32 वर्षीय फिजियोथेरैपिस्ट बोदो प्रवीण ने पत्नी कुमारी और 2 बेटियों की हत्या कर इसे एक्सीडेंट का रूप देने की भरसक कोशिश की थी, लेकिन कार की तकनीकी जांच में सारा मामला साफ हो गया. आखिर प्रवीण ने पत्नी और 2 बेटियों का मर्डर क्यों किया? पढ़ें, फैमिली क्राइम की यह खास कहानी.

पत्नी कुमारी और दोनों बेटियों को ले कर लांग ड्राइव पर निकला प्रवीण कुछ दूर पर ही पहुंचा था कि पत्नी कुमारी ने खुद को कुछ असहज महसूस करते हुए प्रवीण से कहा, ”मुझे काफी अनइजीनेस लग रहा है और पेट दर्द हो रहा है.’’

तब प्रवीण के तेलंगाना के बल्लापली गांव के पास कार रोक कर वहां के एक मैडिकल स्टोर से दवा खरीदी. प्रवीण एक फिजियोथेरैपिस्ट था, इसलिए उस ने कुमारी को कार की पीछे की सीट पर बैठा कर इंजेक्शन लगा दिया. दोनों बेटियों को अपने पास आगे की सीट पर बैठा कर वह फिर गांव के लिए चल पड़ा. उस की कार मंचुकोडा गांव के पास पहुंची तो उस का भयानक एक्सीडेंट हो गया. प्रवीण की कार अधिक स्पीड में सड़क किनारे के एक पेड़ से टकरा गई थी. किसी चीज के बहुत तेज टकराने की आवाज सुन कर आसपास के लोग वहां दौड़े आए. कार का आगे का हिस्सा पिचक गया था, इसलिए लोगों ने मदद की तो प्रवीण बाहर आया. उस का हाथ छिल गया था.

गांव वालों में से किसी ने इस दुर्घटना की जानकारी देने के लिए पुलिस को फोन कर दिया. आगे की सीट पर बैठी 4 साल की बेटी कृषिका और ढाई साल की तनिष्का अब जीवित नहीं हैं, इस बात की जानकारी गांव वालों को पहली नजर में ही हो गई थी. पीछे की सीट से 26 साल की कुमारी को लोग उठा कर बाहर लाए तो लोगों को लगा कि इस की भी मौत हो चुकी है. फिर भी गांव वाले किसी दूसरे की कार से सभी को नजदीक के अस्पताल ले गए. 2 युवक प्रवीण को आटो में बैठा कर नजदीक के एक डाक्टर के यहां ले गए और हाथ पर पट्टी बंधवाई. अस्पताल में डाक्टर ने कुमारी की जांच कर के उसे मृत घोषित कर दिया था.

प्रवीण ने अपने घर वालों तथा ससुराल वालों को फोन कर के घटना के बारे बताया तो वे लोग भी वहां दौड़े आए. सूचना पा कर थाना रघुनाथपाल के इंसपेक्टर कोंडल राव भी अपनी पुलिस टीम के साथ वहां आ गए थे. पूछताछ में प्रवीण ने बताया, ”सर, मेरी कार की स्पीड थोड़ी ज्यादा थी और सामने अचानक एक बछड़ा आ गया तो उसे बचाने के लिए कार की स्टीयरिंग थोड़ी घुमाई तो वह सामने पेड़ से जा कर टकरा गई.’’

प्रवीण मासूम बेटियों और पत्नी की लाश को देखदेख कर रो रहा था. पुलिस ने एक्सीडेंट का मुकदमा दर्ज कर के तीनों लाशों का पंचनामा किया और उन्हें पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. कुमारी के मम्मीपापा की हालत खराब थी. जवान बेटी और 2 मासूम नातिनों की मौत से वे टूट गए थे. इंसपेक्टर कोंडल राव दुर्घटनास्थल और दुर्घटनाग्रस्त कार का निरीक्षण कर रहे थे, तभी पतिपत्नी ने उन के पास जा कर हाथ जोड़ कर कहा, ”साहब, यह एक्सीडेंट नहीं है. हमारे दामाद प्रवीण ने इन तीनों की हत्या की है. इसलिए साहब जांच बहुत संभाल कर कीजिएगा. इस नराधम को छोडि़एगा मत.’’

एक्सीडेंट में 3 जिंदगियां खत्म हो गई थीं. मामला शंकास्पद लग रहा था, इसलिए थोड़ी दूर जा कर इंसपेक्टर ने क्राइम ब्रांच के एसीपी रमण मूर्ति को घटना की जानकारी दी. तब रमण मूर्ति ने कहा, ”कार जैसी है, उसे वैसी ही रहने देना. मैं कल सुबह अपनी टीम के साथ वहां आता हूं.’’

पोस्टमार्टम के बाद कुमारी, कृषिका और तनिष्का की लाश को कुमारी के पापा ने अपने कब्जे में लिया और उन का अंतिम संस्कार अपने गांव में करने के लिए कहा. उन लोगों के जाने के बाद प्रवीण भी अपने मम्मीपापा को साथ ले कर वहां गया और अंतिम संस्कार में हाजिर रहा. उस समय भी कुमारी के मम्मीपापा प्रवीण को शक की नजरों से देख रहे थे. एक साथ 3-3 मौतों से पूरा गांव दुखी था. अगले दिन सुबह एसीपी रमण मूर्ति अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे तो इंसपेक्टर कोंडल राव ने फोन कर के प्रवीण को वहां बुला लिया था.

रमण मूर्ति ने प्रवीण से प्राथमिक पूछताछ करने के बाद उस के गांव और हैदराबाद के अस्पताल, घर का पता, कौंटेक्ट नंबर और ड्राइविंग लाइसेंस नंबर आदि सारी जानकारी ले ली थी. प्रवीण ने उन से विनती करते हुए कहा, ”सर, मैं डाक्टर हूं और किसी तरह छुट्टी ले कर यहां आया था. उसी में यह एक्सीडेंट हो गया. अगर इस एक्सीडेंट के मामले में मेरी जरूरत न हो तो आप मुझे हैदराबाद जाने की आज्ञा दीजिए. आज रात या कल सुबह मेरा हैदराबाद पहुंचना जरूरी है.’’

प्रवीण की बात सुन कर एसीपी ने पहले प्रवीण को फिर इंसपेक्टर कोंडल राव की ओर देखा. दोनों अधिकारियों में आंखों ही आंखों में इशारा हुआ. उस के बाद एसीपी रमण मूर्ति ने कहा, ”ठीक है, आप जाइए. जरूरत पड़ेगी तो आप को बुला लिया जाएगा.’’ अधिकारियों का आभार व्यक्त कर के प्रवीण हैदराबाद चला गया.

ऐसे फंसा डा. प्रवीण पुलिस के शिकंजे में

एक्सीडेंट 25 मई, 2024 को हुआ था. प्रवीण दूसरे दिन रात को हैदराबाद चला गया था. इस के बाद पुलिस ने कभी उसे फोन नहीं किया. ठीक 48 दिन बाद 14 जुलाई, 2024 की दोपहर को थाना रघुनाथपाल की पुलिस हैदराबाद पहुंची और अत्तापुर इलाके से प्रवीण को हिरासत में ले कर थाना रघुनाथपाल लौट आई. 17 जुलाई, 2024 को प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित कर के एसीपी रमण मूर्ति ने पूरे केस का खुलासा कर दिया. पुलिस अधिकारियों को भी कार की हालत, तीनों लाशों की दशा और प्रवीण को आई मामूली चोट देख कर पहली ही नजर में शक हो गया था कि यह मामला एक्सीडेंट का नहीं, बल्कि यह बहुत सोचसमझ कर की गई 3-3 हत्याओं का है.

पुलिस जानती थी कि प्रवीण को अपनी चालाकी पर पूरा विश्वास है, इसलिए वह कहीं भागने की कोशिश नहीं करेगा. सीधीसादी पत्नी और मासूम बेटियों की हत्या कर के वह दूसरे ही दिन हैदराबाद जा कर प्रेमिका सोनी फ्रांसिस के साथ हंसीखुशी से रहने लगा था. पुलिस की नजर में यह बात भी थी. लेकिन उसे सजा दिलाने के लिए पुलिस को पक्के सबूत की जरूरत थी.

मजबूत सबूत हाथ लगते ही पुलिस ने आरोपी नंबर एक प्रवीण को तो पकड़ लिया, लेकिन आरोपी नंबर 2 उस की प्रेमिका सोनी भाग गई थी. प्रवीण से की गई पूछताछ के बाद इस तिहरे मर्डर केस की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

तेलंगाना के जिला खम्मम के अंतर्गत आने वाले बावाजी थंडा के (तेलुगु में थंडा यानी बिखरे घरों वाला एकदम छोटा गांव) रहने वाले बोदो प्रवीण ने 12वीं में खूब मेहनत कर के पढ़ाई की. वह पढ़ाई में ठीकठाक था, इसलिए उस की इच्छा डाक्टर बनने की थी. उस ने मेहनत तो खूब की, पर थोड़ा पीछे रह गया, जिस से मैडिकल के बजाय उस का दाखिला हैदराबाद के कालेज में फिजियोथेरैपिस्ट विभाग में हुआ. पढ़ाई पूरी कर के उस ने डिग्री प्राप्त कर ली. उस की इच्छा अपना फिजियोथेरैपी सेंटर खोलने की थी, लेकिन इस के लिए अनुभव के अलावा पैसे की भी जरूरत थी. ये दोनों चीजें नौकरी कर के ही मिल सकती थीं. इस के लिए उस ने हैदराबाद के अत्तापुर के एक प्राइवेट जर्मनटेन अस्पताल में नौकरी कर ली.

हर मध्यमवर्गीय परिवार में मांबाप की मानसिकता होती है कि बेटा कमाने लगे तो फटाफट उस का विवाह कर दिया जाए. प्रवीण की नौकरी लगते ही उस के मम्मीपापा ने उस के लिए लड़की की तलाश शुरू कर दी. लड़का डाक्टर था, इसलिए खम्मम जिले के ही एक गांव के अच्छे परिवार की खूबसूरत लड़की उन्हें मिल गई. उस संस्कारी लड़की का नाम कुमारी था. कुमारी और प्रवीण ने एकदूसरे को पसंद कर लिया तो साल 2019 में दोनों का धूमधाम से विवाह हो गया. विवाह के बाद कुमारी पति के साथ हैदराबाद आ गई और अपना घरसंसार शुरू कर दिया. दोनों की जिंदगी राजीखुशी से गुजर रही थी. साल 2020 में कुमारी ने एक बेटी को जन्म दिया. गुडिय़ा जैसी उस बिटिया का नाम रखा कृषिका. अब तक प्रवीण का वेतन भी बढ़ गया था. साल 2022 में उस की दुनिया में दूसरी बेटी का आगमन हुआ, जिस का नाम तनिष्का रखा.

कुमारी दोनों बेटियों की देखभाल में व्यस्त रहने लगी थी. उसी बीच प्रवीण के अस्पताल में एक खूबसूरत नर्स आई. केरल से आई उस 22 साल की नर्स का नाम सोनी फ्रांसिस था. प्रवीण के ही विभाग में उसे नर्स की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसलिए धीरेधीरे दोनों के बीच प्रेमसंबंध बन गए. शुरुआत में उन की हंसीमजाक के बीच दोस्ती हुई. यह दोस्ती कब प्यार में बदल गई, दोनों को ही पता नहीं चला. केरल से हैदराबाद अकेली आई सोनी को एक मजबूत सहारे की जरूरत थी, जिस के लिए उस ने प्रवीण को पसंद कर लिया. हैदराबाद में अत्तापुर में वह एक बैडरूम के फ्लैट में किराए पर रहती थी. कुमारी को तो घर में दोनों बेटियों की देखभाल से ही फुरसत नहीं मिलती थी. दूसरी ओर प्रवीण उस केरल की नर्स के प्रेम में पड़ चुका था. दोनों के संबंध इस हद तक आगे निकल चुके थे कि नाइट शिफ्ट का बहाना कर के प्रवीण पूरी रात प्रेमिका सोनी के साथ उस के फ्लैट में रहता था.

पति का पैर गड्ढे में चला गया है, इस बात की जानकारी आगेपीछे हर पत्नी को हो ही जाती है. सोनी के साथ के प्रवीण के प्यार की भी जानकारी कुमारी को हो गई. कुमारी प्रवीण के सामने गिड़गिड़ाई कि बेटियों के भविष्य के बारे में सोच कर वह यह सब बंद कर दे. उसे यह सब शोभा नहीं देता. कुमारी पति के सामने हाथ जोड़ती रही, गिड़गिड़ाती रही, झगड़ती रही, पर सोनी के प्यार में गले तक डूबे प्रवीण ने पत्नी और बेटियों की जरा भी परवाह नहीं की. अब सोनी का सान्निध्य ही उसे स्वर्ग लगता था. रोधो कर लाचार कुमारी ने अंत में अपने मम्मीपापा और सासससुर से प्रवीण की शिकायत की. कुमारी और प्रवीण के मम्मीपापा ने मिल कर बात की, पर कोई समाधान नहीं हो सका. कुमारी के मांबाप की शिकायत पर बिरादरी की पंचायत बैठी और उस में भी इस बात की चर्चा हुई.

तब प्रवीण के पापा ने कहा, ”अगर प्रवीण नहीं सुधरता तो मैं हैदराबाद की नौकरी छुड़वा कर उसे हमेशा के लिए गांव बुलवा लूंगा. यहां हमारे घर में रोटी की कमी नहीं है. तेल लेने गई उस की डाक्टरी की नौकरी.’’

यह सारी जानकारी होने के बाद भी पागल प्रेमी की तरह प्रवीण को किसी की परवाह नहीं थी. अंत में प्रवीण के मम्मीपापा ने उसे गांव आने के लिए कह दिया. 17 मई, 2024 को प्रवीण कुमारी और दोनों बेटियों को ले कर बावाजी थंडा आ गया. खूब गुस्सा हो कर पापा ने उसे धमकाया तो अपनी गलती स्वीकार करते हुए प्रवीण ने कहा, ”अब मैं उस अस्पताल को छोड़ कर किसी दूसरे अस्पताल में नौकरी कर लूंगा. अभी तो मैं 15 दिन की छुट्टी ले कर आया हूं. आप सभी के साथ ही रहूंगा.’’

इस तरह पिता को समझा कर प्रवीण ने मामला शांत कर दिया. कुमारी और दोनों बेटियों को ले कर प्रवीण बावाजी थंडा के आसपास घूमने जाता रहा. गांव आने के बाद प्रवीण के बदले व्यवहार से कुमारी की उम्मीद जागी थी कि अब सौतन सोनी से छुटकारा मिल जाएगा. उधर सोनी को पता था कि प्रवीण शादीशुदा है, फिर भी वह उस पर शादी के लिए दबाव डाल रही थी. वह प्रवीण से कह रही थी कि वह अपनी पत्नी से अलग हो जाए. प्रवीण ने उसे वास्तविकता समझाई कि पत्नी से अलग होना यानी उसे छोडऩा इतना आसान नहीं है. इस में सालों लग जाएंगे. फिर इस में तीनों को भरणपोषण के लिए हर महीने पैसे देने होंगे, जिस के बाद वह खाली हो जाएगा.

गले की फांस क्यों बनी प्रेमिका

सोनी के बगैर प्रवीण को जीना असंभव लग रहा था. दूसरी ओर सोनी शादी के लिए इस तरह जिद पकड़े थी कि प्रवीण परेशान था. इसी के साथ सोनी ने यह भी कह दिया था कि वह उस की बेटियों की जिम्मेदारी कभी नहीं लेगी. सोनी से संबंध तोडऩे के लिए घर में उस की पत्नी कुमारी प्रवीण से झगड़ा करती थी. उस ने घर वालों से भी प्रवीण की शिकायत कर दी थी. जब सोनी का दबाव ज्यादा बढ़ा तो प्रवीण ने कहा, ”तुम से ब्याह करने के लिए उन तीनों को खत्म करने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है.’’ तब सोनी ने खुश हो कर कहा, ”फिर देर किस बात की. फटाफट यह काम कर डालो.’’

कार में लंबी यात्रा के दौरान कुमारी हमेशा अनइजीनेस की शिकायत करती थी. उसी के आधार पर प्रवीण ने उसे खत्म करने की योजना बना डाली. गूगल पर सर्च कर के प्रवीण ने पता किया कि एक हाथी को भी मार सके ऐसे एनेस्थेसिया की डोज कितनी है? यह जानने के बाद इंजेक्शन खरीद कर उस ने कार में रख लिया. सभी को गांव ले जाने के बाद वहां से खम्मम जाने का प्लान बनाया.

योजना के अनुसार, 25 मई, 2024 की सुबह प्रवीण ने कुमारी से कहा, ”आज एक काम से मुझे खम्मम जाना है. अगर लांग ड्राइव पर चलने की इच्छा हो तो तुम भी चल सकती हो?’’

दोनों बेटियों को साथ ले कर कुमारी प्रवीण के साथ जाने के लिए तैयार हो गई. खम्मम पहुंच कर प्रवीण ने अपना काम निपटाया. उस के बाद घर आने के लिए वह कार ले कर निकल पड़ा. वहां लौटते समय रास्ते में कुमारी ने तबीयत खराब होने की बात कही तो तुरंत कार रोक कर दवा की दुकान पर जाने का नाटक कर के प्रवीण ने कुमारी को पीछे की सीट पर बैठा कर कार में रखा एनेस्थेसिया का इंजेक्शन उस के बाएं हाथ पर लगा दिया. एनेस्थेसिया की ओवरडोज से 5 मिनट में ही कुमारी की सांसें रुक गईं. उस के बाद बारीबारी से दोनों मासूम बेटियों की नाक और मुंह दबा कर उन्हें खत्म कर दिया. इस के बाद इसे एक्सीडेंट का रूप देने के लिए कार सड़क के किनारे के पेड़ से टकरा दी.

पुलिस की टेक्निकल टीम ने प्रवीण के मोबाइल से उस की गूगल की सर्च की हिस्ट्री खोज निकाली थी. कार की तलाशी के दौरान उस में से इंजेक्शन की सीरींज मिली थी, जिसे फोरैंसिक लैब भेज दिया गया था, जहां से उस कातिल जहर की रिपोर्ट आ गई थी. ओटोप्सी रिपोर्ट ने भी एनेस्थेसिया के ओवरडोज से कुमारी की मौत और दोनों बच्चियों की मौत सांस रुकने से हुई थी.

पुलिस ने तमाम सबूत इकट्ठा कर के एक्सीडेंट के 48 दिन बाद प्रवीण को गिरफ्तार किया था. पुलिस ने बोदो प्रवीण को तो अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया, जबकि प्रेमिका सोनी फ्रांसिस की तलाश कर रही थी. इस तरह अवैध संबंधों की आग में एक सुखी परिवार स्वाहा हो गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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