रुखसाना ने कम उम्र में मर्दों की लत लगा कर जो गलती की, वह शादी ही नहीं, 4 बच्चों की मां बनने के बाद भी नहीं छूटी. उसी का नतीजा है कि आज वह पति की हत्या के आरोप में जेल में है. खटखट की आवाज से असलम की आंख खुली तो आंखों की कड़वाहट से ही वह समझ गया कि अभी सवेरा नहीं हुआ है. लाइट जला कर उस ने समय देखा तो रात के 2 बज रहे थे. उतनी रात को कौन आ गया? असलम सोच ही रहा था कि दोबारा खटखट की आवाज आई. वह झट से उठा. रात का मामला था, इसलिए बिना पूछे दरवाजा खोलना ठीक नहीं था. उस ने पूछा, ‘‘कौन?’’
बाहर से सहमी सी आवाज आई, ‘‘भाईजान, मैं रुखसाना.’’
रुखसाना का नाम सुन कर उस ने झट से दरवाजा खोल दिया. क्योंकि वह उस की पड़ोसन थी. सामने खड़ी रुखसाना से उस ने पूछा, ‘‘भाभीजी आप, सब खैरियत तो है?’’
‘‘माफ कीजिएगा भाईजान, आप को इतनी रात को तकलीफ दी.’’ रुखसाना ने कहा तो असलम बोला,‘‘जाबिरभाई और बच्चे तो ठीक हैं न?’’
‘‘असलमभाई, मुझे लगता है, मेरे घर कोई अनहोनी हो गई है. काफी देर पहले जाबिर टौयलेट के लिए ऊपर गए थे. लेकिन अभी तक वह नीचे नहीं आए हैं. मेरा जी घबरा रहा है.’’
‘‘नीचे नहीं आए, क्या मतलब? मैं समझा नहीं?’’ असलम ने हैरानी से कहा.
‘‘आज उन की तबीयत ठीक नहीं थी. शाम को भी देर से आए थे. खाना खाने के बाद दवा ली और सो गए. थोड़ी देर बाद वह टौयलेट जाने के लिए उठे. नीचे वाला टौयलेट खराब था, इसलिए मैं ने उन्हें ऊपर जाने को कहा. वह ऊपर वाले फ्लोर पर चले गए. जबकि मैं लेटी ही रही. काफी देर हो गई और वह ऊपर से नीचे नहीं आए तो मेरा जी घबराने लगा. इसलिए मैं आप के पास आ गई.’’
‘‘आप ने ऊपर जा कर नहीं देखा?’’ असलम ने पूछा.
‘‘जा रही थी, लेकिन सीढि़यों के दरवाजे की दूसरी ओर से कुंडी बंद थी, इसलिए जा नहीं सकी. मैं ने कई आवाजें दीं. दूसरी ओर से कोई जवाब नहीं मिला. मुझे लगता है, कोई गड़बड़ हो गई है?’’ रुखसाना ने भर्राई आवाज में कहा.
‘‘आप परेशान मत होइए भाभीजान. चलिए मैं देखता हूं.’’ कह कर असलम अपनी पत्नी के साथ रुखसाना के घर की ओर चल पड़ा. रुखसाना, उस का बेटा साजिद, असलम और उस की पत्नी ऊपर जाने के लिए सीढि़यों पर चढ़ने लगे. ऊपर जाने वाले दरवाजे की कुंडी दूसरी ओर से बंद थी, इसलिए सभी को वहीं रुकना पड़ा. असलम ने वहीं से कई आवाजें लगाईं, लेकिन दूसरी ओर से कोई जवाब नहीं मिला. सभी नीचे उतरने लगे तो एकाएक असलम की नजर बालकनी पर चली गई. उसे लगा, वहां चादर में लिपटा कुछ पड़ा है. उस ने उस ओर इशारा कर के कहा, ‘‘भाभीजान, उधर देखिए, वह क्या पड़ा है?’’
रुखसाना ने उधर देखा. उस का बेटा साजिद वहां भाग कर पहुंचा. उस में से खून बह रहा था. उस ने झुक कर चादर हटाई. इस के बाद एकदम से चीखा, ‘‘अम्मी. यह तो अब्बू हैं.’’
रुखसाना चीखी, ‘‘या खुदा यह क्या हो गया? जाबिर तुम्हारा यह हाल किस ने किया?’’
साजिद भी जोरजोर से रोने लगा था. असलम ने अपने मोबाइल फोन से पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दी. फिर तो थोड़ी ही देर में पीसीआर की गाड़ी वहां पहुंच गई. पीसीआर पुलिस ने चादर हटाई तो उस में खून से सनी जाबिर की लाश लिपटी थी. पीसीआर पुलिस ने संबंधित थाना जीटीबी एन्क्लेव को घटना के बारे में सूचित किया. कुछ देर बाद थाना जीटीबी एन्क्लेव के थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह चौहान और इंसपेक्टर एटीओ राकेश कुमार दोहाना पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे.
घटनास्थल का मुआयना करने के दौरान ही पुलिस को खून सना एक चाकू मिला. पुलिस ने उसे कब्जे में ले लिया, क्योंकि हत्या उसी से की गई थी. पुलिस ने पूछताछ की तो रुखसाना ने वही बातें बताईं, जो वह असलम को पहले ही बता चुकी थी. स्थिति को देखते हुए पुलिस उस से ज्यादा पूछताछ नहीं कर सकी. लेकिन घटनास्थल के हालात से साफ था कि यह हत्या लूटपाट की वजह से नहीं हुई थी. क्योंकि घर का सारा सामान जस का तस था. चूंकि मकान में आनेजाने का एक ही दरवाजा था, इसलिए पुलिस ने अंदाजा लगाया कि हत्या किसी जानकार ने की है या फिर इस में घर के किसी सदस्य का हाथ है. पुलिस परिवार वालों और रिश्तेदारों के नामपते तथा फोन नंबर ले रही थी, तभी क्राइम टीम और फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट ने आ कर अपनी काररवाई निपटा ली. इस के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया.
थाना जीटीबी एन्क्लेव में उसी दिन यानी 16 जून, 2013 को जाबिर की हत्या का यह मुकदमा अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज कर लिया गया. इस के बाद मामले के खुलासे के लिए डीसीपी वी.वी. चौधरी एवं स्पेशल सेल के डीसीपी संजीव कुमार यादव ने स्पेशल सेल के इंसपेक्टर अत्तर सिंह यादव के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की, जिस में सबइंसपेक्टर प्रवीण कुमार, संदीप कुमार, हेडकांस्टेबल संजीव, दिलावर, सुरेश और राजवीर को शामिल किया गया.
पुलिस को पता था कि जाबिर के मकान में आनेजाने के लिए एक ही दरवाजा था, इसलिए हत्यारा उसी दरवाजे से आया होगा और जाबिर की हत्या कर के उस की लाश को चादर में लपेट कर उसी दरवाजे से बाहर गया होगा. जाबिर का हत्यारा या तो जानपहचान का था या फिर घर का ही कोई सदस्य था. पुलिस ने सभी नंबरों को सर्विलांस पर लगा दिया था. इसी के साथ मुखबिरों को भी सतर्क कर दिया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला था कि जाबिर के शरीर पर चाकू के 32 वार किए गए थे. पुलिस जांच में क्या हुआ, यह जानने से पहले आइए थोड़ा जाबिर और रुखसाना के बारे में जान लें.
जाबिर और रुखसाना उत्तर प्रदेश के जिला बदायूं के गांव रमजानपुर के रहने वाले थे. जाबिर 30-32 साल का रहा होगा, तभी उसे 15 साल की रुखसाना से प्यार हो गया था. इस की वजह यह थी कि जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही वह फूल की तरह महक उठी थी, जिस पर भंवरे मंडराने लगे थे. रुखसाना के घर से निकलते ही चाहने वाले उस के पीछे लग जाते थे. कोई उसे परी कहता तो कोई जन्नत की हूर तो कोई अप्सरा तो कोई दिल की रानी. वह फूल कर कुप्पा हो जाती. फिर तो जल्दी ही वह न जाने कितनों के दिलों की रानी बन गई. उस के ये प्रेमी उसे घुमानेफिराने और मौज कराने लगे. ये लड़के उसे ऐसे ही नहीं मौज करा रहे थे, वे उस के शरीर से अपनी एकएक पाई वसूल रहे थे.
रुखसाना को भी इस में मजा आ रहा था. धीरेधीरे वह इस की आदी हो गई. हालत यह हो गई कि जब तक वह किसी लड़के से शारीरिक संबंध न बना लेती, उस का मन बेचैन रहता. उस के ऐसे ही यारों में एक जाबिर भी था. जाबिर उस से उम्र में बड़ा जरूर था, लेकिन शारीरिक संबंधों की आदी बन चुकी रुखसाना के लिए अब उम्र के कोई मायने नहीं रह गए थे. जाबिर भी उसी मोहल्ले में रहता था, जिस मोहल्ले में रुखसाना रहती थी. वह नौशे मियां का बेटा था. जाबिर अन्य लड़कों से थोड़ा अलग था. दरअसल वह उस के दिल का राजा बनना चाहता था. रुखसाना को वह अपनी बीवी बनाना चाहता था. लेकिन लाख कोशिशों के बाद रुखसाना इस के लिए तैयार नहीं थी. इस की वजह यह थी कि वह उम्र में उस से काफी बड़ा था. रुखसाना का कहना था कि मौजमस्ती की बात दूसरी है और बीवी बन कर रहने की बात दूसरी.
रुखसाना की हरकतों से सारा गांव वाकिफ था. गांव वालों से इस बात की जानकारी उस के मातापिता को हुई तो उन्होंने उसे मारापीटा और समझाया भी. आखिर मांबाप की बात रुखसाना की समझ में आ गई. इसलिए वह जाबिर से निकाह के लिए राजी हो गई. जाबिर तो उस के लिए पागल था ही, इसलिए रुखसाना के हामी भरते ही उस ने अपने अब्बू नौशे मियां से कहा, ‘‘अब्बू, मैं रुखसाना से निकाह करना चाहता हूं.’’
जाबिर की बात सुन कर नौशे मियां हैरान रह गए. क्योंकि रुखसाना अब तक गांव में इस कदर बदनाम हो चुकी थी कि निकाह की छोड़ो, कोई भला आदमी उस से बातचीत करना भी पसंद नहीं करता था. ऐसी लड़की से जाबिर निकाह की बात कर रहा था. नौशे मियां की गांव में अच्छी इज्जत थी. उन्होंने इस निकाह के लिए साफ मना कर दिया. लेकिन जाबिर ने तो इरादा पक्का कर लिया था, इसलिए उस ने कहा, ‘‘अगर मेरा निकाह रुखसाना से नहीं किया गया तो मैं आत्महत्या कर लूंगा.’’
मजबूरन नौशे मियां को राजी होना पड़ा. रुखसाना के घर वालों की ओर से इनकार का सवाल ही नहीं था. क्योंकि उन की बदनाम बेटी से और कौन शादी करता. इस तरह जाबिर और रुखसाना का निकाह हो गया. निकाह के बाद रुखसाना पूरी तरह बदल गई थी. वह पति की ही नहीं, सासससुर और देवर की सेवा पूरे लगन से करने लगी थी. घर के सारे कामों की जिम्मेदारी ले ली थी. नौशे मियां के पास काफी जमीन थी. उसी पर खेती कर के वह अपने परिवार का भरणपोषण कर रहे थे. जाबिर गांव में रह कर पिता की मदद करता था. समय के साथ जाबिर 4 बच्चों का बाप बन गया. परिवार बढ़ा तो जिम्मेदारी और खर्च बढ़ा. जाबिर को लगा कि अब गांव में गुजारा नहीं होगा तो गांव छोड़ कर वह दिल्ली चला गया.
दिल्ली के दिलशाद गार्डेन में उस ने कबाड़ी का काम शुरू किया. कबाड़ी का काम नाम से भले ही छोटा है, लेकिन अगर मेहनत से किया जाए तो इस काम में मोटी कमाई है. जाबिर ने मन लगा कर मेहनत की. जिस का उसे फायदा भी मिला. उस की ठीकठाक कमाई होने लगी. वह जरूरत भर का पैसा रख कर बाकी गांव भेज देता था. जाबिर की कमाई बढ़ी तो उस ने रहने के लिए एक जनता फ्लैट खरीद लिया. अपना मकान हो गया तो गांव से वह अपना परिवार ले आया. बच्चों का उस ने यहीं एडमिशन करा दिया. अब समय आराम से गुजरने लगा.
जाबिर ने देखा कि कबाड़ी के काम में पैसा तो खूब है, लेकिन इज्जत नहीं है. अगर वह इसी तरह कबाड़ी का काम करता रहा तो उस के बच्चों की शादी ठीकठाक घरों में नहीं हो सकेगी. उस ने कबाड़ी का काम बंद कर दिया और स्टील वर्क्स का काम शुरू कर दिया. इस काम में भी उस ने मन लगा कर मेहनत की. उस की मेहनत रंग लाई और उस के पास सब कुछ हो गया. वह दिन में मेहनत करता और रात को चैन की नींद सोता. जाबिर अपने अब्बू को दिल्ली लाना चाहता था. लेकिन नौशे मियां ने दिल्ली आने से साफ मना कर दिया. तब जाबिर ने उन की मदद के लिए एक नौकर रख दिया. इस नौकर का नाम भी जाबिर था.
वह नौशे मियां के साथ उन के खेतों पर काम करता था. समय निकाल कर जाबिर कभीकभार पिता से मिलने रमजानपुर आ जाता और एकाध दिन रह कर चला जाता था. काम बढ़ा तो जाबिर की व्यस्तता भी बढ़ गई. जिस की वजह से वह पत्नी और बच्चों को समय कम दे पाता था. अब तक रुखसाना 30 साल की हो गई थी तो जाबिर 45 साल का. दिन भर काम कर के जाबिर बुरी तरह थक जाता तो देर रात घर आने पर उसे बिस्तर ही दिखाई देता था. वह जल्दी से खाना खा कर सो जाता. जबकि भरपूर जवान रुखसाना को उस की नजदीकी की जरूरत होती थी. पति के सो जाने से उस के अरमान दिल में ही रह जाते थे.
रुखसाना चाहती थी कि पति घर आए तो उस से बातें करे, प्यार करे. उस के बच्चों को समय दे. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था, जिस की वजह से वह खीझने लगी थी. उसे लगता था कि जाबिर को जैसे पत्नी और बच्चों को जरूरत ही नहीं है. बस उसे पैसे चाहिए. उस के अरमानों और भावनाओं की उसे कोई परवाह नहीं है. ऐसे में अगर औरत जवान हो तो वह क्या करे? इस स्थिति में उसे उम्र के लंबे अंतराल का खयाल आया और उसे अपनी गलती का अहसास हुआ. वह देखती थी कि लोग अभी भी उसे चाहतभरी नजरों से ताकते हैं, जबकि पति उस की ओर ध्यान ही नहीं देता. पति की इस बेरुखी से उस का मन बहकने लगा तो उस की नजरें किसी मर्द को तलाशने लगीं.
रुखसाना के बच्चों को एक सरदार ट्यूशन पढ़ाने आता था. वह हट्टाकट्टा गठीले बदन का कुंवारा नौजवान था. रुखसाना का दिल उसी पर आ गया. क्योंकि वही उस के सब से करीब था. रुखसाना ने उसे लटकेझटके दिखाए तो सरदार को समझते देर नहीं लगी कि उस के मन में क्या है. फिर एक दिन रुखसाना ने उसे मौका दिया तो उस सरदार ने खुशीखुशी उस की इच्छा पूरी कर दी. सरदार ने उसे इस तरह खुश किया कि वह उस की दीवानी हो गई. रुखसाना उस की इस कदर दीवानी हुई कि उसे लगने लगा कि वह सरदार के बिना जी नहीं पाएगी. कुछ ऐसा ही सरदार को भी लगने लगा तो एक दिन वह रुखसाना को भगा ले गया. यह सन 2008 की बात है. रुखसाना को न पति की चिंता थी, न बच्चों की. इसलिए सरदार के साथ जाने के बाद उस ने उन की कोई खबर नहीं ली.
पत्नी की बेवफाई से जाबिर को गहरा आघात लगा. लेकिन इस आघात को बच्चों की परवरिश में लग कर उस ने भुला दिया. फिर भी वह रुखसाना की तलाश करता रहा. 5 महीने बाद उसे किसी से पता चला कि रुखसाना अपने प्रेमी के साथ पंजाब में रह रही है. पत्नी को वापस लाने के लिए वह पंजाब गया. सचमुच वहां रुखसाना उस सरदार के साथ रवीना कौर नाम से रह रही थी. रुखसाना आने को तैयार नहीं थी. लेकिन उस की असलियत जब सरदार के घर वालों को पता चली तो उन्होंने जबरदस्ती उसे जाबिर के साथ भेज दिया.
जाबिर को अब रुखसाना पर यकीन नहीं रह गया था. इसलिए उस ने उसे पिता के पास गांव पहुंचा दिया. 4 बच्चों की मां बनने के बाद भी रुखसाना के रुखसार में कोई कमी नहीं आई थी. साथ ही उस के अरमान भी पहले जैसे ही चिंगारी की तरह थे, जिसे सिर्फ हवा देने की जरूरत थी. आखिर गांव में जाबिर ने पिता की मदद के लिए जाबिर नाम के जिस नौकर को रखा था, उस ने हवा देने का काम किया. उसे देखते ही रुखसाना की आग भड़क उठी. उन के पास मौका ही मौका था. जाबिर घर का नौकर था, इसलिए उस का अंदर तक आनाजाना था. रुखसाना ने इसी का फायदा उठाया और नौकर जाबिर को बिस्तर का साथी बना लिया.
रुखसाना का जब मन होता, नौकर जाबिर के साथ हमबिस्तर हो जाती. पहले तो यह काम बहुत चोरीछिपे होता रहा, लेकिन धीरेधीरे वे लापरवाह होते गए. गांव वालों को संदेह हुआ तो लोग उन पर नजर रखने लगे. जब उन्हें यकीन हो गया कि सचमुच कुछ गड़बड़ है तो उन्होंने इस बारे में नौशे मियां से बात की. उन्होंने फोन कर के सारी बात बेटे को बता दी. अगले ही दिन जाबिर गांव पहुंचा और पहले तो उस ने रुखसाना की जम कर पिटाई की, उस के बाद तुरंत नौकर को भगा दिया. 4-5 दिन गांव में रह कर जाबिर दिल्ली चला गया. दिल्ली आते समय उस ने रुखसाना पर नजर रखने की जिम्मेदारी भाई दिलशाद को सौंपी थी. भाई के कहने पर दिलशाद उस पर रातदिन नजर रखने लगा.
रुखसाना की आदत बिगड़ चुकी थी. अब वह सुधरने वाली नहीं थी. वह बिना मर्द के बिलकुल नहीं रह सकती थी. लेकिन देवर की वजह से वह किसी मर्द तक पहुंच नहीं पा रही थी. पिछले साल मई महीने में अचानक दिलशाद की करंट लगने से मौत हो गई. गांव वालों का कहना था कि यह सब रुखसाना ने अपने पुराने प्रेमी असरुद्दीन से करवाया था. इस की वजह यह थी कि असरुद्दीन उन दिनों गांव में ही था. जबकि वह सूरत में रहता था. वह रुखसाना का बचपन का प्रेमी था. बहरहाल सच्चाई कुछ भी रही हो, सुबूत न होने की वजह से पुलिस केस नहीं बना. पुलिस केस भले ही नहीं बना, लेकिन गांव वाले इस बात को ले कर काफी गुस्से में थे. इसलिए घर वालों ने असरुद्दीन को सूरत भेज दिया. वह सूरत तो चला गया, लेकिन वह वहां भी नहीं बच सका. दिलशाद के भतीजे ताहिर ने चाचा की मौत का बदला लेने के लिए सूरत में ही उस की हत्या कर दी.
गांव वाले रुखसाना के कारनामों से परेशान हो गए तो उन्होंने जाबिर को फोन कर के उसे अपने साथ दिल्ली ले जाने को कहा. उन का कहना था कि वे इस गंदगी को गांव में नहीं रहने देंगे. क्योंकि इस की वजह से खूनखराबा भी होने लगा है. गांव वालों के कहने पर जाबिर रुखसाना को दिल्ली ले आया. रुखसाना ने पति से वादा किया था कि अब वह ऐसा कोई काम नहीं करेगी, जिस से उस के मानसम्मान को ठेस पहुंचे. लेकिन रुखसाना मानी नहीं. उस ने ठान लिया था कि अब वह जाबिर के साथ नहीं रहेगी. फिर उस ने पति से छुटकारा पाने के लिए जो योजना बनाई, वह बहुत ही खतरनाक थी.
पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चल गया था कि हत्या में रुखसाना का हाथ है. फिर भी पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया था. दरअसल उसी के माध्यम से पुलिस असली हत्यारों तक पहुंचना चाहती थी. अगर पुलिस उसे पकड़ लेती तो असली हत्यारे छिप जाते. इंसपेक्टर अत्तर सिंह यादव ने मुखबिरों की मदद से नंदनगरी के गगन सिनेमा के पास से जानेआलम उर्फ टिंकू, आमिर हुसैन और हनीफ उर्फ काला को पकड़ा. थाने ला कर तीनों से पूछताछ की गई तो पता चला कि रुखसाना ने ही 4 लाख रुपए की सुपारी दे कर जाबिर की हत्या कराई थी. हत्यारों के पकड़े जाने के बाद पुलिस रुखसाना के घर पहुंची तो पता चला कि वह घर से गायब हो चुकी है. शायद उसे हत्यारों के पकड़े जाने की भनक लग चुकी थी.
पुलिस रुखसाना की तलाश कर रही थी कि तभी अलाउद्दीन उर्फ आले पुलिस के हाथ लग गया. इस के बाद 4 नवंबर, 2013 को पुलिस ने रुखसाना को भी उस समय गिरफ्तार कर लिया, जब वह अपने घर जरूरी सामान लेने आई थी. इस के बाद पुलिस को नौकर जाबिर अली, कमर और शानू की तलाश थी. गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में रुखसाना ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. इस के बाद उस ने जाबिर की हत्या की जो कहानी पुलिस को सुनाई, वह इस प्रकार थी.
गांव में रहने के दौरान जब उस के संबंध नौकर जाबिर अली से बने थे तो इस का खुलासा होने पर उस का शौहर जाबिर उस के साथ बुरी तरह मारपीट करने लगा था. तब रुखसाना ने तय कर लिया था कि अब वह उसे ठिकाने लगवा कर ही रहेगी. नौकर जाबिर से उस की फोन पर बात होती रहती थी. उस ने उस से बात की तो उस ने रुखसाना की मुलाकात अलाउद्दीन उर्फ आले से कराई. उस ने आले को 4 लाख रुपए देने की बात की तो वह जाबिर की हत्या करने के लिए तैयार हो गया.
अलाउद्दीन नौकर जाबिर का दोस्त था और रमजानपुर का ही रहने वाला था. आले अपराधी प्रवृत्ति का था. उस ने गांव के ही अब्बन की हत्या तलवार से काट कर की थी. चूंकि आले को गांव वालों से जान का खतरा था, इसलिए वह जेल से छूटने के बाद पत्नी मुनीजा के साथ गांव बीकमपुर में रहने लगा था. आले कामकाज के नाम पर दिल्ली की फैक्ट्रियों से कौपर डस्ट की चोरी कर के कबाडि़यों को बेचता था. दिल्ली में रहते हुए ही उस की जानपहचान 26 वर्षीय हनीफ उर्फ काला से हुई. वह भी रमजानपुर का ही रहने वाला था. काफी समय से वह गाजियाबाद के भोपुरा में रहता था. वह चोरी का माल तो खरीदता ही था, खुद भी चोरी करता था. आले ने जाबिर की हत्या करने पर 4 लाख रुपए मिलने की बात बता कर उसे भी योजना में शामिल कर लिया था. हनीफ को लगा कि वह आले के साथ मिल कर इस योजना को अंजाम नहीं दे पाएगा, इसलिए उस ने अपने दोस्तों कमर, आमिर हुसैन, शानू और जानेआलम उर्फ टिंकू को भी अपने साथ मिला लिया.
पूरी योजना तैयार कर के सभी 15 जून, 2013 को रुखसाना के घर पहुंचे. रुखसाना ने सभी को घर में ही अलगअलग जगहों पर छिपा दिया. रात में क्या होना है, रुखसाना को पता ही था, इसलिए उस ने जाबिर के रात के खाने में बेहोशी की दवा मिला दी, जिसे खा कर जाबिर सो गया. लेकिन थोड़ी देर बाद उसे टौयलेट आई तो रुखसाना ने उसे ऊपर वाले टौयलेट में जाने को कहा. क्योंकि नीचे वाले टौयलेट में कमर छिप कर बैठा था. जबकि टिंकू कमरे में ही चाकू लिए छिपा था. जाबिर सीढि़यां चढ़ने लगा, तभी कमर ने उसे पीछे से पकड़ लिया तो टिंकू ने उस पर चाकू से लगातार कई वार कर दिए. जाबिर का मुंह दबा था, इसलिए वह चीख भी नहीं सका और छटपटा कर मर गया.
खून बहुत ज्यादा बह रहा था, इसलिए उसे रोकने के लिए लाश को चादर में लपेट कर बालकनी में डाल दिया. इस के बाद वे सभी चले गए. उन के जाने के बाद रुखसाना ने इधरउधर फैले खून को साफ किया और असलम के घर जा कर जाबिर के ऊपर जा कर वापस न आने की बात बताई.
पूछताछ के बाद पुलिस ने रुखसाना को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. 4 लोगों को पुलिस पहले ही जेल भेज चुकी थी. पुलिस को अभी नौकर जाबिर, कमर और शानू की तलाश है. कथा लिखे जाने तक इन में से एक भी अभियुक्त पुलिस के हाथ नहीं लगा था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित