बाबा सिद्दकी की हत्या की जिम्मेदारी कबूलने के बाद लौरेंस बिश्नोई का नाम एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. लौरेंस के बारे में कहा जाता है कि उनके निशाने पर सबसे ऊपर सलमान खान है इसके अलावा भी कई लोग लौरेंस की हिट लिस्ट में शामिल हैं, इसमें गैंगस्टर कौशल चाैधरी, सिद्धू मूसेवाला का मैनेजर सगुनप्रीत सिंह, जीशान सिद्दकी भी शामिल है, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो विवादों में रहने वाला स्टैंडअप कौमेडियन मुनव्वर फारुकी भी इनके निशाने में है
आइए पढ़ें कैसे फजिल्का का लौरेंस मुंबई अंडरवर्ल्ड में एंटर करने की तैयारी कर रहा है
बात 2010 की है. चंडीगढ़ के सेक्टर 10 में स्थित डीएवी कालेज में स्नातक पाठ्यक्रमों की वार्षिक परीक्षा चल रही थी. एक परीक्षा के दौरान कक्ष निरीक्षक ने छरहरे बदन के बेहद सुदर्शन दिखने वाले एक छात्र को चिट से नकल करते हुए पकड़ लिया.
निरीक्षक उसे पकड़ कर परीक्षा अधीक्षक को सौंपने के लिए ले जा रहे थे कि छात्र ने कक्ष निरीक्षक को जोर का धक्का दिया और अपनी उत्तर पुस्तिका के साथ एक मंजिला इमारत की खिड़की से छलांग लगा दी.
लेकिन ये क्या, आसमान से गिरे और खजूर में अटके. नीचे खड़े सुरक्षा गार्ड ने पहली मंजिल से कूदे छात्र को देख कर सारा माजरा समझ लिया. बिना एक पल गंवाए गार्ड ने छात्र पर झपट्टा मारा और छात्र की शर्ट का कौलर उस की मुट्ठी में आ गया.
‘‘अब कहां जाएगा बच्चू,’’ गार्ड ने आंखें तरेर कर कहा.
लेकिन ये क्या… अगले ही पल छात्र ने बिजली की गति से यूटर्न लिया. छात्र की पूरी की पूरी शर्ट गार्ड के हाथ में आ गई और शरीर उस की पकड़ से दूर हो गया. हाथ में परीक्षा की कौपी और जिस्म से जुदा हुई शर्ट के बगैर नंगे बदन छात्र ने एक पल के लिए रुक कर गार्ड को देखा और फिर उपहास उड़ाने वाले अंदाज में मुंह से एक जोरदार सीटी मारते हुए बाईं आंख दबा दी. मानो कह रहा हो ‘आ जा दम है तो पकड़ के दिखा.’
अगले ही पल छात्र ने बिजली की गति से दौड़ लगा दी और पलक झपकते ही वह गार्ड की आंखों से ओझल हो गया. छात्र की शर्ट को हाथ में पकड़े गार्ड खुद को ठगा सा महसूस कर रहा था.
बाद में होहल्ला मचा, छानबीन हुई तो पता चला कि डीएवी कालेज का वह छात्र बीए प्रथम वर्ष का स्टूडेंट लारेंस बिश्नोई था. वो लारेंस बिश्नोई जो उन दिनों डीएवी कालेज के सब से उद्दंड छात्रों में गिना जाता था.
ऐसा अकसर होता था कि कालेज के स्टाफ और छात्रों से अकसर लारेंस की झड़पें होती रहती थीं. लेकिन तब कोई नहीं जानता था कि एक दिन यही नटखट छात्र देश का एक खूंखार गैंगस्टर बन जाएगा और कानून को छकाना शुरू कर देगा.
वही लारेंस बिश्नोई जो पंजाब के मशहूर सिंगर सिद्धू मूसेवाला की सनसनीखेज हत्या का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. वही लारेंस बिश्नोई जिस ने बौलीवुड के सुलतान सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी है. वही लारेंस बिश्नोई जो वैसे तो लंबे अरसे से जेल की सलाखों के पीछे है, लेकिन इस के बावजूद देश के अलगअलग हिस्सों से उस के गुनाहों के किस्से सामने आते रहते हैं.
जमींदार परिवार से है लारेंस बिश्नोई
क्योंकि उस के गिरोह का जाल पूरे देश में फैला है. जेल में बैठ कर देश और दुनिया के किसी भी हिस्से में जुर्म की किसी भी वारदात को अंजाम देने वाले इस गैंगस्टर की कहानी बौलीवुड की किसी एक्शन फिल्म की तरह रोमांच से भरी हुई है.
लारेंस बिश्नोई का जन्म 22 फरवरी, 1992 को पंजाब के फाजिल्का (अबोहर) के पास दत्तारवाली गांव में रहने वाले लविंदर बिश्नोई के घर में हुआ था.
बिश्नोई परिवार एक साधनसंपन्न और जमींदार परिवार था. पूर्वजों के पास सैकड़ों एकड़ जमीन थी, जिसे हर साल पट्टे पर दे कर बिश्नोई परिवार खेती कराता था. लेकिन साधनसंपन्न होने के बावजूद लविंदर बिश्नोई सरकारी मुलाजिम की नौकरी करना चाहते थे. लिहाजा उन्होंने पंजाब पुलिस में बतौर कांस्टेबल की नौकरी जौइन कर ली.
लविंदर बिश्नोई की पत्नी सुनीता बिश्नोई भी पढ़ीलिखी गृहिणी हैं. संतान के रूप में सब से पहले परिवार में जब बड़े बेटे ने जन्म लिया, उन्होंने उस का नाम लारेंस रखा.
दरअसल, लारेंस जब पैदा हुआ तो एकदम दूध की तरह सफेद था और लारेंस क्रिश्चियन नाम है जिस का मतलब होता है सफेद चमकने वाला. उस के बाद बिश्नोई दंपति ने 2 और संतानों को जन्म दिया, जिस में छोटा बेटा हुआ तो उस का नाम अनमोल बिश्नोई रखा गया.
दोनों भाइयों से छोटी एक बहन पैदा हुई. लारेंस बचपन से ही बहुत स्मार्ट और खेल में रुचि रखता था. घरवालों को लगता था कि खेल की दुनिया में वह बड़ा नाम कमाएगा. पर किसे पता था कि बेटा जुर्म की दुनिया में शामिल हो जाएगा.
वैसे लारेंस को उस के क्रीमी रंग के कारण परिवार वाले और परिचित प्यार से ‘मिल्की’ भी कह कर बुलाते थे.
एथलीट के रूप में बनाई पहचान
लारेंस व उस के दोनों बहनभाइयों की बचपन की पढ़ाई फाजिल्का में हुई. उस के बाद कालेज की पढ़ाई करने लारेंस को चंडीगढ़ भेज दिया गया. लारेंस ने डीएवी कालेज चंडीगढ़ में प्रवेश ले लिया, जहां उस ने शुरुआती दिनों में ही बतौर एथलीट अच्छी पहचान बना ली.
संपन्न परिवार का होने और मांबाप के लाड़प्यार के कारण लारेंस का पढ़नेलिखने में ज्यादा मन नहीं लगता था. लेकिन खेल के साथ छात्रों के बीच में लीडर बन कर रहना और मामूली सी बात पर हनक दिखाना उसे अच्छा लगता था. अपने स्पोर्ट्स और जिम के शौक के कारण लारेंस की कालेज के बहुत सारे दबंग तथा नेता टाइप लड़कों से दोस्ती हो गई थी.
जिन दिनों लारेंस अपने कालेज जीवन की शुरुआती जिदंगी जी रहा था, उन दिनों चंडीगढ़ स्थित यूनिवर्सिटी में पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन यानी पूसू से टूट कर बने एक छात्र संगठन स्टूडेंट यूनियन औफ पजांब यूनिवर्सिटी का खूब बोलबाला था. इन दोनों ही छात्र संगठनों के बीच कालेज की छात्र राजनीति में जम कर संघर्ष होता रहता था.
पूसू ने पहली बार पंजाब यूनिवर्सिटी में 1978 में छात्र चुनाव लड़ा, जबकि सोपू 1997 में अस्तित्व में आया और उसी वर्ष उस ने पहला चुनाव जीता. कैंपस की छात्र राजनीति में पूसू और सोपू दोनों का ही दबदबा था. हालांकि, सोपू के नेता बाद में एक के बाद एक मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों में शामिल हो गए.
छात्र राजनीति से आया बदलाव
लारेंस बिश्नोई को युवावस्था से ही राजनीति करने की ललक तो थी ही. परिवार से वह संपन्न था और वैभव भरी जिंदगी जीता था. दोस्तों ने जब उसे छात्र राजनीति करने के लिए प्रेरित किया तो इस के परिणामों के बारे में ज्यादा सोचविचार न करते हुए उस ने छात्र राजनीति में कदम रख दिया.
छात्र राजनीति की शुरुआत करने के लिए लारेंस ने अपने दोस्तों का एक बड़ा गुट तैयार कर लिया. अपने सर्मथक छात्रों की समस्याओं को निबटाने के लिए लारेंस अकसर कालेज के स्टाफ, शिक्षकों और विरोधी गुट के छात्र नेताओं से भिड़ जाता था.
जिन दिनों लारेंस चंडीगढ़ के डीएवी कालेज में पढ़ता था, उन दिनों उस के साथ पंजाब के 2 नौजवान गोल्डी बरार और विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की मिद्दूखेड़ा भी पढ़ते थे. संयोग से तीनों की दांत काटी दोस्ती हो गई थी.
लारेंस की पर्सनालिटी अच्छी थी. दिखने में वह हैंडसम था और साथ में पैसे वाला भी, इसलिए दोस्तों ने उसे चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया. लारेंस ने चुनाव लड़ने के लिए अपना गुट बना लिया. सोपू के बैनर तले 2008 में उस ने छात्रसंघ का चुनाव लड़ा. जीतने के लिए उस ने बहुत मेहनत की पर चुनाव हार गया.
बदला लेने के लिए खरीदी रिवौल्वर
उसे अपनी ये हार बरदाश्त नहीं हुई. जिस के बाद उस ने एक रिवौल्वर खरीद ली और अपनी हार का बदला लेने के लिए चुनाव जीतने वाली टीम से बदला लेने का इरादा बना लिया. लेकिन अगले साल के चुनाव में लारेंस खुद चुनाव नहीं लड़ा, बल्कि अपने दोस्त विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की मिद्दूखेड़ा को छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जितवा कर अपने विरोधियों के मुंह पर तमाचा मार दिया.
लेकिन छात्रसंघ चुनाव में अपनी पहली हार को लारेंस भूला नहीं था और न ही अपने दुश्मनों को भूला था. 2011 में लारेंस का सामना जब उदय ग्रुप, जोकि चुनाव में उस से जीता था, से हुआ और दोनों में जब भिड़ंत हुई तो लारेंस ने फायरिंग कर दी और मामला पुलिस तक पहुंच गया. फिर इसी गुटबाजी के चलते लारेंस बिश्नोई पर अपराध का पहला केस दर्ज हुआ.
भले ही उस झगड़े के बाद लारेंस के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज हो गया हो, लेकिन उस दिन जिस दिलेरी से उस ने खुलेआम अपने दुश्मनों पर फायरिंग कर अपनी बहादुरी का परिचय दिया था, उस दिन से छात्र राजनीति में हर कोई लारेंस का नाम ले रहा था. इस के बाद लारेंस फायरिंग और पुलिस केस की वजह से मशहूर हो गया.
बस, यही उस के जीवन का टर्निंग पौइंट था. संयोग यह भी रहा कि उन्हीं दिनों लारेंस बिश्नोई के चचेरे भाई की कुछ लोगों ने हत्या कर दी. दुश्मन वही थे, छात्र राजनीति के कारण जिन से उस की दुश्मनी चल रही थी. लारेंस ने दुश्मनों से बदला लेने की ठान ली और पुलिस जब उसे फायरिंग मामले में जेल से अदालत में पेश करने के लिए ला रही थी, उस दिन वह पुलिस को चकमा दे कर हिरासत से फरार हो गया.
