सोनी आधुनिक सोच वाली लड़की थी. उस की यह सोच उस के घर वालों को पसंद नहीं थी. फिर घर में एक दिन ऐसी घटना घटी कि सोनी को तो अपनी जान से हाथ धोना ही पड़ा, साथ ही घर वालों को भी…
उत्तर प्रदेश के जिला वाराणसी का एक गांव है बर्थरा कलां. 11 मार्च, 2018 को इसी गांव के प्रधान सत्येंद्र विक्रम सिंह अपनी मोटर साइकिल से शहर जा रहे थे. वह अभी गांव के बाहर पुलिया के पास पहुंचे ही थे कि उन की निगाह पुलिया के पास पानी पर चली गई, जिस में एक लाश तैर रही थी. उन्होंने मोटरसाइकिल वहीं रोक दी और लाश को देखने लगे. लाश किसी महिला की लग रही थी. चूंकि वह गांव के प्रधान थे, इसलिए उन्होंने उसी समय यह सूचना थाना चौबेपुर के थानाप्रभारी ओमनारायण सिंह को दे दी.
सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अपनी टीम के साथ गांव बर्थरा कलां की पुलिया के पास पहुंच गए. तब तक वहां पर काफी लोग जमा हो गए थे. ग्राम प्रधान सत्येंद्र विक्रम सिंह वहीं पर मौजूद थे. ग्राम प्रधान से बातचीत करने के बाद थानाप्रभारी ने पानी पर तैर रही लाश बाहर निकलवाई. मृतका सलवारसूट पहने थी. वहां मौजूद कोई भी व्यक्ति मृत युवती की लाश को नहीं पहचान सका. ओमनारायण सिंह ने काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.
इस के बाद थानाप्रभारी ने ग्राम प्रधान की सूचना पर अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. मामला जटिल दिख रहा था क्योंकि अभी तक लाश की शिनाख्त तक नहीं हुई थी. मामले को उलझा देख एसएसपी आर.के. भारद्वाज ने एसपी (ग्रामीण) अमित कुमार के निर्देशन व सीओ (पिंडरा) के नेतृत्व में एक टीम गठित की. पुलिस टीम मामले की जांच में लग गई. अखबार में एक अज्ञात युवती की लाश मिलने की खबर छपने के बाद थाना चोलापुर के गांव भोपापुर का रहने वाला राजेंद्र कुमार थाना चौबेपुर पहुंचा. उस ने थानाप्रभारी से कहा कि अखबार में लाश का जो फोटो छपा है वह कुछ जानापहचाना सा लग रहा है.
थानाप्रभारी राजेंद्र कुमार को मोर्चरी ले गए. मोर्चरी में रखी युवती की लाश देखते ही वह उस ने बताया कि यह लाश उस की साली सोनी है, जो भंदाहा गांव की रहने वाली है. उस के पिता का नाम दीनानाथ है. युवती की शिनाख्त हो जाने के बाद उस की लाश का पोस्टमार्टम हुआ. पोस्टमार्टम में सोनी के शरीर पर चोट के कई निशान पाए गए. इस के अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि उस की मौत पानी में डूबने की वजह से हुई थी. मृतका की शिनाख्त हो जाने पर पुलिस की सिरदर्दी काफी हद तक कम हो गई थी. साथ ही इस केस के खुलासे के लिए आगे बढ़ने का रास्ता भी दिखने लगा था, सो पुलिस टीम ने अपना जाल बिछाने के साथ मुखबिरों को भी लगा दिया. पुलिस को पता चला कि सोनी के पिता और दोनों चाचा घर से फरार हैं.
पुलिस को शक हुआ कि सोनी की हत्या के बाद से उस के घर वाले आखिर क्यों फरार हैं? लिहाजा पुलिस उन्हें खोजने में जुट गई. इसी बीच थानाप्रभारी को उन के एक खास मुखबिर ने 23 अप्रैल, 2018 को सूचना दी कि सोनी की हत्या के लिए जिस क्वालिस गाड़ी का उपयोग किया गया था, उस का ड्राइवर मनोज कुमार पास के ही मुनारी पैट्रोल पंप पर मौजूद है. थानाप्रभारी के लिए यह सूचना काफी अहम थी सो वह बिना समय गंवाए टीम के साथ मुखबिर द्वारा बताए गए पैट्रोल पंप पर पहुंच गए. मनोज वहीं मौजूद था. उसे हिरासत में ले कर पुलिस थाने लौट आई.
मनोज वाराणसी के ही थाना चोलापुर के गांव भवानीवारी का रहने वाला था. उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह उन के पैरों पर गिर कर गिड़गिड़ाने लगा, ‘‘साहब, मुझे मत मारिए, मैं सब कुछ सचसच बतारहा हूं. इस में मेरी कोई गलती नहीं है और न ही मैं कुछ जानता था. उन लोगों ने मुझे धोखे में रख कर मेरी गाड़ी ली थी.’’ उस ने बता दिया कि सोनी की हत्या उस के घर वालों ने ही की है. यह जानकारी मिलते ही पुलिस टीम सोनी के घर पहुंची. लेकिन वहां केवल महिलाएं ही मिलीं, सो पुलिस टीम लौट आई. थानाप्रभारी ने अपने खास मुखबिरों को गांव में लगा दिया था.
दूसरे ही दिन पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर सोनी के पिता दीनानाथ, चाचा कन्हैया व रोशन को मुनारी के पास से तब गिरफ्तार कर लिया, जब ये लोग कहीं भागने की फिराक में थे. उन लोगों को थाने ला कर सख्ती से पूछताछ की गई तो तीनों ने सोनी की हत्या के पीछे की जो कहानी बताई, वह न केवल हैरान कर देने वाली थी बल्कि एक बेटी की आधुनिक सोच को कुचलने वाली भी थी. वाराणसी जनपद के थाना चौबेपुर के अंतर्गत आने वाला एक गांव है भंदाहा, यहीं पर दीनानाथ अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी और 3 बेटियों के अलावा एक बेटा था. उस ने बड़ी बेटी का विवाह वाराणसी के एक गांव में कर दिया था, जो अपने घरपरिवार वाली थी.
दीनानाथ की शेष 2 बेटियों मोनी और सोनी के विवाह की चिंता भी सताने लगी थी. दोनों की उम्र में हालांकि डेढ़दो साल का फासला था लेकिन देखने से दोनों बहनें हमउम्र दिखाई देती थीं. सोनी आधुनिक खयालों की थी. वह मोनी के साथ इस तरह बात करती थी जैसे वह उस की छोटी बहन न हो कर सहेली हो. उस की बेबाक बातों और आधुनिक सोच का असर मोनी पर भी पड़ रहा था. दीनानाथ पुराने खयालों का था, इसलिए वह सोनी को व्यवहार बदलने के लिए समझाता रहता था. जमाने को देखते हुए वह यह भी चाहता था कि दोनों के लिए लड़के मिल जाएं तो वह दोनों की शादी एक साथ कर के चिंता से मुक्त हो जाए.
दोनों के एक ही साथ हाथ पीले करने की गरज से दीनानाथ ने नातेरिश्तेदारों से चर्चा चलाई तो एक रिश्ता पसंद आ गया. इस रिश्ते के लिए उस ने हामी भर दी और मौका देख लड़के को भी देख आया था. लड़के वाले घटना से एक दिन पूर्व 10 मार्च को दीनानाथ के घर मोनी को देखने के लिए लड़के वाले आ रहे थे. दीनानाथ ने मेहमानों की खातिरदारी के सारे इंतजाम कर लिए थे. उस ने मुंहफट सोनी को भी समझा दिया था कि वह मेहमानों के सामने कोई ऐसीवैसी बात न कहे जो उन्हें बुरी लगे. सोनी जिंदगी को अपने ढंग से जीना चाहती थी, इसलिए उस की इच्छा थी कि वह और उस की बहन मोनी अपनी पसंद के लड़के से शादी करें. यह बात सोनी ने अपने घर वालों को बता भी दी थी. दीनानाथ को चिंता थी कि कहीं सोनी की आधुनिक सोच मोनी की शादी में रोड़ा न बन जाए.
उस दिन जब लड़के वाले आए भी लेकिन सोनी की किसी बात से नाराज हो कर चले गए. दीनानाथ को लगा कि सोनी की वजह से लड़के वालों ने मोनी से शादी के लिए इनकार कर दिया. इस से उस के परिवार के लोग काफी नाराज हो गए थे. उन्होंने सोनी को जम कर खरीखोटी सुनाते हुए उसे खूब मारापीटा. इसी दरम्यान दीनानाथ ने आक्रोश में आ कर घर के एक कोने में पड़े डंडे से सोनी के सिर पर तेज प्रहार किया. डंडा लगते ही सोनी निढाल हो कर जमीन पर गिर कर बेहोश हो गई. जब वह बेहोश हो गई तो दीनानाथ ने पास में ही खड़े अपने भाइयों कन्हैया और रेशम से आंखों ही आंखों में कुछ इशारा किया. इस के बाद वे उसे एक आटो में कहीं ले गए और थोड़ी देर बाद घर लौट आए.
फिर शाम के समय दीनानाथ मनोज कुमार वर्मा के पास पहुंचा और उस से झूठ कहा कि उस की बेटी बीमार है, उसे इलाज के लिए ले जाना है. यह कह कर उस ने उस की क्वालिस कार संख्या यूपी32 किराए पर ले ली. उसे एक हजार रुपए तेल भरवाने के लिए भी दिए गए. गाड़ी आने पर दीनानाथ और उस के भाइयों ने मिल कर सोनी को उस में डाल दिया और उसे ले कर गांव से बाहर निकल आए. रास्ते में दीनानाथ ने बर्थरा कलां नाले की पुलिया के पास पहुंच कर आसपास नजरें दौड़ा कर देखा और सुनसान जगह देख कर टौयलेट का बहाना कर के मनोज से कार रुकवा दी. फिर सभी नीचे उतर गए.
दीनानाथ और उस के भाइयों को नीचे उतरा देख मनोज भी गाड़ी से उतर कर कुछ दूरी पर पेशाब करने के लिए चला गया. उस के गाड़ी से दूर जाते ही दीनानाथ और उस के भाइयों ने मौका देख बेहोश सोनी को गाड़ी से निकाल कर पुलिया के पानी में फेंक दिया. वह बेहोश थी, जिस से बचाव के लिए न तो वह चीख सकी और न ही हाथपैर चला सकी. फलस्वरूप पानी में डूब कर उस की मौत हो गई. इन लोगों द्वारा सोनी को पानी में फेंकने से तेज छपाक की आवाज आई तो मनोज का ध्यान उधर गया. उसे लगा कि या तो नाले के पानी में कोई कूदा है या कोई वजनी सामान फेंका गया है. अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए उस ने जब दीनानाथ से सवाल किया, तो उस के भाइयों ने मनोज को जान से मारने की धमकी देते हुए उसे चुप रहने की चेतावनी दी.
इस तरह डराधमका कर उन्होंने उस का मुंह बंद कर दिया. उन्होंने उसे चेताया कि अगर यह राज खुला तो अंजाम बुरा होगा. डर के मारे उस ने चुप्पी साध ली. सोनी की हत्या के बाद परिजन दोपहर से ही भूमिका बनाने में जुट गए थे. उन्होंने गांव में यह प्रचारित कर दिया था कि सोनी ने कोई जहरीला पदार्थ खा लिया है. इस के लिए उसे पहले आटो से अस्पताल ले जाने का नाटक किया गया. वह अस्पताल जाने के बजाए आटो से कुछ दूर घूमटहल कर घर लौट आए थे. सोनी उस समय भी बेहोश थी लेकिन लोगों को उन्होंने यह बताया कि वह मर गई है. चूंकि सोनी अविवाहित थी इसलिए उस के शव को नदी में प्रवाहित करना था, इसलिए घर वाले शाम ढलने के बाद सोनी को क्वालिस कार से ले कर निकले और नाले में फेंक आए.
उन्होंने गांव वालों से कह दिया कि बेटी की लाश नदी में प्रवाहित कर आए. लेकिन तीसरे दिन अखबार में फोटो छपी तो गांव वाले भी दंग रह गए पर दीनानाथ और उस के भाइयों की दबंगई के कारण कोई मुंह खोलने को तैयार नहीं था. मजे की बात यह है कि सोनी के बहनोई राजेंद्र ने चौबेपुर थाने आ कर उस के शव की शिनाख्त कर दी थी, लेकिन घर वालों ने थाने में न तो सूचना देने या रिपोर्ट दर्ज कराने की जहमत उठाई थी और न ही उस के शव की शिनाख्त करने की कोशिश की थी, जिस से मामला पूरी तरह से संदिग्ध हो गया था और घर वाले पुलिस की निगाहों में आ गए थे.
घटना का खुलासा हो जाने के बाद पुलिस ने मनोज कुमार, दीनानाथ और उस के दोनों भाइयों को हिरासत में ले कर क्वालिस कार को भी बरामद कर लिया. इस के बाद चारों अभियुक्तों मनोज, कन्हैया, रोशन और दीनानाथ को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. कहानी लिखे जाने तक किसी की भी जमानत नहीं हो पाई थी.