प्रेमी पंकज से विवाह करने के बाद नीतू ठाकुर खुश थी, लेकिन बिहार पुलिस में सिपाही की नौकरी मिल जाने के बाद वह घमंडी हो गई. इसी दौरान उस का सिपाही सूरज ठाकुर के साथ चक्कर चल गया. वासना की आग में वह इतनी अंधी हो गई कि खूनी खेल के नतीजे में 5 मौतों का मंजर सामने आया…

बिहार पुलिस की कांस्टेबल नीतू ठाकुर रात होने पर औफिस से अपने क्वार्टर पर आई थी. उस के 2 बच्चे, सास और पति काफी समय से उस का इंतजार कर रहे थे. छोटी बेटी श्रेया तो सो गई थी. सास आशा कुंवर रसोई में खाना पका रही थीं, पति पंकज कुमार सिंह साढ़े 4 साल के बेटे शिवांश के साथ बैडरूम में था. बाहर खिड़की से कमरे में बाइक की जैसे ही तेज रोशनी आई, शिवांश बोल उठा, ”मम्मी आ गइल…आ गइल.’’

भागता हुआ वह घर के मेन दरवाजे पर जा पहुंचा. मम्मी को देख कर उसे दोनों हाथों से पकड़ लिया. नीतू उसे गोद में उठाते हुए बोली, ”शिब्बू, खाना खइल!’’

ना मम्मी!’’ प्यार से शिकायती लहजे में शिवांश बोला.

ना खइल अभी तक, दादी ने कुछ देले बिया… आ पापा कहां बाडऩ हो बेटा!’’ नीतू गोद में लिए बेटे को पुचकारने लगी.

का हो कनिया, आज फिर देर से अइलू? देख तो श्रेया दूध पीए खातिर तोहरा के इंतजार करतेकरते सुत गइल बिया!’’

काहे, दूध नइखे देवलो होकरा के!’’ नीतू बोली.

कहत रही, महतारी से दूध पीयब!’’ 

सास रसोई में रोटी बेलती हुई बोली.

पंकज का करत रहुवें? हम औफिसो में ड्यूटी करीं और घर संभालीं…आ उहां के घर में खाली पलंग तोडि़हें…कोई काम करत नइखे तो कम से कम बचवन के तो संभाले के चाही!’’

उल्टा! तू रोजरोज देर से घर आवतारु, आ हमरे के ताना मारतारु…आज केकरा साथ अइलू ह! आफिस में तहार ड्यूटी तो सांझे के खत्म हो जा ला!’’ नीतू का पति पंकज नाराजगी के साथ बोला.

तू सरकारी नौकरी करब तबे न पता चली कि केतना काम करे पड़े ला…सीनियर के बात माने पड़े ला… ओकरा के बात नइखे मानब, तब हमार नौकरिए खतरा में पड़ जाई…’’

हमरा के मूरख बनवा तारु? हम नइखे जानत तहरा के काम और आफिस में ड्यूटी!’’ पंकज बोला.

का जान तर हो! जरा हमहूं तो सुनीं? …पुलिस के नौकरी बा कोने प्राइवेट नइखे! पचहत्तर गो काम करे पड़ेला…’’ नीतू बिफरती हुई बोली.

हांहां पचहत्तर गो काम में घूमेफिरे के भी बा… दोस्तयार संगे!’’ पंकज ने ताना मारा.

नीतू ठाकुर (30) बिहार में भागलपुर एसएसपी औफिस के आरटीआई सेक्शन में कांस्टेबल थी. वह रहने वाली भोजपुर जिलांतर्गत बक्सर की थी. उस ने  पुलिस में नौकरी लगने के बाद सवर्ण जाति के युवक पंकज कुमार सिंह (32 वर्ष) से प्रेम विवाह किया था. हालांकि दोनों का प्रेम संबंध काफी पहले से चल रहा था. नीतू की पहली जौइनिंग 2015 में सिपाही के तौर पर नवगछिया में हुई थी. उस के 7 साल बाद 2022 में उस की पोस्टिंग भागलपुर के एसएसपी औफिस स्थित आरटीआई सेक्शन में हो गई थी. इस तैनाती के बाद नीतू पूरे परिवार के साथ भागलपुर पुलिस लाइन के क्वार्टर नंबर सीबी-38 में आ गई थी. 

पंकज पहले अपने पैतृक शहर बक्सर के एक माल में काम करता था. वह भी पत्नी के साथ भागलपुर आ गया था और प्राइवेट जौब करने लगा था. साथ में नीतू की 65 वर्षीया सास और 2 बच्चे भी रहते थे. 

कैसे आगे बढ़ी नीतू की प्रेम कहानी

पंकज ने जब नीतू से शादी करने का फैसला लिया था, तब उसे परिवार के काफी विरोध का सामना करना पड़ा था. उन की प्रेम कहानी भी कुछ कम अनोखी नहीं थी. वे पहली बार बक्सर के एक माल में मिले थे. नीतू की मां शांति देवी जनवरी 2003 में अपने पति के निधन के बाद 4 बेटियों और एक बेटे को ले कर सारण के हरपुर जान गांव से बक्सर आ गई थीं. उन का बक्सर के नई बाजार स्थित तातो मोहल्ले में मायका था. मायके में पिता गणेश ठाकुर और भाई नागेंद्र ठाकुर के परिवार के साथ आ कर अपने पांचों बच्चों की परवरिश के लिए रहने लगी थी. इस तरह से नीतू का बक्सर ननिहाल है. उस की 2 बहनों की शादी हो चुकी थी, जबकि एक कुंवारी थी और भाई सेना में नौकरी करता था.

नीतू ने बक्सर में ही ग्रैजुएशन किया. पंकज कुमार सिंह भोजपुर जिले के मझियांव गांव का रहने वाला था. उस ने भी बक्सर कालेज से पढ़ाई की थी और बक्सर के एक माल में काम करता था. वहीं घरेलू खर्च में सहयोग देने के लिए नीतू भी काम करने आई थी, जहां उस की मुलाकात पंकज से हुई. जल्द ही वे एकदूसरे से प्यार करने लगे. जबकि वे यह जानते थे कि उन की जातियां अलगअलग हैं. पंकज नीतू से प्यार जरूर करता था और शादी भी करना चाहता था, लेकिन उसे आशंका थी कि उस के घर वाले नीतू को पसंद नहीं करेंगे. इस का मुख्य कारण नीतू का पिछड़ी जाति से होना था, जबकि पंकज सवर्ण था.

नीतू का ध्यान प्रेम संबंध को ले कर जितना था, उस से कहीं अधिक वह अपने करिअर को ले कर गंभीर थी. वह बिहार सरकार की प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होती रहती थी. पढ़ाई में अव्वल थी. दिखने में भी सुंदर और कदकाठी भी मजबूत थी. बातचीत का लहजा एकदम से स्पष्ट और ठोस था. बातें बनाना उसे नहीं आता था, लेकिन हर बात का जवाब वह तर्क के साथ देती थी. यह कहना गलत नहीं होगा कि वह एक समझदार और सुलझी हुई युवती थी और किसी को भी अपनी पहली मुलाकात में मोह लेती थी. यह बात पंकज को पसंद थी. पंकज भी कुछ इसी मिजाज का था. घर से सुखीसंपन्न था. खेतीबाड़ी थी. उस ने ठान रखा था कि सरकारी नौकरी मिले न मिले, वह एक दिन अपने पैरों पर खड़ा हो कर कुछ अलग काम करेगा. अपनी पहचान बनाएगा. 

उस के दिमाग में नई योजनाओं का आइडिया चलता रहता था. उस की यह बात नीतू को पसंद थी और उसे अपना दिल दे बैठी थी.

सिपाही बन कर नीतू क्यों हो गई घमंडी

एक दिन नीतू के लिए खुशी की वह घड़ी आ गई, जब उस ने बिहार पुलिस की प्रतियोगिता परीक्षा पास कर ली और कांस्टेबल की नौकरी मिल गई. यह जान कर पंकज भी बहुत खुश हुआ और उस ने ठान लिया कि चाहे जो अड़चन आए, वह उस से शादी जरूर करेगा. पंकज की जिंदगी में एक तरफ खुशी आई थी तो दूसरी तरफ वह तनाव से भी घिर गया था. पत्नी के ड्ïयूटी जाने पर घर संभालने की सारी जिम्मेदारी उस पर आ गई थी. न चाहते हुए उसे वह सब काम करने पड़े जो घरेलू महिलाएं करती हैं. यहां तक कि बच्चों की देखभाल में उन्हें नहलानाधुलाना, उन के कपड़ेलत्ते धोना, मलमूत्र साफ करना आदि जैसे काम भी करने पड़े. 

वह नीतू के लिए महज अपने कामधंधे के खयालों में डूबा रहने वाला एक बेरोजगार पति बन कर रह गया था. हालांकि उस के साथ उस की 65 वर्षीय मां आशा कुंवर भी रहती थीं. जैसेजैसे नीतू पर नौकरी का रंग चढऩे लगा, वैसेवैसे वह खुद को एक रुतबे वाली समझने लगी और पंकज के प्रति उस के व्यवहार में भी रूखापन आने लगा. छोटीछोटी बातों पर पंकज के काम में मीनमेख निकालने लगी थी. कई बार तो वह घर के काम में कोई गलती हो जाने पर पंकज से काफी उलझ जाती थी और बेरोजगारी का ताना मारने लगती थी.

पंकज उस के बदले हुए बरताव को समझ नहीं पा रहा था कि वह अपना बचाव कैसे करे? वह भीतर ही भीतर घुटने लगा था. उस की भावनाएं आहत होने लगी थीं. पुलिस असोसिएशन चुनाव के बाद जब से नीतू डेलिगेट्स बनी, तब से उस के व्यवहार में काफी फर्क आ गया था. उस के प्रति प्रेम में कमी आने लगी थी. इसी बीच कोरोना का दौर भी आ गया. लौकडाउन में नीतू की ड्यूटी सख्त हो गई. पंकज पर भी जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ गया. इस दौरान नीतू पंकज पर और अधिक हुकुम जताने लगी. उस के प्रति जरा भी प्यार के बोल नहीं निकलते थे. वह उसे आदेश देने लगी, जिस से वह चिड़चिड़ा हो गया. 

वह भीतरी पीड़ा से आहत था. जब भी समय मिलता, वह अपने दोनों बच्चों संग समय बिता कर या फिर खास दोस्त को दिल की बात बता कर मन हलका कर लिया करता था. नीतू के साथ खराब होते रिश्तों के कारण बच्चों पर भी असर पडऩे लगा था. तब नीतू का तबादला भागलपुर हो गया था. शिवांश की पढ़ाई को ले कर वह चिंतित रहता था. वहीं बेटे के लिए पंकज ने घर पर महिला ट्यूटर को लगा दिया था. बाद में ट्यूशन बंद करने के बाद बेटे का टेक्नो मिशन में एडमिशन करवा दिया था.

भागलपुर के पुलिस लाइन क्वार्टर में रहते पंकज और भी परेशान हो गया था. नीतू के बदले मनमिजाज और घरपरिवार के प्रति लापरवाही को ले कर पंकज ने एक दोस्त अवध को बताया था कि वह किस हद तक बेपरवाह हो गई है. घर आते ही एसी औन कर देती है और बैड पर लेट कर मोबाइल देखने लगती है. मानो उसे किसी से कोई लेनादेना ही न हो. वह बात करते हुए भाव खाती और बातबात पर उसे दुत्कार देती थी. वह उसे कमाने के लिए शहर जाने को कहती और उस की बेरोजगारी पर तंज कसती थी. वह उसे क्वार्टर से जाने के लिए भी दबाव देने लगी थी.

इसी बीच उसे नीतू के चालचलन को ले कर भी संदेह हो गया था. कारण, नीतू का पुलिस विभाग में ही काम करने वाले सूरज ठाकुर से मेलजोल काफी बढ़ गया था. उस के साथ काम करने वाला सूरज बक्सर का ही रहने वाला था. ड्यूटी खत्म होने के बाद नीतू सूरज के साथ समय गुजारने के लिए शहर में घूमने निकल जाती थी. दोनों क्लब, पार्क आदि में घंटों साथ उठतेबैठते थे. देर से क्वार्टर पर आना उस की नियमित आदत बन गई थी. वह अकसर जब सूरज के साथ बाइक पर आती थी, तब आसपास के लोग उसे गलत निगाहों से देखते थे. कई बार पड़ोसियों ने पंकज को टोका भी था और पत्नी को गैरमर्द के साथ अधिक समय तक रहने से मना करने के लिए भी कहा था.

नवगछिया में रहते हुए पंकज नीतू के रूखेपन से आहत था, जबकि भागलपुर में उस के सामने एक नई समस्या उस की बदचलनी की आ गई थी. इस की जानकारी बहुतों को थी. भोजपुर जिले के पीरो का रहने वाला उस का दोस्त अवध भी सब कुछ जानता था. उस ने जब पंकज से कोई कदम उठाने की बात कही. तब वह मायूस हो कर अपनी भाषा में बोला, ”का बोलीं अवध… बहुते प्रयास करनी कि नीतू पहिले जेंखां हो जास, लेकिन कुछो सुने के तैयारे नइखे… अब त हमरा मारे के भी उठ जा तारी… हमरे पर हाथ देत बिया… का करी दोस्त! हम नीतू के खातिर आपन गांवजवार, रिश्तानाता सभे छोड़ देहलीं, इन का के कुछो असरे ना होता…’’

जा एक बार फिर ओकरा के प्यार से समझाव… बालबच्चे के भविष्य की खातिर बोल… शायद मन बदल जाय!!’’ अवध ने सुझाव दिया.

तू कहा तार त, जा तानी आज ड्यूटी खतम होखे समय. सूरजो से बात करब, ओकरा के समझाइब.’’ पंकज बोला.

हां, यही ठीक रही.’’

और घर में मिलीं 5 लाशें

तारीख 12 अगस्त, 2024 की सोमवार का दिन था. पंकज अपने दोस्त के कहने पर शाम के वक्त नीतू के औफिस गया. दोनों वहां नहीं मिले. पता चला कि उन दोनों को साथसाथ क्लब में जाते देखा गया है. पंकज भी वहां जा पहुंचा और सूरज को नीतू के साथ हंसहंस कर बातें करते देखा. उस के इस रोमांस को देख कर पंकज और भी चिढ़ गया. उस ने नीतू को सूरज के साथ रंगेहाथों पकड़ा था. उन्हें देखते ही पंकज आगबबूला हो गया. सूरज को समझाना तो दूर वह नीतू संग ही उलझ गया. जबरदस्त बहस होने लगी. नीतू उसे गालियां देने लगी थी. उसे बेरोजगार और नामर्द तक कह डाला था. दोनों वहीं लडऩेझगडऩे लगे. उन का झगड़ा सड़क पर आ गया.

दोनों के बीच धक्कामुक्की की नौबत आ गई. पंकज नीतू को घर चलने के लिए घसीटने लगा, इस पर नीतू ने उस पर थप्पड़ जड़ दिए थे. अचानक नीतू के इस हमले से पंकज लडख़ड़ा कर गिर पड़ा था. नीतू उस पर पैर चलाने लगी थी. वहां भीड़ जुट गई थी, जबकि मौके की नजाकत को देख कर सूरज वहां से चला गया था. थोड़ी देर बाद नीतू और पंकज अपनेअपने रास्ते चले गए थे. अगले रोज 13 अगस्त, 2024 की सुबह करीब 9 बजे नीतू के घर दूध पहुंचाने वाला दूधिया आया था. काफी देर तक आवाज लगाने के बाद भी किसी ने दरवाजा नहीं खोला, तब तक वहां आसपास के क्वार्टरों में रहने वाले पुलिसकर्मी और उस के परिवार के लोग पहुंच गए. जैसे ही उन में से एक पड़ोसी कादिर ने दरवाजे पर पैर मारा तो वह टूट गया. 

क्वार्टर के पहले कमरे में जहां नीतू की सास आशा कुंवर का गला रेता हुआ शव पड़ा था. वहीं, उस कमरे के भीतर की ओर जाने वाले बरामदे की छत से लगी लकड़ी में नायलौन की रस्सी के फंदे से पंकज का शव लटका हुआ था. बरामदे के साथ के एक दूसरे कमरे में नीतू और उस के दोनों बच्चों के भी गला रेते हुए शव पड़े थे. घटना की जानकारी मिलने पर भागलपुर (पूर्वी क्षेत्र) के डीआईजी विवेकानंद, एसएसपी आनंद कुमार, एसपी (सिटी) राज, डीएसपी (सिटी) अजय कुमार चौधरी, डीएसपी (लाइन) संजीव कुमार सहित कई पुलिस पदाधिकारी मौके पर पहुंच गए. 

घटनास्थल पर पुलिस को महिला कांस्टेबल नीतू ठाकुर (30 वर्ष), उस के 2 बच्चे यानी बेटा शिवांश उर्फ शिब्बू (साढ़े 4 वर्ष) और बेटी श्रेया (साढ़े 3 वर्ष) सहित सास आशा कुंवर (65 वर्ष) का गला रेता हुआ मिला. जबकि, नीतू के पति पंकज कुमार सिंह (32 वर्ष) का शव क्वार्टर के कमरे के बाहर फंदे से लटका हुआ मिला था. पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट भी मिला, जिस में पंकज ने इस बात का उल्लेख किया था कि उस की पत्नी नीतू ने पहले बच्चों और उस की मां आशा कुंवर की गला रेत कर हत्या कर दी थी. इसलिए नीतू की हत्या कर वह खुद फांसी लगा कर खुदकुशी कर रहा है.

पुलिस को घटनास्थल से घटना में प्रयुक्त चाकू और खून से सनी ईंट भी मिली. इस से यह स्पष्ट हो गया था कि नीतू की सास और उस के दोनों बच्चों का गला रेता गया होगा. जबकि नीतू की गला रेतने के बाद ईंट से कूच कर हत्या किए जाने के सबूत मिले. पुलिस इस बात की जांच में जुट गई थी सुसाइड नोट के मुताबिक पहले नीतू ने बच्चों और अपनी सास की हत्या की या फिर सभी की हत्या पंकज ने ही कर के खुदकुशी कर ली. या फिर घर में घुसे किसी अन्य व्यक्ति ने घटना को अंजाम दिया और घर के पीछे आंगन से हो कर वहां से फरार हो गया. यानी कि 4 हत्याएं और एक आत्महत्या का मामला काफी गंभीर था.

सिपाही सूरज ठाकुर के प्यार से परिवार में क्यों घुला जहर

बरामद सुसाइड नोट में पंकज ने क्राइम शाखा में कार्यरत कांस्टेबल सूरज ठाकुर को इस के लिए जिम्मेदार ठहराया था. उस ने पत्नी नीतू का अवैध संबंध होने का जिक्र भी किया था. इस कारण उस पर ही वारदात का संदेह हो गया था. उसी रोज घटना की सूचना में नीतू के मामा नागेंद्र ठाकुर को सूचना दे दी गई. उन्होंने इशाकचक थाने में केस दर्ज करवा दिया. उन्होंने दर्ज शिकायत में पंकज कुमार सिंह को ही सब का हत्यारा बताया. कांस्टेबल सूरज ठाकुर को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया. पुलिस इस हत्याकांड की जांच में जुट गई. 

पुलिस ने बीएनएस की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज करते हुए 14 अगस्त, 2024 को आरोपी सूरज ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया. उस के बारे में पता चला कि वह उस दिन दोपहर से ड्यूटी से गायब था. किशनगंज जिले के ठाकुरगंज थाना क्षेत्र में भातढाला का रहने वाला आरोपी सिपाही सूरज ठाकुर ने बिना किसी झिझक के नीतू से अपने प्रेमसंबंध कुबूल कर लिए. उस से शारीरिक संबंध की बात स्वीकार कर ली, लेकिन इस बात से इनकार किया कि इस सामूहिक हत्याकांड में उस का कोई हाथ है. सूरज के अनुसार नीतू से उस की जानपहचान भागलपुर में ही तब हुई थी, जब वह नवगछिया से ट्रांसफर हो कर एसएसपी कार्यालय के आरटीआई विभाग में आई थी. सूरज भी उसी कार्यालय के डीसीबी शाखा में तैनात था. दोनों शाखाएं एक ही कमरे में थीं. इस कारण उन की जानपहचान जल्द हो गई. उन के बीच एक संयोग और था कि दोनों एक ही बिरादरी के थे. इस कारण वे जल्द ही एकदूसरे के दोस्त बन गए थे.

सूरज सरकारी क्वार्टर में रहने के बजाय भागलपुर के सुरखीलाल मोहल्ले में किराए पर अकेले रहता था. सितंबर 2023 में सूरज कई दिनों से औफिस नहीं आया था. उसे डेंगू हो गया था. यह जान कर नीतू चिंतित हो गई थी. उन्हीं दिनों वह सूरज के कमरे पर गई. वहां उस की हालत देख कर और भी चिंतित हो गई. उस ने वहां जा कर कुछ घरेलू कामकाज निपटाए, दवाइयां दीं. इस आत्मीयता को पा कर सूरज के मन को काफी संतोष मिला. नीतू का सूरज के घर आनेजाने का सिलसिला कई दिनों तक बना रहा. वह औफिस से छुट्टी होने के बाद सूरज के पास चली जाती थी. सूरज भी उस की तीमारदारी से स्वस्थ होने लगा था. 

इस बीच इधरउधर की बातें कर एकदूसरे का मन बहला लिया करते थे. बातों ही बातों में एक दिन सूरज ने टोक दिया, ”यदि तुम पहले मिली होती तो मैं तुम से शादी कर लेता.’’  इस का जवाब नीतू ने हंसते हुए दिया था, ”अभी भी मैं जवान हूं, कहो तो पंकज को तलाक दे दूं?’’  उस के बाद दोनों हंसने लगे. सूरज बोला, ”और पंकज क्या करेगा?’’

कुछ भी करे, मुझे उस से क्या? कोई अच्छी नौकरी तो कर नहीं रहा.’’ नीतू तुनकती हुई बोली.

सूरज ने उस का हाथ थाम लिया था. धीरे से दबाता हुआ बोला, ”आई लव यू नीतू!’’

सेम टू’’ नीतू शरमाती हुई बोली.

कौन था 4 हत्याओं का जिम्मेवार

उस रोज नीतू और सूरज ने अपनेअपने दिल की बात कह डाली थी. बातों ही बातों में सूरज ने कहा था कि वह तो उसी की बिरादरी का है, चाहे तो वह उस से शादी कर सकता है. यहां तक कि उस ने नीतू और पंकज के बच्चों को अपनाने के लिए भी स्वीकृति दे दी. उस रोज एक तरह से दोनों ने विवाह करने की शपथ ले ली थी. मई 2024 में आम चुनाव होने के दरम्यान नीतू और सूरज को साथ रहने के कई मौके मिले. इसी बीच वे कामाख्या मंदिर भी घूमने गए और मौका मिलते ही दोनों ने शारीरिक संबंध भी बना लिए.

इसी साल दोनों घूमने के लिए जुलाई में दार्जिलिंग गए थे. पति पंकज से नीतू ने झूठ बोला था कि उसे वहां विशेष प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया है. वहां भी उन्होंने शारीरिक संबंध बनाए. वारदात के दिन 12 अगस्त को नीतू ने शाम को 6 बजे सूरज को काल कर बताया कि वह पूजा करने मंदिर जा रही है. वहां से लौट कर दोबारा काल करेगी. फिर रात के करीब 8 बजे नीतू का सूरज को काल आया, लेकिन व्यस्तता की वजह से काल रिसीव नहीं कर पाया. अगले रोज जब सूरज औफिस पहुंचा, तब उसे नीतू के परिवार समेत आकस्मिक मौत की खबर मिली. वह भागाभागा नीतू के क्वार्टर पर गया. वहां बहुत भीड़ लगी थी. उस के पहुंचते ही पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया.

लव क्राइम की इस लोमहर्षक वारदात का एकमात्र आरोपी कांस्टेबल सूरज ठाकुर ही था, जिस के खिलाफ कथा लिखे जाने तक इशाकचक एसएचओ उत्तम कुमार की जांच जारी थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह संशय बना हुआ था कि किस की मौत कब हुई और किस ने किसे मारा? रेंज डीआइजी विवेकानंद के निर्देश पर एसपी (सिटी) मिस्टर राज के नेतृत्व में गठित एसआईटी इस दिशा में तेजी से काम कर रही थी. एसएसपी आनंद कुमार स्वयं मामले की मौनिटरिंग कर रहे थे. फोरैंसिक जांच टीम ने घटनास्थल पर मिले खून लगे चाकू, तौलिया के अलावा क्वार्टर के दोनों कमरों के बैड से भी फिंगर प्रिंट के नमूने ले लिए थे.

कथा लिखने तक पुलिस नीतू के प्रेमी कांस्टेबल सूरज से पूछताछ कर रही थी. बहरहाल, नीतू के घमंड और अवैध संबंधों से एक हंसताखेलता परिवार खत्म हो गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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