शशि भले ही 2 बच्चों की मां बन गई थी, लेकिन उस में सद्गृहिणी का कोई गुण नहीं था. पैसे के लिए वह गलत राह पर निकली तो बहकती ही गई. इसी चक्कर में उस ने अपने पति पप्पू को भी…
बात 26 जुलाई, 2018 की है. कुछ चरवाहे भोगपुर डैम के पास अपने जानवर चरा रहे थे. तभी उन की नजर डैम के मछली झाला क्षेत्र में पानी पर तैरती एक लाश पर पड़ी. चरवाहों ने डैम के किनारे जा कर देखा तो लाश किसी युवक की थी. एक चरवाहे ने इस की सूचना पुलिस को दे दी. चूंकि यह इलाका जसपुर थाना कोतवाली के अंतर्गत आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से जसपुर कोतवाली को सूचना दे दी गई. खबर मिलते ही थानाप्रभारी सुशील कुमार, परमापुर चौकी इंचार्ज वी.के. बिष्ट के साथ मौके पर पहुंच गए. पुलिस के पहुंचने तक अंधेरा घिर आया था, मौके पर कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं था. पुलिस ने लाश डैम के पानी से बाहर निकलवाई. लाश की जांच की तो उस के कपड़ों से पहचान की कोई चीज नहीं मिली. लाश एक युवक की थी. शिनाख्त न होने पर पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए काशीपुर भेज दी.
घटनास्थल की काररवाई निपटा कर पुलिस जब थाने लौट रही थी, तो रास्ते में पड़ने वाले गांव गढ़ीनेगी पहुंच कर पुलिस ने वहां के लोगों को डैम में लाश मिलने की बात बताते हुए पूछा कि यहां का कोई युवक तो गायब नहीं है. पुलिस ने लोगों को मोबाइल में मौजूद मृत युवक के फोटो भी दिखाए. वहां मौजूद एक युवक ने उस फोटो को देखते ही कहा कि यह तो करनपुर के तोताराम का बेटा पप्पू सिंह है. इस के बाद पुलिस करनपुर गांव में तोताराम के घर पहुंच गई. पुलिस ने पप्पू की पत्नी शशि से पप्पू के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि कल वह कहीं जाने की बात कह कर घर से निकले थे, तब से अभी तक नहीं लौटे हैं. पुलिस ने उसे बताया कि पप्पू की लाश भोगपुर डैम के मछली झाला क्षेत्र में पानी पर तैरती पाई गई है. यह सुन कर शशि दहाड़ मार कर रोने लगी. घर में रोने की आवाज सुन कर आसपड़ोस वाले भी वहां पहुंच गए.
पप्पू का बड़ा भाई राजपाल जोकि दूसरे मकान में रहता था. खबर सुन कर घर वालों के साथ पोस्टमार्टम हाउस पहुंच गया. राजपाल ने लाश की शिनाख्त अपने भाई पप्पू सिंह के रूप में की. लाश की शिनाख्त कर राजपाल घर लौट आया. भाई की मौत को ले कर घर वाले सारी रात परेशान रहे. भाई को संदेह था भाई की पत्नी पर अगले दिन सुबह के समय राजपाल अपनी पत्नी के साथ भाई पप्पू के घर पहुंचा तो घर बिलकुल सुनसान पड़ा था. राजपाल ने पप्पू की बीवी शशि को आवाज लगाई तो कोई जवाब नहीं मिला. राजपाल और उस की बीवी ने अंदर जा कर देखा तो मृतक के दोनों बच्चे सोए हुए थे. राजपाल ने शशि को आसपास तलाशा, लेकिन उस का कहीं भी पता नहीं चला. पति की मौत के बाद शशि के अचानक गायब हो जाने से लोग अपनी मानसिकता के अनुसार तरहतरह के कयास लगाने लगे.
उसी दौरान किसी ने बताया कि शशि अभी थोड़ी देर पहले घर के सामने खड़ी थी. यह जानकारी मिलने से यह तो साबित हो गया कि वह थोड़ी देर पहले ही घर से निकली है. राजपाल ने पड़ोसियों की मदद से उसे आसपास खोजने की कोशिश की तो वह जंगल की तरफ जाती हुई मिली. राजपाल और उस के परिजनों ने उसे रोकने की कोशिश की तो वह जोरजोर से दहाड़ें मार कर रोते हुए कहने लगी कि जब उस का मर्द ही नहीं रहा तो वह जी कर क्या करेगी. उस ने बताया कि अब वह आत्महत्या कर के पति के पास जाना चाहती है. घर वालों को उस वक्त उसे समझा कर शांत करना ठीक लगा. उन लोगों ने घर वापस चलने को कहा तो उस ने जाने से साफ मना कर दिया. घर वाले उसे जैसेतैसे समझा कर घर वापस ले आए.
राजपाल सिंह पहले से ही शशि के त्रियाचरित्र को जानता था. उसे शक था कि हो न हो शशि ने ही उस के भाई को न मरवा दिया हो. राजपाल भाई के 12 वर्षीय बेटे राज को साथ ले कर अपने घर आ गया. घर जा कर उस ने राज से उस के पापा के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि कल शाम भूपेंद्र अंकल घर आए थे. वह पापा को किसी काम के बहाने घर से बाहर ले गए थे. उस के बाद पापा सारी रात घर नहीं आए. उस ने मम्मी से पापा के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि तुम्हारे पापा किसी काम से बाहर गए हैं. सुबह तक आ जाएंगे. इस के बाद मम्मी ने दोनों भाईबहन को सुला दिया था. भाई के बेटे राज के द्वारा इतनी जानकारी मिलने से यह तो पक्का हो ही गया था कि पप्पू की हत्या में भूपेंद्र सिंह शामिल था. राजपाल ने यह बात वहां मौजूद अपने घर वालों को बता दी और पुलिस को भी सूचित कर दिया.
यह जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी सुशील कुमार महिला पुलिस के साथ मृतक के घर पहुंच गए. उन्होंने सब से पहले मृतक के बेटे राज से बात की तो उस ने वही सारी बात उन्हें बता दीं, जो अपने ताऊ राजपाल को बताई थीं. इस के बाद पुलिस ने शशि को एकांत में ले जा कर पूछताछ की. शशि ने साफ शब्दों में कहा कि उस के पति की हत्या किस ने और क्यों की, इस बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है. पुलिस ने उस समय उस से सख्ती करनी जरूरी नहीं समझी. इस की जगह पुलिस ने उस के पड़ोसियों के साथसाथ उस के घर वालों से पूछताछ की. पता चला काफी समय से गांव कलिया वाला टांडा निवासी भूपेंद्र सिंह का शशि के यहां आनाजाना था. वह वक्तबेवक्त आताजाता रहता था. इस बात की पुष्टि शशि के बेटे राज ने भी कर दी, जिस से साफ हो गया कि पप्पू अपनी पत्नी शशि और भूपेंद्र के बीच पनपे अवैध संबंधों की भेंट चढ़ गया था.
शशि ने स्वीकारा अपना अपराध शशि के खिलाफ सबूत मिल चुके थे, इसलिए पुलिस उसे अपने साथ पुलिस चौकी पतरामपुर ले गई. पुलिस चौकी में की गई पूछताछ में भी वह मुंह खोलने को तैयार नहीं थी. इस पर पुलिस ने अपने गेम का अगला पासा फेंकते हुए कहा कि उस के बताने या न बताने से पुलिस को कोई फर्क नहीं पड़ता. उस के बेटे राज ने उस की सारी करतूतें बता दी हैं. वही इस केस का गवाह भी बनेगा. यह सुनते ही शशि फफकफफक कर रोते हुए बोली, ‘‘साहब, इस में मेरा कोई कसूर नहीं है. मैं अपने आदमी को भला क्यों मारूंगी. यह सब भूपेंद्र का ही कारनामा है. वह काफी समय से मेरे पीछे पड़ा था. उस ने कई बार मुझ से शादी करने को भी कहा था. मैं ने इस के लिए मना किया तो उस ने मेरे पति की हत्या कर दी.’’
वह रोते हुए आगे बोली, ‘‘साहब, मेरे दोनों बच्चे छोटे हैं, मेरे बिना अनाथ हो जाएंगे. मुझ पर रहम करो. पति को मैं ने नहीं मारा.’’ शशि से पूछताछ करने से यह तो साफ हो गया कि पप्पू की हत्या शशि और भूपेंद्र के अवैध संबंधों की वजह से हुई थी और हत्यारा था भूपेंद्र. यह जानकारी मिलते ही पुलिस भूपेंद्र को गिरफ्तार करने के लिए उस के घर पहुंच गई. लेकिन वह घर से फरार था. इस के बाद भी पुलिस उस के पीछे पड़ी रही. बाद में भूपेंद्र को देर रात सोते हुए उस के घर से ही गिरफ्तार कर लिया गया. भूपेंद्र से पुलिस ने कड़ी पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म कबूलते हुए बताया कि उस ने शशि के कहने पर ही पप्पू की हत्या की थी. शशि ने उस से कहा था कि पप्पू के खत्म होते ही रास्ते का कांटा हट जाएगा. फिर दोनों मियांबीवी की तरह रहेंगे.
शशि और भूपेंद्र दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था. उन से की गई पूछताछ के बाद पप्पू की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह काफी दिलचस्प निकली—
उत्तराखंड के जिला काशीपुर के जसपुर थाना कोतवाली क्षेत्र के गांव भरतपुर में तोताराम का परिवार रहता था. तोताराम की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी. गांव में न तो उन के पास जुतासे की जमीन थी और न ही अच्छी आमदनी का कोई जरिया. भरतपुर गांव के अधिकांश लोग जंगलों से लकड़ी ला कर बेचते थे. उसी से उन का गुजारा होता था. तोताराम का भी यही काम था. वह जंगलों से लकड़ी बीन कर लाता और उन्हें बेच कर अपने परिवार की गुजरबसर करता था. तोताराम के 3 बेटे थे, जो काफी छोटे थे. किसी बीमारी के चलते तोताराम की मौत हो गई. सिर से बाप का साया हटते ही बच्चे अनाथ हो गए. पति की मौत के बाद बच्चों को पालनेपोसने की जिम्मेदारी उस की पत्नी सुनीता पर आ गई थी. सुनीता ने जैसेतैसे बच्चों को इस लायक कर दिया कि अपने पैरों पर खड़े हो सकें.
बच्चे जवान हुए तो कामधंधे में लग गए और फिर करनपुर गांव में अपना मकान बना कर रहने लगे. करनपुर जंगल से सटा हुआ इलाका है. कुछ लोग जंगल का फायदा उठा कर कच्ची शराब बनाने का धंधा करते हैं. कच्ची शराब की भरमार होने की वजह से यहां के अधिकांश लोग शराबी बन चुके हैं. तोताराम के तीनों लड़के भी यहां आ कर शराब पीने के आदी हो गए. करनपुर आने के कुछ दिनों बाद तोताराम के बड़े बेटों राजपाल और जगदीश की शादी हो गई थी. घर में केवल पप्पू ही शादी के लिए बचा था. बाद में उस की शादी उत्तर प्रदेश के शहर रामपुर के रहने वाले मुरलीलाल की बेटी शशि से हो गई. यह करीब 18 साल पहले की बात है.
शशि बन गई पप्पू की चहेती शशि अपने पति से काफी खुश थी. शशि हंसमुख थी. उस की चंचलता चेहरे से ही झलकती थी. कुछ ही समय में उस ने अपनी ससुराल वालों के साथसाथ पड़ोसियों का भी दिल जीत लिया था. शादी से पहले शशि के कदम बहक गए थे. मोहल्ले के कई लड़कों के साथ उस के अवैध संबंध थे. लेकिन शादी होने के बाद उस की इस तरह की कहानियां दफन हो गई थीं. शादी के करीब साल भर बाद वह एक बच्चे की मां बनी. उस ने बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम राज रखा गया. बच्चे के जन्म के बाद पप्पू की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई थी. खर्च पूरे करने के लिए वह दिनरात मेहनत करने लगा. उस ने गांव के नजदीक ही एक सरदार के फार्म में काम करना शुरू कर दिया.
पप्पू का ज्यादातर समय वहीं गुजरता था. वह रहता भी वहीं पर था. वहां रहने से उसे यह फायदा हो गया कि हर रोज काम तलाशने के बजाए उसे हर महीने बंधीबंधाई तनख्वाह मिलने लगी. फार्म पर रहते हुए ही वह ट्रैक्टर चलाना सीख गया था. पप्पू को अच्छी आमदनी होने लगी तो शशि के रहनसहन में भी काफी बदलाव आ गया. वह अब बनठन कर रहने लगी थी. पप्पू सीधासादा युवक था. वह महीने में जो भी कमाता, अपनी बीवी के हाथ पर ला कर रख देता था. घर का सारा खर्च शशि ही अपने हिसाब से करती थी. इस बीच वह दूसरे बच्चे की मां भी बन गई थी. लड़की हुई थी राजो उर्फ रज्जी. 2 बच्चों के बाद शशि का शरीर पहले से कहीं ज्यादा खिल उठा था. पप्पू को तो केवल कमाई की धुन थी. वह सारे दिन काम में लगा रहता और शाम को खापी कर जल्दी सो जाता. वह पत्नी की तरफ ध्यान नहीं दे पा रहा था, जिस से उस के दिल में पप्पू के प्रति लगाव कम होने लगा.
शादी के 6 साल बीत जाने के बाद पप्पू उस के शरीर को पढ़ने में कमजोर पड़ने लगा तो शशि ने पिंजरे में बंद रहने के बजाए उड़ने की ठान ली. वह खूबसूरत तो थी ही, उस ने मोहल्ले के युवकों पर जाल फेंका तो कई युवक उस की गलियों के चक्कर लगाने लगे. जब शशि के पैर बहके उस ने मोहल्ले के एक युवक के साथ गहरी दोस्त कर ली और उस के साथ मौजमस्ती का खेल खेलने लगी. बुरा काम चाहे कोई भी हो, कितना भी छिपा कर क्यों न किया जाए, भेद खुल ही जाता है. शशि के प्रेमी के बारबार शशि के पास आने पर मोहल्ले वालों को शक हो गया. इस के बाद मोहल्ले के कई युवकों का शशि के यहां आनाजाना हो गया. वे उस के साथ मौजमस्ती करने के साथ ही उस के खर्चे भी उठाने लगे.
शशि जंगल से लकड़ी लाने के बहाने घर से निकलती और जंगल में वह प्रेमियों से मिलती. लेकिन एक दिन एक अनजान युवक ने उस के साथ छेड़छाड़ कर दी. यह हरकत शशि के पड़ोसी ने देख ली. शशि जानती थी कि उसे दुनिया की नजरों में पाकसाफ बन कर रहना है तो उसे जरूर कुछ करना होगा. यही सोच कर उस ने गांव में आते ही उस युवक द्वारा की गई हरकत को ले कर शोर मचा दिया. इतना ही नहीं वह उस युवक को सबक सिखाने के लिए कुंडा स्थित पुलिस चौकी में शिकायत करने जा पहुंची. चौकी में उस की मुलाकात एक कांस्टेबल से हुई जो उसी के हलके का था. कांस्टेबल पहली ही नजर में उस के हुस्न पर मर मिटा. उस ने शशि के साथ हमदर्दी दिखाते हुए उस का मोबाइल नंबर ले लिया और अपना मोबाइल नंबर उसे देते हुए कहा कि तुम चिंता मत करो, कल आ कर मैं उस हरामखोर को देखता हूं.
अगले दिन वह पुलिस वाला गश्त पर निकला तो घूमतेघामते शशि के घर जा पहुंचा. शशि के घर पुलिस वाले को आया देख मोहल्ले के लोग इधरउधर हो गए. इस के बाद सिपाही शशि को छेड़ने वाले युवक का पता लगाते हुए उस के घर गया. कांस्टेबल ने उस युवक को डराधमका कर कुछ रुपए ऐंठे और आगे कोई हरकत न करने की हिदायत दे कर छोड़ दिया. युवक से पैसे ऐंठने के बाद वह शशि से मिला और उस ने उन पैसों में से कुछ पैसे शशि को दे दिए. शशि ने पुलिस में बना ली जानपहचान पुलिस वाले से जानपहचान हो जाने से शशि बहुत खुश हुई. वह सिपाही भी उस की कुशलक्षेम पूछने के बहाने उस के घर के चक्कर लगाने लगा. इस के बाद शशि घर वालों के साथसाथ पड़ोसियों पर भी रौब जमाने लगी. उस के घर वाले उस के त्रियाचरित्र से तंग आ चुके थे.
उन्होंने उस की इस हरकत की शिकायत पप्पू से की, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. शशि के सामने पप्पू की एक नहीं चलती थी. शशि ने उसी पुलिस वाले के सहारे घर वालों से भी कई बार पंगा ले लिया था, जिस के बाद घर वालों ने उस से संबंध ही खत्म कर दिए थे. एक पुलिस वाले के सहारे वह कई पुलिस वालों के दिलों पर राज करने लगी थी. पुलिस वालों से दोस्ती हो जाने के बाद शशि अपनी मनमानी करने लगी. जब उसे पैसों की जरूरत होती तो वह किसी न किसी मर्द को अपने मोहपाश में फंसा लेती और फिर उसे धौंस दिखा कर मनचाहे पैसे ऐंठती. पुलिस वालों के बल पर उस का धंधा फलनेफूलने लगा था. पति के घर से निकलते ही शशि बच्चों को तैयार कर स्कूल भेज देती और फिर सजसंवर कर अपने धंधे के लिए निकल जाती. जब उस की हरकतें हद पार करने लगीं तो घर वालों की शिकायत पर पप्पू ने उसे कई बार समझाने की कोशिश की, लेकिन वह उलटे उसी पर राशन पानी ले कर चढ़ने लगी.
इस के बाद दोनों मियांबीवी में मनमुटाव रहने लगा. अब वह पति से पूरी तरह से खार खाने लगी थी. अपनी बीवी की बेवफाई से तंग आ कर पप्पू ने फार्म से काम छोड़ दिया और दारू के नशे में धुत रहने लगा.उसी दौरान उस की मुलाकात जसपुर थाना कोतवाली के गांव टांडा निवासी भूपेंद्र सिंह से हुई. भूपेंद्र के पास अपने 2 ट्रैक्टर थे. वह गांव वालों से सस्ते में गन्ना खरीद कर सीधे शुगर फैक्ट्री में बेचता था, जिस से उसे अच्छी आमदनी हो जाती थी. भूपेंद्र को अपना दूसरा ट्रैक्टर चलाने के लिए एक ड्राइवर की जरूरत थी. उस ने पप्पू से बात की तो वह उस का ट्रैक्टर चलाने को राजी हो गया. पप्पू ने फिर से शराब का सेवन बंद कर दिया और वह भूपेंद्र का ट्रैक्टर चलाने लगा, जिस के सहारे उस का पप्पू के घर आनाजाना शुरू हो गया.
भूपेंद्र की शशि से मुलाकात उस वक्त हुई जब वह किसी काम से काशीपुर गया हुआ था. उस दिन शशि के दोनों बच्चे भी स्कूल गए थे. उस दिन भूपेंद्र पप्पू को बुलाने उस के घर आया था. शशि जानती थी उस का पति उसी का ट्रैक्टर चलाता है. शशि ने भूपेंद्र की खूब खातिरदारी की. भूपेंद्र उस की सुंदरता पर मर मिटा. एक तरह से वह उस का दीवाना बन बैठा. भूपेंद्र ने शशि का मोबाइल नंबर ले लिया. बाद में उस की शशि से फोन पर बातें होने लगीं. भूपेंद्र बन गया शशि का आशिक फलस्वरूप कुछ ही दिन बाद दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए. भूपेंद्र को अच्छी कमाई थी. वह शशि पर भी पैसा खर्च करने लगा. इस से शशि पूरी तरह से उस की प्रेम दीवानी हो गई. भूपेंद्र अकसर पप्पू को ट्रैक्टर ले कर बाहर भेज देता और फिर सीधा उस के घर पर आ जाता.
कई बार तो भूपेंद्र पप्पू की गैरमौजूदगी में सारीसारी रात उसी के घर पर पड़ा रहता. उस वक्त शशि अपने बच्चों को जल्दी खाना खिला कर सुला देती और फिर सारी रात भूपेंद्र के साथ मौजमसती में डूब जाती. भूपेंद्र जब भी आता, शशि और उस के बच्चों के लिए फल और मिठाई ले कर आता था, इस के चलते शशि के बच्चे भी भूपेंद्र से हिलमिल गए थे. जिस दिन वह घर आता, इस की सूचना किसी तरह पप्पू तक पहुंच ही जाती थी. पप्पू की बेटी उस के घर आने पर ताने मारते हुए कहती, ‘‘आप से बढि़या तो भूपेंद्र अंकल हैं, वह जब भी आते हैं, अपने साथ बहुत सारी चीजें लाते हैं. बच्चों की बात सुनते ही पप्पू का पारा हाई हो जाता था. पप्पू को विश्वास हो गया था कि उस की गैरमौजूदगी में भूपेंद्र उस के घर आता है. इसी बात को ले कर उस की पत्नी से लड़ाई होती. लेकिन वह उलटे उस के ऊपर ही राशनपानी ले कर चढ़ जाती थी.’’
इसी दौरान एक दिन शशि ने भूपेंद्र के सामने बोझिल मन से कहा कि इस तरह कब तक चलेगा. पप्पू जब भी आता है तो उस का मुंह फूला होता है. वह तुम्हारे चक्कर में मुझ से ठीक से बात भी नहीं करता. जिस से मेरा सारा दिन खराब हो जाता है. अगर तुम मुझे इतना ही प्यार करते हो तो कुछ ऐसा करो कि उस की टेंशन ही खत्म हो जाए. भूपेंद्र शशि का इशारा समझ गया था. इसी दौरान उस के दिमाग में एक आइडिया आया. उसी आइडिया के तहत उस ने एक दिन मौका पाते ही अपने गांव के एक किसान की हैरो चुरा ली. भूपेंद्र ने वह हैरो ला कर अपने खेत के एक कोने में डाल दी. जब उस किसान को पता चला कि उस की हैरो चोरी हो गई है तो उस ने पहले तो आसपास ही इधरउधर तलाशने की कोशिश की.
तभी उसे पता चला कि उस की हैरो भूपेंद्र के खेत में कोने में पड़ी हुई है. इस की जानकारी मिलते ही वह सीधे भूपेंद्र के पास गया और अपनी चोरी हुई हैरो की बात बताते हुए पूछा कि उस के खेत में वह हैरो कैसे पहुंची. भूपेंद्र ने उस से साफ शब्दों में कहा कि मेरा ट्रैक्टर पप्पू ही चलाता है. यह बात उसे ही पता होगी. मेरे पास तो पहले से ही मेरी अपनी हैरो है, फिर मैं तुम्हारी हैरो किसलिए चोरी करूंगा. तुम्हें जो भी पूछना है पप्पू से पूछो. अपने ही घर में पप्पू हो गया बेगाना यही बात उस किसान ने पप्पू से पूछी तो उस ने भी साफ शब्दों में कहा कि मुझे आप की हैरो से कोई लेनादेना नहीं. मैं भूपेंद्र के यहां केवल नौकरी करता हूं. मेरे पास तो अपना ट्रैक्टर तक नहीं है, मैं आप की हैरो चुरा कर क्या करूंगा.
दोनों के बीच विवाद बढ़ गया तो किसान ने पुलिस चौकी जा कर दोनों के नाम हैरो चोरी की एफआईआर दर्ज करा दी. पुलिस चौकी में पहले से ही शशि की अच्छी बात थी. उस ने वहां जा कर भूपेंद्र को बचाते हुए अपने पति पप्पू को ही हैरो चोरी के इलजाम में जेल भिजवा दिया. पप्पू के जेल चले जाने के बाद भूपेंद्र और उस के बीच मिलने का रास्ता बिलकुल साफ हो गया. इस के बाद शशि पूरी तरह से निडर हो कर उस के साथ जिंदगी के मजे लेने लगी. उस ने पप्पू को जमानत पर छुड़वाने के लिए पैरवी भी नहीं की. यह सब देख कर पप्पू के बड़े भाई राजपाल को बहुत दुख हुआ. उस ने पप्पू को छुड़ाने के लिए काफी हाथपांव मारे तो शशि ने उस के परिवार को भी जेल भिजवाने की धमकी दे डाली. इस के बाद भी राजपाल ने जैसेतैसे पप्पू के केस की पैरवी की. पप्पू पर कोई ज्यादा बड़ा केस तो था नहीं. एक महीना जेल में रह कर वह घर आ गया.
भूपेंद्र ने खेला खेल जेल से आते ही उस ने शशि की पिटाई की और उसे घर से निकल जाने को कह दिया. शशि ने फिर से अपने साथ पति द्वारा मारपीट की शिकायत चौकी में कर दी. इस मामले में पुलिस ने पप्पू पर कोई खास काररवाई तो नहीं की बल्कि उसे समझाते हुए पत्नी के साथ भविष्य में मारपीट न करने की चेतावनी दे कर छोड़ दिया. जेल से वापस आने के बाद पप्पू ने भूपेंद्र की नौकरी छोड़ दी. उस के बाद भूपेंद्र ने पप्पू के घर आनाजाना भी कम कर दिया. इस पर भूपेंद्र ने शशि से मिलने का दूसरा रास्ता निकाला. जब कभी पप्पू किसी काम से बाहर जाता तो वह भूपेंद्र को फोन कर के गांव से बाहर बुला लेती और फिर उस के साथ मौजमस्ती करने निकल जाती. बाद में उस ने अपने बच्चों तक की परवाह करनी बंद कर दी. कभीकभी तो जब बच्चे ज्यादा भूखे होते तो पप्पू ही उन्हें कच्चापक्का खाना बना कर खिलाता.
शशि सुबह ही बनठन कर निकलती और देर रात घर लौटती. पति कुछ कहता तो वह उस पर ही चढ़ बैठती थी. हर रोज की चिकचिकबाजी से पप्पू परेशान हो गया तो उस ने शशि को तलाक देने की योजना बनाई. उस ने एक दिन उस से कोरे स्टांप पेपर पर अंगूठा भी लगवा लिया. यह बात शशि ने भूपेंद्र को बताई तो उस ने शशि के कान भरते हुए उसे पति के खिलाफ ही भड़का दिया. भूपेंद्र ने शशि से कहा कि पप्पू तुम्हारी हत्या करने की साजिश रच रहा है. अगर अपनी खैर चाहती हो तो तुम पहले ही उसे मौत के घाट उतार दो. भूपेंद्र की बात सुनते ही शशि भड़क उठी. उस ने कहा कि पति को मारना मेरे बस की बात नहीं है. अगर तुम मुझे दिल से चाहते हो तो यह काम तुम ही क्यों नहीं कर देते. अपने प्यार की खातिर इतना काम तो तुम ही कर सकते हो.
शशि के मन की बात सामने आते ही भूपेंद्र समझ गया कि अगर वह पप्पू को अपने रास्ते से हटा दे तो शशि पूरी तरह से उसी की रखैल बन कर रह जाएगी. इस के बाद उस ने पप्पू को मौत की नींद सुलाने के लिए तानेबाने बुनने शुरू कर दिए. भूपेंद्र अगर शशि के लिए कुछ भी करने को तैयार था, तो इस का भी एक बड़ा कारण था. भूपेंद्र की शादी को कई साल बीत चुके थे, लेकिन उस की बीवी को कोई औलाद नहीं हुई थी. जिस के लिए उस की बीवी और वह परेशान रहते थे. शशि की ओर से पप्पू को अपने बीच से हटाने के लिए छूट मिलते ही उस ने सोच लिया था कि पप्पू को मौत की नींद सुलाने के बाद वह कोर्टमैरिज कर के उसे अपने घर ले आएगा.
लिखी गई हत्या की पटकथा भूपेंद्र के गांव में ही उस का एक जिगरी दोस्त था मंजीत सिंह. मंजीत सिंह भूपेंद्र के हर सुखदुख में काम आता था. भूपेंद्र ने अपने मन की बात मंजीत के सामने रखी तो मंजीत उस का साथ देने को तैयार हो गया. इस के बाद भूपेंद्र ने अगला तानाबुना बुना. वह जानता था कि पप्पू इस वक्त उस से बहुत खफा है और उस की किसी भी चाल में फंसने वाला नहीं है. भूपेंद्र के दिखावे के लिए शशि से मिलनाजुलना बंद कर दिया ताकि पप्पू के दिल में उस के प्रति नफरत की आग शांत हो सके. जब पप्पू ने देखा कि भूपेंद्र ने शशि से मिलना लगभग बंद कर दिया है तो पप्पू का व्यवहार भी पत्नी के प्रति नरम हो गया. फिर एक दिन शशि ने भूपेंद्र को फोन कर के अपने घर बुला लिया. उस वक्त पप्पू भी घर पर ही था.
पप्पू के घर पहुंचते ही भूपेंद्र ने उस के सामने अपनी गलती मानते हुए क्षमा मांगी. उस ने भविष्य में ऐसी कोई भी गलती न करने की कसम भी खाई. यह सब नाटक करने के बाद उस ने पप्पू से कहा कि उस के बिना उस का सारा कामधंधा चौपट हो गया है. वह आज ही उस के साथ चल कर ट्रैक्टर संभाल ले. पप्पू उस की चिकनीचुपड़ी बातों में आ गया और फिर से उस का ट्रैक्टर चलाने लगा. उसे भूपेंद्र पर फिर से विश्वास हो गया था. उसी विश्वास के सहारे 26 जुलाई, 2018 को किसी काम के बहाने भूपेंद्र ने पप्पू को अपने साथ लिया और बाइक पर बैठा कर भोगपुर डैम की ओर ले गया. उस के साथ मंजीत भी था. डैम के किनारे सुनसान जंगल में पहुंचते ही तीनों एक जगह बैठ गए. मौका पाते ही मंजीत ने गरमी का बहना कर के अपने सिर से पगड़ी उतार ली. फिर मौका पा कर दोनों ने पप्पू को दबोच लिया. पप्पू को कब्जे में कर के दोनों ने पगड़ी के कपड़े से उस का गला कस दिया, जिस से उस की मौत हो गई. कहीं वह जीवित न रह जाए, इस के लिए भूपेंद्र ने अपनी बेल्ट खोली और फिर से उस के गले में डाल कर खींच दी.
पप्पू की हत्या करने के बाद दोनों ने उस की लाश उठा कर 20 मीटर दूर पानी में फेंक दी. पप्पू को मौत की नींद सुलाने के बाद दोनों बाइक से अपने घर पहुंच गए. पप्पू की हत्या करने वाली बात भूपेंद्र ने मोबाइल पर शशि को भी बता दी थी. उस की हत्या की बात सुनने के बाद शशि घर से बाहर नहीं निकली. उस के बच्चों ने पापा के बारे में पूछा तो उस ने कह दिया कि उस के पापा किसी काम से बाहर गए हुए हैं, वह आज रात नहीं आएंगे. बच्चों को खाना खिला कर उस ने सुला दिया. इस केस के खुलते ही अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त पगड़ी, बेल्ट, बाइक, मोबाइल फोन, मृतक की चप्पलें आदि भी बरामद कर लीं. पुलिस ने मृतक की पत्नी शशि, भूपेंद्र सिंह और मंजीत सिंह के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया.
पप्पू के दोनों मासूम बच्चे अपने ताऊ राजपाल सिंह के पास थे. राजपाल सिंह ने बताया कि शशि जाते हुए भी अपने बेटे राज को जेल से छूट कर आने के बाद देख लेने की धमकी दे कर गई थी, उस की जान को खतरा हो सकता है. जेल जाने के दौरान भी शशि के चेहरे पर न तो पति की मौत का कोई गम था और न ही अपने दोनों बच्चों के भविष्य को ले कर किसी तरह की चिंता. शशि ने जातेजाते भी पत्रकारों से कहा कि उसे अपने पति की हत्या का कोई अफसोस नहीं.