पूर्वमंत्री और एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की पुलिस सुरक्षा में हत्या करने के बाद लारेंस बिश्नोई गैंग ने जता दिया है कि अपने शिकार को वह हर हाल में निशाना बनाने में सक्षम है. अब सवाल यही उठ रहा है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या क्यों की गई? क्या इस की वजह फिल्म अभिनेता सलमान खान से करीबी संबंध रहे या दाऊद इब्राहिम से नजदीकियां या फिर कुछ और?

मोहम्मद जीशान अख्तर 7 जून को पटियाला जेल से छूट गया था. वह एक शूटर था और गुजरात जेल में बंद माफिया लारेंस बिश्नोई के गिरोह का वफादार सदस्य था. आधी रात को सोते वक्त अचानक उस की नींद बगल में रखे मोबाइल के कंपन से खुल गई. स्क्रीन की रोशनी में पीले रंग के लोगो को देख कर वह चौंक गया. उसे समझते देर नहीं लगी. उस ने तुरंत लोगो को टच किया और उस के साथ भेजे गए मैसेज को एक सांस में पढ़ डाला. 

दरअसल, वह लोगो स्नैपचैट के मैसेज का था. उसे अख्तर ने ध्यान से 3-4 बार पढ़ा. उस के साथ कुछ तसवीरें और वीडियो भी थीं, जो लारेंस की तरफ से भेजे गए थे. भेजने वाला उस का भाई भानु था. भानु का दूसरा नाम अनमोल बिश्नोई है. उसे अनमोल द्वारा एक जरूरी काम सौंपा गया था. हिदायत दी गई थी कि उस काम को काफी सतर्कता के साथ करना है. और उस में कुछ और लोगों को शामिल करने की जरूरत है. मैसेज के मुताबिक अख्तर को पूरी तरह योजना बना कर सतर्कता से काम निपटाना था. बदले में मोटी रकम का आश्वासन मिला था. 

यह अख्तर को मिला एक तरह से नया काम था. साथ में पैसों का लालच भी. किंतु खतरा भी कम नहीं था. इस में उसे आजीवन जेल होने की संभावना थी. हो सकता है फांसी भी. यह सोच कर वह सिहर गया, फिर लंबी सांस खींचता हुआ मैसेज का हां हुजूरमें जवाब दे दिया. अगले मैसेज का इंतजार नहीं करना पड़ा. उसे तुरंत काम की योजना समझा दी गई और सूर्योदय होते ही काम की शुरुआत का आदेश मिल गया.  अख्तर को मिला यह मैसेज कोई साधारण तरीके से नहीं भेजा गया था, बल्कि यह खास तरह से मल्टीमीडिया मैसेजिंग ऐप स्नैपचैटके जरिए आया था. इसी की मदद से जेल में बैठे लारेंस ने मैसेज भेजा था.

इस आदेश का तत्परता से पालन करने के लिए अख्तर ने उसी वक्त दिमाग में एक खाका तैयार कर लिया. बुदबुदाते हुए खुद से बातें करते हुए उस ने कुछ वैसे साथियों के नाम की सूची दिमाग में तैयार कर ली. उन से संपर्क बनाने से ले कर सौंपे गए आवश्यक काम को निपटाने के तरीके पर विचार करतेकरते उसे कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला. महज 21 साल के मोहम्मद जीशान अख्तर को जालंधर पुलिस ने 2022 में मर्डर और डकैती के आरोप में गिरफ्तार किया था. वहीं उस की मुलाकात लारेंस बिश्नोई के कुछ गुर्गों से हुई थी. इसी गैंग द्वारा सौंपा गया यह एक बड़ा काम था. 

बड़ी वारदात अंजाम देना था. इस अभियान की कमान लारेंस बिश्नोई के भाई अनमोल बिश्नोई के हाथों में थी. वह भारत के कस्बाई इलाके के रहने वाले जीशान अख्तर जैसे अन्य शूटरों के संपर्क में था तो उस के तार अमेरिका और कनाडा के कुछ बदमाशों तक से जुड़े हुए थे.

शूटर इतनी आसानी से कैसे पहुंचे सिद्दीकी के पास

योजना के मुताबिक, अख्तर अपनी टीम बनाने में जुट गया था. उस ने हर तरह के गुर्गों को शामिल करने के लिए उन से संपर्क साधना शुरू कर दिया था. पहले उस ने गुरमेल सिंह से हरियाणा के कैथल में मुलाकात की. फिर धर्मराज कश्यप और शिवकुमार से मिला और उन्हें अपनी प्लानिंग में शामिल किया. दोनों उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे और पुणे में कबाड़ी का काम करते थे. इसी के साथ उस ने पुणे में ही एक डेयरी की दुकान पर काम करने वाले प्रवीण लोनकर से मुलाकात की थी. प्रवीण ने इस साजिश में अपने भाई शुभम लोनकर को भी शामिल कर लिया.

जीशान अख्तर की देखरेख में साजिश को अंजाम दिया जाना था, जिस के निशाने पर महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और बौलीवुड में सब के चहेते बाबा सिद्दीकी थे. वह सलमान खान के भी बेहद खास थे. लारेंस बिश्नोई चाहता था कि चाहे जैसे भी हो, बाबा सिद्दीकी को शूटर द्वारा निपटा दिया जाए. इस के लिए उस ने अपने भाई अनमोल को लगा रखा था और अनमोल ने अख्तर को सारी जिम्मेदारियां सौंप दी थीं. उसे वारदात से पहले सिद्दीकी के घर और उन के बेटे के औफिस आदि की रेकी करने को कहा था. उन के कहने के मुताबिक अख्तर ने तैयार किए गए हमलावरों को मुंबई में ठहरा दिया था. वे पूरे 40 दिनों तक बाबा सिद्दीकी और उन के बेटे के हर आवागमन, गतिविधियों पर नजर रखे हुए थे. इस बीच वे अख्तर से और अख्तर अनमोल से स्नैपचैट से संपर्क साधे हुए था.

हमलावरों में प्रवीण लोनकर ने अपने भाई शुभम से मिल कर शूट करने की योजना तैयार की थी. इस के लिए उन्होंने यूट्यूब देख कर फायरिंग करने की बाकायदा ट्रेनिंग ली थी और यूपी के एक शादी समारोह में जा कर सलामी फायरिंग कर अभ्यास भी किया था. दशहरे की जबरदस्त धूमधाम और 12 अक्तूबर की खास रात थी. बाबा सिद्दीकी अपने बेटे के दफ्तर के बाहर पटाखे फोड़ रहे थे. अपने कुछ साथियों के साथ दशहरे की खुशियां बांट रहे थे. तभी ठीक सवा 9 बजे वहां फायरिंग होने लगी. सभी ने समझा किसी ने बेहद तेज पटाखे फोड़े हैं. पटाखों के शोर के बीच बाबा सिद्दीकी पर हमला किया गया. 

हमला करने वाले मुंह पर रुमाल बांधे अचानक गाड़ी से उतरे थे और ताबड़तोड़ 6 राउंड फायरिंग कर दी थी. जिस में से 3 गोलियां बाबा सिद्दीकी को लगीं. उन्होंने 9.9 एमएम की पिस्तौल से फायरिंग की थी, जिस में से एक गोली सिद्दीकी के सीने में लगी और वह मौके पर ही गिर पड़े. एक और गोली बाबा सिद्दीकी की गाड़ी की विंडशील्ड पर लगी, जिस से पुलिस ने पुष्टि की कि हमलावरों ने कई गोलियां चलाई थीं. औनलाइन सामने आए एक अन्य वीडियो के अनुसार, पुलिस ने घटनास्थल से 3 गोलियों के खोल भी बरामद किए.

उन्हें तुरंत लीलावती अस्पताल में भरती कराया गया. 66 वर्षीय राजनेता को पेट और सीने में गोली लगी थी. उन्हें बचाया नहीं जा सका. लीलावती अस्पताल के एक वरिष्ठ डाक्टर ने कहा कि सिद्दीकी का बहुत खून बह गया था और उन्हें होश में लाने के सभी प्रयास विफल रहे. रात लगभग साढ़े 11 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. बाद में उन के शव को पोस्टमार्टम के लिए कूपर अस्पताल ले जाया गया. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या किए जाने की खबर जंगल में लगी आग की तरह तुरंत फैल गई. डिजिटल मीडिया से ले कर सेटेलाइट चैनलों में दशहरे की खबर के साथ बाबा सिद्दीकी को गोली मारे जाने की खबर भी हेडलाइन और ब्रेकिंग न्यूज बन चुकी थी.

जिस ने भी बाबा सिद्दीकी की हत्या की खबर सुनी, वह सन्न रह गया. इस हत्या के साथ ही मुंबई में सनसनी फैल गई. चुनाव के माहौल में इस तरह की हत्या के कई मायने निकाले जाने लगे. पहले से ही एनसीपी के 2 खेमों में बंटने को ले कर अलग किस्म के तनाव का माहौल बना हुआ था.
पुलिस ऐसे पहुंची शूटरों तक

डीसीपी (क्राइम ब्रांच) दत्ता नलवाडे के अनुसार बाबा सिद्दीकी को 3 कांस्टेबलों की सुरक्षा मिली हुई थी, जो 3 शिफ्टों में काम करते थे. घटना के समय यानी 12 अक्तूबर की रात को सिर्फ एक पुलिसकर्मी सिद्दीकी के साथ था. वह भी पटाखा फोड़ रहे सिद्दीकी से कुछ दूरी पर खड़ा माहौल का आनंद उठा रहा था. फायरिंग के समय मौजूद कांस्टेबल द्वारा कुछ करने से पहले ही सिद्दीकी को गोली मार दी गई. इस घटना के बाद, असिस्टेंट पुलिस इंसपेक्टर राजेंद्र धाबड़े और एक कांस्टेबल ने दोनों शूटरों को पकड़ लिया. इस बीच, पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103 (1), 109, 125 और 3 (5) के साथसाथ शस्त्र अधिनियम की धारा 3, 25, 5 और 27 व महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 37 और धारा 137 के तहत मामला दर्ज कर लिया.

अगले दिन 13 अक्तूबर, 2024 को पूरे राजकीय सम्मान के साथ सिद्ïदीकी को मुंबई लाइन के बड़ा कब्रिस्तान में सुपुर्दएखाक कर दिया गया, जिस में राजनेताओं, कारोबारियों समेत बौलीवुड के सितारे भी शामिल हुए. इस मामले की जांच करते हुए पुलिस ने 15 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. 2 हमलावरों को वारदात के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया था, जिन की पहचान हरियाणा के कैथल निवासी गुरमेल बलजीत सिंह (23 वर्ष) और उत्तर प्रदेश के बहराइच निवासी धर्मराज राजेश कश्यप के रूप में हुई.

मुंबई क्राइम ब्रांच ने इन दोनों को 13 अक्तूबर की शाम को ही फोर्ट मजिस्ट्रैट कोर्ट में पेश कर दिया, जहां धर्मराज कश्यप ने कोर्ट में खुद के नाबालिग होने का दावा किया. मजिस्ट्रैट कोर्ट ने गुरमेल को 7 दिन के लिए यानी 21 अक्तूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया, जबकि धर्मराज के वास्तविक उम्र का पता लगाने के लिए पुलिस ने उस के बोन औसिफिकेशन टेस्ट की मंजूरी मांगी. तब धर्मराज कश्यप ने कोर्ट के समक्ष भले ही यह दावा किया था कि वह नाबालिग है. किंतु कोर्ट ने उस की सही उम्र का पता लगाने के लिए बोन औसिफिकेशन टेस्ट की रिपोर्ट के आधार पर धर्मराज को बालिग माना. कारण, इस टेस्ट में पुष्टि की गई थी कि आरोपी धर्मराज नाबालिग नहीं, बल्कि बालिग है. 

उल्लेखनीय है कि बोन औसिफिकेशन टेस्ट में शरीर की कुछ खास हड्डियों का एक्सरे किया जाता है और उन की बनावट, ताकत और घनत्व से किसी शख्स की उम्र का पता लगाया जाता है. धर्मराज कश्यप उत्तर प्रदेश के कैसरगंज के गंडारा गांव का रहने वाला है. बहराइच की एसपी वृंदा शुक्ला के अनुसार उस का फिलहाल कोई आपराधिक रिकौर्ड नहीं मिला. वह सामान्य परिवार का है और मजदूरी करने मुंबई आया था. मुंबई के बांद्रा (पूर्व) क्षेत्र में हुई बाबा सिद्दीकी की हत्या का मामला पंजाब से मुंबई तक जुड़ गया था, लेकिन इस के तार राजस्थान के लारेंस बिश्नोई से भी तब जुड़ गए, जब उस के गैंग के फेसबुक पेज पर उस के द्वारा हत्या की जिम्मेदारी लेने से संबंधित पोस्ट वायरल हो गया. 

इस हत्याकांड की जिम्मेदारी लारेंस बिश्नोई गैंग द्वारा ली गई, लेकिन इस दावे से अलग हो कर मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 15 टीमें बना कर कई कोणों से मामले की जांच शुरू कर दी. वारदात के तुरंत बाद स्थानीय लोगों एवं पुलिस द्वारा दबोचे गए आरोपियों को जेल भेज दिया गया, जबकि मेन शूटर फरार था. क्षेत्र के सीसीटीवी ट्रैकिंग में पुलिस को शिवानंद मुंबई के पड़ोसी जिले रायगढ़ के पनवेल स्टेशन पर हमलावर दिखाई दिया था. पुलिस ने संदेह के आधार पर उसे दबोच लिया. वह लंबी दूरी की ट्रेन पकड़ कर दूसरे राज्य में भागने का प्रयास कर रहा था.  

इस बीच कोर्ट में पेश रिमांड पेपर में पुलिस ने इस हत्याकांड में जिन 4 आरोपियों के शामिल होने की बात कही थी, उन में चौथे आरोपी मोहम्मद जीशान अख्तर का नाम सामने आया. उस के इसी वर्ष 7 जून को पटियाला जेल से बाहर आने की खबर मिली थी. उस के बारे में छानबीन के बाद पता चला कि वह पटियाला जेल में माफिया सरगना लारेंस बिश्नोई के बदमाशों के संपर्क में आया था. जल्द ही पुलिस ने फेसबुक पर बाबा सिद्दीकी की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले शुभम लोनकर के भाई प्रवीण लोनकर को भी पुणे से गिरफ्तार कर लिया. दोनों भाइयों ने मिल कर धर्मराज कश्यप और शिवकुमार गौतम को साजिश में शामिल किया था. 

उस के बाद पुलिस के लिए फेसबुक पोस्ट भी अहम सुराग बन गया. डीसीपी ने इस कोण से भी जांच करने के आदेश दे दिए. जांच में पाया गया कि फेसबुक पोस्ट करने वाला शुभम लोनकर महाराष्ट्र के अकोला जिले का रहने वाला है.

सभी आरोपी अनमोल के संपर्क में रहने के लिए कई स्नैपचैट अकाउंट का इस्तेमाल कर रहे थे, जबकि हत्या के पीछे का मकसद अज्ञात बना हुआ था. हालांकि एक अन्य फेसबुक पोस्ट के माध्यम से गिरोह के एक सदस्य ने दावा किया कि उन्होंने सिद्दीकी को अभिनेता सलमान खान के साथ उन के करीबी संबंधों और दाऊद इब्राहिम जैसे अंदरवर्ड  के लोगों से कथित संबंधों के कारण निशाना बनाया.

कनाडा से रची गई हत्या की साजिश

पुलिस ने अनमोल के बारे में मालूम किया तो पता चला कि वह कनाडा और अमेरिका से आरोपियों के संपर्क में था. इन बातों का खुलासा आरोपियों के पास से बरामद 4 मोबाइल फोन से हुआ. एक में से पुलिस को जीशान अख्तर को भेजे मैसेज में बाबा सिद्दीकी की तसवीर मिल गई थी. उस के बाद पुलिस स्नैपचैट का दूसरा मैसेज हासिल करने के प्रयास में जुट गई थी. मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा की गई काररवाई के अनुसार आरोपी स्नैपचैट के जरिए एकदूसरे के संपर्क में थे और निर्देश संदेश मिलने के बाद वे तुरंत डिलीट हो जाते थे. इसी तरह, जब गिरफ्तार किए गए आरोपियों के स्नैपचैट की बारीकी से जांच की गई, तब पता चला कि शूटर और प्रवीण लोनकर सीधे अनमोल बिश्नोई के संपर्क में थे. लोनकर ने कथित तौर पर सिद्दीकी पर गोली चलाने वाले 3 हमलावरों को खानेपीने की सामग्री पहुंचाने में मदद की थी. 

पुलिस को आरोपी के फोन पर बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी की तसवीर भी मिली थी, जिसे अनमोल बिश्नोई ने स्नैपचैट के जरिए शेयर किया था. जीशान सिद्दीकी कांग्रेस के विधायक हैं और बांद्रा ईस्ट विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. वह मुंबई यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं. उस के बाद हुई सभी गिरफ्तारियों में शामिल 2 शूटर और एक हथियार आपूर्तिकर्ता भी है. बाबा सिद्दीकी को गोली मारने से पहले उन के बेटे जीशान के दफ्तर की रेकी की गई थी. तीनों शूटरों ने मुंबई के कुर्ला इलाके में किराए के मकान में रहते हुए यूट्यूब पर ट्यूटोरियल वीडियो देख कर बंदूक का इस्तेमाल करना सीखा था. हमले को अंजाम देने से पहले उन्होंने कम से कम 5 बार इस का अभ्यास भी किया था.

बाबा सिद्दीकी की हत्या के मामले में पुलिस ने दिनरात एक कर कई खुलासे किए. इन में एक बड़ा खुलासा वारदात में इस्तेमाल हथियार को ले कर भी हुआ. बाबा सिद्दीकी की हत्या के मामले में 3 पिस्टलों का इस्तेमाल किया गया. इन में से एक आस्ट्रिया मेड ग्लौक पिस्टल, एक तुर्की मेड 7.62 एमएम आटोमैटिक पिस्टल और एक देसी पिस्टल थी. शूटर शिवकुमार ने तुर्की मेड 7.62 एमएम आटोमैटिक पिस्टल का इस्तेमाल किया था. मुंबई पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि लारेंस बिश्नोई गैंग ने पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के लिए भी तुर्की मेड पिस्टल का इस्तेमाल किया था. साथ ही सलमान खान के फार्महाउस पर भी इसी तुर्की निर्मित पिस्तौल के इस्तेमाल करने की योजना थी.

मुंबई पुलिस ने जांच में पाया कि आरोपियों ने बाबा सिद्दीकी को गोली मारने से पहले घटनास्थल पर 40 मिनट तक इंतजार किया था. बाबा सिद्दीकी को गोली मारने के बाद आरोपी वहां से अलगअलग जगहों पर भाग निकले थे. आरोपी अपने साथ एक्स्ट्रा शर्ट भी लाए थे, जो उन्होंने भागते हुए बदल ली थी. मुंबई पुलिस को वारदात की जगह से 250 मीटर दूर एक बोरा मिला, जिस में शर्ट, शिवकुमार का आधार कार्ड और टर्की मेड आटोमैटिक पिस्टल बरामद की. इस विदेशी पिस्टल के भारत में पहुंचने का मार्ग पाकिस्तान है. जिगाना सीरीज की सभी पिस्टल तुर्की में बनती हैं और भारत में ये पिस्टल बैन हैं. फिर भी तसकरी कर के ये पिस्टल पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए भारत लाई जाती हैं. ये वही हथियार है, जिस से माफिया अतीक अहमद और पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या की गई थी. 

हाल ही में यह भी खुलासा हुआ कि गिरफ्तार आरोपी प्रवीण लोनकर ने हरीश निषाद को 60 हजार रुपए ट्रांसफर किए थे, जिस ने शूटरों को रेकी और शूटआउट करने के लिए बाइक खरीदने के लिए 32 हजार रुपए दिए थे. 32 हजार की सेकेंडहैंड बाइक का इस्तेमाल कर इलाके की रेकी की गई थी. वहीं बात करें हरीश निषाद की तो उस ने शिवकुमार और धर्मराज को शूटिंग के लिए चुना और गुरमेल को जीशान अख्तर ने चुना. इस हत्याकांड की सुपारी के तहत न केवल शिवकुमार और धर्मराज को पैसे देने का वादा किया गया था, बल्कि गुरमेल को फरजी दस्तावेजों के आधार पर विदेश भेजने का वादा भी किया गया था. इस के पीछे गैंगस्टर की मंशा उस के पुराने राज को दबाए रखने की थी. दरअसल, गुरमेल पर भारत में हत्या के कई मामले दर्ज थे.

महाराष्ट्र और खासकर मुंबई का एक चिरपरिचित नाम बाबा सिद्दीकी 66 साल के थे, लेकिन अपने पहनावे, सूट, कदकाठी, चेहरे की चमकदमक से 50-55 के ही दिखते थे. उन की जितनी गहरी पैठ महाराष्ट्र की राजनीति में थी, उतना ही दबदबा बौलीवुड में भी रखते थे. कुछ तो खास बात थी उन के रुतबे में, जो उन के एक बुलावे पर बौलीवुड दौड़ा चला आता था. उन्होंने मुंबई में अपनी ऐसी पैठ बनाई थी कि राजनीतिक ओहदे पर कुछ नहीं होने के बावजूद उन के किसी भव्य कार्यक्रम में सेलेब्रिटीज का जाना लगभग तय था. सिनेमा सितारों की पार्टियां उन के बगैर फीकी रहती थीं या फिर उन के द्वारा आयोजित की गई इफ्तार पार्टी में आने के लिए नामीगिरामी लोग लालायित रहते थे.

लोगों के बीच बाबा सिद्दीकी का नाम दाऊद इब्राहिम से भी जुड़े होने की भी चर्चा आम थी. उन की हत्या के बाद तो मानो बौलीवुड में मातम सा छा गया. वह काफी समय से राजनीति में थे. करीब 45 साल कांग्रेस में रहते हुए 3 बार विधायक रहे और मौजूदा समय में एनसीपी में थे. राजनीतिक रसूख से अलग वह इफ्तार पार्टी के लिए भी जाने जाते थे. हर साल इफ्तार पार्टी देते थे, जिस में तमाम फिल्मी और टीवी हस्तियों का जमावड़ा लगता था. उन की पहचान लोकप्रिय सिनेमा सितारों और निर्मातानिर्देशकों के बीच एक मध्यस्थता करवाने वाले के तौर पर भी थी. सालों की दुश्मनी उन की इफ्तार पार्टी में खत्म हो जाती थी. सलमान-शाहरुख की किसी जमाने की अनबन जगजाहिर है. फिर 2014 में दोनों सिद्दीकी की इफ्तार पार्टी में आए और उन के बीच सुलह हो गई थी.

मामूली से खास कैसे बने बाबा सिद्दीकी

बाबा सिद्दीकी का जन्मस्थान बिहार की राजधानी पटना बताया जाता है, लेकिन पिता बांद्रा में घडिय़ां मरम्मत करने का काम करते थे. सिद्दीकी भी उन्हीं के साथ काम में हाथ बंटाते थे. पढ़ाई के दौरान राजनीति में रुचि जागी. मेहनत की और 1977 में एनएसयूआई मुंबई के मेंबर बन गए. 1980 में बांद्रा युवा कांग्रेस के महासचिव बनाए गए और 1982 में अध्यक्ष. फिर म्युनिसिपल कारपोरेशन का चुनाव जीत कर अपने पांव जमा लिए. राजनीति में एक बार पहचान क्या मिली, वह विधानसभा का चुनाव लड़े. बांद्रा वेस्ट विधानसभा सीट से लगातार 3 बार विधानसभा पहुंचते रहे. साल 2004 से 2008 तक मंत्री बनने का मौका भी मिला. इस समय उन के बेटे जीशान सिद्दीकी इसी सीट से विधायक हैं.

राजनीति में रहते हुए उन का बौलीवुड से जुडऩा सुनील दत्त की बदौलत हुआ. अधिकतर फिल्मी हस्तियां बांद्रा में ही रहती हैं. जब वह राजनीतिक करिअर बनाने के लिए पांव जमा रहे थे, उन्हीं दिनों उन की मुलाकात अभिनेता सुनील दत्त से हुई. हमउम्र होने के नाते वह संजय दत्त के बेहद करीब आ गए थे. संजय दत्त और सलमान खान बहुत अच्छे दोस्त हैं. इसलिए संजय ने उन की मुलाकात सलमान से करवा दी थी. यहीं से बाबा सिद्दीकी की इफ्तार पार्टी की कहानी की शुरुआत हो गई थी. सलमान ने बाबा सिद्दीकी की प्रौपर्टी किराए पर ले रखी है. इस से उन के बीच की कारोबारी दोस्ती का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है. 

अंगरेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के अनुसार सलमान खान यानी सल्लू ने बांद्रा में सलमान खान वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के तहत डुप्लेक्स अपार्टमेंट किराए पर ले रखा है. मकबा हाइट्स में स्थित इस डुप्लेक्स के मालिक बाबा सिद्दीकी और उन के बेटे जीशान सिद्दीकी हैं. अंदरवर्ड  और दाऊद इब्राहिम से बाबा सिद्दीकी के संबंध के बारे में कहा जाता है कि वह बौलीवुड और अंदरवर्ड  के बीच पुल की तरह थे. संजय दत्त से उन के संबंध होने का अर्थ भी अंदरवर्ड  से माना जाता है. फिर भी दाऊद के साथ उन के संबंध को ले कर सवाल बना हुआ है कि बाबा सिद्दीकी दाऊद और डी कंपनी से भी जुड़े थे तो दाऊद उन को धमकाता क्यों था?

यह मामला एक जमीन विवाद से सामने आया था. सामनामें छपी एक खबर के अनुसार, मुंबई में जमीन के एक टुकड़े को ले कर बाबा सिद्दीकी और दाऊद के करीबी अहमद लंगड़ा के बीच विवाद हो गया था. इस के बाद छोटा शकील ने बाबा को धमकाया था कि वो इस मामले से दूर रहे, वरना अंजाम ठीक नहीं होगा. बाबा शिकायत ले कर मुंबई पुलिस के पास पहुंच गए. पुलिस ने अहमद लंगड़ा को गिरफ्तार कर मकोका लगा दिया. कहते हैं कि इसी बात से नाराज हो कर 2013 में दाऊद ने फोन पर बाबा को धमकाते हुए कहा था, ”राम गोपाल वर्मा से बोल कर तुम्हारी फिल्म बनवा दूंगा, ‘एक था एमएलए’.’’

बाबा सिद्दीकी की हत्या मुंबई में लगभग 3 दशकों में पहली हाईप्रोफाइल राजनीतिक हत्या है, जिस से चुनावी राज्य महाराष्ट्र में सनसनी फैल गई. इस हत्याकांड की जिम्मेदारी लारेंस बिश्नोई गिरोह ने ली. उस लिहाज से गिरोह की दुश्मनी का बदला अनोखे तरह से सब के सामने आया. अब इस के साथ 1998 में काले हिरण के शिकार की कहानी जुड़ गई है, जो सालों पहले दफन हो चुकी थी. तब इस मामले का आरोप बौलीवुड स्टार सलमान खान पर लगा था. इस से बिश्नोई समाज समेत लारेंस बिश्नोई गिरोह के बीच चली आ रही तनातनी इंसान के हत्याकांड में बदल गई.

लारेंस बिश्नोई गिरोह ने बाबा सिद्दीकी की हत्या की जिम्मेदारी भी आधुनिक तरीके से ली है. उस के एक सदस्य ने हत्याकांड के तुरंत बाद फेसबुक पर एक पोस्ट अपलोड किया, जो वायरल हो चुका है. उस में कहा गया है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या उस के बौलीवुड अभिनेता सलमान खान, अंदरवर्ड  के दाऊद इब्राहिम और अनुज थापन के साथ संबंधों के कारण की गई. पोस्ट में लिखा गया, ‘ओम, जय श्री राम. जय भारत.और उस के बाद लिखा, ‘जीवन का मूल समझता हूं. जिस्म और धन को मैं धूल समझता हूं. मैं ने दोस्ती का फर्ज निभाते हुए वही किया जो सही था. सलमान खान, हम यह युद्ध नहीं चाहते थे, लेकिन आप ने हमारे भाई को अपनी जान गंवाने पर मजबूर कर दिया. आज बाबा सिद्दीकी की शराफत के पुल बंध रहे हैं या एक समय वह दाऊद के साथ मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) ऐक्ट में था.

उस की मौत का कारण बौलीवुड, राजनीति और प्रौपर्टी डीलिंग में दाऊद और अनुज थापन से उस के संबंध थे. हमारी किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है, पर जो भी सलमान खान या दाऊद गिरोह की मदद करेगा, उसे तैयार रहना चाहिए. अगर कोई हमारे किसी भाई को मरवाता है तो हम जवाब देंगे. हम कभी पहले वार नहीं करते… जय श्री राम, जय भारत, शहीदों को सलाम.

लारेंस के गिरोह में क्यों है नाबालिगों की फौज

लारेंस बिश्नोई जेल में है, जबकि उस का गिरोह विदेश से संचालित होता है. गिरोह के अहम सदस्यों में नामी मुख्य कुख्यात गोल्डी बराड़, अनमोल बिश्नोई, सचिन थापन और रोहित गोदारा हैं. पुलिस जांच में पता चला कि बिश्नोई के निर्देश पर ये गैंगस्टर निर्देश देते हैं कि किस से रंगदारी के लिए धमकी देनी है और किस की हत्या करनी है. सिद्धू मूसेवाला और सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या का आरोप भी बिश्नोई गिरोह पर लग चुका है. बताते हैं कि सिद्धू मूसेवाला और फिर सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को जयपुर में उन के घर पर गोली मारी गई थी. तब लारेंस गिरोह के रोहित गोदारा ने हत्या की साजिश रची और गोल्डी बराड़ ने अपने नेटवर्क के जरिए हत्यारों को हथियार मुहैया कराने समेत सारी व्यवस्था की थी.

इस गिरोह में नाबालिग भी हैं. बिश्नोई गिरोह के एक नाबालिग सदस्य को जयपुर में फायरिंग के एक मामले में बाल सुधार गृह में रखा गया था. इस के बाद लगातार बाल सुधार गृह से बाल अपराधियों के भागने की घटनाएं सामने आईं. पुलिस ने जब जांच की तो पता चला कि सुधार गृह से भागे अपराधियों ने गिरोह के निर्देश पर हरियाणा में एक व्यापारी की हत्या की थी. इन नाबालिगों को गिरोह ने अपराध के बाद विदेश में बसाने का लालच दिया था. जांच में यह भी पता चला कि बिश्नोई करीब 500 से 700 नाबालिग लड़कों के संपर्क में है, जो रेकी से ले कर फायरिंग तक की वारदातों में शामिल होते हैं. बताते हैं कि गिरोह इन नाबालिग लड़कों से अपराध करवाता है और फिर अपने नेटवर्क का इस्तेमाल कर उन्हें भागने में मदद करता है.

आरोपी धर्मराज अगर अपराध की दुनिया में कदम नहीं रखता तो डाक्टर बन सकता था. उस की शुरुआती जिंदगी बेहद अच्छी थी. वह पढ़ाई में अव्वल आने वाला युवक था. उस ने गांव में विवाद या छोटेमोटे लड़ाईझगड़े से कोसों दूर रह कर 10वीं में 78 फीसदी माक्र्स हासिल किए थे. वह नीट की तैयारी कर के डाक्टर बनना चाहता था. किंतु सोशल मीडिया से प्रभावित हो कर गैंगस्टर बनने की गलत राह पर चल पड़ा था. उस ने लारेंस बिश्नोई जैसे गैंगस्टर को आदर्श मान लिया था.

इस चक्कर में इंटरमीडिएट की परीक्षा में शामिल नहीं हुआ. भाई से डांट खाई, तब वह अपने दोस्त और पड़ोसी शिवकुमार गौतम के साथ पुणे चला गया. वहीं रहते हुए वह शिवकुमार के साथ बाबा सिद्दीकी के कांट्रेक्ट किलिंगअभियान में शामिल हो गया. सिद्दीकी की हत्या का अहम आरोपी शिवकुमार पिछले 3 सालों से अपने चचेरे भाई हरीश निषाद के साथ पुणे में कबाड़ के कारोबार में लगा हुआ था. बताते हैं कि कबाड़ का व्यापार करने से पहले शिवकुमार ने अपने परिवार का भरणपोषण करने के लिए बतौर खाद्य वितरण एजेंट काम किया था. शिवकुमार धर्मराज से छोटा होने के बावजूद उस से अधिक परिपक्व है. उस ने 5वीं की पढ़ाई भी पूरी नहीं की. 

काले हिरण का शिकार पीछा नहीं छोड़ रहा सलमान का

बौलीवुड स्टार सलमान खान और बिश्नोई गिरोह के बीच दुश्मनी 1998 के काले हिरण शिकार मामले से उपजी है, जिस में खान पर 2 काले हिरणों को मारने का आरोप लगाया गया था, जो बिश्नोई समुदाय के लिए पूज्य पशु हैं. घटना से आक्रोशित समुदाय ने कानूनी काररवाई की, जिस के कारण खान को 2018 में दोषी ठहराया गया, हालांकि उसे जमानत मिल गई. कुख्यात गैंगस्टर लारेंस बिश्नोई ने बाद में धमकी दी और खान को मारना सम्मान की बात बताई.

2022 में बिश्नोई गिरोह ने कथित तौर पर सलमान खान और उस के पिता को गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या का संदर्भ देते हुए जान से मारने की धमकी भरा एक पत्र भेजा था. नतीजतन, सलमान खान ने अपनी सुरक्षा बढ़ा दी. उसे वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा मिल गई है. बंदूक लाइसेंस के लिए आवेदन किया. दुबई से 2 करोड़ की बुलेटप्रूफ कार खरीदने की भी चर्चा है.

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