300 करोड़ रुपए का घोटाला कर एक क्रेडिट सोसाइटी का डायरेक्टर साधु बन कर मंदिरों में प्रवचन करने लगा. पुलिस की आंखों में 14 महीने से धूल झोंक रहे इस नटवरलाल को दबोचने के लिए आखिर कैसाकैसा चोला धारण करना पड़ा? पढि़ए, इस रोचक कहानी में…
जिजाऊ मांसाहेब मल्टीस्टेट कोऔपरेटिव सोसाइटी की बीड शाखा के ग्राहक उस समय हाथ मलते रह गए, जब उन्होंने शाखा के गेट पर ताला लटका देखा. वे 2 महीने तक अपनी जमाराशि के लिए इधर से उधर भटकते रहे. अंत में थकहार कर इस मामले में जून, 2023 में महाराष्ट्र के शिवाजी नगर थाने में शिकायत की तो भादंवि की धारा 420 (धोखाधड़ी) और 406 (आपराधिक विश्वासघात) के तहत पुलिस ने डायरेक्टर व अन्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.
बबन शिंदे इस मामले में मुख्य आरोपी था. इस के बाद सोसाइटी की अध्यक्ष अनीता शिंदे और कुछ निदेशकों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया. दरअसल, महाराष्ट्र के बीड जिले में जिजाऊ मांसाहेब मल्टीस्टेट कोऔपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लि. की मुख्य शाखा में मई, 2023 में करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आया. इस शाखा में करीब 70 हजार खाताधारक थे. सोसाइटी के ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी कर उन की मेहनत की कमाई को सोसाइटी के डायरेक्टर ने हड़प लिया.
खाताधारकों को जैसे ही इस घोटाले की जानकारी हुई, बड़ी संख्या में वे सोसाइटी पर एकत्रित हो गए. ग्राहक परेशान और घबराए हुए थे. सोसाइटी के डायरेक्टर बबन विश्वनाथ शिंदे को जब अपने पकड़े जाने की आशंका हुई तो वह 3 जुलाई, 2023 को रातोंरात महाराष्ट्र से गायब हो गया.
जांच अधिकारी क्यों हो गया भ्रष्ट
इस मामले में एसआईटी का गठन किया गया. मजे की बात यह रही कि इस 300 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच के लिए जो सहायक जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था, उसी ने इस मामले में एक करोड़ रुपए की रिश्वत ले ली. बस यहीं से पूरे घोटाले की परतदरपरत खुलती चली गई. इस सोसाइटी की स्थापना साल 2013 में हुई थी. सोसाइटी के कर्ताधर्ता व डायरेक्टर बबन विश्वनाथ शिंदे ने अधिक ब्याज का लालच दे कर खाताधारकों से सोसाइटी में पैसा जमा करने को कहा. गरीब तबके के हजारों लोगों ने पसीना बहा कर जमा किए अपनी मेहनत के पैसे अपने भविष्य को सुखद बनाने के लिए सोसाइटी की मुख्य शाखा में जमा करा दिए थे.
उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि अधिक ब्याज के चक्कर में उन्होंने अपनी खूनपसीने की जो गाढ़ी कमाई सोसाइटी में जमा की है, उस से एक दिन उन्हें वंचित होना पड़ेगा. सोसाइटी का डायरेक्टर मुख्य आरोपी बीड जिले का निवासी बबन विश्वनाथ शिंदे पुलिस के शिकंजे में आने से पहले ही फरार हो गया था. उस पर जमाकर्ताओं से धोखाधड़ी करने के 5 मामले दर्ज हो चुके थे. ज्यादा ब्याज का लालच दे कर हजारों लोगों को अपने जाल में फंसा कर 300 करोड़ का घोटाला महाराष्ट्र के इस नटवरलाल ने कर दिया. पूरे महाराष्ट्र में इस घोटाले से हड़कंप मच गया.
पुलिस बबन विश्वनाथ शिंदे की गिरफ्तारी के लिए सरगरमी से जुट गई. पुलिस डालडाल तो वह पातपात. उस की लोकेशन का पता चलते ही पुलिस उस जगह पहुंचती, तब तक वह वहां से जा चुका होता था. वह जल्दीजल्दी अपनी लोकेशन बदल कर पुलिस की नाक में दम किए हुए था. चाह कर भी पुलिस उसे पकड़ नहीं पा रही थी.
नेपाल में छिप कर रहने लगा बबन
महाराष्ट्र में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद बबन 14 महीने से फरार चल रहा था. वह नेपाल तक में ठिकाना बना कर रहा था. सब से पहले पुलिस को उस की लोकेशन नेपाल में मिली. नेपाल से बबन ने एक व्यक्ति को इंटरनैशनल काल की, लेकिन पुलिस उसे ढंूढ नहीं पाई, क्योंकि वह लगातार अपना सिम कार्ड भी बदल रहा था. इस के बाद महाराष्ट्र पुलिस को उस की लोकेशन ओडिशा, असम, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में मिल रही थी. कहने को पुलिस को 4 राज्यों में लोकेशन मिल रही थी, लेकिन वह कुछ दिनों में ही अपनी लोकेशन बदल देता था, इसलिए पुलिस की पकड़ में नहीं आता था.
कुछ दिन पहले बीड पुलिस की एसआईटी को इनपुट मिला कि पुलिस जिस घोटालेबाज बबन शिंदे को 14 माह से तलाश रही है, वह पिछले 7 महीने से उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले की धार्मिक नगरी वृंदावन में छिपा है.
भेष बदल कर घोटालेबाज बन गया बबन महाराज
63 वर्षीय बबन शिंदे कुछ महीने पहले वृंदावन आया था. यहां आ कर सब से पहले उस ने अपना चोला बदला. वह सूटबूट छोड़, सफेद धोतीकुरता पहनता, सिर मुंडवा कर कंठी पहन कर, माथे पर चंदन का टीका लगा कर पूरी तरह साधु बन गया था. साधु बन कर यहां के एक नामचीन मंदिर में श्रीकृष्ण का भक्त बन कर रहने लगा. वृंदावन में वह अलगअलग मंदिरों में जा कर दर्शन व आरती भी करता था. वह वृंदावन के मंदिरों मे घूमघूम कर प्रवचन करने लगा. पिछले 7 महीने से वह बांकेबिहारी मंदिर के पास किराए पर एक कमरा ले कर रह रहा था. लोग उसे बबन महाराज कह कर पुकारते थे.
गिरफ्तारी से 15 दिन पहले महाराष्ट्र पुलिस वृंदावन पहुंची. 2 एसआई साधु के वेश में और बाकी टीम सादा कपड़ों में बांके बिहारी मंदिर क्षेत्र और रमण रेती क्षेत्र में लोगों की निगरानी करती रही. लगातार बबन शिंदे की तलाश की गई. इस बीच एक मंदिर से बबन शिंदे जैसा एक व्यक्ति आरती कर के बाहर आता दिखाई दिया. पुलिस टीम ने उस के दूर से ही फोटो खींच लिए. पूजा के सामान की दुकान से उस ने पूजा का सामान लिया था, उस दुकानदार की मदद से उस का मोबाइल नंबर पता किया. फोटो और मोबाइल नंबर से उस की पहचान के लिए साइबर एक्सपर्ट को भेजा. इस के बाद पुलिस टीम ने कोई ऐक्शन नहीं लिया. पुलिस टीम चुपचाप महाराष्ट्र लौट गई. 4 दिन बाद फिर पुलिस टीम वृंदावन आई. टीम ने जानकारी अपने अधिकारियों को दे दी.
बीड के एसपी अविनाश बार्गल के निर्देशन में क्राइम ब्रांच की एक टीम 24 सितंबर, 2024 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन पहुंची. इस टीम में मौजूद एसआई एस.एस. मुरकटे, एएसआई मुलसीराम, कांस्टेबल संजय पवार ने बबन शिंदे की लोकेशन पता करने के बाद उसे ट्रेस किया. इस के साथ ही वृंदावन कोतवाली पहुंच कर अपनी आमद दर्ज कराई. बताया कि धोखाधड़ी के आरोपी बबन शिंदे, जो वृंदावन में साधु के भेष में रह रहा है, को गिरफ्तार करना है. बीड पुलिस ने वृंदावन थाना पुलिस से उस की गिरफ्तारी के लिए सहयोग मांगा. इस के बाद कोतवाली वृंदावन से 2 सिपाही और एक थानेदार बीड पुलिस के साथ बबन शिंदे की गिरफ्तारी के लिए निकल गए.
बीड पुलिस ने वृंदावन पुलिस के सहयोग से उसी रात लगभग 12 बजे कृष्ण बलराम मंदिर के निकट बबन शिंदे को गिरफ्तार कर लिया. इस प्रकार पिछले 14 महीने से पुलिस से आंखमिचौली का खेल खेल रहा गबन का आरोपी अब पुलिस के शिकंजे में था. बबन शिंदे लंबे समय से वृंदावन में संतमहंत के वेश में छिपा था.
पुलिस को क्यों बनना पड़ा साधु
बबन शिंदे पुलिस द्वारा दबोच जरूर लिया गया, लेकिन 14 महीने तक लुकाछिपी के बाद. इस घोटालेबाज की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को बहुत पापड़ बेलने पड़े. पुलिस को भी उसी के रंग में रंगना पड़ा और पुलिस भी साधु बन कर उस तक पहुंची. वह मोहमाया छोड़ कर 7 माह से वृंदावन में सिर्फ कृष्ण भक्ति में रमा हुआ था. किसी को इस बात का पता नहीं था कि साधु के रूप में वह कितना बड़ा घोटालेबाज है. पुलिस ने उसे गबन के आरोप में गिरफ्तार कर शेर की खाल में छिपे भेडि़ए का परदाफाश कर दिया.
लोगों के जीवन भर की कमाई को गबन करने वाला क्रेडिट सोसाइटी का डायरेक्टर बबन शिंदे को गिरफ्तार करने के बाद जब महाराष्ट्र पुलिस की गाड़ी में बैठाया गया तो वह साधु का वेश छोड़ कर पैंट और शर्ट में आ गया था. उस के चेहरे पर किसी प्रकार की शिकन व पश्चाताप के भाव नहीं थे.
घोटाले की होगी परतदरपरत जांच
एसपी (सिटी) अरविंद कुमार ने बताया कि बबन शिंदे साधु के वेश में छिप कर रह रहा था ताकि पुलिस उस की पहचान न कर सके. उन्होंने कहा कि शिंदे की गिरफ्तारी से घोटाले के अन्य आरोपियों और घोटाले के तरीकों का भी खुलासा होने की उम्मीद है. शिंदे की गिरफ्तारी पर पुलिस अधिकारियों ने राहत की सांस ली है. घोटाले से जुड़े अन्य राज भी अब सामने आएंगे और जांच को गति मिलेगी. पुलिस को उम्मीद है कि बबन शिंदे से पूछताछ के बाद घोटाले की 300 करोड़ रुपए की रकम के बारे में पता चल सकेगा और इस रकम को बरामद कर पीडि़त लोगों को राहत प्रदान की जा सकेगी.
जांच में पता चला कि महाराष्ट्र के बीड जिले में जिजाऊ मांसाहेब मल्टीस्टेट कोऔपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी लि. की मुख्य शाखा की धाराशिव जिले में भी शाखाएं हैं. घोटालेबाज बबन अरविंद शिंदे को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस ने उसे मथुरा के न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे ट्रांजिट रिमांड पर पुलिस अपने साथ महाराष्ट्र ले गई. महाराष्ट्र पुलिस बबन विश्वनाथ शिंदे को ले कर महाराष्ट्र के बीड जिले में पहुंची और दूसरे दिन 27 सितंबर, 2024 को वहां की अदालत में पेश किया. उस के गिरफ्तार होने की जानकारी सोसाइटी के खाताधारकों को हुई तो अदालत के सामने हजारों जमाकर्ताओं की भीड़ जमा हो गई.
बबन शिंदे को पुलिस ने अदालत में पेश किया और उस की कस्टडी मांगी. न्यायाधीश ने उसे 14 दिन की पुलिस कस्टडी में सौप दिया. जब पुलिस उसे अदालत से ले जा रही थी तो कुछ जमाकर्ता महिलाओं ने अपने हाथ की चूडिय़ां निकाल कर बबन शिंदे पर फेंक कर अपना आक्रोश जताया.यह घटना बताती है कि अपराधी अपने अपराधों से बचने के लिए किस तरह के साधनों का उपयोग कर सकते हैं और कानून उन्हें ढूंढने में किस तरह की चुनौतियों का सामना करता है. अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, एक न एक दिन पुलिस की गिरफ्त में आ ही जाता है. याद रहे कि कानून के लंबे हाथों से बचना नामुमकिन है.
अब यह देखना होगा कि इस घोटालेबाज से पुलिस कितना पैसा वसूल पाती है? घोटाले के पीडि़तों को न्याय मिल पाता है या नहीं?
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित