तनु चौधरी के पति अनिल चौधरी की पीतल के सामान बनाने की अपनी फैक्ट्री थी. करोड़ों रुपए का एक्सपोर्ट का बिजनैस था. पति उसे दिलोजान से चाहता था. इस के बावजूद 2 बेटियों की मां तनु चौधरी को बेटे की चाहत थी. अपनी इसी इच्छा को पूरी करने के लिए वह एक तांत्रिक के चक्कर में फंस गई. तांत्रिक से उसे बेटा तो नहीं मिला, लेकिन वह पहुंच गई जेल.
”गुरुजी, मेरी अब कोरकोर दुखती है. अनिल मुझे रोजाना ही पीटता है. मैं अब उस की पिटाई बरदाश्त नहीं कर सकती. तुम्हें जल्द ही कुछ न कुछ उपाय करना पड़ेगा, वरना मैं सुसाइड कर लूंगी.’’ तनु चौधरी
ने तांत्रिक कन्हैया की बांहों में सिर रख कर कहा, ”तुम्हें मालूम है, अब उस ने मेरे कहीं भी आनेजाने पर प्रतिबंध लगा रखा है. मैं तो यही कहती हूं कि उसे रास्ते से हटा ही दो.’’
”ठीक है, तुम परेशान मत होओ, मैं उस का ऐसा इंतजाम कर दूंगा कि किसी को हम पर शक भी नहीं होगा. तुम्हें क्या करना है, यह मैं तुम्हें बाद में बता दूंगा. और हां, यह सुसाइड करने वाली बात फिर कभी जुबान पर भी मत लाना. तुम आत्महत्या कर लोगी तो बेटा कहां से पैदा होगा? तुम पति से खुश रहने वाला व्यवहार करो.’’ तांत्रिक कन्हैया ने तनु चौधरी को समझाते हुए कहा.
तांत्रिक कन्हैया मुरादाबाद शहर के कटघर मेहबुल्लागंज मोहल्ले में तनु चौधरी के घर से कुछ दूर ही हर शनिवार बालाजी का दरबार लगाता था, जिस में लगभग 40-50 औरतें जुटती थीं. आमोद और मोहित नाम के 2 युवक उस के ऐसे चेले थे, जो तांत्रिक के कहने पर कुछ भी करने को तैयार रहते थे. इस के बाद कन्हैया ने अपने चेलों मोहित और आमोद के साथ गुफ्तगू कर तनु चौधरी के पति अनिल चौधरी को ठिकाने लगाने की बात कही तो वे दोनों तांत्रिक कन्हैया का साथ देने को राजी हो गए.
बात 13 जुलाई, 2024 की है. उस शाम भी तांत्रिक द्वारा आयोजित बालाजी दरबार में 35-40 महिलाएं बैठी थीं. तनु चौधरी भी अपनी दोनों बेटियों के साथ वहां थी. बेटियों की उम्र 12 साल और 6 साल थी. कार्यक्रम में अच्छीखासी चहलपहल थी. सभी महिलाएं पूजापाठ और तांत्रिक के प्रवचनों में मग्न थीं, जबकि तनु चौधरी कुछ बेचैन सी दिख रही थी. पास बैठी एक महिला ने पूछा, ”क्या बात है तनु, आज तुम थकीथकी और परेशान सी लग रही हो?’’
”नहीं ऐसी कोई बात नहीं है…बस थोड़ी तबीयत ठीक नहीं लग रही.’’
”तो घर जा कर आराम कर लो.’’
”हां, पूजा खत्म होने वाला ही है, प्रसाद ले कर जाऊंगी.’’ तनु बोली.
इसी बीच उन की बड़ी बेटी बोल पड़ी, ”मम्मी, मैं जाऊं, होमवर्क करना है.’’
”हांहां जाओ, अपनी छोटी बहन को भी साथ ले जाओ.’’ तनु बोली.
