एक बच्चे की मां ज्योति अपने ममेरे देवर सुरेंद्र के साथ खूब गुलछर्रे उड़ा रही थी. एकडेढ़ साल से उन के बीच यह संबंध बिना किसी रुकावट के चल रहे थे. फिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि ज्योति को अपने पति महावीर शरण कौरव की हत्या कराने के लिए मजबूर होना पड़ा?
सुरेंद्र के आगोश में समाई ज्योति को जब संतुष्टि मिल गई तो वह अलग होते हुए बोली, ”हम ऐसे कब तक यूं ही मिलते रहेंगे. आज भी तुम्हारे भैया ने मुझ से मारपीट की. मैं कब तक उस गंजेड़ी के हाथों पिटती रहूंगी, बात अब बरदाश्त से बाहर होती जा रही है.’’
पलंग पर लेटे हुए सुरेंद्र ने ज्योति को फिर से अपनी बाहों में खींचते हुए कहा, ”मेरी जान, तुम चिंता क्यों करती हो? महावीर भैया तो बेवकूफ है. वह सारी सच्चाई जानता है, फिर भी तुम पर अत्याचार करता है. अब वह अगर ज्यादा परेशान करे तो उसे पलट कर जवाब देना.’’
”यह बात तो ठीक है, लेकिन अगर तुम हमेशा के लिए मुझे अपनी बना कर रखना चाहते हो तो इस गंजेड़ी आदमी को मेरी जिंदगी से दूर कर दो,’’ ज्योति ने सुरेंद्र की बाहों में कसमसाते हुए कहा.
सुरेंद्र ने ज्योति का मन टटोलते हुए पूछा, ”तुम चाहो तो मैं तुम्हें उस से तलाक दिलवा सकता हूं.’’
इस पर ज्योति बोली, ”वह इस जन्म में मुझे तलाक नहीं देगा. मेरी मानो तो उसे इस दुनिया से विदा कर दो. इस काम में मैं तुम्हारा पूरा साथ दूंगी.’’ ज्योति की बात सुन कर सुरेंद्र की आंखों में चमक आ गई, फिर भी उस ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ज्योति तुम ने तो बहुत दूर की बात सोच ली. महावीर को मरवा कर खुद भी जेल जाओगी और मुझे भी जेल भिजवा दोगी.
ज्योति ने सुरेंद्र के चेहरे को हाथ से अपनी ओर करते हुए कहा, ”तुम भी क्या बकवास करते हो? मेरी बनाई योजना से उस का टेंटुआ दबाओगे तो तुम्हें कुछ नहीं होगा. अगर इस गंजेड़ी पति से जल्द छुटकारा नहीं मिला तो मैं खुदकुशी कर लूंगी.’’
ज्योति के मुंह से खुदकुशी की बात सुन कर सुरेंद्र की आंखों में खून उतर आया. वह तैश में आ कर बोला, ”मैं तुम्हें खुदकुशी करने की नौबत नहीं आने दूंगा. जल्दी ही महावीर का टेंटुआ दबा कर उस का काम तमाम कर दूंगा. तुम चिंता मत करो.’’
सुरेंद्र के मुंह से पति को दुनिया से विदा करने की बात सुन कर ज्योति खुश होते हुए बोली, ”ठीक है, मंगलवार को तुम महावीर को ग्वालियर जेल में हत्या के मामले में बंद रिश्तेदार से मिलने के बहाने घर से बुला कर साथ ले जाना और जेल में मुलाकात के बाद ररुआ गांव जाने की बात कह कर रास्ते में सुनसान जगह पर उसे मौत के घाट उतार देना. यह काम तुम्हें बड़ी होशियारी से करना होगा. अगर यह कांटा निकल गया तो जीवन भर मैं तुम्हारी ही बन कर रहूंगी.’’
इतना कह कर ज्योति ने सुरेंद्र का हाथ पकड़ लिया. सुरेंद्र ने ज्योति का हाथ अपने सीने पर रख कर कहा कि तुम अपने इस आशिक पर भरोसा रखो, मैं ने तुम से प्यार किया है और मरते दम तक तुम्हारा दामन छोडऩे वाला नहीं हूं. मैं जीवन भर साथ निभाऊंगा. यह कह कर सुरेंद्र ज्योति के घर से चला गया. यह बात 3 सितंबर, 2024 की सुबह की थी. उसी दिन सुबह करीब 10 बजे महावीर अपने घर लौटा तो ज्योति सजधज कर उस का इंतजार कर रही थी. सजीधजी ज्योति को देख कर महावीर को हैरानी हुई. वह कुछ पूछता, इस से पहले ही ज्योति चाय बना कर ले आई और पति महावीर से मीठीमीठी बातें करने लगी.
ज्योति ने पति से कहा कि तुम्हें मेरा बदला हुआ रूप देख कर अचंभा हो रहा होगा. दरअसल, आज पड़ोस में रहने वाली गुप्ता आंटी के साथ मैं एक ज्योतिषी के पास गई थी. उन्होंने मेरा हाथ देख कर कहा कि तुम्हारा अपने पति से अकसर विवाद होता रहता है.
ऐसे हुई हत्या की प्लानिंग
पत्नी ज्योति की ओर मुखातिब हो कर महावीर ने आंखें दिखाते हुए कहा, ”यह बात ज्योतिषी ने कही या तुम ने खुद उस की चिकनीचुपड़ी बातों में आ कर बताई.’’ इस पर ज्योति बोली, ”भला मैं क्यों ज्योतिषी को ऐसी बातें बताने लगी, वैसे भी हमारे बीच कोई विवाद है ही कहां? मैं तुम्हारे ममेरे भाई सुरेंद्र से थोड़ा हंसबोल लेती हूं. इतनी सी बात पर तुम मुझ से झगड़ा करने लगे और उल्टासीधा बोलने लगे. अब ज्योतिषी ने कहा है कि मैं हमेशा तुम्हारा सहयोग करूं और तुम्हारी सेवा में कोई कमी नहीं छोड़ूं, इस से हमारा प्यार बना रहेगा.’’
ज्योति की ये बातें सुन कर महावीर का गुस्सा शांत हो गया. वह चाय पीने के बाद अपने काम में लग गया. उसी दिन दोपहर करीब 3 बजे योजना के अनुसार सुरेंद्र महावीर के घर पहुंचा. उस ने महावीर से कहा कि मैं ग्वालियर जेल में हत्या के मामले में बंद रिश्तेदार से मुलाकात करने जा रहा हूं, अगर तुम्हारी भी चलने की इच्छा हो तो अपनी बाइक निकालो, दोनों साथ चलते हैं. ग्वालियर जेल में रिश्तेदार से मिलने जाने की बात पर महावीर तैयार हो गया. उस ने अपनी बाइक निकाली. दोनों ग्वालियर के लिए चल दिए. जब वे ग्वालियर जेल पहुंचे, तब तक बंदियों से मुलाकात का समय खत्म हो चुका था. इस पर सुरेंद्र और महावीर ने वह रात रेलवे स्टेशन के बाहर गुजारी.
अगले दिन यानी 4 सितंबर की सुबह सुलभ शौचालय में दैनिक कार्यों से निवृत्त हो कर उन्होंने नाश्ता किया. इस के बाद दोनों ने ग्वालियर जेल में बंद रिश्तेदार से मुलाकात की. मुलाकात के बाद सुरेंद्र और महावीर चल दिए, तब तक दोपहर हो गई थी. उन्हें भूख भी लग रही थी. दोनों ने एक होटल पर खाना खाया. भोजन के पैसे सुरेंद्र ने दिए. खाना खाने के बाद सुरेंद्र ने ज्योति की योजना के मुताबिक महावीर से कहा कि तुम्हारे गांव ररुआ चलते हैं. मुझे भी बुआफूफा से मिले बहुत समय हो गया है. तुम अपने मातापिता से मिल लेना. ररुआ से मैं अपने गांव मुरावली चला जाऊंगा और तुम अपने घर गुडीगुडा नाका चले जाना. रास्ते में पीने के लिए मैं गांजा खरीद लेता हूं.
