मेरे अंदर तमाम ऐब थे, लेकिन सच्चाई यह थी कि मैं ने बाबर और ऐना का कुछ नहीं बिगाड़ा था. फिर भी उन्होंने मुझे जहर दे कर मारना चाहा. मैं तो उन से बदला नहीं ले सका पर…     

मेरा नाम शमशेर है. जो बात मैं बताने जा रहा हूं वह 35-40 साल पुरानी है. मेरा बाप तांगा चलाता था. इस काम में हमारी अच्छे से गुजरबसर हो जाती थी. जब मैं 11-12 साल का था, मेरा बाप एक एक्सीडेंट में चल बसा. मां ने तांगाघोड़ा किराए पर चलाने को दे दिया. वह बड़ी मेहनती औरत थी और घर में बैठ कर सिलाई का काम करती थी. इस तरह हमारी जिंदगी की गाड़ी चलने लगी. मां मुझे पढ़ाना चाहती थी. पर मेरा पढ़ाई में जरा भी मन नहीं लगता था. वैसे मुझे अंगरेजी जरूर अच्छी लगती थी. अंगरेजी को मैं बड़े ध्यान से पढ़ता और सीखता था. इसी वजह से 9वीं क्लास में मैं अंगरेजी के अलावा सारे विषयों में फेल हो गया.

फेल होने के बाद स्कूल से मेरा मन एकदम उचाट हो गया था. मैं ने पढ़ाई छोड़ दी. उन्हीं दिनों मेरी दोस्ती गलत किस्म के कुछ युवकों से हो गई. दोस्तों के साथ रह कर मुझे कई तरह के ऐब लग गए. सिगरेट पीना, ताश खेलना, होटलों में जाना मेरी आदतों में शामिल हो गया. इस के लिए पैसे की जरूरत होती थी. पैसे के लिए मैं दोस्तों के साथ मिल कर हाथ की सफाई भी करने लगा. इस में कोई दो राय नहीं कि बुराई शैतान की आंत की तरह होती है. एक बार शुरू हो जाए तो रुकना आसान नहीं होता. मां ने मुझे फिर से स्कूल भेजने की बहुत कोशिश की पर गुनाह की आदत ने मुझे पीछे नहीं लौटने दिया.

धीरेधीरे मैं जुए में माहिर हो गया. मेरे पास पैसे की रेलपेल होने लगी. ताश के पत्ते मेरे हाथ में आते ही जैसे मेरे गुलाम हो जाते थे. मेरी चालाकी ने मुझे जीतने का हुनर सिखा दिया था. जीतने की कूवत ने मेरी मांग भी बढ़ा दी और शोहरत भी. अब बाहर की पार्टियां भी मुझे बुला कर जुआ खिलवाने लगीं. इस काम में मुझे अच्छाखासा पैसा मिल जाता था. जिंदगी ऐश से गुजर रही थी. देखतेदेखते मैं 23 साल का गबरू जवान बन गया. मेरी मां से मेरी बरबादी बरदाश्त हुई और एक दिन वह सारे दुखों से निजात पा गई. मां की मौत के बाद मुझे कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था. जुए की महारत ने जहां कई दोस्त बनाए वहीं बहुत से दुश्मन भी बन गए. दोस्त तो पैसे के यार होते हैं. मैं ने ऐसे ही दोस्तों के साथ छोटा सा एक गिरोह बना लिया ताकि दुश्मनों से निपटा जा सके. हम लोग अपने पास चाकूकट्टे भी रखने लगे.

एक दिन मैं जुआखाने में एक बड़े गिरोह के सूरमा के साथ जुआ खेल रहा था. शुरू में वह जीतता रहा फिर अचानक बाजी पलट गई. मैं लगातार जीतने लगा, नोटों का ढेर बढ़ता गया. यह देख उस के साथी गालीगलोच पर उतर आए. गुस्से में मैं ने खेल रोक कर जैसे ही नोट समेटने चाहे उन लोगों के हाथों में चाकू और पिस्तौल चमकने लगे. मेरे साथियों ने भी हथियार निकाल लिए. गोलियों चलने लगीं. उसी दौरान एक गोली मेरे बाजू से रगड़ती हुई निकल गई. इस से मुझ पर जुनून सा तारी हो गया. हम 4 लोग थे और वो 7-8. दोनों तरफ से घमासान शुरू हो गया. 3 लोग जमीन पर गिर कर तड़पने लगे. दूसरे लोग चीखतेचिल्लाते हुए बाहर भागे. मैं और मेरे साथी भी सारे नोट समेट कर वहां से भाग लिए. अंधेरे ने हमारा साथ दिया. पीछे से पकड़ोपकड़ो की आवाजों के साथ गोलियां चल रही थीं. भागतेभागते मेरा एक साथी भी चीख कर ढेर हो गया

मैं ने जल्दी से रास्ता बदला और एक तंग गली से होता हुआ एक टूटीफूटी वीरान बिल्डिंग के जीने के नीचे दुबक गया. मेरे साथी पता नहीं किधर निकल गए. मैं घंटों वहां बैठा रहा. रात का गहरा सन्नाटा फैल चुका था. कहीं कोई आहट नहीं थी. मैं छिपतेछिपाते घर पहुंचा और अपना घोड़ा ले कर एक अनजानी दिशा की तरफ बढ़ गयामैं मौत के मुंह से निकला था और बुरी तरह घबराया हुआ था. जुए से कमाए पैसे मैं ने घर के अंदर कपड़ों में छिपा कर रख रखे थे. मुझ में इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि उन पैसों को ले आता. अभी तक मैं ने चोरी, लूट और जुआ जैसी छोटीछोटी वारदातें की थीं. मेरे हाथों कत्ल पहली बार हुआ था. मैं ने अपराध भले ही किए थे, लेकिन अभी तक मेरे अंदर का इंसान मरा नहीं था. मेरे हाथों किसी की जान गई है, यह अहसास मुझे मन ही मन विचलित कर रहा था

मुझे ये पता नहीं था कि मेरे हाथों से कितने लोग मरे हैं, पर मेरा निशाना चूंकि अच्छा था इसलिए मुझे लग रहा था कि कत्ल मेरे हाथों ही हुआ होगा. एक मरे या दो, गुनाह तो गुनाह है और इस गुनाह की सजा मौत है. अगर मैं पुलिस के हाथ लग जाता तो वह मेरी एक नहीं सुनती क्योंकि पुलिस में भी मेरा रिकौर्ड खराब था. जुए में जीतने की मेरी शोहरत की वजह से मेरे दुश्मनों की कमी नहीं थी. निस्संदेह वे मेरे खिलाफ गवाही दे कर मेरी मौत का सामान कर देते और अगर मैं इत्तफाक से सूरमा के गिरोह के हाथ लग जाता तो वे लोग मेरे टुकड़ेटुकड़े करने में जरा भी देर नहीं लगाते क्योंकि उन के 3-4 आदमी मरे थे. मुझे जल्द से जल्द वहां से बहुत दूर चले जाना था इसलिए मैं ने जंगल का सुनसान रास्ता पकड़ा.

पता नहीं मैं कब तक घोड़ा दौड़ाता रहा. जब घोड़े ने थक कर आगे बढ़ने से इनकार कर दिया और मैं भी भूखप्यास और थकान से पस्त हो गया तो एक साफ जगह देख कर रुक गया. तब तक दिन का उजाला फैलने लगा था. मैं ने घोड़े को एक पेड़ से बांधा और उसी पेड़ के नीचे लेट गया. जिस वक्त सूरज की तेज तपिश से मेरी आंखें खुलीं तब तक दिन काफी चढ़ आया था. घोड़ा भी आसपास की घासपत्ती खा कर ताजादम हो गया था

मैं ने पानी की तलाश में आसपास नजर दौड़ाई, लेकिन दूरदूर तक छितराए पेड़ों और झाडि़यों के अलावा कुछ नजर नहीं आया. वह पूरा इलाका सूखा बंजर सा था. मजबूरन मैं ने फिर से अपना सफर शुरू कर दिया. मैं जानबूझ कर बस्तियों से बच कर चल रहा था इसलिए कोई कस्बा या शहर भी रास्ते में नहीं आया. दोपहर तक भूख ने मेरी हालत खराब कर दी. इस के बावजूद मैं किसी ऐसी जगह पहुंच कर रुकना चाहता था जहां मेरे दुश्मन मुझ तक पहुंच सकें. अब तक मैं काफी दूर निकल आया था. इसलिए जंगल का रास्ता छोड़ कर मैं सड़क पर गया.

भूखप्यास बरदाश्त से बाहर होती जा रही थी. मुझे लग रहा था कि अगर कुछ देर और दानापानी नहीं मिला तो घोड़ा भी नहीं चल पाएगा. मैं ने लस्तपस्त हो कर अपना सिर घोड़े की पीठ पर रख दिया और सोचने लगा कि पता नहीं जिंदगी मिलेगी या मौत. घोड़ा धीमी गति से चलता रहा. कुछ देर बाद मैं ने भूख और धूप से चकराया हुआ अपना सिर उठाया तो सामने एक फार्म हाउस देख कर आंखों पर यकीन नहीं हुआफार्महाउस के अहाते पर कांटेदार तार लगा हुआ था. अंदर दो मंजिला खूबसूरत मकान बना था जो बाहर से ही दिख रहा था. मैं बेहिचक गेट खोल कर अंदर दाखिल हो गया. अंदर एक कोने में हैंडपंप लगा था. मैं ने बेताब हो कर पानी निकाला और मुंह हाथ धो कर जीभर के पानी पिया.

फिर वहीं रखी एक बाल्टी भर कर घोड़े के आगे रख दी. फार्महाउस में मक्की की फसल लगी थी. हैंडपंप के पास ही भुट्टे के छिलके और पौधों के तने पड़े थे. मैं ने घोड़े को उस ढेर के पास खड़ा कर दिया ताकि वह पेट भर सके. मैं खुद भी भुट्टा तोड़ कर खाने लगा ताकि कुछ सुकून मिले. अभी मैं भुट्टा खा ही रहा था कि घोड़े के हिनहिनाने की आवाज सुन मैं ने मुड़ कर देखा. एक हट्टाकट्टा मजबूत जिस्म का व्यक्ति मेरे ऊपर बंदूक ताने खड़ा था मुझे लगा जैसे अभी गोली चलेगी और मेरा काम तमाम हो जाएगा. वह मुझे घूरते हुए बोला, ‘‘कौन हो तुम? बिना इजाजत अंदर कैसे गए?’’

मैं ने उसे गौर से देखा, तांबे सा चमकता रंग, भूरे घुंघराले बाल, जो गर्दन तक लटके हुए थे. उस के चेहरे और जिस्म से ऐसी मर्दाना खूबसूरती नुमाया हो रही थी जो औरतों के लिए खास कशिश रखती है. मैं ने नरम लहजे में कहा, ‘‘मैं बहुत प्यासा था, पानी की तलाश में यहां गया. मैं किसी गलत मकसद से यहां नहीं आया हूं.’’

‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘जी, शमशेर.’’

उस ने मुझे घूरते हुए पूछा, ‘‘तुम कहां से रहे हो? जाना कहां है?’’

मैं ने अपने शहर का गलत नाम बता कर कहा, ‘‘मैं काम की तलाश में निकला हूं. अगर आप को मेरा आना नागवार लगा है तो मैं तुरंत वापस चला जाता हूं. आसपास कोई आश्रय ढूंढ़ लूंगा.’’ लेकिन मेरी बात से वह संतुष्ट नहीं हुआ और डपट कर बोला, ‘‘तुम्हारे पास कोई हथियार हो तो चुपचप निकाल कर दे दो.’’

मजबूरी थी, मैं ने अपना कट्टा और चाकू उसे दे दिया. इस के बाद उस के तेवर कुछ नरम पड़े. उस ने बंदूक से इशारा करते हुए कहा, ‘‘अपने घोड़े को इस पेड़ से बांध दो ताकि फसल में घुसे और अंदर चलो.’’

मैं ने घोड़ा बांधा और उस के साथ मकान के अंदर दाखिल हो गया. मकान अंदर से बहुत अच्छा था, खूबसूरत फर्नीचर से सजा हुआ. पर इस से भी खूबसूरत वह औरत थी जो वहां मौजूद थी. उस ने खुलाढीला सा सुर्ख गाउन पहन रखा था. गुलाबी बेदाग रंगत, चमकती नीली आंखें, सुडौल जिस्म, उस की नीली आंखें बड़ी सर्द सी लगी. औरत और उस व्यक्ति का हुलिया यह बताने के लिए काफी था कि कुछ देर पहले दोनों अंदर किस तरह की स्थिति में रहे होंगे.

औरत ने उस व्यक्ति की तरफ देख कर कहा, ‘‘इसे अंदर लाने की क्या जरूरत थी?’’

‘‘जरूरत थी जानेमन.’’ उस ने मुसकुरा कर कहा और औरत का हाथ पकड़ कर दूसरे कमरे में चला गया. घर की सजावट और रहनसहन से लग रहा था कि वे काफी अमीर लोग हैं

वह व्यक्ति मेरे हथियार अंदर रख कर बाहर आया तो उस के चेहरे पर मुसकुराहट और संतोष के भाव थे. अब उस का अंदाज ही बदला हुआ था. उस ने नरम लहजे में मुझ से कहा, ‘‘माफ करना शमशेर, हम लोग चूंकि वीराने में रहते हैं इसलिए जल्दी से किसी पर एतबार नहीं करते. कस्बा अजीरा भी यहां से थोड़ी दूरी पर है.’’

उस की बात सुन कर मैं ने इत्मीनान की सांस लेते हुए कहा, ‘‘यानि अब आप को यकीन गया कि मैं जरूरतमंद हूं.’’

वह कुछ नहीं बोला तो मैं ने कहा, ‘‘खैर, आप का शुक्रिया. अब अगर आप मेरे हथियार मुझे लौटा दें तो मैं जाना चाहूंगा.’’

‘‘इतनी जल्दी भी क्या है? बैठो अभी.’’

इस बीच वह औरत भी ढंग के कपडे़ पहन कर गई थी. नीले रंग के सलवार कुर्ते में वह गजब ढा रही थी. इस से ज्यादा हसीन औरत मैं ने पहले कभी नहीं देखी थी. मैं भले ही सब तरह के गुनाहों में डूबा था, पर औरत से दूर रहा था. पर उस औरत को देख कर मेरा दिल अजब से अंदाज में धड़कने लगा था. औरत ने मुसकुरा कर कहा, ‘‘खाने का वक्त है, मेरे हाथ का खाना तुम्हें पसंद आएगा.’’

मैं भूख से बेहाल था. मैं ने मुसकरा कर उस की पेशकश कुबूल कर ली.’’ वह व्यक्ति बोला. ‘‘मेरा नाम आहन है. ये मेरी बीवी तूबा है.’’

मैं ने खुशदिली से कहा, ‘‘इतना खूबसूरत जोड़ा मैं ने पहली बार देखा है. आप जैसे लोगों की मेहमाननवाजी मेरी खुशनसीबी है.’’

तारीफ सुन कर तूबा के गाल सुर्ख हो गए. वह खाना लगाने अंदर चली गई. इस बीच आहन शराब के 2 पेग बना लाया. शराब बड़ी जायकेदार थी, जल्द ही हम दोनों अच्छे दोस्तों की तररह पीतेपीते बातें करने लगे. उस ने बताया कि वह फार्म में मक्की, गेहूं और सब्जियां उगाता है. मैं ने उस से बच्चों के बारे में पूछा तो वह कहकहा लाते हुए बोला, ‘‘फिलहाल हम दोनों अकेले हैं और जिंदगी का आनंद ले रहे हैं. बच्चे तो हो ही जाएंगे, पर ये हसीन पल फिर कहां आएंगे.’’

खाना बेहद मजेदार था, मटन टिक्के बड़े लजीज लगे. मैं ने जी भर खाया. खानेपीने के बाद मैं ने उस से करीबी शहर के बारे में पूछा.

‘‘फाटक के सामने की सड़क पर बाईं तरफ सीधे चले जाओ. रात तक तुम बहादुरगढ़ पहुंच जाओगे. वह एक बड़ा शहर है, वहां काम मिल जाएगा.’’ उस ने मुझे रास्ता बताया. मैं ने उस से अपने हथियार मांग लिए जिन्हें देने में उस ने कोई आनाकानी नहीं की. मैं ने हथियार और पानी साथ रख लिया. घोड़ा भी खापी कर ताजादम हो चुका था. मैं ने अपना घोड़ा उस के बताए रास्ते पर डाल दिया. सूरज की तपिश कम हो चुकी थी. मैं दोढाई घंटे का सफर तय कर चुका था. अचानक मेरे पेट में तेज दर्द उठा. ऐसा लगा जैसे आंतें फटी जा रही हों. निस्संदेह वह जानलेवा दर्द था. तभी एकाएक मुझे उबकाई के साथ उलटी हो गई. सारा खायापीया बाहर गया.

उल्टी में खून देख कर मैं डर गया. उल्टी के बाद थोड़ा आराम जरूर मिला पर कमजोरी कुछ ज्यादा ही लग रही थी, सिर चकरा रहा था. घोड़े पर बैठे रहना मुश्किल हो रहा था. दोनों हाथों से घोड़े की गरदन पकड़ कर मैं उस पर गिर सा गया. मेरा वफादार घोड़ा खुद खुद आगे बढ़ता रहा. पता नहीं मैं कब होशो हवास से बेगाना हो गया.

‘‘, होश में आओ.’’ किसी ने मेरे गाल पर थपकी मार कर कहा तो धीरेधीरे मेरी आंखें खुल गईं. मुझे अपने आसपास रोशनी सी महसूस हुई. कुछ देर में मुझे होश गया. उस वक्त मैं एक बग्घी में था जिस की छत पर रेशम का कपड़ा मढ़ा हुआ था. जो चेहरा मेरे सामने आया वह किसी अधेड़ उम्र के आदमी का था. हल्की खिचड़ी दाढ़ी, गोरा रंग, नरम चेहरा, सोने के फ्रेम का चश्मा. उस आदमी ने मुझ से बड़े प्यार से पूछा, ‘‘अब तुम कैसा महसूस कर रहे हो?’’

‘‘कमजोरी कुछ ज्यादा ही लग रही है. मैं कहां हूं?’’

उस ने जवाब में कहा, ‘‘मैं डा. जव्वाद हूं. तुम्हें किसी ने जहर दिया था. शुक्र है कि मैं वक्त पर पहुंच गया और तुम बच गए. मैं ने ही तुम्हारा इलाज किया है. गनीमत रही कि तुम्हें उल्टी हो गई थी जिस से जहर का असर कम हो गया था और मेरी दवा की खुराक कारगर साबित हुई. बच गए जनाब तुम.’’

मैं ने हैरानी से पूछा, ‘‘मुझे जहर दिया गया था?’’

‘‘हां, तुम्हारे पेट में जहर था. एक जंगली जहरीली बूटी है जिस का पाउडर जहर का काम करता है. उस का कोई खास स्वाद या गंध नहीं होती. पानी में डालो तो हलका बादामी रंग झलकता है, शराब या किसी शरबत में तो पता भी नहीं चलता. खासियत यह है कि इस जड़ी को खाने के 2ढाई घंटे बाद असर होता है.’’

मेरा दिमाग आहन द्वारा खाने के समय दी गई शराब की तरफ चला गया. शराब तो हम तीनों ने पी थी पर शायद उस ने मेरे गिलास में जहरीला पाउडर मिला दिया था. मैं ने पूछा, ‘‘आप को कैसे पता चला कि मुझे जहर दिया गया है?’’

‘‘ये तुम्हारी खुशनसीबी थी. ये जहरीली बूटी इसी इलाके में ही पाई जाती है और मैं इस के इलाज का एक्सपर्ट हूं. तुम्हारी कमीज पर जो उल्टी गिरी थी उस में खून भी था. उसे देख कर मुझे पता चल गया कि तुम्हें जहर दिया गया है. इसलिए मैं ने फौरन इलाज शुरू कर दिया था.’’

मैं सोचने लगा कि सचमुच यह इत्तेफाक ही है कि इस वीराने में ये रहमदिल डाक्टर मिल गया और उस के इलाज से मेरी जान बच गई. वरना मौत यकीनी थी. डाक्टर ने मुझे सोच में पड़ा देख पूछा, ‘‘तुम जा कहां रहे थे?’’

‘‘बहादुरगढ़.’’

‘‘पर तुम तो बहादुरगढ़ की उल्टी दिशा में सफर कर रहे थे?’’

‘‘या तो मेरा घोड़ा गलत दिशा में निकल आया होगा या फिर बताने वाले ने गलत दिशा बताई होगी.’’

मुझे अपने घोड़े की याद आई तो मैं ने पूछा, ‘‘मेरा घोड़ा कहां है?’’

‘‘वह देखो पीछे बंधा है.’’ उस ने इशारा कर के कहा, ‘‘दाना खा रहा है.’’ अपने घोड़े को देख मुझे बड़ी तसल्ली मिली. डाक्टर की बग्घी बहुत शानदार थी. उस में मोटे गद्दे और नरम कुशन लगे थे. बैठने और लेटने के लिए बड़ी आरामदायक जगह बनाई गई थी. एक काला सा आदमी डाक्टर का कोचवान था. डाक्टर जव्वाद ने मुझ से यह नहीं पूछा कि मैं कौन हूं, कहां से आया हूं. मैं भी चुपचाप आंख बंद कर के लेटा रहा. कुछ देर बाद उस ने मुझे दूध के साथ दवा दीदवाई पी कर मैं ने बग्घी से उतरना चाहा तो मुझे एकदम से जोर का चक्कर गया. डाक्टर ने मुझे फिर लिटा दिया. कुछ देर बाद उस ने मुझे नाश्ता और कुछ फल खिलाए. फिर कहा, ‘‘अभी तुम लेटे रहो, चलनाफिरना मुश्किल है. तुम्हें बहुत कमजोरी हो गई है.’’

मैं सोचने लगा कि आहन और तूबा ने मुझे जहर क्यों दिया, उन से मेरी कोई दुश्मनी भी नहीं थी. मेरी आंखों में तूबा का खूबसूरत चेहरा घूम गया. मैं सोच भी नही सकता था कि हुस्न भी इतना जहरीला हो सकता है. बग्घी वहां से रवाना हो गई. मेरा घोड़ा पीछे रहा था. एकाएक डाक्टर ने पूछा, ‘‘तुम्हें जहर किस ने दिया?’’

‘‘मैं एक फार्महाउस पर रुका था. वहां रहने वाले एक मियांबीवी के साथ खानापीना हुआ था. उन लोगों ने ही जहर दिया होगा.’’

‘‘उन से तुम्हारी कोई अदावत थी या कोई झगड़ा हुआ था?’’

‘‘ मेरी उन से कोई दुश्मनी थी झगड़ा हुआ था, पता नहीं उन लोगों ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया? वैसे मैं जिन की बात कर रहा हूं उन में मर्द मर्ना खूबसूरती का नमूना था और औरत बेहद हसीन.’’

‘‘हो सकता है, वे लोग कोई मुजरिम हों और उन्हें तुम से कोई खतरा हो?’’

‘‘नहीं ऐसे तो नहीं लगते थे, खासे अमीर लोग थे.’’ कहते हुए मैं ने डाक्टर से पूछा, ‘‘आप कहां से रहे हैं?’’

‘‘मैं इस इलाके के लोगों का इलाज करने के लिए दूरदूर तक जाता हूं. खास कर जहां इलाज और डाक्टर की सहूलियत नहीं है. समझ लो साल के 6 महीने घर से बाहर बीतते हैं.’’

‘‘आप शादीशुदा हैं?’’

‘‘हां, मेरी बीवी बहुत अच्छी है, मेरी गैरहाजरी में घर अच्छे से संभालती है, फारमिंग वगैरह भी देख लेती है. इस मामले में मैं बहुत खुशनसीब हूं.’’

‘‘डाक्टर साहब, अब मुझे कोई बस्ती देख कर उतार दीजिए. मुझे अपनी मंजिल की तलाश में निकलना चाहिए.’’

‘‘नहीं, नहीं, अभी तुम बहुत कमजोर हो, घुड़सवारी कतई नहीं कर सकते. अगर तुम ने सफर किया तो मेरी सारी मेहनत बेकार जाएगी. अभी तुम्हारे शरीर से जहर का असर पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. तुम मेरे साथ चलो. 2 दिन मेरे घर पर आराम करना. इलाज के बाद जब पूरी तरह ठीक हो जाओगे फिर जहां चाहो, चले जाना.’’

मैं इनकार करने की सोच ही रहा था कि मेरे दिमाग में एक खयाल बिजली की तरह कौंधा तो मैं ने झट से कहा, ‘‘डाक्टर साहब, मैं आप का अहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा. आप मेरी इतनी परवाह कर रहे हैं तो मैं आप के साथ ही चलूंगा और इलाज पूरा होने के बाद आप की पूरी फीस दे कर जाऊंगा.’’

डा. जव्वाद ने हंस कर कहा, ‘‘मैं इलाज बढि़या करता हूं. इस के लिए फीस भी अच्छी लेता हूं.’’

हम डाक्टर के घर पहुंचे तो मैं चौंका. वह जगह मेरे लिए अपरिचित नहीं थी. जहां गाड़ी रुकी वह वही खूबसूरत फार्महाउस था, जहां मुझे जहर दिया गया था. दरवाजा खोलने वाली वही हसीन औरत थी. वह बड़े प्यार से डाक्टर के गले लग गई. डाक्टर ने पीछे मुड़ कर कहा, ‘‘शमशेर, ये मेरी बीवी ऐना है.’’

उस की नजर मुझ पर पड़ी तो ऐसा लगा जैसे उस ने कोई भूत देख लिया हो. उस का चेहरा सफेद पड़ गया. मैं ने झुक कर उसे सलाम किया. गुलाबी साड़ी में उस का हुस्न दमक रहा थाडाक्टर ने उस से मुखातिब हो कर कहा, ‘‘ऐना इन के लिए ऊपर का कमरा खुलवा दो, ये 2 दिन यहां रुकेंगे. इन्हें किसी जालिम ने जहर दे दिया था, लेकिन मैं वक्त पर पहुंच गया और इन्हें बचा लिया. मैं इन्हें आराम और इलाज के लिए अपने साथ ले आया हूं.’’ मैं सीढि़यों की तरफ बढ़ा. ऐना मेरे पीछे थी. कमरा खोल कर वह एक तरफ हट गई. वह गुस्से से लाल हो रही थी. उस ने गुस्से में कहा, ‘‘वापस क्यों लौट आए?’’ मैं ने मुसकरा कर व्यंग में कहा, ‘‘ये जानने के लिए कि तुम ने मुझे जहर क्यों दिया?’’ लेकिन वह साफ मुकर गई, ‘‘मैं भला तुम्हें क्यों जहर देने लगी? तुम्हें गलतफहमी हुई है.’’

‘‘मैं ने तुम्हारे घर के अलावा कहीं और कुछ नहीं खायापिया था, इसलिए यकीनन जहर तुम ने दिया था.’’

उस ने तीखे लहजे में कहा, ‘‘तुम ने खुद कोई जहरीली चीज खा ली होगी. मुझे तुम्हें जहर देने की क्या जरूरत थी?’’

‘‘जरूरत थी क्योंकि मैं ने तुम्हें आहन के साथ देख लिया था. तुम्हारे इश्क का गवाह बन गया था मैं.’’

वह बात काट कर बोली, ‘‘मैं किसी आहन को नहीं जानती.’’

‘‘ओह, यानी तुम दोनों ने मुझे अपने नाम गलत बताए थे. खैर, मैं यहां तुम्हारी आशनाई का राजफाश करने नहीं आया हूं. मुझे डाक्टर से अपना पूरा इलाज करवाना है. उन का कहना है कि अगर इलाज पूरा हो तो ये जहर कुछ दिन बाद फिर असर दिखाता है. इसलिए दवा का 3 दिन का कोर्स पूरा करना जरूरी है.’’

इस पर उस ने तमक कर कहा, ‘‘अगर तुम ने कुछ उलटासीधा करने की कोशिश की तो बहुत बड़ी मुश्किल में पड़ जाओगे, याद रखना.’’

‘‘मैं एक जुआरी हूं, फायदा उठाने के साथसाथ नुकसान उठाने के लिए भी तैयार रहता हूं. यह तुम सोचो कि क्या तुम नुकसान उठा सकती हो?’’

ऐना गुस्से से जाने के लिए पलट गई. मैं ने उसे फिर याद दिलाया, ‘‘ऐना एक बात जहन में रख लो, मैं एक बार धोखा खा सकता हूं, बारबार नहीं.’’

डाक्टर ने मेरा बहुत खयाल रखा. इलाज में भी कोई कोताही नहीं बरती. शाम तक मैं काफी फ्रेश महसूस करने लगा. मैं ने डाक्टर से कहा, ‘‘मैं थोड़ा बाहर घूमना चाहता हूं, आप ठीक समझें तो चला जाऊं?’’

‘‘हां, थोड़ी देर के लिए चले जाओ. पास ही कस्बा अजीरा है, पर ज्यादा नहीं घूमना. थक जाओगे.’’

बाहर निकला तो ऐना को गेट के पास कहीं जाने को तैयार खड़ा देखा. मैं ने मुसकरा कर कहा, ‘‘मैं कस्बे जा रहा हूं आहान को कोई पैगाम देना हो तो बता दो.’’

उस ने गुस्से से दांत पीसे और रुख बदल कर खड़ी हो गई. मैं बाहर निकल गया. थोड़ी दूर चलने के बाद एक शराबखाना नजर आया. मैं ने एक पैग रम का आर्डर दिया, शराब सर्व करने वाला एक 14-15 साल का लड़का था. मैं ने उस से पूछा, ‘‘क्या तुम बिना किसी मेहनत के 10 रुपए कमाना चाहते हो?’’

वह हैरान सा मुझे देखते हुए बोला, ‘‘क्या काम करना होगा मुझे?’’

‘‘कुछ खास नहीं, मैं तुम्हें एक आदमी का हुलिया बताता हूं, तुम मुझे उस का नाम और पता बता दो बस.’’

हुलिया सुन कर वह डर सा गया, बोला, ‘‘साब, वह बहुत जालिम और खतरनाक आदमी है. बीच में मेरा नाम नहीं आना चाहिए.’’ मैं ने उस का नाम आने का वादा किया तो उस ने उस का नाम बाबर बताया और उस का पता समझा दिया. मैं उसे 10 रुपए दे कर बाहर गया. शाम का अंधेरा फैल रहा था. गालियां लैंप पोस्टों से रोशन हो चुकी थीं. वह एक छोटा सा साफसुथरा कस्बा था. वहां के लोग खुशहाल लग रहे थे. मैं बताए गए पते पर पहुंच गया. वह एक बड़ी शानदार हवेली थी. अहाता लैंपों की रोशनी में चमक रहा था. गेट के पास एक खूबसूरत बग्घी खड़ी थी. एक तरफ अस्तबल में घोड़े बंधे थे. मैं ने सोचा किस्मत की बड़ी धनी औरत है ऐना. शौहर भी अमीर और महबूब भी.

जुआरी होने की वजह से मेरी जेब हमेशा खाली रहती थी. बस आखिरी बार जो रकम मेरे हाथ लगी थी वही मेरे पास थी. मुझे इस कस्बे से दौलत की खुशबू रही थी. खुशकिस्मती से तुरूप का पत्ता मेरे हाथ लग गया था. अगर मैं एहतियात से खेलता तो एक बड़ी रकम हाथ लग सकती थी. मैं हवेली देख कर लौट आयारात का खाना खाने के बाद मैं दवा ले कर डाक्टर के साथ गपशप करने लगा. बातोंबातों में मैं ने कस्बे की शानदार हवेली का जिक्र किया तो डाक्टर ने नागवारी से कहा, ‘‘वह हवेली बाबर की है. उस के बाप को कहीं से खजाना मिल गया था, इसलिए इतनी दौलत छोड़ कर मरा है कि वह सारी उम्र उड़ाए तो भी खत्म नहीं होगी

‘‘बेटा निकम्मा और ऐशपरस्त निकला, बाप की दौलत पर ऐश कर रहा है, नालायक आदमी.’’ डाक्टर के लहजे से बाबर के लिए नफरत साफ झलक रही थी. दवा से मुझे गहरी नींद आई. सुबह उठा तो एकदम ताजादम था. जब मैं नीचे उतरा तो डाक्टर कहीं गया हुआ था, ऐना नाश्ता लगा रही थी. वह मुझे नाश्ता सर्व करते हुए बोली, ‘‘कल तुम डाक्टर से बाबर का जिक्र कर रहे थे और शायद तुम उस की हवेली भी देख आए हो. मैं तुम्हें आगाह करना चाहती हूं कि तुम उस से पंगा लो तो तुम्हारे लिए अच्छा रहेगा. वह बहुत खतरनाक आदमी है.’’

‘‘चलो, मैं तुम्हारी बात मान कर उस से पंगा नहीं लेता, पर तुम दोनों की आशिकी की बात तो सब को बता सकता हूं.’’

‘‘उस से कोई फायदा नहीं होगा, हम साफ इनकार कर देंगे. तुम यहां अजनबी हो, डाक्टर भी तुम्हारी बात का यकीन नहीं करेगा. वो मुझ से बेहद मोहब्बत करता है. वैसे भी इस कस्बे में हमारी बहुत इज्जत और अहमियत है, सब तुम्हें ही झूठा कहेंगे. ये भी मुमकिन है कि एक शरीफ डाक्टर की बीवी पर झूठा इलजाम लगाने की वजह से तुम खुद फंस जाओ.’’

निस्संदेह वह औरत बड़ी शातिर थी. मेरी बातों से जरा भी नहीं घबराई. उस की इस बात में दम था कि एक अजनबी पर कोई यकीन नहीं करेगा. पर अभी भी मेरे हाथ में एक प्लसपौइंट था. मैं ने कहा, ‘‘तुम शायद यह भूल रही हो कि तुम ने मुझे जहर दे कर मारने की कोशिश की थी.’’

इस बार वह थोड़ा घबराई, ‘‘पर इस का क्या सुबूत कि मैं ने तुम्हें जहर दिया था?’’

‘‘इस बात की गवाही खुद डाक्टर जव्वाद देगा कि मुझे जहर दिया गया था. तुम्हारे घर से निकलने के बाद उस रास्ते में कहीं ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां कुछ खायापिया जा सकता. तुम्हारे फार्महाउस से निकलने के 2 घंटे बाद मेरी तबियत बिगड़ने लगी, उल्टी हुई, पेट में जानलेवा दर्द था

‘‘डाक्टर ने दवा दे कर मेरी जान बचाई. मैं तुम्हारे फार्महाउस में रुका था, तुम ने मुझे खाना खिलाया. यह सब डाक्टर को बता कर मैं तुम पर इलजाम लगाऊंगा. जब बात फैलेगी तो सोचो तुम्हारी क्या इज्जत रह जाएगी. तुम्हारी वजह से डाक्टर की अलग बदनामी होगी क्योंकि कस्बे के कुछ लोग तो जरूर तुम्हारे और बाबर के नाजायज ताल्लुक के बारे में जानते होंगे.’’

‘‘तुम ऐसा नहीं कर सकते.’’ उस का लहजा कमजोर पड़ गया. ‘‘मैं ऐसा ही करूंगा.’’ मैं ने सख्त लहजे में कहा, ‘‘तुम और बाबर अगर मेरी डिमांड पूरी नहीं करते तो?’’

‘‘तुम्हारी क्या डिमांड है?’’

‘‘सिर्फ 50 हजार रुपए.’’ उस जमाने में यह एक बहुत बड़ी रकम होती थी. 50 हजार की मांग सुन कर उस की आंखें फैल गईं, बोली, ‘‘ये तो बहुत ज्यादा है?’’

‘‘अगर तुम अपनी इज्जत बरकरार रखना चाहती हो तो ये रकम देनी ही पड़ेगी. अपने महबूब को समझाना तुम्हारा काम है. वह लखपति है, उस के लिए 50 हजार कोई बड़ी रकम नहीं है.’’

ऐना चिढ़ कर बोली, ‘‘वह मेरा महबूब नहीं है, वो तो बस एक वक्ती ताल्लुक था.’’

‘‘जब वह तुम्हारा आशिक नहीं है तो तुम डाक्टर को क्यों धोखा दे रही थीं?’’ उस ने धीरे से कहा, ‘‘ये बात तुम नहीं समझोगे.’’

‘‘मुझे समझना भी नहीं है, तुम्हारे पास 2 दिन की मोहलत है. पैसे दे दो वरना कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रह जाओगी.’’ मैं ने कहा तो उस का चेहरा पीला पड़ गया. मैं उसे वहीं छोड़ कर बाहर निकल गया.

खाने के समय डाक्टर से मुलाकात हुई. उस ने कहा, ‘‘अब तुम्हारी हालत ठीक है, चाहो तो तुम कल जा सकते हो. अब सफर में कोई परेशानी नहीं होगी.’’

मैं सोच रहा था कि यहां से निकल कर किसी नए शहर में अपनी पहचान छिपा कर रहूंगा. वैसे भी अब बढ़ी हुई दाढ़ी की वजह से मेरा हुलिया काफी कुछ बदल गया था. मैं ने ऐना पर दबाव डालने के लिए जानबूझ कर डाक्टर से पूछा, ‘‘डाक्टर साहब, अगर मैं उन लोगों के खिलाफ रिपोर्ट करना चाहूं. जिन्होंने मुझे जहर दिया था तो क्या आप मेरा साथ देंगे?’’

‘‘हां जरूर, ये एक संगीन जुर्म है. एक डाक्टर होने के नाते मैं ये गवाही जरूर दूंगा कि तुम्हें जहर दिया गया था. ये तो तुम्हारा हक बनता है.’’

‘‘शुक्रिया डा. साहब, सही मानों में आप एक नेक इंसान हैं, मैं आप के अहसान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा.’’

ऐना किचन के पास खड़ी सब सुन रही थी. कुछ देर बाद वह एक बैग ले कर बाहर आई और डाक्टर से बोली, ‘‘मुझे काम से बाहर जाना है. आप को बग्घी की जरूरत तो नहीं है, मैं ले जाऊं?’’

‘‘हां ले जाओ. मैं अब आराम करूंगा,’’ कहते हुए वह उठ कर अपने कमरे में चला गया. कुछ देर बाद मैं भी घोड़ा ले कर ऐना के पीछे निकल गया. पहले वह एक जनरल स्टोर में गई. फिर कुछ सब्जियां लीं और सीधी बाबर की हवेली की तरफ चली गई. सारा काम मेरी मंशा के मुताबिक हो रहा था. कुछ देर वहां रुक कर वह वापस फार्महाउस चली गई. मैं चुपचाप छिपा खड़ा सब देख रहा था. थोड़ी देर बाद बाबर बग्घी ले कर बाहर निकला, उस का रुख बैंक की तरफ था. मेरा काम हो गया था, मैं फार्महाउस लौट आया.

रात के खाने के बाद डाक्टर ने मुझे दवा का आखरी डोज दिया और मैं ने उस की मुंहमांगी फीस अदा की. वह खुश हो कर अपने शयन कक्ष में चला गया. मैं ऐना के पास बैठ गया. मैं ने उस से कहा, ‘‘मेरा खयाल है,तुम ने बाबर से बात कर ली होगी.’’

‘‘हां, मुझे पता है, तुम मेरा पीछा कर रहे थे. मैं ने बाबर को बामुश्किल 25 हजार देने को राजी किया है. वह भी इस शर्त पर कि तुम फौरन यहां से रवाना हो जाओगे और कभी पलट कर इस तरफ नहीं आओगे.’’

मुझे 25 हजार ठीक लगे. मैं ने कहा, ‘‘पैसे मिलने के बाद यहां लौट कर क्या करूंगा? तुम्हारे हाथ से जहर खा कर हिम्मत टूट गई है.’’

मैं उठ कर अपने कमरे में गया. सुबह मुझे निकलना था, मैं डाक्टर से इजाजत ले चुका था. बस अब मुझे रकम का इंतजार था. करीब एक घंटे बाद ऐना आई. उस के हाथ में एक थैली थीवह थैली मुझे थमाते हुए बोली, ‘‘ये लो पूरे 25 हजार हैं, सुबह होते ही यहां से निकल जाना वरना अपने अंजाम के तुम खुद जिम्मेदार होगे.’’

मैं ने थैली ले कर पैसे गिने. फिर उसे शुक्रिया कहा तो वह गुस्से में बोली, ‘‘कल सवेरे जल्दी दफा हो जाना.’’

वह पैर पटकती हुई बाहर निकल गई. मैं ने थैली संभाल कर कपड़ों में छिपाई. फिर कल लाई शराब के कुछ घूंट ले कर मैं ने पैसे मिलने की खुशी मनाई और सो गया. जब मेरी आंख खुलीं तो मेरे चेहरे पर तेज धूप पड़ रही थी. कुछ देर तक कुछ भी समझ में नहीं आया. फिर एकदम बौखला कर उठ बैठा. मैं डाक्टर के घर के आरामदेह बिस्तर पर नहीं बल्कि रेत पर पड़ा हुआ था. मैं ने अपने कपड़े टटोले, मेरे पैसे और हथियार गायब थे. सामने देखा तो बाबर घोड़े पर बैठा था. उस की बंदूक की नाल मेरी तरफ उठी हुई थी. मैं ने हड़बड़ा कर पूछा, ‘‘मैं यहां कैसे?’’

‘‘बहुत आसानी से, रात को क्लोरोफार्म, सुंघा कर तुम्हें बेहोश किया और फिर तुम्हें तुम्हारे घोड़े पर डाल कर यहां ले आया. ये जगह फार्महाउस से 4 घंटे की दूरी पर है.’’ मेरी नजर अपने घोड़े पर पड़ी जो झाडि़यों में मुंह मार रहा था. अब मेरे पास मेरे हथियार थे, पैसे. मैं एकदम खाली हाथ था. मैं ने परेशान हो कर पूछा, ‘‘क्या तुम मुझे कत्ल करना चाहते हो?’’

‘‘नहीं, पर तुम ने मुझ से पंगा लेने की भूल की है, उस की सजा तो मिलेगी.’’

‘‘कैसी सजा?’’

बाबर ने बंदूक का रूख मेरी तरफ करते हुए कहा, ‘‘शमशेर तुम्हारे पास दो रास्ते हैं. पहला यह कि मैं तुम्हें गोली मार दूं और दूसरा यह कि,’’ उस ने शराब की एक छोटी बोतल मेरी तरफ उछालते हुए कहा, ‘‘इस शराब को पी लो. इस में वही जहर मिला हुआ है जिस का स्वाद तुम चख चुके हो.’’

उस की बात सुन कर मेरे हाथ से बोतल नीचे गिर गई. बाबर निशाना साधते हुए बोला. ‘‘मैं 10 तक गिनूंगा, इस बीच तुम ने जहर नहीं पिया तो मैं तुम्हें गोली मार कर चला जाऊंगा. एक दो तीन…’’

मैं तड़प कर बोला, ‘‘एक मिनट रुको.’’ मैं बुरी तरह कांप रहा था.

उस ने मुझे तसल्ली देते हुए कहा, ‘‘जहर पीने के बाद तुम्हारे पास जान बचाने के लिए 2ढाई घंटे होंगे. इस बीच अगर तुम किसी बस्ती तक पहुंच गए तो अपनी जान बचा सकते हो. कोई भी डाक्टर तुम्हारा इलाज कर देगा. पर एक बार गोली चल गई तो बचने का कोई चांस नहीं है. इसलिए जहर पीना ही तुम्हारा नसीब है.’’

वह फिर गिनती गिनने लगा. जब वह 9 तक पहुंचा तो मैं ने बोतल मुंह से लगा ली. वह मुझे शराब पीता देख मुसकरा कर बोला, ‘‘अच्छा किया, तुम ने दूसरा रास्ता चुना. पर अजीरा का रुख करना क्योंकि वहां तक नहीं पहुंच सकोगे. वैसे भी मेरे आदमी तुम्हारी ताक में हैं.’’

मेरे हाथ से खाली बोतल छीन कर वह घोड़ा दौड़ाते हुए उल्टी तरफ निकल गया. मेरे पास वक्त कम था. मैं ने लपक कर घोड़ा संभाला और घोड़े को विपरीत दिशा में दौड़ाने लगा. इस बार मैं ने जीतने के लिए जिंदगी की बाजी खेली थी और इस जुए में मुझे हर हाल में जीतना था. दांव पर चूंकि मेरी जान लगी हुई थी इसलिए मुझे हर हाल में 2 घंटे में किसी शहर या आबादी में पहुंचना था. घोड़ा भी शायद मेरी परेशानी समझ कर हवा से बातें करने लगा. मैं भूखप्यास धूप की परवाह किए बिना घोड़ा दौड़ाता रहा. अचानक मुझे अहसास हुआ कि मुझे सफर करते हुए 4 घंटे से ज्यादा गुजर चुके हैं. सूरज सिर पर चुका था पर अभी तक जहर ने कोई असर नहीं दिखाया था. मेरी तबियत बिलकुल ठीक थी. इस बीच कोई बस्ती भी नहीं आई थी. मैं समझ गया बाबर ने जहर की बात झूठ कही थी.

निस्संदेह वह चाहता होगा कि मैं जल्द से जल्द उस जगह से बहुत दूर निकल जाऊं. पर इस बीच खौफ और परेशानी में मेरा जो हाल हुआ वह मैं ही जानता था. मैं आगे बढ़ता रहा. थकान भूखप्यास से बुरा हाल था पर खुदा मुझ पर मेहरबान था. आगे मुझे कुछ मकान दिखने लगे. मेरा घोड़ा भी लस्तपस्त हो गया था. मैं थोड़ा आगे बढ़ा तो एक होटल नजर आया. खाने की खुशबू बाहर तक रही थी. पर मेरे पास पैसे नहीं थे, मैं वहीं थक कर बैठ गया. होटल के काउंटर पर बैठा शख्स मुझे गौर से देख रहा था. कुछ देर बाद वह उठ कर बाहर आया और मुझे ध्यान से देखते हुए बोला, ‘‘यहां पहली बार दिख रहे हो, परदेसी हो क्या?’’

  मैं ने बेबसी से कहा, ‘‘हां परदेसी हूं. भूखा हूं, पर जेब में पैसे नहीं हैं.’’

  ‘‘तुम कुछ पढ़ेलिखे हो? अंगरेजी बोल सकते हो, कुछ हिसाबकिताब कर सकते हो? दरअसल, मेरे यहां जो आदमी काम करता था, वह बाहर चला गया है, तुम मुझे जरूरतमंद और काबिलेभरोसा लग रहे हो.’’

मैं ने झट से जवाब दिया, ‘‘मैं अंगे्रजी बोल सकता हूं, हिसाबकिताब भी कर सकता हूं. आप मुझ पर भरोसा कर सकते हैं.’’

होटल के मालिक आदम शेख ने मुझे होटल में रख लिया. होटल के पीछे ही मुझे रिहाइश भी मिल गई. मैं पूरी ईमानदारी से काम करने लगा. ऐतिहासिक शहर होने की वजह से वहां अंगरेज टूरिस्ट आते थे. इसलिए मेरी अहमियत और बढ़ गई. यहां मेरी अंगरेजी की काबिलियत काम आई. मुझे जो जहर ऐना ने दिया था जब वह जिस्म से निकला तो मेरी बुराइयां भी निकल गईं. शायद मैं पूरी तरह बदल गया. देखने में मैं वैसे भी काफी स्मार्ट था. अब रहनसहन आदतें बदलने से मेरी निखरी हुई शख्सियत से आदम शेख बहुत प्रभावित हुआ. मेरे काम ने उस का दिल जीत लिया था.

वक्त मुझ पर मेहरबान हुआ, आदम शेख ने अपनी इकलौती बेटी नूरी की शादी मुझ से कर दी. उस ने होटल की सारी जिम्मेदारी मुझ पर छोड़ दी. एक खूबसूरत, समझदार बीवी ने मेरी जिंदगी में खुशियां भर दीं. पर दिल की टीस किसी हाल में कम नहीं हुई. जब भी मुझे बाबर और ऐना का जालिमाना रवैय्या याद आता, मेरे जिस्म में जैसे आग सी भर जाती. जुनून सा सवार हो जाता. मैं ने इस आग को दबाने की बहुत कोशिश की पर वक्त के साथ तपिश बढ़ती गई. दिल चाहता एक बार फिर अजीरा जाऊं और उन दोनों को ऐसी सजा दूं कि उम्र भर याद रखें. मैं ने उन का कुछ नहीं बिगाड़ा था फिर भी उन दोनों ने मुझे जहर दिया और जब मैं ने उस का मुआवजा वसूल किया तो ऐसा सुलूक किया जिसे मैं आज तक नहीं भूल सका

जिंदगी और मौत की 4 घंटे की वो कशमकश, वो खौफ और दहशत के पल मैं कैसे भूल सकता था. जहर के असर होने के डर से मैं जीतेजी कई बार मरा. गनीमत यही थी कि मैं मजबूत शरीर का मालिक था जो ये सब झेल गया. कमजोर दिल तो मौत की सोच कर ही मर जाता. अपने सुकून की खातिर मैं ने एक बार अजीरा जाने का फैसला कर लिया. उन दिनों होटल में काम कम था. मैं ने अपने एक भरोसेमंद साथी को जिम्मेदारी सौंपी. मैं ने नूरी और आदम शेख से एक बहुत जरूरी काम का बहाना किया और अजीरा के लिए रवाना हो गया. वक्त इतना ज्यादा नहीं गुजरा कि मुझे रास्ता ढूंढ़ने में परेशानी होती.

जब मैं डा. जव्वाद के फार्म हाउस के गेट पर पहुंचा शाम हो रही थी. इस बीच फार्महाउस में थोड़े बदलाव हुए थे. गेट पर घंटी लगी थी. मैं ने बेहिचक घंटी बजाई तो एक उम्रदराज शख्स ने गेट खोला. मेरे कहने पर वह मुझे डाक्टर जव्वाद के पास उन के क्लीनिक वाले पोर्शन में ले गया. कुछ पल डाक्टर मुझे गौर से देखता रहा. फिर उस की आंखों में चमक उभरीं. मुझे पहचानते ही वह खड़ा हुआ और बड़ी गर्मजोशी से हाथ मिलाते हुए कहा, ‘‘तुमतुमशमशेर हो , बहुत अच्छा लगा. तुम्हें यहां देख कर.’’

मैं ने अपने साथ लाए तोहफे डाक्टर को पेश करते हुए कहा, ‘‘डा. साहब, मैं इधर से गुजर रहा था, दिल चाहा कि आप से मिलता चलूं. आप की मदद और कुदरत की मेहरबानी से बहुत खुशहाल और शानदार जिंदगी जी रहा हूं. अकसर याद आती थी आप की, आज मिलने का मौका मिल गया.’’

डा. जव्वाद हालचाल पूछता रहा, फिर कहने लगा, ‘‘मुझे अजीरा मे एक सीरियस पेशेंट को देखने जाना है, चाहो तो गेस्ट रूम में आराम करो या मेरे साथसाथ चलो.’’

मैं ने जल्दी से कहा, ‘‘मैं आप के साथ चलूंगा. इस बहाने कस्बा भी घूम लूंगा.’’ मेरे दिल में बाबर के बारे में जानने की बेचैनी थी, इसलिए मैं चाय पीने के बाद डाक्टर के साथ निकल पड़ा. जानेपहचाने रास्ते, डाक्टर की बग्घी जब बाबर की हवेली के आगे रुकी तो मैं हैरान रह गया. डाक्टर के साथ अंदर पहुंचा तो हवेली में एक अजब सी उदासी और खामोशी थी. सामने जहाजी साइज पलंग पर एक कंकाल सा वजूद पड़ा हुआ था. तभी डाक्टर की आवाज मेरे कानों से टकराई, ‘‘कैसे हो बाबर? तकलीफ कुछ कम हुई या नहीं?’’ मुझे एक झटका सा लगा. हड्डियों का वह ढांचा बाबर है, यकीन नहीं रहा था. मेरे कानों में एक कांपती हुई सी आवाज पड़ी, ‘‘बड़ी तकलीफ है, कुछ करो डाक्टर.’’

डाक्टर और उस के नौकर ने बड़ी मुश्किल से उसे उठा कर दवा पिलाई. वह हाथ हिलाने के काबिल भी नहीं था. आंखें धंसी हुईं. चेहरे पर झुर्रियां, गले की लटकी हुई खाल. वह कहीं से बाबर नजर नहीं रहा था. मैं उस से बदला लेना चाहता था पर उसे इस हालत में देख कर मैं एक अजीब असमंजस में पड़ गया. वापसी पर मैं ने डा. जव्वाद से पूछा, ‘‘इसे क्या हो गया डाक्टर? बाबर तो बहुत तंदुरुस्त और कडि़यल जवान था.’’ 

डाक्टर के चेहरे पर एक रहस्यमय मुसकान फैल गई. वह धीरे से बोला, ‘‘कभीकभी पहाड़ भी अनदेखे ज्वालामुखी से टकरा कर किरचाकिरचा हो जाते हैं. हम लोग 2-3 दिन के लिए पहाड़ी इलाके में गए थे. मेरे और ऐना के साथ बाबर भी था. ऐना उसे साथ ले जाने की जिद कर रही थी इसलिए मैं टाल सका. वहां आदिवासियों ने हम लोगों की बड़ी मेहमाननवाजी की

 ‘‘वहां पता नहीं कैसे बाबर जहरीली बूटी खा गया. इत्तफाक से मैं अपनी दवाइयां साथ ले जाना भूल गया था. उस के इलाज में काफी देर हो गई, जहर अंदर तक असर कर चुका है. अब मेरी दवाएं भी फायदा नहीं कर रही हैं. 15 दिन से ऐसी ही शदीद तकलीफ में है.’’

 ‘‘पर डाक्टर साब आप तो दवाइयां हमेशा अपने साथ रखते हैं, ऐसा कैसे मुमकिन है?’’  मैं ने पूछा तो डाक्टर की आंखों में अजीब सी चमक उभरी.

 ‘‘शमशेर कुछ चीजें चाहते हुए भी हो जाती हैं. हो सकता है, उस ने जहर खाया हो, उसे खिलाया गया हो. जो लोग दूसरों की जिंदगी में जहर घोलते हैं उन्हें भी तो पता चलना चाहिए कि असल में जहर का असर कितना घातक होता है

 ‘‘अपनी इज्जत और शोहरत को मैं इस तरह दांव पर नहीं लगा सकता था. इस शर्मनाक मसले का यही एक हल था. ऐना को भी तसल्ली है कि मैं जीजान से बाबर का इलाज कर रहा हूं. ये अलग बात है कि उस की जिंदगी के चंद दिन बाकी हैं.’’

डाक्टर के लहजे की बेरहमी और उस की आंखों की जालिमाना चमक से मैं सारा मामला समझ गया. पिकनिक पर डाक्टर को ऐना और बाबर के ताल्लुक के बारे में यकीन हो गया होगा, और उस ने वही किया जो एक इज्जतदार शौहर को करना चाहिए था. उस की बात सुन कर मेरे दिल को बहुत सुकून मिला.

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