6 जुलाई, 2021 की रात के करीब साढ़े 11 बजे का वक्त था. दक्षिणपश्चिम जिले के पौश इलाके वसंत विहार के ए-ब्लौक में दूसरी मंजिल पर बने एचआईजी फ्लैट 15/9 के सामने पुलिस तथा इलाके के लोगों की भारी भीड़ जमा थी.
जिले के डीसीपी इंगित प्रताप सिंह, एडिशनल डीसीपी अमित गोयल, अमित कौशिक, एसीपी राकेश दीक्षित, वसंत विहार थाने के एसएचओ सुनील कुमार गुप्ता, इंसपेक्टर परमवीर दहिया और संदीप कुमार के अलावा उन के थाने का मातहत स्टाफ मौजूद था.
इस फ्लैट में अकेली रहने वाली एडवोकेट किट्टी कुमारमंगलम (70) की किसी ने हत्या कर दी थी.
दरअसल, किट्टी कुमारमंगलम वृद्ध वकील होने के साथ एक ऐसे राजनीतिक परिवार से जुड़ी महिला थीं, जिस की भारत के राजनीतिक इतिहास में गहरी पृष्ठभूमि थी.
वह दूसरी मंजिल के इस फ्लैट में अकेली रहती थीं. पास की एक स्लम बस्ती में रहने वाली नौकरानी मिथिला (32) उन के घर सुबह, दोपहर व शाम को झाड़ू, पोंछा, बरतन धोने व खाना बनाने के लिए घर आती थी.
उस दिन यानी 6 जुलाई की शाम करीब सवा 8 बजे भी हमेशा की तरह मिथिला किट्टी के रसोईघर में खाना बना रही थी जब किसी ने कालबेल बजाई.
किट्टी उस वक्त अपने बैडरूम में बिस्तर पर लेट कर टीवी देख रही थीं. कालबेल की आवाज सुन कर किट्टी ने बैडरूम से ही मिथिला को आवाज लगा कर देखने के लिए कहा. मिथिला ने दरवाजा खोला तो कालोनी का धोबी राजू 2 लड़कों के साथ बाहर खड़ा था.
मिथिला ने जब 2 अनजान लोगों के साथ राजू को देखा तो आने का कारण पूछा. राजू ने बताया कि इस्त्री करने के लिए कपड़े लेने हैं.
‘‘यहीं रुको, मैडम से पूछ कर ला कर देती हूं.’’ कहते हुए मिथिला दरवाजा खुला छोड़ कर अपनी मालकिन किट्टी के बैडरूम की तरफ बढ़ गई.
नौकरानी मिथिला के पलटते ही राजू धोबी फ्लैट के अंदर दाखिल हो गया और उस ने अपने दोनों साथियों को भी इशारा कर अपने पीछे आने को कहा.
नौकरानी मिथिला मालकिन किट्टी के बैडरूम में पहुंची और उन्हें बताया कि राजू धोबी कपड़े लेने आया है. उस के साथ 2 अनजान लड़के भी हैं, इसलिए उस ने उसे बाहर ही रोक दिया है.
यह सुन कर किट्टी कुमारमंगलम राजू से बात करने के लिए मिथिला के साथ बैडरूम से बाहर आ गईं. लेकिन उन्होंने देखा तब तक राजू व उस के दोनों साथी फ्लैट के अंदर दाखिल हो चुके थे.
एक लड़का मुख्य दरवाजे को अंदर से बंद कर रहा था. यह देख कर वह राजू को डांटते हुए बोलीं, ‘‘ऐ राजू, कौन हैं ये लोग और तुम इन्हें अंदर कैसे लाए?’’
इतना कहना था कि राजू समेत तीनों लड़कों ने चीते जैसी फुरती से किट्टी व मिथिला को दबोच लिया.
एक युवक मिथिला को कमरे में ले गया जबकि राजू धोबी व एक अन्य युवक ने किट्टी को पकड़ कर उन के बैडरूम की तरफ ले गए और गला घोट कर हत्या कर दी.
उधर दूसरे कमरे में मिथिला का भी गला घोंट दिया. थोड़ी देर छटपटाने के बाद मिथिला के हाथपांव भी ढीले पड़ गए. मिथिला की मौत का इत्मीनान कर युवक कमरे से बाहर निकला.
इस के बाद राजू और उस के साथियों ने घर की अलमारी, लौकरों को खंगालना शुरू किया. नकदी, गहनों के साथ जो भी कीमती सामान मिला, उन्हें 2 बैगों में भर लिया.
मिथिला को आया होश
इस के बाद साथ लाए साथ लाए स्कूटर से तीनों फरार हो गए. करीब आधा घंटे बाद नौकरानी मिथिला को होश आ गया. किसी तरह उस ने खुद को संयत किया. मालकिन किट्टी के बैडरूम में जा कर देखा तो वह बिस्तर पर निष्प्राण पड़ी थीं.
मिथिला ने अपने पति रामेश्वर को फोन किया, जो पास की ही स्लम बस्ती में रहता था. रामेश्वर कुछ ही देर बाद अपने पिता को ले कर वहां पहुंच गया. मिथिला ने उन्हें सारी बात बताई.
रामेश्वर ने पुलिस को फोन कर के घटना की जानकारी दी, जिस के बाद पीसीआर मौके पर आई. इस के 15 मिनट बाद वसंत विहार थाने के थानाप्रभारी सुनील कुमार गुप्ता पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. तब मिथिला ने उन्हें पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी.
मामला हाईप्रोफाइल परिवार का था, इसलिए थानाप्रभारी ने उच्चाधिकारियों को भी इस की सूचना दे दी तो वे भी क्राइम इनवैस्टीगेशन और फोरैंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.
मिथिला से पता चला कि किट्टी कुमारमंगलम की बेटी रुचिरा चड्ढा गुरुग्राम में रहती हैं. तब पुलिस ने उन्हें भी तत्काल घटना से अवगत करा दिया.
अगले एक घंटे के भीतर रुचिरा के साथ दिल्ली व आसपास रहने वाले कुमारमंगलम परिवार के रिश्तेदारों व परिचितों के आने का सिलसिला शुरू हो गया.
पुलिस ने घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांचपड़ताल की तो पूरा घटनाक्रम वैसे ही पाया गया, जैसा मिथिला ने बयान किया था. पूरी कालोनी राजू धोबी को जानती थी, क्योंकि कालोनी के बाहर वही ज्यादातर परिवारों के कपड़े इस्त्री करने का काम करता था. लिहाजा डीसीपी इंगित प्रताप प्रताप सिंह के आदेश पर थानाप्रभारी सुनील गुप्ता ने एक टीम को तत्काल पास के भंवर सिंह कैंप स्लम कालोनी भेजा, जहां धोबी राजू कनौजिया अपने परिवार के साथ रहता था.
पुलिस ने अगले 2 घंटे के भीतर राजू को दबोच लिया. पुलिस ने उस के कब्जे से लूट के साढ़े 9 हजार रुपए, 1-2 आभूषण तथा एक लौकर बरामद कर लिया.
उस ने बताया कि उस लौकर में कुछ दस्तावेज थे, जिसे उस ने अपने काम का नहीं होने के कारण एक जगह फेंक दिए थे. पुलिस टीम ने उसे साथ ले जा कर वे दस्तावेज भी बरामद कर लिए.
उस से पूछताछ में पता चला कि उस के साथ वारदात को राकेश राज व सूरज ने अंजाम दिया था. दोनों के नामपते हासिल कर पुलिस टीमों ने उन की तलाश में छापेमारी शुरू कर दी. तड़के 6 बजे पुलिस ने राकेश राज को भी उस के घर मुनीरका से गिरफ्तार कर लिया. उस के कब्जे से करीब 10 हजार रुपए बरामद हुए. दोनों से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.
राजू मूलरूप से मध्य प्रदेश का रहने वाला है. पिछले 5 सालों से वह डीडीए वसंत विहार में कपड़ों पर इस्त्री करने का काम करता था. किट्टी कुमारमंगलम के घर पर से भी वह कपड़े लेने जाता था. चूंकि वह घर में अकेली रहती थीं, इसलिए यदाकदा वह राजू से बाजार से कुछ सामान भी मंगा लेती थीं. यही कारण था कि राजू की एंट्री उन के कमरे तक थी.
किट्टी उस पर भरोसा करने लगीं. भरोसा इतना बढ़ गया कि वह घर में आने पर कपड़े लेने उन के बैडरूम तक भी पहुंच जाता था. एवज में किट्टी राजू को खर्च के लिए कुछ पैसे भी दे देती थीं. लेकिन पिछले साल जब कोरोना की बीमारी के लौकडाउन लगा तो राजू का कामधंधा चौपट हो गया.
कुछ दिन पहले जब वह किट्टी कुमारमंगलम के घर गया तो उन्होंने राजू के सामने ही अपनी अलमारी का लौकर खोल कर उस में से कुछ पैसे निकाल कर राजू को कोई सामान लाने के लिए दिए.
जन्मदिन पर आए मृत्युदूत
राजू ने अलमारी व लौकर में रखे गहने तथा नोटों की झलक देखी तो अचानक उस के दिमाग में खयाल आया कि क्यों न किट्टी मैडम को ही लूट लिया जाए. क्योंकि वह अकेली रहती हैं.
6 जुलाई, 2021 को किट्टी कुमार मंगलम का जन्मदिन था. उस दिन उन के दोनों बच्चों रुचिरा और बंगलुरु में रहने वाले बेटे रंगराजन मोहन कुमार मंगलम, जोकि तमिलनाडु में कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष है, ने अपनी मां को वीडियो काल कर के बधाई दी थी. उस दिन पूरे समय किट्टी को जन्मदिन की बधाई देने का सिलसिला चलता रहा. उसी दिन राजू के साथ एक योजना बनाई.
राकेश राज विदेश मंत्रालय में अनुबंध के तौर पर ड्राइवर था जबकि सूरज एक स्कूल में कैब चालक था. लेकिन कोरोना व लौकडाउन के कारण दोनों के ही कामधंधे प्रभावित हुए थे और वह आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे थे.
जब शराब तीनों पर अपना रंग दिखाने लगी तो राजू ने उन दोनों को बताया कि जहां वह कपड़े प्रैस करने का ठिया लगाया है, वहां एक बूढ़ी औरत अकेली रहती है. उस के घर में लाखों रुपए नकद व गहने मिल सकते हैं. बस फिर क्या था, आननफानन में योजना बनी और उसी दिन इसे अंजाम देने का फैसला कर लिया गया. रात करीब 8 बजे तीनों राजू के स्कूटर से किट्टी के घर गए.
घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे से पता चला कि राजू और उस के दोनों दोस्त इमारत में दाखिल होते दिख रहे हैं. रात 8.10 बजे राजू ने किट्टी के दरवाजे की घंटी बजाई और मिथिला ने दरवाजा खोला. इस के बाद उन्होंने वारदात को अंजाम दिया. शराब के नशे के कारण सूरज इस बात को नहीं समझ पाया कि मिथिला बेहोश हुई है या सचमुच मर चुकी है.
सूरज का नामपता हासिल हो चुका था. लेकिन वह अपने घर नहीं मिला. पुलिस ने सर्विलांस से उस की लोकेशन ट्रेस करनी शुरू कर दी. डीसीपी इंगित प्रताप सिंह के आदेश पर अगले दिन एक पुलिस टीम सूरज की गिरफ्तारी के लिए राजस्थान के लिए रवाना हो गई, क्योंकि उस की लोकेशन वहां की मिल रही थी.
सूरज निकला बेहद शातिर
12 जुलाई को दिल्ली पुलिस की टीम ने मध्य प्रदेश पुलिस के सहयोग से तीसरे आरोपी सूरज को टीकमगढ़ जिले के गांव बलदेवपुरा से गिरफ्तार कर लिया. वह अपनी दूसरी पत्नी के मायके में था.
थाना जतारा के अंतर्गत गांव में सूरज अपनी पत्नी के साथ छिपा हुआ था. दिल्ली पुलिस ने उस के पास से 34 लाख रुपए के लूटे हुए गहने व 60 हजार रुपए नकद बरामद कर लिए.
पूछताछ में उस ने बताया कि लूटपाट का माल तीनों में बराबरबराबर बांटने की बात हुई थी लेकिन लूट के बाद उस के मन में लालच आ गया. घर में केवल 30 हजार की नकदी मिली थी, जो उस ने 3 हिस्सों में बांट दी.
उस ने एकदो गहने भी राकेश व राजू को दे दिए. बाकी गहने उस ने यह कह कर अपने पास रख लिए कि कल वह इन्हें अपनी जानपहचान वाले सुनार को बेच कर नकदी ले लेगा और फिर उसे आपस में बांट लेंगे.
पुलिस ने सूरज के कब्जे से लूटे गए 522 ग्राम सोना और 300 ग्राम चांदी के आभूषण जब्त किए. इस के अलावा मोबाइल और कैश समेत कुल करीब 33 लाख रुपए का सामान बरामद किया. दिल्ली ला कर वसंत विहार पुलिस ने सूरज को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
मंगलम परिवार का रहा है राजनीतिक इतिहास
किट्टी कुमारमंगलम की शादी एक ऐसे परिवार में हुई थी, जिस का लंबा राजनीतिक इतिहास रहा है. कुमारमंगलम परिवार ब्रिटिश राज में कुमारमंगलम एस्टेट के सामंती जमींदार थे.
रंगराजन कुमारमंगलम के दादा परमशिवन सुब्बारायन (1889-1962) एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जो 1926 में तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी के मुख्यमंत्री रहे. सुब्बारायन इंडोनेशिया में भारत के राजदूत भी रहे और जवाहरलाल नेहरू की सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में भी काम किया. बाद में महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे. सुब्बारायन के एक पुत्र जनरल पी.पी. कुमारमंगलम 1967 से 1969 तक भारतीय सेना के प्रमुख रहे थे. इन के दूसरे पुत्र एस. मोहन कुमारमंगलम भी इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री रहे थे. एस. मोहन कुमारमंगलम के 3 संतानें थीं. पी. आर. कुमारमंगलम और 2 बेटियां ललिता कुमारमंगलम जो भाजपा की नेता हैं और राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व प्रमुख रही हैं तथा दूसरी बेटी उमा मुखर्जी हैं.
पी. आर. कुमारमंगलम और किट्टी रंगराजन कुमारमंगलम की 2 संतानें हुईं बेटा मोहन कुमारमंगलम, उन से छोटी बेटी रुचिरा. मोहन तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष होने के साथ एआईसीसी के सदस्य भी हैं.
मोहन के पिता यानी किट्टी के पति पी. आर. कुमारमंगलम पी.वी. नरसिम्हाराव सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री रहे थे.
बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए थे. उसी समय उन का बेटा भी राजनीति में सक्रिय हुआ लेकिन 23 अगस्त, 2000 को उन की एक बीमारी के कारण 48 साल की अल्पायु में मृत्यु हो गई.
उसी के बाद से किट्टी कुमारमंगलम एकाकी जीवन बसर कर रही थीं. किट्टी के जन्मदिन पर काल के क्रूर हाथों ने उन की जीवनलीला ही समाप्त कर दी.
—कथा पुलिस जांच पर आधारित