2 बच्चों की मां नेहा शर्मा का हंसताखेलता परिवार था. पति प्रतीक शर्मा को मैडिकल स्टोर से अच्छी कमाई हो रही थी, इस के बावजूद भी पति के दोस्त आयुष शर्मा से नेहा के अवैध संबंध हो गए. इस के बाद प्रेमी के साथ मिल कर नेहा ने ऐसी खौफनाक साजिश रची कि…
अपने प्रेमी के साथ मिल कर पति की मौत की साजिश रचने के बाद नेहा के व्यवहार में बदलाव आ गया. अब वह पति की किसी भी बात का बुरा नहीं मानती. प्रतीक कटाक्ष करता या फिर जलीकटी बातें कहता तो नेहा गुस्सा करने के बजाय हंस कर टाल देती. वह प्रतीक को रिझाती और उस से मीठीमीठी बातें करती. यही नहीं प्रतीक रात को घर लौटता तो नेहा कमरे में उस के साथ बैठती और अपने हाथों से जाम तैयार करती.
पत्नी के इस बदले व्यवहार से प्रतीक का गुस्सा ठंडा पड़ गया. वह नेहा के साथ अच्छा बरताव करने लगा. उस की बात भी मानने लगा. आयुष का घर आना और नेहा से बात करना प्रतीक को कचोटता तो था, लेकिन वह विरोध नहीं करता था. आयुष से उस की दोस्ती बरकरार थी. कभीकभी आयुष के जोर देने पर दोनों की महफिल भी जमती थी.
नेहा आयुष के प्यार में इतनी अधिक दीवानी हो गई थी कि उस ने पति की हत्या करा कर आयुष के साथ जीवन बिताने का निश्चय कर लिया था. वह जब भी फोन पर बात करती, आयुष को पति की हत्या के लिए उकसाती थी. उसे अब और ज्यादा इंतजार बरदाश्त नहीं हो रहा था. अत: उस ने एक बार फिर आयुष के साथ कान से कान जोड़ कर हत्या का प्लान बनाया.
प्लान के मुताबिक नेहा ने पति से मायके जाने की इच्छा जताई तो वह राजी हो गया. 6 मार्च, 2024 को प्रतीक नेहा व बच्चों को छोडऩे अपनी निजी ब्रेजा कार से ससुराल के लिए निकला. देर शाम प्रतीक अपनी ससुराल न्यू कालोनी कुम्हार टोला लालबाग फैजाबाद पहुंचा. वहां बीवीबच्चों को छोड़ कर प्रतीक 7 मार्च को वापस कानपुर आ गया.
इस बीच नेहा फोन के जरिए आयुष के संपर्क में थी. उस ने फोन पर बता दिया था कि प्रतीक उसे 1-2 दिन में लेने फैजाबाद आएगा. वह भी उस के साथ आ जाए. इस के बाद आयुष मैडिकल स्टोर पर पहुंचा. वहां दोनों बातें करते रहे. दुकान बंद करने के बाद आयुष और प्रतीक ने साथ बैठ कर शराब पी. आयुष दवा सप्लायर था. उस के कई अन्य दोस्त भी थे. इन्हीं में से किसी ने उसे बताया था कि अगर 2 अलगअलग तरह की शराब में कोल्ड ड्रिंक मिला कर उस में 11 नींद की गोलियां मिला दी जाएं तो वह 24 घंटे बाद जहरीली शराब हो जाती है. आयुष ने इसी तरीके को अपनाया और जहरीली शराब बना कर सुरक्षित रख ली.
पत्नी ने पति को कैसे लगाया ठिकाने
8 मार्च, 2024 की शाम प्रतीक जब अपनी कार से पत्नी व बच्चों को लाने फैजाबाद के लिए निकला तो आयुष भी साथ हो लिया. प्रतीक व आयुष देर रात अयोध्या पहुंचे. यहां उन्होंने रामपथ पर होटल में एक रूम लिया, फिर वहां दोनों ने खूब शराब पी. रात भर होटल में रुकने के बाद 9 मार्च की सुबह 10 बजे प्रतीक और आयुष कुम्हार टोला स्थित नेहा के मायके पहुंचे. नेहा व उस की मां ने प्रतीक व आयुष का खूब स्वागत किया. दोपहर का भोजन करने के बाद प्रतीक व आयुष नेहा को साथ ले कर कानपुर रवाना हुए. लखनऊ पहुंचने पर नेहा ने प्रतीक से आग्रह किया कि वह लखनऊ घूमना चाहती है. आयुष ने भी नेहा की बात का समर्थन किया.
पत्नी व दोस्त की बात मान कर प्रतीक ने रात में लखनऊ में रुकने का मन बना लिया. प्रतीक ने चारबाग रेलवे स्टेशन के सामने होटल आशीर्वाद में डबलबैड वाला रूम बुक कराया और उसी में सब लोग ठहर गए. आयुष जानता था कि प्रतीक शराब का आदी है. वह ड्रिंक जरूर करेगा. इस के लिए वह तैयार भी था. उस ने एक दिन पहले ही मौत का काकटेल तैयार कर लिया था. रात 10 बजे प्रतीक ने शराब की डिमांड की तो आयुष ने साथ लाई गई शराब की बोतल निकाली फिर उस बोतल को खूब हिलाया ताकि जहर ऊपर आ जाए. इस के बाद नेहा और आयुष ने मिल कर यही शराब प्रतीक को पिला दी.
शराब पीने के एक घंटे बाद प्रतीक बेहोश हो गया और रात 12 बजे उस की मौत हो गई. इस के बाद नेहा ने रोनेधोने का नाटक शुरू किया और आयुष ने होटल मैनेजर की मदद से इमरजेंसी काल कर एंबुलैंस बुला ली. आयुष और नेहा प्रतीक को एंबुलैंस से हजरतगंज स्थित जिला अस्पताल ले गए. वहां डाक्टरों ने प्रतीक को देखते ही मृत घोषित कर दिया.
चूंकि प्रतीक की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई थी, अत: अस्पताल से सूचना थाना हजरतगंज पुलिस को दी गई. सूचना पाते ही पुलिस अस्पताल आ गई. पुलिस ने पूछताछ की तो नेहा ने बताया कि मृतक उस का पति प्रतीक शर्मा है. आयुष ने बताया कि मृतक उस का भाई है. वह कानपुर में रहता है. होटल आशीर्वाद में ठहरे थे. ड्रिंक के बाद भाई प्रतीक की तबियत बिगड़ी तो उसे जिला अस्पताल लाए. यहां डाक्टरों ने उन्हें मृत बताया. पूछताछ के बाद पुलिस ने प्रतीक के शव का पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया. दूसरे रोज मृतक प्रतीक के शव का पोस्टमार्टम हुआ. पोस्टमार्टम के बाद शव को आयुष को सौंप दिया गया. उस के बाद नेहा और आयुष प्रतीक के शव को गुलाल घाट ले गए और वहां विद्युत शवदाह गृह में शव को सुपुर्द ए खाक कर दिया.
12 मार्च को नेहा अपने बच्चों के साथ किदवई नगर स्थित अपनी ससुराल आ गई और आयुष अपने हंसपुरम आवास विकास में घर चला गया. नेहा और बच्चों के साथ अपने बेटे प्रतीक को न देख कर पुनीत शर्मा का माथा ठनका. उन्होंने पूछा, ”बहू, प्रतीक कहां है? वह तुम्हारे साथ ही गया था?’’
”पापाजी, फैजाबाद से कानपुर लौटते समय रास्ते में कार खराब हो गई थी. वह बाराबंकी में कार ठीक करा रहे हैं. 2-3 दिन में वापस आने को कहा है.’’
बहू की बात उन्हें अटपटी तो लगी, लेकिन उन्होंने कुछ कहा नहीं. इस के बाद उन्होंने अनेक बार प्रतीक को काल की, लेकिन काल रिसीव नहीं हुई.
प्रतीक का मोबाइल नेहा के पास ही था. कई काल आई तो नेहा को लगा कि ससुरजी शक कर रहे हैं. अत: शातिर नेहा ने प्रतीक के मोबाइल से ससुर को मैसेज भेजा कि वह बाराबंकी में है और कार ठीक करा रहा है. सब ठीक है. 2 दिन में वापस आ जाएगा. चिंता न करें. ऐसा ही मैसेज नेहा ने प्रतीक के मोबाइल फोन से अपने फोन पर भी भेजा. इस मैसेज को पढ़ कर पुनीत को कुछ राहत महसूस हुई. लेकिन 2 दिन बीत जाने के बाद भी जब प्रतीक वापस घर नहीं आया और फोन से भी बात नहीं हुई तो पुनीत कुमार शर्मा के मन में बेटे को ले कर गलत विचार आने लगे. इन का उत्तर पाने के लिए उन्होंने नेहा से प्रश्नों की बौछार शुरू कर दी. इन प्रश्नों से नेहा घबरा गई और उसे पकड़े जाने का डर सताने लगा.
घबराई नेहा ने इस बाबत आयुष से बात की, फिर दोनों ने शहर छोडऩे का फैसला किया. 16 मार्च को नेहा ने ससुर पुनीत शर्मा से कहा कि बेटे को बुखार है. वह उसे दवा दिलाने डाक्टर के पास जा रही है. दवा के बहाने नेहा 5 साल की बेटी व 3 साल के बेटे को साथ ले कर घर से निकली, फिर वापस नहीं लौटी. नेहा और आयुष कानपुर से जयपुर पहुंचे, वहां पर रिंगस स्थित मयूर पैलेस में कमरा ले कर रहने लगे. पैसे खत्म होने के बाद उन्होंने वहीं किराए का कमरा ले लिया और वहीं रहने लगे. आर्थिक परेशानी के चलते नेहा ने अपने आभूषण तक बेच दिए थे.
इधर जब नेहा कई दिनों तक घर वापस नहीं आई तो पुनीत कुमार शर्मा घबरा उठेे. उन्होंने नेहा की तलाश हर संभावित स्थान पर की, लेकिन उस का कुछ भी पता न चला. बेटाबहू के लापता होने की खबर पड़ोसियों को भी हो गई थी. वे तरहतरह की चर्चाएं करने लगे थे. खासकर महिलाएं चटखारे ले कर बतियाने लगीं. बेहद परेशान पुनीत कुमार शर्मा 21 मार्च, 2024 को थाना नौबस्ता पहुंचे. उस समय वहां इंसपेक्टर जगदीश प्रसाद पांडेय मौजूद थे. पुनीत ने उन्हें सारी बात विस्तार से बताई और बेटे, बहू व उस के 2 मासूम बच्चों की गुमशुदगी दर्ज करने तथा उन्हें खोजने की गुहार लगाई.
पुनीत की बात गौर से सुनने के बाद एसएचओ जगदीश पांडेय ने पुनीत के बेटे प्रतीक, बहू नेहा व उस के मासूम बच्चों की गुमशुदगी दर्ज कर ली और जल्द ही उन्हें खोजने का आश्वासन दिया. लेकिन इसी बीच होली का त्यौहार आ गया. कानपुर में 8 दिन तक गजब का होली का हुड़दंग रहता है. अत: पुलिस त्यौहार में उलझ गई और गुमशुदगी रिपोर्ट पर पुलिस कुछ नहीं कर सकी. वैसे भी पतिपत्नी का मामला था, सो पुलिस सुस्त बनी रही. जब 15 दिन तक बेटेबहू व बच्चों का कुछ भी पता न चला तो पुनीत कुमार शर्मा ने रविंद्र कुमार (डीसीपी साउथ) को अपनी पीड़ा बताई. चूंकि मामला एक अफसर के बेटेबहू से संबंधित था. सो उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच के लिए एक पुलिस टीम एडीसीपी अंकिता शर्मा की निगरानी में गठित कर दी.
इस टीम में एसएचओ (नौबस्ता) जगदीश प्रसाद पांडेय, बसंत विहार चौकी इंचार्ज छत्रपाल सिंह, एसआई राधा किशन, महिला एसआई पूजा सिंह, हैडकांस्टेबल राजवीर व हरगोविंद को शामिल किया गया.
पुलिस को इस तरह मिला आरोपियों का सुराग
गठित पुलिस टीम ने सब से पहले गुमशुदगी दर्ज कराने वाले पुनीत कुमार शर्मा से पूछताछ की और जानकारी जुटाई. उस के बाद टीम ने नेहा और उस के पति प्रतीक के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई. नेहा की काल डिटेल्स से पता चला कि वह एक नंबर पर लगभग हर रोज बात करती थी. इस नंबर की टीम ने जांच कराई तो पता चला कि यह नंबर हंसपुरम आवास विकास निवासी आयुष शर्मा का है. पुलिस टीम ने पुनीत कुमार से आयुष शर्मा के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि आयुष शर्मा उन के बेटे प्रतीक का दोस्त है. वह दवा सप्लाई का काम करता है. उस का घर में भी आनाजाना था. नेहा को वह भाभी कहता था. दोनों के बीच मधुर संबंध थे.
पुलिस टीम आयुष के हंसपुरम आवास विकास स्थित घर पहुंची तो वह घर पर नहीं था. घर वालों ने बताया कि 20 दिन से वह घर नहीं आया. एसआई छत्रपाल ने उस को काल लगाई तो उस ने काल रिसीव कर ली. एसआई ने उस से प्रतीक के बारे में बात की तो उस ने बताया कि प्रतीक उस का दोस्त है. लेकिन एक माह से वह उस से नहीं मिला. शायद वह इंदौर में है. उस पर लाखों रुपया कर्ज है. इन दिनों वह बेहद परेशान है. लेकिन आयुष की बात तब गलत साबित हुई, जब पुलिस टीम ने आयुष, नेहा और प्रतीक के मोबाइल फोन सर्विलांस पर लिए. सर्विलांस के जरिए लोकेशन ट्रेस की गई तो वह जयपुर (राजस्थान) के रिंगस की मिली. इस से स्पष्ट था कि तीनों साथ थे.
पुलिस टीम ने सारी जानकारी एडीसीपी अंकिता शर्मा को दी, फिर इजाजत ले कर पुलिस टीम जयपुर रवाना हो गई. 16 अप्रैल को पुलिस टीम ने रिंगस के एक मकान पर छापा मार कर आयुष नेहा को हिरासत में लेे लिया. नेहा के बच्चे भी उस के साथ थे. मकान में वह एक कमरा किराए पर ले कर रह रहे थे. पुलिस टीम उन को ले कर कानपुर आ गई. नेहा मूलरूप से उत्तर प्रदेश के फैजाबाद (अयोध्या) शहर की रहने वाली थी. नेहा के पिता अमृतलाल शर्मा फैजाबाद के लालबाग की न्यू कालोनी कुम्हार टोला में रहते थे. परिवार में पत्नी कनक शर्मा के अलावा बेटी नेहा व बेटा आलोक थे. अमृतलाल शर्मा प्राइवेट नौकरी कर अपने परिवार का पालनपोषण करते थे.
नेहा खूबसूरत थी. कुदरत ने उसे रूपयौवन से नवाजा था. जब उस ने जवानी की डगर पर कदम रखा तो उस का अंगअंग फूलों की तरह खिल उठा. उस की झील सी गहरी आंखें किसी को भी मंत्रमुग्ध कर लेती थीं. जो उसे एक बार देख लेता, देखता ही रह जाता. नेहा फैशनपरस्त चंचल स्वभाव की थी. उस ने विद्यामंदिर डिग्री कालेज से बीएड की पढ़ाई की थी. अमृतलाल शर्मा बेटी की चंचलता और फैशनपरस्ती से परेशान रहते थे. इसलिए वह जल्द से जल्द उस का विवाह कर उसे ससुराल भेजना चाहते थे. वह उस के लिए उचित लड़का खोजने लगे. अमृतलाल शर्मा नेहा की शादी संपन्न घर में करना चाहते थे, ताकि उसे अभावों से जूझना न पड़े. वह यह भी चाहते थे कि परिवार सीमित हो. काफी भागदौड़ के बाद एक रिश्तेदार के माध्यम से उन्हें बेटी के लिए प्रतीक पसंद आ गया.
प्रतीक के पिता पुनीत कुमार शर्मा कानपुर शहर के किदवई नगर में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी मीना के अलावा इकलौता बेटा प्रतीक शर्मा था. पुनीत कुमार शर्मा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) में अफसर थे. लेकिन वह रिटायर हो चुके थे. उन का अपना आलीशान मकान था. उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. उन का बेटा प्रतीक पढ़ालिखा था. संपन्न घर और पढ़ालिखा लड़का देख कर अमृतलाल शर्मा ने प्रतीक को अपनी बेटी नेहा के लिए पसंद कर लिया था. इस के बाद 10 फरवरी, 2017 को अमृतलाल ने नेहा का विवाह प्रतीक शर्मा के साथ धूमधाम से कर दिया.
खूबसूरत पत्नी पा कर प्रतीक जहां खुश था, वहीं अच्छा घरवर पा कर नेहा भी अपने भाग्य पर इतरा उठी थी. सुंदर बहू पा कर पुनीत कुमार व उन की पत्नी मीना भी सुखद महसूस कर रहे थे. घर में किसी चीज का अभाव नहीं था और प्रतीक भी नेहा का पूरा खयाल रखता था, सो नेहा को कोई शिकवाशिकायत नहीं थी. वह पति की सेवा तो करती ही थी, सासससुर की दिनचर्या का भी पूरा खयाल रखती थी. अत: वे दोनों खुश थे. हंसीखुशी से जीवन के 5 साल बीत गए. इन सालों में नेहा ने एक बेटी और एक बेटे को जन्म दिया. समय बीतते पारिवारिक बोझ बढ़ा तो प्रतीक को आर्थिक चिंता सताने लगी. पापा रिटायर्ड थे और वह खुद कोई ठोस कारोबार नहीं कर रहा था. प्रतीक को मैडिकल लाइन की अच्छी जानकारी थी. वह मैडिकल स्टोर खोलना चाहता था. इस बाबत उस ने अपने पापा से विचारविमर्श किया तो उन्होंने उसे इजाजत दे दी.
पति के दोस्त से नेहा के कैसे हुए संबंध
वर्ष 2023 के जनवरी माह में प्रतीक ने गौशाला स्थित वैदिक अस्पताल के पास एक मैडिकल स्टोर खोल लिया. मैडिकल स्टोर ठीक चले, इस के लिए प्रतीक ने अनेक डाक्टरों से संपर्क किया. डाक्टरों द्वारा लिखे परचे जब उस की दुकान पर आने लगे तो धीरेधीरे मैडिकल स्टोर पर दवाओं की बिक्री होने लगी. मैडिकल स्टोर पर ही एक रोज प्रतीक की मुलाकात आयुष शर्मा से हुई. आयुष शर्मा औनलाइन दवाओं की सप्लाई करता था. आयुष अपने पिता विनोद शर्मा के साथ नौबस्ता के हंसपुरम की आवास विकास कालोनी में रहता था. वह तेजतर्रार युवक था. दवा व्यापार से वह अच्छा पैसा कमाता था. साथ ही ठाटबाट से रहता था.
मैडिकल स्टोर पर आयुष का आनाजाना शुरू हुआ तो प्रतीक की उस से दोस्ती हो गई. चूंकि दोनों एक ही जातिबिरादरी के थे और हमउम्र भी थे, अत: दिन पर दिन उन का दोस्ती बढ़ती गई. दोनों खानेपीने के भी शौकीन थे. सो आए दिन उन की महफिल सजने लगी. दोनों के बीच दोस्ती गहरी हुई तो एक रोज प्रतीक आयुष को अपने घर लाया. यहां आयुष की नजर प्रतीक की खूबसूरत पत्नी नेहा पर पड़ी. नेहा पहली ही नजर में आयुष के दिल में रचबस गई. इस के बाद वह अकसर नेहा से मिलने आने लगा.
चूंकि आयुष हृष्टपुष्ट और सजीला युवक था, बातें भी लच्छेदार करता था. नेहा भी उस की बातों में रुचि लेने लगी थी. धीरेधीरे नेहा आयुष की ओर आकर्षित होने लगी. वह उस के घर आने का इंतजार भी करने लगी. मैडिकल स्टोर पर जाने के लिए प्रतीक सुबह 9 बजे घर से निकलता, फिर देर रात ही घर लौटता. नेहा की सास पूजापाठ में व्यस्त रहती थी और ससुर पुनीत बेटे का हाथ बंटाने मैडिकल स्टोर पर चले जाते थे. इस बीच नेहा घर में अकेली रहती थी. ऐसे ही समय आयुष उस से मिलने आता था. दोस्ती के नाते वह नेहा को भाभी कहता था. नेहा की खूबसूरती पर वह फिदा था और मन ही मन उस से प्यार करता था. प्रतीक की अपेक्षा आयुष स्मार्ट व बलिष्ठ था, सो नेहा भी उस की दीवानी हो गई.
एक रोज आयुष नेहा के घर आया तो वह किसी सोच में डूबी थी. उस की यह हालत देख कर आयुष बोला, ”क्या बात है भाभी, तुम इतनी उदास क्यों हो? भैया से झगड़ा हुआ है क्या?’’
”नहीं, ऐसा कुछ नहीं है. मैं तो अपनी किस्मत को कोस रही हूं, जो तुम्हारे भैया जैसा पति मिला, वह तो कमाने में इतने व्यस्त हो गए हैं कि बीवीबच्चों की तरफ ध्यान ही नहीं देते.’’
”सो तो है भाभी, प्रतीक भैया कारोबार में इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें पत्नी व बच्चों का खयाल ही नहीं रहता. अरे, काम की भी एक हद होती है. दुकान का काम दुकान में और घर का काम घर में अच्छा लगता है.’’ नेहा से हमदर्दी जताते हुए आयुष बोला.
आयुष ने नेहा से सहानुभूति जताई तो वह मुसकरा कर उसे एकटक ताकने लगी. आयुष के मन में क्या है, यह तो वह पहले से जानती थी, सिर्फ संकोच ही उसे रोके था. नेहा की निगाह को देखते हुए आयुष मदहोश होने लगा. नेहा अचानक बोली, ”बैठ जाओ आयुष. खड़े क्यों हो?’’
आयुष के लिए इतना इशारा काफी था. वह सोफे पर बैठने के बजाय नेहा के बैड पर बैठ गया. उस ने अपना हाथ नेहा की जांघ पर रखा तो फिर वही हुआ, जिस की दोनों को तमन्ना थी. आयुष ने नेहा की देह का पोरपोर चूमते हुए उस के यौवन में गोता लगाने शुरू कर दिए. नेहा भी उस का भरपूर साथ दे रही थी. कुछ देर बाद पसीने में डूबे दोनों अलग हुए तो उन के चेहरों पर असीम सुख की अनुभूति थी. शारीरिक सुख की भूखी नेहा को आयुष का साथ मिला तो उसे कुछ खयाल ही नहीं रहा. वह यह भी भूल गई कि वह शादीशुदा और 2 मासूम बच्चों की मां है. उस की एक मर्यादा है. लेकिन एक बार मर्यादा टूटी तो फिर दोनों अकसर अपनी मन की करने लगे. प्रतीक मैडिकल स्टोर चला जाता तो दोपहर में किसी न किसी बहाने आयुष आ जाता था और नेहा के साथ रंगरलियां मना कर चला जाता था. प्रतीक का दोस्त होने के नाते घरवाले उस के आनेजाने पर ऐतराज नहीं करते थे.
प्रेमी के साथ कातिल क्यों बनी नेहा
आयुष से अनैतिक संबंध बनाने के बाद नेहा पति प्रतीक की उपेक्षा करने लगी. जबकि वह उस की मौजूदगी में खूब हंसीमजाक करती और बतियाती थी. घरवालों ने पहले तो इस ओर ध्यान नहीं दिया पर पड़ोसियों में कानाफूसी शुरू हुई तो बात प्रतीक के कानों तक पहुंची. प्रतीक ने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि उस की पत्नी इतना नीचे गिर जाएगी. उस ने नेहा से सवाल किया, ”यह आयुष मेरी गैरमौजूदगी में यहां क्यों आता है? तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है?’’
नेहा डरने व लजाने के बजाय त्योरियां चढ़ा कर बोली, ”आयुष तुम्हारा दोस्त है. तुम्हीं उसे घर ले कर आए थे. में तो उसे बुलाने नहीं गई थी. अब जब वह घर आ जाता है तो मैं उसे कैसे मना करूं. तुम्हें ऐतराज है तो उसे मना कर दो. वैसे लगता है, पड़ोसियों ने तुम्हारे कान भरे हैं, इसलिए मेरे चरित्र पर अंगुली उठा रहे हो.’’
नेहा ने जिस बेबाकी से जवाब दिया था, उस से प्रतीक को लगा कि पड़ोसी बेवजह नेहा पर आरोप लगा रहे हैं. वैसे भी प्रतीक ने उसे आयुष के साथ आंखों से तो देखा नहीं था, इसलिए वह चुप हो गया. एक रोज आयुष दवाई सप्लाई करने प्रतीक के मैडिकल स्टोर पर आया तो उस ने नेहा से नजदीकियों के बारे में आयुष से पूछा. इस पर आयुष दोस्ती की दुहाई देते हुए बोला, ”तुम्हें गलतफहमी हुई है. मैं तो भाभी को मां की तरह मानता हूं.’’
आयुष के इस जवाब से प्रतीक के दिमाग में जो शक था, वह दूर हो गया. वह मान बैठा कि नेहा और आयुष के बीच ऐसावैसा कुछ भी नहीं है. उन की दोस्ती पर भी कोई फर्क नहीं पड़ा. वे साथ खातेपीते और उठतेबैठते रहे. इधर नेहा ने प्रतीक के शक करने पर सावधानी बरतनी शुरू कर दी. उस ने आयुष को दोपहर में घर आने को मना कर दिया. अब उसे जिस रोज मिलना होता, उस रोज वह घर से बाजार जाने का बहाना कर निकलती, फिर किसी होटल में रूम बुक कर वहीं फोन कर आयुष को बुला लेती. होटल रूम में घंटा 2 घंटा आयुष के साथ रंगरलियां मना कर वापस लौट आती.
लेकिन सावधानी के बावजूद एक रोज प्रतीक के एक दोस्त ने नेहा को आयुष की बाइक पर बाजार में देख लिया. उस ने इस की चुगली प्रतीक से कर दी. प्रतीक के दिमाग में तब शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा. दिमागी उलझन के चलते प्रतीक शराब के ठेके पर गया. वहां उस ने जम कर शराब पी. फिर देर शाम लडख़ड़ाते कदमों से घर आया. उस ने नेहा से आयुष के साथ जाने को ले कर जवाब सवाल किया तो नेहा भड़क गई. प्रतीक को भी गुस्सा आ गया. उस ने नेहा की जम कर पिटाई कर दी.इस के बाद तो यह सिलसिला ही चल पड़ा. प्रतीक बातबेबात नेहा से उलझता और फिर जवाब देने पर उस की पिटाई करता. पति की शराबखोरी और मारपीट से नेहा परेशान हो उठी. उस के अंदर पति के प्रति नफरत पैदा हो गई. आयुष को भी प्रतीक द्वारा प्रेमिका नेहा की पीटना गलत लगता था. अत: वह भी प्रतीक से मन ही मन घृणा करने लगा था.
नेहा और आयुष की लगभग हर रोज फोन पर बातें होती थीं. पति के द्वारा पीटे जाने की जानकारी वह आयुष को फोन पर ही देती थी. उन्हीं दिनों एक रोज नेहा और आयुष मोतीझील उद्यान पहुंचे. मोतीझील की मखमली घास पर बैठी नेहा अपने प्रेमी से रस भरी बातें कर रही थी. बातें करतेकरते वह अचानक गंभीर हो गई. उस ने भरपूर नजरों से प्रेमी को देखा, फिर बोली, ”आयुष, सचसच बताना, क्या तुम मुझ से हकीकत में प्यार करते हो या फिर मात्र शारीरिक प्यार ही है?’’
”नेहा भाभी, मैं तुम से बेहद प्यार करता हूं. जब से तुम्हें देखा है, तब से तुम मेरे दिल में रचबस गई हो. तुम्हारे लिए मैं हमेशा बेचैन रहता हूं.’’
आयुष की बात सुन कर नेहा का चेहरा खिल उठा. वह मुसकराते हुए बोली, ”आयुष, मुझे भी तुम पसंद हो. तुम्हारा साथ पाने को मैं भी सदैव लालायित रहती हूं. लेकिन…’’
”लेकिन क्या भाभी?’’ आयुष ने अचकचा कर पूछा.
”यही कि हम प्यार भले ही एकदूसरे से करते हैं, लेकिन एक कभी नहीं हो सकते.’’
”क्यों भाभी? हम एक क्यों नहीं हो सकते?’’
”इसलिए कि एक तो मैं शादीशुदा और 2 मासूम बच्चों की मां हूं. दूसरे हम दोनों के प्यार में बाधक मेरा पति प्रतीक है.’’
”भाभी, प्यार में बाधा मुझे बरदाश्त नहीं. तुम्हारा प्यार पाने के लिए मैं हर बाधा दूर करने को तैयार हूं. फिर वह चाहे तुम्हारा पति ही क्यों न हो. लेकिन बाधा दूर करने में तुम्हें मेरा साथ देना होगा.’’
”ठीक है आयुष, तुम्हारा साथ पाने को मैं अपना सिंदूर मिटाने को राजी हूं.’’
इस तरह योजना बना कर उन दोनों ने प्रतीक को बड़ी आसानी से रास्ते से हटा दिया था. उन दोनों से पूछताछ के बाद प्रतीक की लव क्राइम की जो कहानी निकल कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—
17 अप्रैल, 2024 को एडीसीपी अंकिता शर्मा ने नेहा और आयुष से पूछताछ की तो उन दोनों ने प्रतीक की हत्या करने व शव को विद्युत शवदाह गृह में खाक करने की जानकारी दी. आयुष शर्मा ने बताया कि प्रतीक उस का दोस्त था. घर आतेजाते उस के नाजायज संबंध दोस्त की पत्नी नेहा से हो गए. कुछ समय बाद प्रतीक पत्नी पर शक करने लगा और उसे मारनेपीटने लगा. प्रतीक मिलन में बाधक बनने लगा तो हम दोनों ने उस की हत्या की योजना बनाई. योजना के तहत चारबाग (लखनऊ) के आशीर्वाद होटल में उसे जहरीली शराब पिलाई, जिस से उस की मौत हो गई. उस के बाद उसे जिला अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने मौत की पुष्टि की. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद उसे सौंपा. बाद में उन दोनों ने दाह संस्कार कर दिया.
चूंकि नेहा व आयुष ने प्रतीक की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था. अत: थाना नौबस्ता पुलिस ने मृतक के पिता पुनीत कुमार शर्मा की तहरीर पर भादंवि की धारा 328/302/120बी के तहत नेहा व आयुष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया और दोनों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. हजरतगंज पुलिस ने इस मामले में कोई काररवाई इसलिए नहीं की थी, क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट नहीं था. शक के आधार पर जांच के लिए विसरा सुरक्षित कर लिया था.
18 अप्रैल, 2024 को थाना नौबस्ता पुलिस ने आरोपी नेहा तथा आयुष शर्मा को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया. नेहा के दोनों बच्चे अपने दादादादी की अभिरक्षा में पल रहे थे.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित