20 वर्षीय मेहनाज ने गन्ने के खेत में ले जा कर अपने 22 वर्षीय प्रेमी सोनू के पैर रस्सी से बांध दिए. इस के बाद मेहनाज के भाई सद्दाम अंसारी ने छुरी से सोनू की गरदन काट कर सिर धड़ से अलग कर दिया. फिर दोनों भाईबहन उस का सिर थैले में रख कर ले गए. आखिर मेहनाज क्यों बनी प्रेमी की कातिल?

सद्दाम ने अपनी बहन मेहनाज को भरोसे में ले लिया था और वह भी उस के हर फैसले को मानने के लिए तैयार हो गई थी. अब सद्दाम के सामने बड़ा सवाल था कि सोनू और उस की बहन मेहनाज के बीच जो प्रेम संबंध हैं, उन्हें कैसे तोड़ा जाए. ऐसा वह क्या करे कि मेहनाज और सोनू हमेशा के लिए अलग हो जाएं?

इस बारे में सद्दाम ने मेहनाज से बात की तो उस ने वादा कर लिया कि वह भविष्य में सोनू से कोई वासता नहीं रखेगी. लेकिन सोनू ने अपने रिश्तेदारों आदि को मेहनाज का फोटो दिखाते हुए यह बात फैला दी थी कि वह मेहनाज से शादी करने वाला है. यह बात सद्दाम को काफी परेशान कर रही थी. मेहनाज पूरी तरह से भाई का साथ देने को तैयार हो गई थी. इस उधेड़बुन में दोनों भाईबहन काफी ऊहापोह की स्थिति में आ गए थे. उन्हें सब से आसान तरीका यह समझ में आया कि क्यों न सोनू को परिवार और गांवसमाज का हवाला देते हुए यह समझाया जाए कि ननिहाल की लड़की से शादी करना किसी के लिए भी ठीक नहीं होगा. इस का भविष्य में उस के परिवार पर बुरा असर पड़ेगा और गांव के लोगों से संबंध हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा.

भाईबहन के बीच इस के लिए सोनू से बातचीत करने पर सहमति बन गई. उसे किसी एकांत जगह में बुलाने का कार्यक्रम तय कर लिया गया. सद्दाम ने मेहनाज को सोनू से बातचीत कर समझाने की सलाह दी. 3 दिनों के बाद मौका देख कर 9 सितंबर, 2024 को मेहनाज ने सोनू को फोन किया. वह खुश हो गया था, क्योंकि कई दिनों से उस की मेहनाज से बात नहीं हुई थी. सोनू ने खुशी से पूछा, ”तो तुम साथ घूमने चलने के लिए तैयार हो?’’

बेरुआ पुल पर मिलोगे तब सब कुछ बताऊंगी. कुछ देर वहां बैठ कर शांति से दिल की बातें तो कर लें हम लोग.’’ मेहनाज प्यार से बोली.

ठीक है, मैं शाम को 7 बजे से पहले वहां पहुंच जाऊंगा…हमारे गांव सैफनी से ज्यादा दूर नहीं है.’’ सोनू खुश हो कर बोला.

मेहनाज पहले से तय कार्यक्रम के अनुसार शाम को बरुआ पुल पर पहुंच गई. मेहनाज की तरह सद्दाम भी अपने पड़ोस के एक दोस्त रिजवान को ले कर वहां पहुंच गया था. इस की जानकारी मेहनाज को पहले से थी. हालांकि सोनू समय से 15 मिनट बाद पुल पर पहुंचा था, जहां मेहनाज अकेली उस का इंतजार करती दिखी. उस के आते ही मेहनाज ने देर करने की शिकायत कर दी. सोनू ने उसे गले लगाना चाहा, लेकिन मेहनाज ने सामने से मछुआरों को आता देख इशारे से मना कर दिया और एक ओर जा कर बैठ गई.

सद्दाम अपने दोस्त रिजवान के साथ पास में ही थोड़ी आड़ लिए छिपा हुआ था. पुल के आसपास नदी से मछली पकडऩे वाले लोग अपनेअपने घरों को जा रहे थे. हलकी रोशनी थी. पुल के आसपास का इलाका जंगली है. रात के अंधेरे ने अभी जंगल को अपनी आगोश में नहीं लिया था. मेहनाज सोनू के साथ पुल के पास से कच्चे रास्ते से होते हुए थोड़ा आगे चल कर नीचे उतर कर गन्ने के खेत में चली गई. पीछेपीछे सद्दाम और रिजवान भी उन की नजरों से बचते हुए गन्ने के खेत में पहुंच गए. तुरंत दोनों ने मिल कर सोनू को पीछे से दबोच लिया. वह वहीं जमीन पर गन्ने के खेत में गिर गया.

प्रेमिका ने बांधे प्रेमी के पैर, भाई ने काटा सिर

उस के गिरते ही साथ चल रही मेहनाज ने तुरंत सोनू के दोनों पैर कस कर पकड़ लिए. तब तक सद्दाम ने साथ लाई रस्सी मेहनाज को दे दी, जिस से उस के पैर बांध दिए. सोनू गिड़गिड़ाने लगा, ”मेहनाज, यह क्या कर रही हो? मुझे छोड़ दो… जो तुम कहोगी, मैं वही करूंगा.’’ सोनू की बातों को अनसुना कर मेहनाज ने उस के दोनों पैर रस्सी से बांध दिए. गिड़गिड़ाता सोनू बोलता रहा, ”मेहनाज, मैं तुम्हारी फोटो डिलीट कर दूंगा…और तुम्हारी जिंदगी से हमेशा के लिए चला जाऊंगा. मैं तुम्हें सदा के लिए भुला दूंगा. मुझे बचा लो, प्लीज…’’ 

मेहनाज कुछ नहीं बोली. सिर्फ अपनी नम आंखों से भाई सद्दाम की तरफ देखा. वह आक्रोश से भरा हुआ था. उस ने दूसरी रस्सी से सोनू के हाथों को भी बांध दिया था. सोनू बेबस था. वह मेहनाज को देखे जा रहा था. तभी रिजवान और मेहनाज ने मिल कर सोनू को दबोच लिया. सद्दाम ने उस की गरदन पकड़ ली और अंटी में लगी छुरी निकाल कर सोनू की गरदन पर चला दी. खून के फव्वारे फूट पड़े. रिजवान और मेहनाज के साथ सद्दाम के कपड़े भी खून से तरबतर हो गए. उसी चाकू से उस के सिर को गरदन से अलग कर दिया था.

थोड़ी देर तड़पने के बाद सोनू निढाल हो गया. उस के शरीर से जान निकल चुकी थी. मेहनाज दूर खड़ी अपने प्रेमी की मौत देख रही थी. सद्दाम के कहने पर दोस्त रिजवान ने सोनू की लाश के कपड़े उतार दिए, ताकि उस की पहचान न हो सके. उस की चप्पलें और मोबाइल ले लिया. चप्पलें वहीं फेंक दीं और उस के मोबाइल को भी तोड़ कर उस के पुर्जे रास्ते में ही फेंक दिए. सोनू की बाइक वहीं पर पुल के पास चाबी के साथ खड़ी छोड़ दी. उस के बाद सद्दाम, रिजवान और मेहनाज सोनू के कटे सिर, उस की एक चप्पल, टूटा मोबाइल, चाकू और मेहनाज का मोबाइल एक प्लास्टिक के थैले में रख कर जंगल के रास्ते पर हो लिए. सब कुछ ऐसे हो रहा था, जैसे तीनों ने इस घटना को अंजाम देने के लिए पहले से ही पूरी तरह योजना बना रखी हो.

जंगल चलते करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर डंपिंग ग्राउंड सैफनी में उन्होंने सोनू की गरदन फेंक दी. सद्दाम नगर पंचायत सैफनी में संविदा पर ट्रैक्टर चलाता है, इस कारण ही उस ने सोचा था कि सुबह जब वह नगर पंचायत सैफनी की कूड़े से भरी ट्रैक्टर ट्रौली यहां कूड़ा डालने आएगा तो सोनू की गरदन उस कूड़े के ढेर में दफन हो जाएगी. कभी किसी को गरदन का कोई सुराग नहीं लगेगा. तीनों हर सबूत को नष्ट कर देना चाहते थे. एक चप्पल और टूटे मोबाइलों की थैली भी उन्होंने डंपिंग साइट पर ही फेंक दी. तीनों ने जंगल की आड़ में अपनेअपने कपड़े बदल लिए और खून सने कपड़ों को वहीं पैट्रोल छिड़क कर जला डाला. उस के बाद वे अपने घर आ गए.

अगले रोज यानी 10 सितंबर की सुबहसुबह उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर के थाना सैफनी एसएचओ महेंद्रपाल सिंह को जंगल में सिर कटी लाश पड़ी होने की सूचना मिली तो एसएचओ मय फोर्स के वहां पहुंच गए. उन्होंने तत्काल घटना की सूचना अपने अधिकारियों को दी. सिरकटे शव की पहचान के लिए कोशिश के साथसाथ उस के सिर की तलाश भी की गई, लेकिन नहीं मिल सका. पुलिस के सामने समस्या थी उस की पहचान की. इस के लिए आसपास के थानों को अज्ञात शव की सूचना भेज दी गई. नग्न सिरकटी लाश मिलने की खबर आग की तरह पूरे इलाके में फैल गई थी. उसे देखने के लिए सैकड़ों की तादाद में लोग जुटे थे.

उन में सेफनी गांव के लोग भी थे. उन्हीं में से एक व्यक्ति ने लाश की पहचान कर ली. उस ने पुलिस को बताया कि लाश के अंगूठे को वह अच्छी तरह पहचानता है, जो मोटा और दबा हुआ था. वह देखते ही बोल पड़ा, ”साहब, यह तो हमारा सोनू है. यहां कब आया? उसे किस ने मारा? वह भी गरदन काट कर!’’

तुम इसे पहचानते हो? कैसे जानते हो इसे? कौन है?’’ पुलिस के कई सवालों से वह घबरा गया, तुरंत रोने लगा. रोता हुआ बोला, ”जी… जी हुजूर! यह तो हमारा सोनू है. बिलारी में रहता है, लेकिन यहां कैसे?’’

तुम कौन हो, जो इतने दावे से कह रहे हो, सोनू है!’’ पुलिस तहकीकात के अंदाज में बोली.

मैं उस के ननिहाल का रिश्तेदार हूं. सोनू  मुरादाबाद से 25 किलोमीटर दूर कोतवाली बिलारी के गांव रुस्तमनगर सहसपुर का रहने वाला है.’’ वह बोला.

इसी बीच पुलिस को बिलारी थाने से सोनू नाम के युवक के गुमशुदा होने की सूचना मिली, जो उस के पिता साबिर ने बीती रात दर्ज करवाई थी.

साबिर ने पुलिस को बताई प्रेम प्रसंग की बात

साबिर ने गुमशुदगी की सूचना में लिखवाया था कि उन का बेटा सोनू 9 सितंबर, 2024 की शाम 7 बजे से ही लापता है. लाश की पूरी पहचान की पुष्टि के लिए साबिर को बुलाया गया. उस ने भी नग्न लाश के चपटे अंगूठे से बेटे की पहचान कर ली. उस के बाद 11 सितंबर को साबिर की तहरीर पर थाना बिलारी में बीएनएस की धारा 103(1)/238 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया. इस सनसनीखेज मामले में बहुत कुछ खुलासा होना बाकी था. खासकर उस के सिर का मिलना पहली प्राथमिकता थी. अभियुक्तों की गिरफ्तारी की जानी थी. इस के लिए एसएसपी (मुरादाबाद) सतपाल अंतिल ने एसपी (ग्रामीण) व सीओ (बिलारी) के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई. टीम की कमान बिलारी के कोतवाल लखपत सिंह को सौंपी गई.

सोनू के पिता साबिर ने मामले को प्रेमप्रसंग का बताया. उस ने पुलिस को बताया कि सोनू रुस्तमनगर सहसपुर गांव में बड़ी मसजिद के निकट आलिम के कारखाने में जींस की सिलाई का काम करता था. वह परिवार में बड़ा बेटा था. उस के अलावा उस की अम्मी अनीशा, छोटा भाई शाने अली हैं. साबिर सहसपुर के ही एक ईंट भट्ठे पर ईंटों को पाथने का काम करता है. उस के बेटे की ननिहाल में अपने ही समाज की लड़की से प्रेम चल रहा था. साबिर ने बेटे की ननिहाल में रहने वाले एक परिवार पर ही हत्या का आरोप मढ़ दिया.

उस की शिकायत के आधार पर बिलारी पुलिस ने सद्दाम अंसारी पर मुकदमा दर्ज कर लिया. वह थाना सेफनी (रामपुर) के मोहल्ला मजरा का निवासी है. पुलिस बगैर देर किए उसे गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए थाने ले आई. उस से सख्ती से पूछताछ की गई, तब उस ने अपना गुनाह कुबूल करते हुए पूरी घटना विस्तार से बता दी. उस की निशाहदेही पर पुलिस ने सोनू की हत्या में प्रयुक्त एक छुरी एवं मृतक की चप्पल, टूटा हुआ मोबाइल फोन समेट लाश से करीब 2 किलोमीटर दूर कटा हुआ सिर डंपिंग ग्राउंड सैफनी से बरामद कर लिया.

पूछताछ में सद्दाम ने अपनी बहन मेहनाज और रिजवान का नाम भी लिया. उस ने बताया कि हत्याकांड में उन दोनों की भी भागीदारी थी. पुलिस ने मेहनाज और रिजवान से भी अलगअलग पूछताछ की और हत्याकांड के बारे में विस्तार से बयान लिए. बिलारी कोतवाली की महिला पुलिस जब मेहनाज से पूछताछ करने लगी, तब वह रोने लगी. उसे ढांढस बंधाती हुई महिला पुलिस ने सब कुछ सचसच बताने को कहा. कलपती हुई मेहनाज बोली, ”मैडम, मैं ने भी आप की तरह ही पुलिस में भरती की परीक्षा दे रखी है. अब तो लगता है मेरा करिअर ही खराब हो गया. पुलिस की नौकरी तो दूर की बात है…’’

चलो जो हुआ, उस के बारे में बताओ… तुम सोनू को कब से जानती थी?’’

सोनू का नाम आते ही मेहनाज शून्य की ओर देखने लगी…वैसी यादों में खो गई, जो उस की आंखों के आगे घूम रही थीं. कुछ पल शांत रहने के बाद बोलने लगी…

शादी समारोह में सोनू और मेहनाज के लड़े थे नैना

एक साल पहले गांव रुस्तमनगर सहसपुर निवासी सोनू सेफनी में स्थित अपनी ननिहाल आया हुआ था. उस के घर के पास ही एक परिवार में शादी का माहौल था. मुसलिम समाज की परंपरा के अनुसार इस क्षेत्र में होने वाले विवाह समारोह में एक अंतिम रस्म सलामीका आयोजन चल रहा था. इस में दूल्हा और उस के यारदोस्त लड़की पक्ष के समारोह से एक अलग स्थान पर पहुंच गए थे. दूल्हे को कुरसी पर बैठा दिया गया था. बाकी साथ के लोग दूल्हे के इर्दगिर्द खड़े हो गए थे. वहां पर लड़की की मां और बहनों सहित सहेलियां और रिश्तेदार लड़कियां भी थीं. गजब का खुशनुमा माहौल बना हुआ था. ऐसा लग रहा था मानो लड़कियों और लड़कों की 2 अलगअलग टीमें आपस में किसी मुकाबले के लिए तैयार हों. 

लड़की पक्ष के लोग दूल्हे को शगुन भेंट करने लगे थे. शगुन की राशि या उपहार मिलते ही दूल्हा उन को सलाम कर देता था. उस के बाद उन से परिचय भी होता था. इस दौरान हंसीमजाक का दौर भी चलने लगा था. लड़कों का मनचलापन और लड़कियों की ठिठोली का सिलसिला पूरे शबाब पर था.
उन्हीं में करीब 20-22 साल का युवक सोनू भी था. उस के चेहरे पर मासूमियत थी. सपनों से भरी गहरी आंखें, चेहरा गुलाब की तरह ताजगी लिए हुए था, मधुर मुसकान, चमकती आंखें, मेहनत का संकेत देती सुडौल भुजाएं, हवा में लहराते बाल. इन सब से वह अधिकांश लड़कियों का आकर्षण का केंद्र बना हुआ था. वह दूल्हे के बहुत करीब खड़ा था. मौजूद लड़कियों को ऐसे देख रहा था, जैसे उस ने किसी को देखा नहीं हो.

इतने में ही मेहनाज दूल्हे को पुरस्कार देने के लिए नजदीक आई. सोनू की उस से आंखें चार हुईं. दोनों एकदूसरे को देखते रहे और उस के हाथ से शगुन की राशि का लिफाफा नीचे गिर गया, दूल्हे के हाथों तक नहीं पहुंच पाया. दोनों आंखों के जरिए एकदूसरे के दिल में उतर गए. इसे दूसरे लोगों ने भी महसूस किया. 

मेहनाज इस पर मजाकिया लहजे में बोल पड़ी, ”दिखता नहीं है!’’  खूबसूरत मेहनाज की तरह उस की आवाज में भी मधुरता थी. खूबसूरत चेहरे पर गुलाब की पंखुड़ी की तरह सुर्ख होंठ, मुसकान, उस की आंखों में सपनों का संसार छिपा था. उस के इकहरा बदन आकर्षक था. कुछ समय तक दोनों इस महफिल का केंद्रबिंदु बने रहे.

तोहफा देने कोई और आगे आया तो मेहनाज पीछे हट गई. उस का गिरा हुआ गिफ्ट पैक दूल्हे के यारदोस्तों ने उठा लिया. रस्म पूरी हुई. दूल्हे और उस के साथी मंडप में आ गए. विदाई की तैयारी होने लगी, लेकिन सोनू की निगाह में मेहनाज का चेहरा घूम रहा था.विदाई का समय आ गया. दुलहन को कार में बैठाने कुछ लड़कियां आईं, उन में मेहनाज भी थी. सोनू भी कार के पास ही खड़ा हो गया था. उस ने सब की नजरों से बचा कर एक कागज मेहनाज के हाथ में पकड़ा दिया. 

मेहनाज ने उसे मुट्ठी में ही दबोचे रखा. बाद में उसे खोल कर देखा तो उस में एक मोबाइल नंबर लिखा था. इस तरह सोनू और मेहनाज की मुलाकात का सिलसिला फोन से शुरू हुआ. उन के बीच पहले जानपहचान और फिर मिलनेजुलने की शुरुआत हो गई. सोनू को उस ने बताया कि गांव रुस्तमनगर सहसपुर के पास थांवला रोड पर स्थित आईटीआई स्कूल में वह पढ़ती है. फिर उन की मुलाकात सहसपुर बिलारी के बीच हाईवे पर ही नीलबाग के एक इंगलिश मीडियम स्कूल के पास हुई. 

करिअर और पढ़ाई को ले कर जितनी गंभीर मेहनाज थी, उतनी ही चिंता उस के भाई सद्दाम अंसारी और परिवार के दूसरे लोगों को भी थी. वह जितनी सुंदर, उतनी ही चंचल और पढ़ाई में तेज थी. उस का एडमिशन रूस्तमनगर सहसपुर में स्थित आईटीआई में हो गया था. उस की सुंदरता और मोहकता पर कोई भी पहली ही नजर में फिदा हो जाता था. उम्र के जिस मोड़ पर वह खड़ी थी, वहां से कदम बहकते देर नहीं लगती. ऐसा ही कुछ उस के साथ भी हो चुका था. वह सोनू के प्यार में पड़ चुकी थी.

इस की जानकारी जब सद्दाम को हुई तब वह बेचैन हो गया, किंतु मानसिक तनाव की घड़ी में भी एक अच्छी बात यह थी कि उस ने भावावेश में तुरंत कोई कदम नहीं उठाया, बल्कि जमाने के बदले हुए मिजाज और प्यारमोहब्बत की बातें आम होने की बात को देखते हुए उस ने समझदारी भरा कदम उठाया. पहले उस ने इस बारे में पूरी तहकीकात की और बहन के प्रेम संबंध की होने वाली चर्चा के तह में जा कर पता लगाया. बात की पुष्टि हो जाने के बाद समाधान के लिए फिर उस ने अपने खास दोस्तों से बात की.

उस ने उन से सलाहमशविरा कर राय मांगी कि इस मामले में अब क्या करना चाहिए. उस के दोस्तों के अलगअलग मशविरे थे. सब की बातें सुन कर उस ने उस पर गहन मंथन किया. सोचविचार के बाद वह अंतिम निर्णय पर पहुंचा कि उसे आगे जो कुछ करना है, उसे पहले अपनी बहन के साथ बात कर लेनी चाहिए. हो सकता है बातचीत से ही समाधान हो जाए. शाम का समय था. सद्दाम अंसारी के परिवार के सब लोग घर पर ही थे. अपने कमरे में सिर पकड़े बैठे सद्दाम ने दरवाजे के सामने बरामदे से गुजरती बहन मेहनाज को देखा. उस ने आवाज लगाई, ”मेहनाज!’’

जी भाई!’’ मेहनाज बोली.

सिर भारीभारी लग रहा है… एक कप चाय पिला दोगी…’’ थकी आवाज में सद्दाम बोला.

अभी बना देती हूं… बोलो तो अदरक और इलायची भी डाल दूं…’’

हांहां, पत्ती तेज रखना!’’

जी, भाईजान.’’

कुछ समय में ही मेहनाज एक प्याला चाय ले कर आ गई. प्याला देती हुई बोली, ”कुछ खाने को भी नमकीनबिसकुट ला दूं?’’

नहींनहीं! कुछ नहीं… यहीं बैठो, तुम से कुछ जरूरी बात करनी है.’’ सद्दाम बोला और चाय पीने लगा. उस समय कमरे में सिर्फ सद्दाम था. मेहनाज थोड़ी दूर पड़ी एक फोल्डिंग कुरसी को खोला और चुन्नी संभालती हुई बैठ गई.

हां भाई, बोलो न, क्या जरूरी बात है?’’

तुम्हारे बारे में मोहल्ले के लड़के कई तरह की बातें करते हैं. मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगता!’’ चाय के कुछ घूंट पी कर सद्दाम बोला.

अरे भाईजान, मोहल्ले के लड़कों का क्या है, वे तो कुछ न कुछ बोलते ही रहते हैं.’’ मेहनाज ने कहा.

बात कुछ भी बोलने की नहीं है, उन का कहना है कि तुझे वे अकसर किसी लड़के के साथ देखते हैं… इस से बदनामी हो रही है.’’

उन को छोड़ दो, वे तो हैं ही नकारा किस्म के लड़के…लेकिन उन की बातों का असर मोहल्ले में दूसरों पर तो होता है न. हम लोग अपने मोहल्ले और परिवारसमाज में इज्जतदार लोग हैं.’’ सद्दाम समझाने के लहजे में बोला.

भाईजान, ऐसी कोई बात नहीं है, जिस से आप का और घर वालों का सिर नीचा होगा…’’

कौन है वह?’’

नानी के घर सेफनी में शादी में गई थी, वहीं सोनू से जानपहचान हो गई थी. उस के बाद यहां मिलने के लिए 2-3 बार आया था और कोई बात नहीं है. उस का ननिहाल अपने गांव में ही है.’’ मेहनाज सफाई में बोली.

