रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन कोई मामूली इंसान नहीं था. तभी तो वह अपनी पत्नी राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज तारा शाहदेव पर धर्मांतरण का हर तरह का दबाव डाल रहा था. उस की इस जिद की वजह से उस के जो काले कारनामे सामने आए, उन से लगा कि वह रांची में समानांतर सरकार चला रहा था. झारखंड के गुमला जिले की रहने वाली शूटर तारा शाहदेव की नजर 2016 में ब्राजील में होने वाले ओलंपिक खेलों पर लगी थी. इन ओलंपिक खेलों में वह हर हाल में पदक जीतना चाहती थीं, ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उस की पहचान बन सके.
आंखों में यही सपना बसाए वह कड़ी मेहनत कर रही थी. रांची के शूटिंग रेंज में वह कुशल कोच निशांत के मार्ग निर्देशन में 50 मीटर राइफल शूटिंग की ट्रेनिंग कर रही थी. ट्रेनिंग से तारा में आत्मविश्वास बढ़ता जा रहा था. इसी बीच उस के परिवार में एक ऐसी घटना घटी कि उस की इस ट्रेनिंग में व्यवधान आ गया. 2 अप्रैल, 2014 को तारा की मां प्रभा शाहदेव की तबीयत अचानक बिगड़ गई और उन की मौत हो गई. इस दुख ने तारा को झकझोर कर रख दिया. वह कई दिनों तक शूटिंग रेंज में अपनी प्रैक्टिस पर भी नहीं जा सकीं. प्रभा शाहदेव की मौत के सदमे से पिता अंबिकानाथ शाहदेव की तबीयत भी खराब हो गई. ऐसे में तारा शाहदेव के सामने दोहरी समस्या खड़ी हो गई. एक तरफ उस का लक्ष्य 2016 के ओलंपिक खेल थे और दूसरी तरफ था घरेलू तनाव.
तारा 12 साल की उम्र से शूटिंग करती आ रही थी. उस की इस लगन की वजह से पढ़ाई तक प्रभावित हुई, लेकिन उस ने शूटिंग के अभ्यास पर कभी आंच नहीं आने दी. मां की मौत के दुख को तारा भुलाने की काफी कोशिश कर रही थी, लेकिन उस माहौल से उसे उबरना आसान नहीं था. चूंकि तारा शाहदेव राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज थी, इसलिए इस तनाव से उबारने के लिए खेल मंत्रालय ने उस की मदद की. निशाना साधने के लिए एकाग्रता जरूरी होती है, इसलिए उस की काउंसलिंग कराई. इस के बाद तारा फिर से अपने अभ्यास में जुट गई. वह अभ्यास के लिए रोजाना शूटिंग रेंज जाने लगी. शूटिंग रेंज में मोहम्मद मुश्ताक अहमद भी निशाना लगाने की प्रैक्टिस करने आते थे.
वह हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार विजिलेंस थे. इस से पहले वह जामताड़ा में जिला एवं सत्र न्यायाधीश रह चुके थे. शूटिंग रेंज में पुलिस अधिकारियों के साथ रंजीत सिंह कोहली नाम का एक शख्स भी आता था. हालांकि वह पुलिस विभाग में नहीं था, लेकिन उस के संबंध बड़ेबड़े पुलिस अधिकारियों और ऊंची रसूख वाले लोगों से थे. वह बड़ी शानोशौकत से रहता था. रंजीत के मोहम्मद मुश्ताक अहमद से अच्छे संबंध थे और साथ में प्रैक्टिस करने की वजह से मोहम्मद मुश्ताक अहमद से तारा पहले से परिचित थी. करीब 36-37 साल के रंजीत की शूटिंग रेंज में आने की एक वजह और थी. वह निशानेबाज तारा शाहदेव को चाहने लगा था. इस राष्ट्रीय शूटर को वह अपना दिल दे चुका था. यानी निशानेबाज पर वह निशाना लगा चुका था.
मन की बात उस ने अपने एक पुलिस अधीक्षक दोस्त को बता भी दी थी. मामला दिल से जुड़ा था, इसलिए उस के दोस्तों ने बात को मजाक के लहजे में लेते हुए सलाह दी कि इस खास मसले को वह खुद आगे बढ़ाए. एक दिन पूर्व जज मोहम्मद मुश्ताक अहमद ने तारा से रंजीत का परिचय करा दिया. इस के बाद तारा के अभ्यास से निपटने के बाद रंजीत अकसर उस से मिलता. अफसरों के रुतबे का इस्तेमाल कर वह उस पर अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करने लगा. रंजीत की बातों और हावभाव से तारा उस के मन की बात भांप चुकी थी. वह एक रुतबे वाला आदमी दिखता था, इसलिए वह उस की किसी बात का विरोध नहीं कर पाती थी. तारा ने उस की बातों को कभी गंभीरता से नहीं लिया.
7 जून, 2014 की बात है. तारा शाहदेव का अभ्यास पूरा होने के बाद रंजीत सिंह कोहली उस से मिला. उस दिन उस ने तारा को अपने मन की बात बताते हुए कहा कि उसे उस से प्यार हो गया है. इतने बड़े आदमी द्वारा उस के सामने प्यार का प्रस्ताव रखने पर तारा एकदम चौंक गई. इस से पहले कि वह कुछ कहती रंजीत बोला, ‘‘तारा, मैं समझ रहा हूं कि आप को मेरी बात अजीब जरूर लग रही होगी. लेकिन सच्चाई यह है कि मैं आप को बहुत चाहता हूं और आप से शादी कर के हमेशा के लिए अपना बनाना चाहता हूं.’’
‘‘देखिए सर, अभी मेरा टारगेट 2016 के ओलंपिक हैं. मैं उसी की प्रैक्टिस पर पूरा ध्यान दे रही हूं. और रही बात शादी की तो इतना बताना चाहती हूं कि मैं अपने घर वालों की मरजी के बिना कोई कदम नहीं उठा सकती.’’ तारा शाहदेव ने कहा.
‘‘ताराजी, सब से पहले आप से मेरी विनती यह है कि आप मुझे सर न कहें. आप मेरा नाम ले सकती हैं. यह तो बहुत अच्छी बात है कि आप घर वालों की इच्छा से हर काम करती हैं. अपने बड़ों की मानमर्यादा का ध्यान रखना हम सभी का फर्ज बनता है. आप के परिवार में पिता और भाई हैं. उन से मिल कर मैं आप का हाथ मांग लूंगा. मैं अपने परिवार के बारे में बता दूं कि मेरे परिवार में केवल मेरी मां हैं.’’
तारा चौंकी कि इसे उस के घरपरिवार के बारे में पता कैसे चला? रंजीत ने कुछ देर उस से बात की और वह वहां से चला गया. उस के जाने के बाद तारा उस के द्वारा कही गई बातों पर गौर करने लगी. जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही हर लड़की अपने होने वाले शौहर की छवि बसा लेती है. तारा ने अपने मन में होने वाले शौहर की जो छवि बसाई थी, वह उसे रंजीत सिंह कोहली में दिख रही थी. उस ने रंजीत की बातों का भले ही कोई जवाब नहीं दिया था, मगर उस से बात कर के उस के मन में हलचल जरूर पैदा हो गई थी. अगले दिन शूटिंग रेंज में रंजीत ने उस से फिर मुलाकात की. उस ने तारा से कहा, ‘‘जिस तरह आप की मां नहीं हैं, उसी तरह मेरे भी पिता नहीं हैं. आप के पिता से मुझे पिता का प्यार मिलेगा, साथ ही मुझे आप के भाई से भाई का साथ भी मिलेगा.
शादी के बाद हमारे 2 परिवार एक हो जाएंगे. और जो आप ओलंपिक खेलों की तैयारी कर रही हैं, शादी के बाद भी उसे जारी रख सकती हैं.’’
शहर के कई नामीगिरामी लोगों ने भी तारा शाहदेव के पिता अंबिकानाथ शाहदेव से मिल कर तारा की शादी रंजीत सिंह कोहली के साथ कराने की सिफारिश की. जब शहर के इतने बड़ेबड़े लोग तारा की शादी रंजीत के साथ करने की सिफारिश करने लगे तो तारा के पिता अंबिकानाथ को भी सोचने के लिए विवश होना पड़ा. तारा सयानी हो चुकी थी. उस की शादी उन्हें अब नहीं तो 2-4 साल बाद करनी ही थी. उन्होंने सोचा कि जब लड़का सही मिल रहा है तो शादी करने में हर्ज ही क्या है. इसी बीच रंजीत सिंह ने अंबिकानाथ शाहदेव से मुलाकात कर उन से अपने मन की बात बता दी.
तब तारा के पिता अंबिकानाथ और मौसा प्रभाकर सिंह ने रंजीत के घरपरिवार के बारे में पता किया. उन्हें पता चला कि वह एक करोड़पति है. रंजीत का व्यवहार और बातें भी उन्हें अच्छी लगीं. उन्हें उस की बातों पर विश्वास हो गया कि वह जो कुछ कह रहा है, सब सही ही होगा. कुल मिला कर उन्हें वह उपयुक्त लगा. तारा शाहदेव के घर वालों के राजी होने के बाद रंजीत की मां कौशल्या रानी ने अंबिकानाथ से मुलाकात की और शादी कब और कहां करनी है, इस विषय पर बात की. 20 जून, 2014 को दोनों की सगाई हो जाने के बाद वह एकांत में मिलने लगे. उधर तारा का शूटिंग रेंज में अभ्यास पहले की ही तरह जारी रहा.
अपने अभ्यास को देखते हुए तारा ने अपने पिता से कह रखा था कि वह शादी कुछ दिनों बाद ही करेगी. अंबिकानाथ ने यह बात रंजीत सिंह को बता दी थी, लेकिन इसी बीच 65 वर्षीया कौशल्या रानी की तबीयत खराब हो गई. अंबिकानाथ उन्हें देखने गए, तब कौशल्या ने कहा, ‘‘मेरी हालत इस समय बहुत खराब है. पता नहीं कब दुनिया को अलविदा कह चलूं. मेरा आप से अनुरोध है कि मेरी आंखें बंद होने से पहले रंजीत और तारा की शादी हो जाती तो मन को तसल्ली मिल जाती.’’
कौशल्या जल्द से जल्द शादी कराना चाहती थी. उन की इच्छा को देखते हुए अंबिकानाथ जल्दी शादी कराने के लिए राजी हो गए. कौशल्या के कहने पर 7 जुलाई, 2014 को रांची के प्रसिद्ध रेडिसन ब्लू होटल में हिंदू रीतिरिवाज से शादी हो गई. शादी में नेताओं, मंत्रियों, पुलिस अधिकारियों, न्यायापालिका से जुड़े लोगों के अलावा तमाम रसूखदार लोग शामिल हुए.
यह सब देख कर अंबिकानाथ और उन के रिश्तेदार फूले नहीं समा रहे थे. वह सोच रहे थे कि बेटी 2 जनों के परिवार में राज करेगी. शादी वाले दिन तारा शाहदेव को काफी तेज बुखार था. जैसेतैसे उस ने शादी की रस्में पूरी कीं. शादी के बाद तारा अपनी ससुराल हिंदपीढ़ी स्थित ब्लेयर अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर आरडी-4 में पहुंची. वह फ्लैट काफी बड़ा था. इसी फ्लैट में रंजीत और उस की मां कौशल्या रहती थीं. वहां पर मुश्ताक अहमद भी मौजूद थे. वहां उस के पति को कई लोगों ने रकीबुल हसन कह कर पुकारा. पति का नाम रंजीत कोहली है और वह हिंदू है तो यह लोग उसे मुसलिम नाम से क्यों पुकार रहे हैं? सोच कर ही वह चौंकी. उस समय घर में खुशी का माहौल था, ऐसे में उस ने पति से शिकायत करना जरूरी नहीं समझा.
अगले दिन रंजीत सिंह ने उस से कहा, ‘‘जानती हो मेरे पापा नहीं हैं. मुश्ताक अहमद ही हमारे गार्जियन हैं. उन की इच्छा है कि हमारा निकाह भी हो. इस से हमारे रिश्ते को अल्लाहताला की मेहर मिलेगी.’’
इतना सुनते ही तारा उस का मुंह ताकने लगी. तभी रंजीत बोला, ‘‘तुम इतनी हैरानी से मुझे क्यों देख रही हो?’’
‘‘इसलिए कि तुम हिंदू हो तो यह निकाह वाली बात कहां से आ गई. और लोग तुम्हें रकीबुल हसन क्यों कह रहे थे?’’ तारा ने पूछा.
‘‘हम हिंदू भी हैं और मुसलिम भी. बात यह है कि सन 2007 में तांत्रिक आरिफ के संपर्क में आने के बाद मैं ने मुसलिम धर्म अपना लिया था. आरिफ मुझे नमाज और कुरान पढ़ने को कहता था. तभी से लोग मुझे रकीबुल हसन कहने लगे.’’ इतना सुनते ही तारा का सिर चकरा गया. उसे पता नहीं था कि जिस के साथ उस की शादी हो चुकी है, वह दूसरे धर्म का है. यदि यह जानकारी पहले मिल गई होती तो वह उस के साथ शादी हरगिज नहीं करती. वह माथा पीट कर सोफे पर बैठ कर सोचने लगी कि अब क्या किया जाए?
पत्नी के मूड को भांपते हुए रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन उसे समझाते हुए बोला, ‘‘तारा, तुम परेशान क्यों हो रही हो. निकाह में कुछ होता भी नहीं है. सिर्फ 3 बार कुबूल है कहना पड़ता है.’’
चूंकि तारा की उस से शादी हो चुकी थी, ऐसे में वह अब कर भी क्या सकती थी. लिहाजा उस ने मूक सहमति दे दी. रकीबुल हसन के निकाह की सारी तैयारियां पहले से ही कर रखी थीं. निकाह कराने के लिए रांची के शहरएकाजी कारी जान मोहम्मद मुस्तफा भी वहां पहुंच चुके थे. वह अपने एक परिचित हाजी हरसामुद्दीन के बुलावे पर वहां पहुंचे थे. निकाह के समय रंजीत ने अपना नाम रकीबुल हसन खान और तारा का नाम सारा परवीन बताया था. अपना नाम सारा बताए जाने पर तारा ने आपत्ति जताई. तब रंजीत ने डांट कर उसे चुप करा दिया. उस समय तारा ने विरोध करना उचित नहीं समझा. तारा के 3 बार ‘कुबूल है’ कहने के बाद उसे वहां से हटा दिया गया. इस के बाद वहां क्याक्या हुआ, वह देख भी नहीं सकी.
तारा की यह चुप्पी उस के लिए दुखदाई होगी, यह उस ने सोचा भी नहीं था. घर का माहौल एकदम से उसे बदला हुआ सा लगा. उसी दौरान उसे यह भी पता चल गया कि उस की सास का वास्तविक नाम कौसर परवीन है. वहां मुसलिम तौरतरीके देखने को मिले. साथ ही तारा से भी कहा गया कि जैसा उस से कहा जाए, वैसा ही करे. उसे तारा की जगह सारा नाम से बुलाया जाने लगा. तारा ने इस का विरोध किया तो पति रंजीत उर्फ रकीबुल हसन ने उसे डांटा. वह इस बात को ले कर पति से बहस करने लगी तो सास कौसर परवीन ने उसे फटकार लगाई. उसी समय रकीबुल ने उस के गाल पर तमाचा जड़ दिया.
तारा गाल सहलाती रह गई. वह उन लोगों के बीच फंस चुकी थी. उस के पास से उस का मोबाइल फोन भी ले लिया गया, ताकि वह किसी से बात न कर सके. उसे बता दिया गया कि वह अब तारा नहीं, बल्कि सारा है. उसे कुरान पढ़ने को दी. इस के अलावा उसे एक और किताब दी, जिस में सुबह से रात तक इसलाम में महिलाओं द्वारा किए जाने वाले काम और शब्दावली के बारे में लिखा था. तारा ने इसलाम की बातें अपनाने से मना कर दिया तो उस की फिर पिटाई की गई. उसे बीफ (बड़े जानवर का गोश्त) भी खाने को कहा गया. मना किया तो सास ने उसे प्रताडि़त किया. तारा ने सोचा कि जिद करूंगी तो ये लोग उसे जबरदस्ती बीफ खिला देंगे. इसलिए वह बोली, ‘‘मैं दूसरे माहौल से आई हूं. मुझे यहां एडजस्ट होने में अभी समय लगेगा.’’
तारा वहां इस स्थिति में थी कि अपने घर वालों को अपनी परेशानी से अवगत भी नहीं करा सकती थी. उस के पास से फोन तो दूर कर ही दिया गया था, साथ ही उस पर निगरानी भी की जाने लगी. रंजीत घर में नहीं होता तो उस का भांजा उस की निगरानी करता था. 10 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार था. तारा ने पति से अनुरोध किया कि वह भाई को राखी बांधने के लिए घर जाना चाहती है. रकीबुल ने उसे घर जाने के लिए मना नहीं किया, लेकिन उस ने इतना डराधमका दिया था कि कोई भी बात घर वालों से कहने की हिम्मत न कर सके. रक्षाबंधन पर वह मायके गई तो रकीबुल हसन भी उस के साथ गया. तारा ने सोच लिया था कि मौका मिलने पर वह भाई या पिता को अपने साथ हो रही ज्यादतियों की दास्तान सुना देगी. लेकिन मायके में रकीबुल उस के साथ साए की तरह लगा रहा. यानी वह अपने पति से इतनी खौफजदा थी कि घर वालों को अपनी पीड़ा नहीं सुना सकी.
अपनी बात घर वालों से कहने का एक तरीका अपनाया. जब वह बाथरूम गई तो अपने साथ कागज और पेन ले गई. अपनी पूरी व्यथा उस ने उस पेपर पर लिख दी. फिर भाई की अलमारी से कपड़े निकालने के बहाने उस ने कपड़ों में वह पत्र छिपा कर रख दिया. उस ने सोचा कि भाई जब अलमारी से कपड़े निकालेगा तो वह पत्र उस के हाथ लग जाएगा. उधर अंबिकानाथ यही सोच रहे थे कि तारा ससुराल में खुश होगी. क्योंकि तारा ने उन्हें कोई ऐसी बात बताई ही नहीं थी, जिस से उन्हें उस की तरफ से कोई चिंता हो. राखी बांधने के बाद रकीबुल उसे अपने साथ ही लिवा कर ले गया.
ससुराल पहुंचने के बाद रकीबुल ने तारा पर इसलाम धर्म अपनाने का दबाव फिर बनाया. उस समय उस के यहां मुसलिम वर्ग के 20-25 लोग पहले से मौजूद थे. उन्होंने भी उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया. तारा ने साफतौर पर कह दिया कि वह दूसरे धर्मों का सम्मान करती है, लेकिन अपना धर्म कतई नहीं बदलेगी. तब उस पर कुत्ता छोड़ दिया गया. इस के बाद तारा को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताडि़त करने का सिलसिला शुरू हो गया. उस के सारे कपड़े ले लिए गए. सास कौसर परवीन ने उसे अपने पुराने 4 सलवारसूट पहनने के लिए दिए. रकीबुल हसन ने उसे चेतावनी दी, ‘‘यदि तुम ने बात नहीं मानी तो तुम्हारा हाल दिल्ली की निर्भया की तरह कर दूंगा. बिस्तर और तुम वही रहोगी, लेकिन बिस्तर पर सोने वाले लोग बदलते रहेंगे.’’
राष्ट्रीय निशानेबाज तारा शाहदेव को अब वे दिन याद आने लगे, जब शूटिंग रेंज में रंजीत कोहली उसे मिला करता था. उस समय बातचीत और उस के व्यवहार से वह उस के असली रूप को नहीं पहचान सकी थी. वह बड़ा और रसूखदार आदमी तो लगता था, लेकिन उस के असली चेहरे को पहचानने में वह चूक गई. उस ने सोचा था कि पति उसे पलकों पर बिठा कर रखेगा. साथ ही उस के खेल के जज्बे को ऊपर उठाने के लिए उस के अंदर जुनून पैदा करेगा. लेकिन यहां तो उलटा हुआ. अपनी बदकिस्मती पर उस के सामने आंसू बहाने के सिवा दूसरा रास्ता नजर नहीं आ रहा था. उस का शूटिंग का अभ्यास रुक गया था, इसलिए 2016 ओलंपिक के जो सपने उस ने मन में संजोए थे, वे उसे धूमिल होते नजर आ रहे थे. ससुराल में ऐसा कोई नहीं था, जो उस के दर्द को समझ सके.
धर्म परिवर्तन के लिए तारा को हर तरह से प्रताडि़त किया जा रहा था, जिस के निशान उस के शरीर पर पड़ गए थे. तारा ने भाई की अलमारी में जो पत्र रखा था, वह शायद उस के हाथ नहीं लगा था. और न ही मायके वालों ने इस दौरान उस से बात की. हो सकता है उन्होंने उस के फोन पर काल की होगी, जिसे रकीबुल या उस की मां ने रिसीव किया होगा. ऐसे में तारा के मायके वालों को तारा से बात जरूरी करनी चाहिए थी. तारा चाह रही थी कि किसी तरह उस के भाई या पिता से उस की बात हो जाए, जिस से वह वहां से निकल सके. 19 अगस्त को तारा को यह मौका मिल गया. उस दिन रकीबुल हसन और उस की मां कुछ समय के लिए रांची में ही कहीं गए हुए थे. घर पर उस का भांजा था. तभी तारा ने नौकरानी को अपने भाई का फोन नंबर दे कर फोन करने को कहा. नौकरानी ने तारा के भाई को फोन कर के तारा द्वारा कही गई बात बता दी.
बहन के ऊपर जुल्म ढाने की बात सुन कर भाई गुस्से में भर गया. वह अपने पिता को ले कर थाना हिंदपीढ़ी पहुंच गया और ससुरालियों द्वारा अपनी बहन को प्रताडि़त करने और धर्म परिवर्तन करने का दबाव डालने की सूचना दे दी. पुलिस को ले कर वह बहन की ससुराल चला गया. पुलिस और भाई को देख कर तारा खुश हो गई. पुलिस ने जब तारा से पूछताछ की तो उस ने पुलिस को अपने ऊपर ढाए गए जुल्मोसितम की पूरी दास्तां सुना दी. रकीबुल हसन भी कोई मामूली आदमी नहीं था. स्थानीय लोगों के अलावा पुलिस भी उस की पहुंच से वाकिफ थी. लेकिन दूसरी तरफ यह मामला राष्ट्रीय स्तर की एक महिला खिलाड़ी से संबंधित था, इसलिए पुलिस तारा को थाने ले आई. थाना पुलिस ने पूरे मामले से एसएसपी प्रभात कुमार को अवगत करा दिया. उन के आदेश पर तारा को थाना कोतवाली लाया गया.
वहां उस से पूछताछ की तो तारा शाहदेव ने बताया कि उस की शादी हिंदू रीतिरिवाज से हुई थी. जिस परिवार में उस की शादी हुई थी, उन्होंने खुद को हिंदू बताया था. लेकिन जब ससुराल पहुंची तो पता चला कि वह परिवार हिंदू नहीं, मुसलिम है. उन लोगों ने उस का धर्म बदलवाने का उस पर दबाव डाला. नहीं मानने पर उन लोगों ने शारीरिक और मानसिक तौर पर प्रताडि़त किया. तारा ने पुलिस को अपने शरीर पर प्रताड़ना के निशान भी दिखाए. तारा शाहदेव राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज थी. राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी के साथ हुई इस घटना से पुलिस हतप्रभ रह गई. उसी दौरान एसएसपी प्रभात कुमार भी थाने आ गए. उन्होंने भी खिलाड़ी तारा शाहदेव से बात की.
तारा शाहदेव की तहरीर पर पुलिस ने तारा के पति रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन और सास कौशल्या रानी उर्फ कौसर परवीन के खिलाफ अपराध संख्या 742/14 भादंवि की धारा 498ए (दहेज उत्पीड़न) और 295ए (धर्म परिवर्तन कराने के लिए दबाव डालना) के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी. रकीबुल हसन और कौसर परवीन को किसी तरह इस बात की खबर पहुंच गई थी कि पुलिस ब्लेयर अपार्टमेंट से तारा को ले गई है और उन के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है. यह खबर मिलने के बाद दोनों मांबेटे अंडरग्राउंड हो गए.
पुलिस ने तारा को मजिस्ट्रेट के सामने पेश कर उस के बयान दर्ज कराए. उस के शरीर पर चोटों के निशान थे, इसलिए अस्पताल में उस का मैडिकल कराया. एक राष्ट्रीय खिलाड़ी के साथ घटी इस घटना को मीडिया ने उछाला तो लोग चौंके. मामला तूल पकड़ता गया. लोग धर्मांतरण के मुद्दे के रूप में इसे उछालने लगे. मीडिया ने इस मामले को लव जिहाद का नाम दिया. इस के विरोध में कुछ संगठनों ने 25 अगस्त, 2014 को रांची बंद करने का ऐलान किया. बंद के दौरान हिंसा, तोड़फोड़, आगजनी की वारदातें हुईं.
मामला तूल पकड़ता जा रहा था, इसलिए झारखंड के पुलिस महानिदेशक राजीव कुमार ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए गृह विभाग के मुख्य सचिव एन.एन. पांडेय को अवगत कराया. गृह विभाग के मुख्य सचिव ने भी आरोपियों के खिलाफ सख्त काररवाई करने के आदेश दिए. रिपोर्ट दर्ज हो जाने के बाद पुलिस ने रकीबुल हसन और कौसर परवीन की तलाश शुरू कर दी. जब वे दोनों नहीं मिले तो न्यायालय ने उन के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी कर दिए. रांची पुलिस उन्हें सरगर्मी से तलाशने लगी. दोनों को तलाशते हुए कई दिन बीत गए, लेकिन उन का पता नहीं लग सका.
इसी दौरान पुलिस को एक महत्त्वपूर्ण सूचना मिली कि रकीबुल हसन दिल्ली में है. यह सूचना रकीबुल की मां के मोबाइल फोन की ट्रैकिंग से मिली थी. रांची के डीआईजी प्रवीण कुमार ने इस संबंध में दिल्ली पुलिस आयुक्त बी.एस. बस्सी से संपर्क किया और रकीबुल हसन और उस की मां को तलाशने में सहयोग की मांग की. दिल्ली पुलिस इस से पहले दूसरे प्रदेशों से कई बड़े आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता पा चुकी थी. इसलिए पुलिस आयुक्त ने यह मामला दिल्ली पुलिस की स्पैशल सेल को सौंप दिया.
स्पैशल सेल के एसीपी संदीप ब्याला के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई गई. टीम में इंसपेक्टर ब्रह्मजीत सिंह, सबइंसपेक्टर नरेश कुमार, नीरज कुमार, पंकज कुमार, एएसआई मनोज कुमार, मुख्तार, किशनलाल, हेडकांस्टेबल कृष्णकुमार, गोपीनाथ, कांस्टेबल धर्मवीर, विकास आदि को शामिल किया गया. 26 अगस्त को रांची पुलिस की 2 सदस्यीय टीम भी विमान से दिल्ली पहुंच गई. स्पैशल सेल और रांची पुलिस रकीबुल हसन और उस की मां को प्राप्त जानकारी के आधार पर इंदिरा गांधी एयरपोर्ट के आसपास के इलाके में खोजने लगे.
इसी बीच पुलिस को पता चला कि रकीबुल हसन कार से हरियाणा गया है. द्वारका सेक्टर-6 के पास पुलिस उस के लौटने का इंतजार करने लगी, क्योंकि उधर से ही वह हरियाणा गया था. रांची पुलिस उसे पहचानती थी. उधर से गुजरने वाली कारों को रुकवा कर पुलिस उन में बैठे लोगों को पहचान रही थी. पुलिस की यह कोशिश रंग लाई. रात 10 बजे के करीब रांची पुलिस ने उसे एक कार में देखा. रांची पुलिस ने पहचान कर उसी समय उसे गिरफ्तार कर लिया. अपने कब्जे में ले कर पुलिस ने उस से उस की मां के बारे में पूछताछ की. उस ने बताया कि वह नसीरपुर गांव में उस के एक जानकार के यहां रुकी हुई हैं.
चूंकि उस समय रात अधिक हो चुकी थी, इसलिए रात के बजाय दिन में उस के यहां दबिश देना जरूरी समझा. रकीबुल से उस के मोबाइल आदि जब्त कर लिए थे, ताकि वह मां से संपर्क न कर सके. तलाशी में उस के पास से एक लैपटाप और कुछ पैसे मिले, जो रांची पुलिस ने जब्त कर लिए. अगले दिन जौइंट औपरेशन टीम ने द्वारका सेक्टर-1 स्थित नसीरपुर गांव में दबिश दे कर रकीबुल हसन की मां कौसर परवीन उर्फ कौशल्या रानी को गिरफ्तार कर लिया. जिस घर से उसे गिरफ्तार किया गया था, वह घर एक होटल कर्मचारी का था. उस कर्मचारी से दोस्ती कर के दोनों मांबेटे उस के घर पर ही रह रहे थे.
कौसर परवीन को पता नहीं था कि उस का बेटा भी गिरफ्तार हो चुका है. पुलिस ने उस से पूछताछ की तो पता चला कि वह गया जिले के शेरघाटी के जज राजेश कुमार के साथ विमान से दिल्ली आई थी, जबकि उस का बेटा रकीबुल हसन रांची से रेलगाड़ी द्वारा दिल्ली आया था. दोनों अभियुक्त गिरफ्तार हो चुके थे. झारखंड पुलिस उन्हें अपने साथ रांची ले जाना चाहती थी. 27 अगस्त को एक पुलिस टीम कौसर परवीन उर्फ कौशल्या रानी को द्वारका स्थित मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सतीश कुमार की अदालत में ले गई. कुछ समय बाद दूसरी पुलिस टीम रकीबुल हसन उर्फ रंजीत सिंह कोहली को उसी अदालत में पेश करने के ले गई. मांबेटे ने अदालत में जब एकदूसरे को देखा तो हैरान रह गए. अदालत में ही दोनों गले मिल कर रोने लगे. दोनों अभियुक्तों को ट्रांजिट रिमांड पर ले कर झारखंड की पुलिस टीम रांची लौट गई.
झारखंड पुलिस ने रांची के स्थानीय न्यायालय में पेश कर दोनों अभियुक्तों का 3 दिनों का पुलिस रिमांड लिया. रिमांड मिलने के बाद उन्हें थाना जगन्नाथपुर में रखा गया और वहीं पर इंसपेक्टर हरिश्चंद्र ने उन से पूछताछ की. पुलिस को यह तो पता चल ही चुका था कि दोनों अभियुक्त कोई मामूली लोग नहीं हैं. उन की पहुंच पुलिस अधिकारियों, जजों, अन्य रसूखदार लोगों के अलावा सत्ता के गलियारे तक है. रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन के एक मामूली आदमी से उठ कर रसूखदार लोगों की श्रेणी में पहुंचने की जो कहानी सामने आई, उसे जान कर पुलिस भी हैरान रह गई. रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन जन्मजात मुसलिम नहीं था. उस के पिता हरमन कोहली पटना में सेल्स टैक्स विभाग में सुपरिंटेंडेंट थे. बाद में उन का तबादला रांची हो गया. वह बरियातू यूनिवर्सिटी कालोनी के डी ब्लौक में रहने लगे.
कौसर परवीन उर्फ कौशल्या रानी उन की दूसरी पत्नी थी. बात दरअसल यह थी कि हरमन सिंह रांची के एक फ्लैट में अपनी पत्नी के साथ रहते थे. कौसर परवीन उन के यहां घरेलू नौकरानी थी. उसी दौरान हरमन कोहली की पत्नी की मौत हो गई तो कुछ दिनों बाद उन्होंने कौसर परवीन से शादी कर ली. शादी के बाद उस ने अपना नाम कौशल्या रानी रख लिया. उस समय कौसर के पास एक बेटी थी. वह बेटी उस के पहले पति से थी. कुछ दिनों बाद कौशल्या ने एक बेटे को जन्म दिया. यह नवंबर 1977 की बात है, जिस का नाम रंजीत सिंह कोहली रखा. 4 सदस्यों के परिवार में हरनाम सिंह कोहली हंसीखुशी के साथ रह रहे थे. उन्हीं दिनों 1981 में अचानक एक दिन उन के फ्लैट में आग लग गई. उस हादसे में हरनाम सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान ही उन की मौत हो गई. उस समय रंजीत 4 साल का था.
हरमन सिंह की नौकरी से ही घर का खर्च चल रहा था. उन के न होने पर कौशल्या रानी के सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई. तब कौशल्या ने फिर से घरों में झाड़ूपोंछा करना शुरू कर दिया. उस की बेटी सयानी हो चुकी थी. जुगाड़ कर के उस ने एक अस्पताल में सफाई कर्मचारी के रूप में उस की नौकरी लगवा दी. दोनों की कमाई से घर का खर्च चलने लगा.
वैसे रंजीत से बड़ा हरमन कोहली का एक बेटा और था. उस की हिंदू धर्म में आस्था थी. सन 200 में वह राजरप्पा मंदिर में पूजा करने गया. पूजा के लिए वह दामोदर नदी में स्नान के लिए उतरा. नहातेनहाते वह गहरे पानी में चला गया और डूब कर उस की मौत हो गई. समय का पहिया अपनी गति से घूमता रहा. कौशल्या ने बेटी की शादी कर दी. घर में बस 2 ही सदस्य रह गए थे वह और उस का बेटा रंजीत सिंह कोहली. रंजीत जब छोटा था तो उस ने कई लोगों के यहां काम किया. 10 रुपए से काम करतेकरते वह जिंदगी में आगे बढ़ने के रास्ते तलाशने लगा.
उस ने एक चाय की दुकान पर काम किया. इस के बाद राशन की एक दुकान पर 300 रुपए महीने की तनख्वाह पर नौकरी की. कुछ दिनों बाद उस ने नौकरी छोड़ कर एक फोटो स्टूडियो में काम किया. वह शादी के समय वीडियोग्राफर के साथ लाइट पकड़ने का काम करता था. यह काम भी वह ज्यादा दिन तक नहीं कर सका तो एक ढाबे पर काम करने लगा. ढाबे पर काम के दौरान ही हाउसिंग कालोनी में रहने वाले पप्पू नाम के एक शख्स से उस का झगड़ा हो गया तो एससी/एसटी केस में जेल भी जाना पड़ा. 5 महीने बाद जमानत पर आने के बाद उन लोगों ने अपना फ्लैट बेच दिया. वे बरियातू से चले गए.
बालिग होने पर रंजीत ने पिता की जगह विभाग में नौकरी पाने की कोशिश शुरू की. तब एक सेल्स टैक्स अफसर ने बताया कि पिता की सरकारी सेवा का लाभ तभी मिलेगा, जब वह उत्तराधिकार का प्रमाणपत्र बनवा कर विभाग को देगा, जिस से उसे साबित करना होगा कि वह हरनाम सिंह का पुत्र है और उस की मां कौशल्या रानी उन की पत्नी. इस के लिए रंजीत 1997 में रांची सिविल कोर्ट में गया. वहां कोर्ट के मुंशी से ले कर जज तक की उस ने एक साल तक परिक्रमा की, तब जा कर उसे उत्तराधिकार प्रमाणपत्र मिला. फिर सेल्स टैक्स विभाग के चक्कर लगाए. इस के बाद भी किसी वजह से उस की नौकरी नहीं लग सकी. उस ने कोर्ट के एक साल तक चक्कर जरूर लगाए, लेकिन इस दौरान वह कोर्ट की कार्यप्रणाली से वाकिफ हो गया. वह जान गया कि कोर्ट में काम कराने के लिए लोग कितना परेशान होते हैं.
उसे पता चल गया कि किस तरह सरकारी और न्यायिक सेवा में काम कराया जाता है. इस के बाद उस ने मुड़ कर नहीं देखा. कौशल्या रानी रंजीत को उच्च शिक्षा दिला कर सरकारी अफसर बनाना चाहती थी, लेकिन उस की इच्छा पूरी नहीं हो सकी. रंजीत भी जवान हो चुका था. एक बार हवाला कारोबार और आतंकियों से संबंध रखने के आरोप में वह झारखंड पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया. लेकिन पुलिस को तफ्तीश के दौरान उस के खिलाफ कोई सुबूत न मिले तो वह जेल से रिहा हो कर घर आ गया.
रंजीत कोहली एक तेजतर्रार व्यक्ति था. उस ने अपनी बातों और संपर्कों से कुछ ही दिनों में पुलिस विभाग के बड़े अधिकारियों से ले कर तमाम रसूखदार लोगों से संबंध बना लिए. उस के बचपन का दोस्त था सुरजीत. सुरजीत पढ़लिख कर डीएसपी बन गया था. उस की पोस्टिंग झारखंड के गढ़वा जिले में हुई. दोस्त के डीएसपी बनने के बाद उस ने कई लोगों के काम कराए. डीएसपी सुरजीत के पास आनेजाने से उस की पुलिस विभाग में घुसपैठ होती चली गई. पिता के विभाग से रंजीत को जो पैसे मिले थे, उन से उस ने एक कार खरीदी. फिर अपने संपर्कों के जरिए वह लोगों के काम कराने लगा. दोस्त के माध्यम से रंजीत के कई पुलिस अधिकारियों से संबंध बन गए.
उस ने मां के नाम पर कौशल्या बायोटेक नाम से एक एनजीओ बनाया. एनजीओ के सिलसिले में उस के कई जजों से भी नजदीकी संबंध बन गए थे. पुलिस पूछताछ में उस ने बताया कि उस के 6 जजों, कई पुलिस अधिकारियों, प्रशासनिक अधिकारियों, मंत्रियों सहित 3 दरजन उच्चपदस्थ लोगों से उस के नजदीकी संबंध हैं. उस ने जिन लोगों के नाम बताए, उन में हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार विजिलेंस मोहम्मद मुश्ताक अहमद, गया के शेरघाटी के न्यायिक दंडाधिकारी राजेश कुमार आदि के अलावा देवघर के 2 जज, झारखंड के मंत्री हाजी हुसैन अंसारी, सुरेश पासवान, पूर्व सांसद इंदर सिंह नामधारी, देवघर के डीएसपी अनिमेष नथानी, सुरजीत, तोरपा के डीएसपी अनुदीप आदि हैं.
बताया जाता है कि रकीबुल हसन उर्फ रंजीत सिंह इन लोगों से पांचसितारा होटलों में मिलता था. उस ने रांची के स्टेशन रोड पर स्थित होटल अकार्ड का कमरा नंबर 307 स्थाई रूप से अपने लिए बुक करा रखा था. उसी कमरे में उस की इन रसूखदार लोगों से मुलाकात होती थी. तारा ने पुलिस को बताया था कि रकीबुल हौस्टल से लड़कियां मंगा कर अकार्ड होटल के 307 नंबर के कमरे में अधिकारियों के सामने पेश करता था. पुलिस ने रकीबुल हसन के ब्लेयर अपार्टमेंट स्थित फ्लैट की तलाशी ली तो वहां से 15 मोबाइल फोन, 36 सिमकार्ड, अदालतों से संबंधित कुछ दस्तावेज, 2 सीपीयू, 2 शूटिंग एयरगन, एक पेनड्राइव, 4 प्रिंटर, तारा शाहदेव और उस की शादी की फोटो एलबम, सीडी आदि बरामद किए. उस के पास 8 लग्जरी कारें हैं. एक कार पर गृह मंत्रालय का स्टिकर लगा हुआ था.
पुलिस ने शादी की सीडी देखी तो उस में तमाम पुलिस अफसर बाराती के रूप में थे. कई पुलिस अफसर तो मस्त हो कर नाच भी रहे थे. जिस कार में रंजीत दूल्हा बना बैठा था, उसे एक पुलिस वाला चला रहा था. जिन अधिकारियों से रकीबुल हसन ने नजदीकी संबंध होने की बात स्वीकार की है, पुलिस उन से पूछताछ कर रही है. डीएसपी सुरजीत कुमार ने स्वीकार किया कि वह रंजीत के साथ एक बार कोलकाता, 2 बार दिल्ली गया था. रंजीत से संबंध रखने वाले झारखंड हाईकोर्ट को रजिस्ट्रार विजिलेंस मोहम्मद मुश्ताक अहमद को 28 अगस्त को निलंबित कर दिया. मुश्ताक अहमद इस से पहले जामताड़ा में भी जिला एवं सत्र न्यायाधीश रह चुके थे. रंजीत इन के यहां कई न्यायिक मामलों में पैरवी के लिए जाता था. हैरानी की बात यह सामने आई कि रंजीत के पास जो 6 फोन थे, उन में से 2 सिमकार्ड जज मुश्ताक अहमद के नाम से खरीदे गए थे.
रंजीत जिस ब्लेयर अपार्टमेंट में रहता था, वह उस ने 70 हजार रुपए प्रति महीने के किराए पर लिया था. इस के अलावा 2 और फ्लैट किराए पर ले रखे थे. दूसरे फ्लैट की तलाशी ली गई तो वहां झारखंड के विभिन्न न्यायालयों की 15 फाइलें मिलीं. इस के अलावा कुछ महत्त्वपूर्ण फाइलों सहित 30 फाइलें बरामद हुईं. इन से संदेह हो गया कि वह अदालत में चल रहे मामलों को प्रभावित करता था. रंजीत ने बताया कि गुमला में रहे एक जज आर.मिश्रा से उस की पहले से जानपहचान थी. उन्हीं ने गुमला के तत्कालीन जज मुश्ताक अहमद से उस की जानपहचान कराई थी. बाद में वह उन से लगातार मिलता रहा और उन से नजदीकी संबंध बन गए.
अन्य लोग जिन से पुलिस पूछताछ करना चाहती है, उन में देवघर के प्रधान जज पंकज श्रीवास्तव, एक अन्य जज वीणा मिश्रा, प्रदेश के पूर्व डीजीपी गौरीशंकर रथ, आईएसएफ अधिकारी पारितोष उपाध्याय, सेवानिवृत्त जज आई.डी. मिश्रा, प्रदेश के पूर्व राज्यपाल सैय्यद सिब्जे रजी का नाम भी शामिल है. रंजीत और जज पंकज श्रीवास्तव के घनिष्ठ संबंधों की पुष्टि इस से भी हो गई है कि पिछले दिनों इन दोनों की फोन पर 8 बार लंबी बातचीत हुई थी. पुलिस ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल डा. सैय्यद अहमद से मंत्री हाजी हुसैन अंसारी तथा सुरेश पासवान से पूछताछ के लिए अनुमति मांगी है.
जांच में पता चला है कि तारा शाहदेव को प्रताडि़त करने, उस का धर्म परिवर्तन कराने, निकाह कराने के मुख्य आरोपी रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन के रांची से भगाने में न्यायिक विभाग के 3 लोगों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. जांच में उन का नाम सामने आने पर रांची के डीआईजी प्रवीण कुमार ने बिहार के शेरघाटी के न्यायिक दंडाधिकारी राजेश प्रसाद के नजदीकी दोस्त रोहित रमण और देवघर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंकज श्रीवास्तव के अंगरक्षक अजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दे दिए.
रंजीत सिंह और कौशल्या रानी को जब पता चला कि उन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज हो चुकी है तो वे पुलिस से बचने लगे. रंजीत उसी दिन रांची से कार द्वारा जमशेदपुर चला गया. वहां एक परिचित के घर 2 दिन रुकने के बाद वह ट्रेन से दिल्ली चला गया. जबकि उस की मां कौशल्या रानी न्यायिक दंडाधिकारी राजेश प्रसाद के पास चली गई. वह कौशल्या को विमान से दिल्ली ले गए. 24 अगस्त को वे दिल्ली पहुंच गए. दिल्ली पहुंच कर रंजीत मां व जज से मिला. वे तीनों दिल्ली के महिपालपुर स्थित एक होटल में ठहरे.
होटल के एक कर्मचारी से रंजीत कोहली की दोस्ती थी. रंजीत कोहली और उस की मां उस दोस्त के द्वारका सेक्टर-1 के नसीरपुर में स्थित घर में रहने लगे, जबकि जज राजेश प्रसाद दूसरे होटल में चले गए थे. रिमांड अवधि के दौरान पूछताछ में रंजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन ने अपना बचाव करते हुए यह आरोप लगाया कि शूटर तारा शाहदेव को जब उस की हैसियत की पता चली तो उस ने अपने मायके वालों को मोटी रकम देने का दबाव उस पर बनाया. जब पैसे देने से मना कर दिया तो उस ने उसे व उस की मां के झूठे आरोप में फंसा दिया.
बहरहाल, एक बात तो है कि एक सामान्य आदमी के इतने ऊंचे पदों पर नौकरी करने वाले लोगों से संबंध ऐसे ही नहीं बन सकते. उस के एक इशारे पर प्रदेश सरकार के मंत्री उस के घर या होटल में ऐसे ही नहीं चले आते थे. अकार्ड होटल के कमरा नंबर 307 की कुछ तो विशेषता थी, जहां पार्टी में शामिल हो जाने के बाद उस के संबंध हाईप्रोफाइल लोगों से हो गए और वह एक आम आदमी से हाईप्रोफाइल पर्सनैलिटी बन गया. लेकिन एक बात तो सच है कि पार्टी में शामिल होने वाले अधिकारियों की कमजोर कड़ी उस के नियंत्रण में रहती थी, जिस से वे सब उस के इशारों पर नाचते थे.
रंजीत सिंह कोहली के गिरफ्तार होने पर इस बात की चर्चा भी होने लगी कि वह बड़े लोगों को कालगर्ल्स सप्लाई करता था और हवाला का कारोबार चलाता था. लेकिन पुलिस जांच में इन दोनों आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है. मामला प्रकाश में आने पर झारखंड महिला आयोग की अध्यक्षा महुआ मांझी भी राष्ट्रीय शूटर तारा शाहदेव के घर पहुंचीं. तारा शाहदेव ने उन्हें बताया कि धर्म बदलवाने के लिए रंजीत उस की बहुत पिटाई करता था. वह उस की रीढ़ की हड्डी तोड़ देना चाहता था, ताकि वह शूटिंग के लिए दोबारा खड़ी न हो सके. तारा ने बताया कि उसे दिल की बीमारी है. यह जानने के बाद भी रंजीत की मां उस के साथ मारपीट करती और सिगरेट पी कर धुएं के छल्ले बना कर उस के मुंह पर छोड़ती थी. महुआ मांझी ने तारा को हरसंभव सहयोग करने का आश्वासन दिया.
उधर खेलमंत्री गीताश्री उरांग ने तारा शाहदेव को भरोया दिया है कि वह उस की खेल की लगन को आगे बढ़ाने में पूरी मदद करेंगी. वह उसे किसी तरह की कमी महसूस नहीं होने देंगी. उस के प्रशिक्षण और अभ्यास में वह हरसंभव सहयोग देंगी. उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और लखनऊ के आईजी (नागरिक सुरक्षा) अमिताभ ठाकुर ने शूटर तारा शाहदेव के साहस की सराहना की. उन्होंने तारा के घर जा कर उसे आश्वासन दिया कि वह उसे न्याय दिलाने में हरसंभव सहयोग करेंगे.
अमिताभ ठाकुर पुलिस अधिकारी के साथसाथ बतौर एक्टिविस्ट भी जाने जाते हैं. न्यायिक भ्रष्टाचार के खिलाफ भी उन्होंने मुहिम छेड़ रखी है. इस सिलसिले में वे देश भर में लोगों की सहायता को जाने जाते हैं. झारखंड से उन का गहरा जुड़ाव है. उन के परिजन बोकारो में रहते हैं और वहीं से उन्होंने आरंभिक शिक्षा पाई थी. पुलिस ने कौसर परवीन उर्फ कौशल्या रानी का 2 दिनों का और रंजीत कोहली उर्फ रकीबुल हसन का 9 दिनों का पुलिस रिमांड लिया था. पुलिस के अलावा आईबी और सीबीसीआईडी ने भी उन से पूछताछ की. रिमांड अवधि में उन से और भी अन्य महत्त्वपूर्ण बातें पता चलीं, जिन की वह तफ्तीश कर रही है.
इस केस में हाईप्रोफाइल लोगों के संलिप्त होने और शूटर तारा शाहदेव के अनुरोध पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा कर दी है. अब देखना यह है कि सीबीआई की जांच की आंच की जद में कौनकौन हाईप्रोफाइल लोग आएंगे.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित