने का आदेश दे कर उन के नेतृत्व में साइबर थाने से एक टीम का गठन कर दिया. इस में एसआई अली अकरम, धीरेंद्र, हैडकांस्टेबल सतीश आदि को शामिल किया गया. इंसपेक्टर खेमेंद्र पाल सिंह ने इस टीम के साथ उन बैंक अकाउंट नंबरों को खंगाला तो उन के होश उड़ गए. जिन अकाउंट्स में ठगों ने कमल हांडा से रुपए डलवाए थे, वह करंट अकाउंट थे, उन में 2 दिन में ही करोड़ों रुपए आए थे, फिर इन्हें तुरंत दूसरे अकाउंट्स में ट्रांसफर कर दिया गया था.
साइबर टीम ने ऐसे 150 खातों को खंगाला, जिन में करोड़ों रुपए डाले गए और उन्हें तुरंत इधर से उधर दूसरे खातों में घुमा दिया गया. यह गोरखधंधा साइबर टीम की समझ में नहीं आया. इसे तभी समझा जा सकता था, जब इस ठग गिरोह का कोई व्यक्ति पुलिस की पकड़ में आता. ये खाते विभिन्न नामों की कंपनियों से खोले गए थे. जांच में साइबर टीम को पी-2 फिटनैस कंपनी का पता चला, जो किसी देव भाटी नाम के शख्स की थी. इस में देव भाटी का पता भी लिखा हुआ था. साइबर टीम ने 26 जुलाई, 2024 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में दबिश दे कर 36 वर्षीय देव भाटी को गिरफ्तार कर लिया.
देव भाटी को साइबर थाना कमला मार्किट ला कर सख्ती से पूछताछ की गई. देव भाटी ने बताया कि उस ने पी-2 फिटनैस कंपनी नाम से फर्म बना कर इस का बैंक खाता अपने रिश्तेदार रौबिन सोलंकी के कहने पर खुलवाया था. इस में काफी मोटी रकम विदेश से आती थी, जिसे वही लोग दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर कर लेते हैं. उसे अपना बैंक खाता विदेशी लोगों को यूज करने देने की एवज में मोटा कमीशन मिलता था. देव भाटी की निशानदेही पर 28 जुलाई, 2024 को 20 वर्षीय रौबिन सोलंकी को दिल्ली के अशोक नगर से पकड़ा गया. रौबिन सोलंकी ने अपने एक साथी विष्णु के कहने पर अपना बैंक अकाउंट खोला था.
रौबिन ने अशोक नगर से 25 वर्षीय विष्णु को गिरफ्तार करवा दिया. ये दोनों भी मूलरूप से बुलंदशहर के निवासी निकले. तीनों से कड़ी पूछताछ में पता चला कि इस पूरे गैंग का सरगना आकाश जैन है, जो दिल्ली के महिपालपुर में रहता है. साइबर पुलिस टीम ने 31 जुलाई, 2024 को महिपालपुर से आकाश जैन को भी गिरफ्तार कर लिया. आकाश जैन से पूछताछ में खुलासा हुआ कि वह गोरेगांव, नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश) का रहने वाला है. जबलपुर यूनिवर्सिटी से उस ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी.
उस ने टेलीग्राम ऐप द्वारा चीन के आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से मेलजोल किया. वह लोग दुनिया भर के लोगों को विभिन्न रूप से ठगते थे. आकाश जैन लोगों को बैंक अकाउंट खोलने के लिए उकसाता था, इन लोगों को मोटा कमीशन का लालच दिया जाता था. जो भी व्यक्ति उस के कहने पर बैंक अकाउंट खुलवाता था, उस अकाउंट में काफी मोटी रकम जमा होती थी, जिसे तुरंत दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया जाता था. जब इन बैंक अकाउंट्स में मोटी रकम आती थी, अकाउंट धारक को होटल में ठहरा दिया जाता था. वहां उस की तब तक निगरानी की जाती थी, जब तक उस के अकाउंट में आई मोटी रकम को दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर नहीं कर लिया जाता था.
अकाउंट खाली होने पर उस अकाउंट धारक को मोटा कमीशन दे कर छोड़ दिया जाता था. एक प्रकार से बहुत होशियारी से यह साइबर ठगी का गोरखधंधा चलाया जा रहा था. बैंक अकाउंट में जमा पैसा यूएस डालर, क्रिप्टो करेंसी अथवा हवाला के जरिए चीन समेत दूसरे देशों में भेजा जाता था. इन खातों में करोड़ों रुपए आता था. आकाश जैन और खाताधारक को मोटा कमीशन मिलता था. इन की गिरफ्तारी के बाद इन के पास से 7 मोबाइल फोन व लैपटाप बरामद किए गए. पुलिस ने चारों आरोपियों को सक्षम न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया. कथा लिखने तक पुलिस इस ठगी के गैंग में शामिल उन लोगों के पास भी पहुंचने की कोशिश कर रही थी, जो फरजी पुलिस अधिकारी बन कर शिकार को फांसते थे.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित