मौत का खेल खेलतेखेलते शिम्ट की सचमुच मौत हो गई. किसी की समझ में नहीं आया कि उस का कातिल कौन है, लेकिन कैलर मेरे सामने खुद को इसलिए कातिल बताने लगी, क्योंकि कातिल के नाम की पर्ची उस के पास थी. जबकि हकीकत में…
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मुमकिन है कि आप को मौत के खेल के बारे में जानकारी न हो. इसलिए मैं पहले इस खेल के बारे में कुछ बातें आप को बता दूं. इस खेल में होता यह है कि लाटरी की कुछ पर्चियां एक हैट में डाल दी जाती हैं. खेल में शामिल होने वाले एकएक पर्ची उठा लेते हैं. इन पर्चियों में से एक पर कातिल और एक पर जासूस लिखा होता है. बाकी पर्चियां सादी होती हैं. इस खेल में जिसे कातिल की पर्ची मिले उसे कातिल और जिसे जासूस की पर्ची मिले उसे जासूस का रोल अदा करना होता है. मरने वाले का किरदार अदा करने के लिए किसी का चुनाव नहीं किया जाता. उस का चुनाव खुद कातिल को करना होता है.
इस खेल में यह जरूरी है कि जिस के नाम कातिल की पर्ची निकले वह अपने वजूद को दूसरों के सामने गुप्त रखे. जबकि जासूस के बारे में खेल में शामिल लोग फैसला करते हैं कि उस के किरदार को दूसरों के सामने प्रकट किया जाए या नहीं. पर्चियां बंट जाने के बाद खेल में हिस्सा लेने वाले उस पूरे घर में फैल जाते हैं जहां खेल खेला जाना होता है. मकान का तहखाना और बागीचा वगैरह भी खेल के दायरे में शामिल होते हैं. इस खेल के लिए यह भी जरूरी है कि खेल रात के वक्त खेला जाए या कम से कम शाम का अंधेरा तो जरूर फैल चुका हो. कातिल की शख्सियत चूंकि गुप्त होती है इसलिए किसी को पता नहीं होता कि उस का शिकार कौन बनेगा और किस वक्त बनेगा. यह कातिल किसी को अपना शिकार बनाए तो उस के शिकार व्यक्ति की बनावटी चीख दूसरों को जरूर सुनाई दे ताकि वे समझ जाएं कि ‘कातिल’ अपना वार कर चुका है.
इस के बाद सभी लोग वारदात की जगह पर इकट्ठा हो जाते हैं. लेकिन कातिल का शिकार हुए व्यक्ति को यह जाहिर करने की इजाजत नहीं होती कि कातिल कौन है. इस के बाद ‘जासूस’ कातिल की तलाश शुरू कर देता है. मैं भी मौत के इस खेल में हिस्सा ले चुका हूं और वह मेरी जिंदगी का पहला और आखिरी खेल था. इस के बाद मैं ने कभी इस खेल में हिस्सा नहीं लिया. उन दिनों की है जब मैं ‘म्यूनिख’ में रहता था. अचानक एक दिन मेरे एक दोस्त शिम्ट की तरफ से पार्टी में शामिल होने का ‘दावतनामा’ मिला. पार्टी म्यूनिख से 30 किलोमीटर दूर ‘ओम्बर्ग’ में थी. शहर के हंगामे से दूर यह छोटी सी बस्ती बसंत में जन्नत जैसी खूबसूरत बन जाती थी.
हरियाली भरी पहाड़ी के दामन में दूरदूर तक फैली खूबसूरत कोठियां और दिल को खुशी से भर देने वाले दृश्य देख कर वहीं रह जाने का मन करता था. लेकिन सब से बड़ी दिक्कत यह थी कि मेरे जैसा मिडिल क्लास आदमी वहां रहने के बारे में सोच भी नहीं सकता था. इस इलाके में सिर्फ उन लोगों की रिहाइश थी, जिन्हें खुद अपनी दौलत का अंदाजा नहीं था. मेरे दोस्त ‘शिम्ट’ की गिनती भी देश के चंद अमीरतरीन लोगों में होती थी. पुरानी दोस्ती की वजह से वह मुझे हर खुशी के मौके पर आमंत्रित कर लिया करता था. वैसे भी म्यूनिख में दूसरे दोस्तों के मुकाबले शिम्ट का मेरे यहां ज्यादा आनाजाना था. शिम्ट के यहां होने वाली पार्टी के दूसरे दिन एक साहब के यहां कौकटेल पार्टी थी.
इस पार्टी में शिम्ट के साथ मैं भी शामिल हुआ. उस रोज उस खूबसूरत बस्ती के तमाम लोग मिस्टर ‘वोल्फ गैंग’ के यहां जमा हुए थे. देर रात तक शराब के जाम छलकते रहे. यह शराब इस पार्टी के लिए खास तौर पर तैयार करवाई गई थी और बहुत मजेदार थी. यही वजह थी कि हर कोई बढ़चढ़ कर पी रहा था. आधी रात गुजर जाने के बाद किसी ने ‘मौत का खेल’ खेलने की बात कही, जिसे फौरन ही मान लिया गया. पर्चियां बनाई गईं. हर किसी ने अपनीअपनी पर्ची निकाली. कौन कातिल था, कौन जासूस, किसी को कुछ पता नहीं था. पर्चियां निकलने के तुरंत बाद किसी ने मेन स्विच बंद कर दिया. कोठी एकदम अंधेरे में डूब गई.
इस के साथ ही मौत का खेल शुरू हो गया. मैं भी शराबनोशी में बराबर का शरीक था, लेकिन मेरा दिमाग पूरी तरह से मेरे बस में था. मेरे नाम जासूस की पर्ची निकली थी. यानी कि कत्ल की इस फरजी वारदात में मुझे जासूस का किरदार अदा करते हुए, कातिल की तलाश करनी थी. पहले तो मैं ने इस खेल में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली, लेकिन जब मैं ने महसूस किया कि इसे सिर्फ एक खेल समझने के बजाय हर शख्स संजीदा नजर आ रहा है तो मुझे भी इस में संजीदगी से दिलचस्पी लेनी पड़ी. मकान की ऊपरी मंजिल पर चारों तरफ एक खुली गैलरी बनी थी, जिस पर सुरक्षा की दृष्टि से कोई जंगला वगैरह नहीं लगा था.
मकान के अंदर गहरे अंधेरे में रास्ता सुझाई नहीं दे रहा था, लेकिन कपड़ों की सरसराहट और पंजों के बल खास अंदाज से चलने की आवाजों से जाहिर हो रहा था कि हर कोई कातिल से बचने के लिए कहीं न कहीं पनाह लेने की कोशिश में है. कातिल कोई गुप्त व्यक्ति था. कोई नहीं जानता था कि उस पर किस तरफ से हमला होगा. यह हमला मुझ पर भी हो सकता था. मैं चूंकि जासूस था, इसलिए यह खयाल मुझे कतई पसंद नहीं आया कि मैं ही कातिल का निशाना बनूं. निश्चित रूप से जासूस को दूसरों से ज्यादा समझदार और चालाक होना चाहिए. मैं सुरक्षित अंदाज में चलता हुआ हाल से बाहर निकल आया. लाइट औफ होने से पहले मैं ने अपने दोस्त शिम्ट को भी उस तरफ जाते देखा था. कुछ देर अंधेरे में दुबके रहने के बाद मैं दोबारा मकान में दाखिल हो गया. मैं दबे कदमों से चलते हुए ऊपरी मंजिल पर पहुंच कर रुक गया.
सितारों की धुंधली सी रोशनी में बालकनी में एक साए को हिलते देख कर मैं ठिठक गया. मैं उस की शक्ल तो नहीं देख सका, लेकिन यह अंदाजा लगाने में कोई परेशानी नहीं हुई कि वह कोई औरत थी. वह बड़ी सावधानी से पंजों के बल चलते हुए बालकनी के आखिरी सिरे पर जा रही थी. कुछ देर बाद ही वह दूसरी तरफ घूम कर निगाहों से ओझल हो गई. जब मैं बालकनी के उस मोड़ पर पहुंचा तो मुझे गले में बंधा हुआ उस का स्कार्फ हवा में लहराता नजर आया. लेकिन फिर वह अचानक गायब हो गई. नीचे हाल में पहुंच कर मैं कुछ देर के लिए रुका. फिर जैसे ही बाहर निकला एक बार फिर उसी औरत का साया नजर आया. यकीनन वह वही औरत थी, जिसे मैं बालकनी पर देख चुका था. मैं ने उस के गले में बंधे हुए स्कार्फ से उसे पहचान लिया था.
मैं उस की एक झलक से ज्यादा नहीं देख सका था, क्योंकि वह जल्दी से अंधेरे में गायब हो गई थी. मैं उस के पीछे लपका, लेकिन किसी चीज से ठोकर खा कर गिर गया. उस औरत के बारे में मेरे दिल में जिज्ञासा पैदा हो रही थी, लेकिन अब मैं उस का पीछा नहीं कर सकता था, क्योंकि मैं जिस चीज से टकरा कर गिरा था वह एक इंसानी जिस्म था. मैं घुटनों के बल झुक कर उस का मुआयना करने लगा. वह आदमी जमीन पर सीने के बल आड़ातिरछा पड़ा हुआ था. खेल के दौरान इस दृश्य का मतलब था कि कातिल अपना काम कर चुका था और अब जासूस का काम था कि वह कातिल को तलाश करे. मैं ने एक विशेष इशारे में चीख कर खेल में शामिल लोगों को इस की सूचना दी. इस के साथ ही किसी ने लाइट जला दी और सब लोग इधरउधर से निकलनिकल कर वहां जमा होने लगे.
हर कोई एकदूसरे को पीछे धकेल कर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था, ताकि देख सके कि मरने वाला कौन है? जो लोग आगे थे, वे झुक कर जमीन पर पड़े हुए शख्स को अपने मजाक का निशाना बना रहे थे. कोई उस की नाक दबा रहा था, कोई कान मरोड़ रहा था और कोई बाजू से पकड़ कर उसे उठाने की कोशिश कर रहा था. सब का मकसद एक ही था कि वह मरने की अदाकारी खत्म कर दे, ताकि जासूस अपना काम शुरू कर सके. लेकिन उस के जिस्म में जरा सी भी हरकत नहीं हुई. रोशनी होने के बाद लोगों ने उसे पहचान लिया, वह शिम्ट था. 2 आदमियों ने उसे बांहों से पकड़ कर उठाना चाहा, मगर वह अपनी कोशिश में कामयाब नहीं हो सके. शिम्ट के जिस्म में कोई हरकत नहीं हुई. उसे उठाने की कोशिश की गई तो वह धड़ाम से दोबारा जमीन पर गिर पड़ा. कुछ लोग बुलंद आवाज में उस की अदाकारी की दाद दे रहे थे कि उस ने इस ड्रामे में हकीकत का रंग भर दिया है.
‘‘बस भई शिम्ट, बहुत देर हो गई. अब एक्टिंग खत्म करो.’’ एक और शख्स ने उसे कालर से पकड़ कर उठाते हुए कहा, लेकिन शिम्ट दोबारा नीचे गिर गया.
‘‘रुक जाओ, यह एक्टिंग नहीं हो सकती. मुझे मामला कुछ गंभीर नजर आ रहा है.’’ एक आदमी दूसरों से कहते हुए, उन्हें धकेल कर आगे बढ़ा. सब लोग अभी तक इसे मजाक ही समझ रहे थे. उस के शब्द सुन कर सभी गंभीर हो गए. माहौल पर एकदम खामोशी छा गई. हर कोई इस तरह एकदूसरे की तरफ देखने लगा, जैसे पूछ रहा हो कि क्या गड़बड़ है? साफ पता चल रहा था कि शिम्ट मर चुका है. मेहमानों में एक डाक्टर भी था. उस ने आगे बढ़ कर शिम्ट की जांच की. वह कई मिनट तक विभिन्न तरीकों से उस के जिस्म में जिंदगी की ‘लौ’ तलाश करने की कोशिश करता रहा, फिर उस ने सीधा हो कर इस अंदाज में हम सब की तरफ देखा जैसे कुछ कहना चाहता हो, लेकिन कह नहीं पा रहा हो.
चंद क्षण बाद आखिर उस ने मेरे खयाल की तसदीक कर दी. शिम्ट मर चुका था. डाक्टर ने बताया कि उस की मौत दम घुटने की वजह से हुई थी. ठीक उसी समय मैं भीड़ में से एक लड़की की चीख सुन कर चौंका. मैं ने जल्दी से उस की तरफ देखा. उस के गले में बंधे हुए स्कार्फ से मैं ने उसे पहचान लिया. यह वही लड़की थी, जिसे पहले मैं बालकनी और फिर ठोकर लग कर गिरने से पहले इसी जगह देख चुका था. चीख उस के हलक में ही घुट कर रह गई. चेहरे पर खौफ व दहशत के भाव उभर आए. मैं ने गौर से उस की तरफ देखा. वह 21-22 साल की एक हसीन लड़की थी. अखरोटी बालों वाली इस लड़की को मैं मौत का खेल शुरू होने से पहले पार्टी में देख चुका था. वह एक बेहतरीन प्यानो वादक थी. उस की मां अमेरिकन और बाप स्थानीय निवासी था.
कभी उस के बाप की गिनती देश के अमीरतरीन लोगों में होती थी. लेकिन देश की सत्ता पर बैठे लोगों से राजनीतिक विरोध की वजह से उस पर इस का सीधा असर पड़ा. पहले उस का पौलिटिकल कैरियर प्रभावित हुआ. फिर कारोबार भी तबाह हो गया. उस की फैक्ट्रियों, मिलों में रहस्यमय तरीके से आग लगने की घटनाएं होने लगीं. इस सब का नतीजा यह निकला कि एक दिन उस की लाश घर में पंखे से लटकी पाई गई. कैलर उस की एकलौती बेटी थी. बाप के खुदकुशी करने के बाद आग लगने की वारदातें रुक गईं और कैलर व उस की मां बचीखुजी पूंजी के सहारे जिंदगी के दिन गुजारने लगीं.
अच्छी प्यानो वादक की हैसियत से कैलर को बड़ीबड़ी पार्टियों में आमंत्रित किया जाता था. जहां से उसे इतना पारिश्रमिक मिल जाता था कि घर का खर्च आसानी से चल जाए. इस वक्त वही खूबसूरत कैलर दहशत की हालत में कुछ इस तरह मुंह पर हाथ रखे सहमी खड़ी थी, जैसे अपनी चीखें रोकना चाहती हो.
‘‘लेडीज एंड जेंटलमेन.’’ डाक्टर की आवाज पर सभी उस की तरफ देखने लगे. डाक्टर कह रहा था, ‘‘हम यहां एक खेल, खेल रहे थे, जिस का नतीजा एक लाश की शक्ल में हमारे सामने है. हम में से कोई नहीं जानता कि इस खेल में किस का क्या किरदार था. इस स्थिति में किसी को इस घटना का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. यहां कोई किसी का दुश्मन नहीं है. मिस्टर शिम्ट की मौत किसी हादसे या इत्तेफाक का नतीजा भी हो सकती है.
‘‘अब मेरी राय है कि इसे एक हादसा समझा जाए और अपनीअपनी पर्चियां नष्ट कर दी जाएं, ताकि इस खेल में किसी को किसी के किरदार का पता न चल पाए. पर्चियां नष्ट करने का तरीका यह होगा कि सब लोग एकएक कर के कमरे में जाएं और अपनीअपनी पर्चियां आतिशदान में डाल दें. इस तरह किसी को किसी पर शुबहा करने का मौका नहीं मिल सकेगा.’’
दुनिया का कोई भी होशमंद इंसान कत्ल के इल्जाम में शामिल होना पसंद नहीं करता. इसलिए सब लोगों ने डाक्टर की तजवीज बिना हीलहुज्जत के कुबूल कर ली. सभी ने अपनी पर्चियां इस तरह आतिशदान में जा डालीं, ताकि किसी को पता न चल सके कि इस खेल में किस का क्या रोल था. मौत का खेल अपने अंजाम तक पहुंच चुका था. धीरेधीरे रात बीत गई और सुबह की लाली फैलने लगी. कुछ देर बाद पार्टी में आए मेहमान एकएक कर के रुखसत होने लगे. कोठी के लंबेचौड़े पार्किंग लौट पर खड़ी हुई कारें गायब हो गईं. कुछ मेहमान ऐसे भी थे, जिन के पास कारें नहीं थीं. उन्हें एक स्टेशन वैगन पर म्यूनिख से यहां तक लाया गया था. मेरा शुमार भी उन्हीं लोगों में था, जो वापसी के लिए वैगन का इंतजार कर रहे थे. पुलिस को इत्तला करने की किसी ने सोची तक नहीं, बस सब खुद को बचाना चाहते थे.
