गुजरात ऐसा राज्य है, जहां पर सुशासन की दुहाई देने वाली भाजपा की सरकार लंबे समय से है. इस के बावजूद इस राज्य के बंदरगाह पर भारी मात्रा में ड्रग्स पकड़ी जा रही है. यहीं से ड्रग्स अन्य राज्यों में पहुंचाई जाती है. महानगरों के युवा बड़ी तेजी से ड्रग्स की गिरफ्त में आखिर क्यों आते जा रहे हैं?
साल 2016 में एक फिल्म आई थी, जिस का नाम था ‘उड़ता पंजाब’. इस फिल्म की कहानी पंजाब की पृष्ठभूमि पर आधारित थी, जहां नशे में धुत रहने वाला टौमी सिंह (शाहिद कपूर) मशहूर पौप सिंगर है. जिस की वजह से बहुत सारे युवा, उस की ही तरह बनना चाहते हैं. कमोबेश यही स्थिति आज देश के महानगरों की है, जहां रेव पार्टियों में शामिल होने वाले युवकयुवतियां ड्रग्स के नशे में चूर रहते हैं. ड्रग्स के खिलाफ कड़े कानून और पुलिस की सख्ती के वावजूद देश में चल रहे करोड़ों रुपए के ड्रग्स के कारोबार को फलनेफूलने के लिए ड्रग्स तसकरों ने नए पैंतरे खोज निकाले हैं.
एक दिन वीरू नाम के एक युवक ने थ्रेमा ऐप पर अपने दोस्त जय को मैसेज किया, ”हैलो जय, एक खुशखबरी है. इंडिया में ब्रिटिश राक बैंड का प्रोग्राम है.’’
”हाय वीरू, आखिर ये प्रोग्राम कब और कहां होने वाला है?’’ जय ने पूछा.
”साल 2025 की 18 और 19 जनवरी को मुंबई के डी.वाई. पाटिल स्टेडियम में यह प्रोग्राम होगा.’’ वीरू ने रिप्लाई किया.
”जहां तक मेरा अनुमान है कि यह कोल्डप्ले राक बैंड होना चाहिए. इस की टिकट अभी से बुक करनी होगी, आप आओगे न भाई?’’ जय ने लिखा.
”हांहां क्यों नहीं, हम तो इस राक बैंड के दीवाने हैं. जय भाई, अपने साथ मेरी टिकट भी बुक करवा लेना.’’ वीरू ने मैसेज किया.
”आप के बिना म्यूजिक का मजा आएगा भला और फिर आप मुझे गिफ्ट भी तो लाएंगे.’’ जय ने मोबाइल पर अंगुलियां चलाते हुए लिखा.
”हां भाई, बिना गिफ्ट के अपना काम कैसे चलेगा. ऐसी गिफ्ट लाऊंगा कि इस म्यूजिक प्रोग्राम में बस सब झूमते नजर आएंगे.’’ वीरू ने रिप्लाई करते हुए लिखा.
दुबई में रहने वाला वीरू मुंबई के दोस्त जय के साथ ब्रिटिश राक बैंड को ले कर बातचीत कर रहा था. जब उन के बारे में गहराई से जांच की गई तो कोकीन तसकरी का भंडाफोड़ हो गया. हालांकि दोनों के बीच बातचीत कुछ इस तरह से चल रही थी कि कोई समझ ही नहीं सकता कि आखिर दोनों कह क्या रहे हैं, लेकिन वास्तव में यह चैट 2 इंटरनैशनल ड्रग्स नेटवर्क के शातिर प्लेयर्स के बीच की गुप्त बातचीत थी.
जांच में दोनों कोकीन तसकर गिरोह में शामिल पाए गए. यह भी खुलासा हुआ कि म्यूजिक कांसर्ट में इस ड्रग्स को बेच कर वे मोटी रकम कमाना चाहते थे. पुलिस को शक तब हुआ, जब वीरू और जय के बीच गिफ्ट भेजने की बातचीत होने लगी. यह गिफ्ट असल में पनामा से दुबई के रास्ते गोवा आने वाला था. पुलिस ने इस गिफ्ट पर नजर रखनी शुरू की तो पता चला कि यह गोवा से उत्तर प्रदेश (हापुड़ और गाजियाबाद) और फिर दक्षिणी दिल्ली के महिपालपुर पहुंच गया.
दिल्ली पुलिस ने दुनिया के बड़े शहरों में शुमार दुबई और पनामा से आने वाले ड्रग्स के एक बड़े रैकेट का परदाफाश किया. यह रैकेट म्यूजिक का शौकीन बन कर ड्रग्स की तसकरी करता था. इनक्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप थ्रेमा पर 2 म्यूजिक लवर्स के बीच एक संदिग्ध चैट की जांच करने पर दिल्ली पुलिस को कोकीन तसकरी के बारे में पता चला.
एक खास ऐप पर होती थी धंधे से जुड़े लोगों की बात
जांच में पता चला कि थ्रेमा ऐप पर एक आईडी ‘ङ्कछ्वक्क६९’ दिल्ली के एक शख्स की है, जो ‘एडम’ नाम की एक दूसरी आईडी के लगातार संपर्क में था. जब डिलीवरी नजदीक आई तो पुलिस ने जाल बिछाया और इस रैकेट को अपनी गिरफ्त में ले लिया. जब्त की गई ड्रग्स की मात्रा इतनी ज्यादा थी कि दिल्ली पुलिस की स्पैशल सेल के अधिकारी भी हैरान रह गए. कई मशीनों से ड्रग्स को तौला गया. दिल्ली में इतनी बड़ी मात्रा में कोकीन की बरामदगी से पता चलता है कि ‘अमीरों की ड्रग’ की वापसी हो गई है. यह इस बात का भी संकेत देता है कि दिल्ली और मुंबई में इस ड्रग की मांग एक बार फिर बढ़ गई है. अभी भी कोकीन बाजार में उपलब्ध सब से महंगी ड्रग है.
कोकीन की तसकरी करना आसान नहीं है, क्योंकि यह मुख्य रूप से 3 लैटिन अमेरिकी देशों— पेरू, बोलीविया और कोलंबिया में उगाई जाती है. यह खेप कोलंबिया में उगाई गई थी और पनामा से होती हुई दुबई के रास्ते गोवा पहुंची थी. थ्रेमा एक ऐसा सुरक्षित मैसेजिंग प्लेटफार्म माना जाता है, जिस में थ्रेमा के मैसेज या काल का पता लगाना मुश्किल होता है. स्विट्जरलैंड में बना थ्रेमा ऐप आईफोन और एंड्राइड स्मार्टफोन के लिए एक ओपन सोर्स एंड-टू-एंड एनक्रिप्टेड इंस्टेंट मैसेजिंग एप्लीकेशन है.
थ्रेमा पर यूजर को अकाउंट बनाने के लिए ईमेल पता या फोन नंबर दर्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है. थ्रेमा दुनिया का सब से अधिक बिकने वाला सुरक्षित मैसेंजर है और यह आप के डेटा को हैकर्स, निगमों और सरकारों के हाथों से दूर रखता है. सेवा का उपयोग पूरी तरह से गुमनाम रूप से किया जा सकता है. दरअसल, दिल्ली पुलिस ने अक्तूबर 2024 के पहले सप्ताह में अब तक के सब से बड़े इंटरनैशनल ड्रग्स सिंडिकेट का भंडाफोड़ करते हुए 560 किलोग्राम से अधिक कोकीन और 40 किलोग्राम हाइड्रोपोनिक मारिजुआना जब्त की और 4 लोगों को गिरफ्तार किया. इस ड्रग्स की बाजार में कीमत 5,620 करोड़ रुपए है.
देश की राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ महीनों से दबे पांव नशे का अवैध कारोबार चल रहा था. कारोबार को अंजाम देने वाले तसकर पुलिस को चकमा दे कर दिल्ली एनसीआर की युवा नस्लों में नशे के बीज बोने की भरसक कोशिश भी कर रहे थे. इन सब के बावजूद पुलिस की पैनी नजर नशे के कारोबारियों पर हर वक्त बनी हुई थी. दिल्ली पुलिस को 1-2 महीने पहले ही ड्रग्स तसकरी की जानकारी लग गई थी, लेकिन पुलिस ने जल्दबाजी न दिखाते हुए पहले इन तसकरों की जानकारी जुटाई और योजना बना कर नशे के खिलाफ ऐक्शन मोड में काम करना शुरू कर दिया.
दिल्ली में कैसे पहुंची कोकीन की बड़ी खेप
दिल्ली पुलिस की स्पैशल सेल के पास इस इंटरनैशनल ड्रग रैकेट के बारे में पुख्ता जानकारी थी. स्पैशल सेल ने इस गैंग को पकडऩे के लिए जोरदार तरीके से जाल बिछाया. दिल्ली पुलिस के खुफिया तंत्र को पता चला कि एक संदिग्ध ड्रग कार्टल दिल्ली में सक्रिय है तो पुलिस ने उस के खुफिया मैसेज को रिकौर्ड करने शुरू किए. दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों में 40 साल का तुषार गोयल, 27 साल का हिमांशु कुमार, 23 साल का औरंगजेब सिद्दीकी और मुंबई से 48 साल का भरत कुमार जैन शामिल है.
गिरोह का सरगना तुषार गोयल दिल्ली की पौश कालोनी वसंत विहार का निवासी है और यह अंतरराष्ट्रीय ड्रग रैकेट का एक बड़ा डिस्ट्रीब्यूटर है, जबकि बाकी 3 लोग उस के सहयोगी हैं. भरत कुमार जैन दिल्ली में तुषार गोयल से 15 किलोग्राम कोकीन की खेप लेने आया था, लेकिन उस से पहले ही महिपालपुर में एक गोदाम के बाहर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया. गोदाम से 22 कार्टन में रखे प्रतिबंधित ड्रग्स बरामद किए गए. दिल्ली पुलिस की स्पैशल सेल के एडिशनल पुलिस कमिश्नर पी.एस. कुशवाहा के अनुसार यह दिल्ली में अब तक की सब से बड़ी ड्रग्स बरामदगी में से एक है.
दिल्ली के अलावा भोपाल में ड्रग्स बनाने की एक फैक्ट्री का हुआ भंडाफोड़
भोपाल के बगरौदा गांव स्थित प्लौट नंबर एफ-63 में ड्रग्स की फैक्ट्री चल रही थी, इस की भनक भोपाल पुलिस को तब लगी, जब गुजरात एटीएस और एनसीबी की 15 सदस्यीय टीम ने फैक्ट्री पर दबिश दी. कवर देने के लिए कटारा हिल्स पुलिस फैक्ट्री के बाहर तैनात थी. शनिवार 5 अक्तूबर, 2024 को दोपहर 12 बजे शुरू हुई इस काररवाई ने एटीएस अधिकारियों के भी होश उड़ा दिए. ड्रग्स बनाने के कैमिकल को तौलना शुरू किया तो मात्रा 907 किलोग्राम तक पहुंच गई. यह काररवाई रात करीब 9 बजे तक चलती रही.
बरामद ड्रग्स की कीमत 1814.18 करोड़ रुपए बताई गई. पुलिस की दबिश के दौरान फैक्ट्री में अमित प्रकाशचंद्र चतुर्वेदी निवासी सुलतानाबाद भोपाल और सान्याल बाने निवासी नासिक महाराष्ट्र मौजूद थे, जिन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया. वहीं, फैक्ट्री के 2 मजदूरों को पुलिस ने पूछताछ के बाद छोड़ दिया. उन्हें पता नहीं था कि फैक्ट्री में कैमिकल के नाम पर ड्रग्स तैयार की जाती है. गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर लेने के लिए गुजरात एटीएस ने उन्हें भोपाल न्यायालय में पेश किया. पुलिस की टीम दोनों आरोपियों को रिमांड पर गुजरात ले गई.
ड्रग केस में पुलिस ने तीसरे आरोपी 32 साल के हरीश आंजना को भी गिरफ्तार कर लिया. हरीश मंदसौर जिले का रहने वाला है. वह जिले का कुख्यात तसकर है उस के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट में पहले भी कई बार काररवाई की जा चुकी है. पूछताछ के दौरान हरीश ने कुबूल किया कि एमडी ड्रग बनाने में इस्तेमाल होने वाला कैमिकल गुजरात-महाराष्ट्र के रास्ते वही सप्लाई करता था. उस ने मंदसौर निवासी प्रेम पाटीदार से भी ड्रग्स लिया था. इस के अलावा राजस्थान के अन्य तसकरों के भी तार मामले से जुड़े पाए गए.
एटीएस ने महीने भर भोपाल में रह कर रखी नजर
गुजरात के आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) की टीम पिछले 6 महीने से भोपाल की इस ड्रग्स फैक्ट्री पर नजर रखे हुए थी. 2020 में महाराष्ट्र में एक किलोग्राम एमडी ड्रग्स केस में सान्याल बाने को जेल भेजा था. 2022 में जमानत पर छूटे इस तसकर सान्याल बाने पर 6 महीने से नजर रखी जा रही थी. वह लगातार भोपाल, इंदौर और उज्जैन के बीच आनाजाना कर रहा था. भोपाल के पास इंडस्ट्रियल इलाके में उस की गतिविधियां बढ़ीं तो एटीएस ने जांच शुरू कर दी.
एटीएस टीम को पता चला कि इलाके में एक फैक्ट्री है, जिस का वेंटिलेशन ग्राउंड लेवल से लगा हुआ है. आमतौर पर ऐसा कैमिकल वाली फैक्ट्री में ही होता है. क्योंकि, अन्य फैक्ट्रियों में धुएं की निकासी के लिए चिमनी या वेंटिलेशन छत पर होता है. इस से जांच टीम का शक बढ़ा और 17 पुलिसकर्मियों की टीम जांच के लिए एक महीने तक भोपाल में रुकी.
इस दौरान अहमदाबाद एटीएस औफिस से सर्विलांस किया जा रहा था. इस तरह 3 मोर्चों पर जांच कर एटीएस गुजरात देश की सब से बड़ी ड्रग्स प्रोसेसिंग फैक्ट्री तक पहुंच सकी. जब एटीएस ने एनसीबी के साथ 5 अक्तूबर, 2024 को छापामार काररवाई की तो इस दौरान पता चला कि यहां मादक दवा मेफेड्रोन (एमडी) बनाने का काम चल रहा था. इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाला करीब 5 हजार किलोग्राम कच्चा माल और उपकरण भी फैक्ट्री में मिले. इन में ग्राइंडर, मोटर,
ग्लास फ्लास्क, हीटर और अन्य उपकरण शामिल थे.
इन सभी सामग्रियों को आगे की जांच के लिए जब्त कर लिया गया. जांच के लिए पहुंची टीम ने फैक्ट्री में एंट्री की तो कुछ ही देर बाद टीम का दम घुटने लगा. इस के बाद कैमिकल रेजिस्टेंस मास्क मंगवाए गए, जिन्हें पहन कर टीम ने जांच की. अमित और सान्याल की इस फैक्ट्री में बिना फेस मास्क के जाना संभव नहीं था.
भोपाल में कैसे शुरू हुई ड्रग्स फैक्ट्री
भोपाल के कोटरा सुलतानाबाद की द्वारिकापुरी कालोनी में कुल 66 मकान हैं. इन में से पांचवें नंबर का मकान अमित चतुर्वेदी का है. घर के बाहर अमित के पिता पी.सी. चतुर्वेदी यानी प्रकाश चंद्र चतुर्वेदी की नेमप्लेट लगी हुई थी. करीब 2 हजार स्क्वायर फीट में बना मकान दोमंजिला है. अमित चतुर्वेदी के पिता प्रकाश चतुर्वेदी मध्य प्रदेश पुलिस में टीआई थे, उन का 5 साल पहले निधन हो चुका है. घर में अमित के साथ उस की पत्नी और मां रहते हैं. अमित का बेटा और बेटी दोनों विदेश में रहते हैं.
जीवन के उतारचढ़ाव देखतेदेखते अमित चतुर्वेदी की उम्र 57 साल हो गई थी, परंतु वह कोई भी काम स्थाई तौर पर नहीं कर पा रहा था. वैसे तो वह साइंस ग्रैजुएट था, लेकिन जवानी के दिनों से ही अमित की लाइफस्टाइल हाईप्रोफाइल थी, उसे मंहगी कारों में घूमने का शौक था. उस का सपना अमीर आदमी बनने का था. अमित शुरुआत में प्राइवेट जौब करता था. बाद में उस ने 2 बार खुद का अलगअलग कारोबार शुरू किया, मगर दोनों बार वह बिजनैस में इसलिए नाकाम रहा, क्योंकि उस की आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया था.
5 साल पहले 2017 में अमित की मुलाकात महाराष्ट्र के नासिक में रहने वाले सान्याल बाने से हुई थी. एक दोस्त के जरिए उस की सान्याल से पहली मुलाकात मुंबई में हुई थी. पहली मुलाकात में ही अमित ने सान्याल से पूछ लिया था, ”भाई, कोई ऐसा फार्मूला बताओ कि जल्द ही अपने आगे पैसों का ढेर लग जाए.’’
”सब्र करो दोस्त, वक्त आने पर तुम्हें यह हुनर भी बताऊंगा, बस दोस्ती कायम रखना.’’ अमित के हाथ को अपने हाथों से दबाते हुए सान्याल बोला.
दोस्ती होने के बाद कई बार दोनों नासिक में भी एकदूसरे से मिले थे. इसी दौरान एनडीपीएस ऐक्ट केस में सान्याल को मुंबई पुलिस ने पकड़ लिया और उसे 5 साल की सजा हो गई और लंबे समय तक वह आर्थर रोड जेल मुंबई में रहा. मुंबई की आर्थर रोड जेल में सजा के दौरान ही सान्याल का परिचय जेल में बंद अलगअलग प्रदेशों के ड्रग्स तसकरों से हुआ. इन तसकरों में तुषार गोयल नाम का कुख्यात तसकर भी शामिल था, जो दिल्ली का रहने वाला था. तुषार के पंजाब, हरियाणा, नेपाल, गुजरात में उस के कई ठिकाने थे. यहीं से सान्याल को एमडी ड्रग्स की तसकरी का रास्ता मिला. इस से पहले वह कोकीन और चरस जैसे मादक पदार्थ बेच रहा था.
तुषार से नजदीकियों का फायदा उठाते हुए सान्याल ने जेल में रहते हुए अपने खास गुर्गे हरीश आंजना (32 साल) को अमित के पास पहुंचाया. हरीश और सान्याल भी आर्थर रोड जेल में साथ रहे थे. 32 साल का हरीश मध्य प्रदेश के मंदसौर का रहने वाला था. हरीश ने जेल से छूटने के बाद अमित से मुलाकात की और उसे सान्याल की दोस्ती का वास्ता दे कर शार्टकट रास्ते से अमीर बनने का सपना दिखाया.
हरीश ने अमित से कहा, ”दोस्त, यदि तुम्हें अमीर बनना है तो भोपाल के बाहरी इलाके में कोई जमीन तलाश करो, जहां हम ड्रग्स की फैक्ट्री लगा सकें.’’
इस तरह एकदूसरे से जुड़ते गए ड्रग तसकर
जल्द अमीर बनने का सपना देख रहे अमित ने जमीन की तलाश शुरू की तो उसे पता चला कि भोपाल जिले के ही बगरौदा गांव में जयदीप सिंह की एक फैक्ट्री है, जो कोरोना के बाद से ही बंद पड़ी हुई थी. इस फैक्ट्री का अलौटमेंट एस.के. सिंह नाम के व्यक्ति को था, जिसे बाद में जयदीप ने खरीद लिया था. अमित ने जयदीप सिंह से मिल कर फैक्ट्री किराए पर लेने की पेशकश की तो जयदीप सिंह ने अमित से पूछा, ”इस जमीन पर क्या काम करना चाहते हो?’’
”हम बड़े पैमाने पर फरनीचर बनाने का काम करना चाहते हैं. फैक्ट्री में लकड़ी पर होने वाला पौलिश भी बनाया जाएगा.’’ अमित ने अपना प्लान समझाते हुए जयदीप सिंह से कहा.
जयदीप सिंह को भी पैसों की जरूरत थी, इसलिए उस ने किराए पर फैक्ट्री देने की सहमति दे दी. फैक्ट्री शुरू करने के लिए एडवांस और किराए से ले कर सामान मंगाने तक का पूरा इनवेस्टमेंट सान्याल ने किया था. हरीश सान्याल के इशारे पर हवाला से आई रकम अमित तक पहुंचाता था.
जब फैक्ट्री में ड्रग्स का प्रोडक्शन शुरू हुआ तो हरीश ही इस ड्रग्स को अलगअलग तरीकों से मंदसौर, फिर वहां के रास्ते ग्राहकों तक भेजा करता था. इस काम के लिए उसे हर खेप से कमाई गई रकम का 10 फीसदी हिस्सा मिलता था. सान्याल भी 6 महीने पहले जेल से रिहा हुआ तो उस के बाद अमित के साथ ही फैक्ट्री चलाने लगा था. सान्याल समयसमय पर भोपाल आता तो वह होटल में ठहरता था.
भोपाल की फैक्ट्री में एमडी ड्रग्स बनाने के लिए अमित ने 2 मजदूरों को काम पर रखा हुआ था. वह दिन में करीब 4 से 5 बार फैक्ट्री आता था और मजदूरों को कैमिकल तैयार करने के तरीके बताता था. हालांकि काम करने वाले मजदूर इस बात से अंजान थे कि फैक्ट्री में ड्रग्स बनाया जा रहा है. फैक्टरी से गुजरात एटीएस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) को सिर्फ कच्चा माल ही बरामद हुआ, जिस के बाद कागजी काररवाई कर फैक्ट्री को सील किया गया.
सोशल मीडिया चैट से हुए चौंकाने वाले खुलासे
ड्रग्स तसकरी में पकड़े गए इन आरोपियों की सोशल मीडिया चैट से पता चला है कि इस गिरोह का नेटवर्क देश और विदेश में भी था. नासिक के सान्याल बाने के टेलीग्राम से कई विदेशियों के जुड़े होने की बात सामने आई है. साथ ही देश में पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में इस गैंग के गुर्गे विशेष रूप से सक्रिय थे. अमित चतुर्वेदी की चैट से भी अहम जानकारी सामने आई. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के निशाने पर लोकल नेटवर्क भी है.
एनसीबी ने पूछताछ के लिए भोपाल के 4 लोगों को तलब किया. ये सभी कमला नगर और खजूरी सड़क क्षेत्र के थे. आरोपी सान्याल बाने 2010 में विदेश टूर भी कर चुका है. इस का खुलासा आरोपी के जब्त पासपोर्ट से हुआ है. इसी के साथ आरोपी की ट्रैवल हिस्ट्री में 2018 तक 113 बार अलगअलग राज्यों में डोमेस्टिक फ्लाइट का इस्तेमाल किए जाने की बात सामने आई.
मंदसौर जिले के माल्या खेरखेड़ा में रहने वाला 32 साल का हरीश भी पेशेवर तसकर है. हरीश डोडा चूरा, अफीम, गांजे की तसकरी में 2022 में ग्वालियर में पकड़ा गया था. क्राइम ब्रांच की जांच में पता चला है कि ड्रग्स की डील के लिए हरीश फ्लाइट से आताजाता था. जांच एजेंसी पता कर रही है कि हरीश एमडी ड्रग्स की डील के लिए ऐसा ही पैटर्न अपना रहा था. इस से पहले हरीश को अफीम और डोडा चूरा की तसकरी के मामले में मंदसौर और रतलाम में गिरफ्तार किया जा चुका है.
हरीश के परिवार का पेशा अफीम की खेती करना है. हरीश भी इंजीनियरिंग की पढ़ाई अधूरी छोड़ अपराध की दुनिया में दाखिल हो गया था. हरीश के खिलाफ 5 साल में अलगअलग थानों में नशीले पदार्थों की तसकरी की रिपोर्ट दर्ज हुईं. जिले में कुछ पुलिसकर्मियों का सपोर्ट व उपमुख्यमंत्री का राजनीतिक वरदहस्त होने के कारण ही हरीश इस मुगालते में था कि उस का कुछ नहीं बिगड़ेगा.
सिंथेटिक ड्रग एमडीएमए राजस्थान के सीमावर्ती गांवों अखेपुर व देवल्दी में पहुंचती थी. देवल्दी का शोएब लाला व अखेपुर में रहने वाले कुछ लाला पठान ही एमडीएमए ड्रग को नेटवर्क के जरिए खपा रहे थे. हरीश आंजना व प्रेमसुख पाटीदार भी शोएब लाला के संपर्क में आने के बाद इस नेटवर्क से जुड़ गए थे. धीरेधीरे भोपाल के सान्याल और चतुर्वेदी से जुड़ कर तसकरी के नेटवर्क के बड़े खिलाड़ी बन गए.
पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि राजस्थान के एक सीमावर्ती गांव का लाला भी इस अवैध ड्रग्स गैंग से जुड़ा हुआ था. हरीश आंजना ने पुलिस को बताया है कि लाला भोपाल की फैक्ट्री से एमडी ड्रग्स ले कर आता था और हरीश और प्रेम पाटीदार उसे बेचते थे. डीआईजी मनोज कुमार सिंह ने बताया था कि पूछताछ में यह भी पता चला कि हरीश आंजना गुजरात के वापी से कैमिकल ले कर आता था, जिस से एमडी ड्रग्स बनाई
जाती थी.
गैंग के लोगों की अलगअलग थीं जिम्मेदारियां
हरीश आंजना का मुख्य साथी प्रेमसुख पाटीदार भी था. हरीश व प्रेमसुख के राजनेताओं के कनेक्शन से जिले सहित प्रदेश स्तर तक राजनीतिक हलचल मची हुई है. हरीश आंजना के साथ उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के अनेक फोओ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. प्रेमसुख पाटीदार सुवासरा विधानसभा से 2 बार चुनाव लड़ चुके कांग्रेस नेता राकेश पाटीदार का साला है, वहीं उस की एक बहन हथुनिया के दमदार भाजपा नेता बंशीलाल पाटीदार की बहू है.
बंशीलाल पाटीदार का क्षेत्र में अच्छा रसूख है. उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा से भी वह सीधा जुड़े हुआ है. इधर सुवासरा विधानसभा में 2020 के उपचुनाव व 2023 के विधानसभा चुनाव में राकेश पाटीदार के प्रबंधन का कार्य प्रेमसुख पाटीदार ही देख रहा था. प्रेमसुख के पास भी महंगी रेंज रोवर गाड़ी है. वह मंदसौर जिले के गांव उदपुरा का रहने वाला है. बाद में वह 10-15 साल हथुनिया में भी रहा. अभी वह दलौदा में सांवरिया विहार कालोनी में रह रहा था. मंदसौर में भी उस के मकान हैं और उस की 10 बीघा खेती भी बताई जा रही है. पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि राजस्थान के एक सीमावर्ती गांव का लाला भी इस अवैध ड्रग्स गैंग से जुड़ा हुआ है.
हरीश आंजना ने पुलिस को बताया कि लाला भोपाल की फैक्ट्री से एमडी ड्रग्स ले कर आता था और हरीश और प्रेम पाटीदार उसे बेचते थे. भोपाल में पकड़े गए तसकर अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तसकरी गिरोह से जुड़े हैं. दिल्ली में पकड़ी गई कोकीन फैक्ट्री का संचालन भी इसी गिरोह से जुड़ा तुषार गोयल परदे के पीछे रह कर करता था. गुजरात एटीएस और एनसीबी इस गिरोह से जुड़े तुषार गोयल, जितेंद्र पाल सिंह उर्फ जस्सी, हिमांशु कुमार, औरंगजेब सिद्दीकी और भरत कुमार जैन को पहले ही पकड़ चुकी है.
इन्हीं आरोपियों से पूछताछ में सान्याल की भोपाल में चल रही ड्रग्स की फैक्ट्री की जानकारी एनसीबी को मिली थी. सभी आरोपी विदेशों तक ड्रग की तसकरी करने में माहिर हैं.
लाखों के माल से कमाते थे करोड़ों रुपए
एटीएस की पूछताछ में आरोपियों ने यूके और दुबई तक ड्रग्स की खेप भेजने की योजना की बात कबूल की है. आरोपी लेनदेन के लिए क्रिप्टो करेंसी का भी इस्तेमाल करते थे. भोपाल में गुजरात एटीएस ने जिस फैक्ट्री में ड्रग्स बनाने के गोरखधंधे का भंडाफोड़ किया, उस फैक्ट्री के मालिकों एस.के. सिंह और जयदीप सिंह के खिलाफ भी भोपाल पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की.
अमित चतुर्वेदी और सान्याल से पूछताछ में पता चला कि फैक्ट्री में एमडी ड्रग्स बनाने वाला रा मटेरियल गोडाउन में रखा जाता था. जानकारी पुख्ता होते ही भोपाल पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची और छापामारी की काररवाई की. पुलिस ने यहां से काररवाई में 20 कैमिकल ड्रम बरामद किए. इस कैमिकल से एमडी ड्रग तैयार की जाती थी. स्थानीय बाजार में इस रा मटेरियल की कीमत करीब 30 लाख रुपए है, लेकिन अगर इस से एमडी ड्रग बन कर तैयार हो जाती तो उस की कीमत 200-300 करोड़ रुपए हो जाती.
भोपाल के डीसीपी एस.के. अग्रवाल के मुताबिक गोडाउन से 1600 लीटर एसीटोन, 1000 लीटर टोलविन, 100 लीटर हाइड्रोक्लोरिक एसिड, 200 किलोग्राम सोडियम कार्बोनाइट पाउडर, 240 लीटर सौल्विंट है, 40 किलोग्राम सोडियम कार्बोनेट 42 बोटल गोमिन है. 20 लीटर अन्य लिक्विड भी बरामद किया गया. 50 किलोग्राम मैथालिमिन हाइड्रोक्लोराइड है. 50 किलोग्राम लाइट सोडा एस, 10 किलोग्राम किस्टल दानेदार पाउडर बरामद किया.
भोपाल के बाद अब प्रदेश के आदिवासी बहुल जिला झाबुआ के मेघनगर से 168 करोड़ रुपए की खतरनाक ड्रग्स जब्त की गई. 12-13 अक्तूबर, 2024 को डायरेक्टोरेट रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) की टीम ने मेघनगर में छापा मार कर एक दवा फैक्ट्री से बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थ में मेफेड्रोन जब्त किया है. 36 किलोग्राम पाउडर और 76 लीटर लिक्विड रूप में एमएमसी ड्रग्स जब्त की गई, जिस की कीमत 168 करोड़ रुपए बताई गई.
इस मामले में फैक्ट्री के डायरेक्टर सहित 4 लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ की तो इस मामले में नए खुलासे हुए. इस फैक्ट्री का कनेक्शन गुजरात से बताया जा रहा है. दरअसल, डीआरआई की टीम ने मेघनगर स्थित एक फार्मा कंपनी में दबिश दी, जहां काररवाई करते हुए मेफेड्रोन के साथ डीआरआई की टीम ने मशीन और अन्य कच्चा पदार्थ भी जब्त किया. काररवाई के बाद इस फैक्ट्री को टीम ने सील कर दिया. डीआरआई टीम ने बताया कि मेघनगर फार्मा नाम से चल रही इस दवा फैक्ट्री में खतरनाक ड्रग्स का प्रोडक्शन बड़े स्तर पर किया जा रहा था. फैक्ट्री के मालिक का नाम विजय बताया गया, जो गुजरात का रहने वाला है. एक साल पहले ही इस फैक्ट्री का संचालक बदला गया है.
डीआरआई की टीम ने इस मामले में
फैक्ट्री के डायरेक्टर सहित कुल 4 लोगों को गिरफ्तार किया. गौरतलब है कि फैक्ट्री से लिए गए सैंपल में मेफेड्रोन होने की पुष्टि हुई है, जो भारत में पूर्णरूप से प्रतिबंधित है. यह एमडीएमए की तरह बेहद खतरनाक ड्रग्स है. इस के बाद इस मामले में केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो ने भी अपनी जांच शुरू कर दी.
मिश्री की डली जैसी दिखती है एमडीएमए ड्रग्स
मिश्री की डली जैसी दिखने वाली एमडीएमए सिंथेटिक ड्रग की पहचान अभी अधिकांश पुलिसकर्मियों को नहीं है. पुलिस के पास इस की जांच के किट भी नहीं हैं. इस का फायदा तसकरों को मिल रहा है. इसी चक्कर में यह मध्य प्रदेश के कई नगरों में जगहजगह फैल गई है. मिश्री की डली जैसी दिखने वाली एमडीएमए की प्रारंभिक पहचान भी हर कोई नहीं कर सकता है. यही कारण है कि मंदसौर में एमडी का नशा काफी तेजी से फैलता गया और पुलिस इसे पकड़ भी नहीं पाई.
मिथाईलीनडाइऔक्सी-मेथाएम्फेटामीन (एमडीएमए) नामक दवा आनंद, भावनात्मक गर्मजोशी, बढ़ी हुई ऊर्जा और विकृत संवेदी धारणा की भावना पैदा करने के लिए जानी जाती है. एमडीएमए को आमतौर पर एक पार्टी ड्रग के रूप में माना जाता है और इसे नाइट क्लब जैसी जगहों से जोड़ा जाता है. एमडीएमए को अकसर मोली या एक्स्टेसी कहा जाता है और इसे अकसर गोली या कैप्सूल के रूप में लिया जाता है.
एमडी ड्रग्स का साइंटिफिक नाम मिथाइलीनडाइऔक्सी मेथाएम्फेटामीन है. यह एक तरह का सिंथेटिक ड्रग है यानी इसे गांजा, अफीम की तरह पौधे से नहीं बनाया जाता. यह टैबलेट और पाउडर दोनों रूप में मिलता है. टैबलेट के रूप में यह ड्रग्स एक्सटेसी कहलाता है, जबकि पाउडर या क्रिस्टल रूप का प्रचलित नाम मैंडी है.
एमडी ड्रग्स का सेवन करने वालों को लगता है कि उन की ऊर्जा अचानक से बढ़ गई है. इस कारण व्यक्ति अपने आप को उत्साहित और आनंदित महसूस करता. वह बेहद भावुक हो जाता है और भ्रम की स्थिति में रहता है. नशे का असर करीब 6 घंटे तक रहता है, इसलिए इसे देर तक ठहरने वाला नशा बताया जाता है. एक किलोग्राम एमडीएमए ड्रग्स की इंटरनैशनल मार्केट में कीमत 5 करोड़ रुपए है.
शोएब लाला की तलाश में जुटी एनसीबी
आरोपियों से अब तक की पूछताछ में सामने आया है कि शोएब लाला के पूरे राजस्थान में कौन्टैक्ट हैं. वह राजस्थान और दूसरे राज्यों में तसकरों के बीच मीडिएटर की अहम भूमिका निभा रहा था. कथा लिखे जाने तक एनसीबी शोएब लाला की तलाश कर रही थी, लेकिन वह फरार था. ड्रग्स की खेप सड़क मार्ग से एक राज्य से दूसरे राज्य और शहरों तक पहुंचाई जाती थी. इस के लिए सभी आरोपी लग्जरी कारों का इस्तेमाल करते थे. एनसीबी की जांच में हरीश के पास 5 लग्जरी कारें होने की जानकारी मिली, प्रेमसुख के पास 3 लग्जरी कारें हैं. इन 8 कारों के जरिए ही ड्रग्स का पूरा नेटवर्क चलता था. कच्चा माल ट्रांसपोर्टर्स के माध्यम से बगरौदा की फैक्ट्री तक लाया जाता था. एनसीबी ने भोपाल के 5 ट्रांसपोर्टर्स से भी इस मामले में पूछताछ की.
नशीले पदार्थों की डिलीवरी के लिए आरोपियों ने अनोखा तरीका अपनाया था. पहचान छिपाने के लिए आरोपी ड्रग की खेप खास पीले रंग की पौलीथिन में पैक करते थे. जिस शहर में इस माल की डिलीवरी करनी होती थी, वहां आउटर में माल को सुबह 3-4 बजे के बीच ही छोड़ा जाता था.
यहां से माल देने वाला टेलीग्राम या वाट्सऐप पर लाइव लोकेशन सेंड करता था. माल उठाने वाला इस लोकेशन के आधार पर पहुंचता और माल को उठा कर ले जाता था. डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए शोएब लाला के गुर्गे दूर खड़े हो कर निगरानी करते थे. माल रिसीव करने के बाद टेलीग्राम ग्रुप में रिसीव्ड का मैसेज किया जाता था.
—कथा मीडिया रिपोर्ट पर आधारित