तनु की दोनों बेटियां वहां से चली गईं. कुछ समय में ही कार्यक्रम समाप्त हो गया. सभी महिलाएं जाने लगीं. तांत्रिक ने तनु को इशारा किया और दरबार से सटे कमरे में चले गए. वह समझ गई कि उसे अभी रुकना है. कुछ मिनटों में वे कमरे से बाहर निकले. तब तक सभी महिलाएं जा चुकी थीं, दरबार में वहीं के एकदो लोग पूजा के सामान समेट रहे थे.
”यह लो, दुपट्टा फैलाओ, तुम्हारे लिए बालाजी से मंगवाया गया प्रसाद है. भोजन के साथ उसे खिला देना.’’ तांत्रिक तनु के पास आ कर बोला.
”जी!’’ तनु दरबार के एक कोने में चली गई.
तांत्रिक कन्हैया वहीं आ गया. बोला, ”चिंता मत करो, जैसा तुम चाहती हो वैसा ही होगा. मैं ने सारा इंतजाम कर लिया है, बस आज की बात है. तुम्हें सिर्फ मेरा साथ देना है.’’ कन्हैया उस के कानों के पास मुंह लगा कर बुदबुदाया. तनु ने अपने दाएंबाएं देखा और चुन्नी में रखी पुडिय़ा को एक बार खोल कर देख लिया. फिर आश्वस्त हो कर अपने घर चली आई. यह बात 13 जुलाई, 2024 की है.
रात के करीब साढ़े 9 बजे अनिल चौधरी घर आ गया. तनु ने बड़े प्यार से उसे प्रसाद खिलाया और दोनों हाथ जोड़ लिए, ”हनुमानजी का प्रसाद है. आज शनिवार है न! मैं ने अपनी भूल के प्रायश्चित के लिए 16 शनिवार को शनिदेव को शाम में दीपक जलाने और हनुमानजी की पूजा करने का संकल्प लिया है. देखो, मैं भटक गई थी, मुझे माफ कर दो. आगे से तुम्हें शिकायत का कोई मौका नहीं दूंगी.’’
”चलो, तुम्हें इतनी तो समझ आई. सुबह की भूली शाम को वापस लौट आई. अब चलो, खाना लगा दो. आज साथसाथ बैठ कर खाएंगे.’’ अनिल चौधरी खुश हो कर बोला.
तभी उस की दोनों बेटियां आ गईं. उन्हें अनिल ने गले लगा लिया. पुचकारते हुए बोला, ”कल रविवार है. तुम्हारे लिए अच्छी ड्रेस खरीद दूंगा…और तुम्हारी मम्मी के लिए भी.’’
”आप बहुत प्यारे पापा हो. मैं तो प्लाजो सूट लूंगी, अब लंबी दिखती हूं.’’ 12 साल की बड़ी बेटी दुलार से बोली.
”और तुम क्या लोगी?’’ छोटी बेटी को चुप देख कर अनिल बोला.
” बटरफ्लाई फ्रौक… और मम्मी का सलवार सूट.’’
”अरे वाह! मम्मी का भी खयाल है तुम्हें!’’ अनिल मुसकराया.
इस तरह उस रोज अनिल चौधरी के परिवार में खुशी का माहौल बन गया था. सभी ने एक साथ खाना खाया. अनिल खुश था कि तनु ने उस से माफी मांग ली. उसे अपनी भूल का एहसास हो गया है. बातोंबातों में अनिल ने बता दिया था कि उस की बेटियां बेटों की तरह हैं.
अनिल खाना खाने के तुरंत बाद सोने चला गया. अपने कमरे में जाते ही वह बैड पर गिर पड़ा और नीम बेहोशी की नींद में सो गया. उसे सोया देख तनु मुसकराई. उस की मुसकराहट में एक कुटिलता थी. वह बेटियों के कमरे में चली गई.
तनु ने अपने सामने क्यों मरवाया पति को
इस के बाद तनु ने तांत्रिक कन्हैया को फोन कर के कहा, ”गहरी नींद में सो गया है. जल्द आ जाओ.’’
तनु की बात सुनते ही कन्हैया अपने चेलों आमोद और मोहित को बाइक पर बिठा कर तनु के घर की तरफ चल दिया. रात का एक बज चुकाथा. अनिल चौधरी के घर के बाहर दूरदूर तक सन्नाटा था और नाममात्र की धुंधली रोशनी थी. गली में एक तरह से अंधेरा ही था. उसी वक्त तांत्रिक कन्हैया की बाइक चौधरी के घर से कुछ दूरी पर आ कर रुकी. उस पर सवार उस के दोनों चेले उतरे. कन्हैया अपनी बाइक वहीं खड़ी कर चला गया. चाबी उसी में लगी छोड़ दी.
मोहित और आमोद तुरंत अनिल के घर में जा घुसे. दरअसल, यह सब एक प्लान के तहत हो रहा था. तनु ने जानबूझ कर घर के बाहर का दरवाजा खुला छोड़ दिया था. मोहित और आमोद सीधे बैडरूम में जा पहुंचे. तनु ने उन्हें अपने मोबाइल की टौर्च से सोए हुए अनिल को दिखा दिया. अनिल के नजर आते ही दोनों उस पर ताबड़तोड़ चाकू से वार करने लगे.
”देखो, बचना नहीं चाहिए. अच्छी तरह से चाकू मारो.’’ तनु ने हमलावरों से कहा.
चाकू के हमले से अनिल छटपटाया. मुंह से भी कुछ आवाज निकली. तभी बगल के कमरे में सो रही बड़ी बेटी की नींद अचानक खुल गई. वह भागती हुई पिता के कमरे में जा पहुंची. वहां का दृश्य देख कर वह घबरा गई. 2 लोग उस के पापा पर चाकुओं से हमला किए जा रहे थे और उस की मम्मी एक कोने में मोबाइल पकड़े खड़ी थी. बेटी ने आव देखा न ताव, जान की परवाह किए बगैर उन से भिड़ गई. उस ने अपने पापा का बचाव करना चाहा तो मोहित ने उस पर भी चाकू से हमला कर दिया. उसी समय आमोद ने बेटी को पकड़ लिया. मोहित ने जो वार बेटी पर किया था, वह उसे न लग कर आमोद के हाथ में लगा, जिस से उस के हाथ की नस कट गई. जब आमोद के हाथ से तेजी से खून बहने लगा तो दोनों हमलावर वहां से भाग गए.
भागते समय आमोद कुमार सड़क पर गिर कर बेहोश हो गया. क्योंकि काफी ज्यादा उस का खून निकल चुका था. मोहित उसे वहीं गिरा छोड़ कर भाग गया. चाकुओं के अनगिनत हमलों से अनिल चौधरी खून से लथपथ हो गया था. घर में भी कोहराम मच चुका था. शोरगुल सुन कर पासपड़ोस के कुछ लोग गली में निकल आए थे. तनु पति के मृत पड़े कमरे के एक कोने में टांग पसार कर बैठ गई थी. दीवार से सिर टिका लिया था. उसे देखने वालों को समझ नहीं आ रहा था कि वह दुख में है या सदमे में. किंतु बेटी उसे नाराजगी भरी निगाह से देख रही थी, क्योंकि उस ने मां को कहते हुए सुना था, ”2-4 चाकू और मारो, ये बचना नहीं चाहिए. ऐसी जगह मारो कि बचने की गुंजाइश ही न रहे.’’
आधी रात को जुटी भीड़ में हर कोई आश्चर्यचकित था. सभी के मन में एक ही सवाल था, ”किस ने भले इंसान अनिल चौधरी से अपनी दुश्मनी निकाली होगी? वह तो हर किसी की मदद के लिए तैयार रहता था.’’