वैगन आई तो हम लोग उस में बैठ गए. पिछली सीट पर मेरे साथ प्यानो वादक कैलर के अतिरिक्त और कोई नहीं था. वह इस तरह जड़ हुई बैठी थी, जैसे उसे लकवा मार गया हो. स्टेशन वैगन शहर की तरफ जाने वाली सुनसान सड़क पर दौड़ रही थी. कैलर की वीरान निगाहें तेजी से पीछे भागते हुए दृश्यों पर जमी थीं. अचानक वह इस तरह बड़बड़ाई जैसे अपने आप से मुखातिब हो और उस का दिलोदिमाग काबू में न हो, ‘‘मैं…मैं अपने आप को माफ नहीं कर सकती. इस की जिम्मेदार मैं हूं.’’ वह कुछ पल खामोश रही फिर बड़बड़ाई, ‘‘ओह, यह सब मेरी वजह से हुआ है. उस की कातिल मैं हूं.’’
यह बात मेरे लिए आश्चर्यजनक थी. वह मेरे सामने अपने आप को मुलजिम ठहरा रही थी. मैं समझ नहीं पा रहा था कि वह खुद को शिम्ट का कातिल क्यों समझ रही थी? और यह सब कुछ मुझे क्यों बता रही थी?
‘‘कत्ल? नहीं मिस कैलर, यह महज एक हादसा था और किसी को इस का जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.’’ मैं ने उसे समझाने की कोशिश की.
‘‘नहीं, यह हादसा नहीं कत्ल है. अगर हम यह खेल शुरू न करते तो यह सब नहीं होता. हम इस खेल में शरीक थे, इसलिए किसी को भी इलजाम से बरी नहीं किया जा सकता.’’ वह पहले की तरह ही बड़बड़ाई.
‘‘मुमकिन है तुम्हारा ख्याल सही हो, लेकिन सब की पर्चियां नष्ट की जा चुकी हैं और अब यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि कातिल कौन है?’’ मैं ने कहा. वह कुछ देर खामोशी से मेरी तरफ देखती रही, फिर हाथ मेरे सामने कर के मुट्ठी खोल दी. उस की हथेली पर कागज का एक पुरजा रखा हुआ था, जिस पर ‘कातिल’ शब्द लिखा हुआ था.
‘‘अब तुम समझ गए होगे कि मैं ऐसी बातें क्यों कर रही हूं.’’ वह दुखी स्वर में बोली. मैं वाकई हैरत में था कि वह ऐसी बातें क्यों कर रही थी. मैं कुछ देर उस के चेहरे की तरफ देखता रहा, फिर बोला, ‘‘यह सिर्फ एक हादसा था. तुम्हें इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए मिस कैलर.’’
‘‘ओह. तुम्हें शायद उस की मौत का कोई गम नहीं है. जबकि शिम्ट तुम्हारा दोस्त था.’’ उस के अंदाज में व्यंग्य साफ झलक रहा था.
‘‘मुझे उस की मौत का बहुत अफसोस है, लेकिन मौत पर किसी का बस तो नहीं है न. यह संगीन इत्तेफाक मेरे साथ भी पेश आ सकता था.’’
‘‘संगीन इत्तेफाक?’’ उस ने सुलगती हुई निगाहों से मेरी तरफ देखा, ‘‘तुम्हें शायद अपने दोस्त से मोहब्बत नहीं, नफरत थी.’’
‘‘तुम गलत सोच रही हो. लेकिन मैं यह जरूर जानना चाहता हूं कि तुम अपने आप को उस की मौत का जिम्मेदारक्यों समझ रही हो?’’
‘‘मेरी पर्ची से तुम समझ चुके होगे कि इस खेल में मेरा किरदार क्या था. मुझे किसी एक को कत्ल करना था. मैं ऊपरी मंजिल पर किसी को तलाश करती रही, लेकिन जब कोई नहीं मिला तो मैं नीचे चली आई. वह दीवार से टेक लगाए खड़ा था. मैं ने मौका पा कर जब उस पर हमला किया तो उस ने कोई विरोध नहीं किया.
‘‘यह देख मैं ने उस का गला दबोच लिया. उसे खत्म करने के बाद मैं वहां से हट गई, ताकि वह दूसरों को सूचना दे सके कि कातिल अपना रोल अदा कर चुका है. लेकिन उस की जगह तुम ने हम लोगों को कत्ल की सूचना दी. क्या ऐसी हालत में मैं यह न समझूं कि उस की मौत मेरे हाथों हुई थी? मैं अपनेआप को उस की मौत की जिम्मेदारी से मुक्त नहीं कर सकती.’’
कैलर खामोश हो कर सिसकियां भरने लगी. मैं ने परेशानी से दूसरे साथियों की तरफ देखा. वह हम पर ध्यान दिए बिना अपनी बातों में मग्न थे. वैगन शहर की सरहद में दाखिल हो चुकी थी. पूरब के क्षितिज पर फैलने वाली लाली बता रही थी कि सूरज निकलने ही वाला है. स्टेशन वैगन जैसे ही एक सड़क के मोड़ पर घूमी, कैलर ने ड्राइवर को गाड़ी रोक देने का निर्देश दिया. कैलर का निवास शहर के एक मध्यमवर्गीय इलाके में था. जबकि यह इलाका शहर की घटिया आबादी वाला था. उस के द्वारा वहां गाड़ी रुकवाने पर मुझे आश्चर्य हुआ. वहां न रोशनी का इंतजाम था और न सफाई पर तवज्जो दी गई थी. दूर तक कच्चे और बेतरतीब मकान फैले हुए थे. आबादी के शुरू में चर्च था. बस्ती की यह अकेली पक्की इमारत थी. चर्च का कलश, अभीअभी निकले सूरज की किरणों में चमकने लगा था.
कैलर के उतरते ही मैं भी गाड़ी से नीचे उतर आया. उस ने मुड़ कर मेरी तरफ देखा और कुछ कहे बिना तेज कदमों से चर्च की तरफ चल दी. मैं कुछ देर देखता रहा, फिर खुद भी उस के पीछे चल दिया. जब मैं गली में पहुंचा तो वह चर्च में दाखिल हो रही थी. मैं चर्च के दरवाजे पर रुक कर उस की तरफ देखने लगा. वह इबादत वाले कमरे में पैर मोड़े बैठी अपने उस गुनाह की माफी मांग रही थी, जो उस की समझ के हिसाब से खेल ही खेल में उस के हाथों हो गया था. वह खुद को शिम्ट का कातिल समझ रही थी. उसे यकीन था कि उस ने शिम्ट का गला घोंट कर उसे मार डाला था. अगर वह दूसरों के सामने इस बात को प्रकट करती तो मुमकिन था कि वे उस की बात मान लेते, लेकिन कम से कम मैं इस बात को मानने को तैयार नहीं था.
क्योंकि कैलर के गला दबोचने से पहले ही शिम्ट मर चुका था. यह कारनामा तो मैं ने अंजाम दिया था. खेल के शुरू में लाइट औफ होते ही मैं ने बाहर निकल कर उसे दबोच लिया था और हलक से आवाज निकालने का मौका दिए बिना जिंदगी से उस का संबंध खत्म कर दिया था. दरअसल, मैं लंबे अरसे से किसी ऐसे ही मौके की तलाश में था. उस की खूबसूरत बीवी, जो मुझ से बहुत ज्यादा प्यार करती थी और उस की बेशुमार दौलत, इन दोनों पर कब्जा करने के लिए मुझे इस से बेहतर मौका फिर कभी नहीं मिल सकता था. और अगर मैं इस सुनहरे मौके से फायदा न उठाता तो मुझ से बड़ा बेवकूफ कोई न होता.