फिर कभी मिले तो साफसाफ मना कर देना. देखो, तुम्हें अपनी पढ़ाई पर फोकस करना है. बड़ी मुश्किल से मैं ने घर के लोगों से लड़झगड़ कर तुम्हारा आईटीआई में नाम लिखवाया है. हमारे समाज की लड़कियों के लिए यह बड़ी बात है.’’ सद्दाम बोला. सद्दाम ने सोनू के घर वालों का भी हवाला देते हुए कहा, ”तुम्हीं देखो न, कहां कपड़ों की सिलाई कर गुजरबसर करने वाला उस का परिवार और कहां सिलाई का काम करने वाला सोनू…’’

जी भाईजान, आप की बदौलत ही मैं आईटीआई की पढ़ाई कर रही हूं. मैं उस से कभी नहीं मिलूंगी, लेकिन…’’ मेहनाज बोलतेबोलते अचानक रुक गई.

लेकिन क्या?’’ 

भाई, वह बहुत ही जिद्दी है, मैं उस से पीछा छुड़ाना चाहती हूं, उसे मना कर चुकी हूं. फिर भी वह पीछा नहीं छोड़ता.’’

भाई ने क्यों रची खौफनाक साजिश

मेहनाज अपने बड़े भाई से कुछ भी नहीं छिपाती थी. भाई को भी उस पर भरोसा था. वह पढ़ाई में अव्वल थी और भाई का हर कहा मानती थी. उस ने बातों ही बातों में यह स्वीकार लिया कि वह सोनू से प्यार करती है. उस के बगैर वह नहीं रह सकती है. किंतु जब भाई ने उस के प्रेम संबंध को ले कर घरपरिवार में होने वाली बदनामी और करिअर खराब हो जाने का हवाला दिया तब वह सहम गई. सोनू गांव रूस्तमनगर सहसपुर का रहने वाला था. उस की ननिहाल जिला रामपुर के कस्बा सैफनी के मझरा मोहल्ले में है. मेहनाज का घर भी सोनू की ननिहाल के पड़ोस में है. 

दोनों के बीच जानपहचान होने के बाद सोनू ने अपनी ननिहाल में ज्यादा आनाजाना शुरू कर दिया था. वह मेहनाज से उस के आईटीआई आतेजाते वक्त भी मिल लेता था. एक दिन उस ने मेहनाज को अपने पास बैठा कर उस के कुछ फोटो खींच लिए थे. तब मेहनाज ने उस से फोटो को सोशल साइट पर लगाने से सख्त मना कर दिया था. हालांकि मेहनाज की हिदायत का ध्यान रखते हुए सोनू ने वह फोटो सोशल मीडिया पर शेयर नहीं किए थे, लेकिन अपने ननिहाल आ कर कुछ रिश्तेदारों को उस ने वे फोटो दिखाए थे. उस ने रिश्तेदारों से कहा था कि वह मेहनाज से शादी करना चाहता है. इस के लिए उस ने उन से मदद मांगी थी. 

यह बात पूरे सैफनी में फैल गई थी, इस की जानकारी मेहनाज के भाई सद्दाम को हुई तो वह बेचैन हो गया था. उसे बदनामी का डर सताने लगा था. वह सोचता था कि सोनू से उस की बहन के संबंध ठीक नहीं हैं. इस से उस के परिवार के मानसम्मान को गहरा धक्का लगेगा. सद्दाम ने इसी चिंता में जब मेहनाज से पूछताछ की तो वह रोने लगी. इस के बाद उस ने सोनू के साथ प्रेम संबंध के बारे में पूरी आपबीती बताई. यह भी वादा किया कि वह सोनू से भविष्य में कोई संबंध नहीं रखेगी.

मेहनाज, सद्दाम अंसारी और रिजवान से पूछताछ के बाद सोनू हत्याकांड का खुलासा हो गया था. उन्होंने सोनू के कटे सिर को बरामद करने में पुलिस की मदद की. तीनों सोनू हत्याकांड में नामजद थे और अपना जुर्म कुबूल कर चुके थे, इसलिए उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

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