काजल को अपने बहनोई अनिल से इस कदर नफरत थी कि उस ने उस की हत्या करते समय यह भी नहीं सोचा कि पकड़े जाने पर उस की खुद की जिंदगी तो बरबाद होगी. बड़ी बहन की भी जिंदगी नरक हो जाएगी…

काजल उत्तराखंड के जिला हरिद्वार की कोतवाली लक्सर के गांव कलसिया के रहने वाले वीर सिंह की बेटी थी. 9 जून, 2014 को उस की शादी थी. शादी की वजह से घर में खूब गहमागहमी थी. बारात आने में ज्यादा समय नहीं रह गया था, इसलिए लगभग सारे नातेरिश्तेदार और दोस्तपरिचित वीर सिंह के घर इकट्ठा हो  गए थे. उसी बीच जब काजल को सजाने के लिए ब्यूटीपार्लर ले जाने की बात चली तो उस ने साफ कहा कि वह सजने के लिए ब्यूटीपार्लर अनिल जीजा के साथ जाएगी.

शादी के माहौल में काजल को ब्यूटीपार्लर ले जाने वाले तमाम लोग थे, लेकिन जब उस ने स्वयं अनिल जीजा के साथ ब्यूटीपार्लर जाने की बात कही थी तो भला कोई दूसरा चलने की बात कैसे करता. नातेरिश्तेदारों तथा घर वालों को लगा कि काजल जीजा से अकेले में कुछ व्यक्तिगत बातें करना चाहती होगी, इसीलिए उस के साथ जाना चाहती है. घर में भीड़भाड़ थी, कुछ औरतों ने हंसी भी की, लेकिन किसी बात पर ध्यान दिए बगैर काजल ब्यूटीपार्लर जाने के लिए जीजा के साथ निकल पड़ी.

इधर अनिल और काजल निकले, उधर बारात आ गई. सभी बारात के स्वागत में लग गए. घर वाले जरूरी रस्में पूरी करने लगे तो बराती नाश्ते और खाने में जुट गए. द्वारपूजा की तैयारी हो रही थी कि तभी वीर सिंह के मोबाइल फोन की घंटी बजी. उन्होंने जेब से मोबाइल निकाल कर स्क्रीन पर नंबर देखा तो फोन काजल का था. उन्होंने जल्दी से फोन रिसीव कर के मोबाइल कान से लगाया, ‘‘हां बोलो बेटा, क्या बात है?’’

‘‘पापा, बड़ी गड़बड़ हो गई, बदमाशों ने अनिल जीजा को गोली मार दी है.’’ काजल ने कहा.

यह सुन कर वीर सिंह सन्न रह गया. उस ने घबरा कर पूछा, ‘‘कहां…?’’

‘‘सैदाबाद के पास.’’ दूसरी ओर से काजल ने कहा.

इस के बाद वीर सिंह ने जैसे ही फोन काटा, आसपास खड़े लोग उस की ओर सवालिया नजरों से ताकने लगे. क्योंकि फोन पर बातचीत के दौरान उस के चहरे पर जो भाव आए थे, उसी से उन लोगों ने अंदाजा लगा लिया था कि कहीं कुछ गड़बड़ हुई है. वीर सिंह के सामने बड़ी विषम परिस्थिति थी. जो कुछ हुआ था, उसे बताने पर उस की सारी तैयारी, सारे खर्च पर पानी फिर जाने वाला था. जबकि बताना भी जरूरी था. इसलिए उस ने सिर थाम कर बैठते हुए कहा, ‘‘काजल का फोन था, लक्सर जाते समय सैदाबाद के पास बदमाशों ने अनिल को गोली मार दी है.’’

वीर सिंह का इतना कहना था कि वहां खड़े लोग सन्न रहे. घर में कोहराम मच गया. पल भर में ही यह बात घर से ले कर जहां बारात ठहरी थी, वहां तक पहुंच गई. बैंड बाजा बज रहा था, डीजे पर लोग डांस कर रहे थे, सब बंद हो गया. चारों ओर खुसुरफुसुर होने लगी कि अब क्या होगा. वीर सिंह अपने खास रिश्तेदारों तथा घर वालों के साथ घटनास्थल की ओर भागा. काजल वहां गांव के ही सुभाष के साथ घायल अनिल को अस्पताल ले जाने की कोशिश कर रही थी. सभी लोग गाडि़यों से आए थे, इसलिए जल्दी से अनिल को उठा कर गाड़ी में डाला और लक्सर स्थित सरकारी अस्पताल में गए, जहां जांच के बाद डाक्टरों ने बताया कि यह मर चुका है.

अस्पताल से ही इस घटना की सूचना कोतवाली लक्सर पुलिस को दे दी गई थी. अब तक काफी रात हो चुकी थी. जिस समय इस घटना की सूचना कोतवाली लक्सर को दी गई थी, उस समय कोतवाली प्रभारी भुवनेश कुमार शर्मा गश्त पर थे. उस समय थाने में सीनियर सबइंसपेक्टर प्रशांत बहुगुणा मौजूद थे. उन्होंने तत्काल इस घटना की सूचना कोतवाली प्रभारी भुवनेश कुमार शर्मा को देने के साथ एसएसपी डा. सदानंद दाते, एसपी (देहात) अजय सिंह तथा क्षेत्राधिकारी जी.बी. पांडेय को दे दी.

पुलिस अधिकारियों को घटना की सूचना दे कर एसएसआई प्रशांत बहुगुणा थाने से कुछ सिपाहियों को साथ ले कर सरकारी अस्पताल पहुंच गए. वह लाश का निरीक्षण कर  रहे थे कि कोतवाली प्रभारी भुवनेश कुमार शर्मा और क्षेत्राधिकारी जी.बी. पांडेय भी आ गए. इस के बाद सभी पुलिस अधिकारियों ने लाश का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 30-35 साल रही होगी. उस के सीने में गोली मारी गई थी. घाव देख कर ही लग रहा था कि गोली एकदम करीब से मारी गई थी.

अस्पताल में मृतक अनिल की ससुराल वालों के अलावा तमाम नातेरिश्तेदार तथा गांव वाले इकट्ठा थे. सभी को इस बात पर गुस्सा था कि हंसीखुशी के मौके पर बदमाशों ने ऐसा काम कर दिया कि सारी खुशियों पर तो पानी फिर गया. एक बेटी की जिंदगी बरबाद हो गई और दूसरी के भविष्य पर सवालिया निशान लग गया. अनिल की ससुराल वालों का रोरो कर बुरा हाल था. उस की पत्नी ममतेश तो सिर पटकपटक कर रो रही थी. माहौल बड़ा गमगीन था, फिर भी पुलिस को अपनी काररवाई तो करनी ही थी. अब तक एसएसपी डा. सदानंद दाते और एसपी (देहात) अजय सिंह भी आ गए थे. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में कोतवाली प्रभारी भुवनेश कुमार शर्मा ने अनिल की लाश को कब्जे में ले कर पंचनामा की सारी काररवाई पूरी कर के उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

इस के बाद पुलिस ने घटनास्थल का भी निरीक्षण किया. अनिल को जिस जगह गोली मारी गई थी, वहां उस के शरीर से निकला खून सूख चुका था. सारी स्थितियों से अंदाजा लगाया गया कि अनिल मोटरसाइकिल से उतर कर खड़ा था, तभी उसे गोली मारी गई थी. जिस तरह हत्या की गई थी, उस से यही लगता था कि अनिल की रंजिशन हत्या की गई थी. गोली सामने से मारी गई थी तो क्या अनिल सामने से आने वाले अपने दुश्मनों को पहचान नहीं पाया था. पुलिस ने घटनास्थल से वह तमंचा भी बरामद कर लिया था, जिस से इस वारदात को अंजाम दिया गया था.

सारी बातों को ध्यान में रख कर पुलिस अधिकारियों ने जब घटना के बारे में मृतक की ससुराल वालों से पूछताछ की तो पता चला कि मृतक अनिल अपनी साली काजल, जिस की शादी थी, उस का मेकअप कराने अपनी मोटरसाइकिल से लक्सर जा रहा था. वह रायसी-लक्सर रोड पर स्थित गांव सैदाबाद के पास पहुंचा तो काजल ने उसे लघुशंका के लिए रोक लिया. वह सड़क के किनारे लघुशंका करने लगा तो काजल भी थोड़ी दूर स्थित झाडि़यों में लघुशंका के लिए चली गई. काजल लघुशंका कर रही थी कि तभी उसे गोली चलने और अनिल के चीखने की आवाज सुनाई दी. वह जल्दी से उठी. पलट कर देखा तो अनिल जमीन पर पड़ा तड़प रहा था. उस ने इधरउधर देखा तो थोड़ी दूर पर मोटरसाइकिल से 2 लोग लक्सर की ओर जाते दिखाई दिए. शायद उन्हीं लोगों ने अनिल को गोली मारी थी.

काजल भाग कर अनिल के पास पहुंची. वह अकेली तो कुछ कर नहीं सकती थी. तभी संयोग से उस के गांव का सुभाष आ गया. उस ने सुभाष से अपने पिता को फोन कराया. थोड़ी देर बाद सभी लोग आ गए तो अनिल अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पता चला कि वह मर चुका है. इस पूछताछ से जब पुलिस को पता चला कि घटना के समय मृतक की साली साथ थी तो पुलिस को लगा कि काजल से पूछताछ में हत्यारों का जरूर कोई सुराग मिल सकता है. इस के बाद पुलिस ने काजल से पूछताछ की. उस ने भी वही सब बताया, जो उस के पिता वीर सिंह बता चुके थे.

क्योंकि वीर सिंह को उसी ने यह सब बताया था. अंत में जब उस ने कहा कि हत्यारे जीजाजी के सीने में गोली मार कर तमंचा वहीं फेंक कर भाग गए थे तो पुलिस को थोड़ा हैरानी हुई कि हत्यारे जब मोटरसाइकिल से आए थे और मोटरसाइकिल से चढ़ेचढ़े ही गोली मारी थी तो उन्होंने तमंचा वहां क्यों फेंक दिया था. इस के बाद जब काजल से पूछा गया कि उस ने बदमाशों को देखा था, वे किस रंग की कौन सी मोटरसाइकिल से थे? तो वह पुलिस के इन सवालों पर हकबका सी गई. फिर खुद को संयत करते हुए उस ने बताया था कि उस के बाहर आतेआते बदमाश इतनी दूर निकल गए थे कि वह न तो बदमाशों को देख पाई थी और न उन की मोटरसाइकिल को.

पुलिस ने काजल को बहुत कुरेदा, लेकिन उस से उन्हें मतलब की कोई जानकारी नहीं मिली. लेकिन इस बातचीत में पुलिस को यह आभास जरूर हो गया कि काजल को जीजा की हत्या के बाद जिस तरह दुखी और परेशान होना चाहिए, वैसा दुख और परेशानी न तो उस के चेहरे पर दिखाई दे रही है न बातचीत में. वह इस तरह बातचीत कर रही थी, जैसे हत्या उस के अपने सगे जीजा की न हो कर गांव के किसी आदमी की हुई है. बहरहाल, उस समय ऐसा माहौल था कि इस तरह की कोई बात नहीं की जा सकती थी. वैसे भी वहां इकट्ठा लोगों का मूड ठीक नहीं लग रहा था. मृतक अनिल की पत्नी की हालत ऐसी थी कि उस समय उस से पूछताछ नहीं की जा सकती थी. घटना की सूचना अनिल के घर वालों को भी दे दी गई थी. इस स्थिति में शादी होने का सवाल ही नहीं उठता था, इसलिए बारात बिना शादी के ही लौट गई थी.

अनिल की हत्या की सूचना पा कर उस का छोटा भाई सुनील आ गया था. अगले दिन उसी की ओर से अनिल की हत्या का मुकदमा कोतवाली लक्सर में अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज कर लिया गया. एसएसपी डा. सदानंद दाते ने इस मामले की जांच कोतवाली प्रभारी भुवनेश कुमार शर्मा को सौंपते हुए क्षेत्राधिकारी जी.बी. पांडेय को इस मामले पर नजर रखने का आदेश दिया. पुलिस को संदेह ही नहीं, पूरा विश्वास था कि अनिल की हत्या रंजिश की वजह से की गई थी. उस की किस आदमी से ऐसी रंजिश थी, जो उस की हत्या कर सकता था? यह बात घर वाले ही बता सकते थे. भाई सुनील से पूछा गया तो वह इस बारे में पुलिस की कोई मदद नहीं कर सका. क्योंकि वह गांव में रहता था, जबकि अनिल हरिद्वार में रहता था.

पत्नी ममतेश अभी इस स्थिति में नहीं थी कि उस से पूछताछ की जा सकती. बहरहाल अगले दिन पोस्टमार्टम के बाद शव घर वालों को मिला तो उन्होंने उस का अंतिम संस्कार कर दिया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार अनिल को गोली एकदम करीब से मारी गई थी, जो तिरछी लगी थी. पुलिस को काजल पर संदेह था, इसलिए उस के बारे में पता करने के लिए मुखबिरों को तो लगाया ही गया, उस के घर के सभी फोन नंबरों को भी सर्विलांस पर लगवा दिया गया कि शायद उन की आपसी बातचीत से हत्यारे के बारे में कोई जानकारी मिल सके. इस के अलावा काजल और उस के घर वालों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए पुलिस ने ग्रामप्रधान विनोद चौधरी से भी पूछताछ की.

अनिल के घर वालों ने पुलिस को बताया था कि उन्हें उस के ऐसे दुश्मन के बारे में कोई जानकारी नहीं है, जो उस की हत्या कर सकता था. लेकिन जब इस बारे में ममतेश से पूछा गया तो उस ने कहा कि और कोई भले न जानता हो, लेकिन काजल को हत्यारों के बारे में जरूर पता होगा. पुलिस को तो काजल पर पहले से ही संदेह था, ममतेश की इस बात ने पुलिस के संदेह को और बढ़ा दिया. 18 जून, 2014 को मृतक अनिल की पत्नी ममतेश क्षेत्राधिकारी जी.बी. पांडेय से मिली और उस ने उन से साफसाफ कहा कि उस के पति की हत्या में उस के मायके वालों की अहम भूमिका हो सकती है. उन्हीं लोगों ने साजिश रच कर हत्या की है. अगर उन लोगों से सख्ती से पूछताछ की जाए तो निश्चित इस हत्याकांड से परदा उठ सकता है.

क्षेत्राधिकारी ने ममतेश से वजह पूछी कि उस के मायके वाले उस के पति की हत्या क्यों करेंगे तो उस ने बताया कि उस की मंझली बहन मीना की आत्महत्या के बाद से उस के मायके वाले उस के पति से रंजिश रखने लगे थे. उसी की वजह से करीब 4 साल तक आनाजाना बंद रहा. इस साल काजल की शादी तय हुई तो आनाजाना शुरू हुआ. इस के अलावा मुखबिरों से पुलिस को जो सूचनाएं मिली थीं, वे भी अनिल की ससुराल वालों को हत्यारा बता रही थीं. ये सारी बातें काजल और उस के पिता वीर सिंह को थाने बुला कर पुलिस को पूछताछ करने के लिए मजबूर कर रही थीं. जब सारी बातें एसएसपी डा. सदानंद दाते को बताई गईं तो उन्होंने काजल और वीर सिंह को थाने ला कर सख्ती से पूछताछ करने का आदेश दिया.

इस के बाद कोतवाली प्रभारी भुवनेश कुमार शर्मा एसएसआई प्रशांत बहुगुणा और कुछ सिपाहियों के साथ वीर सिंह के घर पहुंचे और बापबेटी को पकड़ कर थाने ले आए. थाने में काजल और वीर सिंह से पूछताछ शुरू हुई. दोनों वही बातें दोहराते रहे, जो उन्होंने पुलिस को पहले बताई थीं. लेकिन अब उन बातों पर पुलिस को विश्वास नहीं था, इसलिए पुलिस उन से सच उगलवाना चाहती थी, जबकि बापबेटी सच बोलने को राजी नहीं थे. क्षेत्राधिकारी जी.बी. पांडेय ने देखा कि ये सीधे सच बताने को तैयार नहीं हैं तो उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘तुम दोनों को ही पता होना चाहिए कि कानून और पुलिस, दोनों के ही हाथ बहुत लंबे होते हैं. इसलिए इन से कोई भी अपराधी नहीं बच सकता.

अपने सूत्रों से मुझे पता चल गया है कि अनिल की हत्या तुम्हीं लोगों ने की है. अब तुम लोग सच्चाई अपने आप बता दो तो अच्छा रहेगा, वरना हम अपनी तरह से उगलवाएंगे तो तुम दोनों को बहुत परेशानी होगी.’’

वीर सिंह और काजल कोई पेशेवर अपराधी तो थे नहीं. उन्होंने भले ही पुलिस की मार नहीं देखी थी, लेकिन फिल्मों और सीरियलों में तो देखा ही था. इस के अलावा पुलिस की थर्ड डिग्री के तमाम किस्से भी सुन रखे थे. जब उन्होंने देखा कि अब पुलिस का रुख कड़ा हो रहा है तो बापबेटी, दोनों ही फफकफफक कर रो पड़े. उन दोनों के रोते ही क्षेत्राधिकारी समझ गए कि अब उन का काम हो गया है. ये दोनों अब अपना अपराध स्वीकार कर लेंगे. इसलिए पुलिस ने उन्हें रोने दिया, जिस से मन हलका हो जाए.

और सचमुच रो कर मन हलका हो गया तो काजल और वीर सिंह ने अनिल की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. काजल ने बताया कि उसी ने अनिल की गोली मार कर हत्या की थी. यह हत्या उस ने अपनी बहन की मौत का बदला लेने के लिए की थी. इस के बाद वीर सिंह और काजल ने अनिल की हत्या के पीछे की जो कहानी सुनाई, वह कुछ इस प्रकार थी. उत्तराखंड के जिला हरिद्वार की कोतवाली लक्सर के गांव कलसिया के रहने वाले वीर सिंह अपनी 3 बेटियों में बड़ी बेटी ममतेश की शादी मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर के थाना मंडावर के गांव फतेहपुर के रहने वाले चंद्रपाल के बेटे अनिल के साथ की थी. अनिल हरिद्वार में हर की पौड़ी में फोटोग्राफी करता था. उस का जमाजमाया काम था, इसलिए शादी के बाद ममतेश को भी वहीं ले आया. यह करीब 10 साल पहले की बात है.

ममतेश से छोटी थी मीना, जो उन दिनों इंटर में पढ़ रही थी. इंटर पास करने के बाद वह बीए करना चाहती थी. इस के लिए मांबाप से अनुमति ले कर उस ने हरिद्वार के डिग्री कालेज में दाखिला ले लिया. घर से रोजना हरिद्वार जा कर पढ़ाई करना संभव नहीं था, इसलिए पढ़ाई के लिए उस ने हरिद्वार में ही रहने का फैसला किया. वहां उस की बहन और बहनोई रहते ही थे, इसलिए उसे वहां रहने में कोई दिक्कत नहीं थी. मीना बहन ममतेश के घर साथ रह कर बीए की पढ़ाई करने लगी. उस का बीए का अंतिम साल था. अब तक मीना पूरी तरह जवान हो चुकी थी. खूबसूरत वह थी ही. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि अचानक एक दिन वीर सिंह को सूचना मिली की मीना ने आत्महत्या कर ली है.

वीर सिंह कुछ खास लोगों के साथ हरिद्वार पहुंचा और बेटी का शव चुपचाप ले कर गांव आ गया. उस ने सोचा कि शोरशराबा करने पर बात पुलिस तक पहुंचेगी तो परेशानी भी बढ़ जाएगी और इज्जत का भी तमाशा बनेगा. इसलिए उस ने वहां किसी से कोई बात तक नहीं की. घर लाने के बाद उस ने शव देखा तो उसे कहानी कुछ और ही लगी. उसे मीना के शरीर पर चोट और खरोंच के निशान दिखाई दिए. वीर सिंह बेवकूफ नहीं था कि चोट और खरोंच के निशानों का मतलब न समझता. सब कुछ जानसमझ कर भी वह इज्जत की खातिर चुप रहा कि अगर बात खुलेगी तो उसी की बदनामी होगी और गांव वाले उसी की हंसी उड़ाएंगे. यह 4 साल पहले की बात है.

उस समय वीर सिंह भले ही चुप रह गया था, लेकिन उसे दामाद से ही नहीं, बेटी से भी नफरत हो गई थी. क्योंकि उस ने स्वार्थ के लिए पति का साथ दिया था. स्थितियां बता रही थीं कि मीना ने ऐसे आत्महत्या नहीं की थी, उसे इस के लिए इस तरह मजबूर कर दिया गया था कि उस ने खुद को जीने लायक नहीं समझा था और इस सब में उस की बेटी का भी हाथ था. वीर सिंह का सोचना था कि अनिल तो पराया था, लेकिन ममतेश तो उस की अपनी थी. वह पति के प्यार में इस तरह अंधी हो गई थी कि उस ने मांबाप की इज्जत का भी नहीं खयाल किया. उस बहन के बारे में भी नहीं सोचा, जिस को उस ने बचपन में खेलायाकुदाया था. यही सब सोचसोच कर उन्हें दामाद से ही नहीं, बेटी से भी नफरत हो गई और उन्होंने बेटीदामाद से संबंध तो तोड़ ही लिए, यह भी तय कर लिया कि वह मीना की मौत का बदला जरूर लेगा.

समय धीरेधीरे बीतता रहा. समय बीतने के साथ वीर सिंह के मन में बेटी और दामाद के लिए जो नफरत थी, वह कम होने के बजाय बढ़ती गई. मीना से छोटी काजल भी समझदार हो गई थी. कभीकभार घर में मीना की चर्चा होती तो घर वालों को गुस्सा होते देख काजल को भी बहनबहनोई पर गुस्सा आता कि उन्होंने उस के मांबाप की इज्जत का जरा भी खयाल नहीं किया. यही नहीं, उन्हीं की वजह से उस की बहन को मौत को गले लगाना पड़ा. घर वालों की बातें सुनसुन कर काजल को भी बहनबहनोई से नफरत हो गई थी और वह भी बहन की मौत का बदला लेने के बारे में सोचने लगी. इस साल उस की शादी तय हुई तो उसने वीर सिंह से कहा कि उस की शादी में जीजा और बहन को भी बुलाएं. वीर सिंह इस के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन काजल ने जब उन्हें मन की बात बताई तो वह अनिल और ममता को बुलाने को तैयार हो गए. यह कीरब 4 महीने पहले की बात है.

काजल के कहने पर वीर सिंह हरिद्वार स्थित ममतेश के घर गए और उसे घर आने को कहा. इस के बाद अनिल और ममतेश कलसिया आनेजाने लगे. संबंध सुधर गए तो काजल की शादी की तैयारी में अनिल और ममतेश ने भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. 9 जून, 2014 को काजल की शादी थी. शादी में अनिल और ममतेश को भी बुलाया गया था. बहुत दिनों बाद संबंध सुधरे थे, इसलिए शादी में दोनों आए भी थे. शाम को दुल्हन के रूप में सजने के लिए काजल को लक्सर स्थित ब्यूटीपार्लर जाना था. वैसे तो काजल को ले जाने वाले बहुत लोग थे, लेकिन काजल ने जीजा अनिल के साथ जाने की इच्छा व्यक्त की. अनिल भला क्यों मना करता. मना करने की कोई वजह भी नहीं थी. उस का सोचना था कि मन की सारी कड़वाहट धुल चुकी है, इसलिए वह मोटरसाइकिल ले कर तैयार हो गया.

अनिल तैयार हो गया तो काजल ने घर में रखा तमंचा, जिसे वीर सिंह ने मुजफ्फरनगर के अपने एक रिश्तेदार की मदद से खरीदा था, उसे पर्स में रख कर ऊपर से शाल ओढ़ कर अनिल की मोटरसाइकिल पर बैठ गई. अनिल मोटरसाइकिल ले कर सैदाबाद गांव के पास सुनसान जगह पर पहुंचा तो लघुशंका की बात कह कर काजल ने मोटरसाइकिल रुकवा ली. लघुशंका करने के बहाने वह झाडि़यों की ओट में गई और वहां उस ने तमंचे में गोली भरी. अनिल मोटरसाइकिल पर ही बैठा था. काजल झाडि़यों से निकल कर उस के पास आई और तमंचा उस के सीने से सटा कर गोली चला दी. गोली लगते ही अनिल जमीन पर गिर कर छटपटाने लगा. काजल को लगा कि उस का काम हो गया है तो उस ने शोर मचा दिया.

संयोग से उसी समय उस के गांव का सुभाष वहां पहुंच गया. सुभाष की मदद से उस ने घटना की सूचना घर वालों को दी. थोड़ी ही देर में घर वाले भी आ गए. इस के बाद अनिल को अस्पताल पहुंचाया गया, जहां पता चला कि वह मर चुका है. इस के बाद वीर सिंह ने भी माना कि उन्हें अनिल की हत्या की जानकारी ही नहीं थी, बल्कि काजल के साथ वह भी हत्या की इस योजना में शामिल थे. काजल ने बताया कि अनिल की हत्या के लिए शादी वाला दिन उस ने इसलिए चुना था कि कोई भी नहीं सोचेगा कि जिस की शादी के लिए दरवाजे पर बारात आ गई हो, ऐसे समय में हत्या जैसा अपराध करेगी. वह भी अपने सगे बहनोई की हत्या.

काजल ने होशियारी तो बहुत दिखाई, लेकिन बच नहीं सकी. पुलिस ने वह तमंचा पहले ही बरामद कर लिया था, जिस से अनिल की हत्या की गई थी. काजल के बयान के बाद कोतवाली लक्सर पुलिस ने पहले से दर्ज मुकदमे में अज्ञात लोगों की जगह बापबेटी यानी काजल और वीर सिंह का नाम दर्ज कर दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. कोतवाली प्रभारी भुवनेश्वर कुमार शर्मा सुभाष की भूमिका की जांच कर रहे हैं कि वह अनिल की हत्या के बाद वहां संयोग से पहुंचा था या उसे पहले से मालूम था. कथा लिखे जाने तक सुभाष के बारे में कुछ पता नहीं चला था. काजल और वीर सिंह जेल में थे.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...