बीवी ब्यूटीशियन और पति एक नंबर का नशेड़ी और बेशर्म. ऊपर से निकम्मा व बेरोजगार. आखिर कितने दिन निभती. उन की जिंदगी के मैदान से ले कर मन तक में भी कोहराम मच गया था. बात तलाक से ले कर हरजाने तक जा पहुंची… फिर जो हुआ, उस की किसी ने कल्पना तक नहीं की थी. पढ़ें, इस अपराध कहानी में कि कैसे पुलिस को एक हत्या की जांच करतेकरते 5 साल पहले की दूसरी हत्या के राज का पता चल गया?

दरअसल अगस्त की 10 तारीख थी. उस रोज वह बेहद तनाव में था. रात गहरी हो चुकी थी. कमरे में अकेले शराब के कई पैग लगाने के बाद उस ने अपने दोस्त को फोन मिला दिया, ”हैलो किरण!’’

हां दोस्त, बोल, इतनी रात को फोन किया?’’

हां यार, नींद नहीं आ रही है, कोई उपाय बताओ न.’’

तू बोल तो अपने मालिक से बात करूं तुम्हारे काम के लिए, लेकिन दिन में नशा नहीं करना.’’ किरण हिदायत देता हुआ बोला.

अरे नहीं यार, नौकरी की बात नहीं कर रहा मैं, मेरी मुसीबत कुछ और है.’’ उमेश लडख़ड़ाती जुबान से बोला, ‘अब कौन से नई मुसीबत आ गई?’’ किरण बोला.

अरे यार, तुझे मालूम तो है, ललिता तलाक मांग रही है. अब कहती है, 10 हजार रुपया महीना खर्चा देना होगा.’’

ऐंïऽऽ इतना पैसा! एक औरत और छोटे बच्चे के खर्च का?’’ किरण आश्चर्य से बोला.

हां यार, अपनी खूबसूरत का पैसा वसूलना चाहती है. हरामजादी है बहुत कमीनी औरत. उस को अपने रूप का धमंड है, पार्लर से कमाई का गुरूर है…’’ उमेश नाराजगी के साथ बोला.

अब क्या करेगा तू?’’ किरण बोला.तू ही बता न, मैं क्या करूं अब. इतने पैसे मैं कहां से लाऊंगा?’’ उमेश बोला.

मेरी मान तू भी वही कर, जो मैं ने अपनी वाइफ के साथ किया था.’’ किरण समझाने के अंदाज में कहा.

क्या किया था तूने?’’ उमेश ने जिज्ञासा से पूछा.

वह सब फोन पर नहीं बता सकता. कल सुबह मिलना, मिल कर बात करेंगे.’’ किरण बोला.

पक्का दोस्त! तू ही मेरे कमरे पर सुबह आ जाना. कल संडे भी है, तुम्हारी छुट्टी होगी. हम लोग मिल कर मटन पकाएंगे और फिर मजे करेंगे!’’

बेंगलुरु ग्रामीण इलाके का एक कस्बा है मदनायाकलहल्ली. वहीं उमेश की पत्नी ललिता अपने घर में ब्यूटीपार्लर चलाती थी. इस से होने वाली आमदनी से उस के छोटे से परिवार का भरणपोषण होता था. वह अप्रैल 2021 से ही पति से अलग हो कर अपने 5 साल के बेटे के साथ अकेली रह रही थी. ऐसा उस ने शादी के महज डेढ़ साल बाद ही किया था. पति उमेश ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी और यह कहते हुए अलग हो गई कि उस के नशेड़ी होने का असर बेटे पर भी पड़ेगा.

ललिता के घर छोडऩे की बड़ी वजह उमेश की बिगड़ी आदतें ही थीं. कहने को तो उमेश बेंगलुरु की एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन उस की तख्वाह से घर का खर्च नहीं चल पाता था. वह जितना कमाता था, उस में से काफी पैसा शराब और दोस्तों पर उड़ा देता था. उस के अधिकतर दोस्त उस जैसे ही नशेड़ी थे. वह मूलरूप से थाना मगदी के पास के गांव हुजूगुल्लू का रहने वाला था. उसे शराब के अलावा ड्रग की लत भी लग चुकी थी. इस कारण घर में किचकिच होने लगी थी. दिन में ही नशे में धुत रहने लगा था. पैसों की तंगी तो किसी तरह ललिता चला लेती थी, परंतु उमेश के शंकालु स्वभाव से वह बहुत परेशान हो गई थी.

उमेश बातबात पर ललिता को उस की खूबसूरती पर गुमान होने और किसी गैरमर्द के साथ संबंध बनाने का आरोप मढ़ देता था. ललिता के लिए उस के बिगड़े स्वभाव के चलते रहना मुश्किल होता चला गया था. जब कभी उमेश नशे में ललिता के चरित्र पर कीचड़ उछालता, तब दोनों आपस में झगड़ पड़ते थे. पति के इन आरोपों से तंग आ गई तो एक दिन उस ने दुधमुंहे बेटे के साथ यह कहते हुए पति का घर छोडऩे का निर्णय ले लिया था कि अपने बेटे को नशेड़ी से दूर रखना चाहती हूं और अकेली इस का पालनपोषण करूंगी!’’

ललिता ने पति से अलग रहते हुए अपनी दुनिया बसा ली थी. दिन भर खुद को ब्यूटीपार्लर के कामों में व्यस्त रखती. उसी की कमाई से घर का खर्च चलाने लगी थी. मांबेटे का गुजरबसर ब्यूटीपार्लर की कमाई से होने लगा था, जबकि दूसरी ओर उमेश अपने नशेड़ी दोस्तों के साथ जैसेतैसे जिंदगी गुजार रहा था. उस ने नशे में खुद को डुबो लिया था.

उमेश क्यों पहुंचा ललिता के दरवाजे पर

उसे न पत्नी की चिंता थी और न बेटे की. उस का नशा एक रोज तब काफूर हो गया, जब अप्रैल 2024 में ललिता ने एक वकील के माध्यम से उमेश से अलग होने की काररवाई शुरू कर दी. तलाकनामे के पेपर में हरजाने और मासिक खर्च की बात थी. इस बारे में उन के बीच वकील के माध्यम से फोन पर बात होती थी. उन का आपस में मिलना नहीं के बराबर होता था. ललिता उमेश को अपने दरवाजे पर 12 अगस्त, 2024 की दोपहर 2 बजे के करीब आया देख चौंक पड़ी थी. पहले तो उसे देख ठिठक गई, फिर पत्नी धर्म का निर्वाह करते हुए कमरे में अंदर आने को कहा, लेकिन वह वहीं खड़ा रहा. सिर्फ एक गिलास पीने को पानी मांगा, ”देखो, मैं ने नशा छोड़ दिया है. सहीसलामत बगैर हिलेडुले तुम्हारे सामने खड़ा हूं. एक जरूरी बात करने आया हूं. एक गिलास पानी दोगी, जोर की प्यास लगी है.’’

उमेश की भावनात्मक बातों से ललिता प्रभावित हुए बगैर नहीं रह पाई, तुरंत कमरे में गई. एक गिलास पानी और एक कटोरी में गुड़ ले आई. उमेश खड़ेखड़े पानी का गिलास पकड़े हुए बोला, ”नहीं पूछोगी, क्यों आया हूं?’’

हांहां बताओ न… वकील साहब ने कुछ कहा क्या?’’ ललिता बोली.

हां, वकील साहब ने तुम्हें साथ लाने को कहा है.’’ उमेश बोला.

लेकिन मुझे तो उन्होंने फोन नहीं किया?’’ ललिता ने आशंका जताया.

असल में मैं ने ही हरजाने के बारे में बात की थी. उन से कुछ रकम कम करने की मिन्नत की थी. मैं तुम्हारी शर्त मनाने को तैयार हूं. इसी के लिए उन्होंने तुम्हें साथ बुलाया है. कह रहे थे यहां सामने बिठा कर सुलह करवा दूंगा.’’ उमेश बोला.

मैं तुम से सुलहवुलह नहीं करने वाली, तलाक चाहिए तो चाहिए. हां, हरजाना कुछ कम कर सकती हूं, जैसा वकील साहब कहेंगे.’’ ललिता सख्ती से बोली.

तो फिर चलो, साथ चलते हैं.’’ उमेश बोला.

टीनू को साथ ले चलें?’’ ललिता ने सवाल किया.

नहीं, उसे यहीं अपनी सहेली के घर छोड़ दो, रात तक तो लौट ही आएंगे.’’ उमेश ने सलाह दी.

यह ठीक रहेगा, लेकिन मगदी में कोर्ट यहां से 60 किलोमीटर दूर है. इस समय वहां के लिए ऐसी कोई बस भी नहीं है, जो हम लोग टाइम से अदालत पहुंच जाएं.’’ ललिता एक बार फिर सशंकित हो गई.

अगर किसी की कोई बाइक या स्कूटी मिल जाती तो हम समय से मगदी पहुंच सकते हैं.’’ उमेश ने कहा. 

पड़ोसी से उस की स्कूटी मांगने क्यों पहुंची ललिता

ललिता को यह बात अच्छी लगी. संयोग से उस के सामने रहने वाले परिवार के पास स्कूटी थी. उस परिवार से ललिता का बहुत अच्छा मेलजोल था. परिवार की महिला उमा उस की अच्छी सहेली थी. हमउम्र थी. उस से वह अपने हर सुखदुख और रोजमर्रे के जरूरतों की बातें बेहिचक कर लेती थी. उमा की भी ललिता से अच्छी बनती थी. वह उमा के घर गई. उस समय उमा का पति बालाराजू भी घर में ही था. उस ने बालाराजू से कहा, ”भाईसाहब, कोर्ट में अर्जेंट काम है, उमेश मुझे लेने आया है. अगर आप अपनी स्कूटी दे देते तो हम दोनों समय से कोर्ट पहुंच जाते.’’

उमा ने बगैर कोई सवाल किए एक्टिवा की चाबी ललिता को थमा दी. चाबी लेते हुए उस ने कहा, ”एक काम और, मैं शाम तक कोर्ट से लौटूंगी, तब तक बेटा टीनू आप लोगों के पास ही रहेगा.’’

ललिता ने उमेश को एक्टिवा की चाबी दे दी. ललिता उस के पीछे बैठ गई और फिर उमेश ललिता को ले कर चला गया. उसी रात को 9 बजे के करीब उमेश ने उमा का दरवाजा खटखटाया. उमा बाहर निकली तो उमेश ने उसे स्कूटी की चाबी देते हुए कहा, ”चिंता मत कीजिएगा, मैं ने पेट्रोल भरा दिया है.’’

उमा को पेट्रोल की चिंता नहीं थी. उस ने छूटते ही पूछा, ”ललिता कहां है? उस का बेटा खाना खा कर अभी सोया है.’’

उसे उमेश के साथ ललिता नहीं दिखाई दी थी. उस ने दोबारा पूछा, ”ललिता कहां है? दिखाई नहीं दे रही है?’’

कोर्ट में थोड़ा हम लोगों के बीच बहस अधिक हो गई थी, जिस से वह नाराज हो गई और मेरे साथ आने से मना कर दिया था. मैं ने उसे बस स्टैंड पर छोड़ दिया था. उस की बस भी पहुंचने वाली होगी.’’ इतना कह कर उमेश चला गया.

उमेश वहां से जिस तेजी से निकला और ललिता के बारे में पूछने पर उस के चेहरे पर जो भाव थे, उसे देख कर उमा को हैरानी हुई. उस ने तुरंत उमा को मोबाइल पर फोन लगा दिया. लेकिन यह क्या? मोबाइल स्विच औफ बता रहा था. उस ने उस के दूसरे नंबर पर काल किया, वह नंबर भी बंद था. ललिता अपने पास हमेशा 2 मोबाइल फोन रखती थी. घर से बाहर जाने में दोनों साथ ले जाना कभी नहीं भूलती थी. दोनों ही मोबाइल स्विच्ड औफ बता रहे थे. इस चिंता में उमा ने ललिता की बहन पूर्विका को फोन कर दिया. उसे उमेश के साथ ललिता के कोर्ट जाने की बात बताई. यह भी कहा कि उमेश के साथ ललिता नहीं लौटी है.

उमा, उस के पति और पूर्विका को उमेश और ललिता के बीच चल रहे अदालती विवाद की कहानी मालूम थी. उमा और उस के पति फोन बंद रहने से और भी चिंता में आ गए. बिना समय गंवाए वे सीधे थाना मदनायाकहल्ली चले गए. एसएचओ को उमेश और ललिता के बिगड़े संबंधों के बारे में बता कर कहा, ”साहब, ड्रग के नशेड़ी उमेश पर जरा भी भरोसा नहीं है, वह ललिता के साथ कुछ भी अहित कर सकता है.’’

इस पर इंसपेक्टर ने हैरानी से कहा, ”जब उमेश ऐसा आदमी था तो ललिता को उस के साथ जाना ही नहीं चाहिए था. अब इतनी जल्दी कैसे पता करें कि ललिता कहां है?’’

तभी उमा अपना मोबाइल फोन निकाल कर इंसपेक्टर के सामने रख दी, ”सर, यह रहा ललिता का लाइव लोकेशन, जो उस ने मुझे लगातार भेजे.’’

अरे वाह! लाओ दिखाओ मुझे.’’ यह कहते हुए इंसपेक्टर ने उमा का मोबाइल लिया और लोकेशन को देख कर बोले, ”इस में भेजी गई लोकेशन के अनुसार अंतिम लोकेशन हुजगल हिल के जंगल में स्थित बसवन्ना मंदिर के पास की थी.’’

सर, सांप को नेवले पर जितना विश्वास होता है, उतना ही भरोसा ललिता को उमेश पर था. इसलिए वह अपने मोबाइल से मुझे लगातार लाइव लोकेशन भेज रही थी.’’ उमा बोली.

इस में भेजी गई लोकेशन के अनुसार ललिता की अंतिम स्थिति जंगल के पास बसवन्ना मंदिर के पास की ही है. यह इलाका रमणनगर जिले के मगदी के अंतर्गत आता है. इसलिए आप लोग कल सुबह 7 बजे तक मगदी पहुंच जाइए. मैं वहां के इंसपेक्टर को फोन कर देता हूं. वह आप लोगों की पूरी मदद करेंगे.’’

ललिता की बहन उमा पहुंची थाने

उमा अपने पति बालाराजू, ललिता की बहन पूर्विका और उस के पति मारुति के साथ सुबह 7 बजे थाना मगदी जा पहुंचे. वे एसएचओ बी.के. रंगनाथन से मिले. उन्हें मदनायाकहल्ली के इंसपेक्टर से ललिता के लापता होने के बारे में मालूम हो चुका था. पूर्विका ने रंगनाथन को ललिता के लापता होने की रिपोर्ट लिखने और उस की तलाश की गुहार लगाई. इंसपेक्टर ने रिपोर्ट लिखने के बाद लोकेशन देखने पर पाया कि वह स्थान मगदी थाने से 5 किलोमीटर दूर है. आगे की काररवाई के लिए पुलिस टीम बनाई गई. लोकेशन तक जाने का निर्णय लिया. टीम के साथ उमा, बालाराजू, पूर्विका और मारुति भी शामिल हो गए. जंगल की लोकेशन देखने के बाद अनुभव के आधार पर इंसपेक्टर बी.के. रंगनाथन का अंदेशा था कि ताजी खोदी जमीन की तलाश की जानी चाहिए.

जंगल में घंटों घूमने और तलाशी के बाद आखिरकार पुलिस टीम को दोपहर 12 बजे एक नाले के पास ताजी खोदी मिट्टी दिखाई दे गई. पुलिस ने उस जगह को खुदवाया. वहां एक युवती की लाश पाई गई, जिस की पहचान उस की बहन पूर्विका ने ललिता के रूप में की. उस के पति ने उमेश के बारे में बताया, जो पास के ही गांव हुजुगुल्लू का निवासी था. पूर्विका ने उस की बुरी संगत और नशेड़ी दोस्तों के बारे में भी जानकारी दी, जो उसी गांव के रहने वाले थे. पूर्विका ने पुलिस को उमेश के 4 दोस्तों के नाम बताए. उन्हें ढूंढने के लिए एसएचओ रंगनाथन पुलिस टीम के साथ हुजुगुल्लू जा पहुंचे. दूसरी ओर ललिता की लाश का पंचनामा कर के पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया था. उस की गरदन पर लिपटे दुपट्टे से उस की हत्या गला घोंट कर किए जाने का अनुमान लगाया गया था.

पुलिस को हुजगुल्लू गांव से पूर्विका द्वारा बताए गए नामों वाले करण कुमार, शशांक, रोहित और भरत को पकडऩे में सफलता मिल गई थी. उन्हें थाने ला कर पूछताछ की गई. मालूम हुआ कि चारों पक्के नशेड़ी थे और उमेश के साथी भी. उन से सख्ती से पूछताछ किए जाने पर पता चला कि उमेश को संदेह था कि ललिता किसी युवक से प्रेम करती है. उस ने उमेश पर नशा करने का आरोप लगा कर तलाक के लिए के कोर्ट में अरजी लगा रखी थी और उस से हरजाना मांग रही थी. उमेश इसी बात को ले कर परेशान था. उस के बाद उस ने ललिता की उस कहानी को हमेशा के लिए खत्म करने का निर्णय लिया था.

अपनी बीवी से हमेशा के लिए छुटकारा पाने के लिए ही उस ने दोस्तों की मदद मांगी थी और वे इस के लिए तैयार हो गए थे. बदले में उमेश ने उन्हें महंगे वाले ड्रग का खुराक देने का वादा किया था. वे सभी उमेश के बुलावे पर हुजगल हिल के मंदिर के पास पहले से तय कार्यक्रम के मुताबिक पहुंच गए थे. उधर उमेश मंदिर की देवी के दर्शन के बहाने से ललिता को वहां ले आया था. उस के आते ही पहले से ही घात लगाए उमेश के दोस्तों ने ललिता को बुरी तरह से जकड़ लिया था. मौका देख कर उमेश ने ललिता के ही दुपट्टे से उस का गला घोंट डाला था. यह सब इतनी तेजी से हुआ कि उन्होंने ललिता को संभलने का मौका ही नहीं दिया. उस की मृत देह को ठिकाने लगाने का इंतजाम उमेश के दोस्तों ने ही किया था, जिस का हेड किरण बना हुआ था. सब कुछ किरण के इशारे पर हो रहा था.

चारों से मिली इस जानकारी की पुष्टि के लिए उमेश की गिरफ्तारी और पूछताछ जरूरी थी. वह उस वक्त तक पकड़ में नहीं आया था. उस के दोस्तों से मालूम हुआ कि वह अपने गांव में ही छिपा हुआ है. इस बीच ललिता की गुमशुदगी की एफआईआर में हत्या की धाराएं जोड़ कर उमेश समेत चारों के नाम आरोपियों के तौर पर जोड़ दिए गए. चारों के बयान दर्ज कर उन्हें अदालत में पेश कर जेल भेज दिया गया.

पुलिस ने कैसे दबोचा उमेश को

अब बारी थी उमेश को दबोचने की. उस के लिए 15 अगस्त को पुलिस ने हुजगल गांव में छापा मारा. एकएक घर की तलाशी ली गई. आखिरकार गांव में ही छिपा बैठा उमेश दबोच लिया गया. थाने ला कर उस से पूछताछ की जाने लगी. पुलिस की सख्ती के आगे उस की एक नहीं चली और अपना अपराध स्वीकार कर लिया. मामले के बारे में विस्तार से बताते हुए उस ने ललिता के दोनों मोबाइलों के बारे में भी जानकारी दी, जिसे उस ने हाइवे से गुजर रहे आंध्र प्रदेश के एक ट्रक में फेंक दिया था.

इसी के साथ उस ने बताया कि वह ललिता की हत्या नहीं करना चाहता था, लेकिन साथी किरण कुमार की सलाह पर ही उस ने यह जुर्म कर डाला. उसी ने उसे सलाह दी थी कि हत्या कर वैसे ही बचा जा सकता है, जैसे अजय देवगन ने दृश्यमफिल्म में किया था. किरण ने उस फिल्म को 5 बार देखने के बाद हत्या की सलाह दी थी और बचने का तरीका भी उसी ने निकाला था. किरण ने ही ललिता की लाश को जंगल में दफनाने की भी सलाह दी थी. उस का दावा था कि ललिता की लाश जंगल से किसी को नहीं मिलेगी और वह बचा रहेगा. 

ललिता हत्याकांड में किरण कुमार का नाम प्रमुखता से आने के बाद इंसपेक्टर रंगनाथ ने उस के बारे में अलग नजरिए से सोचना शुरू किया. उन्होंने पाया कि पकड़े गए चारों आरोपियों में 3 की पत्नियां अपनेअपने पति को निर्दोष साबित करने और उन्हें छोड़ देने का गुहार करती हुई थाने आई थीं, लेकिन किरण की पत्नी 3 दिनों के भीतर एक बार भी नहीं आई थी. यहां तक कि जेल तक में किरण की पत्नी उस से मिलने नहीं गई. 

आखिर ऐसा क्यों? इस सवाल का जवाब जानने के लिए रंगनाथन ने एक बार फिर किरण को रिमांड पर लिया और उसे थाने ला कर पूछताछ शुरू की.

कई सवाल एक साथ पूछे, ”किरण, तुम्हारी पत्नी कहां है? तुम जेल में हो, फिर भी मिलने क्यों नहीं आई?

साहब, जब पत्नी होगी तभी न मिलने आएगी.’’ किरण बोला.

क्या मतलब है तुम्हारा, तुम्हारे बारे में मालूम हुआ है कि तुम शादीशुदा हो…तुम्हारी एक बेटी भी है. बेटी भी नहीं आई तुम से मिलने.’’

साहब, मेरी पत्नी पूजा 5 साल पहले ही बेटी को मेरे पास छोड़ कर अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी.’’ किरण बोला. 

रंगनाथन को किरण के बारे में और जानने की जिज्ञासा बढ़ गई. उन्होंने पूछा, ”अच्छा यह बताओ, पूजा अपने प्रेमी के साथ भागी थी, तब तुम ने हमारी या किसी और की मदद क्यों नहीं ली? मेरा मतलब है कि तुम ने कहीं शिकायत वगैरह दर्ज की हो तो बताओ…’’

अब क्या बताऊं साहब, उस बदलचन के बारे में. 5 साल हो गए उसे घर छोड़े हुए. वह कहां है इस दुनिया में… है भी या नहीं…मुझे कुछ नहीं मालूम.’’ किरण निराशा भरे लहजे में बोला.

है भी नहीं का क्या मतलब है तुम्हारा?’’ रंगनाथन ने उस की कही हुई बात पर ही जोर डालते हुए पूछा.

साहब, पहली मई, 2019 को वह लापता हुई थी. उस के 3-4 दिन बाद पुलिस में भी शिकायत दर्ज करवाई थी, लेकिन उस का पुलिस आज तक पता नहीं लगा पाई. इसलिए तो कहा कि लगता है वह इस दुनिया में नहीं है.’’ जवाब में किरण ने सफाई दी. 

पुलिस ने उमेश के दोस्त किरण को क्यों लिया शक के दायरे में

किरण की बातों ने इंसपेक्टर रंगनाथन की जिज्ञासा और बढ़ा दी, क्योंकि उस ने लापता पत्नी को नहीं तलाश पाने का पुलिस पर ही आरोप मढ़ दिया था. उन्होंने पुराना रेकार्ड निकलवाया. उस की बताई तारीख और उस के आसपास की तारीखों के सारे पन्ने पर पूजा का नाम ढूंढा. कहीं भी कोई शिकायत दर्ज नहीं मिली. रंगनाथन ने किरण को डपटते हुए पूछा, ”तुम ने सचमुच पूजा के भाग जाने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी या झूठ बोल रहे हो?’’

नहीं साहब, मैं झूठ नहीं बोल रहा, मेरे साथ गांव के 2 दोस्त भी एफआईआर लिखवाने आए थे.’’ अपनी सफाई दे कर किरण ने दोस्तों के नाम भी बताए.

इस मामले में इंसपेक्टर रंगनाथन की शंका और बढ़ गई. वह सच्चाई का पता लगाने के लिए किरण के गांव जा पहुंचे. वहां उन्हें किरण के दोनों दोस्त मिल गए. उन से जब किरण की पत्नी पूजा के भाग जाने की रिपोर्ट दर्ज कराने के बारे में पूछा तो दोनों चौंक गए. हैरानी भरे लहजे में कहा, ”कैसी रिपोर्ट?’’

रंगनाथन को एक बार फिर किरण के चरित्र को ले कर संदेह हुआ. वह समझ गए कि किरण शातिर दिमाग का है और अपनी पत्नी के लापता होने को गंभीरता से नहीं लेने के पीछे जरूर कोई रहस्य छिपाए हुए है.

रंगनाथन को उमेश और ललिता की कहानी से कहीं अधिक किरण की कहानी में रुचि हो गई थी. उन्होंने पूजा के मांबाप या दूसरे परिवार के बारे में कुछ जानकारियां जुटाईं. उस की मां गोरम्मा पास के गांव में ही रहती थी. वह काफी बूढ़ी महिला थी. जब उन से पूजा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया, ”मेरे दामाद किरण ने पूजा के बारे में 5 साल पहले बताया था कि वह अपने किसी प्रेमी के साथ भाग गई है. उस ने मुझे एक कागज दिखाया था, बोला था कि उस ने पूजा के भाग जाने की रिपोर्ट दर्ज करा दी है. उसे खोजने का काम पुलिस कर रही है.’’

उस के बाद आप ने किरण से पूजा के बारे में फिर कभी नहीं पूछा?’’ रंगनाथन ने पूछा.

साहब, मेरी बेटी मिल गई क्या?’’ गोरम्मा रोती हुई बोली.

अरे नहीं अम्मा, उस की कोई रिपोर्ट ही थाने में नहीं है…तो वह कैसे मिलेगी.’’ रंगनाथन बोले.

थाने में उस के बारे में नहीं मालूम साहब, मुझे पता है कि मेरी बेटी को किरण ने ही गायब किया है. मुझे बेटी पूजा पर विश्वास है कि वह वह गलत काम कभी नहीं कर सकती. वह तो मेरी बहुत प्यारी बेटी थी. उसे छोड़ कर कहीं भी जाने की सोच भी नहीं सकती थी. मेरा कितना खयाल रखती थी, जरूर दामाद ने ही…’’ गोरम्मा नम आंखों से अपना दुखड़ा सुनाने लगी.

अम्मा, तुम ने इतने सालों में अपने दामाद से फिर क्यों नहीं कभी बेटी के बारे में बात की?’’

क्या बात करती साहब, एक रोज बोली थी, लेकिन वह मुझे आंखें दिखा कर बोला जैसे मैं उसे भूल चुका हूं, तुम भी उसे भूल जाओ. मुझे दामाद की बात माननी पड़ी. समय बीतने के साथ मैं तो पूजा को भूल ही गई…’’

इस पूछताछ के बाद इंसपेक्टर रंगनाथन ने गोरम्मा से एक तहरीर लिखवा कर उस के हस्ताक्षर करवा लिए कि बेटी पूजा को उन के दामाद किरण ने गायब किया है. उस के बाद थाने आ कर उन्होंने किरण से सख्ती से पूछताछ की. जल्द ही 2 मजबूत पहलवाननुमा हवलदारों को देख कर किरण ने पूजा के बारे सारा सच उगल दिया. वह सच तो ललिता की मौत से भी ज्यादा रोमांचक थी.

दरसअल, करण ने स्वीकार कर लिया कि उस ने पूजा की हत्या कर दी है. इस की जो कहानी उस ने बताई, वह इस प्रकार है— 

पूजा सुंदर युवती थी. वह बहुत ही खुशमिजाज थी. सभी से मुसकरा कर बातें करती थी. इस का कई बार लोग गलत अनुमान लगा लेते थे. उस की हंसी का हर कोई दीवाना बन जाता था और उस की मजेदार बातों का आनंद लेने लगता था. यह एक तरह से उस की आदत थी. इसलिए किरण उसे हमेशा शक की नजरों से देखता था. धीरेधीरे उसे यह वहम हो गया कि पूजा का गांव के युवकों से संबंध है. उस का यह यह वहम धीरेधीरे बढ़ता चला गया. इसी बात को ले कर एक दिन पतिपत्नी के बीच जोरदार झगड़ा हो गया. 

पूजा अपने ऊपर लगे बदचलनी के आरोपों से तिलमिला गई. उस ने भी गुस्से में किरण को अनापशनाप बोल दिए. छोटी सी बात पर  किरण पूजा से नाराज रहने लगा. उसे लगा कि पूजा झूठ बोल रही है. कारण झगड़े और हिदायतों के बाद भी ससुराल में पासपड़ोस के युवकों से हंसहंस कर बोलना बंद नहीं हुआ. आखिरकार उस ने उसे जान से मारने की योजना बना डाली. उन्हीं दिनों उस ने दृश्यमफिल्म देखी थी, जिस में दिखाया गया था कि लाश नहीं मिलने पर पुलिस हत्या का अपराध साबित नहीं कर सकती है. वह जिस हुजगुल्लू गांव में रहता था, वहां से हुजगल हिल का जंगल एकदम नजदीक था.

योजना के मुताबिक, पहली मई, 2019 को बसवन्ना मंदिर में दर्शन के बहाने शाम को वह पूजा को ले कर गया था. वहीं उस ने उसे गला दबा कर मार डाला और लाश को पास के सुनसान जंगल में दफना दिया.  अगले दिन गांव में उस ने अफवाह फैला दी कि बदचलन पूजा अपनी 2 साल की बेटी को छोड़ कर प्रेमी के साथ भाग गई है. एक कागज पर पूजा के भाग जाने की रिपोर्ट लिख कर पूजा के घर वालों को दिखा दी कि उस ने पूजा के भाग जाने की रिपोर्ट दर्ज करा दी है.

जंगली जानवर गांवों में चले जाते थे, इसलिए जनवरी 2023 में फारेस्ट डिपार्टमेंट ने जंगल के चारों ओर चारदीवारी बनाने का निर्णय लिया था. इस के लिए खुदाई की जाने लगी थी. यह देख कर किरण घबरा गया कि अगर पूजा की लाश खुदाई में मिल गई तो उसे जेल जाना पड़ सकता है. वह जंगल में गया और जहां पूजा की लाश दफनाई थी, वहां खोद कर सारी हड्ïिडयां निकाल लीं. उन्हें जला डाला. इस के बाद राख ले जा कर नदी में फेंक दी. 5 साल पहले पत्नी पूजा की हत्या कर के किरण आराम से निश्चिंत हो कर जीवन जी रहा था. एक दिन नशे के लिए सभी साथी इकट्टा हुए तो उमेश ने अपने शक की कहानी कह कर नशेड़ी मित्रों से सलाह मांगी कि वह बदचलन ललिता से कैसे छुटकारा पाए

अपने अनुभव के आधार पर किरण ने कहा, ”तुम बेंगलुरु से ललिता को ले कर यहां जंगल में आ जाओ. यहां दफनाई गई लाश का भूत को भी कभी पता नहीं चलेगा.’’

किरण ने पत्नी की हत्या की बात स्वीकार कर ली तो पुलिस उसे उस स्थान पर ले गई, जहां उस ने पूजा की लाश दफनाई थी. पुलिस ने उस जगह की दोबारा खुदाई करवाई. ज्यादातर हड्ïिडयां किरण पहले ही खोद कर निकाल चुका था.  फिर भी कुछ हड्डियां और दांत पुलिस ने बरामद कर लिए. उन को डीएनए जांच के लिए भिजवा दिया. इस तरह से इंसपेक्टर रंगनाथन ने एक हत्या सुलझाने के क्रम में 5 साल पहले हुई एक अन्य हत्या का राज भी बाहर निकाल लिया. यह तो ललिता की थोड़ी होशियारी कहें कि उस ने लाइव लोकेशन भेज कर एक सुराग छोड़ दिया था. 

पुलिस की सतर्कता की वजह से उसे सलाह देने वाला पत्नी की हत्या करने वाला किरण भी पकड़ा गया. पुलिस ने सभी नशेड़ी दोस्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.   

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