गांव की एक बहुत प्रचलित कहावत है, ‘भूख न देखे रूखा भात, प्यार न जाने जातपात और नींद न देखे टूटी खाट’. वास्तव में पे्रम जाति और धर्म का बंधन नहीं देखता है. कई बार वह ऊंचनीच और नातेरिश्तों को भी भूल जाता है.
ऐसे में प्यार की पगडंडी पर चल कर कभीकभी ऐसे कदम भी उठ जाते हैं, जो अपराध को भी बढ़ावा देने से पीछे नहीं हटते. लखनऊ शहर के रसूलपुर आशिक अली के रहने वाले मनोज कुमार की 19 साल की बेटी खुशबू कुमार की कहानी भी कुछ इसी तरह की है.
खुशबू की शहर के ही लालशाह का पुरवा मलौली के रहने वाले विनय यादव के साथ दोस्ती हो गई थी. 21 साल का विनय खुशबू को बेहद प्यार करता था.
लेकिन उन के बीच जातपात की गहरी खाई थी. दोनों ही परिवारों को इन की दोस्ती पसंद नहीं थी. इस के बाद भी विनय और खुशबू किसी भी तरह एकदूसरे को छोड़ने के लिए तैयार नहीं थे.
लेकिन परेशानी यह थी कि उन्हें साथ रहने का रास्ता नहीं दिख रहा था. अच्छी बात यह थी कि विनय और खुशबू के बीच एक सामंजस्य बना हुआ था. दोनों ही मिल कर अपने दिल की बात कर लेते थे.
इस बात की खबर जब खुशबू के घर वालों को होती तो वे विनय के घर वालों से शिकायत करते, जिस से दोनों परिवारों के बीच तनातनी हो जाती थी. जिसे प्रेमी युगल भी घबरा जाते. खुशबू पर भी मनोज इस बात का दबाव बनाता कि वह विनय से मिलना छोड़ दे.
एक दिन खुशबू ने विनय से कहा, ‘‘विनय, तुम अब यह देखो कि हम लोग कैसे एक साथ रह सकते हैं. क्योंकि अब घर में परेशानियां बढ़ने लगी हैं. हमारा तुम्हारा इस तरह मिलना संभव नहीं हो पाएगा. मैं कब तक घर वालों से झगड़ा करती रहूंगी.’’
‘‘खुशबू तुम्हें लगता है कि जैसे मैं कुछ सोचता नहीं. ऐसी बात नहीं है. पर मेरी समझ में कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा. पहले तो सिटी में नौकरी कर लेता था. लौकडाउन हुआ तो नौकरी चली गई. अब तो अपने खर्च उठाना और भी मुश्किल हो गया है. अपने पास घर और नौकरी दोनों नहीं होगी तो काम ही नहीं चलेगा.’’ विनय ने खुशबू को अपनी परेशानी से अवगत कराते हुए समझाया.
खुशबू को वह समय याद आ रहा था जब उस की पहली मुलाकात विनय से हुई थी. विनय उसे हर लड़के से अलग लगता था. हमेशा उस का खयाल रखता और बहुत सारी चीजें भी देता रहता था. खुशबू और विनय के बीच जब थोड़ी दोस्ती बढ़ गई तो खुशबू उस के साथ शादी और बाकी जीवन गुजरबसर करने के सपने देखने लगी.
खुशबू ने सोचा था कि जब उस के घर परिवार के लोग इस दोस्ती और प्यार को शादी के रिश्ते में बदलने नहीं देंगे तो वह गांव छोड़ कर विनय के साथ शहर चली जाएगी. वहां दोनों साथसाथ रहेंगे. विनय नौकरी करेगा और वह घर को संभालेगी. विनय के वापस आने का इंतजार करेगी.
ऐसे ही हसीन सपनों में दोनों का समय गुजर रहा था. अब दोनों ही अपनी दोस्ती को रिश्ते में बदलने का इंतजार कर रहे थे.
इसी बीच पिछले साल कोरोना महामारी बढ़ने पर लौकडाउन लग गया तो दुकानें, होटल, फैक्ट्री आदि पिछले साल बंद हो गईं, जिस से बहुत सारे लोग घर बैठ गए.
शुरुआत में लगा कि 10-20 दिनों में लौकडाउन खत्म जाएगा. उस के बाद बाजार और कामधंधे शुरू हो जाएंगे. लेकिन धीरेधीरे करीब 3 माह का समय बीत गया था. सारा कारोबार चौपट हो चुका था.
3 माह के बाद जब विनय अपने काम पर वापस गया तो उसे बताया गया कि अब औफिस में काम कम हो गया है. लिहाजा अब उस की वहां जरूरत नहीं रह गई.
उस के बाद जब विनय ने अपने 3 माह का बकाया वेतन मांगा तो कहा गया कि जब तुम ने काम हीं नहीं किया तो वेतन किस बात का. तुम ने मार्च महीने में 20 दिन काम किया था. उन 20 दिनों का पैसा ले लो और अब नौकरी पर नहीं आना है.
विनय का गांव तो लखनऊ से 20-22 किलोमीटर ही दूर था. ऐसे में वह रोज साइकिल और आटो से आताजाता था. खुशबू को साथ रखने की योजना की वजह से उस ने उस समय लखनऊ में एक कमरा किराए पर ले लिया था.
इस का भी 5 हजार रुपए देना पड़ता था. ऐसे में जब वह वहां अपना रखा सामान लेने गया तो मकान मालिक ने 15 हजार रुपए किराए के मांगे. विनय के पास उतना तो नहीं था. उसे 10 हजार औफिस से मिले थे, उसी में से 8 हजार मकान मालिक को दे कर अपना सामान साथ ले आया. कोरोना के बाद शहर से जैसे उस का नाता टूट गया.
कोरोना ने जिस तरह से काम धंधों पर रोक लगाई, उस से विनय और खुशबू जैसे युवाओं के सामने भी अपने भविष्य को ले कर प्रश्नचिह्न लगा दिए. बेरोजगारी ने आगे के सभी रास्ते बंद कर दिए.
यह उम्मीद थी कि 3 महीने के बाद जब लौकडाउन खुलेगा तो सब कुछ पटरी पर आ जाएगा. लेकिन इस के बाद भी कोई कामधंधा नहीं बढ़ा. मार्च, 2021 में जब कोरोना का संकट फिर से बढ़ा तो विनय को जो कामधंधा मिल जाता था, वह भी बंद हो गया.
विनय और खुशबू अपने जीवन को ले कर गंभीर थे. एक दिन विनय ने कहा, ‘‘खुशबू, अगर हमारे पास 15-20 लाख रुपए होते तो हम अपना काम भी शुरू कर लेते और एक रहने की जगह भी बना लेते, जिस से कम से कम हमें किराया तो नहीं देना पड़ता.’’
‘‘विनय, पैसे तो मिल सकते हैं. बस सावधानी बरतने की जरूरत है. और यदि हम पकड़े न जाएं तो मदद हो सकती है.’’ खुशबू ने कहा.
‘‘तुम रास्ता बताओ. बाकी हम कर लेंगे. किसी को कुछ पता नहीं चलेगा.’’ विनय ने उत्सुकता दिखाई और खुशबू को पूरा भरोसा दिलाते हुए कहा.
‘‘देखो विनय, मेरे घर में इतने रुपए और जेवर रखे हैं, जिन को मिला कर जितने पैसों की तुम बात कर रहे हो उतने हो जाएंगे. हम लोग एक दिन वह रुपए किसी तरह चोरी कर लें. चोरी होने से यह भी नहीं पता चलेगा कि किस ने यह काम किया है. फिर जब सब काम हो जाएगा, तब हम साथसाथ रहने लगेंगे.’’ खुशबू बोली.
खुशबू को उस के घर वाले भी मानसिक रूप से इतना परेशान करते थे कि वह किसी भी तरह से अपने घर में रहने को तैयार नहीं थी. अपने घर में चोरी की योजना बनाते समय उसे किसी भी तरह का डर या संकोच भी नहीं हुआ.
इधर विनय ने अपने साथी गांव के रहने वाले शुभम यादव को भी इस योजना में शामिल कर लिया.
खुशबू के साथ योजना बनाते समय विनय ने उसेनींद की 8 गोलियां ला कर दीं और कहा कि 4-4 गोलियां काढे़ में डाल कर रात में अपने मम्मी और पापा को पिला देना. जिस से वे रात भर गहरी नींद में सोते रहेंगे.
खुशबू ने 28 मई, 2021 की रात ऐसा ही किया. जब उस के मातापिता गहरी नींद में सो गए तो विनय और शुभम ने खुशबू के साथ मिल कर उस के घर से 13 लाख रुपए नकद और 3 लाख के जेवर चोरी कर लिए.
जेवर और रुपए ले कर विनय और शुभम चले गए. सुबह जब खुशबू के पिता मनोज कुमार सो कर उठे तो देखा कि उन की अलमारी टूटी हुई थी और उस में रखी नकदी व जेवर गायब थे.
वह थाना गोसाईंगंज गए. वहां पर उन्होंने यह जानकारी थानाप्रभारी अमरनाथ वर्मा को दी तो थानाप्रभारी ने अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 457 और 380 आईपीसी के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया.
लखनऊ के पुलिस कमिशनर धु्रवकांत ठाकुर के निर्देशन में डीसीपी ख्याति गर्ग, एडिशनल डीसीपी (साउथ) पुर्णेंदु सिंह, एसीपी स्वाति चौधरी, इंसपेक्टर गोसाईंगंज अमरनाथ वर्मा ने अपनी टीम के साथ चोरों को पकड़ने का काम शुरू किया.
पुलिस टीम में एसआई जय सिंह, दीपक कुमार पांडेय, विवेक कुमार, फिरोज आलम सिद्दीकी, अनिल कुमार, हैडकांस्टेबल अमीर हमजा, अकबर, सुशील चौहान, अंकित यादव, राजेश कुमार, पूनम शर्मा, मजीत सिंह, सुनील कुमार और रवींद्र कुमार शामिल थे.
मोबाइल की काल डिटेल्स में खुशबू और विनय के बीच बातचीत और रात में दोनों की लोकेशन एक होने से पुलिस का शक खुशबू पर गया. पुलिस ने खुशबू से पूछताछ की तो उस ने सच कबूल लिया. खुशबू की बताई बातों के आधार पर पुलिस ने पहले विनय और फिर शुभम को हिरासत में ले लिया. सभी ने अपना अपराध कबूल कर लिया.
पुलिस ने विनय, खुशबू और शुभम की निशानदेही पर चोरी गए रुपए और जेवर बरामद कर लिए. इस के बाद इन सभी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित