जापान के सतोषी नाकामोतो सन 2010 में जब ब्लौकचेन पर आधारित वर्चुअल करेंसी बिटकौइन ले कर आए थे, तब इस की कीमत मात्र .003 डालर (करीब 18 पैसे) थी. लेकिन आज इस की कीमत लगभग 5 लाख रुपए है. तेजी से बढ़ती कीमत की वजह से एक आईपीएस अधिकारी भी ऐसा जुर्म कर बैठे कि…
वर्चुअल करेंसी की बात करें तो आजकल देश में सब से ज्यादा चर्चा बिटकौइन की होती है. केवल भारत में ही नहीं, बल्कि इस के चरचे दुनिया के कई देशों में हैं. बिटकौइन न तो कोई सोने का सिक्का है और न कागजी रकम. यह डिजिटल करेंसी है. आप इसे आभासी मुद्रा भी कह सकते हैं, जो क्रिप्टो करेंसी की श्रेणी में आती है. बिटकौइन की खरीदफरोख्त औनलाइन होती है. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक ने इसी साल 6 अप्रैल को एक अधिसूचना जारी कर के क्रिप्टो करेंसी के लेनदेन पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
देश की सर्वोच्च अदालत में दायर कुछ याचिकाओं में बिटकौइन जैसी क्रिप्टो करेंसी के रेगुलेशन के लिए दिशानिर्देश बनाने का आग्रह किया गया है, जबकि कुछ याचिकाओं में सरकार से इस क्रिप्टो करेंसी की खरीदफरोख्त को रोकने का आग्रह किया गया है. इसी साल 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की बैंच ने इन याचिकाओं की सुनवाई की. इस में रिजर्व बैंक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि बिटकौइन जैसी क्रिप्टो करेंसी में सौदों की अनुमति देने से गैरकानूनी लेनदेन को बढ़ावा मिलेगा. यह सरकारी नियंत्रण से बाहर की डिजिटल मुद्रा है.
खैर, सुप्रीम कोर्ट का फैसला जब आएगा, तब आएगा. अभी तो हाल यह है कि लोगों को बिटकौइन की डिजिटल मुद्रा में सोने नहीं हीरे जैसी चमक नजर आ रही है. देश भर में रोजाना अरबों रुपए के बिटकौइन की औनलाइन खरीदफरोख्त हो रही है. बिटकौइन के चक्कर में तमाम लोग ठगे भी जा रहे हैं. कई नामीगिरामी हस्तियां बिटकौइन के मामले में फंस चुकी हैं. ऐसे मामलों में फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा भी शामिल हैं. बिटकौइन के चक्कर में खाकी वरदी भी दागदार हुई है. गुजरात की राजधानी अहमदाबाद के बहुचर्चित बिटकौइन मामले में एक एसपी सहित करीब 10 पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए हैं. एक पूर्व विधायक को तो अदालत ने भगोड़ा घोषित कर रखा है. कई बड़े अफसर और नेता भी इस मामले में फंसे हुए हैं.
पिछले दिनों राजस्थान की राजधानी जयपुर में एक महिला थानेदार ने बिटकौइन केस में फंसाने की धमकी दे कर एक औनलाइन फर्म के संचालकों से 50 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी. यह महिला थानेदार रिश्वत की पहली किस्त में 5 लाख रुपए लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार हुई, साथ में उस का वकील पति भी पकड़ा गया था. उस दिन तारीख थी 7 अगस्त. जयपुर के मानसरोवर इलाके के थाना शिप्रापथ में महिला एसआई बबीता चौधरी किसी मुकदमे से संबंधित फाइल देख रही थीं. इसी बीच उन के मोबाइल पर कोई काल आई तो वह अपनी कुरसी से उठ कर थाने के बरामदे में टहलते हुए बात करने लगीं.
बबीता जब मोबाइल पर बात कर रही थीं, तभी उन्होंने एक अच्छी कदकाठी के युवक को थाने के अंदर आते देखा. उस युवक के पास एक बैग था. बबीता युवक को जानती थीं. उस का नाम मोहित (बदला हुआ) था. मोहित ने बबीता को देख लिया था. वह बबीता से ही मिलने आया था. बबीता ने उसे 7 अगस्त को बुलाया था. मोहित को देख कर बबीता ने मोबाइल पर हो रही बात जल्दी खत्म की और मोहित को इशारा कर के अपने पास बुलाया. मोहित ने बबीता के पास पहुंच कर कहा, ‘‘मैडम, मैं अपने वादे का पक्का हूं. आप से जो वादा किया था, उसे पूरा करने आया हूं.’’
‘‘ठीक है.’’ एसआई बबीता ने एक तिरछी नजर डाल कर मोहित के बैग का जायजा लिया. फिर उस से कहा, ‘‘चलो सामने रेस्टोरेंट में बैठ कर चाय पीते हैं, वहीं पर गपशप कर लेंगे.’’
‘‘मैडम, काफी गरमी है, चाय पीने की इच्छा नहीं है, फिर भी आप कह रही हैं तो चाय पी लेते हैं.’’ मोहित ने कहा.
‘‘मोहित, ज्यादा भाव मत खाओ, पुलिस वाले दूसरों से चाय पीते हैं, मैं तो तुम्हें अपने पैसों से चाय पिला रही हूं’’ बबीता ने मोहित को आंखें दिखाईं.
‘‘नहीं मैडम, मैं तो मजाक कर रहा था.’’ मोहित ने एसआई बबीता के नाराजगी वाले हावभाव देख कर कहा.
इसी के साथ बबीता थाने से निकल कर सामने वाले रेस्टोरेंट में चली गईं. मोहित भी उन के पीछेपीछे था. रेस्टोरेंट में उस समय ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी. बबीता ने कोने की टेबल की तरफ इशारा करते हुए मोहित से कहा, ‘‘चलो उस टेबल पर बैठते हैं.’’
टेबल के एक तरफ कुरसी पर बबीता बैठ गई और सामने वाली कुरसी पर मोहित. उन के बैठते ही वेटर टेबल पर आ गया. उस ने 2 गिलास ठंडा पानी रख कर और्डर पूछा. बबीता ने वेटर से 2 कप चाय और कुछ नमकीन लाने को कहा.
वेटर चला गया तो बबीता ने मोहित से पूछा, ‘‘तुम कौन सा वादा पूरा करने की बात कह रहे थे?’’
‘‘मैडम, आप ने जो कहा था, मैं ले आया हूं.’’ मोहित बोला.
बबीता ने पूछा, ‘‘कितने हैं?’’
मोहित ने अपने हाथ की पांचों अंगुलियां दिखाते हुए कहा, ‘‘इस बैग में हैं.’’
‘‘ठीक है.’’ कहते हुए बबीता ने टेबल पर रखा अपना मोबाइल उठा कर एक नंबर मिलाया. 2-3 घंटियां बजने पर दूसरी ओर काल रिसीव कर ली गई. काल रिसीव होने पर बबीता ने कहा, ‘‘डियर, मैं थाने के सामने रेस्टोरेंट पर बैठी हूं, छोटा सा काम है, इधर आ जाओ.’’
‘‘हां, मैं अभी आता हूं.’’ दूसरी ओर से आवाज आई. इतनी देर में वेटर ने चाय के कप ला कर टेबल पर रख दिए. एक प्लेट में नमकीन भी थी. बबीता ने मोहित से कहा, ‘‘लो चाय पीयो.’’
दोनों चाय पीने लगे. इस बीच, बबीता के मोबाइल पर फिर काल आ गई तो वह बात करने लगीं. करीब 10 मिनट बाद जब बात खत्म हुई तब तक बबीता की चाय ठंडी हो चुकी थी. मोहित ने कहा भी कि मैडम आप के लिए दूसरी चाय मंगा लेते हैं. इस पर बबीता बोलीं, ‘‘नहीं रहने दो, आज कई चाय पी चुकी हूं.’’ मोहित चुप हो गया. बबीता प्लेट में रखी नमकीन खाने लगीं. नमकीन खातेखाते बबीता ने मोहित से उस की फर्म और काम धंधे के बारे में पूछा. मोहित ने नपेतुले शब्दों में बबीता की बातों का जवाब दे दिया.
जब दोनों बात कर रहे थे तभी एक आदमी रेस्टोरेंट में आया. उस ने रेस्टोरेंट में इधरउधर झांक कर देखा तो बबीता कोने की टेबल पर नजर आ गईं. उस आदमी को देख कर बबीता ने आवाज दी, ‘‘अमर यहां आ जाओ.’’
वह आदमी बबीता की टेबल पर चला गया. मोहित उसे पहले से जानता था. वह एसआई बबीता का पति अमरदीप चौधरी था. अमरदीप ने वहां खाली पड़ी एक कुरसी पर बैठते हुए मोहित से हाथ मिलाया. फिर बिना किसी औपचारिकता के बबीता से कहा, ‘‘कैसे बुलाया?’’
‘‘अमर, ये मोहित जी का बैग है, इसे ले जाओ. इस में कुछ खास सामान है, संभाल कर रखना.’’ बबीता के कहते ही मोहित ने अमर को बैग दे दिया. अमरदीप बैग ले कर रेस्टोरेंट से बाहर निकला. उस के साथ बबीता और मोहित भी बाहर आ गए. ये लोग जैसे ही रेस्टोरेंट से बाहर आए वैसे ही 4-5 लोगों ने बबीता और अमरदीप को घेर कर पकड़ लिया. बबीता उस समय वरदी में थी. बबीता ने उन लोगों को हड़काया तो उन्होंने कहा कि वे भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी एसीबी से हैं.
एसीबी का नाम सुनते ही बबीता और अमरदीप के चेहरे काले पड़ गए. एसीबी अधिकारियों ने उन की तलाशी ली. तलाशी में 5 लाख रुपए मिले. यह रकम बबीता ने मोहित से रिश्वत के रूप में ली थी. एसीबी अधिकारियों ने 5 लाख रुपए जब्त कर के आवश्यक काररवाई की. इस के बाद बबीता व अमरदीप के घर की तलाशी ली गई. इन लोगों का घर जयपुर के वैशाली नगर में गांधीपथ स्थित गुरु जंभेश्वर नगर में था, तलाशी की काररवाई दूसरे दिन 8 अगस्त को भी चली.
इन के मकान की तलाशी में 5 लाख 81 हजार रुपए नकद मिले. इस के अलावा 19 मकान, दुकान और जमीनों के दस्तावेज भी मिले. इन में 7 मकान, दुकान और जमीनें बबीता और उस के पति के नाम थीं और बाकी दस्तावेज दूसरे लोगों के नाम पर थे. बबीता और उस के पति के नाम की अचल संपत्तियां जयपुर के कालबाड़ रोड, सीकर रोड, निवारू रोड, जगतपुरा, टोंक व देवली आदि में थीं. इतनी अचल संपत्ति होने के बावजूद बबीता अपने परिवार के साथ किराए के मकान में रहती थीं. बबीता के घर से एक लक्जरी गाड़ी, करीब 100 ग्राम सोने के जेवर और ज्वैलरी शोरूम के बिल मिले. इन बिलों के हिसाब से करीब 10 लाख रुपए की ज्वैलरी खरीदी गई थी.
एसीबी अधिकारियों के अनुसार, परिवादी मोहित (बदला हुआ नाम) की ओर से की गई शिकायत और आरोपियों से पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई. वह इस तरह थी. दो युवक जयपुर के महारानी फार्म में स्थित किराए की बिल्डिंग में साइबर नेटिक्स सौल्यूशन नाम की फर्म चलाते थे. उसी औफिस में संचालकों की एक अन्य फर्म भी थी. इस फर्म का काम औनलाइन मार्केटिंग और विज्ञापन डिजाइनिंग का था. फर्म के मैनेजर मोहित ने एसीबी में शिकायत की थी कि उन की फर्म में काम करने वाले सोनू नाम के एक एजेंट ने करीब 3 घंटे फर्म के फोन की रिकौडिंग की थी. इस के अलावा लेनदेन का डेटा भी चुरा लिया था.
सोनू ने यह रिकौर्डिंग और लेनदेन का डेटा एक पेन ड्राइव में एसआई बबीता के पति अमरदीप चौधरी को दे दिया था. अमरदीप वकील भी है. रिकौर्डिंग में अमेरिका सहित कई अन्य देशों से आने वाली काल और बिटकौइन की खरीदफरोख्त का जिक्र था. आरोप है कि अमरदीप इस रिकौर्डिंग के नाम पर बिटकौइन की खरीदफरोख्त करने के मामले में बबीता के मार्फत फर्म के संचालकों को आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज करने की धमकी दे रहा था. अमरदीप करीब 10 दिन पहले फर्म संचालकों से मिला भी था.
अमरदीप और बबीता ने फर्म संचालकों को मुकदमा दर्ज करने से बचाने के लिए 50 लाख रुपए मांगे. दबाव बनाने के लिए एसआई बबीता ने 3 दिन में 15 से ज्यादा बार फोन कर के फर्म संचालकों को थाने बुलाया था. फर्म संचालकों ने पुलिस के पचड़े से बचने के लिए बातचीत शुरू की. उन्होंने नया बिजनेस होने और 50 लाख रुपए देने में असमर्थता जताई तो बबीता ने 45 लाख रुपए किस्तों में देने की बात कही. इस पर फर्म संचालक राजी हो गए. इसी के तहत पहली किस्त के रूप में 5 लाख रुपए 7 अगस्त को देने की बात तय हुई थी.
इस मामले की शिकायत मिलने पर एसीबी के आईजी सचिन मित्तल ने एडिशनल एसपी नरोत्तम लाल वर्मा को जांच सौंपी. एसीबी अधिकारियों ने शिकायत की पुष्टि कराई और पुष्टि होने पर बबीता और अमर को रंगे हाथों पकड़ने के लिए जाल बिछाया. इसी योजना के तहत फर्म के मैनेजर मोहित को एसआई बबीता को 5 लाख रुपए देने के लिए भेजा गया था. आखिर बबीता और उन के पति अमरदीप एसीबी अधिकारियों की पकड़ में आ गए. एसीबी की जांच में यह बात भी सामने आ गई कि फर्म के संचालकों ने डेढ़ साल में बिटकौइन के नाम पर करोड़ों रुपए कमाए थे.
इस फर्म के मैनेजर और संचालक दिल्ली और चंडीगढ़ के रहने वाले थे. इन लोगों ने डेढ़ साल पहले जयपुर आ कर महारानी फार्म के पास डेढ़ लाख रुपए महीना किराए पर बिल्डिंग ले कर साइबरनेटिक्स वेब सौल्यूशन नाम की फर्म शुरू की थी. इस फर्म का दूसरा औफिस जयपुर में शिप्रापथ विजयपथ तिराहे के पास था. फर्म संचालकों ने अपने औफिस में कई युवकयुवतियों को नौकरी पर रखा था. ज्यादातर काम रात को होता था. एसीबी अब इस बात की भी जांच कर रही है कि बबीता और अमरदीप के पास ऐसे कौन से सबूत थे जिन के आधार पर वे फर्म संचालकों को ब्लैकमेल कर रहे थे. एसीबी को जांच में कुछ तथ्य मिले तो इस फर्म के संचालक भी गिरफ्तार हो सकते हैं.
बबीता चौधरी 2010 बैच की पुलिस सबइंपेक्टर थीं. नौकरी में आने के बाद 2 साल के प्रोवेशन पीरियड के बाद उन्हें जयपुर के प्रतापनगर थाने में नियुक्ति मिली थी. उस दौरान बबीता पर रेप का एक केस दर्ज नहीं करने और आरोपियों का पक्ष लेने के आरोप लगे थे. तत्कालीन डीसीपी (ईस्ट) कुंवर राष्ट्रदीप ने इस मामले में बबीता को सस्पेंड कर के एसीपी से जांच कराई थी. जांच में बबीता को दोषमुक्त कर दिया गया. इस पर उन्हें वापस प्रतापनगर थाने में लगा दिया था. बाद में उन्हें पुलिस लाइन भेज दिया गया. करीब 5 महीने पहले ही बबीता को जयपुर कमिशनरेट पुलिस लाइन से शिप्रापथ थाने में लगाया गया था. एसीबी की काररवाई के बाद बबीता को फिर सस्पेंड कर दिया गया.
मजेदार बात यह है कि बबीता के मोबाइल पर उन के पति एडवोेकेट अमरदीप चौधरी का मोबाइल नंबर ट्रूकौलर पर एसीपी क्राइम ब्रांच के नाम से प्रदर्शित होता था. एसीबी ने 8 अगस्त को बबीता और उन के पति अमरदीप को अदालत में पेश कर के न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. सूरत का रहने वाला बिल्डर और कारोबारी शैलेश भट्ट और उस का पार्टनर किरीट पालडिया डिजिटल करेंसी बिटकौइन की डील करते थे. शैलेश भट्ट नवंबर 2016 में नोटबंदी के दौरान सूरत के व्यापारी किरीट पालडि़या के संपर्क में आया था. किरीट ने ही भट्ट को बिटकौइन में पैसा निवेश करने की सलाह दी. बाद में भट्ट और किरीट पार्टनरशिप में बिटकौइन की डील करने लगे थे. कुछ समय बाद दोनों की पार्टनरशिप टूट गई थी.
इसी साल फरवरी के महीने में पुलिस इंसपेक्टर अनंत पटेल ने अपनी पुलिस टीम के साथ अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच एक पैट्रोल पंप से भट्ट और उस के 2 साथियों को उठा कर बंधक बना लिया था. इन लोगों को एक फार्महाउस में रखा गया. इस दौरान पुलिस इंसपेक्टर अनंत पटेल ने एनकाउंटर की धमकी दे कर शैलेश के वौलेट से 200 बिटकौइन अपने मोबाइल के जरिए किरीट पालडि़या के खाते में ट्रांसफर करवा लिए. इन बिटकौइन की कीमत करीब 12 करोड़ रुपए बताई गई. इस के बाद पुलिस इंसपेक्टर ने इन लोगों को छोड़ने के एवज में भट्ट से 32 करोड़ रुपए की फिरौती मांगी.
बिल्डर भट्ट ने फिरौती की रकम पहुंचाने का आश्वासन दिया. इस के बाद पुलिस ने भट्ट और उस के साथियों को छोड़ दिया. बाद में बिल्डर शैलेश भट्ट ने इस मामले की शिकायत गुजरात सरकार और सीआईडी क्राइम ब्रांच में कर दी. भट्ट ने आरोप लगाया कि इस मामले में उस के पुराने पार्टनर किरीट पालडि़या और गुजरात के पूर्व विधायक नलिन कोटडि़या के अलावा स्टेट सीबीआई के एक अधिकारी का भी हाथ है. करीब एक महीने की जांचपड़ताल के बाद गुजरात के अमरेली जिले के पुलिस इंसपेक्टर अनंत पटेल सहित 8 पुलिसकर्मियों और सूरत के एक वकील और जमीनों के दलाल केतन पटेल के खिलाफ केस दर्ज किया गया. बाद में इस केस में अमरेली के एसपी जगदीश पटेल और अन्य लोगों के नाम भी जोडे़ गए.
गुजरात पुलिस की सीआईडी क्राइम ब्रांच ने इस मामले में सब से पहले 8 अप्रैल को अमरेली जिला पुलिस की लोकल क्राइम ब्रांच के हैडकांस्टेबल बाबूभाई डेर और कांस्टेबल विजय वाढेर व सूरत के वकील केतन पटेल को गिरफ्तार किया. बाद में 19 अप्रैल को पुलिस इंसपेक्टर अनंत पटेल को भी गिरफ्तार कर लिया गया. इस मामले में तब महत्त्वपूर्ण मोड़ आ गया जब गिरफ्तार पुलिस इंसपेक्टर अनंत पटेल ने यह खुलासा किया कि बिटकौइन हड़पने का षडयंत्र एसपी जगदीश पटेल के निर्देश पर रचा गया था. इस खुलासे के बाद सीआईडी क्राइम ब्रांच ने एसपी को पूछताछ के लिए बुलाया, लेकिन वह नहीं आए.
इस के बाद सीआईडी क्राइम ब्रांच की टीम अमरेली में उन के आवास पहुंची और पूछताछ के लिए मुख्यालय ले गई. करीब 18 घंटे लंबी पूछताछ के बाद अमरेली के एसपी जगदीश पटेल को 23 अप्रैल को गिरफ्तार कर लिया गया. इस दौरान क्राइम ब्रांच के मुखिया आशीष भाटिया ने दावा किया कि इस मामले का मुख्य सूत्रधार एसपी जगदीश पटेल ही था. जांच एजेंसी के पास इस के सबूत हैं. गुजरात के बहुचर्चित सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले के बाद पहली बार किसी आईपीएस औफिसर की गिरफ्तारी हुई थी. जांच में सामने आया कि एसपी जगदीश पटेल ने शैलेश भट्ट के पास बिटकौइन होने की जानकारी मिलने पर इंसपेक्टर अनंत पटेल को उसे उठाने को कहा था. एसपी के निर्देश पर इंसपेक्टर अनंत अमरेली से गांधीनगर आया था.
बिटकौइन और पैसों के लेनदेन के मामले में एसपी ने वकील केतन पटेल और अनंत पटेल से मोबाइल पर बातचीत की थी. पैसे लेने के लिए अमरेली के 6 पुलिसकर्मी मुंबई गए थे. वहां से ये लोग इनोवा कार से भरूच गए थे. पुलिसकर्मियों को भरूच से लाने के लिए एसपी जगदीश पटेल के आदेश पर अमरेली पुलिस की एक गाड़ी भरूच भेजी गई थी. सीआईडी क्राइम ब्रांच ने इस मामले में अप्रैल में ही पूर्व विधायक नलिन कोटडि़या के भतीजे संजय कोटडि़या से भी पूछताछ की थी. इस से पूर्व विधायक कोटडि़या पर दबाव बढ़ने लगा तो कोटडि़या ने दावा किया कि शैलेश भट्ट ने सूरत के पीयूष सावलिया और धवल मवाणी का अपहरण कर के 240 करोड़ रुपए के 2300 बिटकौइन हड़प लिए थे.
बाद में पीयूष सावलिया ने सीआईडी क्राइम ब्रांच व सरकार को हलफनामा भेज कर पूर्व विधायक के दावे को झुठला दिया. इस से पूर्व विधायक नलिन कोटडि़या को करारा झटका लगा. इस बीच, मई के पहले सप्ताह में सीआईडी क्राइम ब्रांच ने किरीट पालडि़या को भी गिरफ्तार कर लिया. इस के अलावा पूर्व विधायक कोटडि़या के करीबी समझे जाने वाले राजकोट निवासी ननकूभाई आहिर को गिरफ्तार करने पर 25 लाख रुपए की नकदी बरामद हुई. यह रकम किरीट पालडि़या ने पूर्व विधायक को दी जाने वाली 66 लाख रुपए की राशि के हिस्से के तौर पर ननकूभाई के पास भेजी थी. मई के दूसरे सप्ताह में सीआईडी क्राइम ब्रांच ने शैलेश भट्ट को धमकी दे कर ट्रांसफर करवाए गए बिटकौइन में से 119 बिटकौइन किरीट पालडि़या के वौलेट से जब्त कर लिए.
सीआईडी क्राइम ब्रांच ने पूर्व विधायक नलिन कोटडि़या को पूछताछ के लिए बुलाने के लिए सम्मन भी भेजे, लेकिन वह हाजिर नहीं हुए. ननकूभाई से 25 लाख रुपए जब्त किए जाने के बाद कोटडि़या ने सोशल मीडिया के माध्यम से बयान दे कर खुद के एनकाउंटर की आशंका जताई. उन्होंने कहा कि बिटकौइन मामले में सबूत मिटाने के लिए उन का एनकाउंटर किया जा सकता है. अहमदाबाद स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की विशेष अदालत ने बिटकौइन मामले में 18 जून को पूर्व विधायक नलिन कोटडि़या को भगोड़ा घोषित कर दिया. इसी मामले में 27 जुलाई को अमरेली के 7 अन्य पुलिसकर्मियों को भी गिरफ्तार किया गया.
कांग्रेस ने नोटबंदी के बाद गुजरात में बिटकौइन के जरिए 5 हजार करोड़ से ज्यादा के घोटाले और इस में भाजपा के नेताओं के शामिल होने का आरोप लगाते हुए इस की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की. इस पूरे मामले की जांच के दौरान शैलेश भट्ट के भी बडे़ पैमाने पर बिटकौइन धोखाधड़ी में शामिल होने की बातें सामने आईं. इसलिए जांच एजेंसी भट्ट के खिलाफ भी शिकंजा कस सकती है. गिरफ्तार वकील केतन पटेल के छोटे भाई जतिन पटेल इस मामले में फरार हैं. अदालत ने उस की गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया है.
बहरहाल, सीआईडी इस मामले की करीब 6 महीने से जांच कर रही है. अब तक एक दरजन से ज्यादा गिरफ्तारियां हो चुकी हैं. 3 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. इन में एक मुकदमे में शैलेश भट्ट भी आरोपी है. आईपीएस औफिसर, पूर्व विधायक और बड़े कारोबारियों के अलावा पुलिसकर्मियों के लिप्त होने से यह मामला अब हाईप्रोफाइल बन चुका है. इस से बिटकौइन की चकाचौंध कम होने के बजाए बढ़ी है. भारत में बिटकौइन की चमक अभी कायम रहेगी या घटेगी, यह सुप्रीम कोर्ट में 11 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई में तय हो सकता है.