रूबी के फोन पर आई मिस काल ने उसे मिस काल करने वाले सुजाय के इतने नजदीक पहुंचा दिया कि दोनों में प्यार हो गया और शादी तक करने की ठान ली. इसी बीच लालची प्रेमी सुजाय ने ऐसा कदम उठाया कि वह पहुंच गया जेल. शाम का खाना खाने के बाद रूबी सोने के लिए अपने कमरे में जा रही थी कि उस के मोबाइल की घंटी बज उठी. मोबाइल उस की जींस की जेब में रखा था. फोन रिसीव करने के लिए उस ने जैसे ही जेब से मोबाइल निकाला, तब तक घंटी बजनी बंद हो गई. उस ने फोन में देखा कि यह मिस काल किस की हैजिस फोन नंबर से मिस काल आई थी, वह नंबर उस के फोन में सेव नहीं था यानी उस के लिए वह नंबर अनजाना था. वह यह सोचने लगी कि पता नहीं यह नंबर किस का है और उस ने मिस काल क्यों की है?

कभीकभी ऐसा भी होता है कि किसी को किसी से जरूरी बात करनी होती है, लेकिन इत्तफाक से उस के फोन मेें बैलेंस नहीं होता है तो मजबूरी में उसे मिस काल करनी पड़ जाती है. रूबी के दिमाग में भी यही आया कि कहीं यह मिस काल ऐसे ही व्यक्ति की तो नहीं है. उस ने तुरंत कालबैक की. कुछ सेकेंड बाद किसी आदमी ने काल रिसीव करते हुए जैसे हीहैलोकहा, रूबी बोली, ‘‘हैलो, कौन बोल रहे हैं?’’

‘‘जी, मैं सुजाय डे बोल रहा हूं. क्या मैं जान सकता हूं कि जिन से मैं बात कर रहा हूं वह कौन हैं?’’ दूसरी तरफ से आवाज आई.

 ‘‘मैं रूबी बोल रही हूं. अभी मेरे फोन पर आप की मिस काल आई थी.’’

‘‘रूबीजी, सौरी. गलती से आप का नंबर लग गया होगा. मेरी वजह से आप को जो तकलीफ हुई, मुझे अफसोस है. मुझे लगता है कि आप आराम कर रही होंगी, मैं ने आप को डिस्टर्ब कर दिया.’’ सुजाय डे अपनी गलती का आभास कराते हुए बोला.

‘‘नहीं सुजायजी, ऐसी कोई बात नहीं है. कभीकभी गलती से किसी और का नंबर लग जाता है.’’

‘‘रूबीजी, आप से बात कर के लग रहा है कि आप बहुत नेकदिल हैं. आप की जगह कोई और लड़की होती तो शायद इतनी सी बात पर मुझे तमाम बातें सुना देती.’’

‘‘देखो, मेरा मानना है कि गलती हर इंसान से होती है. आप ने ऐसा जानबूझ कर थोड़े ही किया है. मुझे आप की बातों से लग रहा है कि आप भी कोई सड़कछाप नहीं, बल्कि एक समझदार इंसान हैं.’’ अब तक रूबी अपने कमरे में पहुंच चुकी थी. उसे भी उस से बात करने में इंटरेस्ट रहा था.

‘‘रूबीजी, जब आप इतना कह रही हैं तो मैं बताना चाहता हूं कि मैं एक बिजनैसमैन हूं. मेरे पिता की हौजरी गारमेंट्स की फैक्ट्री है. मैं उन के साथ उन के इस बिजनैस को संभाल रहा हूं. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं ने बिजनैस संभाल लिया था. वैसे अगर आप को बुरा लगे तो क्या मैं जान सकता हूं कि आप क्या कर रही हैं? मेरा मतलब पढ़ाई या कोई जौब?’’

‘‘अभी तो मैं बीए सेकेंड ईयर में पढ़ रही हूं. इस के अलावा टेलरिंग का काम भी सीख रही हूं.’’ इस से आगे रूबी और कुछ कहती कि उस ने अपने कमरे की तरफ मम्मी को आते देखा तो उस ने कहा, ‘‘सुजायजी, अभी कमरे में मम्मी रही हैं, मैं बाद में बात करूंगी.’’

‘‘ठीक है रूबीजी, ओके बाय.’’ सुजाय ने इतना ही कहा था कि दूसरी ओर से फोन कट गया. रूबी से इतनी देर तक बात करना सुजाय को अच्छा लगा. इस बातचीत में 27 साल का सुजाय भले ही उस से उस की उम्र नहीं पूछ सका था, लेकिन उस ने अनुमान जरूर लगा लिया था कि जब वह बीए सेकेंड ईयर में पढ़ रही है तो उस की उम्र 20-22 साल तो होगी ही. और तो और वह यह तक नहीं पूछ सका था कि वह कहां की रहने वाली है और ही वह भी उसे अपने शहर के बारे में बता पाया.

मम्मी रही हैं, अब बाद में बात करेंगे’. इन शब्दों ने फिर से बातचीत करने का रास्ता खुला छोड़ दिया था. सुजाय को भी लगा कि रूबी को उस से बात करने में कोई ऐतराज नहीं है. वरना वह काल डिसकनेक्ट करते समय इस तरह की बात क्यों कहतीरूबी से की गई बातें रात भर सुजाय के दिमाग में घूमती रहीं. की गई बातचीत और आवाज के आधार पर उस ने रूबी की सूरत भी अपने मन में बसा ली थी. जैसेतैसे रात कट गई. अगले दिन उस का मन बारबार कर रहा था कि वह रूबी से बात करे, लेकिन उस ने यह जान कर फोन नहीं किया कि इस समय वह शायद कालेज जाने की तैयारी कर रही होगी. इसलिए उस ने कालेज टाइम के बाद अपराह्न 3 बजे के करीब रूबी को फोन किया. चूंकि रूबी ने रात को ही अपने मोबाइल में उस के नंबर को नाम के साथ सेव कर लिया था.

फोन की घंटी बजने पर जब उस ने इनकमिंग काल के साथ अपने मोबाइल की स्क्रीन पर सुजाय का नाम आया देखा तो स्वाभाविक तौर पर उस के चेहरे पर मुसकान गई. वह बोली, ‘‘हाय, सुजाय कैसे हो?’’

‘‘आई एम फाइन. आप कैसी हैं? रूबीजी, कहीं इस समय आप क्लास में तो नहीं हैं? अगर बिजी होंगी तो मैं बाद में बात कर लूंगा.’’ सुजाय ने कहा.

‘‘नहीं, अब मैं कालेज से घर जा रही हूं. सौरी सुजाय, कल रात कमरे में मम्मी गई थीं, इसलिए बात बीच में ही छोड़नी पड़ी थी.’’ चूंकि अब रूबी के परिवार का कोई भी सदस्य उस के आसपास नहीं था, इसलिए उस ने बिना किसी झिझक के सुजाय डे से काफी देर तक बात कीइस बातचीत में उन्होंने अपने और अपने परिवार के बारे में भी जाना. सुजाय को पता चल गया था कि मुसलिम धर्म की रूबी अविवाहिता है और कर्नाटक के जिला बगालकोट स्थित इलकल कस्बे में अपने मांबाप और भाईबहनों के साथ रहती है. उस के पिता सब्जियों के एक बड़े आढ़ती हैं.

वहीं रूबी को जानकारी हो गई कि सुजाय डे भी अविवाहित है और वह पश्चिम बंगाल के जिला 24 परगना स्थित गोबरडंग गांव का रहने वाला है. इस तरह कई महीने तक उन के बीच फोन पर बातें होती रहीं. करीब 6-7 साल पहले केवल एक मिस काल से शुरू हुआ बातों का सिलसिला ऐसा चला कि इस का दायरा बढ़ता गया. इस के बाद तो उन के बीच अकसर बात होती रहती थी, इस की एक वजह यह भी थी कि सुजाय को पता लग चुका था कि रूबी भले ही मुसलिम परिवार की है, मगर वह एक बड़े बिजनैसमैन की बेटी हैदूसरी ओर रूबी भी बातचीत से सुजाय की उम्र, पेशा, परिवार आदि के बारे में जान चुकी थी. फोन पर हुई बातचीत से उसे सुजाय एक अच्छा लड़का लगा था. इस के अलावा उसे यह भी जानकारी मिल चुकी थी कि वह बिजनैसमैन है.

फोन के जरिए वे एकदूसरे से अपने मन की बातें भी कहने लगे थे. बातों ही बातों में उन के बीच प्यार हो गया थाजब किसी लड़की या लड़के को प्यार होता है तो उसे अपने साथी के अलावा सब कुछ बेकार लगता है. हर समय वह उसी के बारे में सोचता रहता है. रूबी और सुजाय का भी यही हाल था. वे जब तक एकदूसरे से बात नहीं कर लेते, उन्हें चैन नहीं पड़ता थावह नेट पर चैटिंग भी करने लगे थे. फेसबुक पर उन्होंने अपने फोटो अपलोड कर दिए थे. रूबी का फोटो देख कर सुजाय फूला नहीं समा रहा था. उस ने बातचीत के बाद उस की जैसी तसवीर अपने दिल में बसा ली थी, वास्तव में वह उस से भी ज्यादा सुंदर निकली.

सुजाय भी हैंडसम था. रूबी को उस की छवि भी अपने सपनों के राजकुमार की तरह ही लगी. यानी दोनों अपनी पसंद पर इतरा रहे थे. सुजाय और रूबी बालिग थे. भले ही वे एकदूसरे से सैकड़ों मील दूर रह रहे थे, लेकिन फोन की बातचीत और चैटिंग के जरिए वे एकदूसरे के दिल में थे. मोहब्बत ने उन की सैकड़ों किलोमीटर दूरी को समेट कर रख दिया था. उन्होंने एकदूसरे को जता दिया था कि भले ही उन के बीच में जातिधर्म की या अन्य कोई दीवार आए, वह उस दीवार को चकनाचूर कर के शादी करेंगे. दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें जुदा नहीं कर सकेगी. फोन और सोशल मीडिया के जरिए उन का प्यार और मजबूत होता गया. रूबी 22 साल की हो चुकी थी. बीए सेकेंड ईयर की पढ़ाई के साथ वह टेलरिंग का काम भी सीख रही थी. उस के घर वालों को इस बात की भनक तक नहीं लग पाई थी कि उस का पश्चिम बंगाल के रहने वाले किसी अन्य मजहब के लड़के साथ चक्कर चल रहा है

हर मांबाप की यही ख्वाहिश होती है कि इज्जत के साथ वह बेटी को विदा करे. इसलिए रूबी के पिता भी उस के लिए लड़का देखने लगे. उन की मंशा थी कि जब तक कोई लड़का मिलेगा, तब तक वह बीए की पढ़ाई पूरी कर लेगी. उन्होंने अपने नातेरिश्तेदारों से भी रूबी के लिए सही लड़का तलाशने को कह दिया था. इधरउधर भागदौड़ करने के बाद जनवरी, 2014 में रूबी का रिश्ता एक लड़के से तय हो गया और इसी साल अप्रैल महीने में निकाह की तारीख रखी गई. रूबी को जब अपने रिश्ते के बारे में जानकारी मिली तो उसे बहुत दुख हुआ. उस ने सैकड़ों किलोमीटर दूर रहने वाले प्रेमी सुजाय से जीवन भर साथ रहने का वादा किया था. इसलिए रिश्ते की बात पता लगते ही उस ने सुजाय से फोन पर बात की.

प्रेमिका की बातें सुन कर सुजाय भी हैरत में पड़ गया कि अचानक यह कैसे हो गया. रूबी ने कहा कि वह उस के अलावा किसी और से शादी के बारे में सोच भी नहीं सकती. कुछ भी हो जाए वह घर वालों द्वारा तय की गई शादी का विरोध करेगी. इस के लिए यदि उसे अपना घर भी छोड़ना पड़ जाए तो वह उसे भी छोड़ देगी.

‘‘नहीं रूबी, तुम जल्दबाजी में अभी ऐसा कदम मत उठाना. तुम्हारे घर वालों ने अप्रैल में शादी की तारीख रखी है. तुम चिंता मत करो, मैं जल्द ही कोई ऐसा उपाय निकालता हूं कि हमें कोई जुदा कर पाए.’’ सुजाय ने उसे भरोसा दिलाया.

‘‘सुजाय, जो भी करना है जल्दी करो. कहीं ऐसा हो कि हम लोग सोचते ही रह जाएं और…’’

‘‘नहीं रूबी, ऐसा हरगिज नहीं होगा. मैं तुम्हें दिलोजान से चाहता हूं और वादा करता हूं कि मैं तुम्हीं से शादी करूंगा.’’

‘‘ठीक है सुजाय, तुम जैसा कहोगे मैं करने को तैयार हूं. तुम बस मुझे एक दिन पहले फोन कर देना. तुम जहां कहोगे, मैं जाऊंगी.’’ रूबी खुश होते हुए बोली. उधर शादी तय करने के बाद रूबी के घर वाले शादी का सामान जुटाने लगे. लेकिन उन्हें बेटी के मन की बात पता नहीं थी. उन्हें पता नहीं था कि जिस की शादी की तैयारी करने में वे फूले नहीं समा रहे हैं, वही बेटी परिवार की इज्जत उछालने के तानेबाने बुनने में लगी है. इसी बीच 11 फरवरी, 2014 को सुजाय ने रूबी को फोन किया और बताया कि उस के घर वालों ने भी उस की शादी कहीं और तय कर दी हैसुजाय की बात पूरी होने के पहले ही रूबी गुस्से में बोली, ‘‘यह तुम क्या कह रहे हो?’’

‘‘रूबी, तुम ने मेरी पूरी बात तो सुनी नहीं.’’

‘‘बताओ.’’

‘‘देखो रूबी, घर वालों ने मेरी शादी तय जरूर कर दी है, लेकिन मैं उस लड़की से नहीं, बल्कि तुम से शादी करूंगा. मैं जब प्यार तुम से करता हूं तो भला शादी किसी और से कैसे करूंगा?’’

प्रेमी की बात सुन कर रूबी की जान में जान आई. इस के बाद दोनों काफी देर तक सामान्य रूप से बातें करते रहे. उन्होंने तय कर लिया था कि अब जल्द ही कोई ठोस कदम उठाएंगे. इस के बाद एक दिन सुजाय ने रूबी को फोन किया, ‘‘रूबी, मैं ने पूरा प्लान तैयार कर लिया है कि हमें क्या करना है. ऐसा करना, तुम 21 फरवरी को अपने घर से बंगलुरु एयरपोर्ट पहुंच जाना. इधर से मैं भी वहां पहुंच जाऊंगा. तुम्हारी और अपनी एयर टिकट मैं पहले ही खरीद लूंगा. बंगलुरु से हम लोग दिल्ली जाएंगे. यहां शादी करने के बाद मैं तुम्हें अपने घर ले चलूंगा.’’

‘‘घर जाने के बाद अगर तुम्हारे घर वालों ने मुझे नहीं स्वीकारा तो..?’’

‘‘तो क्या हुआ? वे हमारे रिश्ते को स्वीकारें या स्वीकारें, मुझे चिंता नहीं है. मैं घर छोड़ दूंगा और कहीं दूसरी जगह जा कर रह लेंगे. रूबी, मुझे केवल तुम्हारा साथ चाहिए, जमाना चाहे कुछ भी कहे, मुझे फिक्र नहीं है.’’

‘‘सुजाय, मैं तो मन से तुम्हारी कब की हो चुकी हूं और शादी के बाद हमारी बेताबी भी दूर हो जाएगी. मैं तुम्हारा साथ कभी नहीं छोड़ सकती.’’

‘‘बस, मुझे तुम्हारी इसी हिम्मत की जरूरत है. अच्छा, तुम एक काम करना, घर से निकलते समय ज्वैलरी और कुछ पैसे लेती आना, जो हम लोगों की जरूरत पर काम सकेंगे.’’

‘‘तुम फिक्र करो. अगर तुम भी कहते तो मैं ये सब साथ लाती. बस तुम मुझे बंगलुरु हवाईअड्डे पर मिलना.’’

‘‘हां, मैं तुम्हें वहीं मिलूंगा. गांव से बंगलुरु आते समय तुम अपना ध्यान रखना.’’

‘‘ओके, तुम भी अपना खयाल रखना.’’ कहने के बाद उन्होंने अपनी बात खत्म कर दी.

रूबी एक ठोस निर्णय ले चुकी थी. वह घर से फरार होने की तैयार करने लगी. 20 फरवरी की शाम तक उस ने घर में रखी 10 तोला सोने की ज्वैलरी और साढ़े 3 लाख रुपए अपने कालेज ले जाने वाले बैग में रख लिए. अगले दिन उसे बंगलुरु एयरपोर्ट पहुंचना था, इसलिए रात भर वह सो नहीं पाई. 21 फरवरी की सुबह अपना कालेज बैग ले कर रूबी कालेज जाने के लिए घर से निकली और इलकल से बस पकड़ कर वह रात साढ़े 9 बजे बंगलुरु एयरपोर्ट पर पहुंच गई. वहां सुजाय उस का पहले से इंतजार कर रहा था

रूबी और सुजाय ने जब पहली बार एकदूसरे को हकीकत में देखा तो रूबी उस के सीने से लिपट गई. दोनों के दिल करीब आए तो धड़कनें स्वाभाविक ही बढ़ गईं. चूंकि वह सार्वजनिक जगह थी, इसलिए उन्होंने चाहते हुए भी खुद को कंट्रोल किया. सुजाय ने बंगलुरु से दिल्ली तक की जेट एयरवेज की 2 टिकटें पहले से बुक कर रखी थीं. वहां से दोनों फ्लाइट से रात करीब डेढ़ बजे दिल्ली गए. चूंकि दोनों पहली बार मिले थे, इसलिए सुजाय उस से जी भर कर बातें करना चाहता था. इसलिए रूबी को ले कर दिल्ली एयरपोर्ट के नजदीक महिपालपुर इलाके में गया और वहां स्थित एक गेस्टहाउस में एक कमरा बुक करा लिया. रूबी ने अपना फोन स्विच्ड औफ कर दिया था, ताकि घर वाले उसे ढूंढ़ सकें.

कोई भी जवान लड़कालड़की, जो आपस में सगेसंबंधी हों, अगर उन्हें लंबे समय तक एकांत में रहना पड़ जाए तो उन के बहकने की आशंकाएं अधिक होती हैं. रूबी और सुजाय तो प्रेमीप्रेमिका थे, इसलिए गेस्टहाउस के कमरे में वे इतने नजदीक गए कि उन के बीच की सारी दूरियां मिट गईं. उधर रूबी शाम तक घर नहीं लौटी तो घर वालों को उस की चिंता हुई. उन्होंने उस का फोन मिलाया, वह स्विच्ड औफ मिला. इस के बाद उन का परेशान होना लाजिमी था. वैसे भी कोई जवान बेटी घर वालों से बिना कुछ बताए गायब हो जाए तो मांबाप की क्या स्थिति होगी, इस बात को रूबी की अम्मी और अब्बू ही महसूस कर रहे थे.

उन्होंने रूबी के बारे में संभावित जगहों पर फोन कर के पता किया, लेकिन जब उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो वह थाना इलकल पहुंच गए और 22 वर्षीया रूबी की गुमशुदगी दर्ज करा दी. रूबी के पिता ने बेटी के गायब होने की सूचना दर्ज करा जरूर दी थी, लेकिन उन्हें इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था कि पुलिस बेटी के बारे में कुछ पता लगा पाएगी. बेटी की चिंता में उन्हें नींद नहीं आई. अगले दिन 22 फरवरी को भी वह अपने तरीके से बेटी को खोजने लगे. तभी सुबह 10 बजे उन के मोबाइल की घंटी बजी. उन्होंने धड़कते दिल से काल रिसीव कर के जैसे ही हैलो कहा, दूसरी ओर से रौबदार आवाज में कोई आदमी बोला, ‘‘तुम रूबी के लिए परेशान हो रहे हो ..?’’

उस की बात पूरी होने से पहले ही रूबी के पिता बोले, ‘‘हांहां, कहां है मेरी बेटी?’’

‘‘वह जिस के पास है, हमें पता है. वे लोग इतने खतरनाक हैं कि अगर उन की मांग नहीं मानी गई तो वे लड़की को खत्म कर देंगे या फिर उसे किसी कोठे पर बेच देंगे.’’ फोन करने वाले ने कहा.

‘‘मेरी बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए. मैं उन की सारी मांगें मानूंगा. मगर यह तो बता दो कि जिन के पास मेरी बेटी है, वे लोग मुझ से चाहते क्या हैं?’’

‘‘10 पेटी. यानी 10 लाख रुपए दे दो और बेटी को ले जाओ. एक बात का ध्यान रखना, यह बात पुलिस को पता नहीं लगनी चाहिए, वरना बेटी को कफन ओढ़ाने की नौबत जाएगी. पैसे ले कर कब और कहां आना है, बाद में बता दिया जाएगा. और पैसे ले कर अकेले ही आना.’’ कहने के बाद फोन काट दिया गया. फोन पर बात करने के बाद रूबी के पिता को यह तो पता चल गया कि बेटी का किसी ने अपहरण कर लिया है. लेकिन उन के दिमाग में एक दुविधा यह भी थी कि वह इस मामले की खबर पुलिस को दें या नहीं? क्योंकि पुलिस में सूचना देने पर अपहर्त्ता ने उन्हें अंजाम भुगतने की चेतावनी दी थी. उन की पत्नी ने पुलिस को खबर करने को कहा, जबकि सगेसंबंधियों और दोस्तों ने पुलिस के पास जाने की सलाह दी.

फिर वह काफी सोचनेसमझने के बाद पुलिस के पास पहुंच गए. उन्होंने इलकल के थानाप्रभारी को वह मोबाइल नंबर भी दे दिया, जिस से उन के मोबाइल पर फिरौती का फोन आया थाथानाप्रभारी ने उन की तहरीर पर एफआईआर नंबर 33/2014 भादंवि की धारा 364 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी. जिस नंबर से फिरौती की काल आई थी, थानाप्रभारी ने उस नंबर को इलैक्ट्रौनिक सर्विलांस पर लगाया तो उस की लोकेशन दिल्ली की मिली. थानाप्रभारी ने यह बात अपने उच्चाधिकारियों को बताई. बगालकोट जिले में एक आईपीएस अधिकारी हैं मिस्टर मार्टिन. मार्टिन दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के डीसीपी कुमार ज्ञानेश से अच्छी तरह परिचित थे. उन्होंने आईपीएस अधिकारी कुमार ज्ञानेश से फोन पर बात कर के रूबी को सकुशल बरामद कराने में सहयोग मांगा.

चूंकि मामला अंतरराज्यीय था, इसलिए कुमार ज्ञानेश ने क्राइम ब्रांच के अतिरिक्त आयुक्त रविंद्र यादव की जानकारी में यह बात लाई. दिल्ली पुलिस इस से पहले भी दूसरे प्रदेशों में बड़े अपराध कर के भागे अनेक अभियुक्तों को गिरफ्तार कर के संबंधित राज्यों की पुलिस के हवाले कर चुकी थी. इसलिए अतिरिक्त आयुक्त रविंद्र यादव ने कर्नाटक पुलिस का सहयोग करने के लिए क्राइम ब्रांच की एंटी स्नैचिंग सेल के इंसपेक्टर सुशील कुमार की अध्यक्षता में एक पुलिस टीम बनाई, जिस में एसआई सुरेंद्र दलाल, एएसआई मुकेश त्यागी, हेडकांस्टेबल राजबीर सिंह, ऋषि कुमार आदि को शामिल किया. टीम का निर्देशन डीसीपी कुमार ज्ञानेश को सौंपा गया.

उधर कर्नाटक पुलिस के इंसपेक्टर रविंद्र शिरूर, एसआई प्रदीप तलकेरी, बस्वराज लमानी की टीम 23 फरवरी, 2014 को दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच औफिस पहुंच गई. टीम के साथ रूबी का बहनोई भी था. जिस मोबाइल नंबर से अपहर्त्ता ने रूबी के पिता को फिरौती की काल की थी, उस नंबर को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने भी इलैक्ट्रौनिक सर्विलांस पर लगा दिया था. उस की लोकेशन लगातार महिपालपुर इलाके की रही थी. महिपालपुर के जिस इलाके की फोन की लोकेशन रही थी, उस इलाके में अनेक गेस्टहाउस और होटल थे. पुलिस ने अनुमान लगाया कि शायद अपहर्त्ताओं ने लड़की को किसी गेस्टहाउस या होटल में बंद कर रखा है, इसलिए कर्नाटक पुलिस के साथ दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की टीम ने उस इलाके के एकएक होटल और गेस्टहाउस की तलाशी लेनी शुरू कर दी

रूबी के बहनोई के पास रूबी का फोटो मौजूद था. फोटो के सहारे पुलिस होटलों और गेस्टहाउसों का कोनाकोना छान रही थी. कुछ देर की सर्चिंग के बाद पुलिस को एक गेस्टहाउस में रूबी मिल गई. उस के साथ एक युवक भी था. पुलिस के साथ अपने जीजा को देख कर रूबी थोड़ा चौंकी जरूर, लेकिन उसे देख कर ऐसा नहीं लग रहा था, जैसे उस का अपहरण हुआ हो. यानी उस के चेहरे पर कोई डर नहीं था. कर्नाटक पुलिस ने रूबी को अपनी हिफाजत में लेने के बाद जब उस के किडनैप होने की बाबत पूछा तो उस ने साफ कहा कि उस का किसी ने अपहरण नहीं किया, बल्कि वह अपने घर से खुद अपने प्रेमी के पास आई है. रूबी के पिता के पास काल तो अपहरण की गई थी, लेकिन यहां बात दूसरी सामने रही थी.

पुलिस ने रूबी के साथ जिस युवक को हिरासत में लिया था, पूछताछ करने पर पता चला कि उस का नाम सुजाय डे है. वह पश्चिम बंगाल के 24 परगना के गांव गोबरडंग का रहने वाला है और वह रूबी से प्यार करता था. रूबी ने भी उसी समय सुजाय की बात की पुष्टि कर दीपुलिस ने जब उस की तलाशी ली तो उस के पास वह मोबाइल सिम कार्ड मिल गया, जिस से रूबी के पिता को 10 लाख रुपए की फिरौती की काल की गई थी. इस से कर्नाटक पुलिस को विश्वास हो गया कि सुजाय ने ही फिरौती की काल की होगी. जबकि रूबी प्रेमी का पक्ष लेते हुए कहती रही कि सुजाय ऐसा नहीं कर सकता. उस ने अपने जीजा से कह दिया कि वह बालिग है, सुजाय के साथ ही शादी करेगी और अब अपने घर नहीं लौटेगी.

पुलिस ने उसी के सामने जब सुजाय डे से पूछताछ की तो उस के पास सच उगलने के सिवाय कोई दूसरा रास्ता नहीं था. क्योंकि पुलिस उस का सिमकार्ड बरामद कर चुकी थी. इस बात को वह झुठला नहीं सकता था. इसलिए उस ने रूबी के पिता को फिरौती के लिए फोन करने की बात स्वीकार कर ली. फिर रूबी को प्यार के जाल फांसने से ले कर उस के पिता से फिरौती मांगने तक की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी. 27 साल का सुजाय डे कोई बड़ा बिजनैसमैन नहीं था, बल्कि उस के यहां टीशर्ट और अंडरगारमेंट्स सिलने का छोटामोटा काम होता था. इंटरमीडिएट पास करने के बाद वह भी पिता के साथ इस काम में थोड़ाबहुत सहयोग कर देता था. वह हमेशा कम समय में ज्यादा पैसे कमाने के सपने देखा करता था.

6-7 महीने पहले गलती से उस ने किसी नंबर पर मिस काल की. इत्तफाक से वह काल रूबी के मोबाइल पर लग गई. रूबी ने उस नंबर पर कालबैक की. बातों ही बातों में सुजाय ने उस पर प्यार के डोरे डालने शुरू कर दिए. उसी बातचीत में उसे रूबी के घरपरिवार, हैसियत आदि की जानकारी हो गई. प्यार के जाल में फांस कर वह उस से ज्यादा से ज्यादा पैसे ऐंठना चाहता था. तभी तो उस के कहने पर रूबी अपने मांबाप के यहां से 10 तोला सोने की ज्वैलरी और साढ़े 3 लाख रुपए नकद ले कर बंगलुरु एयरपोर्ट पहुंच गई थी. सुजाय ने पहले ही बंगलुरु से दिल्ली जाने वाली जेट एयरवेज की 2 टिकटें बुक करा ली थीं. दिल्ली के महिपालपुर स्थित एक गेस्टहाउस में उस ने एक कमरा बुक करा लिया था

उसे जब वहां पता चला कि रूबी अपने साथ साढ़े 3 लाख रुपए नकद और 10 तोला सोने की ज्वैलरी ले कर आई है तो वह काफी खुश हुआ. उस ने उसे शादी का झांसा दे ही रखा था, इसलिए रूबी ने उस के साथ शारीरिक संबंध बनाते समय कोई आनाकानी नहीं की. सुजाय को अब यह पता लग चुका था कि रूबी के पिता बहुत पैसे वाले हैं, रूबी के घर वालों के फोन नंबर उस के पास थे, इसलिए गेस्टहाउस के बाहर कर उस ने उस के पिता को 10 लाख रुपए की फिरौती का फोन कर दिया. उन्होंने रूबी के गायब होने की सूचना पहले ही पुलिस को दे रखी थी. फिरौती की काल मिलने पर इलकल थाने की पुलिस हरकत में गई और दिल्ली पुलिस के सहयोग से रूबी को बरामद कर सुजाय को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने रूबी के पास से साढ़े 3 लाख रुपए नकद और सोने की वह ज्वैलरी भी बरामद कर ली थी, जो वह अपने घर से ले कर आई थीरूबी और सुजाय डे को कर्नाटक पुलिस 23 फरवरी को ही दिल्ली से कर्नाटक ले गई. पुलिस ने सुजाय डे को कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया तथा रूबी को उस के पिता के सुपुर्द कर दिया गया.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित और रूबी परिवर्तित नाम है.

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