कहने को तो विशाल चौहान कानून का रखवाला था, लेकिन उस ने बीवीबच्चों के रहते न सिर्फ छोटे भाई की पत्नी को फांस रखा था, बल्कि दोस्त की बहन से शादी करने की तैयारी कर रहा था. एक वकील होते हुए उस ने कानून तोडऩे का जो दुस्साहस किया था, उस के अंजाम में उस की 35 वर्षीय पत्नी वर्षा गोलियों का शिकार हो गई. आखिर किस कदर बिछती चली गई जुर्म की बिसात? पढ़ें, सब कुछ इस कथा में…

नाश्ता करने के बाद एडवोकेट विशाल चौहान ने एक बैग में अपने पहनने के कुछ कपड़े पैक किए, शेविंग आदि का सामान रखा. परफ्यूम रखा, बैग में मोबाइल का चार्जर ठूंसता हुआ सीधा बस अड्डे जा पहुंचा. उस ने बिजनौर जनपद से अपनी ससुराल उदयपुर जाने वाली बस पकड़ ली. डेढ़ महीने से उस की पत्नी वर्षा अपने मायके में जमी हुई थी. वह उस से इस कदर नाराज थी कि फोन पर भी बात नहीं करती थी. बात 13 जून, 2024 की है. विशाल को अचानक चौखट पर आया देख कर वर्षा चौंक गई.

अंदर चलने को नहीं बोलोगी?’’ विशाल बोला.

हांहां, आओ न!’’ वर्षा पति विशाल को अपने कमरे तक ले कर जाने लगी. इसी बीच परिवार के लोगों ने भी उसे देखा और खुशी से भाभी बोल पड़ी, ”अरे देखोदेखो, दामादजी आए हैं. अरे परी देखो, तुम्हारे पापा आए हैं.’’

कुछ मिनटों में ही पूरे घर में सभी को मालूम हो गया था कि दामादजी आए हैं. सभी ने अनुमान लगा लिया कि वह वर्षा और परी को लेने आए हैं. वर्षा अपनी ससुराल जाएगी. घर में खुशी का माहौल बन गया था. वर्षा न चाहते हुए भी उस खुशी में शामिल हो गई थी. पति की आवभगत में जुट गई थी. शरबत, पानी और चायनाश्ते से ले कर दिन के अच्छे भोजन तक से विशाल का स्वागत किया गया.

वर्षा को भी देख कर हर किसी को ऐसा लग रहा था मानो पति के प्रति शिकायतों का मैल धुल गया हो. वह भी बेहद खुश नजर आ रही थी. उस की खुशी की एक वजह और भी थी. विशाल ने उसे चुपके से कहा था, ”हमारी शादी की सालगिरह आने वाली है. उस के 2 दिन पहले जन्मदिन भी है, क्यों न हम लोग इस मौके पर खाटू श्याम बाबा के दर्शन कर आएं. उन से मन्नत मांग आएं.’’

विशाल की यह बात पहले तो वर्षा को दिन में देखे गए किसी सपने की तरह लगी, लेकिन सोचा कि शायद विशाल में बदलाव आ गया हो. इस का पति ने पुरानी भूलों को ले कर माफी मांगने का एक छोटा सा प्रमाण भी दिया था. यह भी कहा था कि सुमन से उस के सारे रिश्ते खत्म हो चुके हैं. उस की शादी तय हो गई है. हम दोनों को मोहित ने अभी से आमंत्रित कर दिया है.

दरअसल, 15 जून को वर्षा का जन्मदिन था और 18 जून को उस की शादी की सालगिरह थी.

कब चलना है?’’ वर्षा ने पूछा.

अभी चलते हैं…’’ कहता हुआ विशाल हंसने लगा था.

अभी कैसे?’’

कल चलेंगे, मोहित को बोल देता हूं गाड़ी बुक करवा कर लेता आएगा…’’ विशाल ने 13 जून को बाबा खाटू श्याम जाने का प्रोग्राम बना लिया.

और रितु, मेरा मतलब है परी!’’ वर्षा बोली.

उसे यहीं छोड़ देंगे. हम लोग चलेंगे न. हनीमून मनाएंगे. वहां से लौटने के बाद अपने घर चल पड़ेंगे.’’ विशाल हंसता हुआ बोला.

ठीक है, तैयारी कर लेती हूं. अपने पहने हुए कपड़े दे दो, धो देती हूं.’’

वर्षा और विशाल के बीच पुराने गिलेशिकवे मानो खत्म हो गए थे. वर्षा खुश और संतुष्ट नजर आ रही थी, जबकि विशाल के चेहरे पर विचित्र मुसकान की चमक थी. उस की मुसकराहट के अर्थ उस वक्त नहीं निकाले जा सकते थे, लेकिन उस में कुछ संदिग्ध भाव अवश्य छिपे थे.

18 जून, 2024 को दिन में राजस्थान में खाटू श्याम जाने वाली सड़क पर विशाल, मोहित और वर्षा की गाड़ी सरपट दौड़ रही थी. गाड़ी को मोहित का दोस्त सोनू भूमिहार ड्राइव कर रहा था. हालांकि इस से पहले 13 जून को विशाल वर्षा को ले कर मोहित के पास गया. वहां एक रोज ठहरने के बाद उत्तराखंड, फिर 15 जून को वर्षा का जन्मदिन यूपी में मनाया गया. वहां के धार्मिक स्थलों पर घूमने के बाद वे जयपुर, अजमेर, पुष्कर घूमने के लिए निकल पड़े. विशाल की योजना थी कि वे अपनी शादी की सालगिरह के मौके पर खाटू श्याम बाबा के दरबार में पहुंचेंगे.

900 किलोमीटर दूर क्यों की पत्नी की हत्या

गाड़ी ब्यावर हो कर जोधपुर जाने वाले रास्ते पर थी. जैसे ही गाड़ी ब्यावर और बर के बीच पहुंची, विशाल ने गाड़ी रुकवा दी. ऐसा उस ने अपनी सीट बदलने के लिए किया था. वर्षा से बोला, ”तुम अगली सीट पर सोनू के साथ बैठ जाओ, उसे गूगल मैप के अनुसार रास्ता समझाना. मैं यहीं थोड़ा आराम करता हूं.’’ 

उस के बाद वर्षा अगली सीट पर चली गई और पीछे सिर्फ विशाल और मोहित रह गए. बर कस्बे से निकलने के बाद थोड़े समय में अंधेरा हो गया. वहां एकदम सुनसान था. वर्षा अपनी यादों में खोई थी, लेकिन उस की नजर गूगल मैप पर ही टिकी थी, जिस में दिखा रहा था आगे 300 मीटर पर लेफ्ट. उस के ठीक पीछे बैठे विशाल ने कुटिल मुसकान के साथ मोहित को देखा और तुरंत ही अपने दोनों हाथों से 35 वर्षीय पत्नी वर्षा का गला पकड़ लिया…

अरेअरे यह क्या कर रहे हो? तुम्हारे दोस्त बैठे हैं.’’ बोलती हुई वर्षा खांसने लगी.

कारण, विशाल उस का गला दबाने लगा था. वर्षा सीट बेल्ट बांधे थी. उस ने दोनों हाथों से विशाल के हाथ पकड़ लिए और छुड़ाने की कोशिश करने लगी, लेकिन विशाल के सख्त हाथ नहीं छुड़ा पाई. उस के मुंह से आवाज भी नहीं निकल पा रही थी. वह छटपटा कर रह गई. चंद मिनटों में ही उस का सिर एक ओर लुढ़क गया. आंखें फैल गईं. गाड़ी सरपट दौड़ती रही. वर्षा सीट पर लेटी रही, उस के चेहरे को विशाल ने उस की चुन्नी से ढंक दिया था. सुबह के 4 बजे  गाड़ी बिलाड़ा पहुंच गई थी. वहां से सोनू ने विशाल के इशारे पर गाड़ी को पाली जिले के सोजत सिटी के रास्ते पर ले लिया था. 

थोड़ी दूरी पर ही हाइवे पर अटपड़ा गांव का बोर्ड दिखा. वहां एकदम सुनसान था. गांव के बाहरी इलाके में विशाल ने गाड़ी रुकवा दी. दोनों गाड़ी से बाहर निकले और अनजाने सुनसान इलाके में सड़क के किनारे वर्षा की लाश को ढकेल दिया. लाश जमीन पर छोटे से गड्ढे में गिरी. तभी वर्षा की लाश के सीने पर विशाल ने देसी कट्टे से 2 फायर झोंक दिए. फिर मोहित ने विशाल से कट्टा ले लिया और वर्षा की गरदन पर गोली दाग दी. सन्नाटे में गोलियों की आवाज गूंज उठी, जिस से तीनों डर गए और वर्षा की लाश को घर से 900 किलोमीटर दूर वहीं छोड़ कर तुरंत वहां से निकल गए.

सब कुछ विशाल और मोहित की पहले से बनाई गई योजना के तहत ही हो रहा था. वैसे उन्होंने लाश को जमीन में गाडऩे की योजना बनाई थी, लेकिन सुबह होने और गोली चलने की आवाज के फैलने की वजह से लाश वहीं छोड़ दी. सूर्योदय होने के साथ ही 19 जून, 2024 को राजस्थान के पाली जिले के थाना सोजत सिटी के निर्जन क्षेत्र में शव पाए जाने की सूचना पर इंसपेक्टर कपूर राम पटेल कुछ पुलिसकर्मियों को ले कर मौके पर पहुंच गए. पुलिस टीम ने लाश को अपने कब्जे में ले कर उस की तहकीकात शुरू कर दी थी. लाश के सीने में गोली लगने के निशान से स्पष्ट था कि उस की किसी ने गोली मार कर हत्या कर दी और इस सुनसान इलाके में फेंक कर फरार हो गया है. 

सोजत सिटी थाने की पुलिस ने एक हजार सीसीटीवी कैमरे की मदद से उस रास्ते पर आनेजाने वाली गाडिय़ों के बारे में पता लगाया. राजस्थान के टोल प्लाजा पर पुलिस ने गुजरने वाली गाडिय़ों के नंबरों और रास्ते में पडऩे वाले सीसीटीवी फुटेज की सघन जांच की तो एक संदिग्ध गाड़ी का नंबर मिल गया. उस के आधार पर राजस्थान पुलिस आरोपी को तलाशने लगी.

क्यों फेल हो गए वकील के सारे दांवपेंच

एसपी चूनाराम जाट ने इस केस को सुलझाने के लिए सीओ (सोजत सिटी) देरावर सिंह सोढ़ा की देखरेख में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में इंसपेक्टर कपूर राम पटेल द्वारा घटना का पता लगाने के लिए लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की जाने लगी. उधर वर्षा के घर वाले इस चिंता से परेशान हो रहे थे कि उसे निकले हुए 6 दिन हो गए, लेकिन वह लौटी नहीं. चिंता का एक कारण और भी था कि वर्षा की छोटी बहन रीना ने 17 जून को घूमनेफिरने के बारे में जानने के लिए फोन किया था, लेकिन वर्षा का फोन स्विच्ड औफ था. 

उस के बाद उस ने विशाल को फोन किया था. विशाल का जवाब सुन कर रीना को हैरानी हुई. विशाल ने बताया था कि वर्षा 17 जून की शाम 6 बजे कहीं गुम हो गई है. यह बात रीना के गले नहीं उतरी और जब इस की जानकारी घर में दूसरे लोगों को हुई, तब मानो कोहराम मच गया. वर्षा के पापा यशपाल सिंह, भाई आशीष चौहान को आश्चर्य हुआ. वे सोच में पड़ गए कि ऐसा कैसे हो सकता है? वे किसी अनहोनी को ले कर आशंकित भी हो गए. वर्षा यशपाल की की 3 बेटियों में सब से बड़ी थी और रीना सब से छोटी. वर्षा की शादी बिजनौर जिले के उदयपुर गांव से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जसपुर गांव में संजय कुमार चौहान के बेटे विशाल कुमार चौहान से हुई थी. जसपुर उत्तराखंड में आता है.

सोजत सिटी थाने के इंसपेक्टर कपूर राम पटेल ने लाश का मुआअना कर कई बातें नोट कीं. लाल सलवारसूट में मृतका चेहरे से राजस्थान के आसपास के राज्य की ही लग रही थी. उस की मांग में सिंदूर भरा था. माथे पर बिंदिया और हाथों में चूडिय़ां उस के शादीशुदा होने की गवाही दे रही थीं. शरीर पर 3 गहरे ताजा जख्म भी दिख रहे थे, जिन से खून रिस कर सूख चुका था. इसे देख कर अनुमान लगाया गया कि उसे नजदीक से गोली मारी गई होगी. 

लाश की तसवीरें आसपास के थानों में भेज दी गईं. उस तारीख को वर्षा के पापा और भाई नजदीक के थाने में वर्षा की गुमशुदगी की सूचना दर्ज कराने गए. उन्होंने उस के लापता किए जाने का आरोप पति विशाल पर ही लगा दिया. सोजत सिटी थाने से आई लाश की तसवीर जब उन्हें दिखाई गई तो उन्होंने वर्षा के रूप में उस की पहचान कर ली. इस तरह से लाश की शिनाख्त हो गई थी. उधर विशाल और मोहित ने भी अपने बचाव में वर्षा की गुमशुदगी की रिपोर्ट जसपुर में लिखवानी चाही, तब तक वहां की पुलिस को उन के बारे में कई जानकारियां मिल चुकी थीं. यहां तक कि उन की गाड़ी के नंबर की पहचान भी हो चुकी थी.  

20 जून, 2024 को जसपुर पहुंची राजस्थान पुलिस विशाल और मोहित को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई. उदयपुर गांव निवासी वर्षा के घर वालों ने उस की हत्या के मामले में पति विशाल कुमार, ससुर संजय कुमार, रजनी, अभिषेक, अंजलि, मोहित उर्फ मुन्नू के खिलाफ गोली मार कर हत्या करने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. यह कहानी एक ऐसे आशिकमिजाज विवाहित वकील विशाल चौहान की है, जिसे अपनी वकालत और कानून पर बहुत अभिमान था. वह अपनी बीवी वर्षा चौहान पर धौंस दिखाता रहता था. खुद तो अपने दोस्त की बहन सुमन को प्रेमजाल में फंसाए हुए था, साथ ही अपने भाई की पत्नी अंजलि से भी नाजायज रिश्ता कायम कर रखे थे. लेकिन पत्नी से विश्वासघात करने वाला विशाल अपनी ही पत्नी वर्षा को बदचलन कहता था. 

उस की हरकतों से वर्षा बेहद परेशान रहती थी. इस बात को ले कर वर्षा की विशाल से हर रोज लड़ाई हो जाती थी. एक दिन जब वर्षा की सहनशक्ति जवाब दे गई, तब वह अपनी बेटी को ले कर 5 किलोमीटर दूर मायके चली गई थी. पत्नी के मायके जाने के बाद विशाल तन्हाई के दौर से गुजर रहा था. अचानक उसे सुमन का खयाल आया. उस ने कपड़े बदले, परफ्यूम लगाया और उस के घर मांडवाखेड़ा जा पहुंचा. सुमन, उस के दोस्त मोहित की बहन थी, जिस के पास उस का बेरोकटोक आनाजाना लगा रहता था. मोहित से उस की अच्छी दोस्ती थी. उन के बीच दोस्ती क्या कहें, आर्थिक तौर पर कमजोर मोहित पर उस के ढेर सारे अहसान थे. गाहेबगाहे वह उस की पैसे से मदद करता रहता था.

मोहित उदयपुर के मांडवाखेड़ा का रहने वाला था. जब से उस ने उस की बहन सुमन को देखा था, वह उस के दिल में उतर गई थी. वह उस के मोहक प्यार में पागल था. सुमन भी उस से दिलोजान से मोहब्बत करती थी. वह उस के साथ जीवन गुजारना चाहती थी. डीलडौल कदकाठी से स्मार्ट दिखने वाले विशाल को वह एक सच्चे हमसफर की नजर से देखती थी. उसे अपने दिल में बसाए हुए थी. हालांकि उस के मन में विशाल के विवाहित होने की एक टीस भी थी. यहीं पर आ कर सुमन का मन कुछ पल के लिए ठिठक जाता था.

एक रोज विशाल जब उस के घर पहुंचा तो सुमन सामने देख कर बेहद खुश हो गई थी. तुरंत हमेशा की तरह चायनाश्ता ले आई थी. पास में ही एक किनारे खड़ी हो अपने दुपट्टे को दांतों तले दबाती हुई बोली, ”भैया तो घर पर नहीं हैं.’’

तो क्या हुआ, तुम तो हो.’’ विशाल छूटते ही बोला.

वह तो हूं…’’ सुमन बोली.

तुम्हारी चाय कहां है?’’

लाती हूं…पहले बेसन की मिठाई खाओ न, मैं ने बनाई है…’’ कहती हुई सुमन ने मिठाई की प्लेट उठा कर विशाल के सामने रख दी. इस दौरान उस का दुपट्टा सरक आया था. तिरछी नजर से विशाल उस के झांकते उभार को देखता हुआ बोला, ”आज तुम्हारी आंखें बहुत सुंदर लग रही हैं.’’
झूठ… एकदम झूठ… आंखें नहीं, कुछ और देख रहे हो.’’ कहती हुई सुमन वहां से चली गई. 

विशाल समझ गया कि उस की चोर निगाह पकड़ में आ गई थी. कुछ समय में ही सुमन एक गिलास पानी ले कर दोबारा आई.

तुम बहुत होशियार हो और समझदार भी.’’ विशाल बोला.

वह तो हूं ही, मगर तुम से एक बात पूछनी है.’’ सुमन बोली.

पूछोपूछो!’’

पूछनी क्या, कहनी है.’’ सुमन थोड़ी चिंतित भाव से बोली.

मतलब?’’

भैया को हमारेतुम्हारे बारे में मालूम हो गया है.’’

क्या मालूम हो गया है, यही न कि मैं तुम्हें प्यार करता हूं.’’ विशाल बोला. 

इस पर सुमन चुप बनी रही, कुछ बोली नहीं. दोबारा विशाल ही बोला, ”मैं तो तुम्हें पत्नी बनाना चाहता हूं.’’

लेकिन यह कैसे होगा? तुम तो पहले से ही शादीशुदा हो…’’ सुमन बोली. 

बीच में ही विशाल बोल पड़ा, ”अरे वह कोई शादी है… अपनी मरजी कहां उस में, न प्यार, न इजहार…और न तुम जैसी अदाएं.’’

भैया तो बोल रहे थे कि तुम्हारी बेटी भी है.’’ सुमन सवाल के अंदाज में बोली.

हां है तो. लेकिन वह तो वर्षा की भी बेटी है…नाराज हो कर मायके चली गई है. मैं यहां पड़ा हूं.’’

तुम ने मनाया ही नहीं होगा?’’ सुमन बोली.

क्यों मनाऊं उस बदचलन, बेहया को… मुझे तो तुम्हारे साथ रहना है.’’ विशाल बोला.

ऐसे कैसे रहोगे मेरे दोस्त!’’ यह मोहित बोला था. 

उसी वक्त मोहित आ गया था. उस ने विशाल और सुमन के बीच की कुछ बातें सुन ली थीं.    

अरे मोहित, तुम आ गए! कैसे हो दोस्त? देखो न सुमन को, समझाओ इसे, कहां वह और कहां वर्षा?’’ विशाल बोला. 

तब तक सुमन वहां से चली गई. मोहित ने पूछा, ”कैसे आना हुआ अचानक?’’

वर्षा झगड़ कर बच्चे के साथ मायके चली गई. मन नहीं लग रहा था…क्या करूं मेरी जिंदगी तो उजड़ी हुई लगती है.’’ विशाल बोला.

सब ठीक हो जाएगा. वह जब आए, तब मुझे खबर करना मैं उसे समझाऊंगा. कोशिश करूंगा बताने के लिए कि वह तुम्हारी भावनाओं को समझे.’’ मोहित बोलने लगा. तभी सुमन भी पानी का गिलास और चाय मोहित के लिए ले कर आ गई.

नहीं दोस्त, उसे समझाने से कुछ नहीं होगा. उस ने मन में गांठ बांध ली है मुझ से अलग रहने की. ऐसे में तुम ही बताओ कि मैं कब तक उस की बेहयाई को झेलता रहूं?’’

देखो, तुम अभी परेशान दिख रहे हो, आए हो थोड़ा आराम कर लो. खाना खा कर ही जाना.’’ मोहित बोला और सुमन को खाने में कुछ खास बनाने के लिए बोला. 

उस के बाद दोनों अपनेअपने कामधंधे की बातें करने लगे. मोहित ने भी अपनी कुछ समस्याएं बताईं तो विशाल ने उसे दूर करने की सलाह दी. बातोंबातों में वर्षा के मायके जाने का कारण भी पता चल गया. विशाल ने बताया कि उसे जब से उस की बहन के प्रेम संबंध के बारे में मालूम हुआ था, तब से वह एकदम आक्रामक बन गई थी. एक दिन इसी गुस्से में मायके चली गई. वहां वह मजे में अपनी बहन और भाई के परिवार के साथ रह रही है. उस का कहना है कि वह कभी वापस नहीं आने वाली है.

रात के खाने के वक्त विशाल मोहित से जिद कर बैठा कि वह जल्द से जल्द सुमन की शादी उस के साथ करवा दे. इस से दोनों परिवारों का भला हो जाएगा. बदले में वह उसे कोई अच्छा सा रोजगार शुरू करने में आर्थिक मदद करेगा. उस के परिवार की माली हालत सुधर जाएगी और उस की भी जिंदगी संवर जाएगी. विशाल की बातें तो अच्छी थीं, लेकिन एक ही अड़चन उस की बीवी वर्षा थी. 

पत्नी को मारने का क्यों बनाया प्लान

दोनों देर रात तक इस पर चर्चा करते रहे. हालांकि मोहित भी चाहता था कि सुमन की शादी विशाल से हो जाए. इस की भी कई वजहें थीं. एक वजह तो यह कि मोहित उस के पैसे की मदद के अहसान तले दबा हुआ था, दूसरी वजह सुमन के साथ बना विशाल का गहरा प्रेम संबंध था. इसे ले कर पासपड़ोस के लोग दबी जुबान में बातें भी करने लगे थे. इस से बदनामी का डर सताने लगा था.

तो फिर तुम ने क्या सोचा सुमन के बारे में?’’ विशाल अचानक बोल पड़ा.

मेरे और घर वालों के सोचने से क्या होता है वर्षा के रहते!’’ मोहित बोला.

एक आइडिया है, मगर तुम्हें साथ देना होगा.’’ विशाल धीमी आवाज में बोला.

क्या? उसे तलाक दे दोगे?’’ मोहित तपाक से बोल पड़ा.

पहले तुम वादा करो साथ दोगे, तब बताऊंगा. मैं वकील हूं कोई कच्चा खिलाड़ी नहीं, जो गलत करूंगा. ऐसा कुछ करूंगा कि सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी.’’ विशाल बोला और मोहित को अपनी योजना समझाने लगा. 

योजना सुन कर पहले तो मोहित घबराया, फिर सहज हो कर बोला, ”दोस्त, इस में तो खतरा भी है.’’

कुछ नहीं होगा, मैं वकील हूं. कानून की धाराएं अच्छी तरह जानतासमझता हूं. ऐसा गेम खेलूंगा कि तुम भी क्या कहोगे, मैं ने कैसी चाल चली है?’’

विशाल कमरे में अकेला लेटा था. सुमन याद आ रही थी, लेकिन बारबार उसे वर्षा की बातें दिमाग पर चोट मार रही थीं, ”मेरे रहते तुम ने किसी और को प्रेम जाल में फंसा लिया है…’’

वह झगड़ती हुई बोले जा रही थी, ”तुम इतने गिरे इंसान होगे यह तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकती थी. अपने छोटे भाई की बीवी के साथ सोते हो और मुझे ही वकालत का पाठ पढ़ाते हो. खुद तो चरित्रहीन हो और मुझ पर ही नाजायज संबंध का आरोप लगाते हो. तुम्हारे साथ तो जिंदगी गुजारना मुश्किल हो गया है.’’ 

दरअसल, वर्षा अपने पति की आशिकमिजाजी को अच्छी तरह जानती थी. उसे अपनी देवरानी के साथ नाजायज रिश्ते के बारे में मालूम था और दोस्त मोहित उर्फ मन्नी ब्राह्मïण की बहन सुमन के प्रेम संबंध के बारे में भी पता चल गया था. इस पर उस ने कई दफा पति को समझाने की कोशिश की थी, अपनी 7 साल की बेटी का भी वास्ता दिया था. फिर भी उस के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी थी. उलटे उस ने सुमन से ब्याह रचाने की बात उगल दी थी, इस का कारण भी बताया था कि उस से किसी भी तरह का सुख नहीं मिला है. 

इस के बाद तो वर्षा एकदम से बिफर गई थी, ”मेरे जीते जी ऐसा कभी नहीं होगा. मैं सब को तुम्हारी करतूत के बारे में बता दूंगी. यहां से ले कर मायके तक के लोगों के बीच बदनाम कर दूंगी. नहीं सुधरे तो तुम को कोर्ट तक घसीट ले जाऊंगी. भूल जाऊंगी कि तुम मेरे पति हो.’’

मैं भी देखता हूं तू मुझे कैसे रोकती है सुमन से शादी करने से.’’ कहता हुआ विशाल दांत पीसने लगा था. 

हालांकि वर्षा भी बेहद सुंदर थी. शादी के 9 साल बाद भी किसी कमसिन लड़की जैसी दिखती थी. सैक्सी भी दिखती थी. आकर्षक पहनावे में उस का रूपरंग खिल उठता था. विशाल की उस से सिर्फ यही शिकायत बनी रहती कि उसे मनचाहा दहेज नहीं मिला था. बारबार वर्षा का ताना मारना भी विशाल को अच्छा नहीं लगता था कि उस की शादी गलत जगह हो गई है. उस की तो अच्छी सरकारी नौकरी वाले से शादी तय हो गई थी. इस तरह एक बार जब झगड़े की शुरुआत होती तो काफी समय तक चलता रहता था.

18 जून, 2015 को उन की शादी के बाद से शायद ही कोई ऐसा दिन बीता होगा, जब उन्होंने तकरार, ताने और शिकवेशिकायत के बगैर प्यार के कुछ पल गुजारे होंगे. इस का मलाल विशाल को बना रहा और वह प्यार पाने के लिए दूसरी औरतों की आंखों में झांकने लगा. उन के दिल में उतर कर अपने दिल की प्यास बुझाने लगा. मौका मिलते ही जिस्मानी प्यास शांत करने से भी पीछे नहीं हटता और जब उस ने मर्दानगी दिखाई तो भाई की बीवी से ले कर दोस्त की कमसिन बहन तक उस के आगोश में आ गईं. लेकिन वह बीवी की नजरों से नहीं बच सका और पकड़ा भी गया. इन्हीं तमाम बातों को याद करतेकरते विशाल को कब नींद आ गई, पता नहीं चला.

सुबह को जब विशाल नींद से जागा तो फ्रैश होने के बाद उस ने मोहित को एक बार योजना समझाते हुए कहा कि जैसे ही वर्षा नाम का कांटा निकल जाएगा फिर सुमन से शादी करने में कोई रुकावट नहीं आएगी. मोहित से उस ने कहा कि ससुराल पहुंचने के बाद जैसे ही मैं तुम्हें फोन करूं तो तुम गाड़ी ले कर पहुंच जाना. इस के बाद आगे का काम मैं कर दूंगा. वर्षा की हत्या के बारे में पुलिस ने एडवोकेट विशाल कुमार चौहान से सख्ती से पूछताछ की तो इस के पीछे की दिलचस्प कहानी निकल कर आई.

जसपुर के मोहल्ला चौहान (गुजरातियान) वार्ड नंबर 3 निवासी विशाल कुमार पुत्र संजय कुमार चौहान ने अपनी पत्नी की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. उस के द्वारा अपनी पत्नी की हत्या सुनियोजित ढंग से की गई थी. कार चालक सोनू भूमिहार पर हत्या के षडयंत्र में शामिल होने का आरोप लगाया गया था. 

मृतका के भाई की तहरीर के आधार पर राजस्थान पुलिस ने मृतका के पति समेत ससुराल पक्ष के 5 लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 498, 302, 201120 बी के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था. उस के बाद पुलिस ने मृतका की हत्या के आरोपी पति विशाल, मोहित उर्फ मन्नू को गिरफ्तार कर लिया था. कार चालक सोनू भूमिहार कथा लिखने तक फरार था.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

 

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