हैरतअंगेज घटना :

अपराधी राजू जो 11 सालों से फरार था, पुलिस की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार पकड़ लिया गया. इस अपराधी पर कई साल पहले कोर्ट के द्वारा ₹50 हजार का इनाम घोषित किया गया था. मगर इस अपराधी को पकङने के लिए पुलिस को मजदूर बनना पङा। आखिर कौन था यह अपराधी जिसे पकड़ने के लिए पुलिस मजदूर बनी, जानिए सनसनीखेज घटना…

दिल्ली की घटना

साल 2013 में दिल्ली के तिलक नगर में फैक्टरी मालिक जितेंद्र की हत्या का मामला सामने आया था जिस में राजू नाम के व्यक्ति को मुख्य आरोपी माना गया था. पुलिस की जांच के दौरान पता चला कि हत्या राजू के द्वारा की गई थी. इस के बाद वह हत्या कर के फरार हो गया. उस पर ₹50 हजार इनाम की घोषणा भी थी.

जांच में यह भी बात सामने आई कि फैक्टरी के मालिक जितेंद्र की हत्या उस के सगे भाई ने रची थी. जिस के लिए सगे भाई ने झज्जर के रविंदर राठी को ₹10 लाख में हत्या की सुपारी दी. राजू तो सिर्फ एक मुहरा था जिसे वह ₹50 हजार के लिए इस हत्या में शामिल किया था.

इस के बाद डीसीपी (क्राइम) संजय कुमार सैन के अनुसार, जितेंद्र की हत्या के बाद पुलिस ने 6 अपराधियों को गिरफ्तार किया, लेकिन मुख्य आरोपी राजू तब तक फरार हो चुका था. कोर्ट ने राजू को भगोड़ा घोषित कर दिया. पुलिस कई सालों तक उस की तलाश में लगी रही, लेकिन वह छत्तीसगढ़ और झारखंड के घने जंगलों में छिपा रहा. इस के बाद पुलिस क्राइम ब्रांच को एक खुफिया सूचना मिली कि राजू झारखंड और छत्तीसगढ़ के बौर्डर के जंगलों में छिपा हुआ है. इस के बाद एसीपी रमेश लांबा, इंस्पैक्टर सतेंद्र मोहन और इंस्पैक्टर महीपाल की अगुवाई में एक टीम बनाई गई.

पुलिस ने बिछाया जाल

इस टीम के द्वारा राजू के रिश्तेदारों के नंबरों पर काम करना शुरू किया गया. हेड कौंस्टेबल नवीन को झारखंड में रहने वाले राजू के एक रिश्तेदार का नंबर मिला कि यह नंबर कुछ ही मिनटों के लिए उपयोग किया जा रहा है और इस नंबर की लोकेशन छत्तीसगढ़ झारखंड के बौर्डर के घने जंगलों में दिखाई दे रही है. इस के बाद पुलिस अपना वेशभूषा बदल कर मजदूर बन कर जंगलों में कई दिनों तक काम करती रही. और फिर इस के बाद पुलिस की कड़ी मेहनत बाद राजू को गिरफ्तार कर लिया गया.

गिरफ्तारी के बाद क्या बोला राजू

राजू का कहना था कि वह अपने मातापिता का इकलौता बेटा था और 1999 में उन के देहांत के बाद आर्थिक तंगी से जूझते हुए वह झारखंड के पलाम में आ गया. जहां वह ट्रक ड्राइवर के रूप में काम शुरू किया. हालात से मजबूर हो कर वह अपराध की दुनिया में कूद गया. जीतेंद्र की हत्या से पहले उस ने अपने साथी रिशु, मुकेश और अभिषेक के साथ मिल कर एक देसी कट्टा और कारतूस का इंतजाम किया. फिर चारों दिल्ली पहुंचे और जितेंद्र की गोली मार कर हत्या कर दी. राजू कहता है कि हत्या के दिन सिर्फ मेरा काम बैकअप देना और गोलीबारी के बाद भागने का इंतजाम करना था.

नकली नाम से रहता था

गिरफ्तारी के बाद पता चला कि राजू का असली नाम मृत्युंजय सिंह है जो अपनी पहचान छिपा कर राजू बनारसी के नाम रहने लगा. मर्डर कर के राजू जंगलों में अपना फोन बहुत कम समय के लिए ही उपयोग किया करता था ताकि पहचान न हो जाए. पुलिस ने बताया कि राजू पहले भी एक मामले में गिरफ्तार हो चुका था. लेकिन इस बार पुलिस ने उसे 11 साल बाद आखिरकार पकड़ ही लिया.

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