तिरुपति भारत के प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में एक है. आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुपति शहर में हर साल लाखों की तादाद में दर्शनार्थी आते हैं. समुद्र तल से करीब 3200 फीट की ऊंचाई पर तिरुमला की पहाडि़यों पर बना श्री वेंकटेश्वर मंदिर यहां का सब से बड़ा आकर्षण है.
कई शताब्दी पहले बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है. तिरुपति आने वाले हरेक श्रद्धालु की सब से बड़ी इच्छा श्री वेंकटेश्वर के दर्शन करने की होती है. इस के अलावा भी यहां कई अन्य मंदिर हैं.
इन मंदिरों में सामान्य दिनों में देशविदेश से रोजाना हजारोंलाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. इसलिए तिरुपति को दक्षिण भारत की सब से बड़ी धार्मिक नगरी भी कहा जाता है.
इसी धार्मिक नगरी में सब से बड़ा सरकारी अस्पताल है. इस का नाम श्री वेंकटा रमाना रुईया (एसवीआरआर) है. इस 23 जून, 2021 को अस्पताल के पिछवाड़े एक जला हुआ सूटकेस पड़ा होने की सूचना पुलिस को मिली.
सूचना पर तिरुपति के अलिपिरी थाने की पुलिस मौके पर पहुंची. पुलिस ने उस बड़े से सूटकेस का मुआयना किया. सूटकेस जला हुआ था. उस में से किसी इंसान का जला हुआ शव नजर आ रहा था.
पुलिस ने सूटकेस से शव को निकलवाया. शव पूरी तरह जला हुआ था. कई जगह से चमड़ी और मांस भी जल चुका था. केवल हड्डियां बची हुई थीं. मामला बेहद गंभीर था.
अलिपिरी थाने की पुलिस ने अपने उच्चाधिकारियों को इस की सूचना दी. इस के बाद पुलिस के आला अफसर भी मौके पर पहुंच गए.
पुलिस अधिकारियों ने शव का मुआयना किया, लेकिन जला हुआ शव देख कर यह भी पता नहीं चल रहा था कि यह पुरुष का है या महिला का.
ऐसी हालत में शव की शिनाख्त होना तो दूर की बात थी. मौके से पुलिस को ऐसी कोई संदिग्ध चीज नहीं मिली, जिस से मृतक या शव फेंकने वाले के बारे में कोई सुराग मिलता.
पुलिस अधिकारियों ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला से फोरैंसिक टीम बुलाई. फोरैंसिक वैज्ञानिकों ने कुछ साक्ष्य जुटाए. इस के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए इसी अस्पताल की मोर्चरी में भेज दिया गया.
डाक्टरों ने पोस्टमार्टम के बाद केवल इतना बताया कि शव किसी महिला का है और उस की उम्र 25 से 30 साल के बीच है. इस के बाद तिरुपति के अलिपिरी पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
डाक्टरों की रिपोर्ट से पुलिस को बहुत ज्यादा मदद नहीं मिली. पुलिस अधिकारी हैरान थे कि धार्मिक नगरी में ऐसा जघन्य कांड किस ने और क्यों किया? महिला का शव होने से अधिकारी इस बात पर विचार करने लगे कि कहीं यह कोई प्रेम प्रसंग का मामला तो नहीं है?
शव की शिनाख्त में जुटी पुलिस
सब से पहले यह पता करना जरूरी था कि शव किस का था? इस के लिए पुलिस अधिकारियों ने तिरुपति सहित चित्तूर जिले के सभी थानों और आसपास की पुलिस को सूचना दे कर यह पता कराया कि किसी महिला के लापता या गुमशुदा होने की कोई रिपोर्ट तो हाल ही दर्ज नहीं हुई है.
लगभग सभी थानों से पुलिस को न में ही जवाब मिला. 2-4 थानों से लापता महिलाओं की सूचना मिली, लेकिन वे उस उम्र के दायरे में नहीं आ रही थी.
पुलिस की कई टीमें मृतका की शिनाख्त करने और कातिल का पता लगाने की कोशिशों में जुटी हुई थीं, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल रहा था. 2-3 दिन बीत गए.
पुलिस के लिए यह मर्डर मिस्ट्री बन गई थी. यह तय था कि महिला की हत्या कर सोचीसमझी साजिश के तहत सूटकेस में रख कर शव जलाया गया है ताकि कोई सबूत नहीं बचे.
मतलब कातिल जो भी हो, वह शातिर दिमाग था. जांचपड़ताल में पुलिस अधिकारियों को खयाल आया कि सूटकेस में शव जलाया गया है तो यह भारीभरकम सूटकेस किसी वाहन में रख कर लाया गया होगा.
यह खयाल आते ही अधिकारियों ने एसवीआरआर अस्पताल परिसर और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखने का फैसला किया.
सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद पुलिस को पता चला कि एक व्यक्ति टैक्सी से भारीभरकम सूटकेस ले कर अस्पताल आया था. उस व्यक्ति के साथ डेढ़दो साल की एक छोटी बच्ची थी. टैक्सी से लाल रंग के उस ट्रौली सूटकेस को उतारने के बाद वह व्यक्ति उसे पहियों के सहारे खींचता हुआ अस्पताल के पिछवाड़े ले गया था.
कैमरे की ये फुटेज मिलने पर इस मर्डर मिस्ट्री में उम्मीद की कुछ किरण नजर आई. पुलिस के लिए उस व्यक्ति की तलाश करना ज्यादा मुश्किल काम था. इसलिए सब से पहले उस टैक्सी वाले का पता लगाया गया. 1-2 दिन की भागदौड़ के बाद पुलिस को वह टैक्सी वाला मिल गया.
पुलिस ने उस से पूछताछ की, तो पता चला कि 22 जून की रात एक व्यक्ति उस की टैक्सी में लाल रंग का ट्रौली वाला सूटकेस रख कर लाया था. सूटकेस भारीभरकम था. उसे खींचने में उसे जोर लगाना पड़ रहा था. उस व्यक्ति के साथ डेढ़दो साल की एक बच्ची भी थी.
अस्पताल में उस व्यक्ति ने टैक्सी से सूटकेस उतारा. बच्ची उस समय सो गई थी. इसलिए उस व्यक्ति ने टैक्सी वाले से कहा कि मुझे यह सूटकेस किसी को देना है. मैं कुछ देर में आता हूं. यह बच्ची सो गई है. इसलिए इसे टैक्सी में छोड़ जाता हूं.
टैक्सी ड्राइवर से मिला सुराग
उस व्यक्ति ने टैक्सी वाले को रुकने के एवज में और बच्ची का ध्यान रखने के लिए कुछ पैसे देने का वादा किया.
टैक्सी वाले ने पैसों के लालच में हामी भर दी. इस के बाद वह व्यक्ति पहियों के सहारे उस ट्रौली बैग को खींचते हुए ले गया.
करीब आधे घंटे बाद वह व्यक्ति वापस आया. तब तक बच्ची टैक्सी में सोती हुई ही मिली. यह देख कर उस ने टैक्सी वाले को धन्यवाद दिया और वापस चलने के लिए टैक्सी में सवार हो गया. टैक्सी वाला उस व्यक्ति को जहां से लाया था, उसी जगह वापस छोड़ आया.
उस व्यक्ति ने बच्ची को गोद में उठाया और टैक्सी से उतर कर किराए का हिसाब किया. इस के बाद वह व्यक्ति लंबेलंबे डग भरता हुआ तेजी से एक तरफ चला गया. उस व्यक्ति को जाता देख कर टैक्सी वाला भी वहां से चल दिया.
टैक्सी वाले से पुलिस को काफी कुछ सुराग मिल गया था. अब उस व्यक्ति का पताठिकाना तलाश करना बाकी था. टैक्सी वाले ने उस व्यक्ति को जिस जगह छोड़ा था, पुलिस ने उस के आसपास के इलाकों में लोगों को फोटो दिखा कर उस व्यक्ति की तलाश शुरू कर दी.
इस काम में पुलिस की कई टीमें लगाई गईं. इस से परिणाम भी जल्दी ही सामने आ गए. पता चला कि उस व्यक्ति का नाम श्रीकांत रेड्डी था. यह भी पता चल गया कि सूटकेस में जिस महिला का जला हुआ शव मिला था, वह करीब 26-27 साल की उस की पत्नी भुवनेश्वरी थी.
पुलिस को अब श्रीकांत रेड्डी की तलाश थी. इस बीच भुवनेश्वरी की एक रिश्तेदार महिला पुलिस एसआई ममता ने अपने स्तर पर जुटाए कुछ सीसीटीवी फुटेज अलिपिरी थाना पुलिस को उपलब्ध करा दिए.
इन फुटेज से श्रीकांत के अपराधी होने की पुष्टि हो गई. पुलिस ने मोबाइल लोकेशन के आधार पर पता कर 30 जून को श्रीकांत रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया.
श्रीकांत से पुलिस की पूछताछ और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर भुवनेश्वरी की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार निकली—
श्रीकांत रेड्डी आंध्र प्रदेश के कडपा जिले के बडवेल का रहने वाला था और भुवनेश्वरी चित्तूर जिले के रामासमुद्रम गांव की रहने वाली थी. भुवनेश्वरी एक सौफ्टवेयर इंजीनियर थी. वह हैदराबाद शहर में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज में नौकरी करती थी. श्रीकांत भी टेक्नो इंजीनियर था. वह भी हैदराबाद की एक कंपनी में काम करता था.
एक ही प्रोफैशन में होने के कारण दोनों में पहले यारीदोस्ती हुई. यह दोस्ती बाद में प्यार में बदल गई. दोनों ने शादी करने का फैसला किया. वर्ष 2019 के शुरू में उन्होंने शादी कर ली. दोनों हैदराबाद में रहते थे. पतिपत्नी दोनों इंजीनियर थे. वेतन भी ठीकठाक था. इसलिए किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी. भुवनेश्वरी भी खुश थी और श्रीकांत भी.
आपसी झगड़े में उड़नछू हो गया लव
दोनों की खुशियां तब और बढ़ गईं, जब 2019 के आखिर में उन के घर एक नन्ही परी ने जन्म लिया. हालांकि पतिपत्नी दोनों नौकरीपेशा थे, लेकिन फिर भी बेटी के जन्म से उन की खुशियों की दुनिया और ज्यादा रंगीन हो गई.
बेटी 4 महीने की हुई थी कि देश में कोरोना की पहली लहर आ गई. इस पहली लहर में पिछले साल श्रीकांत की नौकरी छूट गई. कुछ दिन तो घर में ठीकठाक चलता रहा, लेकिन बाद में पतिपत्नी के बीच झगड़े होने लगे. झगड़े का कारण था कि श्रीकांत अपने तमाम तरह के खर्चे के पैसे भुवनेश्वरी से लेता था.
भुवनेश्वरी उसे पैसे तो दे देती, लेकिन वह उस से कोई कामधंधा भी करने को कहती थी. स्थितियां ऐसी रहीं कि श्रीकांत को कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली.
वह पत्नी पर ही आश्रित रहने लगा. भुवनेश्वरी भी आखिर कब तक उसे शौक पूरे करने के लिए पैसे देती? नतीजतन घर में रोजाना किसी न किसी बात पर झगड़े होने लगे.
इस बीच, इस साल कोरोना की दूसरी लहर आ गई. छोटीबड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों से वर्क फ्रौम होम शुरू करा दिया. भुवनेश्वरी भी घर से ही कंपनी का काम करने लगी. खर्चे कम करने के लिए इसी साल भुवनेश्वरी और श्रीकांत हैदराबाद से तिरुपति आ कर रहने लगे.
तिरुपति में दोनों पतिपत्नी अपनी सवाडेढ़ साल की बेटी के साथ एक अपार्टमेंट में रहते थे. तिरुपति आने के बाद भी श्रीकांत निठल्ला बना रहा. उस के निठल्लेपन के कारण घर में झगड़े बढ़ते जा रहे थे. पत्नी उसे कई बार पैसे देने से मना कर देती थी. इस से श्रीकांत चिढ़ जाता था.
पत्नी की पाबंदियों और रोज की रोकटोक से श्रीकांत के मन में उस के प्रति घृणा बढ़ती गई. लिहाजा उस ने भुवनेश्वरी को ठिकाने लगाने का फैसला किया.
गला दबा कर मारा था पत्नी को
22 जून, 2021 को भुवनेश्वरी जब अपने फ्लैट में सो रही थी तो श्रीकांत ने तकिए से गला दबा कर उसे मौत की नींद सुला दिया.
पत्नी की सांसें थमने के बाद वह उस का शव ठिकाने लगाने के बारे में सोचने लगा. काफी सोचविचार के बाद उस ने घर में रखा एक लाल रंग का बड़ा ट्रौली सूटकेस निकाला और उस में भुवनेश्वरी की लाश बंद कर दी.
वह अपनी डेढ़ साल की बेटी के बारे में सोचने लगा. वह उस मासूम को अकेला कहीं छोड़ कर भी नहीं जा सकता था और उस को मारना भी नहीं चाहता था.
शाम का धुंधलका होने पर श्रीकांत ने बेटी को गोद में उठाया और भुवनेश्वरी की लाश वाला ट्रौली सूटकेस बाहर निकाल कर फ्लैट में ताला लगाया. वह लिफ्ट के सहारे ट्रौली सूटकेस ले कर नीचे आया और गलियारे से हो कर अपार्टमेंट से बाहर निकल गया.
बाहर सड़क पर आ कर उस ने टैक्सी ली. उस में वह सूटकेस रखा. बेटी को गोद में लिए हुए वह टैक्सी से एसवीआरआर अस्पताल पहुंचा और टैक्सी वाले को रुकने को कह कर सूटकेस ले कर चला गया. मासूम बेटी को वह टैक्सी में ही सोते हुए छोड़ गया.
सूटकेस को धकेलता हुआ वह अस्पताल के पिछवाड़े ले गया. वहां अंधेरा और घासफूस थी. सूटकेस को एक कोने में ले जा कर उस ने उस पर अपने साथ लाया हुआ पैट्रोल छिड़क दिया और आग लगा दी. आग लगाने के बाद वह छिप कर खड़ा हो गया और सूटकेस को जलता हुआ देखता रहा.
करीब आधे घंटे बाद जब उसे यह इत्मीनान हो गया कि अब पत्नी की लाश जल गई होगी और उस की पहचान नहीं हो सकेगी, तब वह वहां से चल दिया. टैक्सी के पास पहुंच कर उस ने पीछे की सीट पर सोई मासूम बेटी को संभाला. फिर उसी टैक्सी में सवार हो कर वापस उसी जगह उतर गया, जहां से सूटकेस ले कर बैठा था.
दूसरे दिन श्रीकांत ने अपने रिश्तेदारों को यह बता दिया कि भुवनेश्वरी कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट से संक्रमित थी. इस से उस की मौत हो गई ओर कोरोना संक्रमित होने के कारण अस्पताल वालों ने ही उस का अंतिम संस्कार कर दिया.
भुवनेश्वरी के पीहरवालों को हालांकि इस बात पर भरोसा नहीं हो रहा था, लेकिन उन्होंने श्रीकांत की बात पर मजबूरी में विश्वास कर लिया. क्योंकि वे कोरोना के कहर को जानते थे. इस बीच श्रीकांत फ्लैट से फरार हो गया.
भुवनेश्वरी की एक रिश्तेदार ममता प्रशिक्षु सबइंसपेक्टर है. उसे भुवनेश्वरी की मौत का पता चला तो उसे भरोसा नहीं हुआ. चूंकि वह पुलिस अधिकारी थी, इसलिए उस ने अपने तरीके से इस की खोजबीन की और जिस अपार्टमेंट में वह रहता था, वहां की सीसीटीवी फुटेज खंगाले तो सारे सबूत मिल गए.
तमाम सबूतों के आधार पर आरोपी श्रीकांत पकड़ा गया. कथा लिखे जाने तक वह जेल में था.
इंजीनियर श्रीकांत ने अपने निठल्लेपन के कारण सौफ्टवेयर इंजीनियर पत्नी के खून से अपने हाथ तो रंग ही लिए. साथ ही डेढ़ साल की मासूम बेटी के सिर से ममता का आंचल भी छीन लिया.