दोनों गांजा पीने के शौकीन थे. इसलिए सुरेंद्र की बात पर महावीर खुश हो गया. सुरेंद्र ने ग्वालियर में ही एक जगह से गांजा खरीदा. इस के बाद वे दोनों बाइक पर ररुआ गांव की तरफ चल दिए. रास्ते में वे आपस में बातें करते हुए जा रहे थे. उटीला के पास सुरेंद्र के मोबाइल पर ज्योति का 2 बार फोन आया तो सुरेंद्र ने महावीर से कह कर बाइक रुकवाई और ज्योति से हां हूं करते हुए बात की. इस के बाद दोनों फिर चल दिए. कुछ दूर चलने पर भोगीपुरा से आगे सुनसान जगह पर पेड़ों की छाया देख कर सुरेंद्र ने गांजा पीने के बहाने कुएं के पास बाइक रुकवाई. महावीर और सुरेंद्र वहां मंदिर के बाहर बने चबूतरे पर बैठ गए. वे गांजा पीने लगे. इस बीच महावीर ने सुरेंद्र से पूछा कि ज्योति का फोन तेरे मोबाइल पर क्यों आ रहा है?
इसी बात पर दोनों में विवाद होने लगा. विवाद के बीच सुरेंद्र ने महावीर के सिर पर बड़े से पत्थर से वार कर दिया. महावीर के सिर पर गहरी चोट लगी और तेजी से खून बहने लगा. महावीर वहीं लुढ़क गया. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई. सुरेंद्र को जब यह पूरा विश्वास हो गया कि महावीर मर चुका है तो वह नफरत से उस पर थूकता हुआ बोला, ”मर गया कमीना. मेरे और ज्योति के बीच का कांटा हमेशा के लिए निकल गया.’’
इस के बाद सुरेंद्र ने खुद को संभाला और महावीर की लाश चबूतरे से घसीट कर वहां पास ही बने कुएं में डाल दी. सुरेंद्र को भरोसा था कि दूसरे गांव में महावीर की शिनाख्त नहीं हो पाएगी तो मामला रफादफा हो जाएगा. पूरी तरह निश्चिंत हो कर सुरेंद्र ने ज्योति को फोन किया और कहा कि महावीर का काम तमाम कर दिया है. सबूत मिटाने के लिए सुरेंद्र ने महावीर की बाइक नहर के पास लावारिस छोड़ दी. उस का मोबाइल और खुद के खून सने कपड़े रतनगढ़ माता मंदिर मार्ग पर झाडिय़ों में फेंक दिए.
इस के बाद रात को सुरेंद्र अपनी प्रेमिका ज्योति के पास पहुंचा. ज्योति भी उस का बेसब्री से इंतजार कर रही थी. दोनों ने मौजमस्ती कर महावीर की मौत का जश्न मनाया. ज्योति और सुरेंद्र ने पूरी रात एकदूसरे की बाहों में गुजारी. सुबह होने पर ज्योति के कहने पर सुरेंद्र अयोध्या घूमने चला गया.
किस की थी कुएं में मिली लाश
5 सितंबर की सुबह रोजाना की तरह चरवाहे अपने पशुओं को ले कर भोगीपुरा में रोड किनारे पिंटू गुर्जर के खेत में बने कुएं पर पानी पिलाने पहुंचे तो एक चरवाहे की नजर अनायास ही कुएं में पड़ी युवक की लाश पर चली गई. लाश देख कर भय के मारे चरवाहे के मुंह से चीख निकल गई. उस ने आवाज लगा कर अपने साथी चरवाहों को वहां बुला लिया और उन्हें भी कुएं में पड़ी लाश दिखाई. लाश देख कर चरवाहे आपस में बतियाने लगे. उन्हीं में से किसी ने उटीला थाने में फोन कर कुएं में युवक की लाश पड़ी होने की सूचना दे दी.
इस सूचना को एसएचओ शिवम राजावत ने गंभीरता से लिया. वह जब तक कुछ सिपाहियों को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंचे, तब तक कुएं में लाश पड़ी होने का पता चलने पर आसपास के गांवों के लोगों की अच्छीखासी भीड़ कुएं के पास जमा हो चुकी थी. इन में महिलाओं से ले कर बड़ेबूढ़े और बच्चे भी शामिल थे. मौके पर पहुंची पुलिस ने लोगों को घटनास्थल से दूर हटाया. वे लोग युवक की लाश को ले कर तरहतरह की चर्चा में मशगूल थे. इस बीच एसएचओ की सूचना पर एसडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंच गई.
बेहट एसडीओपी संतोष पटेल और उटीला थाने के एसएचओ शिवम राजावत की मौजूदगी में एसडीआरएफ टीम के एक सदस्य को रस्सी के जरिए कुएं में उतार कर युवक के शव को रस्सी से बांध कर बाहर निकाला गया. अधिकारियों ने शव का निरीक्षण किया तो उस के सिर में एक बड़ा सा घाव दिखाई दिया. इस से यह बात तय हो गई कि युवक की मौत पानी में डूबने से नहीं हुई थी. उस के सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया, जिस से उस की मौत हुई होगी.
लाश देख कर अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि उस की हत्या 15-16 घंटे पहले की गई होगी. मृतक की उम्र 32 साल से ज्यादा नहीं लग रही थी. शक्लसूरत और पहनावे से वह मध्यमवर्गीय परिवार का लग रहा था. एसएचओ ने मौके पर मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन कोई भी मृतक की पहचान नहीं कर सका. इस से यह बात साफ हो गई कि मृतक आसपास का रहने वाला नहीं है. उस की हत्या करने के बाद लाश को कुएं में फेंका गया था. घटनास्थल की जांचपड़ताल में अधिकारियों को खून लगे पत्थर के अलावा ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जिस से यह पता चलता कि मृतक कौन है? उस की हत्या किस ने और क्यों की?
पुलिस ने लाश के फोटोग्राफ कराने के बाद जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. इस बीच ग्वालियर के एडिशनल एसपी शियाज के.एम. ने एसएचओ शिवम राजावत और एसडीओपी संतोष पटेल को फोन कर इस मामले का जल्द खुलासा करने का निर्देश देते हुए बताया कि एसपी राकेश सगर ने इस घटना के हत्यारों पर 10 हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया है. अधिकारियों के सामने लाश की शिनाख्त करना सब से बड़ी चुनौती थी. आमतौर पर ऐसे मामलों में पुलिस आसपास के थानों से गुमशुदा लोगों के बारे में पता करती है. एसएचओ शिवम राजावत ने भी यही किया. उन्होंने ग्वालियर के सभी पुलिस थानों से पता कराया कि कहीं इस हुलिए के किसी युवक की गुमशुदगी तो दर्ज नहीं है. उन की यह कोशिश बेकार गई, क्योंकि इस तरह के हुलिए वाले युवक की ग्वालियर के किसी भी थाने में कोई गुमशुदगी दर्ज नहीं थी.
इस के बाद उन्होंने एसआई शुभम शर्मा, एएसआई हरिओम शर्मा, हैडकांस्टेबल सुनील गोयल व प्रमोद रावत, कांस्टेबल अनिल शर्मा, मुकेश, शैलेंद्र राजीव, सोनू राजपूत, मनीष राठौर, जितेंद्र, अभिलाष तोमर की टीम गठित कर इस केस को खोलने में लगा दिया. इस के अलावा उन्होंने कत्ल की इस गुत्थी को सुलझाने के लिए अपने भरोसेमंद मुखबिरों की भी मदद ली. साथ ही खुद भी अपने स्तर पर जानकारी जुटाने में जुट गए. यह केस उटीला के एसएचओ शिवम राजावत के लिए किसी अबूझ पहेली से कम नहीं था, क्योंकि घटनास्थल पर उन्हें कोई ऐसा सबूत नहीं मिला था, जिस से लाश की शिनाख्त होती या कत्ल के बारे में कोई सुराग मिलता.
उन की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर मृतक से हत्यारे की क्या दुश्मनी थी, जो उसे मार कर उस की लाश कुएं में फेंकी गई. इसी केस पर सोचविचार के दौरान 6 सितंबर की सुबह उन के दिमाग में ई-रक्षा ऐप का खयाल आया.
ई-रक्षा ऐप से हुई लाश की शिनाख्त
एसएचओ ने ई-रक्षा ऐप पर गुम व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाई तो उन्हें सफलता मिल गई. कुएं से मिली लाश के हुलिए के आधार पर मृतक की शिनाख्त महावीर शरण कौरव निवासी गांव ररुआ आलमपुर भिंड हाल निवास गुड़ीगुडा नाका ग्वालियर के रूप में हो गई. उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट 5 सितंबर को भिंड जिले के आलमपुर थाने में दर्ज हुई थी. मृतक की शिनाख्त होते ही एसएचओ ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 103 (1) 238 के तहत दर्ज कर जांच शुरू कर दी. अब पुलिस टीम महावीर के हत्यारे की खोज में जुट गई.
एसएचओ शिवम राजावत ने इस मामले की तफ्तीश की शुरुआत भोगीपुरा में तिराहे पर लगे सीसीटीवी फुटेज खंगालने से की. उन्होंने सीसीटीवी से मिले फुटेज महावीर के जानपहचान वालों और रिश्तेदारों को दिखाए और उन से पूछताछ की. इन फुटेज में दिखाई दिए एक युवक की पहचान महावीर के रिश्तेदारों ने सुरेंद्र कौरव के रूप में करते हुए यह भी बताया कि सुरेंद्र के साथ मृतक की पत्नी के अवैध संबंध हैं. अवैध संबंधों की बात सामने आने पर मामले की तह तक जाने के लिए पुलिस ने महावीर की पत्नी ज्योति और सुरेंद्र कौरव निवासी मुरावली को संदेह के घेरे में लेते हुए हिरासत में ले लिया.
उन्होंने सब से पहले ज्योति से पूछताछ की, लेकिन उस ने महावीर की हत्या और सुरेंद्र से अवैध संबंधों के बारे में कुछ भी नहीं बताया. तब उन्होंने उस के मोबाइल फोन को चैक किया तो वह फार्मेट किया हुआ मिला. इस से यह बात साफ हो गई कि दाल में कुछ काला है. एसएचओ ने अपनी जांचपड़ताल आगे बढ़ाने के लिए ज्योति के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स देख कर वे हैरान रह गए. ज्योति के मोबाइल पर एक ही नंबर से तकरीबन 500 से ज्यादा फोन आए थे.
तफ्तीश के दौरान पता चला कि मृतक महावीर की पत्नी ज्योति और सुरेंद्र के बीच रोजाना मोबाइल फोन पर लंबी बातचीत होती थी. 3 से 5 सितंबर के बीच भी ज्योति और सुरेंद्र के बीच कई बार काफी देर तक बातचीत हुई थी. जांच के दौरान सुरेंद्र और ज्योति पूरी तरह संदेह के दायरे में आ चुके थे. पुलिस टीम ने सुरेंद्र को दबोचने के लिए कई जगह दबिश डाली, लेकिन वह नहीं मिला. पुलिस ने मुरावली गांव में उस के घर पर भी दबिश दी, लेकिन वह वहां भी नहीं मिला. उस के घर वालों सेे पूछताछ करने पर पुलिस को पता चला कि वह 5 सितंबर को अयोध्या में रामलला के दर्शन करने गया था.
इस पर पुलिस टीम उस की तलाश में अयोध्या पहुंची. वहां श्रीराम जन्मभूमि तीर्थस्थल और आसपास के घाट सहित अयोध्या के थाना कोतवाली क्षेत्र में सुरेंद्र की तलाश की, लेकिन पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली. अयोध्या से पुलिस टीम खाली हाथ लौट आई. लगातार असफलता मिलने के बाद भी पुलिस टीम सरगर्मी से सुरेंद्र की तलाश में जुटी हुई थी. सुरेंद्र के फोटो ले कर पुलिस टीम विभिन्न इलाकों में उस की तलाश कर रही थी. इस बीच मुखबिर ने एसएचओ को महत्त्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि सुरेंद्र कौरव इस वक्त रनगवां तिराहे के पास स्थित यात्री प्रतीक्षालय के निकट किसी वाहन के इंतजार में खड़ा है.
पुलिस टीम तत्काल मुखबिर की बताई जगह पर पहुंची. पुलिस को सुरेंद्र वहां खड़ा मिल गया. वह वहां से वाहन में सवार हो कर कहीं भागने की फिराक में था. पुलिस ने आरोपी सुरेंद्र को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर उस से महावीर की हत्या के संबंध में पूछताछ की गई. पहले तो वह साफ मुकर गया, लेकिन जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया. उस ने महावीर शरण कौरव की हत्या करने का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि महावीर की पत्नी ज्योति के कहने पर उस की हत्या की थी. सुरेंद्र का कुबूलनामा सुन कर एसडीओपी संतोष पटेल और एसएचओ शिवम राजावत हैरान रह गए. देखने में भोलीभली लगने वाली ज्योति नागिन से भी ज्यादा खतरनाक निकली, जिस ने इश्क के नशे में चूर हो कर अपने ही पति को डस लिया.
सुरेंद्र और ज्योति इस तरह आए करीब
सुरेंद्र और ज्योति से की गई पूछताछ में महावीर की हत्या की लव क्राइम की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार है—
महावीर शरण कौरव मध्य प्रदेश के भिंड जिले के गांव ररुआ का रहने वाला था. उस के पिता महेंद्र कौरव गांव में रह कर खेतीकिसानी कर अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. महेंद्र का बड़ा बेटा महावीर शादी के बाद अपने हिस्से में मिली 12 बीघा जमीन बंटाई पर दे कर पत्नी ज्योति और 3 साल के बेटे के साथ ग्वालियर के गुडीगुडा नाका क्षेत्र में किराए पर कमरा ले कर रहने लगा था. महावीर और सुरेंद्र आपस में रिश्तेदार थे. इस वजह से सुरेंद्र अकसर महावीर के घर आताजाता रहता था. जब कभी सुरेंद्र फुरसत में होता तो सुबह से ही महावीर के घर पर गांजा ले कर पहुंच जाता था. फिर सुरेंद्र और महावीर पूरे दिन चिलम में गांजा भर कर पीते थे. रात होने पर महावीर के घर से खाना खा कर सुरेंद्र अपने घर चला जाता था.
इसी दौरान ज्योति की सुरेंद्र से आंखें चार हो गईं. सुरेंद्र जब भी खूबसूरत ज्योति को देखता तो उस के दिल में हलचल मच जाती थी. सुरेंद्र पर दिल आया तो ज्योति ने उस पर डोरे डालने शुरू कर दिए. ज्योति का पति महावीर अनपढ़ और भोलाभाला था. उसे मोबाइल पर इंस्टाग्राम भी चलाना नहीं आता था, जबकि 10वीं फेल ज्योति इंस्टाग्राम की शौकीन थी. महावीर का ममेरा भाई सुरेंद्र भले ही अनपढ़ था, लेकिन उसे इंस्टाग्राम चलाना आता था. इसलिए भी ज्योति सुरेंद्र को पसंद करने लगी थी. ज्योति के जेहन में क्या है, यह बात सुरेंद्र की समझ में जल्दी ही आ गई. ज्योति की निगाहों में जो प्यास झलकती थी, उसे सुरेंद्र ने भांप लिया था. इस के बाद तो ज्योति उसे हूर की परी नजर आने लगी. वह ज्योति की खूबसूरती पर फिदा हो कर उस के मोहपाश में बंधता चला गया.
कोई डेढ़ साल पहले महावीर 2-4 दिन के लिए अपने गांव ररुआ गया हुआ था. सुरेंद्र को जब इस बात का पता चला तो पूरे दिन उस का मन किसी काम में नहीं लगा. वह ज्योति के बारे में ही सोचता रहा. दिन ढलने के बाद सुरेंद्र महावीर के घर पहुंचा तो ज्योति सजसंवर कर दरवाजे पर खड़ी मिली. उसे देख कर सुरेंद्र का दिल बेकाबू हो गया. सुरेंद्र बिना किसी हिचकिचाहट के घर के अंदर चला गया. सुरेंद्र को घर आया देख कर ज्योति ने अपनी मुसकराहट छिपा ली और भोलेपन से कहा, ”तुम्हारे भैया तो गांव गए हुए हैं.’’
”भौजी, यह बात तो हमें पता है. इसीलिए तो आए हैं.’’ सुरेंद्र ने हंस कर जवाब दिया.
सुरेंद्र की बात सुन कर ज्योति बोली, ”भैया, आज आप के पास कोई काम नहीं था क्या?’’
”भौजी, काम तो था, लेकिन काम करने में हमारा मन बिलकुल भी नहीं लगा.’’ सुरेंद्र ने कहा.
”आखिर ऐसी क्या बात थी?’’ ज्योति ने फिर पूछा.
”सच बताऊं भौजी, तुम्हारी खूबसूरती ने मुझे बेचैन कर के रख दिया है,’’ सुरेंद्र बोला.
”अरे, ऐसी खूबसूरती किस काम की जिस की कोई कद्र न हो.’’ ज्योति ने बिना किसी लागलपेट के लंबी सांस ले कर कहा.
”महावीर भैया आप की जरा भी कद्र नहीं करते क्या भौजी?’’ सुरेंद्र ने ज्योति के मन को टटोलते हुए कहा.
”जानबूझ कर अनजान मत बनो सुरेंद्र, तुम अच्छी तरह जानते हो कि तुम्हारे भैया को गांजा पीनेपिलाने से ही फुरसत नहीं मिलती है. ऐसी स्थिति में मेरी रातें कैसे गुजरती हैं, यह मैं ही जानती हूं.’’ ज्योति रुआंसी हो कर बोली.
”भौजी, जो हाल तुम्हारा है, वही मेरा भी है. कैंसर से पत्नी की मौत के बाद उस की याद में रात भर करवट बदलता रहता हूं. यदि दिल से तुम मेरा साथ देने को तैयार हो तो हम दोनों को इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है.’’ सुरेंद्र ने यह बात कह कर ज्योति को अपनी बाहों में भर लिया.
ज्योति ने क्यों ठिकाने लगवाया पति
ज्योति तो यही चाहती थी, लेकिन उस ने दिखावे के तौर पर आंखें तरेरते हुए कहा, ”सुरेंद्र भैया, यह क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे. इन बातों का पता घर और मोहल्ले वालों को चल गया तो मैं बदनाम हो जाऊंगी और कहीं भी मुंह दिखाने लायक नहीं रहूंगी.’’
”नहीं भौजी, अब यह संभव नहीं है. कोई सिरफिरा ही होगा जो रूपयौवन के इस प्याले के इतने करीब पहुंच कर अपने कदम पीछे खींचेगा.’’ यह कह कर सुरेंद्र ने ज्योति पर अपनी बाहों का कसाव बढ़ा दिया.
दिखावे के लिए ज्योति न.. न… न… करती रही, जबकि वह खुद कामोत्तेजना के चलते सुरेंद्र से लिपटी जा रही थी. सुरेंद्र कोई बच्चा नहीं था जो ज्योति की इच्छा को समझ नहीं पाता. कुछ ही देर में दोनों ने मर्यादा भंग कर दी. एक बार झिझक मिटी तो सिलसिला शुरू हो गया. दोनों को जब भी मौका मिलता, वे उस का फायदा उठाते. ज्योति और सुरेंद्र अब खुश रहने लगे थे, क्योंकि दोनों की शारीरिक भूख मिटने लगी थी. पुरानी कहावत है इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. ऐसा ही ज्योति और सुरेंद्र के संबंधों में भी हुआ, उन के नाजायज संबंधों को ले कर अड़ोसपड़ोस में बातें होने लगी. कुछ दिनों में इस की भनक महावीर को भी लग गई.
पहले तो उस ने समाज की ऊं चनीच बता कर ज्योति को समझाया, लेकिन कोई असर न होता देख कर उस ने ज्योति पर सख्ती करनी शुरू कर दी. ज्योति पर पति की सख्ती का कोई असर नही हुआ, क्योंकि पिछले डेढ़ साल में वह सुरेंद्र के प्यार में आकंठ डूब चुकी थी. पति की सख्ती से ज्योति और सुरेंद्र को एकदूसरे से मिलने का मौका नहीं मिल रहा था. ज्योति से न मिल पाने पर सुरेंद्र की तड़प भी बढ़ती जा रही थी. दोनों के लिए यह बरदाश्त से बाहर की बात हो गई थी. आखिर एक दिन पति की गैरमौजूदगी में ज्योति ने सुरेंद्र को बुलाकर सारी बातें बताईं. फिर दोनों ने मिल कर महावीर को ठिकाने लगाने की योजना बनाई. अपनी योजना पर सुरेंद्र और ज्योति यह सोच कर खुश थे कि पुलिस उन तक कभी नहीं पहुंच पाएगी और वे महावीर की गांव वाली 12 बीघा जमीन बेच कर आराम से शहर में रहेंगे, लेकिन कानून के लंबे हाथों ने उन के मंसूबों पर पानी फेर दिया.
दोनों जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए. मृतक महावीर का मासूम बेटा अपने बाबा महेंद्र कौरव के पास पैतृक गांव ररुआ आ गया और दादादादी के साथ रह रहा था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित