जेल से छूटने के बाद फिरोज ने 7 लोगों के साथ हनीट्रैप का एक गैंग बना लिया था. गैंग में शामिल निशा और जुनैदा फोन से नए लोगों से बात कर दोस्ती करतीं और शारीरिक संबंध बनाने के लिए किसी होटल में बुलाती थीं. इस के आगे का काम गैंग के अन्य सदस्य करते थे. फिर शुरू होती थी शिकार से लाखों रुपए की वसूली. आप भी जानें कि ऐसे गैंग से कैसे बचा जाए?
जेल से बाहर आने के बाद फिरोज ने अपना एक हनीट्रैप गैंग बना लिया, जिस में उस ने अपनी प्रेमिका निशा खान के अलावा जुनैदा खान, आसिफ, फहीम, अनिकेत और दीपक को शामिल कर लिया. ये सभी सोशल मीडिया के माध्यम से पुरुषों से दोस्ती करते थे. निशा और जुनैदा हिंदू नाम रख कर अधिकतर हिंदू पुरुषों को अपने मोहजाल में फंसाती थीं. इन सब का गैंगमास्टर और स्क्रिप्ट राइटर फिरोज था. फिरोज पुरुषों को चिह्निïत करता था. उस के बाद उन के फोन नंबर निशा और जुनैदा को दे देता था. फिर निशा और जुनैदा अपनेअपने काम पर लग जाती थीं.
कई बार जब दूसरी ओर से उन से कोई यह प्रश्न करता था कि आप कौन हैं, मैं तो आप को जानता तक नहीं हूं. तब जुनैदा और निशा गलत नंबर मिल जाने की बात कर देती थीं. अधिकतर काल्स में तो शिकार खुद ही फंस जाता था, उस के बाद खुद लोगों का फोन उन के पास आ जाता था. वे खुद ही दोस्ती करने की बात करने लगते थे. इस के बाद जुनैदा और निशा लोगों के साथ होटल में शारीरिक संबंध बनाती थीं. कई बार मोबाइल से ही वीडियो बना लेती थीं, उस के बाद उन के गिरोह के अन्य सदस्य आ कर उस व्यक्ति को पकड़ कर उसे ब्लैकमेल करते थे और फिर पुलिस में रेप की रिपोर्ट दर्ज कराने की धमकी दे कर उस से लाखों रुपए ऐंठ लेते थे.
आकिल कैसे फंसा हनीट्रैप रैकेट के चंगुल में
एक दिन आकिल अपनी दुकान पर बैठा था, उस का छोटा भाई और नौकर भी दुकान में ग्राहकों को सामान देने में व्यस्त थे. तभी मोबाइल की घंटी बजी. आकिल की नजर जब स्क्रीन के डिसप्ले पर पड़ी तो उस में शालू शर्मा का नाम आ रहा था. हालांकि आकिल शालू शर्मा नामक किसी युवती या महिला को नहीं जानता था, फिर भी उस ने काल रिसीव करते हुए जवाब दिया, ”हैलो, आप कौन हैं?’’
”हाय मेरी जान! मुझे इतनी जल्दी भूल भी गए, आप की आवाज सुनने के लिए तो मैं न जाने कब से तरस रही थी.’’ दूसरी ओर से आने वाला प्यार भरा नारी स्वर तो जैसे आकिल के कानों में एक उत्तेजना भरी मिठास घोल गया था.
”आप शालू बोल रही हैं न?’’ आकिल बात करने अब दुकान से दूर निकल गया था.
”जानू! कम से कम आप ने मुझे पहचाना तो सही.’’ दूसरी ओर से शालू ने कहा.
”देखिए शालूजी, मैं ने तो अपने मोबाइल के स्क्रीन डिसप्ले में आप का नाम देखा था, इसलिए कह दिया. वैसे सच बात तो यह कि मैं ने न तो आप को कभी देखा है और न ही आप से कभी बात की है. वैसे आप की आवाज बहुत स्वीट है,’’ कह कर आकिल मुसकराने लगा था.
वैसे आकिल शादीशुदा था. उस की शादी हुए 7 साल हो चुके थे. उस के 2 बच्चे भी थे, लेकिन आकिल ने सोचा कि जब हुस्न खुद ही चल कर उस के पास आ रहा है तो डुबकी लगा ही लेते हैं. उस ने सोचा यह लड़की शालू कुछ चालू किस्म की लगती है. शायद उस की कोई अतृप्त इच्छा हो या शादीशुदा होगी और अपने मर्द से खुश नहीं रह पाती होगी. स्क्रीन में उसे शालू के मोबाइल नंबर पर उस की फोटो की भी एक झलक दिखी थी. जब से आकिल ने उस की फोटो देखी थी, वह तो उस का दीवाना ही हो गया था.
”आकिलजी, मेरी तारीफ करने के बाद आप ने तो चुप्पी ही साध ली है. कहां खो गए आप? अच्छा चलो बताओ, तुम ने अभी तक शादी की है या नहीं?’’ उधर से शालू ने पूछा.
”शालूजी, देखिए मैं झूठ बिलकुल भी नहीं बोलता. शादीशुदा हूं. आप बताएं, आप विवाहित हैं या अविवाहित?’’ आकिल ने पूछा.
”आकिलजी, मैं भी विवाहित हूं. शादी को 2 साल हो गए, मगर मेरे पति दुबई में नौकरी करते हैं. साल में बस एक बार ही यहां आते हैं. वैसे मुझे अब आप के ऊपर विश्वास होने लगा है कि आप वही मर्द हैं, जिसे मैं पसंद करती हूं. मैं वाट्सऐप पर काल करती हूं. इस से आप भी मुझे देख लेंगे और मैं भी आप का दीदार कर लूंगी. वैसे आप का ये वाट्सऐप नंबर है न?’’ शालू ने कहा.
”शालूजी, यह मेरा वाट्सऐप नंबर यही है, आप मुझे काल कर सकती हैं. मैं तो आप का दीदार करने के लिए बहुत बेचैन हूं.’’ यह कहते हुए आकिल अपनी दुकान के अंदर वाले कमरे में घुस गया और किवाड़ें भीतर से बंद कर लीं.
आकिल का घर उस की दुकान से काफी दूर था. दुकान के अंदर एक छोटा सा कमरा भी था, जिस में वह आराम कर लिया करता था.
दोनों अब वाट्सऐप पर बातें करने लगे थे. तभी आकिल ने कहा, ”शालूजी, आप तो बला की खूबसूरत हैं, कहीं किसी की नजर न लगे.’’
”आकिलजी, आप भी बहुत हैंडसम हैं. वैसे अब तक आप समझ ही गए होंगे कि मैं आप पर मर मिटी हूं. सच बात यह है कि मुझे एक बार जो मर्द पसंद आ जाता है, उस के लिए तो मैं किसी भी हद तक जा सकती हूं.’’ शालू ने कहा.
”शालूजी, मेरी एक बहुत बड़ी दुकान है, खासा पढ़ालिखा भी हूं, इतना तो मैं समझ ही लेता हूं.’’ आदिल ने मुसकराते हुए कहा
”आकिलजी, सचमुच एक नजर में ही आप ने मेरे दिल को भीतर तक छू लिया है. जैसे आप बाहर से दिखते हैं, मुझे लगता है कि भीतर से भी आप काफी जानदार होंगे.’’ शालू ने अपनी आवाज को सैक्सी बनाते हुए कहा.
”शालूजी, आप हमें एक बार मौका दे कर तो देखिए, आप की हर हसरत को पूरी न किया तो मेरा नाम आकिल नहीं.’’ आकिल ने कहा.
”तो आप बताइए, कहां मिल सकते हैं? किसी होटल में मिलें?’’ शालू बोली.
”शालूजी, आप ने तो मेरे दिल की बात ही कह डाली. आप बताएं, किस होटल में मिलना चाहेंगी आप मुझ से?’’ आकिल ने पूछा.
”देखो यार आकिल, पहली बार मिल रहे हैं हम दोनों, इसलिए होटल तो कम से कम अच्छा ही होना चाहिए. मेरठ में तो कई सारे अच्छेअच्छे होटल हैं, वहीं पर किसी अच्छे होटल में कमरा बुक कर मुझे बताना, मैं आ जाऊंगी,’’ शालू ने कहा.
”इस का मतलब आप मेरठ में नहीं रहतीं? मैं तो सोच रहा था कि आप मेरठ की रहने वाली होंगी. वैसे यह तो बताइए आप आखिर रहती कहां हैं?’’ आकिल ने पूछा.
”मैं तो दिल्ली में रहती हूं,’’ शालूू बोली.
”ठीक है शालूजी, जैसे ही मैं खाली रहूंगा, किसी अच्छे होटल में कमरा बुक कर के आप को बता दूंगा. अच्छा अब फोन रखता हूं.’’ कहते हुए आकिल ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.
होटल के बंद कमरे में क्या हुआ
उस के बाद वे दोनों कई दिनों तक फोन पर मीठीमीठी बातें करने लगे. शालू से मिलने की आकिल की बेताबी बढ़ती जा रही थी. एक दिन आकिल ने शालू को बता दिया कि उस ने 2 दिन के लिए दिल्ली रोड रिठानी स्थित व्यू वैली होटल में कमरा बुक कर दिया है. आकिल अपने भाई को दोस्त की शादी में जाने को कह कर 4 सितंबर, 2024 की सुबह ही अपनी बाइक से घर से निकल गया था. उस ने शालू को फोन किया और मेरठ रेलवे स्टेशन के पास मिलने के लिए बुलाया. जब आकिल शालू के बताए गए स्थान पर पहुंचा तो शालू वहां उसी का ही इंतजार कर रही थी.
”दिल्ली से आप कैसे और कब आईं?’’ आकिल ने पूछा.
”मैं ने टैक्सी बुक की थी, बस अभी 5 मिनट पहले ही पहुंची हूं. जैसे ही मैं यहां पर पहुंची तो आप का फोन आ गया.’’ शालू ने आकिल से हाथ मिलाते हुए कहा.
”बैठो मेरी बाइक पर, आप को होटल ले चलता हूं.’’ आकिल बोला.
आकिल शालू को मेरठ के व्यू वैली होटल ले गया. काउंटर पर आकिल ने अपनी आईडी जमा कर दी तो शालू ने भी अपना आधार कार्ड वहां पर जमा करवा दिया. काउंटर में बैठे रिसैप्शनिस्ट ने उन की आईडी की फोटोकौपी करने के बाद ओरिजिनल आईडी दोनों को वापस कर दी थी. उन्हें वहां पर कमरा नंबर 83 मिला था. कमरे में घुसते ही आकिल ने दरवाजा भीतर से बंद कर दिया और शालू से चिपट गया.
”अरे छोड़ो भी, इतनी जल्दी क्या है? मैं कोई भागी तो नहीं जा रही हूं. देखो, मुझे अभी काफी थकान सी हो रही है. इसलिए पहले मैं शावर ले लेती हूं.’’ कहते हुए शालू तौलिया ले कर बाथरूम में घुस गई.
शालू बाथरूम से बाहर निकली तो उस ने अपने बदन पर केवल तौलिया लपेटा हुआ था. आकिल आगे बढ़ा. वह शालू के सौंदर्य पर फिदा हो चुका था. वह अब इंतजार करने के मूड में बिलकुल भी नहीं था. उस के बाद वे दोनों एकदूसरे से अठखेलियां करने लगे थे. दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं.
काफी देर के बाद जब दोनों थक कर चूर हो गए तो आकिल ने नाश्ता मंगवा लिया था. इस बीच शालू मोबाइल पर लगी थी. कुछ देर के बाद दोनों ने नाश्ता किया.
”आकिल, चलो अब कुछ देर बाहर घूम कर आते हैं.’’ शालू ने कहा तो आकिल तैयार हो कर उस के साथ चल पड़ा था.
होटल से बाहर निकलते ही शालू के मोबाइल पर एक फोन आ गया. फोन में बात करने के बाद शालू के चेहरे पर घबराहट साफसाफ नजर आ रही थी, ”शालू, क्या बात है? किस का फोन था? तुम इतनी घबराई हुई और परेशान क्यों लग रही हो?’’ आकिल ने पूछा.
”आकिल, यहां तो गजब हो गया. यहां आने की बात मेरे भाई और भाभी को पता चल गई है, अब तो हम फंस गए,’’ शालू के चेहरे पर साफसाफ घबराहट दिखाई देने लगी थी.
”यार, तुम घबराओ मत. वे यहां पर थोड़ी आएंगे.’’ आकिल ने शालू को दिलासा देते हुए कहा.
लेकिन तभी वहां पर होटल के बाहर एक स्विफ्ट गाड़ी आ कर रुकी. उस में से 2 युवक बाहर निकले और उन्होंने जबरदस्ती आकिल को गाड़ी में डाल दिया. शालू भी उस गाड़ी में बैठ गई. वहां पर एक बाइक भी खड़ी थी. गाड़ी के स्टार्ट होते ही 2 युवक बाइक पर बैठ गए और स्विफ्ट गाड़ी के पीछेपीछे चलने लगे. दिल्ली रोड पर गाड़ी काफी देर घूमती रही. आकिल के गाड़ी में बैठते ही 2 युवक बुरी तरह उसे पीटने लगे थे.
”अब देख साले, हम तुझे कैसे सलाखों के पीछे करते हैं.’’ उन में से एक युवक ने आकिल के गाल पर थप्पड़ मारते हुए कहा.
आकिल ने गाड़ी में चारों ओर नजर घुमाते हुए देखा तो वहां पर उसे मिला कर कुछ 6 लोग बैठे थे, उन में से 2 युवतियां भी थीं. युवतियों में एक तो शालू थी और दूसरी सिमरन थी, जिसे शालू भाभी कह कर संबोधित कर रही थी. पिटते हुए एक बार आकिल ने शालू की भाभी सिमरन की तरफ असहाय नजरों से देखा, जैसे वह उस से रहम की भीख मांग रहा हो. सिमरन ने उसे देखा तो वह समझ गई थी कि आकिल अब पश्चाताप कर रहा है.
”अरे छोड़ोछोड़ो, बेचारे की जान ही ले लोगे क्या?’’ सिमरन ने युवकों को रोकते हुए कहा.
”मुझे बचा लो सिमरन भाभी, ये लोग तो मेरी जान लेने पर तुले हुए हैं. मैं अकेला ही दोषी नहीं हूं. मुझे शालूजी का एक दिन फोन आया था, मैं इन की बातों में बह गया था. मुझे माफ कर दीजिए प्लीज.’’ आकिल ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.
”देख आकिल, अगर तू बचना चाहता है तो तू हमें अभी 50 लाख रुपए दे दे, नहीं तो हम तेरे खिलाफ पुलिस में रेप का मुकदमा करवा देंगे. फिर तू सड़ता रहेगा जेल में.’’ सिमरन बोली.
शालू ने क्यों लिखाई बलात्कार की रिपोर्ट
वे सब जब आपस में बातें कर रहे थे तो आपस से एकदूसरे को सिमरन, आसिफ, अनिकेत, दीपक, फिरोज और फहीम के नाम से संबोधित कर रहे थे. इसलिए अब आकिल उन सब के नाम भी जान चुका था. 50 लाख रुपए की बात सुन कर तो आकिल एकदम से घबरा ही उठा था वह बोला, ”यह तो बहुत बड़ी रकम है. यह रकम तो मैं अपनी सारी जमीन बेच कर भी नहीं दे सकता हूं.’’
”देख आकिल, पैसे तो तुझे देने ही पड़ेंगे. अगर तुझे ये ज्यादा लग रहे हैं तो तू ही बता कितने रुपए में फाइनल करें.’’ फिरोज ने कहा.
”देखो भाई, मैं तो ज्यादा से ज्यादा 75 हजार या एक लाख तक ही दे सकता हूं. इस से ज्यादा मेरी सामथ्र्य नहीं है.’’ आकिल ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.
”अबे कहां 50 लाख और कहां एक लाख, इस का कोई मेल नहीं बैठता. देख आकिल, मैं 10 लाख रुपए पर यह डील फाइनल कर रहा हूं. अब तुझे ये रकम हमें देनी पड़ेगी, तभी हम तुझे आजाद कर पाएंगे.’’ फिरोज ने कहा.
”फिरोज भाई, इतनी बड़ी रकम तो मैं न दे पाऊंगा.’’ आकिल बोला.
”अच्छा, तो फिर तू हमारी बात अपने अब्बूअम्मी, अपनी बीवी से करवा. हम उन्हीं से बात कर लेते हैं.’’ फिरोज ने आकिल का फोन उस के हाथों में देते हुए कहा.
”देखो भाई, मेरे घर वालों को कुछ मत बताना, नहीं तो मेरी बदनामी हो जाएगी. देखो न, मेरे मोबाइल की बैटरी भी खत्म हो गई है.’’ आकिल ने उन्हें अपना फोन दिखाते हुए कहा.
”अब तुझे बदनामी दिखाई दे रही है, जब शालू को फंसा रहा था, तब तुझे शरम नहीं आई. तेरा सिम मैं ने अपने मोबाइल में डाल दिया है. अब बात कर,’’ फिरोज ने फोन आकिल के हाथों में देते हुए कहा.
आकिल ने पहले अपने भाई को फोन लगाया और उसे सारी बात बताई. उस के बाद फिरोज ने आकिल को उस की पत्नी को फोन करने को कहा. आकिल ने अपनी पत्नी से बात की तो उसी बीच फिरोज ने आकिल की पत्नी को धमकाते हुए कहा कि तुम्हारे शौहर आकिल ने हमारी बहन की इज्जत पर हाथ डाला है. उस ने बलात्कार किया है. इसलिए तुरंत 10 लाख रुपयों का इंतजाम कर लो, नहीं तो हम पुलिस में रिपोर्ट कर देंगे.
उस के बाद फिरोज, फहीम और आसिफ ने एक बार फिर आकिल की जम कर पिटाई की और से फिर उसे कार से नीचे फेंक दिया. जातेजाते वे आकिल को यह चेतावनी दे कर चले गए कि तू ऐसे रास्ते पर आने वाला नहीं है, हम अब तेरी रिपोर्ट पुलिस में कराने जा रहे हैं. इस के बाद आकिल ने एक टेलीफोन बूथ से अपने भाई को फोन किया, क्योंकि वह उस समय चलने की स्थिति में भी नहीं था.
मेरठ के थाना परतापुर के एसएचओ सुभाष गौतम अपने औफिस में बैठे थे, तभी 2 युवतियां और 4-5 युवक उन के पास आ पहुंचे. एसएचओ को सिमरन नाम की युवती ने बताया कि मेरठ निवासी आकिल ने उस की ननद शालू के साथ प्रेम का झांसा दे कर रेप किया है. लिहाजा आप उसे तुरंत गिरफ्तार कर उस के ऊपर कड़ी काररवाई करें. एसएचओ ने अपने अधीनस्थ कर्मचारी से उन की लिखित रिपोर्ट दर्ज करने को कहा. तभी वहां पर आकिल भी अपने भाई व पत्नी के साथ आ पहुंचा और उस ने अपनी पूरी दास्तान एसएचओ को बता दी.
आकिल बहुत बुरी स्थिति में था. वह अपने बयान भी बड़ी मुश्किल से दे पा रहा था. उस के बयान देते ही पांचों युवक और अपने आप को पीडि़त शालू की भाभी बताने वाली सिमरन एकएक कर के वहां से खिसक गए. अब तक यह मामला एसएचओ सुभाष गौतम की समझ में आ चुका था कि यह रिपोर्ट फरजी है और यह हनीट्रैप का मामला है. अब थाने से शालू शर्मा भी धीरे से खिसकने लगी तो परतापुर पुलिस ने दौड़ कर उसे पकड़ लिया और उस से विस्तृत पूछताछ करनी शुरू कर दी. इंसपेक्टर सुभाष गौतम ने इस घटना की सूचना तुरंत अपने उच्च अधिकारियों दे दी और एसआई मोहित सक्सेना के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी.
4 सितंबर, 2024 को शाम 5 बजे मुखबिर की सूचना पर मेरठ के काशी गांव के निवासी आकिल की लिखित तहरीर पर परतापुर पुलिस ने दिल्ली की रहने वाली 2 मुसलिम युवतियों के साथ हनीट्रैप के जरिए रंगदारी मांगने वाले पांचों युवकों को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार आरोपियों में आसिफ निवासी राजीव नगर थाना हर्ष विहार, पूर्वी दिल्ली, फिरोज (गैंग लीडर) निवासी राजीव नगर, थाना हर्ष विहार, दिल्ली, फहीम निवासी शहीद नगर, साहिबाबाद, गाजियाबाद, अनिकेत निवासी सैनिक कालोनी, कसेरूखेड़ा थाना लालकुर्ती, मेरठ, दीपक निवासी डीलना थाना भोजपुर, गाजियाबाद निशा खान उर्फ शालू शर्मा निवासी दिल्ली और जुनैदा खान उर्फ सिमरन निवासी दिल्ली शामिल थे.
जेल में ही बना ली थी हनीट्रैप की योजना
दरअसल, रेप के आरोप में 24 वर्षीय फिरोज पहली बार जेल गया तो उसे इस बात की घबराहट हो रही थी कि पता नहीं जेल में उस के साथ क्या होगा. उसे जिस बैरक में भेजा गया, वहां पर 4 बंदी पहले से ही थे, जिस में से एक जो उन का बौस था, वह मजे से चबूतरे के ऊपर अपनी दोनों टांगें फैलाए सुस्ता रहा था. 2 बंदी उस की खुशामद करने में लगे थे. एक पैर दबा रहा था तो दूसरा उस के कंधों को दबा रहा था. चौथा बंदी सब को कुछ सुना कर महफिल को रंगीन कर रहा था.
फिरोज उन से कुछ दूरी पर खड़े हो कर वहां का दृश्य देखने लगा. वह कभी सलाखों के पास जा कर बाहर ताकझांक करने लगता तो कभी थोड़ा इधरउधर टहल लेता था. पहले से बैरक में रह रहे बंदियों से बात करने की वह चाह कर भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था.
”अरे भाई, ऐसे मत शरमाओ, हमारे पास आओ. ये हमारे उस्ताद हैं, ये तुम्हें सारी दुनियादारी सिखा देंगे. मेरा नाम अनूप है भाई.’’ अनूप ने उसे अपने पास आने का निमंत्रण दिया.
अब तक फिरोज ने यही सब कुछ सुना था कि जेल के भीतर पुराने कैदियों की हुकूमत चलती है. उस ने ऐसा कुछ फिल्मों में भी देखा था कि नए आने वाले बंदियों के साथ पुराने बंदी पता नहीं कैसाकैसा जुल्म कर डालते हैं. जेल के सारे लोग भी उन्हीं के साथ मिले होते हैं. उस ने सोचा अब आ गई है मेरी शामत. डरते, सकुचाते हुए वह उन लोगों के पास पहुंचा. अनूप ने उसे बैठने का इशारा किया तो वह उन के पास बैठ गया.
”सब से पहले मैं अपना परिचय दे दूं. मेरा नाम दिलशाद है. प्यार से लोग मुझे मुन्ना भाई या उस्ताद कहते हैं. तुम बताओ, पहली बार ससुराल आए हो या पहले भी कभी आए थे. नाम भी बताओ,’’ गैंग लीडर ने अपना परिचय देते हुए कहा.
”जी, मेरा नाम फिरोज है. जी ससुराल का मतलब मैं समझा नहीं!’’ फिरोज ने हिचकिचाते हुए कहा.
”फिरोज भाई, हमारी भाषा में जेल को ही ससुराल कहते हैं. आगे बताओ.’’ दिलशाद ने कहा.
”जी, मैं पूर्वी दिल्ली के राजीव नगर, हर्ष विहार का रहने वाला हूं. एक लड़की ने मेरे ऊपर रेप का झूठा केस लगा दिया, इसलिए पहली बार ससुराल आया हूं.’’ फिरोज ने डरतेडरते कहा.
”अच्छा तो पहले दोनों में प्यार रहा होगा, फिर घर वालों के दबाब में आ कर तेरी प्रेमिका ने तेरे ऊपर अपहरण और रेप का चार्ज लगा दिया होगा. ऐसे ही हुआ था न?’’ दिलशाद ने कहा.
”जी भाईजान, आप एकदम ठीक कह रहे हैं. यही सब कुछ हुआ था, मैं उस लड़की को छोड़ूंगा नहीं, जान से मार दूंगा उसे.’’ फिरोज ने तैश में आ कर कहा.
”देख भाई फिरोज, ठंडे दिमाग से काम ले कर ही आगे बढ़ा जा सकता है. अभी तू बलात्कार के आरोप में बंद है. उस के बाद तेरे ऊपर मर्डर का मुकदमा और हो जाएगा. फिर सारी जिंदगी जेल के अंदर ही सड़ता रहेगा.’’ दिलशाद बोला.
”भाईजान, अब आप ही बताओ मुझे क्या करना चाहिए, मुझे तो यह भी पता नहीं कि अब मेरी जमानत भी हो पाएगी या नहीं. मैं जेल से कैसे छूटूंगा?’’
कहते हुए फिरोज रो पड़ा था.
”फिरोज, देख बात को समझ, अब जब तू जेल में आ ही गया है तो इत्मीनान से रह. मैं हूं न, यह बात अब गांठ बांध ले कि न तो तू जेल से जल्दी रिहा होने वाला है और न ही हम. पता नहीं कितने महीने हमें यूं ही साथसाथ रहना है.’’ दिलशाद ने कहा.
”फिरोज, एक बात अच्छी तरह से समझ ले कि ये जो हमारे उस्ताद हैं दिलशाद भाईजान, वह सब के लिए फरिश्ते के समान हैं. अब तू अपना दिल छोटा न कर, तेरे मुकदमे में तुझे कैसे बाहर निकालना है, तेरी जमानत कब और कैसे होगी, अब तुझे चिंता करने की जरूरत नहीं. बस, तू हमारे उस्तादजी की सेवा करता रह और उन की बात को समझने की कोशिश कर.’’ अनूप ने फिरोज के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.
उस के बाद तो जैसे फिरोज दिलशाद का एक अच्छा शागिर्द हो गया था. उस ने अपराध जगत के कारनामों के बारे में शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी. उस ने अपने मन में एक ऐसा प्लान बना लिया था कि जेल से बाहर निकलने के बाद वह क्या काम करेगा, जिस से उस पर नोटों की बरसात होने लगे. पकड़ी गई युवती निशा खान शालू शर्मा के नाम से अपनी पहचान बदल कर लोगों को फंसाती थी. निशा खान के पास शालू शर्मा नाम का आधार कार्ड भी मिला, जो जांच में नकली निकला. जबकि आरोपी महिला के पैन कार्ड में उस का नाम निशा पुत्री अजर मुस्तफा लिखा हुआ था.
निशा खान शालू शर्मा बन कर और जुनैदा खान सिमरन बन कर सोशल मीडिया पर युवकों को फंसाती थीं, जिस के बाद युवकों को मिलने के लिए होटल बुलाया जाता था. पुलिस ने आरोपियों के पास से मोबाइल फोन, कार, बाइक और फरजी आधार कार्ड बरामद किए हैं. पकड़े गए आरोपियों में से दीपक पर गाजियाबाद के भोजपुर में 2 मुकदमे पहले से ही दर्ज हैं. बाकी सभी पर मेरठ के परतापुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है.
कहानी लिखे जाने तक मेरठ की परतापुर पुलिस द्वारा अपराध संख्या 338/2024 धारा 308 (5), 115 (2), 61 (2) बीएनएस के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित निशा खान और जुनैदा खान बदले हुए नाम हैं.