पुलिस कस्टडी से भागा नेपाल
जेल से भागे लारेंस को पता था कि अगर वह पुलिस की जद में रहा तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. दुश्मनों से बदला लेने की तैयारी पूरी होने तक वह नेपाल भाग गया, जहां उस ने कुछ समय बिताया और दुश्मनों से बदला लेने के लिए हथियार एकत्र करने शुरू कर दिए.
लारेंस किसी भी सूरत में अपने चचेरे भाई के हत्यारे की तलाश कर उन से बदला लेना चाहता था. नेपाल से लौट कर जब विरोधी गुट के सदस्यों की तलाश कर रहा था, दुर्भाग्य से फिर पंजाब की फरीदकोट पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
दूसरी बार जेल की सलाखों के पीछे पहुंचने के बाद लारेंस एक बात अच्छी तरह समझ गया कि अगर आप चालाकी से काम करो तो जेल के बाहर निकलने की जगह जेल में रह कर ही अपराध करो. इस के लिए बस आप को अपने गैंग की नेटवर्किंग को फैलाना होगा.
लारेंस अभी अपराध की दुनिया में कच्चा खिलाड़ी था, लेकिन उस के सपने बड़ा डौन बनने के थे. वह लोगों के बीच अपने नाम का खौफ देखना चाहता था. अपराध की दुनिया का मंझा हुआ खिलाड़ी बनने के लिए उसे एक ऐसे गुरु की जरूरत थी, जो उस की पसंद भी हो और जुर्म की दुनिया में लोग उसे मानते भी हों.
संयोग से फरीदकोट में गिरफ्तार होने के बाद जब लारेंस जेल गया तो इस बार उस की मुलाकात हुई जग्गू दादा यानी पंजाब में उन दिनों के एक बड़े गैंगस्टर जग्गू भगवान पुरी से. जग्गू से हाथ मिलाने के बाद लारेंस ने उस से अपराध के गुर सीखने शुरू कर दिए.
जेल में जग्गू दादा को बनाया गुरु
जग्गू भगवानपुरी पंजाब के भगवानपुर का रहने वाला है और देश के अमीर गैंगस्टर में इस का नाम शुमार है. इन दिनों वह तिहाड़ जेल में बंद है. अपने टाइम पर पंजाब की राजनीति और अपराध की दुनिया में जग्गू के नाम से ही कई काम हो जाते थे. कुछ साल पहले यह पकड़ा गया और उस के पास लगभग 2 करोड़ के हथियार बरामद हुए थे.
बहरहाल, जग्गू भगवानपुरी से हाथ मिलाने के बाद लारेंस बिश्नोई के कई बड़े बदमाशों से संबंध बने और कई रसूखदार लोगों से उस की पहचान हुई. वह जुर्म की दुनिया के ऐसे दांवपेच भी सीख गया, जिस के जरिए वह जेल में रह कर ही अपराध कराने की कला का खिलाड़ी बन गया.
जेल में मोबाइल फोन की सुविधा हासिल करने से ले कर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने और जेल में रह कर ही लोगों की हत्या कराने व रंगदारी वसूलने का वह खलीफा बन गया. पैसे से पावर कैसे हासिल की जाती है और इस कला से सिस्टम को किस तरह अपने हिसाब से हांका जाता है, ये तमाम गुर उस ने जग्गू से सीख लिए थे.
इस के बाद उस ने दूसरे गैंगस्टर से जुड़ कर हथियार के दम से उगाही करने का नेटवर्क पूरे देश में फैला दिया. यही कारण है कि वह आज जेल में रहते हुए भी देश में अपने फैले हुए नेटवर्क के दम पर गुंडागर्दी कर रहा है. कई शहरों में उसके शार्प शूटर तैनात रहते हैं, जो बस इशारा होने पर काम को अंजाम दे देते हैं. जेल में रहते हुए भी वह उसी तरह बड़बड़े कामों को अंजाम दे रहा है जितना कि वह बाहर रह कर करता था.
जेल से ही करने लगा गैंग का संचालन
लारेंस बिश्नोई ज्यादातर अपराध जेल में रह कर ही कराता है. दरअसल, इस के पीछे उस की सोच थी कि अगर आप जेल की सलाखों के पीछे से काम कराओगे तो आप के खिलाफ पुलिस अपराध के ठोस सबूत एकत्र नहीं कर पाएगी, जिस से आप के बरी होने की उम्मीद रहती है.
आज लारेंस बिश्नोई के खिलाफ 11 साल की अपराध की जिंदगी में पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में 65 से ज्यादा मुकदमे गंभीर मामलों के दर्ज हो चुके हैं. लेकिन साक्ष्यों के अभाव में इन में 32 मामलों में वह बरी हो चुका है.
फिल्मों में जेल से गैंग औपरेट करते आप ने गैंगस्टरों को तो देखा ही होगा लेकिन लारेंस रियल लाइफ में ये काम कर रहा है. जेल में रह कर ही वह एक इशारे पर किसी कारोबारी या किसी बड़े नेता की हत्या करवा देता है.
2015 में पंजाब पुलिस उसे कोर्ट में पेशी के लिए ले जा रही थी, उसी दौरान वह आखिरी बार पुलिस की हिरासत से भाग गया. बताया जाता है कि वह भाग कर नेपाल चला गया और वहां से आधुनिक हथियार ले कर लौटा. उस ने इधरउधर फैले अपने गैंग के शूटरों को वे हथियार उपलब्ध करा दिए. उस के तुरंत बाद पुलिस ने उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया.
भले ही वह पुलिस की गिरफ्त में क्यों न हो, पर उसे गैंग को चलाने और कत्ल करने से कोई रोक नहीं सकता. वह फोन से ही सारी चीजों को अंजाम देता है. वाट्सऐप के जरिए सुपारी लेता है. जेल में जिम करता है जिस की फोटो फेसबुक पर अपलोड करता है.
बताया जाता है कि उस ने जेल में रह कर 2017 में सीकर के पूर्व सरपंच सरदार राव की हत्या भी करवाई. जिस में उस ने अपने शूटर रविंदर काली को भेजा जोकि मोहाली का है. उस के बाद लारेंस ने जोधपुर में अपना दबदबा बनाने के लिए कारोबारी वासुदेव इसरानी की हत्या करवा दी. फिर तो बाद राजस्थान में भी उस का खौफ बन गया.
लारेंस न सिर्फ देखने में स्मार्ट गैंगस्टर है बल्कि वह जेल में रह कर स्मार्ट तरीके से फोन चलाने में भी माहिर है.
सलमान खान को दी खुलेआम धमकी
वैसे तो पंजाब, राजस्थान और हरियाणा की पुलिस और अपराध की दुनिया में लारेंस बिश्नोई को पहले से ही सब जानते थे, लेकिन उस का नाम पहली बार तब सुर्खियों में आया, जब उस ने अभिनेता सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी.
दरअसल, लारेंस बिश्नोई ने जोधपुर में काले हिरण मामले में सलमान खान पर चल रहे केस के चलते उसे जान से मारने की धमकी दी थी. क्योंकि राजस्थान के बिश्नोई समाज में काले हिरण की पूजा की जाती है. सलमान खान के खिलाफ केस यही बिश्नोई समाज लड़ रहा था और लारेंस भी इसी समाज से है. तभी उस ने सलमान की हत्या करने की साजिश की.
उस ने अपने कुख्यात शूटर संपत नेहरा को इस की जिम्मेदारी दी. संपत ने मुंबई में सलमान के घर की रेकी करनी शुरू कर दी और फिल्म ‘रेडी’ की शूटिंग के दौरान अपने काम को अंजाम देने का प्लान बनाया. पर ये लोग इस में असफल रहे और संपत नेहरा पकड़ा गया. अगर पकड़ा नहीं जाता तो ये लोग सलमान पर फिर से हमला करते.
लारेंस बिश्नोई का एक छोटा भाई अनमोल बिश्नोई है जो एक बौक्सर है और राष्ट्रीय स्तर पर मुक्केबाजी की प्रतियोगिताओं में भाग ले चुका है. लेकिन अनमोल अपने बड़े भाई के गुनाहों की परछाई से अछूता नहीं रह सका. अपने भाई के अपराध छिपाने और उसे शरण देने के आरोप में राजस्थान पुलिस उसे कई बार गिरफ्तार कर चुकी है.
लारेंस बिश्नोई हालांकि बेहद हैंडसम है, लेकिन 30 साल की उम्र होने के बावजूद उस ने तक शादी नहीं की है. बताते हैं कि कालेज के दिनों में उस की एक गर्लफ्रैंड हुआ करती थी, जिस के साथ वह खुशीखुशी टाइम बिताया करता था.
लारेंस और उस की गर्लफ्रैंड दोनों अबोहर के कौन्वेंट स्कूल से 10वीं तक साथ पढ़े थे और यहीं से वे एकदूसरे को पसंद करने लगे थे. जहां बड़े होने पर बचपन का प्यार छूट जाता है पर इन दोनों का प्यार समय के साथ और गहरा होता चला गया.
लेकिन जब लारेंस 2008 में सोपू की ओर से डीएवी छात्र संघ का चुनाव हार गया और विरोधी गुट से उस की दुश्मनी हो गई तो इसी दुश्मनी के कारण लारेंस को अपने प्यार को खोना पड़ा था. लारेंस को जानने वाले लोग बताते हैं कि विरोधी गुट के लोगों ने एक साजिश के तहत लारेंस की गर्लफ्रैंड की हत्या कर दी थी. इसी केस की वजह से लारेंस जुर्म की दुनिया में उतरा था.
सिद्धू मूसेवाला से नहीं थी सीधी दुश्मनी
लारेंस बिश्नोई को करीब से जानने वाले बताते हैं कि उस के लिए दोस्ती का कमिटमेंट सब से बड़ा कमिटमेंट होता है. उस ने कई अपराध तो ऐसे किए, जिस का न तो उस से सीधा वास्ता था और न ही उसे कोई आर्थिक लाभ लेना था.
कालेज की जिंदगी खत्म होने के बाद गोल्डी बरार तो कनाडा चला गया और विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की मिद्दूखेड़ा ने अकाली दल का दामन थाम लिया और राजनीति करने लगा.
बताया जाता है कि विक्की और सिंगर सिद्धू मूसेवाला की बाद में राजनीतिक कटुता हो गई. अपराध की दुनिया से जुड़े जो लोग विक्की को धमकियां देते थे, सिद्धू उन सब को शह और शरण देता था.
बाद में पिछले 7 अगस्त, 2021 को विक्की की जब सरेआम गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई तो आरोप लगे थे कि उस की हत्या के पीछे सिद्धू मूसेवाला का दिमाग था.
सिद्धू मूसेवाला जोकि एक मशहूर पंजाबी गायक और कांग्रेसी राजनेता थे, उन की पंजाब के मानसा जिले में जब पिछले महीने 29 मई, 2022 को गोली मार कर हत्या कर दी गई. तभी से ये आरोप लग रहे हैं कि उन की हत्या का मास्टरमाइंड तिहाड़ जेल में बंद लारेंस बिश्नोई और कनाडा में बैठा गोल्डी बराड़ है.
क्योंकि इस घटना के कुछ घंटे बाद लारेंस और गोल्डी बरार ने फेसबुक पोस्ट में इस हत्या की जिम्मेदारी ली. जिस में उस ने कहा, ‘आज सिद्धू मूसेवाला का कत्ल हुआ है, उस की जिम्मेदारी मैं और मेरा भाई गोल्डी बरार लेता है. लोग हमें जो भी कहें लेकिन इस ने हमारे भाई विक्की मिद्दूखेड़ा की हत्या में मदद की थी और अब हम ने अपने भाई का बदला ले लिया है. मैं ने इसे जयपुर से काल कर के कहा था कि तुम ने गलत किया है. इस ने मुझे कहा कि मैं किसी की परवाह नहीं करता. तुम जो कर सकते हो कर लो. मैं भी हथियार लोड कर के रखता हूं और आज हम ने अपने भाई विक्की की मौत का बदला ले लिया है. ये तो अभी शुरुआत है, जो भी इस कत्ल में शामिल थे, वे तैयार रहें. आज हम ने सब के भ्रम दूर कर दिए. जय बलकारी.’
सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद लारेंस बिश्नोई एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इतना ही नहीं, उस ने एक बार फिर सलमान खान व उन के पिता को जान से मारने की धमकी दी है. बिश्नोई के गुर्गों ने मूसेवाला की हत्या के बाद बेहद सुनियोजित तरीके से सलमान के पिता सलीम तक एक खत पहुंचवा दिया, जिस में लिखा था कि मूसेवाला के बाद अब सलमान.
लारेंस बिश्नोई पिछले साल तब भी सुर्खियों में छाया रहा था, जब 2021 में दिल्ली के माडल टाउन इलाके में सागर नाम के एक पहलवान की हत्या हो गई थी और इस मामले में ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता पहलवान सुशील कुमार की गिरफ्तारी हुई थी. सुशील कुमार बिश्नोई गैंग का समर्थन कर रहे थे.
बंबीहा गैंग को मानता है दुश्मन
लारेंस बिश्नोई इस साल एक दूसरे कारण से भी विवाद में छाया रहा है. विवाद यह है कि उस के एक करीबी पंजाबी गायक मित्र मनकीरत औलख को बंबीहा गैंग द्वारा धमकी दी गई थी कि वह लारेंस बिश्नोई से संबंध न रखे, वरना मनकीरत को मार दिया जाएगा.
सभी जानते हैं कि लारेंस बिश्नोई के बंबीहा गैंग के साथ बहुत खराब संबंध हैं, इसीलिए बंबीहा गैंग ने मनकीरत को धमकी दी है.
लारेंस बिश्नोई छात्र राजनीति के समय से ही रौबिनहुड स्टाइल में काम करने के चलते एक बड़ी छात्र संख्या के बीच पोस्टर बौय बन गया था. वह क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह को अपना आदर्श मानने का दावा करता है. भगत सिंह की तसवीर वाली टीशर्ट और लारेंस के पोस्टर कालेज की दीवारों पर लगाए जाने लगे थे. देखते ही देखते पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की सब से खतरनाक गैंगों में से एक का लीडर लारेंस बन गया. लारेंस अपने गैंग का संचालन अमूमन जेल से ही करता है. उस के गैंग के पास महंगी पिस्तौल और बंदूकों का जखीरा भी है.
लारेंस जेल में अमूमन विदेशी सिमों के इस्तेमाल से ही सारे संदेश वाट्सऐप के जरिए अपने गुर्गों को भेजता है. कुख्यात काला जठेड़ी से हाथ मिलाने के बाद उस के गैंग में 700 के करीब शूटर और गुर्गे शामिल हो गए हैं.
मूसेवाला मर्डर से पहले भी यही खुलासा हुआ था कि लारेंस बिश्नोई ने वर्चुअल नंबरों से विदेश में मौजूद गोल्डी बरार से कई बार बात की थी.
लारेंस बिश्नोई का जेल के भीतर का नेटवर्क कितना मजबूत है, इस का अंदाजा उस की सोशल मीडिया पोस्ट्स से मालूम होता है. 29 साल का लारेंस अच्छे कपड़ों और बौडी बिल्डिंग का भी शौक रखता है.
4 साल पहले पंजाब की फरीदकोट जेल से लारेंस को राजस्थान की एकमात्र हाई सिक्योरिटी वाली घूघरा घाटी जेल में शिफ्ट किया गया था. फिर भी वह अंदर से ही 4जी सिम का इस्तेमाल कर अपना गैंग औपरेट कर रहा था. साल 2018 में उस ने बौलीवुड स्टार सलमान खान को मारने की जो सुपारी दी थी, उस में भी उस ने फोन के नेटवर्क का इस्तेमाल किया था.
दुश्मनों के दुश्मन को बना लिया दोस्त
लारेंस बिश्नोई पहले पंजाब, उस के बाद राजस्थान की जेल में बंद रहा और अब एक साल से मकोका मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. लेकिन देश की इस सब से सुरिक्षत मानी जाने वाली जेल में रह कर भी वह किस तरह से अपने गिरोह को संचालित करता है, इस का अंदाजा सिद्धू मूसेवाला की हत्या की साजिश के तार को जोड़ कर लगाया जा सकता है.
पिछले 6-7 सालों में लारेंस बिश्नोई ने हरियाणा के कुख्यात गैंगस्टर संदीप उर्फ काला जठेड़ी से हाथ मिला कर अपने गैंग को मजबूती दी. बाद में गैंग को और मजबूती देने के लिए लारेंस बिश्नोई और काला जठेड़ी ने गुरुग्राम के गैंगस्टर सूबे गुर्जर और राजस्थान के गैंगस्टर आंनदपाल सिंह से हाथ मिलाया. बाद में आनंदपाल पुलिस मुठभेड़ में मारा गया.
हरियाणा और राजस्थान के बाद लारेंस अब दिल्ली में भी अपने गैंग का सिक्का जमाने में जुट गया है. लेकिन दिल्ली में भी वह बिना किसी लोकल गैंगस्टर के अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकता था, इसलिए उस ने अपना वर्चस्व कायम करने के लिए बाहरी दिल्ली के गैंगस्टर जितेंद्र उर्फ गोगी से हाथ मिला लिया.
लारेंस बिश्नोई, जितेंद्र गोगी, कुलदीप उर्फ फज्जा ने काला जठेड़ी के साथ मिल कर 4 साल में दिल्ली एनसीआर में लूटपाट और विरोधी गैंग के लोगों का खात्मा शुरू कर दिया. अपने गैंग को और मजबूती देने के लिए इन्होंने पुराना फार्मूला अपनाया और वह फार्मूला था कि अपने दुश्मन के दुश्मनों को अपना दोस्त बनाना. इस फार्मूले पर बिश्नोई ने अपना काम शुरू कर दिया.
लारेंस बिश्नोई का सब से बड़ा दुश्मन इन दिनों पंजाब के एक विरोधी गैंग देवेंदर बंबीहा का है, जिस से उस की पुरानी दुश्मनी है. बिश्नोई के पंजाब के सिंडिकेट में 200 अपराधी शामिल थे. जिन का काम उगाही, कौन्ट्रैक्ट किलिंग, हत्या, हत्या की कोशिश में शामिल होना था.
कनाडा में बैठा गोल्डी बरार और विदेश से पकड़ कर लाए गए वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा बिश्नोई के वर्चस्व को कायम करने में उस की मदद कर रहे थे.
बिश्नोई और काला जठेड़ी गैंग को आपस में हाथ मिलवाने में राजस्थान के एक लोकल क्रिमिनल संपत नेहरा के कारण इस गैंग की ताकत और बढ़ गई है.
गैंगस्टर देवेंदर बंबीहा चंडीगढ़, मोहाली, पंचकूला में उगाही का एक रैकेट चलाता था. साल 2016 में देवेंदर के एनकाउंटर के बाद दिलप्रीत और सुखप्रीत ने गैंग की कमान संभाली. इन के विरोध में लारेंस बिश्नोई ने उन व्यापारियों को धमकी भरे काल करने शुरू किए जो बंबीहा गैंग को प्रोटेक्शन मनी दिया करते थे.
इस के बाद से दोनों गैंग में दुश्मनी बढ़ती चली गई. बंबीहा गैंग के एक सदस्य लवी देरा को साल 2017 में बिश्नोई के कहने पर संपत नेहरा और उस के साथियों ने मार दिया. इस का बदला लेने के लिए बंबीहा गैंग ने बिश्नोई गैंग के सदस्य गुरलाल बरार, जोकि गोल्डी बरार का भाई था, को मार दिया.
जेल में रह कर अपने दुश्मनों को मिटाने की साजिश रचने के लिए बदनाम लारेंस बिश्नोई अब अपने व अपने दोस्तों के लिए खतरा बने सभी गैंगों को मिटाने के लिए पूरी ताकत लगाने कोे तैयार है.
—कहानी जनचर्चा व गैंगस्टर के खिलाफ दर्ज मामलों पर आधारित