इस वेब सीरीज में आतंकियों द्वारा हाइजैक की गई इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट संख्या आईसी-814 की कहानी को दिखाया गया है, जिस में सरकार को हाईजैकर्स की मांगों को मानते हुए खूंखार आतंकी रिहा करने पड़े थे.
निर्देशक : अनुभव सिन्हा, लेखक : अदरियान लेवी और निशांत श्रीवास्तव, निर्माता : संजय राउतरे, सरिता पाटिल और अनुभव सिन्हा, ओटीटी : नेटफ्लिक्स
कलाकार: विजय वर्मा, नसीरुद्दीन शाह, पंकज कपूर, अरविंद स्वामी, कंवलजीत सिंह, मनोज पाहवा, कुमुद मिश्रा, आदित्य श्रीवास्तव, दिव्येंदु भट्टाचार्य, यशपाल शर्मा, सुशांत सिंह, अनुपम त्रिपाठी, राजीव ठाकुर, अमृता पुरी, पत्रलेखा पाल और दीया मिर्जा
यह सीरीज आईसी-814 के असल पायलट कैप्टन देवीशरण की किताब ‘फ्लाइट इनटू फीयर’ का रूपांतरण है. सीरीज की कहानी 25 साल पहले हुए 1999 के कंधार हाईजैक पर आधारित है. इस की असली कहानी आज से करीब 25 साल पहले 24 दिसंबर, 1999 में नेपाल की राजधानी काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनैशनल एयरपोर्ट में घटित हुई थी, जहां पर इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी-814 ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी. मगर जैसे ही यह फ्लाइट बादलों तक पहुंची ही थी कि इस फ्लाइट को हाईजैक कर लिया गया था.
आईसी- 814 फ्लाइट को बंदूक की नोक पर दिल्ली के बजाए अमृतसर ले जाया गया, क्योंकि आतंकियों का मकसद इसे पाकिस्तान ले जाने का था. कुछ समय तक यह फ्लाइट अमृतसर में ही रुकी रही, फिर आतंकियों ने पायलट को विमान लाहौर ले कर जाने के निर्देश दिए. लाहौर में जब फ्लाइट आईसी- 814 को उतरने की अनुमति मांगी गई तो पाकिस्तान ने इसे अस्वीकार कर दिया, मगर फिर केवल फ्यूल भरने की अनुमति मिली और फिर फ्यूल भरने के बाद इस विमान को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अल मिन्हाद एयर बेस पर उतारा गया.
फ्लाइट को जब हाईजैक किया गया था, तब उस में 176 यात्री सवार थे. इन में से कुछ विदेशी भी थे. अल मिन्हाद एयर बेस पर 27 यात्रियों को रिहा कर दिया गया और यहां से विमान सीधे अफगानिस्तान कंधार के लिए रवाना हो गया था. असल में जिन आतंकियों ने इस फ्लाइट को हाईजैक किया था, वे सभी पाकिस्तानी थे और उन का मकसद भारत की जेल में बंद आतंकियों मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर की जेल से रिहाई कराना था. आतंकियों के असली नाम तो कुछ और ही थे, मगर यहां पर उन्होंने अपने असली नामों को छिपाया था और कोड नामों का प्रयोग किया था.
आतंकियों द्वारा विमान को हाईजैक करने के बाद और 26 दिसंबर, 1994 को भारत की ओर से बातचीत का दौर शुरू हुआ. फिर 27 दिसंबर, 1999 को भारत सरकार ने गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक काटूजा की अध्यक्षता में एक विशेष टीम को कंधार के लिए रवाना किया. इस में गृह मंत्रालय के अधिकारी अजीत डोभाल और सी.डी. सहाय भी शामिल थे. हाईजैक के 8 दिन बाद यानी 31 दिसंबर, 1999 को विमान में सवार सभी नागरिकों को रिहा कर दिया गया. मगर नागरिकों की रिहाई के बदले में भारत सरकार को आतंकी मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को जेल से रिहा करना पड़ा था.
जिस समय आईसी- 814 को हाईजैक किया गया था, उस समय भारत में एनडीए की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. उस समय दुर्दांत आतकियों की रिहाई के लिए सरकार को काफी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा था. इस मामले की जांच सीबीआई ने की. सीबीआई ने इस केस में 10 लोगों को आरोपी बनाया था, इन में 5 हाइजैकर्स सहित 7 आरोपी अभी भी फरार हैं और उन के ठिकानों के बारे में आज तक पता नहीं चल पाया है.
यह वेब सीरीज 6 एपिसोड की है. इस वेब सीरीज में दीया मिर्जा ने एक पत्रकार शालिनी, नसीरुद्दीन शाह (विनय कौल कैबिनेट सेक्रेटरी), मनोज पाहवा (मुकुल मोहन एडिशनल डायेरक्टर आईबी), विजय वर्मा (कैप्टन शरणदेव हैड पायलट), कुमुद मिश्रा (रंजन मिश्रा जौइंट सेक्रेटरी), अरविंद स्वामी (डीआरएस सेके्रटरी औफ एमईए), पंकज कपूर (विजयभान सिंह), अनुपम त्रिपाठी (रा जासूस रामचंद्र यादव), राजीव ठाकुर (चीफ इब्राहिम अख्तर), दिलजहान (बर्गर- सनी अहमद काजी), हरमिंदर चोपड़ा (डाक्टर- शाहिद अख्तर हाइजैकर), कुणाल चोपड़ा (भोला- जहूर मिस्त्री हाइजैकर) और (शंकर- शाकिर हाइजैकर) की भूमिका में कमल बत्रा हैं.
एपिसोड नंबर 1
एपिसोड की शुरुआत में थोड़ा ब्रीफ दिया जाता है कि 24 दिसंबर, 1999 को नेपाल के काठमांडू से दिल्ली जाने वाली फ्लाइट नंबर आईसी-814 अचानक हाईजैक हो गई है. इस के बाद रा जासूस राम (अनुपम त्रिपाठी) को दिखाया गया है. जिसे हाल में ही पता चला है कि काठमांडू में कुछ संदिगध गतिविधि संचालित की जा रही है. राम अपने सीनियर अधिकारी कैलाश चौहान के औफिस में जा कर उन को ये सारी बातें बताता है. इस बीच यह दिखाया जाता है कि रा जासूस राम ने अब तक उन संदिग्धों के खिलाफ काफी सबूत भी इकट्ठा कर लिए हैं. लेकिन यह बात समझ में नहीं आ पा रही थी कि आखिर वे सब आतंकी करना क्या चाहते हैं.
उस के बाद काठमांडू का एयरपोर्ट दिखाया गया है, जहां पर कुछ संदिग्ध से दिखने वाले लोग दिल्ली जाने वाले थे. उस के बाद आईसी-814 के कैप्टन शरण देव को दिखाया गया है, जो अपनी एयर होस्टेस इंद्राणी के साथ बातचीत करते हुए अपने प्लेन में जा रहे हैं. अगले दृश्य में सभी पैसेंजर अपनीअपनी सीट पर बैठ रहे हैं और संदिग्ध दिखने वाले लोग अपने साथी हाशमी का इंतजार कर रहे हैं. वहीं अब इंद्राणी के साथ छाया को दिखाया जाता है, जो एक एयर होस्टेस है. इस के बाद सारे हाईजैकर प्लेन में आ जाते हैं.
वहीं रा के जासूस को अब पता चल जाता है कि यह प्लेन हाईजैक होने वाला है, लेकिन वह जब तक सब को आगाह कर पाता, इस से पहले ही 24 दिसंबर, 1999 की शाम यह प्लेन हवा में उड़ जाता है. तभी एक हाईजैकर अपनी सीट से उठता है और वह अपने साथियों को एकएक कर के पैकेट में छिपा कर हथियार दे देता है. सभी आतंकी अपने सिर के ऊपर मंकी कैप में अपना चेहरा छिपा लेते हैं. एक आतंकी कैप्टन के पास चला जाता है और बाकी आतंकी यात्रियों को चेतावनी देते हुए बताते हैं कि उन का प्लेन हाईजैक कर लिया गया है, यदि किसी ने विरोध किया तो हम उसे गोलियों से भून डालेंगे. कुछ यात्रियों के प्रतिरोध करने पर आतंकी उन्हें बुरी तरह पीट कर घायल कर देते हैं. तभी आतंकी कैप्टन शरण देव (विजय वर्मा) को प्लेन काबुल के जाने के लिए कहता है, मगर कैप्टन कहता है कि प्लेन में ईंधन इतना नहीं है कि हम काबुल पहुंच सकें.
दूसरी ओर कंट्रोल रूम में भी यह खबर मिल जाती है कि आईसी-814 फ्लाइट हाईजैक कर ली गई है. यह बात नंंिदनी नाम की एक न्यूज रिपोर्टर को पता चलती तो वह तुरंत शालिनी (दीया मिर्जा) के पास जाती है और बताती है कि प्लेन हाईजैक हो गया है. शालिनी इंडिया हैडलाइन की एडिटर है. शालिनी इस बात को कंफर्म करने के लिए रा के जौइंट सेके्रट्री रंजन मिश्रा (कुमुद मिश्रा) को फोन करती है, जिन को अभीअभी कुछ सेकेंड पहले ही यह खबर मिल चुकी थी. रंजन मिश्रा तुरंत बी.के. अग्रवाल (आदित्य श्रीवास्तव) के पास जाते हैं, जोकि रा प्रमुख हैं.
रा प्रमुख बी.के. अग्रवाल इस खबर को सुन कर एकदम भौचक्के रह जाते हैं. वह कहते हैं कि यह सब कुछ हो भी गया, मगर हमारे पास टिप क्यों नहीं पहुंची और हमारी आईबी (खुफिया एजेंसी) कहां सो रही थी. दूसरी तरफ यह खबर अब तक आईबी निदेशक जे.पी. कोहली (कंवलजीत सिंह) और आईबी के अतिरिक्त निदेशक मुकुल मोहन (मनोज पाहवा) तक पहुंच चुकी थी, मगर तब तक काफी देर हो चुकी थी. इस बीच हाईजैकर ने अब तक अपनी ओर से कोई डिमांड नहीं की थी.
हाइजैकर बारबार प्लेन को काबुल ले जाने की बात कह रहे थे, जबकि प्लेन के पायलट कैप्टन शरण देव (विजय वर्मा) उन्हें ईंधन की कमी का हवाला दे कर रोक रहे थे. कैप्टन शरण देव ने कहा कि प्लेन केवल लाहौर तक ही जा सकता है. अब तक यह खबर विदेश मंत्री विजयभान सिंह (पंकज कपूर) तक भी पहुंच जाती है. वह सभी अधिकारियों को काम पर लगा देते हैं. अब तक सभी अधिकारियों को भी पता चल चुका था कि आतंकी प्लेन को काबुल ले जाना चाहते हैं.
इस बीच विदेश मंत्रालय के सचिव डी.आर.एस. (अरविंद स्वामी) आतंकी मसूद के बारे में उच्च अधिकारियों को जानकारी देते हैं कि मसूद इसलामी आतंक फैलाने के बारे में जाना जाने वाला एक बड़ा नाम है. वह 2 आतंकी संगठनों के बीच सुलह कराने कश्मीर आया था और वहां पर भारतीय एजेंसियों द्वारा उसे गिरफ्तार कर लिया गया था और अभी वह जेल में बंद है. डीआरएस यह भी बताते हैं कि दुर्दांत आतंकी मसूद को जेल से छुड़ाने के लिए 3 बार कोशिश की गई, पर नाकाम रही. उन की ओर से मसूद को छुड़ाने के लिए चौथी कोशिश की जा रही है.
अब तक हाईजैकर यह बात अच्छी तरह से समझ चुके थे कि वे प्लेन को काबुल तक नहीं बल्कि केवल दिल्ली तक ले जा सकते हैं. क्योंकि प्लेन में पर्याप्त ईंधन नहीं है और फिर इसी के साथ पहला एपिसोड समाप्त हो जाता है. इस एपिसोड में कलाकारों ने साधारण अभिनय किया है. यहां भारत की सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी को दिखाया गया है, जो देश के लिए भविष्य में भी गंभीर खतरा हो सकता है. इतनी सारी खुफिया एजेंसियां होने के बावजूद भी यदि ऐसी वारदात होती है तो वह हमारी सुरक्षा एजेंसियों के ऊपर गंभीर सवाल पैदा करती हैं. प्लेन के अंदर हथियार कैसे पहुंचे, यह लेखक निर्देशक दिखा नहीं पाए हैं, जोकि एक बहुत बड़ी चूक है.
एपिसोड नंबर 2
इस एपिसोड के शुरुआत में आईबी के असिस्टैंट डायरेक्टर संजय मेहता (यशपाल शर्मा) को जम्मू की जेल में बंद आतंकी मसूद से पूछताछ करते हुए दिखाया गया है कि कहीं यह प्लेन हाईजैक का प्लान जेल में बैठे मसूद ने तो नहीं बनाया था. इस पर मसूद कहता है कि यह प्लान उस का या उस के संगठन का नहीं है. अगले दृश्य में सुरक्षा सलाहकार विजय कौल (नसीरुद्दीन शाह) को चिंतित रूप में दिखाया गया है, क्योंकि यह हाईजैक वाली घटना की सूचना समूचे विश्व में फैल चुकी थी. दूसरी ओर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को हाईजैक प्लेन की ट्रैकिंग करते हुए दिखाया गया है कि विमान कहां पर है. इसी बीच वहां पर भारतीय अधिकारियों के हाथ काठमांडू के रा एजेंट राम (अनुपम त्रिपाठी) की भेजी गई रिकौर्डिंग हाथ लगती है.
आडियो को सुनने पर उस में बारबार अमजद का नाम लिया जा रहा है, तब वहां पर मौजूद डीआरएस (अरविंद स्वामी) अमजद के बारे में पूरी जानकारी देता है कि पहले अमजद फारुखी आईएसआई के लिए काम करता था, लेकिन बाद में अफगानिस्तान में तख्ता पलट में उस ने खुल कर तालिबान का साथ दिया था. मगर अभी वह आईएसआई के लिए काम नहीं कर रहा है. अगले दृश्य में सभी अधिकारी आईसी- 814 को ट्रैक करने लगते हैं. उस के बाद सभी मौजूद अधिकारी किसी वीआईपी औफिसर के बारे में बात करने लगते हैं कि वह वीआईपी अधिकारी भी इसी विमान में सफर कर रहा था, लेकिन वह वीआईपी कौन था फिलहाल उस के बारे में कुछ नहीं बताया गया.
दूसरी ओर काठमांडू में रा के एजेंट राम (अनुपम त्रिपाठी) उस ड्राइवर से पूछताछ करता दिखाई देते हैं, जिस ने संदिग्ध लोगों को अपनी गाड़ी में घुमाया और इधरउधर छोड़ा था. कहांकहां पर किस को संदिग्ध बैग दिए गए थे. अब तक शाम के 5 बजे तक यह बात भारत सरकार के अधिकारियों को पता चल चुकी थी कि अपहृत विमान आईसी-814 फ्लाइट अब अमृतसर जाएगी, इसलिए अब सभी अपनी पूरी तैयारी पर थे. पंजाब पुलिस को भी अपने कमांडो रेडी करने का आदेश दे दिया गया था. भारत के अधिकारी इस प्लेन के हाईजैक की कहानी को अमृतसर में ही खत्म कर देना चाहते थे.
दूसरी ओर हाईजैकर यह प्लान बना रहे थे कि वे लोग अमृतसर में कम से कम समय के लिए ही रुकेंगे. जैसे ही अपहृत विमान में फ्यूल डाल दिया जाएगा, वे तुरंत काबुल की ओर रवाना हो जाएंगे. अगले दृश्य में रा एजेंट राम ड्राइवर के साथ उस स्थान पर पहुंच जाते हैं, जहां संदिग्ध बैग डिलीवर किए गए थे. परंतु वहां पर गोलियां चलने लगती हैं. मगर राम आखिरकार उस संदिग्ध व्यक्ति को पकडऩे में कामयाब हो जाते हैं, जिस ने बैग लिए थे. उधर शाम को 7 बज कर 15 मिनट पर अपहृत विमान आईसी- 814 अमृतसर में लैंड हो जाता है. हाईजैकर विमान के कैप्टन शरण देव (विजय वर्मा) को प्लेन में ईंधन भरने का मैसेज देने के लिए कहता है. कैप्टन शरण देव ब्राउजर से मैसेज करता है. ब्राउजर फ्यूल के टैंक को कहा जाता है. उसी फ्यूल के टैंक के पीछे हमारे कमांडो छिपे हुए थे.
यह देखने के बाद हाईजैकर्स को गुस्सा आ जाता है और वे तुरंत पैसेंजर के पास पहुंचते हैं. विमान के 2 यात्रियों को बुरी तरह से घायल कर देते हैं. उधर भारत के अधिकारियों का विचार यह था कि यदि यह विमान अमृतसर में रहेगा तो स्थिति सारी उन के कंट्रोल में रहेगी, लेकिन हाईजैकर्स को वहां पर रहना खतरे से खाली नहीं लगता और हाईजैकर्स निर्णय कर लेते हैं कि वे अब अमृतसर में नहीं रहेंगे. हाईजैकर्स फ्लाइट के कैप्टन शरण देव को जल्दी टेक औफ करने के लिए कहते हैं. यहां पर अब कैप्टन शरण देव उन की बात मान लेते हैं और फ्लाइट अमृतसर से टेक औफ हो जाती और फिर दूसरा एपिसोड यहीं पर खत्म हो जाता है.
इस एपिसोड में भी कलाकारों को अपना अभिनय दिखाने का पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया है. कलाकारों का अभिनय औसत दरजे का रहा है. यह एपिसोड भी दर्शकों के बीच रोमांच पैदा कर पाने में असफल रहा है.
एपिसोड नंबर 3
एपिसोड-3 की शुरुआत में हम देखते हैं कि शाम को 7 बज कर 50 मिनट पर अपहृत विमान आईसी- 814 अमृतसर से निकल चुका था. अगले दृश्य में विनय कौल (नसीरुद्दीन शाह) और विजयभान सिंह (पंकज कपूर) बात कर रहे हैं कि अब यह बात प्रधानमंत्री को बतानी बहुत जरूरी हो चुकी है, क्योंकि विमान अब लाहौर की तरफ जा रहा है. अगले दृश्य में यह बात बताई जाती है कि सन 1999 में कारगिल में पाकिस्तानी सेना ने भारत के ऊपर छिप कर हमला किया था, जबकि बाद में पाकिस्तान ने इस बात से साफ इंकार कर दिया था कि उन की ओर से कोई हमला नहीं किया गया वो तो कुछ मिलिटेंट थे, जिन्होंने भारत के ऊपर यह हमला किया था.
पाकिस्तान के इस प्रायोजित हमले में हमारे बहुत सारे जवान शहीद हो गए थे. इस के 2 महीने बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने चीन में पाकिस्तान के आर्मी चीफ का मोबाइल टेप किया तो उस बातचीत से यह स्पष्ट हो गया था कि पाकिस्तानी सेना की ओर से हमला जनरल मुशर्रफ द्वारा ही कराया गया था. तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अमेरिका को बताया था कि जनरल मुशर्रफ ने बिना उन की परमिशन लिए भारत पर हमला करवाया था. उस के बाद जनरल मुशर्रफ को आदेश दिया गया था कि वह अपनी सेना को तुरंत वापस बुला लें, यह मुशर्रफ के लिए बहुत शर्मनाक बात थी और उस के 2 महीने बाद ही जनरल मुशर्रफ ने नवाज शरीर सरकार का तख्तापलट कर दिया और खुद ही सरकार चला रहे थे. उस के ठीक 3 महीने बाद ही यह आईसी-814 प्लेन हाईजैक कर लिया गया था.
अगले दृश्य में अपहृत विमान आईसी- 814 लाहौर की ओर जाता दिखाई देता है. पहले तो लाहौर में लैंड करने की अनुमति नहीं मिली, परंतु फिर काफी जद्दोजहद के बाद परमिशन मिल गई थी. जैसे ही अपहृत विमान लाहौर में लैंड होने लगता है, तभी पाकिस्तान के एक मेजर रैंक के अधिकारी द्वारा सभी लाइट्स औफ करा दी जाती हैं. तब रनवे नजर न आने के कारण वे ऐसी जगह पर लैंड करते हैं, जहां पर कम आबादी वाला क्षेत्र था, जहां पर थोड़ी देर में ही प्लेन में फ्यूल भर दिया जाता है. हाईजैकर कैप्टन शरण देव को टेक औफ का आदेश देते हैं और रात को 9 बज कर 30 मिनट पर यह फ्लाइट अब काबुल की ओर उड़ जाती है.
अगले दृश्य में हम कैप्टन शरण देव की पत्नी सिमर देव (पूजा गौर) को देखते हैं, जो अपने परिवार के साथ हैदराबाद घूमने जा रही थी तो उसे अब पता चला कि उस के पति का विमान हाईजैक हो गया है और अब वह दिल्ली आ जाती है. विमान काबुल पहुंच चुका था, परंतु कंट्रोल रूम से लैंडिंग के लिए यह कह कर इंकार कर दिया जाता है कि रात को 3 बजे से पहले यहां पर किसी भी विमान को लैंडिंग की परमिशन नहीं दी जाती है. तब हाईजैकर्स कैप्टन को कहते हैं कि तब तक तुम प्लेन को हवा में ही इस के ऊपर ही उड़ाते रहो.
कैप्टन शरण देव उन्हें बताते हैं कि इस फ्लाइट में 4 घंटे से ज्यादा उडऩे के लिए ईंधन नहीं है, इसलिए प्लेन को हवा में ज्यादा देर तक उड़ा नहीं सकते. अब हाईजैकर्स इसे दुबई ले जाने का आदेश देते हैं कि कुछ देर हम वहां पर रुक जाएंगे. यह बात अब भारत सरकार के मंत्रालय को पता चलती है. वे आपस में बातचीत करते हैं कि अब सब कुछ अमेरिका को बताना पड़ेगा और वहां की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी लेनी होगी. लेकिन यह इतना आसान भी नहीं होगा.
इस के बाद आगे दिखाया जाता है कि 13 मई, 1998 में भारत ने 3 न्यूक्लियर परीक्षण किए थे, लेकिन यह किसी की निगरानी में तक नहीं आ सके थे, जिस के कारण अमेरिका भारत से रूठा हुआ था. भारतीय अधिकारी यह जानते थे कि यदि अमेरिका से इस संबंध में बातचीत की जाए तो वे इंकार भी कर सकता है. लेकिन भारतीय विदेश मंत्री विजयभान सिंह जब बात करते हैं तो विमान को दुबई में लैंड करने की परमिशन मिल जाती है.
इस के बाद दुबई में रात को एक बज कर 20 मिनट पर यानी कि 25 दिसंबर क्रिसमस के दिन आईसी-814 प्लेन दुबई में लैंड हो जाता है. तब हाईजैकर्स में से ‘चीफ’ कोड नेम वाला (राजीव ठाकुर) कैप्टन से कहता है कि यह तो दुबई का हवाई अड्ïडा नहीं लग रहा है. क्योंकि वह पहले भी दुबई आ चुका है. तब कैप्टन शरण देव कहता है कि हम दुबई में ही हैं. इस समय आबादी वाले क्षेत्र से हम कुछ दूरी पर लैंड हुए हैं. यहां पर आतंकी कोई अपनी ओर से डिमांड तो नहीं करते, पर यहां पर वह एक ही मांग करते हैं जो हमेशा से करते आए हैं कि उन के प्लेन में रिफ्यूल कर दिया जाए. दूसरी ओर शालिनी (दीया मिर्जा) गुस्से से नंदिनी (अमृता पुरी) के पास जाती है क्योंकि उस ने यह उल्टीसीधी रिपोर्ट छाप दी थी कि कैप्टन शरण देव अमृतसर में 2 मिनट भी प्लेन नहीं रोक सके थे, नहीं तो वहीं पर औपरेशन खत्म किया जा सकता था. इस कारण शालिनी नंदिनी के ऊपर बहुत चिल्लाती है.
अगले सीन में दिखाया गया है कि दुबई में प्लेन में रिफ्यूलिंग नहीं हो पा रहा था. दुबई के कंट्रोल रूम से हाईजैकर्स को कहा जाता है कि जब तक प्लेन से औरतों और बच्चों को नहीं छोड़ा जाएगा, तब तक रिफ्यूलिंग नहीं की जाएगी. लेकिन हाईजैकर्स चेतावनी देते हैं कि जब तक प्लेन में रिफ्यूल नहीं किया जाएगा, तब तक वे किसी को भी नहीं छोड़ेंगे और इसी के साथ तीसरा एपिसोड भी समाप्त हो जाता है. लेखक और निर्देशक की कई कमियां साफसाफ नजर आ रही हैं. भारत का प्लेन काठमांडू में हाईजैक हो जाता है. अमृतसर में भी उतर जाता है और जब प्लेन लाहौर की ओर जा रहा है तब विदेश मंत्री और सुरक्षा सलाहकार देश के प्रधानमंत्री को इस की खबर देने के लिए बात कर रहे हैं.
दूसरी बात यह कि कारगिल युद्ध तो दिखाया गया है, उस में हमारे जवानों का बलिदान भी दिखाया गया है, मगर पाकिस्तानी सेना के कितने सारे जवान और आतंकी इस में मारे गए, उस का जिक्र तक नहीं किया गया है. जबकि कारगिल युद्ध में भारत को विजय मिली थी.
एपिसोड नंबर 4
चौथे एपिसोड की शुरुआत में दुबई के कंट्रोल रूम से हाईजैकर्स को कहा जाता है कि वे औरतों और बच्चों को तुरंत छोड़ दें. मगर चीफ मना कर देता है फिर कंट्रोल रूम से उन्हें इसलाम का पाठ पढ़ाया जाता है कि इनोसेंट इंसान को मारना पूरी मानवता को मारने के बराबर होता है. उस के बाद हाईजैकर्स औरतों और बच्चों को छोड़ देते हैं. 2 लोग जख्मी होते हैं, उन में से एक रूपेश की मौत हो चुकी होती है. उस की डेडबौडी को भी फेंक दिया जाता है. अगले दृश्य में संजय मेहता (यशपाल शर्मा) को जेल में आतंकी से बातचीत करते और बिरियानी खाते हुए दिखाया गया है.
अगले दिन न्यूजपेपर में यह खबर छापी जाती है कि कैप्टन ने अमृतसर में प्लेन रोकने में बड़ी भूल कर दी है. यदि वह ज्यादा देर तक रोकते तो मामला सुलझाया जा सकता था. डीआरएस और मुकुंद मोहन खबर को पढ़ कर बातें करते हैं. अगले दृश्य में दिखाया जाता है कि मुल्ला उमर जिस ने 1996 में अफगानिस्तान में हुकूमत की थी, वह सारे इसलामिक देशों को एक कर के एक बड़ी शक्ति बनाना चाहता था, लेकिन उस का सपना पूरा नहीं हो पाया. एयर होस्टेस छाया (अदिति गुप्ता) एक हाईजैकर से बातचीत करती है. उसे समझाती है. हाईजैकर कैप्टन से कहता है कि अब हमें कंधार जाना है.
इस बीच रंजन मिश्रा (कुमुद मिश्रा) को पता चल जाता है कि अपहृत विमान अब हाईजैकर्स द्वारा कंधार ले जाया जा रहा है. इधर दिल्ली एयरपोर्ट में अपहृत विमान के परिजनों की भीड़ इकट्ठा हो जाती है और वह सरकार से संवाद करते हैं कि उन के परिवार के लोग कब तक लौटेंगे. अब आईसी- 814 कंधार में लैंड हो जाता है और हाईजैकर्स पैसेंजर को कहते हैं कि तुम सभी को सारी सुविधाएं दी जाएंगी. तुम्हारे साथ भोला और शंकर हैं. आप लोग उन से अपनी समस्या के बारे में कह सकते हैं.
इस बीच विदेश मंत्री विजयभान डीआरएस से हाईजैकर्स व तालिबान के अधिकारियों से बात करने को कहते हैं. इसी बीच अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मुत्था वकील हाईजैकर्स से बातचीत करते हैं. अब चीफ (राजीव ठाकुर) को सूचना दी जाती है कि भारत के प्रधानमंत्री आप के साथ नेगोशिएट नहीं करना चाहते तो चीफ आगबबूला हो कर कहता है कि विमान में रिफ्यूल कराइए और हम अब इस विमान को दिल्ली के पार्लियामेंट के ऊपर क्रैश कर देंगे.
विनय कौल और रंजन मिश्रा अब अपनी प्लानिंग बनाते हैं. अगले दृश्य में न्यूज चैनल्स में दिखाया जाता है कि हाईजैकर्स ने 32 औरतों और बच्चों को रिहा कर दिया है. कैप्टन शरण देव की पत्नी सिमर देव (पूजा गौर) पत्रकार नंदिनी (अमृता पुरी) से बातचीत कर अपनी चिंता व्यक्त करती है. प्लेन में अब टायलेट करने के लिए यात्रियों की लंबी लाइन लग जाती है तो हेयरहोस्टेस छाया बर्गर (दिलजोन) से बिजनैस क्लास वाला टायलेट यूज करने के बारे में पूछती है तो बर्गर यह कहते हुए मना कर देता है कि वह टायलेट हमारे लिए है.
इस बीच बदबू फैलने के कारण इंद्राणी प्लेन का गेट खोल देती है तो चीफ उस के गाल पर थप्पड़ मार देता है. अब चीफ प्लेन को रिफ्यूल होने के बाद कैप्टन से दिल्ली के लिए उड़ान भरने के लिए तैयार रहने को कहता है. कैप्टन सर्विस का हवाला देता है तो चीफ उस की बात नहीं मानता. प्लेन को रिफ्यूल करने ब्राउजर आ जाता है तो कैप्टन फ्यूल को जेटीशन करने का प्लान बनाता है और जब कैप्टन जेटीशन औन कर देता है तो प्लेन से बाहर फ्यूल गिरने लगता है. यह देख कर चीफ कैप्टन को मारने की धमकी देता है.
इस बीच हाईजैकर्स से बातचीत करने यूएन का एक दल कंधार पहुंच जाता है. अफगानिस्तान का विदेश मंत्री मुत्था वकील प्रैस कौन्फ्रैंस में बताता है कि हम सभी यात्रियों को सारी सुविधाएं दे रहे हैं और हाईजैकर्स के साथ नेगोशिएशन के लिए बातचीत भी जारी है. इधर भारत में विदेश मंत्री विजयभान सिंह और विनय कौल की ओर से एक नेगोशिएशन टीम तैयार कर दी जाती है. उस के बाद हम देखते हैं कि भारत की नेगोशिएशन टीम कंधार पहुंच जाती है और इसी के साथ चौथा एपिसोड भी समाप्त हो जाता है.
इस एपिसोड में दिखाया जाता है कि जब दुबई के कंट्रोल रूम से हाईजैकर्स को इसलाम का पाठ पढ़ाया जाता है तो औरतों और बच्चों को छोड़ देते हैं. यह बात बिलकुल भी गले नहीं उतरती. क्या इसलाम में विमान अपहरण करना या किसी की जान लेना भी जायज है? अभिनय की दृष्टि से सभी कलाकारों का अभिनय साधारण स्तर का रहा है.
एपिसोड नं. 5
इस एपिसोड की शुरुआत में रंजन मिश्रा अपनी टीम के साथ कंधार एयरपोर्ट पर पहुंच जाते हैं. वी.के. अग्रवाल (आदित्य श्रीवास्तव) फोन कर के रंजन मिश्रा को बताते हैं कि आईसी-814 फ्लाइट के अंदर लाल बैग में 17 किलोग्राम आरडीएक्स रखा हुआ है. इस बीच मुकुंद मोहन कैप्टन और चीफ से बातचीत करते हैं. चीफ और मुकुंद मोहन की आपस में काफी गरमागरमी भी हो जाती है. इस बीच हाईजैकर बर्गर (दिलजौन) प्लेन से एक टेडीबियर को फेंकता है, जिस में उन की मांगें होती हैं.
मुकुंद मोहन टेडीबियर से कागज को निकाल कर उन की मांगें पढ़ता है, जिस में 35 आतंकियों की रिहाई, 200 मिलियन डालर और आतंकी सज्जात अफगानी की लाश की बातें लिखी होती हैं. अगले दृश्य में कैप्टन शरण देव मुकुल गंदे हो गए टायलेट को साफ करता दिखाई देता है. इस बीच मुकुंद मोहन और चीफ कई बार बात करते हैं, मगर उन में सहमति नहीं बन पाती है.
नंदिनी काठमांडू से शालिनी को फोन करती है कि जो यात्रियों की लिस्ट हमें दी गई है, उस में कैलाश चौहान का नाम नहीं है जोकि काठमांडू के इंडियन हाई कमिश्नर में अधिकारी है. नंदिनी यह खबर छापने से मना करती है क्योंकि इस से कैलाश चौहान और अन्य यात्रियों पर अधिक खतरा हो सकता है. इस के बाद संजय मेहता (यशपाल शर्मा) और आतंकी मसूद की बातचीत जेल में होती है. आतंकी मसूद संजय से कहता है कि मैं एक मुसलमान हूं और मेरी कौम के लोग मुझे जेल से आजाद कराना चाहते हैं. एक बार फिर चीफ और मुकुंद मोहन के बीच बातचीत होती है, मगर बात नहीं बन पाती. विनय कौल वी.के. अग्रवाल से कहते हैं कि पीएम ने आतंकी अजहर महमूद को छोडऩे के लिए कह दिया है.
प्रैस कौन्फ्रेंस में विदेश मंत्री विजयभान सिंह बताते हैं कि पीएम ने आतंकी मसूद को यात्रियों की रिहाई के बदले छोडऩे का फैसला कर लिया है. इस पर एक फौजी अधिकारी बताता है कि मेरे बेटे ने अपनी शहादत दे कर इस आतंकी को पकड़वाया था, आप उसे बिना सजा दिलाए कैसे छोड़ सकते हैं. यात्रियों के परिजन भी वहां पर खड़े हो कर अपना आक्रोश व्यक्त करते हैं.
अब एक बार फिर मुकुंद मोहन चीफ से कहते हैं कि तुम 200 मिलियन डालर और सज्जात अफगानी की लाश का क्या करोगे. एक आतंकी का नाम बताओ, जिसे तुम छुड़वाना चाहते हो. मुकुंद चीफ से कहते हैं कि हम मसूद के साथ केवल 4 और लोगों को छोड़ सकते हैं. अब मुकुंद मोहन अभिजीत कुमार (दिव्येंदु भट्टाचार्य) से कहते हैं कि तुम तालिबान से बात कर के कुछ देर के लिए उन्हें उन का मुंह फेरने के लिए कहो. इस बीच हमारे कमांडो आएंगे और इन हाईजैकर्स का खात्मा कर देंगे. इस में यदि हमारे 2-4 लोग शहीद भी हो जाएंगे तो कोई बात नहीं, मगर तालिबान का विदेश मंत्री डीआरएस से कहता है कि हम अपनी जमीन पर ये सब नहीं होने देंगे.
इस बीच तालिबानी विदेश मंत्री मुत्था वकील का एक आदमी मुकुंद मोहन (मनोज पाहवा) के पास आ कर धमकी देता है कि अब हम तुम्हें बताएंगे कि गोलियां कैसे चलाई जाती हैं. हम अब तुम्हें बताएंगे कि अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम क्या करेंगे. यह सब सुन कर मुत्था वकील भी काफी घबरा जाता है. तभी तालिबान के कमांडो आईसी-814 को चारों तरफ घेर लेते हैं. इस बीच डीआरएस रंजन मिश्रा को बताता है कि अमेरिका के साथ ओसामा बिन लादेन भी आतंकियों में शामिल हो सकता है. उस की अब एक मीटिंग तरनकिला में होने जा रही है और वहां पर ही ओसामा भी छिपा हुआ है. इस के बाद एक बड़ी तोप को ला कर आईसी-814 के सामने रख दिया जाता है और इसी के साथ पांचवां एपिसोड समाप्त हो जाता है.
इस एपिसोड में भारतीय अधिकारियों और देश के प्रधानमंत्री की विवशता को दिखाया गया है कि न चाहते हुए भी उन्हें तालिबान के सामने आत्मसमर्पण करने को मजबूर होना पड़ा था. यह विवशता इसलिए थी कि उस समय देश में मिलीजुली सरकार थी, यदि आज के परिप्रेक्ष्य में यह घटना घटित हुई होती तो दुनिया का कोई भी देश आतंकियों का साथ देने की हिम्मत बिलकुल भी नहीं करता.
एपिसोड नं. 6
एपिसोड की शुरुआत में भारत के अधिकारी, मंत्री काफी गुस्से में दिखाए गए हैं क्योंकि प्लेन को हाईजैक हुए 6 दिन हो चुके हैं, लेकिन पैसेंजर को छुड़ाया नहीं जा सका. अगले दृश्य में राम दिल्ली आ कर वी.के. अग्रवाल को कुछ दस्तावेज देते हैं. दोनों बातचीत करते हैं कि हाईजैकर्स तो प्लेन में रखे आरडीएक्स के बारे में तो कुछ बात ही नहीं कर रहे हैं. इधर कंधार में भारतीय अधिकारी आपस में बात कर रहे हैं. मुकुंद डीआरएस से कहते हैं कि हमें केवल 30 मिनट ही चाहिए, हम सारे हाईजैकर्स को ठोक देते हैं. लेकिन इस बात पर अन्य अधिकारी सहमत नहीं होते.
अब प्लेन को हाईजैक हुए 7 दिन हो जाते हैं, यहां पैसेंजर अंताक्षरी खेलते और हाईजैकर्स से बात करते दिखाई देते हैं. हाईजैकर्स कैप्टन के साथ भी दोस्ताना व्यवहार में बातें करते दिखाए गए हैं. इस बीच मुकुंद चीफ से बात करना चाहता है परंतु केबिन में उस समय कोई मौजूद न होने के कारण उन की बात नहीं हो पाती. अब भारतीय अधिकारियों की टीम और मुत्था वकील आईसी-814 के सामने इकट्ठा हो जाते हैं और मुत्था वकील चीफ से कहता है कि आप की 200 मिलियन डालर और सज्जाद की लाश मांगने वाली मांगें उचित नहीं है. आप अब भारतीय अधिकारियों से बातचीत कर कोई हल निकालो. यहां कंधार में हम कोई खूनखराबा नहीं चाहते. यदि आप दोनों पक्षों की बातचीत से कोई हल नहीं निकलता तो हम कल प्लेन में रिफ्यूल करवा देंगे, आप जहां चाहे वहां जा सकते हैं.
यह कह कर मुत्था वकील वहां से चला जाता है. अब मुकुंद मोहन और चीफ की काफी देर तक बातचीत होती है और अंत में मसूद अख्तर, उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा कराने के एवज में हाईजैकर्स बात को फाइनल कर देते हैं. उधर विनय कौल मेल देखता है और विदेश मंत्री विजयभान के पास जा कर बोलता है कि उमर शहीद शेख और मुश्ताक जरगर तो कश्मीर की जेल में बंद हैं. वहां के सीएम उन्हें नहीं छोड़ेंगे. विजयभान कहता है कि हमारे एक उस्तादजी हुआ करते थे और वे हमेशा हमें यह बोलते थे कि जान लेने से पहले हजार बार सोचना, लेकिन जान बचाने से पहले एक बार भी मत सोचना.
इस के बाद विनय कौल प्रेस को बताते हैं कि हमारी नेगोशिएशन की बात हो चुकी है. हाईजैकर्स को 3 आतंकवादी चाहिए. इस के बाद वे हमारे सभी पैसेंजर को रिहा कर देंगे. इधर विजयभान कश्मीर के मुख्यमंत्री से बात करते हैं परंतु सीएम मुश्ताक अहमद जरगर को छोडऩे से साफ इंकार कर देते हैं. उस के बाद वी.के. अग्रवाल कश्मीर के सीएम से बात कर के उन्हें मना लेते हैं. उस के बाद विजयभान भी कंधार के लिए रवाना हो जाते हैं. प्लेन को हाईजैक हुए 8 दिन हो जाते हैं, विजयभान के कंधार पहुंचने के बाद हाईजैकर्स अपने 3 रिहा हुए आतंकियों के साथ वहां से एक बस में निकल जाते हैं.
मुत्था वकील डीआरएस के पास आ कर कहता है कि जनाब मुझे उम्मीद है कि आप अगली बार हमारे मेहमान बन कर जरूर आइएगा. हमें आप की खातिरदारी का मौका मिल सकेगा. डीआरएस मुत्था वकील को 17 किलो आरडीएक्स के बारे में आगाह करता है और कहता है यह आप के और हमारे देश लिए खतरे की बात है.
आईसी-814 के सभी पैसेंजर सुरक्षित निकाल लिए जाते हैं और उन्हें एक विमान से दिल्ली ले आया जाता है. वह बैग, जिस के अंदर 17 किलो आरडीएक्स था, तालिबान के कहने पर हाईजैकर्स ने आईसी-814 से बाहर निकाल लिया था. उस रात टेक औफ के बाद आईएसआई काठमांडू के एक हैड के घर से 17 किलो आरडीएक्स बरामदगी दिखाई जाती है और इस कृत्य पर हैड को वापस पाकिस्तान भेज दिया जाता है. रामचंद्र यादव ने इस घटना के संबंध में अपना इनवाल्वमेंट नहीं बताया. उन्होंने बताया कि मुझे इस के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है. लेकिन असल में यह सब कुछ रामचंद्र यादव का ही किया हुआ होता है.
उसी रात वे पांचों हाईजैकर्स भारतीय जेल से रिहा किए गए तीनों आंतकी अब ओसामा बिन लादेन के साथ उस के घर पर पार्टी करते हुए दिखाई देते हैं. आईएसआई का इस घटना से इतना कम संबंध था कि उन्हें इस जश्न में शामिल नहीं किया गया था. हाईजैक तो यहां पर खत्म हो गया, लेकिन जिन 3 जेहादी प्रवृत्ति वाले आतंकवादियों को उस दिन छोड़ा गया था, उन तीनों की वजह से आज तक पता नहीं कितने बेगुनाहों की जान गई है और फिर इसी के साथ छठा और अंतिम एपिसोड भी समाप्त हो जाता है.
इस एपिसोड में यह भी दिखाया गया है कि विदेश मंत्री विजयभान कैप्टन शरण देव को सलामी देते हैं. इस संबंध में आईसी-814 के असली कैप्टन देवी शरण ने बताया है कि असल में विदेश मंत्री ने उन्हें सैल्यूट नहीं किया था, उन्होंने केवल इशारे से हमारे प्रयासों की सराहना की थी. कैप्टन देवी शरण ने आगे बताया कि इस के अलावा मैं ने खुद पाइपलाइन को ठीक नहीं किया था. वहीं पर मौजूद तालिबान अधिकारियों ने एक कर्मचारी को भेजा था. मैं उस कर्मचारी को अपने साथ विमान में ले कर आया था, क्योंकि उसे पता नहीं था कि लाइनें कहा हैं. लेकिन सीरीज में दिखाया गया कि मैं ने वो पाइपलाइन ठीक की थी, जो तर्कसंगत नहीं लगता.
यदि पूरी सीरीज के बारे में विश्लेषण किया जाए तो इस वेब सीरीज में इतने सारे लेखकों और निर्देशकों के मौजूद होते हुए भी काफी खामियां हैं, जबकि यह सत्य घटना पर आधारित है. असल में आईसी-814 के हाइजैक की घटना हमारे लिए एक बेहद संवेदनशील मसला है. इस में एक व्यक्ति की जान भी गई थी. इस विमान के पांचों हाइजैकर्स इब्राहिम अतहर (चीफ), सनी अहमद काजी (दिलजौन), शाहिद अख्तर सैयद (डाक्टर), जहूर इब्राहिम मिस्त्री (भोला) और शाकिर (शंकर) पांचों के पांचों पाकिस्तानी थे, जिन में से 2 नाम भोला और शंकर हिंदू नाम दिए गए, जोकि लेखक, निर्माता और निर्देशक की फूहड़ता का प्रदर्शन करता दिखाई देता है, इसीलिए यह वेब सीरीज काफी विवादों में भी रही है.
इस वेब सीरीज पर विवाद की मुख्य वजह यह है कि निर्देशक अनुभव सिन्हा और उन की टीम द्वारा सही तरीके से उस घटनाक्रम के बारे में शोध नहीं किया गया तथा अनेक तथ्यों को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया. ऐसा लगता है कि घटनाओं को ठीक से न दिखा कर केवल मनोरंजन परोसने के लिए उन के साथ छेड़छाड़ की गई. किसी फिल्मकार द्वारा रचनात्मक स्वतंत्रता होना अपनी जगह ठीक है, परंतु यह ध्यान जरूर रखना चाहिए था कि तथ्यों को भ्रामक तरीके से पेश न किया जाए.
समूची सीरीज पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को क्लीन चिट देती प्रतीत होती है, जबकि हाइजैक की साजिश रचने से ले कर घटना को अंजाम देने और आतंकियों को पनाह देने में सीधे तौर पर आईएसआई की मुख्य भूमिका रही थी. सभी आतंकी पाकिस्तानी थे और उन्हें बाद में पाकिस्तान में ही शरण मिली. क्या बिना पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के सहयोग के यह संभव था? सीरीज में इस पहलू को एक तरह से नजरअंदाज करना अनुचित है.
निर्देशक और उन की टीम ने भारतीय एजेंसियां रा, आईबी आदि को भी ठीक से नहीं दिखाया है. ऐसा बताने का प्रयास किया गया है कि इन की नाकामियों के चलते विमान का अपहरण हुआ. यह समझा जाना चाहिए कि ऐसी वारदातों के मामले में खुफिया तंत्र, कभीकभी विफल हो जाता है, फिर भी यह रेखांकित किया जाना चाहिए कि विमान के अपहरण के 24 घंटे के भीतर भारतीय खुफिया एजेंसियों ने हाइजैकर्स और उन की मंशा का पता लगा लिया था. इस सीरीज में तो हाइजैक का सारा ठीकरा एक तरह से अलकायदा, ओसामा बिन लादेन और तालिबान आदि के माथे पर फोडऩे का कोशिश की गई है.
हमारी राय में फिल्म प्रमाणन बोर्ड को भी अब और अधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है. विशेषकर ऐसे विषयों पर, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित हों.
बोर्ड के सामने सत्य घटनाओं पर आधारित कोई फिल्म या सीरीज आए तो उस में दिखाए गए तथ्यों की जांच करने के लिए एक अच्छी रिसर्च टीम होनी चाहिए. ऐसी व्यवस्था से तथ्यों को ले कर मनमानी छूट लेने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जा सकती है.