किसी ने कहा, ”लगता है, कोई लूटपाट के मकसद से आया होगा और उस ने हत्या कर दी. हमें पुलिस को खबर कर देनी चाहिए.’’
”हांहां, इस में देरी नहीं करनी चाहिए. हत्यारे बाइक से भागे हैं, अंधेरे में उस का नंबर नहीं पढ़ा जा सका, लेकिन बाइक जानीपहचानी लग रही थी. बाइक के पीछे बंधी लाल चुनरी नजर आई थी.’’
बेटे के चक्कर में उजाड़ा परिवार
असल में अनिल चौधरी अपनी पत्नी और 2 बेटियों के साथ रहने वाले एक खुशमिजाज इंसान थे. मोहल्ले से ले कर कारोबारियों के साथ भी उन का कभी भी किसी के साथ विवाद या मतभेद नहीं सुना गया था. बेहद कम समय में ही उन्होंने अपने कारोबार को बुलंदी पर पहुंचा दिया था. इस की लोगों के बीच चर्चा होती थी. हां, उन की पत्नी तनु को बेटा नहीं होने का सिर्फ एक ही मलाल था. वह अपनी इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए मंदिरों में पूजापाठ भी करती थी. इसी दौरान वह तांत्रिक कन्हैया के संपर्क में आई थी. कन्हैया खुद को बालाजी का भक्त बताता था और हर शनिवार अपने कमरे में दरबार लगाता था. उस ने तनु को भरोसा दिया कि अगर वह उस के कहे मुताबिक चलेगी तो बेटा जरूर पैदा होगा.
15 साल की शादी में तनु को अपनी 2 प्यारी सी बेटियां और जान से भी ज्यादा प्यार करने वाला पति, उस का लाखों का पीतल का कारोबार, आलीशान मकान सब फीके तब लगने लगते थे, जब कोई कहता कि तुम्हारा कोई बेटा नहीं है. सूचना मिलते ही कोतवाली कटघर के इंसपेक्टर संजय कुमार उसी समय सूचना में दिए गए पते पर कुछ पुलिसकर्मियों को ले कर रवाना हो गए. रास्ते में उन्हें बरवालान चौराहे पर एक व्यक्ति घायल अवस्था में बेहोश मिला, जिस के हाथ पर घाव था. काफी मात्रा में वहां खून भी था. वह व्यक्ति कोई और नहीं, आमोद कुमार था. उसे उन्होंने जिला अस्पताल पहुंचाया.
इस के बाद वह पीतल कारोबारी अनिल चौधरी के घर पहुंचे, जहां काफी लोग जुटे थे. पुलिस उस जगह बैडरूम में पहुंची, जहां अनिल चौधरी की डैडबौडी पड़ी थी. इंसपेक्टर संजय कुमार ने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया. घर का सारा सामान अपनी जगह पर था. इस से यही लगा कि हत्या लूट के इरादे से नहीं की गई थी. इंसपेक्टर संजय कुमार ने इस की सूचना मुरादाबाद के एसएसपी सतपाल अंतिल और एसपी (सिटी) अखिलेश भदौरिया को भी दे दी. सूचना पा कर सभी अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए. उस के बाद मुरादाबाद रेंज के डीआईजी मुनिराज जी. भी घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस के सभी अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण करने के बाद घर में मौजूद तनु और दोनों बेटियों से पूछताछ की.
पहले चौधरी की पत्नी तनु से पूछताछ की गई, जो घटना के समय पति के कमरे में ही थी. तनु ने घटना के बारे में बताया, ”2 लोग अचानक रात को आए थे. समय ठीक से याद नहीं, लेकिन उस वक्त घर में सभी लोग गहरी नींद में थे. उस ने दरवाजा खोला था. आने वाले ने बताया कि उन को कुछ पैसे देने हैं, उन्हें बुला दें. मैं ने उन को वहीं रुकने के लिए कहा. उन की बातों पर भरोसा कर पति को बताने कमरे में गई, तब तक दोनों पीछेपीछे कमरे तक पहुंच गए और पति पर चाकुओं से हमला करने लगे…’’
”आप ने बचाव के लिए क्या किया?’’ पुलिस ने पूछा.
”मैं क्या कर सकती थी सर, खाली हाथ थी. दोनों के पास चाकू थे…और वे ताबड़तोड़ वार किए जा रहे थे. उन्होंने तो मुझे धक्का दे दिया था. और मैं बचाने के लिए चिल्लाने लगी.’’ तनु बोली.
”फिर क्या हुआ?’’ एसपी (सिटी) ने अगला सवाल किया.
”फिर साहब, मेरी बड़ी बेटी मान्या वहां पहुंच गई और हमलावरों से उलझ गई. …और एक हमलावर का हाथ चाकू से कट गया.’’
”आप उन को पहचानती हैं. पहले उन्हें कभी देखा है?’’
”नहीं साहब, मैं उन को नहीं पहचानती हूं. उन को तो मैं ने पहली बार देखा था.’’ तनु बोली.
”अंकल, मैं दोनों को पहचानती हूं. वे कन्हैया मामा के यहां रहते हैं. उन का नाम आमोद और मोहित है.’’ बड़ी बेटी बोल पड़ी.
उसे बोलता देख तनु ने उसे आंखें दिखाईं और डपटती हुई चुप रहने का इशारा किया.
बेटी के इस तेवर को देख कर पुलिस ने सवाल किया, ”कन्हैया मामा कौन है?’’
”इधर पास में ही रहते हैं. पूजा और प्रवचन का दरबार लगाते हैं. मम्मी उन को अच्छी तरह जानती है. हम उन को मामा बुलाते हैं. उन के यहां रहने वालों ने ही पापा को मारा है.’’
”यह तुम दावे से कैसे कह सकती हो?’’
”अंकल, मैं ने उन को अपनी आंखों से चाकू मारते देखा है. पापा को बचाने के लिए मैं अकेली लड़ पड़ी थी उन से, लेकिन मम्मी वहीं खड़ी रही. पापा को बचाने के लिए मम्मी ने कुछ नहीं किया. अगर वह भी मेरी तरह करती, तब पापा बच जाते.’’
बेटी की बातें सुन कर पुलिस का माथा घूम गया. 2 हमलावरों के नाम के साथसाथ तीसरा नाम कन्हैया का भी सामने आ गया था. पूछताछ कर रही पुलिस को हैरानी तो इस बात की थी कि मृतक की पत्नी ने हमलावरों को पहचाने से इनकार कर दिया और वह कन्हैया के बारे में पूछने पर भी कुछ नहीं बता पाई. इस की जांच के लिए दोनों हमलावरों के साथसाथ कन्हैया को भी हिरासत में लेना जरूरी समझा. कारण, बेटी के बयान के मुताबिक दोनों हमलावर आमोद और मोहित कन्हैया के साथ ही रहते थे.
कौन था कन्हैया मामा? उस का चौधरी परिवार से कैसा रिश्ता था? क्या इस हत्याकांड में उस की भी कोई भूमिका थी?’’ इन सवालों के जवाब के लिए पुलिस अपने स्तर से छानबीन करने लगी.
इसी बीच घायल व्यक्ति की अस्पताल में मौत हो गई. वह आमोद कुमार था. वैसे भी वह कैंसर पीडि़त था. वह मुरादाबाद शहर के ही ताड़ीखाने मोहल्ले का निवासी था. हाथ की नस कट जाने से काफी मात्रा में खून बह गया था. भागते हुए वह बेहोश हो कर गिर गया था, जिसे उस का साथी मोहित छोड़ कर फरार हो गया था. पुलिस मोहित और कन्हैया की तलाश में जुट गई थी.
आसपास के लोगों से पूछताछ के बाद 48 घंटों के भीतर ही दोनों हिरासत में ले लिए गए. कन्हैया से पूछताछ की जाने लगी.
”तुम्हें अनिल चौधरी की बेटियां मामा क्यों बुलाती हैं?’’
”उन का पास रहने के कारण… और तनु मुझे मुंहबोला भाई मानती है.’’ कन्हैया बोला.
”तो फिर तुम्हारे यहां रहने वाले आमोद और मोहित ने अनिल चौधरी की हत्या क्यों की?’’ पुलिस का अगला सवाल था.
”यह तो तनु से पूछिए. पति उस का, घटना के समय घर में मौजूद भी वही तो फिर इस में मैं कहां से आ गया?’’ छूटते ही जवाब के साथ उलटे सवाल दाग दिया उस ने.
”लेकिन मोहित ने तो कहा कि उस ने तुम्हारे कहने पर ही अनिल की हत्या की.’’ पुलिस ने पूछा.
”वह मेरा शिष्य था. अब उस के मन में कितना मैल था, यह मुझे क्या पता.’’
”और आमोद?’’
”उसे तो उस की करनी की सजा मिल ही गई, उस की भी मौत हो गई. आप लोग मुझे बेवजह इस में फंसा रहे हैं. मेरा अनिल की हत्या से कोई ताल्लुक नहीं है.’’
ख्वाहिश थी बेटे की पहुंच गई जेल
कन्हैया चाहे जितना भी खुद को निर्दोष बता रहा था, लेकिन उस की बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी. कारण, बहजोई (संभल) के मोहल्ला टंकी निवासी मोहित ने इस हत्याकांड का पूरा खुलासा कर दिया था. साथ ही तनु और कन्हैया की एक वायरल हुई रील के बारे में भी पुलिस को मालूम हो चुका था. मोहित ने बताया था कि कन्हैया बहजोई के गांव नाधौश का रहने वाला है. वह कटघर के मेहबुल्लागंज में आमोद गुप्ता के मकान में किराए पर रह कर हर शनिवार बालाजी का दरबार लगाता था. करीब एक साल से तनु कन्हैया के संपर्क में थी. दोनों में प्रेम संबंध हो गए थे. दिखावे के लिए तनु ने कन्हैया को मुंहबोला भाई बना रखा था.
मोहित ने पुलिस को बताया कि आमोद और वह दोनों तांत्रिक कन्हैया लाल के शिष्य हैं. उसी के रूम पर रहते हैं. अनिल चौधरी की हत्या कन्हैया लाल के कहने पर उन्होंने की. जब वह अनिल चौधरी की हत्या कर रहे थे, तब उस की बेटी के साथ हुए बीचबचाव में आमोद जख्मी हो गया था. अनिल चौधरी की हत्या के बारे में जब उस की पत्नी तनु से पूछताछ की गई तो इस के पीछे की एक चौंकाने वाली कहानी सामने आई. 32 वर्षीय अनिल चौधरी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर के गांव लोधीपुर के निवासी थे, लेकिन लंबे समय से वह मुरादाबाद के गाड़ीखाना मोहल्ले में रह रहे थे. वहीं पर उन्होंने आलीशान मकान बनवा लिया था.
उन्होंने अपने 2 पार्टनरों के साथ पीतल के सामान बनाने की फैक्ट्री शुरू की थी. अपनी मेहनत व लगन के बल पर उन का कारोबार चल निकला. कारोबार बढ़ा तो उन्होंने पीतल के सामान का एक्सपोर्ट करना शुरू कर दिया, जिस से उन्हें अच्छी आमदनी होने लगी. अनिल चौधरी का विवाह तनु से हुआ था. उन की गृहस्थी की गाड़ी हंसीखुशी से चल रही थी. इस दौरान वह 2 बेटियों की मां बन चुकी थी, जिन की उम्र आज करीब 12 और 6 साल है.
तनु के पास प्यार करने वाला जिंदादिल पति था. भरपूर पैसा था और करोड़ों की संपत्ति भी. बस उसे एक बेटे की चाहत थी. बेटा पाने के लिए वह बहुत छटपटा रही थी. इस के लिए वह तमाम मंदिरों, मजारों, तांत्रिकों, मौलवियों के चक्कर लगा कर लाखों रुपए खर्च कर चुकी थी. जब उसे मुरादाबाद के ही मोहल्ला मेहबुल्लागंज में तांत्रिक कन्हैया लाल के बारे में पता चला तो वह एक शनिवार उस के दरबार में पहुंच गई. दरबार खत्म होने के बाद वह एकांत में तांत्रिक से मिली और अपनी व्यथा बताते हुए कहा, ”गुरुजी, चाहे कितना भी पैसा खर्च हो जाए, लेकिन मुझे लड़का चाहिए.’’
”अरे, यह तो हमारे बाएं हाथ का काम है, कोई बड़ा काम बताती.’’ कन्हैया बोला.
खूबसूरत तनु चौधरी को देख कर तांत्रिक उसे मन ही मन चाहने लगा. उस ने तनु से कहा, ”इस के लिए तुम्हें हमारे साथ मेहंदीपुर बालाजी, राजस्थान चलना होगा. वहां विशेष पूजा करेंगे तो तुम्हारे मन की मुराद जरूर पूरी होगी.’’
यह करीब 6 माह पुरानी बात है.
अनिल चौधरी अपने कारोबार के सिलसिले में 15-20 दिनों के लिए घर से बाहर जाते रहते थे. अनिल जब बाहर गए तो तनु दोनों बेटियों को ले कर तांत्रिक के साथ मेहंदीपुर बालाजी चली गई. तांत्रिक ने वहां पूजाअर्चना की. तनु को विश्वास हो गया कि अब जरूर लड़का ही पैदा होगा. पूजा के बाद तनु बोली कि अब मुरादाबाद चलो तो तांत्रिक बोला कि अभी और तांत्रिक क्रियाएं होनी हैं. आज रात हमें यहीं रुकना होगा. तांत्रिक ने इस के लिए एक होटल में 2 कमरे बुक करा दिए. एक कमरे में तांत्रिक क्रिया होनी थी, दूसरे कमरे में दोनों बेटियों को खाना खिला कर सोने के लिए भेज दिया. उस के बाद तांत्रिक और तनु चौधरी ने अपनी हसरतें पूरी कीं.
यह सिलसिला रात भर चलता रहा. अगले दिन वे मुरादाबाद लौट आए. इस के बाद तांत्रिक और तनु चौधरी का यह सिलसिला लगातार चलता रहा. जब पति बाहर होता या बेटियां स्कूल चली जातीं तो तनु तांत्रिक को फोन कर के अपने घर में बुला लेती थी. तांत्रिक ने राजस्थान में तनु के साथ एक रील बनाई थी, जो वायरल हो कर अनिल चौधरी के पास पहुंच चुकी थी. तभी से अनिल को दोनों के रिश्ते पर शक हो गया. उस ने तनु का कन्हैया से मिलनाजुलना बंद करवा दिया. उस के बाद दोनों एकदूसरे से मिलने के लिए तड़पने लगे और इसी तड़प में कन्हैया ने तनु को उस के पति की हत्या के लिए तैयार कर लिया.
तनु और कन्हैया की साजिश थी कि अनिल की हत्या को लूटमार की तरह दर्शाया जाए और इस के बाद दोनों मिल कर उस की करोड़ों की प्रौपर्टी पर कब्जा कर लें. हालांकि, अनिल की बेटी की वजह से दोनों की साजिश का परदाफाश हो गया.
पुलिस ने इस मामले में मोहित, कन्हैया लाल और तनु चौधरी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया. वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. इस मामले ने आसपास के लोगों को हैरान कर दिया कि 2 बेटियों की मां बेटे के चक्कर में इस कदर अंधी हो गई कि उस ने अपने ही हंसतेखेलते परिवार को उजाड़ दिया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित