सरकारी टीचर सुनील गौतम अपनी पत्नी पूनम भारती और 2 बेटियों के साथ अमेठी में रहता था. वह अपने काम से काम रखता था. फिर एक दिन किसी ने सुनील, उस की पत्नी और दोनों बेटियों को घर में घुस कर गोलियों से भून डाला. आखिर कौन था हत्यारा और क्यों की उस ने ये हत्याएं?
चंदन वर्मा ने 12 सितंबर, 2024 को अपने वाट्सऐप पर लिखा, ‘5 लोग मरने वाले हैं. मैं जल्दी कर के दिखाऊंगा (5 people are going to die. I will show you soon.)’ उस का इशारा अपनी प्रेमिका पूनम व उस के परिवार, स्वयं और पूनम के भाई सोनू की तरफ था. चंदन वर्मा ने इस के लिए अवैध पिस्टल का इंतजाम तो कर लिया था, लेकिन गोलियों का इंतजाम नहीं हो पा रहा था. इस के लिए उस ने जानपहचान के अपराधियों से संपर्क किया और 10 राउंड गोलियों वाली मैगजीन मुंहमांगी कीमत पर खरीद कर रख ली, लेकिन यह इंतजाम करने में उसे 15 दिन का समय लग गया था.
3 अक्तूबर, 2024 को नवरात्रि का प्रथम दिन था. जगहजगह पंडाल सजे थे. चंदन वर्मा पिस्टल में मैगजीन लोड कर शाम करीब साढ़े 6 बजे बाइक से अमेठी के मंदिर रोड अहोरवा चौराहा स्थित मुन्ना अवस्थी के मकान पर पहुंचा. इसी मकान में पूनम अपने पति सुनील व 2 बच्चों के साथ किराए पर रहती थी. चंदन वर्मा ने घर से करीब 50 मीटर दूर स्थित दीपक की मोबाइल शाप के सामने अपनी बाइक खड़ी कर दी. उस ने दीपक से कहा कि वह मंदिर दर्शन करने जा रहा है. जल्दी ही वापस आ जाएगा.
इस के बाद वह पूनम के घर पहुंचा. पूनम उस समय घर पर ही थी. वह पति व बच्चों से बतिया रही थी. चंदन वर्मा को देख कर पूनम व सुनील सहम गए. चंदन वर्मा ने जेब से 10-10 के 2 नोट निकाले. उस ने एक नोट सुनील की बेटी 5 वर्षीया सृष्टि के हाथ में तथा दूसरा नोट 2 वर्षीया समीक्षा के हाथ में थमा दिया. इस के बाद वह पूनम की तरफ मुखातिब होते हुए बोला, ”पूनम, तुम मेरे साथ चलो. तुम्हारे बिना मैं जी नहीं पाऊंगा.’’
यह सुनते ही पूनम बोली, ”तुम पागल हो गए हो क्या? मैं अपने पति व बच्चों को छोड़ कर भला कैसे जा सकती हूं. तुम ने तो मेरा जीना हराम कर दिया है. चले जाओ यहां से वरना मैं पुलिस बुला लूंगी.’’
पूनम की धमकी सुन कर चंदन का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. उस ने लोडेड पिस्टल निकाली और 2 गोलियां पूनम के सीने में दाग दीं. सुनील सामने आया तो उस पर भी 3 गोलियां दाग दीं. इस के बाद उस ने सृष्टि और मासूम समीक्षा पर भी एकएक गोली चला दी. सभी खून से लथपथ हो कर जमीन पर बिछ गए. कुछ क्षण बाद ही सभी ने दम तोड़ दिया. चारों को मौत के घाट उतारने के बाद चंदन वर्मा ने सुसाइड करने के लिए खुद को गोली मारनी चाही. लेकिन पिस्टल की स्प्रिंग निकल कर गिर गई, जिस से गोली नहीं चली. इस के बाद वह डर गया और बाइक मोबाइल की दुकान पर ही छोड़ कर घर के पीछे के रास्ते से फरार हो गया.
अवस्थी निवास में ही रोड पर अमित मैडिकल स्टोर था. इस के संचालक रामनारायन यादव ने जब लगातार गोलियों के चलने की आवाज सुनी तो वह घबरा गए. लगभग 100 मीटर की दूरी पर देवी पंडाल सजा था. वहां पुलिस तैनात थी. रामनारायन पुलिस के पास तेज कदमों से पहुंचे और गोलियां चलने की जानकारी दी. यह खबर सुन कर 2 सिपाही मकान के अंदर दाखिल हुए तो वहां 4 लाशें बिछी देख कर उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी. 4 हत्याओं की सूचना मिलते ही अमेठी के शिवरतनगंज थाने की पुलिस अधिकारियों के होश उड़ गए. कुछ देर बाद ही अमेठी के एसपी अनूप कुमार सिंह, एएसपी हरेंद्र सिंह तथा डीएम निशा अनंत घटनास्थल पहुंच गईं. शिवरतनगंज थाने की पुलिस पहले से ही वहां मौजूद थी. सूचना पर मीडियाकर्मियों का भी जमावड़ा लग गया.
पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो उन के माथे पर बल पड़ गए और वे सिहर उठे. घर के अंदर 4 लाशें खून से लथपथ पड़ी थीं. अधिकारियों ने जानकारी जुटाई तो पता चला कि इस मकान में शिक्षक सुनील कुमार गौतम अपनी पत्नी पूनम व 2 बेटियों के साथ किराए पर रहते थे. इन्हीं की गोली मार कर हत्या की गई थी.
सुनील कुमार व उन की पत्नी पूनम के शव नल के पास पड़े थे, जबकि दोनों बेटियों के शव जीने के पास पड़े थे. मृतक सुनील की उम्र 34 वर्ष के आसपास तथा पूनम की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. उन की बेटियों की उम्र क्रमश: 5 वर्ष और 2 वर्ष थी. निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारियों ने वारदात की सूचना मृतकों के घर वालों को दे दी.
मुख्यमंत्री योगी क्यों हुए सक्रिय
इसी बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दलित परिवार की हत्या की जानकारी हुई तो उन्होंने शोक संवेदना प्रकट की और पुलिस के आला अधिकारियों को तत्काल घटनास्थल पर पहुंचने का आदेश दिया. आदेश पाते ही आईजी (अयोध्या जोन) प्रवीण कुमार तथा एडीजी (लखनऊ जोन) एस.वी. शिरोडकर घटनास्थल (अमेठी) पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और घटना के संबंध में एसपी अनूप कुमार सिंह से जानकारी हासिल की.
उन्होंने निरीक्षण और साक्ष्य जुटाने में जुटी फोरैंसिक टीम से भी जानकारी ली. घटनास्थल से टीम ने कारतूस के 9 खोखे, एक जिंदा कारतूस तथा बाइक बरामद की. अब तक सूचना पा कर मृतक सुनील के पिता रामगोपाल गौतम घटनास्थल पर आ चुके थे. बेटाबहू व नातिनों के शवों को देख कर वह बदहवास हो गए. पूछताछ में रामगोपाल ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि इस घटना को अंजाम उस के बेटे सुनील के दोस्त चंदन वर्मा ने दिया है, जो रायबरेली के मटिया इलाके में रहता है.
घटनास्थल की जांच और पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने चारों शवों को पोस्टमार्टम हेतु अमेठी के जिला अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद रामगोपाल की तहरीर पर शिवरतनगंज थाने में बीएनएस की धारा 103 (1) के तहत चंदन वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. चूंकि मामला दलित परिवार की सामूहिक हत्या का था, अत: पुलिस अधिकारियों ने चंदन वर्मा को गिरफ्तार करने के लिए एसटीएफ की 4 टीमें लगा दीं. ये टीमें आरोपी की टोह में लग गईं.
पुलिस ने रात में ही चारों शवों का पोस्टमार्टम करा दिया. सीएमओ अंशुमान सिंह की देखरेख में डा. विवेक चौधरी व डा. अभय गोयल की टीम ने पोस्टमार्टम किया. पूनम को 2, सुनील को 3 तथा बेटियों को 1-1 गोली मारी गई थी. पोस्टमार्टम के बाद शव सुनील के पिता रामगोपाल को सौंप दिए गए. 4 अक्तूबर, 2024 की सुबह पुलिस सुरक्षा में चारों शव मृतक शिक्षक सुनील के पैतृक गांव सुदामापुर (रायबरेली) पहुंचे तो गांव मेें कोहराम मच गया. पूरा गांव शवों को देखने उमड़ पड़ा. शवों को देख कर सुनील की मां राजवती तथा पूनम की मां कृष्णावती बदहवास हो गईं. पूजा व सोनू भी बहनबहनोई का शव देख कर बिलख पड़ी थीं. भीड़ में गम व रोष था. वहां पुलिस विरोधी नारे भी गूंजने लगे थे.
राजनीतिक लाभ पाने की क्यों मची होड़
इस घटना को ले कर राजनीतिक गलियारे में भी भूचाल आ गया था. सब से पहले अमेठी के सांसद किशोरी लाल शर्मा सुदामापुर गांव पहुंचे. उन्होंने मृतक के पिता रामगोपाल को धैर्य बंधाया और राहुल गांधी से उन की मोबाइल पर बात कराई. राहुल गांधी ने कानूनव्यवस्था पर सवाल उठाते हुए रामगोपाल को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया. भाजपा के राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण तथा ऊंचाहार के विधायक मनोज पांडेय भी सुदामापुर गांव पहुंचे. उन्होंने पीडि़त परिवार को हरसंभव मदद का भरोसा दिया. यही नहीं, इन दोनो नेताओं ने अंतिम संस्कार के बाद पीडि़त परिवार की मुलाकात लखनऊ ले जा कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कराई.
रामगोपाल गौतम ने मुख्यमंत्री सेे आर्थिक मदद, आवास व बड़े बेटे को सरकारी नौकरी दिलाने की मांग की. मुख्यमंत्री ने सभी मांगों को पूर्ण करने का आश्वासन दिया. इधर एसटीएफ की एक टीम को पता चला कि आरोपी चंदन वर्मा प्रयागराज में है. अत: एसटीएफ की टीम प्रयागराज पहुंच गई. लेकिन वहां पता चला कि वह बस से दिल्ली की ओर रवाना हो चुका है. सर्विलांस के जरिए एसटीएफ की टीम ने उस का पीछा किया और 4 अक्तूबर की अपराह्नï पौने 3 बजे उसे नोएडा के जेवर टोल प्लाजा से गिरफ्तार कर लिया. रात 11 बजे अमेठी के एसपी अनूप सिंह ने प्रैसवार्ता की और इस चौहरे हत्याकांड का खुलासा कर दिया.
5 अक्तूबर, 2024 की सुबहसुबह पुलिस टीम आरोपी चंदन वर्मा को ले कर हत्या में इस्तेमाल पिस्टल बरामद कराने को ले जा रही थी. इस दौरान मोहनगंज थाना क्षेत्र के पियरे विंध्या दीवान नहर पटरी पर पहुंचने पर चंदन वर्मा ने फुरती से थानेदार मदन वर्मा की रिवौल्वर छीन ली और फायर करते हुए भागने की कोशिश करने लगा. पुलिस की जवाबी फायरिंग में उस के पैर में गोली लगी. वह घायल हो गया. पुलिस ने उसे सीएचसी सिंहपुर में भरती कराया. इस मामले की रिपोर्ट थानेदार मदन वर्मा ने थाना मोहनगंज में बीएनएस की धारा 109 के तहत चंदन वर्मा के खिलाफ दर्ज कराई.
6 अक्तूबर, 2024 की शाम ऊंचाहार क्षेत्र के विधायक मनोज पांडेय, प्रभारी मंत्री राकेश सचान के साथ सुदामापुर गांव पहुंचे. वहां उन्होंने मृतक शिक्षक सुनील कुमार के पिता रामगोपाल गौतम व मां राजवती से मुलाकात की. उन्होंने उन्हें 5 लाख रुपए का चैक दिया. उन्होंने मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत एक आवास, 5 बीघा कृषि भूमि का पट्टा आवंटन तथा परिजनों को आयुष्मान व अंत्योदय कार्ड दिए. इस के अलावा अत्याचार से उत्पीडि़त राशि 33 लाख रुपए का चैक भी सौंपा. साथ ही मृतक के भाई को मृतक आश्रित कोटे से सरकारी नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया.
आरोपी चंदन वर्मा से पूछताछ करने के बाद इस चौहरे हत्याकांड के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह बहुत हैरान कर देने वाली निकली.
हंसमुख स्वभाव की पूनम ने संभाली घर की जिम्मेदारी
सुनील कुमार के पिता राम गोपाल गौतम उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के सुदामापुर गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी राजवती के अलावा 2 बेटे सोनू, सुनील व एक बेटी रूपा थी. राम गोपाल गरीब किसान थे. उन के पास मात्र एक बीघा जमीन थी. इस कम उपजाऊ भूमि से उन के परिवार का भरणपोषण नहीं हो पाता था. अत: वह मेहनतमजदूरी कर किसी तरह परिवार का गुजारा करते थे. रामगोपाल गौतम के दोनों बेटे सोनू व सुनील जब बड़े हुए तो वह भी पिता के साथ मेहनत मजदूरी करने लगे. रामगोपाल अपने बेटों को अच्छे स्कूल में नहीं पढ़ा सके. बड़ा बेटा सोनू तो पढऩे में कमजोर था, लेकिन छोटा बेटा सुनील पढऩे में तेज था. वह मेहनतमजदूरी के साथ पढ़ाई भी करता था.
चूंकि गांव में मजदूरी कम मिलती थी, इसलिए सोनू का मन गांव में नहीं लगता था. गांव के कुछ लड़के मुंबई में काम करते थे. सोनू भी उन्हीं के साथ मुंबई चला गया और वहीं काम करने लगा. अब वह गांव में तीजत्यौहारों पर ही आता और कुछ दिन तक रुक कर वापस चला जाता था. सुनील पहले बीए करने के बाद सरकारी नौकरी पाने की कोशिश में जुट गया था. अब तक रामगोपाल बड़े बेटे सोनू व बेटी रूपा की शादी कर चुके थे. सब से छोटा सुनील था. वह 20 वर्ष की उम्र पार कर चुका था. अत: रामगोपाल उस की शादी करना चाहते थे.
एक रोज कृष्णावती अपनी बेटी पूनम भारती का रिश्ता लेकर रामगोपाल के घर आई. कृष्णावती रायबरेली के उत्तर पारा बेला भेला गांव की रहने वाली थी. परिवार में पति राजाराम भारती के अलावा 2 बेटे मोनू व भानू के अलावा 2 बेटियां पूजा व पूनम थीं. बड़ी बेटी पूजा की शादी हो चुुकी थी. छोटी बेटी पूनम थी. वह पढ़ीलिखी व दिखने में सुंदर थी. कृष्णावती ने सुनील को देखा तो उस ने अपनी बेटी पूनम भारती के लिए उसे पसंद कर लिया. उस के बाद पूनम और सुनील ने भी एकदूसरे को देखा और फिर दोनों शादी के लिए राजी हो गए. दोनों परिवारों की रजामंदी के बाद कृष्णावती ने 12 अप्रैल, 2016 को पूनम का विवाह सुनील कुमार के साथ कर दिया.
वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने 41,250 पदों पर पुलिस भरती निकाली. सुनील ने भी सिपाही पद पर भरती के लिए आवेदन किया. इस के बाद वह जीजान से तैयारी में जुट गया. सुनील की मेहनत रंग लाई. उस का चयन सिपाही पद पर हो गया था. ट्रेनिंग के बाद उसे नियुक्ति मिल गई. इन्हीं दिनों उसे एक और खुशी मिली. पूनम ने एक बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम उस ने सृष्टि रखा. सृष्टि के जन्म से उस का घरआंगन किलकारियों से गूंजने लगा था. उस के मातापिता भी खुश थे.
सुनील पुलिस में भरती तो हो गया था, लेकिन उसे वह नौकरी रास नहीं आ रही थी. क्योंकि एक तो वह परिवार को ज्यादा समय नहीं दे पा रहा था और दूसरे उसे पुलिसिया भाषा अच्छी नहीं लगती थी. पुलिस की नौकरी से मन हटा तो वह शिक्षा विभाग में नौकरी खोजने लगा. बीएड तो वह कर ही चुका था, फिर उस ने बीए शिक्षक पात्रता परीक्षा भी पास कर ली. जब शिक्षक की वैकेंसी निकली तो उस ने भी आवेदन कर दिया.
शहर जा कर क्यों उडऩे लगी पूनम भारती
10 दिसंबर, 2020 को सुनील कुमार की बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षक की नौकरी लग गई. उस की पहली तैनाती रायबरेली में बेसिक शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में हुई. शिक्षा विभाग में नौकरी पाने के बाद सुनील ने सिपाही पद से इस्तीफा दे दिया. शिक्षा विभाग में नौकरी मिलने पर घर में एक बार फिर खुशी की लहर दौड़ गई. सुनील कुमार का गांव सुदामापुर, रायबरेली से 35 किलोमीटर दूर था. नौकरी के लिए उसे रोजाना अपडाउन करना पड़ता था. इस में पैसा तो खर्च होता ही था, समय की बरबादी भी होती थी. इसलिए उस ने रायबरेली के मटिया इलाके में 2 कमरे वाला मकान किराए पर लिया और पत्नी पूनम भारती और बेटी सृष्टि के साथ रहने लगा.
पूनम भारती गांव से शहर आई तो उस के रंगढंग ही बदल गए. वह खूब सजसंवर कर रहने लगी और स्वच्छंद हो कर बाजारहाट घूमने लगी. पति की जिस दिन छुट्टी होती, उस दिन वह बेटी को साथ ले कर पति के साथ सैरसपाटे के लिए निकल जाती. रेस्टोरेंट में खाना खाती. सुनील पत्नी की हर बात मान लेता था. एक तरह से वह सुनील को अपनी अंगुलियों पर नचाने लगी थी. सुनील कुमार गौतम ने मटिया इलाके के जिस मकान में कमरा किराए पर लिया था, उसी मकान के पीछे वाले भाग में चंदन वर्मा नामक युवक किराए पर रहता था. 25-26 वर्षीय चंदन वर्मा मैकेनिकल इंजीनियर था. वह अस्पतालों की एक्सरे, सीटी स्कैन और दूसरी अन्य मशीनों की मरम्मत करता था. इस में उस की अच्छीखासी कमाई हो जाती थी.
चंदन वर्मा के पिता मायाराम वर्मा मूलरूप से अंबेडकर नगर के टांडा के रहने वाले थे. उस के 7 भाई और थे. मायाराम 1990 के दशक में अपने भाइयों के साथ टांडा छोड़ कर रायबरेली आ गए थे. रायबरेली के तेलिया कोट मोहल्ले में वह भाइयों के साथ अवधेश गुप्ता के मकान में किराए पर रहने लगे थे. साल 2010 में मायाराम वर्मा अपने परिवार के साथ रायबरेली छोड़ कर दिल्ली चले गए, लेकिन उस के अन्य भाई उस के साथ नहीं गए. उन भाइयों ने तेलिया कोट में ही जमीन खरीद कर अपने घर बना लिए. दिल्ली जाने के बाद भाइयों ने मायाराम से दूरियां बना ली.
लेकिन वर्ष 2019 के नवंबर माह में मायाराम फिर रायबरेली आ गए. इस बार उन्होंने तेलिया कोट के बजाय मटिया इलाके में कमरा किराए पर लिया, जो तेलिया कोट से 2 किलोमीटर दूर था. यहां पर वह अपनी पत्नी व बेटे चंदन के साथ रहने लगा. चूंकि चंदन वर्मा अच्छा कमाता था, अत: उस को कोई चिंता नहीं थी. चूंकि शिक्षक सुनील कुमार गौतम व चंदन वर्मा एक ही मकान में किराएदार थे, अत: उन दोनों के बीच जल्द ही जानपहचान हो गई. धीरेधीरे जानपहचान दोस्ती में बदल गई. सुनील से मिलने के बहाने चंदन वर्मा का पूनम के घर आनाजाना शुरू हो गया. खूबसूरत पूनम पहली ही नजर में चंदन के दिल में रचबस गई थी. नजदीकियां बढ़ाने को वह उस के करीब आने की कोशिश करने लगा था.
पूनम की बेटी सृष्टि अब तक 2 साल की हो चुकी थी. चंदन वर्मा उसे खिलाने के बहाने अपने साथ ले जाता और खूब लाड़प्यार करता. उसे कभी चौकलेट तो कभी खिलौने ला कर देता. चंदन जब कभी पूनम की गोद से सृष्टि को अपनी गोद में लेता तो जानबूझ कर उस के नाजुक अंगों को छेड़ देता. पूनम तब बनावटी गुस्सा दिखाती फिर हंस कर टाल देती. चंदन पूनम की खूबसूरती की भी खूब तारीफ करता और उसे अपनी लच्छेदार बातों से रिझाने की कोशिश करता. साथ ही वह उस के नजदीक जाने की कोशिश करता.
घर आतेजाते चंदन वर्मा और पूनम भारती की नजदीकियां बढऩे लगीं. पूनम को भी चंदन के दिल की बात का आभास हो गया था. वह भी उस की ओर आकर्षित होने लगी थी. दोनों के बीच अब हंसीमजाक भी होने लगा था. चंदन ऐसे समय पूनम से मिलने आता था, जब सुनील घर पर नहीं होता था.
चंदन की बांहों में ऐसे समा गई पूनम
एक दिन चंदन आया तो पूनम सजधज कर बाजार जाने की तैयारी कर रही थी. उस की खूबसूरती देख कर चंदन मचल उठा. उस ने पूनम को बांहों में भर लिया और बोला, ”भाभी, मैं तुम से बेहद प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना अब रहा नहीं जाता.’’
”चंदन, यह दीवानापन छोड़ो और अब चुपचाप चले जाओ. कहीं मास्टर साहब आ गए तो पता नहीं क्या सोचेंगे.’’ पूनम ने उस की आंखों में झांकते हुए कहा.
”भाभी, मैं चला तो जाऊंगा, लेकिन खाली हाथ नहीं जाऊंगा. आज तो तुम्हारा प्यार ले कर ही जाऊंगा.’’ कहते हुए उस ने पूनम को फिर से बाहों में कैद कर लिया. पूनम ने उस की बांहों से छूटने का बनावटी विरोध किया. उस के बाद स्वयं सहयोग करने लगी. फिर तो उस रोज दोनों के बीच मर्यादा की दीवार ढह गई.
मर्यादा की दीवार टूटी तो पूनम को अपने किए पर पछतावा हुआ था, लेकिन जो नहीं होना चाहिए था, वह हो चुका था. लेकिन पछतावे के बावजूद पूनम के कदम नहीं रुके. जब भी पूनम और चंदन को मौका मिलता, वे सुनील के साथ विश्वासघात करने से नहीं चूकते थे. पूनम और चंदन जो भी करते थे, पूरी चौकसी से करते थे, लेकिन उन के ये संबंध ज्यादा दिनों तक छिपे नहीं रह सके. एक दिन सुनील को पूनम के मोबाइल पर वाट्सऐप चैट दिखी. उसे यकीन हो गया कि दोनों के बीच नाजायज रिश्ता है. उस ने पूनम और चंदन दोनों को समझाया, लेकिन चंदन नहीं माना. वह किसी न किसी बहाने उस के घर आ जाता.
12 मार्च, 2021 को सुनील कुमार गौतम का तबादला अमेठी हो गया. अमेठी जिले के सिंहपुर ब्लौक के पनहौना प्राथमिक विद्यालय में उसे शिक्षक पद पर तैनाती मिली. दरअसल, सुनील ने अपना परिवार टूटने से बचाने के लिए रायबरेली से दूर अपना ट्रांसफर खुद कराया था, ताकि चंदन वर्मा वहां आजा न सके. तबादले के बाद सुनील ने रायबरेली वाला कमरा खाली कर दिया और जुलाई, 2024 में अमेठी में मुन्ना अवस्थी के मकान में परिवार के साथ रहने लगा. अमेठी में कुछ माह तो सुकून से बीते, उस के बाद चंदन वर्मा फिर चोरीछिपे वहां आने लगा. पूनम और चंदन के बीच हर रोज मोबाइल फोन पर वीडियो कालिंग के जरिए बात होती. दोनों खूब बतियाते.
पूनम के प्यार में चंदन वर्मा इतना अंधा हो गया था कि वह पूनम को अपनी पत्नी बनाने का ख्वाब देखने लगा था. वह जो कमाता था, उस का आधा भाग पूनम पर खर्च करता था. उस ने अपने घर के जेवर तक पूनम को दे दिए थे. वह पूनम से कहता भी था कि इस मास्टर को छोड़ दो और उस की बीवी बन जाओ, लेकिन पूनम राजी नहीं होती थी. अप्रैल 2024 में सुनील कुमार ने मकान बनाने के लिए अमेठी में 2 बिस्वा जमीन खरीदी. जमीन की लिखापढ़ी में गवाह की जरूरत थी. पूनम के कहने पर सुनील ने चंदन वर्मा को गवाह बना लिया. इस के बाद चंदन का बेधड़क घर में आनाजाना फिर बढ़ गया. हालांकि चंदन का घर आना सुनील को कांटे की तरह चुभता था.
सुनील क्यों डरने लगा पत्नी के प्रेमी से
एक रोज सुनील शाम को स्कूल से घर आया तो चंदन घर में मौजूद था. वह पूनम से बतिया रहा था. यह देख कर उस का खून खौल उठा. उस के जाने के बाद सुनील ने पूनम को आड़े हाथों लिया और कहा कि वह चंदन को लिफ्ट न दे. उस से दूरियां बनाए ताकि उस का परिवार न बिखरे. पति की बात मान कर पूनम ने चंदन को लिफ्ट देना बंद कर दिया. वह अब न तो उस से मोबाइल फोन पर बात करती और न ही वीडियो काल पर. इस पर वह घर आ कर पूनम को धमकाता कि वह बात नहीं करेगी तो वह सिर में गोली मार कर आत्महत्या कर लेगा. पूनम तब डर जाती और उस की बात मान लेती.
अब तक सुनील 2 बेटियों का बाप बन चुका था. बड़ी बेटी सृष्टि 5 साल की थी और छोटी बेटी समीक्षा डेढ़ वर्ष की थी. चंदन वर्मा दबंग था. उस के संबंध अपराधियों से भी थे. शराब पीना तथा दबंगई दिखाना उस का शौक था. वह अपने चाचा के घर तेलिया कोट में भी दबंगई दिखाता था. हालांकि वे लोग चंदन से ज्यादा संपर्क नहीं रखते थे. चंदन पूनम को धमकाता कि मास्टर को छोड़ कर उस से ब्याह रचा ले, अन्यथा तुम्हारे कुछ आपत्तिजनक फोटो मेरे मोबाइल में हैं. मैं उन्हें वायरल कर दूंगा. फिर तुम और मास्टर किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगे.
चंदन वर्मा की धमकी से पूनम और सुुनील डरेसहमे रहने लगे. सुनील ने पूनम से कहा भी कि वह चंदन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दे. लेकिन पूनम उस सनकी और दबंग चंदन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं करा सकी. 18 अगस्त, 2024 को पूनम की बड़ी बेटी सृष्टि की तबियत खराब थी. वह उसे डाक्टर को दिखाने सुनील के साथ रायबरेली के सुमित्रा हौस्पिटल गई. बेटी को दिखाने के बाद जब वह वापस घर आ रही थी तो रास्ते में उसे चंदन मिल गया. वह पूनम को छेडऩे लगा और साथ चलने का दबाव बनाने लगा.
सुनील ने विरोध किया तो वह उस से भिड़ गया. पहले उस ने जातिसूचक गालियां बकीं, फिर 4-5 थप्पड़ सुनील के गाल पर जड़ दिए. दोनों को जान से मारने की धमकी भी दी. सुनील के सब्र का बांध अब टूट चुका था, अत: वह पूनम को साथ ले कर सीधा सदर कोतवाली पहुंच गया और पूनम से रिपोर्ट दर्ज कराने को कहा. पूनम अब भी रिपोर्ट दर्ज कराने को राजी नहीं थी, लेकिन पति के कहने पर किसी तरह वह राजी हुई. इस के बाद पूनम ने तहरीर दी. तहरीर के आधार पर कोतवाली पुलिस ने चंदन वर्मा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 74, 115(2) तथा 352 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.
दूसरे रोज पुलिस ने चंदन वर्मा को गिरफ्तार कर लिया. सप्ताह भर के भीतर ही उस की जमानत हो गई. जमानत पर छूटने के बाद चंदन वर्मा ने फिर नौटंकी शुरू की. उस ने आत्महत्या का प्रयास किया. अस्पताल से छुट्टी मिली तो उस ने पूनम व सुनील से माफी मांग ली और भविष्य में ऐसी गलती न करने का वादा किया. लेकिन वह अपनी जुबान से पलट गया. वह फिर पूनम तक पहुंचने का प्रयास करने लगा. वह पूनम से मोबाइल फोन पर बात करने का प्रयास करता, लेकिन पूनम उस की काल रिसीव ही नहीं करती. इस से उस का गुस्सा बढ़ गया.
उस ने पूनम की उस के साथ खिंची आपत्तिजनक तसवीरें उस के मायके वालों तथा ससुराल वालों को भेज दीं. यही नहीं, उस ने पूनम की मां कृष्णावती व भाई सोनू को भी धमकाया कि वे पूनम को समझा दें. वह उस की बन जाए, अन्यथा अंजाम बुरा होगा. पूनम की बेरुखी से चंदन वर्मा को गहरा आघात पहुंचा था. वह समझ गया था कि पूनम उस के हाथ से फिसल गई है. उस का दिन का चैन और रात की नींद हराम हो गई थी. आखिर उस ने फैसला किया कि वह पूनम व उस के परिवार को मिटा देगा. इस के लिए वह योजना बनाने लगा. अपनी योजना उस ने किसी अन्य के साथ साझा नहीं की.
फिर 12 सितंबर, 2024 को उस ने न सिर्फ पूनम बल्कि उस के पति सुनील और दोनों बच्चों की गोली मार कर हत्या कर दी. 5 अक्तूबर, 2024 को उपचार के बाद पुलिस ने चंदन वर्मा से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उसे जिला सत्र न्यायाधीश के आवास पर पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. दरअसल, उसे न्यायाधीश के समक्ष कोर्ट में पुलिस को पेश करना था, लेकिन कोर्ट में जनता व वकीलों में भारी रोष था. अनहोनी की आशंका को देखते हुए पुलिस को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी.