फिल्म इंडस्ट्री में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है, जैसे राजनीति, कास्टिंग काउच, नेपोटिज्म और भी न जाने क्याक्या? बेव सीरीज ‘शो टाइम’ में बौलीवुड की दुनिया, प्रोडक्शन हाउस और वहां काम करने के तरीके को डिटेल से दिखाया गया है.

कलाकार: इमरान हाशमी, महिमा मकवाना, नसीरुद्दीन शाह, श्रिया सरन, विजय राज, मौनी राय, विशाल वशिष्ठ आदि

निर्देशक: मिहिर देसाई, अर्चित कुमार, निर्माता: करण जौहर, लेखक: जेहान हांडा, प्लेटफार्म: डिज्नी प्लस हौटस्टार.

साल 2020 में कोविड काल के बाद फिल्म इंडस्ट्री के अंदर और बाहर में बहुत कुछ बदला है. जो गासिप मुंह दबा कर की जाती थीं, वो अब सोशल मीडिया के जरिए खुल कर बाहर आने लगी हैं. टैबलायड्स के ब्लैक गासिप्स की तरह कुछ कलाकार सोशल मीडिया में नाम लिए बिना इंडस्ट्री और साथी कलाकारों की आलोचना करते रहते हैं. नेपोटिज्म और इनसाइडर-आउटसाइड की बहस भी अकसर सोशल मीडिया में छाई रहती है. और तो और, रिश्वत दे कर फिल्मों के रिव्यूज प्रभावित करने के आरोप तो अब खुल कर लगने लगे हैं. साउथ फिल्मों का दबदबा और बौलीवुड के खत्म होने की कहानियां अकसर सुनने को मिलती हैं.

साउथ ने दर्शकों की नब्ज पकड़ ली है और बौलीवुड अभी भी स्टारडम के मकडज़ाल में उलझा है, ये बातें भी रहती हैं. करण जौहर निर्मित वेब सीरीज ‘शो टाइम’ सोशल मीडिया की ऐसी ही सारी बहसों, किस्सेकहानियों और हैशटैग्स का स्क्रीन अडाप्टेशन है, जिन के निशाने पर वह खुद भी रह चुके हैं. सीरीज ‘शो टाइम’ फिल्म इंडस्ट्री के अंदर होने वाली केकड़ा पौलिटिक्स को भी दिखाती है.

एपिसोड नंबर-1

वेब सीरीज ‘शो टाइम’ में रघु खन्ना (इमरान हाशमी), दिग्गज फिल्ममेकर और विक्ट्री स्टूडियोज के मालिक विक्टर खन्ना (नसीरुद्ïदीन शाह) का बेटा है. कमर्शियल फिल्मों का सफल प्रोड्यूसर है, जो 100 करोड़ की फिल्में देने के लिए जाना जाता है, मगर कंटेंट के लिए उस की फिल्मों की आलोचना भी खूब होती है. फिल्म की कामयाबी के लिए वो हर तरह का हथकंडा अपनाता है. उस के काम का सब से बड़ा आलोचक उस का पिता विक्टर खन्ना ही है, जिसे बेटे रघु खन्ना की कमर्शियल फिल्में बिलकुल भी पसंद नहीं हैं. रघु भी पिता के ओल्ड स्कूल विचारों को पसंद नहीं करता, जिस के चलते दोनों बापबेटे में टकराव होता रहता है. विक्टर खन्ना को प्रोस्टेट कैंसर है. कहानी एक नामी फिल्म स्टूडियो विक्ट्री के इर्दगिर्द बुनी गई है.

स्टूडियो मालिक विक्टर खन्ना अपने जमाने के हिट रोमांटिक फिल्ममेकर रहा है. वह फिल्में बनाना अपना धंधा नहीं, धर्म मानता है, लेकिन उस की पिछली कुछ फिल्में बौक्स औफिस पर नहीं चलीं तो कमान उस के बेटे रघु खन्ना (इमरान हाशमी) के हाथों में सौंपी गई है. रघु का मंत्र है कि कंटेंट कैसा भी हो, बस पैसा बनना चाहिए, उस के लिए ब्लौकबस्टर की परिभाषा है, 2 घंटे फिल्म देखो, खाओ, पीयो, खिसको. इसलिए रघु समीक्षकों को पैसे खिला कर स्टार रेटिंग खरीदता है, लेकिन एक नईनवेली पत्रकार महिका नंदी (महिमा मकवाना) उस की फिल्म की बैंड बजा देती है.

सीरीज ‘शो टाइम’ के 3 डायलौग हैं, जिसे पढऩे के बाद आप इस की मूल कहानी से वाकिफ हो जाएंगे. पहला इमरान हाशमी का, ‘मुझे पता है सब कुछ मुझे खैरात में मिला है. फिर भी मैं ने इस स्टूडियो को दिनरात एक कर के इस मुकाम तक पहुंचा हूं.’

दूसरा डायलौग है महिमा मकवाना का, ‘इन्हें देख कर तो नेपोटिज्म भी शरमा जाए.’

तीसरा डायलौग है नसीरुद्दीन शाह का, ‘सिनेमा धंधा नहीं, धर्म है हमारा.’

अपना विक्ट्री स्टूडियो एक उभरती हुई फिल्म जर्नलिस्ट महिका नंदी (महिमा मकवाना) के नाम कर के एक दिन विक्टर खन्ना सुसाइड कर लेता है.

महिका विक्टर खन्ना की नातिन है. महिका की मां विक्टर खन्ना की पहली पत्नी की बेटी है यानी विक्टर खन्ना रिश्ते में महिका नंदी का नाना होता है. विक्टर अपनी नातिन महिका की स्वच्छ पत्रकारिता से बहुत प्रभावित था, विक्टर को महिका पर पूरा यकीन था कि वह उस के नामी स्टूडियो विक्ट्री का नाम बदनाम नहीं होने देगी. यहां पर पहले एपिसोड का अंत हो जाता है.

एपिसोड नंबर-2

दूसरे एपिसोड की शुरुआत होती है. विक्टर ने अपनी पहली पत्नी को बेटा न हो पाने के कारण छोड़ दिया था. इसीलिए दूसरी पत्नी (लिलेट दुबे) के बेटे रघु को अपना लेता है, महिका की मां ने यह राज छिपा कर रखा था. एक आउटसाइडर को इंडस्ट्री के सब से बड़े विक्ट्री स्टूडियोज की कमान मिल जाने और रघु के सड़क पर आ जाने की घटना ग्लैमर इंडस्ट्री की सुर्खियां बन जाती हैं. महिका नंदी को स्टूडियो इसी शर्त पर मिला है कि वो कंटेंट प्रधान फिल्में बना कर विक्ट्री स्टूडियो की पुरानी शोहरत को वापस ले कर आएगी. खुद महिका इसी तरह के सिनेमा की पक्षधर है. मगर, रघु चुप बैठने वाला नहीं है, वो किसी भी हाल में विक्ट्री स्टूडियोज को धूल चटा कर अपना खुद का स्टूडियो खड़ा करना चाहता है.

एंटरटेनमेंट के बाजार में बैठे दुकानदारों के तिकड़म और पैंतरे दिखाने के इरादे से बुनी गई कहानी की शुरुआत ही एक एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट से होती है. सिनेमा का कीड़ा दिल में ले कर मुंबई आई एक जर्नलिस्ट महिका नंदी को इंडस्ट्री के टौप प्रोड्यूसर रघु खन्ना (इमरान हाशमी) की फिल्म को 4 स्टार रिव्यू देने के लिए महंगे ‘गिफ्ट’ का औफर मिला है, लेकिन वह अपने वायरल रिव्यू में फिल्म की धज्जियां उड़ा देती है. और यहां से कहानी बननी शुरू होती है.

महिका के रिव्यू के बावजूद रघु की फिल्म ‘प्यार डेंजरस’ बौक्स औफिस पर धुआंधार कमाई कर रही है. बापबेटे विक्टर और रघु के इस क्लैश में महिका की एंट्री एक सरप्राइज ट्विस्ट से होती है. यह ट्विस्ट वैसे तो हिंदी सिनेमा में एक रुटीन फिल्मी स्टाइल में आता है, मगर इस का लौजिक ये है कि कल तक इंडस्ट्री में आउटसाइडर रहा अगर एक व्यक्ति किस्मत से अचानक इनसाइडर बन जाए तो क्या होगा?

विक्ट्री स्टूडियोज की कमान अब महिका के हाथों में है. कल तक इंडस्ट्री पर सवाल खड़े कर रही महिका नंदी अब खुद इस का हिस्सा है और इस आउटसाइडर लड़की की नजर से आप को इंडस्ट्री की पैंतरेबाजी और कारोबार देखने को मिलते हैं. रघु खन्ना अब अपना अलग स्टूडियो प्रोडक्शन हाउस खड़ा कर रहा है. महिका को अब अपना विक्ट्री स्टूडियो संभालने के लिए रघु खन्ना से ही टकराना है. महिका नंदी को रघु का चैलेंज है कि 100 करोड़ कमा कर फिल्म से दिखाओ. इस चैलेंज को स्वीकार कर महिका जुट जाती है अपने काम में और रघु उस की राह में रोड़े अटकाने लग जाता है. यहां पर दूसरा एपिसोड पूरा हो जाता है.

एपिसोड नंबर 3-4

‘शो टाइम’ सीरीज के 2 एपिसोड तक जो थोड़ी अच्छे एंटरटेनमेंट की आस जगती है, वह तीसरे और चौथे एपिसोड में कोई खास दम नहीं दिखा पाती. तीसरे और चौथे एपिसोड में दिखाया गया है कि सुपरस्टार अरमान सिंह (राजीव खंडेलवाल) जो कल तक रघु के अंडर फिल्म कर रहा था, अब महिका नंदी से डील कर रहा है. उस की एक्ट्रैस पत्नी (श्रिया सरन) कमबैक प्लान कर रही है, मगर उसे एक अच्छे औफर की तलाश है.

महिका का स्पैशल फ्रेंड पृथ्वी (विशाल वशिष्ठ) जो रघु के अंडर विक्ट्री स्टूडियोज में काम कर रहा था. अब अपनी एक फिल्म लिखना चाहता है. रघु खन्ना अपनी गर्लफ्रेंड (मौनी राय) को एक फिल्म देने का वादा कर चुका था, मगर विक्ट्री स्टूडियोज से निकलने के बाद अब पलटी मार रहा है और एक बिजनैसमैन है (विजय राज) जो अपने बेटे को लांच करने के बदले खुद की अलग कंपनी बनाने चले रघु को मदद करना चाहता है. वेब सीरीज ‘शो टाइम’ के पहले सीजन का पहला पार्ट 4 एपिसोड में है और करीब 40-40 मिनट लंबे इन एपिसोड में काफी कुछ चल रहा है और इस में रियल बौलीवुड के मेटा-रेफरेंस बहुत मजेदार हैं.

करण जौहर ने टाइगर श्रौफ के साथ एक प्रोजेक्ट अनाउंस किया था ‘स्क्रू ढीला’, जो फिलहाल डब्बा बंद है. ‘शो टाइम’ में ‘स्क्रू ढीला’ नाम की एक फिल्म का जिक्र कई बार आता है.

बिजनैस करने वाली फिल्म बनाम अवार्ड दिलाने वाली फिल्म, फिल्मों के पीछे चल रहे दिमाग और एंटरटेनमेंट में मीडिया का छौंक भी लगता दिखता है. शोटाइम का स्क्रीनप्ले और संवाद कैसे हैं? फिल्मी दुनिया का सूरतेहाल दिखाती सीरीज ‘शो टाइम’ के फिलहाल 4 ही एपिसोडस रिलीज किए गए हैं. बाकी एपिसोड्स बाद में रिलीज किए जाएंगे. सीरीज के क्रिएटर सुमित राय हैं, जो करण जौहर की ‘रौकी और रानी की प्रेम कहानी’ और ‘गहराइयां’ फिल्मों की लेखन टीम का हिस्सा रहे हैं.

‘शो टाइम’ का स्क्रीनप्ले भी सुमित राय ने लारा चांदनी के साथ मिल कर लिखा है. संवाद जेहान हांडा और करण श्रीकांत शर्मा ने लिखे हैं. मिहिर देसाई और अर्चित कुमार निर्देशित सीरीज एक झटके से शुरू होती है और 2 एपिसोड तक भागतीदौड़ती रहती है. तीसरे और चौथे एपिसोड में यह रफ्तार धीमी पड़ जाती है.

‘शो टाइम’ के लेखन में साफगोई है, विभिन्न किरदारों के जरिए इंडस्ट्री के अंदर की ही सडऩ को दिखाने में लेखन टीम ने जरा भी संकोच नहीं किया है. फिल्मों में रोल्स को ले कर होने वाली सौदेबाजी एकदूसरे के रोल हथियाने की साजिशें, कलाकारों को लालच दे कर कनविंस करना, सफलता के लिए नामी निर्माता के साथ संबंध बनाना, मौकापरस्ती… स्क्रीनप्ले में इन्हें पिरोया गया है. सीरीज अपनी रफ्तार में कुछ ऐसे मौके खोती नजर आती है, जो इस के असर को गहरा बना सकते थे. इन में से एक नसीरुद्ïदीन शाह और इमरान हाशमी के बीच बहस का दृश्य है. इन दोनों के बीच फिल्म मेकिंग को ले कर वादविवाद को हलके में निपटा दिया गया. यह बहस और गहन हो सकती थी, जिस में नसीरुद्ïदीन जैसे समर्थ कलाकार के अभिनय के कुछ और रंग देखने को मिलते.

‘द डर्टी पिक्चर’ के बाद नसीरुद्दीन शाह और इमरान हाशमी की दूसरी स्क्रीन प्रेजेंस है. फिल्म इंडस्ट्री के चर्चित चेहरों का कैमियो सीरीज के लुक को वास्तविकता देता है. लिहाजा दृश्यों को बाधित नहीं करता.

विक्टर खन्ना के सुसाइड करने के बाद उन की मौत पर धर्मेंद्र, प्रेम चोपड़ा, जितेंद्र को टीवी पर चल रही न्यूज के जरिए दिखाया गया है. जाह्नवी कपूर, हंसल मेहता, नितेश तिवारी, मृणाल ठाकुर, वासन बाला, मनीष मल्होत्रा… कहानी की जरूरत के हिसाब से आते हैं. सीरीज ‘शो टाइम’ में गालियों का भरपूर इस्तेमाल है, जो इंडस्ट्री का एक पहलू ही है. गालियां भी इतनी अश्लील कि कानों पर हाथ रखने को मजबूर होना पड़े. ऐसीऐसी गंदी गालियां दे कर पता नहीं क्या कहना चाहते हैं. सभ्य परिवार के सदस्य एक साथ बैठ कर ‘शो टाइम’ सीरीज नहीं देख सकते, ऐसी गालियां सुन कर सड़कछाप लोग भी शरमा जाएं. डायलौग्स में भी कटाक्ष की कमी नहीं है. ऐसे कटाक्ष पुराने जमाने में सास, ननद वगैरह नई बहू के साथ किया करती थीं. जो अब सीरीज में आजमाया गया लगता है.

रघु खन्ना का असिस्टेंट आयुष्मान खुराना को कनविंस करने के लिए फोन पर कहता है कि सोशल इशू के भी दृश्य कहानी में डाल देंगे.

इमरान हाशमी

इमरान हाशमी का जन्म 24 मार्च, 1979 को पुलगांव, महाराष्ट्र में हुआ था. उस  का निक नेम एमी, सीरियल किसर है. इमरान हाशमी एक मुसलिम और ईसाई (कैथोलिक) परिवार से ताल्लुक रखता है. इमरान हाशमी अपने पिता की ओर से एक मुसलिम है और मां की ओर से एक ईसाई है. इमरान हाशमी के पिता का नाम अनवर हाशमी है, जो एक बिजनैसमैन और कलाकार भी हैं. जिन्होंने 1968 की फिल्म ‘बहारों की मंजिल’ में अभिनय किया था. उन की माता का नाम माहेरा हाशमी है, माहेरा भी अभिनेत्री रह चुकी हैं. साल 2016 में कैंसर की वजह से माहेरा हाशमी का निधन हो चुका है.

माहेरा हाशमी डायरेक्टर महेश भट्ट की बहन थीं. इमरान हाशमी का एक भाई भी है, जिन का नाम केलविन हाशमी है. हाशमी निर्देशक मोहित सूरी का चचेरे भाई है, जिस के साथ उस ने कई फिल्मों में काम किया है. उस के अन्य चचेरे भाईबहन अभिनेत्री पूजा भट्ट और आलिया भट्ट हैं, जबकि एक अन्य चचेरा भाई राहुल भट्ट है. इमरान ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई के जमनाबाई नर्सी स्कूल से की थी और उस के बाद उस ने मुंबई के ही सिडेन्हम कालेज औफ कौमर्स ऐंड साइंस से बीकौम की डिग्री हासिल की. इमरान हाशमी को बचपन से ही अभिनय में काफी दिलचस्पी थी. बचपन में उस ने कई विज्ञापनों में काम किया था.

इमरान हाशमी ने अपने करिअर की शुरुआत बिपाशा बसु और डिनो मोरिया अभिनीत फिल्म ‘राज’ 2002 में सहायक निर्देशक के रूप में शुरू की थी. बौलीवुड में अभिनेता के रूप में इमरान हाशमी को अमीषा पटेल के साथ फिल्म ‘ये जिंदगी का सफर’ (2001) के लिए साइन किया गया था. लेकिन बाद में उसे अस्वीकार कर दिया गया, क्योंकि फिल्म के निर्माताओं को लगा कि वह इस भूमिका के लिए फिट नहीं है. बाद में साल 2003 में बौलीवुड फिल्म ‘फुटपाथ’ में अभिनेता आफताब शिवदासानी, राहुल देव और अभिनेत्री बिपाशा बसु के साथ उस ने अपने करिअर की शुरुआत की. फिल्म व्यावसायिक तौर पर असफल रही, लेकिन फिल्म में इमरान के अभिनय को लोगों ने पसंद किया.

वर्ष 2005 में फिल्म ‘मर्डर’ में उस के विलन किरदार के लिए उसे स्क्रीन पुरस्कार से नवाजा गया. फिल्म ‘गैंगस्टर’ में उन की नकारात्मक भूमिका के लिए उसे 2007 फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इमरान के फिल्मी सफर के दौरान कभी भी उस का नाम किसी भी अभिनेत्री के साथ नहीं जोड़ा गया. वह हमेशा इन सब विवादों से दूरी बनाए रखना पसंद करता है. इमरान हाशमी अपनी प्रेमिका परवीन साहनी के साथ 6 साल से अधिक रिलेशनशिप के बाद साल 2006 में इसलामिक रीतिरिवाजों के साथ शादी के बंधन में बंध गया.

साल 2010 में परवीन साहनी ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम अयान हाशमी है. इमरान के जीवन में सब से कठिन दौर उस वक्त आया, जब उसे पता चला कि उन के 4 साल के बेटे को कैंसर है, जिस के बाद उन की एक किताब भी छपी थी जिस का नाम है ‘द किस औफ लाइफ’. इस किताब में उस के बेटे के इलाज के दौरान का पूरा सफर बयां किया गया है.

राजीव खंडेलवाल

राजीव खंडेलवाल का जन्म 16 अक्तूबर, 1975 को गुलाबी नगर जयपुर (राजस्थान) के एक आम मारवाड़ी परिवार में हुआ था. राजीव खंडेलवाल ने टीवी और बौलीवुड दोनों ही इंडस्ट्रीज में बेहतरीन काम किया है. उस के पिता भारतीय सेना में कर्नल थे. राजीव अपने 3 भाइयों में सब से छोटा है. राजीव खंडेलवाल ने अपनी स्कूल की पढ़ाई जयपुर से ही की थी. बाद में उस ने ग्रैजुएशन हैदराबाद से किया और अपने करिअर की शुरुआत एक मौडल के तौर पर की. लंबे समय तक बतौर मौडल विज्ञापनों में काम करने के बाद राजीव खंडेलवाल ने टीवी जगत की ओर रुख किया.

उस ने अपना डेब्यू बतौर टीवी अभिनेता साल 1998 में एक टीवी सीरियल ‘बनफूल’ से किया था, इस शो में राजीव महाराज के रोल में नजर आया था, लेकिन राजीव खंडेलवाल को घरघर में पहचान सीरियल ‘क्या हादसा क्या हकीकत’ से साल 2002 में मिली. इस सीरियल ने उसे घरघर में अपनी एक अलग पहचान दिलाई. इस के बाद राजीव खंडेलवाल पापुलर शो ‘कहीं तो होगा’ में लीड रोल करता नजर आया.

टीवी सीरियल्स में काम के दौरान साल 2008 में राजीव खंडेलवाल ने फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाई और फिल्म ‘आमिर’ से फिल्म इंडस्ट्री में डेब्यू किया. इस के बाद राजीव खंडेलवाल ने बौलीवुड की फिल्म ‘शैतान’, ‘साउंडट्रैक’, ‘विल यू मैरी मी’, ‘टेबल नंबर 21’ और ‘इश्क एक्चुअली’ कीं. लेकिन इन में से कोई भी दर्शकों को इंप्रेस नहीं कर पाई.

राजीव खंडेलवाल, काजोल स्टारर ‘सलाम वेंकी’ में भी नजर आया था, लेकिन ये फिल्म भी बौक्स औफिस पर फ्लौप रही. राजीव खंडेलवाल बौलीवुड में फ्लौप हुआ, फिर टीवी पर कमबैक भी ठीक नहीं रहा तो उस ने ओटीटी का रुख किया. वह शाहिद कपूर केसाथ उस की फिल्म ‘ब्लडी डैडी’ में नजर आया था. इस फिल्म में राजीव का निगेटिव किरदार था और फिल्म को दर्शकों ने खूब पसंद किया था. अब वह वेब सीरीज ‘शो टाइम’ में सुपरस्टार अरमान सिंह के रोल में है. राजीव खंडेलवाल की पर्सनल लाइफ की बात की जाए तो उस ने साल 2011 में 7 फरवरी को अपनी लौंग टर्म गर्लफ्रेंड मंजरी कम्तिकार से शादी की थी.

महिमा मकवाना

महिमा मकवाना का जन्म 5 अगस्त, 1999 के दिन मुंबई में एक चाल में हुआ था. महिमा के पिता राजमिस्त्री थे. इस कारण कह सकते हैं कि महिमा मकवाना ने एक गरीब घर में जन्म लिया था. गरीबी में जन्मी पली और बढ़ी महिमा मकवाना आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है. यह सब कुछ हुआ उस की मेहनत के बलबूते पर. टीवी की दुनिया में वह ऐसा नाम बन चुकी है, जो घरघर में पहचानी जाती है. बता दें कि महिमा का बचपन मुंबई में ही गुजरा और उस की पढ़ाईलिखाई भी मायानगरी में ही हुई.

महिमा मकवाना जब महज 5 माह की थी, उस वक्त उन के पिता का निधन हो गया था. महिमा और उस के बड़े भाई को मां ने पालापोसा, महिमा ने अपनी पढ़ाईलिखाई मैरी इमैकुलेट गल्र्स हाईस्कूल में की. इस के बाद उस ने मास मीडिया में बैचलर डिग्री ली. महिमा मकवाना ने बचपन में ही टीवी की दुनिया में काम करना शुरू कर दिया था. दरअसल, सब से पहले महिमा मकवाना ‘मिले जब हम तुम’ और ‘बालिका वधू’ में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट नजर आई थी. हालांकि महिमा ने बतौर एक्ट्रैस सीरियल ‘मोहे रंग दे’ से टीवी की दुनिया में डेब्यू किया था.

बता दें कि महिमा मकवाना को शोहरत मिली सीरियल ‘सपने सुहाने लड़कपन के’ से. जिस के बाद वह ‘रचना’ नाम से घरघर में पहचानी जाने लगी. इस के अलावा महिमा मकवाना ‘सीआईडी’, ‘आहट’, ‘मिले जब हम तुम’ और ‘झांसी की रानी’ में नजर आ चुकी है. गौरतलब है कि महिमा मकवाना अपनी अदाकारी का जादू बड़े परदे पर भी दिखा चुकी है. उस ने तेलुगु फिल्म ‘वेंकटपुरम’ से फिल्म डेब्यू किया था. इस के बाद वह शार्टफिल्म ‘टेकर’ में नजर आई.

महिमा ने सलमान खान की फिल्म ‘अंतिम: द फाइनल ट्रुथ’ से बौलीवुड डेब्यू किया था. महिमा मकवाना वेब सीरीज की दुनिया में भी अपना नाम रोशन कर चुकी है. सब से पहले वह ‘रंगबाज सीजन 2’ में नजर आई थी. इस के बाद उस ने ‘फ्लैश’ में भी काम किया. महिमा कई म्यूजिक वीडियोज में भी एक्ट कर चुकी है.

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