मीनू की शादी दमकल विभाग में फायरमैन लल्लू सिंह के साथ कर के परिवार के सब लोग खुश थे. लल्लू सिंह हर तरह से मीनू का खयाल रखता था. इसी बीच एक ऐसी घटना घटी कि मीनू के इकलौते भाई धर्मेंद्र सिंह यादव ने न सिर्फ मीनू बल्कि उस के पति और दोनों बच्चों की हत्या कराने के लिए बदमाशों को 10 लाख की सुपारी भी दे दी. आखिर, धर्मेंद्र के दिल में ऐसी कौन सी आग धधक रही थी? पढ़ें, यह दिलचस्प कहानी.
मीनू ने अपने मायके आनाजाना शुरू किया तो पूरे गांव में उस के प्रेम प्रपंच और भागने की चर्चाएं शुरू हो गईं. पुराने घाव हरे हुए तो भाई धर्मेंद्र यादव तिलमिला उठा. गांव में अब फिर से उस की बदनामी होने लगी थी. एक रोज तो हद ही हो गई जब उस के दोस्त ने उसे धिक्कारा, ”धर्मेंद्र, तू कैसा मर्द है. तूने तो यदुवंशियों की नाक ही कटवा दी. यदि मेरी बहन भाग कर वापस आती तो मैं उसे व भगाने वाले को ऐसा सबक सिखाता कि वह ताउम्र नहीं भूलते.’’
दोस्त की बात धर्मेंद्र के दिल में उतर गई. वह मीनू और उस के प्रेमी सूरज को सबक सिखाने की कसम तो पहले ही खा चुका था. लेकिन बेइज्जती का बदला लेने के लिए अब धर्मेंद्र ने सूरज के पूरे परिवार को ही खत्म करने का निश्चय किया. इस के लिए वह सुपारी किलर की तलाश में जुट गया. कुछ समय बाद धर्मेंद्र को अपराधी चतुर सिंह व वीर सिंह के बारे में पता चला. दोनों कुछ दिनों पहले ही जेल से छूट कर आए थे. चतुर सिंह कानपुर देहात के सिकंदरा कस्बे का रहने वाला था, जबकि वीर सिंह कानपुर देहात के किशनपुर गांव में रहता था. वीर सिंह चतुर सिंह का साढ़ू था. दोनों हार्ड क्रिमिनल थे.
धर्मेंद्र सिंह ने एक शाम चतुर सिंह व वीर सिंह से मुलाकात की. धर्मेंद्र ने उन्हें पूरी बात बताई और बहन मीनू के परिवार को मिटाने की बात कही. काफी देर तक चतुर सिंह सोचता रहा, फिर हत्या की सुपारी लेने को राजी हो गया. इस के बाद धर्मेंद्र ने बहन के परिवार को मिटाने के लिए 10 लाख रुपए की सुपारी चतुर सिंह को दे दी. 3 लाख रुपए बतौर एडवांस उस ने चतुर सिंह को दे भी दिए और बाकी रकम काम तमाम होने के बाद देने का वादा किया. इस के बाद चतुर सिंह ने हत्या की योजना में साढ़ू वीर सिंह के अलावा अपने फूफा जगमोहन उर्फ कल्लू तथा कार ड्राइवर संजीव को भी शामिल कर लिया.
जगमोहन उर्फ कल्लू कानपुर देहात के गांव महकापुर का रहने वाला था, जबकि संजीव कानपुर देहात के मंगलपुर कस्बे का रहने वाला था. वह अपनी निजी कार का प्रयोग शादीबारात व धार्मिक स्थानों पर जाने के लिए करता था. अपनी योजना को अंजाम देने के लिए चतुर सिंह ने सब से पहले गुजैनी स्थित उस मकान का पता लगाया, जहां मीनू अपने पति सूरज व बच्चों के साथ रहती थी. चतुर सिंह मीनू के घर के पासपड़ोस में ही किराए का कमरा ले कर उस के परिवार से निकटता बढ़ाना चाहता था. एक दिन वह कमरे की तलाश में मीनू के घर के बाहर चहलकदमी कर रहा था, तभी मीनू के पति सूरज की निगाह उस पर पड़ी. उस ने पूछा, ”चाचा, कुछ परेशान लग रहे हो. किसे खोज रहे हो?’’
चतुर सिंह गमछे से पसीना पोंछता हुआ बोला, ”बेटा, मुुझे एक किराए के कमरे की तलाश है. कई दिनों से ढूंढ रहा हूं. लेकिन कोई सही कमरा मिल नहीं रहा है.’’
सूरज बोला, ”चाचा, इस मकान के ग्राउंड फ्लोर पर एक कमरा खाली तो है, लेकिन मुझे उस के लिए मकान मालिक से बात करनी पड़ेगी. तुम एकदो दिन बाद आना.’’
इस के बाद सूरज ने मकान मालिक अरविंद से बात की फिर चतुर सिंह को वह कमरा किराए पर दिलवा दिया.
हत्यारे ने पहले क्यों सूरज का जीता दिल
किराए का कमरा लेने के बाद चतुर सिंह ने सूरज के परिवार से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी. वह उन के बच्चों से खूब प्यार जताता तथा उन्हें खिलाता, टौफी, बिसकुट व नमकीन ला कर देता. मीनू व सूरज उसे चाचा कह कर बुलाते थे. वह उस के खानपान का भी खयाल रखता था. जल्द ही चतुर सिंह ने उन का भरोसा जीत लिया. इस बीच वह संजीव की कार से सूरज व उस के परिवार को चित्रकूट के दर्शन भी करा लाया था. भरोसा जीतने के बाद चतुर सिंह ने सूरज के परिवार को मिटाने के लिए एक बार फिर योजना बनाई. इस योजना में वीर सिंह, जगमोहन उर्फ कल्लू, संजीव के अलावा मीनू का भाई धर्मेंद्र भी शामिल हुआ. योजना बनी कि सूरज को परिवार सहित चित्रकूट के दर्शन के बहाने कार से ले जाया जाए, फिर रास्ते में ही सब को निपटा दिया जाए.
इस के बाद चतुर सिंह ने मीनू से चित्रकूट दर्शन के लिए जाने की बात कही तो वह राजी हो गई. उस ने अपने पति सूरज को भी राजी कर लिया. इस के बाद वे तैयारी में जुट गए. योजना के तहत 21 सितंबर, 2024 की शाम संजीव अपनी 7 सीटर अर्टिगा कार ले कर गुजैनी पहुंचा. कार में चतुर सिंह व वीर सिंह भी थे. सूरज अपनी पत्नी मीनू व 10 वर्षीय बेटे तथा 3 वर्षीया बेटी के साथ जैसे ही कार में सवार हुआ, वैसे ही कार चल पड़ी. जोल्हूपुर मोड़ पर चतुर सिंह ने अपने रिश्ते के फूफा जगमोहन उर्फ कल्लू को भी कार में बिठा लिया.
इस के बाद चित्रकूट दर्शन के लिए संजीव ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर राठ के लिए कार दौड़ा दी. राठ क्रास करते ही चतुर सिंह व जगमोहन सूरज व उस की पत्नी मीनू के गले में गमछा डाल दिया और कसने लगे. सूरज संघर्ष कर चलती कार से कूद गया. उस के बाद चतुर सिंह व जगमोहन ने मीनू का गला घोंट दिया और शव को गोहांड कस्बे के आगे सड़क किनारे खेत की झाडिय़ों में फेंक दिया. इसी बीच वीर सिंह ने 10 वर्षीय बेटे का गला बेल्ट से कसा और उसे मरा समझ कर सड़क किनारे फेंक दिया. फिर संजीव ने कार को वापस कानपुर की ओर मोड़ दी. औरैया के इंडियन आयल पेट्रोल पंप के पास चतुर सिंह ने मासूम बेटी को उतार दिया. उस के बाद सब फरार हो गए.
सूरज रात भर सड़क किनारे दर्द से कराहता रहा. सुबह होते ही वह उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के थाना जरिया पहुंचा. थाने पर उस समय एसएचओ भरत कुमार मौजूद थे. सूरज ने उन्हें सारी बात बताई और आशंका जाहिर की कि उन बदमाशों ने या तो उस की पत्नी व बच्चों का अपहरण कर लिया है या फिर उन्हें मार डाला है. आप रिपोर्ट दर्ज कर बीवीबच्चों की खोज करें.
पुलिस ऐसे पहुंची हत्यारों तक
मामला बड़ा ही गंभीर व पेचीदा था. इसलिए एसएचओ भरत कुमार ने सूचना जिले के पुलिस अधिकारियों को दी. सूचना पाते ही एसपी दीक्षा शर्मा थाना जरिया आ गईं. उन्होंने पहले पीडि़त सूरज से पूछताछ की फिर उस के बीवीबच्चों की खोज के लिए पुलिस टीम का गठन कर दिया. इस टीम में एसएचओ भरत कुमार, एसआई रमाकांत शुक्ला, हैडकांस्टेबल शिवेंद्र सिंह, कपिल कुमार, बृजेश कुमार, एसओजी के एसआई सचिन शर्मा तथा सर्विलांस सेल के कांस्टेबल अतुल कुमार, उमाशंकर व सुरेंद्र मिश्रा को शामिल किया गया.
गठित पुुलिस टीम ने जांच शुरू की. जांच करते पुलिस टीम कानपुर टोल प्लाजा पहुंची और सीसीटीवी फुटेज खंगाला. फुटेज में सूरज ने कार पहचान ली. कार नंबर के आधार पर टीम ने संजीव को कार सहित मंगलपुर से धर दबोचा. उसे थाना जरिया लाया गया. उस ने पूछताछ में बताया कि उस का कोई कुसूर नहीं है. वह डर गया था. बदमाश जैसा कह रहे थे, वह वैसा ही कर रहा था. उस ने बताया कि बदमाशों ने कार में बैठी महिला का गला कस कर मार डाला था और शव को सड़क किनारे फेंक दिया था. संजीव की निशानदेही पर पुलिस टीम ने मृतक महिला का शव गोहांड कस्बे से 100 मीटर दूर सीएचसी के पास खेत की झाडिय़ों से बरामद कर लिया.
इस शव को सूरज ने देखा तो बताया कि शव उस की पत्नी मीनू उर्फ अमन का है. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर शव को पोस्टमार्टम हाउस भिजवा दिया. इसी बीच पुलिस टीम को डायल 112 पुलिस से सूचना मिली कि एक 10 वर्षीय बालक बदहवासी हालत में सड़क के किनारे मिला है. उस के गले पर खरोंच के निशान हैं. पुलिस तब उसे थाना जरिया लाई. थाने में सूरज को देख कर वह बच्चा उस से लिपट कर रो पड़ा. सूरज भी रोने लगा. वह सूरज का बेटा था. सूरज को बेटा तो सहीसलामत मिल गया था, लेकिन मासूम बेटी का अभी तक पता न चला था. पुलिस ने कार ड्राइवर की बातों पर विश्वास कर लिया था. फिर भी सूचना छिपाने के जुर्म में उसे जेल भेज दिया. उस की कार को जब्त कर लिया.
दोनों बच्चे ऐसे मिले सहीसलामत
इधर औरैया में इंडियन आयल पेट्रोल पंप के पास लोगों ने मासूम बच्ची को रोते देखा तो उन्होंने सूचना पुलिस को दी. पुलिस ने उस बच्ची से नाम पता पूछा तो वह कुछ भी नहीं बता सकी. तब पुलिस ने पहचान करने के लिए उस का फोटो सोशल मीडिया पर डाल दिया. इस फोटो को जब सूरज ने देखा तो औरैया पहुंचा. उस ने पुलिस को पूरी घटना बताई और कहा यह बच्ची उस की बेटी है. बेटी भी अपने पापा से लिपट कर रोने लगी. बेटी मिलने की सूचना सूरज ने जरिया पुलिस को दे दी. दोनों बच्चों को सहीसलामत पा कर सूरज ने थोड़ा संतोष व्यक्त किया.
पुलिस टीम अब महिला के कातिलों को पकडऩे के लिए जीजान से जुट गई. टीम ने अनेक संभावित स्थानों पर ताबड़तोड़ छापे मार कर कई संदिग्धों को पकड़ा. उन से पूछताछ की. लेकिन कुछ पता नहीं चला. तब पुलिस ने खबरियों का जाल बिछाया और सर्विलांस की मदद ली. 9 अक्तूबर, 2024 की सुबह पुलिस टीम को एक मुखबिर ने सूचना दी कि गोहांड तिराहे के पास 2 संदिग्ध व्यक्ति मौजूद हैं. यदि दबिश दे कर उन्हें पकड़ा जाए तो महिला की हत्या का सुराग मिल सकता है. मुखबिर की इस सूचना पर पुलिस टीम ने उन दोनों की घेराबंदी कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया. उन्हें थाना जरिया लाया गया.
थाने में जब उन से पूछताछ की गई तो एक ने अपना नाम धर्मेंद्र सिंह तथा दूसरे ने अपना नाम जगमोहन उर्फ कल्लू बताया. उन से जब सख्ती से पूछताछ की गई तो धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि मृतका उस की बहन मीनू उर्फ अमन थी. उस ने बताया कि मीनू उस के पति व बच्चों की योजना उस ने ही बनाई थी. उन्होंने हत्या के पीछे की एक ऐसी हैरतभरी कहानी बताई कि पुलिस वाले भी चौंक गए.
मीनू पति से क्यों नहीं थी खुश
उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जनपद के थाना अकबरपुर का एक गांव है खलीलपुर बाराजोर. फूल सिंह यादव इसी गांव का निवासी था. परिवार में पत्नी लौंगश्री के अलावा 5 बेटियां व एक बेटा धर्मेंद्र सिंह यादव था. फूल सिंह मामूली जमीन से होने वाली पैदावार से अपने भारीभरकम परिवार का भरणपोषण करता था. वह हमेशा आर्थिक परेशानी से जूझता रहता था. फूल सिंह की तीसरे नंबर की बेटी का नाम मीनू उर्फ अमन था. वह अपनी अन्य बहनों से कुछ ज्यादा ही खूबसूरत थी. मीनू ने 15 वर्ष की अवस्था पार की तो उस का अंगअंग फूलों की तरह खिल उठा. उस का गोरा रंग और झील सी गहरी आंखें किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकती थीं. कुदरत ने उसे रूपयौवन से नवाजा था.
मीनू हंसमुख व चंचल स्वभाव की थी. उस का मन पढऩेलिखने में कम और संजनेसंवरने में ज्यादा ला रहता था. उस ने जैसेतैसे अकबरपुर इंटर कालेज से हाईस्कूल की परीक्षा पास की थी. उस के बाद पढ़ाई बंद कर मम्मी के साथ घर के काम में सहयोग करने लगी थी. उस के मम्मीपापा भी उसे आगे नहीं पढ़ाना चाहते थे. गरीब का धन इज्जत होती है. इस के पहले कि उस की अल्हड़ जवान बेटी पर किसी मनचले की बुरी नजर पड़े, फूल सिंह यादव उस का विवाह कम उम्र में ही कर देना चाहता था. इस के लिए वह प्रयास भी करने लगा था. काफी दौडऩेभागने के बाद उसे एक युवक पसंद आ गया. उस का नाम था लल्लू सिंह.
लल्लू सिंह के पिता राजेंद्र सिंह कानपुर देहात जनपद के गांव कथरी में रहते थे. उस के परिवार में पत्नी राजरानी के अलावा 2 बेटियां व 2 बेटे थे. बेटियों का वह विवाह कर चुका था. उस का बड़ा बेटा लल्लू सिंह फायर पुलिस में फायरमैन था. उस समय उस की तैनाती उरई (जालौन) में थी. फूल सिंह ने लल्लू सिंह को देखा तो उस का मन कसैला हो गया. कारण, एक तो उस का रंग सांवला था, दूजे वह उस की बेटी मीनू से दुगनी उम्र का था. लेकिन गरीबी ने उसे मजबूर कर दिया. उस ने सोचा कि उम्र ही तो अधिक है, बाकी सब तो ठीक है. सरकारी नौकरी है. पक्का मकान है. जमीनजायदाद है. बेटी राज करेगी.
फूल सिंह कई दिनों तक पशोपेश में पड़ा रहा. इस बीच उस ने पत्नी व बड़े बेटे धर्मेंद्र यादव से भी सलाहमशविरा किया. जब सब की रजामंदी हो गई, तब फूल सिंह ने बेटी का रिश्ता तय कर दिया. उस के बाद फरवरी 2002 में बसंत पंचमी के दिन मीनू उर्फ अमन का विवाह लल्लू सिंह के साथ कर दिया. शादी के बाद मीनू लल्लू सिंह की दुलहन बन कर ससुराल आ गई. मुंहदिखाई की रस्म में मीनू को जिस ने भी देखा, उसी ने उस के रूप की तारीफ की. सुहागरात को जब लल्लू सिंह ने घूंघट उठाया तो वह पत्नी को देखता ही रह गया. खूबसूरत पत्नी को पा कर वह अपने भाग्य पर इतरा उठा.
दूसरी ओर जब मीनू ने पति को देखा तो वह चिंता में डूब गई. बदसूरत और अपनी उम्र से दोगुनी उम्र के पति को पा कर वह अपने भाग्य को कोसने लगी. उस की आंखों से आंसू टपकने लगे. उस ने सुहागरात को ले कर न जाने क्याक्या सपने संजोए थे, लेकिन उस के सारे सपने चकनाचूर हो गए थे. वह जान गई कि उसे सारी जिंदगी प्यासे ही गुजारनी पड़ेगी. न चाहते हुए भी मीनू पति के साथ रहने लगी. लल्लू सिंह मीनू को खुश रखने की पूरी कोशिश करता था. उस की हर डिमांड भी पूरी करता था, परंतु मीनू खुश नहीं थी. वह हर समय उदास व खोईखोई सी रहती थी.
मीनू व लल्लू सिंह के दांपत्य जीवन की शुरुआत ही घृणा और नफरत से हुई थी. धीरेधीरे यह नफरत बढऩे लगी थी. लल्लू सिंह दमकल विभाग में सिपाही था. उस को बहुत कम छुट्टी मिलती थी. वह जब भी घर आता और पत्नी से प्रणय निवेदन करता तो वह सहवास को राजी नहीं होती. वह उसे ताना भी मारती और कहती, ”तुम में मर्दानगी नहीं है.’’
मीनू और सूरज की ऐसे बढ़ीं नजदीकियां
मर्दानगी पर चोट असहनीय होती है. इसलिए पत्नी की बात सुन कर लल्लू भी उखड़ जाता. दोनों में झगड़ा होता. इस दौरान जोरजबरदस्ती कर वह मीनू से संबंध भी बनाता. छुट्टी खत्म होने के बाद वह चला जाता. मीनू की सास दोनों के झगड़ों के बीच कम ही दखल देती थी. वह बहू को समझाती भी थीं. इस तरह नीरस जिंदगी व्यतीत करते 3 साल से अधिक का समय बीत गया था, लेकिन मीनू की गोद सूनी थी. इस का दोष मीनू पति को देती थी. जबकि लल्लू सिंह मीनू में कमी बताता था. इन बातों को ले कर भी दोनों के बीच खूब तूतूमैंमैं होती थी. मीनू कभी कभी रूठ कर मायके भी चली जाती थी, फिर तभी वापस आती थी जब लल्लू सिंह नाक रगडऩे जाता था.
वर्ष 2007 के मई महीने में मीनू के भाई धर्मेंद्र सिंह यादव की शादी विमला से तय हुई. विमला के पिता छोटेलाल यादव कानपुर के मदारीपुर गांव के रहने वाले थे. उस के 6 बेटे व एक बेटी विमला थी. छोटेलाल दबंग किसान था. ग्राम प्रधान भी चुका था. गांव में उस की तूती बोलती थी. भाई धर्मेंद्र की शादी में मीनू ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया और सारी व्यवस्था संभाली. वह बारात में भी गई. भाई की शादी में ही मीनू की मुलाकात भाई के साले सूरज सिंह से हुई. सजीधजी मीनू को देख कर सूरज उस की ओर आकर्षित हो उठा. शादी में दोनों के बीच खूब बातें हुईं. जब तक बहन की डोली उठ नहीं गई, तब तक सूरज मीनू के आगेपीछे ही मंडराता रहा.
लगभग एक सप्ताह बाद सूरज बहन की चौथी लेने आया तो मीनू मायके में ही थी. यहां भी दोनों के बीच खूब हंसीठिठोली तथा बातचीत हुई. मीनू को जहां सूरज की लच्छेदार बातें पसंद थीं तो वहीं सूरज मीनू की खूबसूरती पर फिदा था. अब तक मीनू ने भाभी विमला से भी दोस्ती कर ली थी. ननदभौजाई के बीच भी खूब हंसीमजाक होती थी. विमला अपने भाई सूरज के स्वभाव की खूब तारीफ करती थी. शादीशुदा मीनू सूरज के दिलोदिमाग पर छाई तो वह बहन से मिलने के बहाने उस के घर आने लगा. दरअसल, वह आता तो मीनू के लिए था. बहन से मिलना तो एक बहाना होता था. इसी आनेजाने में मीनू और सूरज के बीच नजदीकियां बढऩे लगीं. दोनों एकदूसरे को मन ही मन चाहने लगे.
भाई की शादी में आई मीनू लगभग 3 महीने तक मायके में रही, उस के बाद वह ससुराल चली गई. अब तक लल्लू सिंह ने उरई में एक मकान किराए पर ले लिया था. इसी मकान में वह पत्नी मीनू के साथ रहने लगा. मीनू उरई में आई तो उस ने कुछ राहत की सांस ली. क्योंकि अब वह बनसंवर कर रहने लगी थी. पति का साथ भी उसे मिलने लगा था. न घूंघट का झंझट रहा था और न ही सासससुर का प्रतिबंध. इधर सूरज को पता चला कि मीनू उरई आई है तो वह उस से मिलने यहां भी पहुंचने लगा. मीनू के करीब आने के लिए सूरज जब भी आता, उस के लिए कोई न कोई गिफ्ट जरूर लाता. वह उस की खूबसूरती की भी खूब तारीफ करता था.
इस से मीनू महसूस करने लगी थी कि उस के पति और सूरज में कितना अंतर है. उस का पति सुबह ड्यूटी पर जाता तो देर रात ही थकाहारा लौटता था. उसे यह तक जानने की फुरसत नहीं थी कि उस का प्यासा मन और भूखा जिस्म क्या चाहता है.
एक रोज दोपहर में सूरज मीनू के घर आया तो वह किसी सोच में डूबी थी. उस की हालत देख कर सूरज बोला, ”क्या बात है मीनू, तुम उदास क्यों हो? पति से झगड़ा हुआ है क्या?’’
”नहीं, ऐसा कुछ नहीं है. मैं तो अपनी किस्मत को कोस रही हूं, जो ऐसा पति मिला है. जब मैं उस के साथ बाजार जाती हूं तो लोग यही समझते हैं कि मैं उस की बेटी हूं. उम्र का फासला लोगों में भ्रम पैदा करता है.’’
”शायद तुम सही कह रही हो मीनू. कहां तुम हूर की परी और कहां वह. तुम दोनों का किसी तरह का मेल नहीं. तुम्हारे तो सारे सपने शायद टूट गए होंगे.’’
सूरज ने मीनू से सहानुभूति जताई तो वह मुसकरा कर उसे ताकने लगी. सूरज के मन में क्या है, यह तो वह पहले से जानती थी, सिर्फ संकोच ही उसे रोके था. मीनू की निगाहों को देखते हुए सूरज मदहोश होने लगा. उस ने बांहें फैलाईं तो मीनू मछली की तरह फिसल कर सूरज की बांहों में आ गई. फिर तो मर्यादा टूटते देर नहीं लगी. दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. शारीरिक सुख की भूखी मीनू को सूरज का साथ मिला तो उसे कुछ खयाल ही न रहा. वह यह भी भूल गई कि वह शादीशुदा है, उस की एक मर्यादा है. लेकिन एक बार मर्यादा टूटी तो फिर दोनों अकसर मन की करने लगे. उन्हें जब भी मौका मिलता, एकदूसरे में समा जाते. किसी को कानोंकान खबर न लगती.
…और खुल गई मीनू और सूरज के संबंधों की पोल
मीनू और सूरज के बीच नाजायज रिश्ता बना तो उस का उरई आनाजाना बढ़ गया. सूरज के आनेजाने की भनक पड़ोसियों को हुई तो उन का माथा ठनका. उन्होंने यह बात लल्लू सिंह को बताई. लल्लू सिंह समझ गया कि पड़ोसी उस से क्या कहना चाहते हैं. शाम को वह घर लौटा तो उस ने मीनू से सीधा सवाल किया, ”मीनू, मेरी गैरमौजूदगी में तुम से मिलने कौन आता है?’’
”अच्छा तो यह बात है. लगता है कि पड़ोसियों ने तुम्हारे कान भरे हैं. लेकिन जान लो, मुझ से मिलने कभीकभार सूरज आता है. वह मेरे भाई धर्मेंद्र का साला है. गांव मदारीपुर का रहने वाला है. उस की बहन विमला मेरे भाई को ब्याही है. सूरज खास रिश्तेदार है. जब कभी किसी काम से उरई आता है तो मुझ से मिलने भी आ जाता है. इस में बुराई क्या है?’’
लल्लू सिंह बोला, ”बुराई है. क्योंकि वह तुम से ही मिलने आता है. उस में खोट न होती तो वह मुझ से भी मिलता, मुझ से भी बात करता. चोर की तरह नहीं आताजाता.’’
पति के तेवर देख कर मीनू समझ गई कि वह उस के और सूरज के संबंधों को भांप गया है, फिर भी उस ने कहा, ”अपनी बीवी पर शक करते हुए शर्म नहीं आती तुम्हें? बाहर किसी ने कुछ उलटासीधा कह दिया तो इस का मतलब यह नहीं कि तुम मुझ पर शक करो?’’
लल्लू सिंह ने ठंडी सांस ले कर सोचा तो उसे लगा कि वह ठीक ही तो कह रही है. लोग तो कुछ न कुछ कहते ही रहते हैं. उसे उन की बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए. यह सोच कर उस ने अपने दिल को समझा लिया. बेशक मीनू ने पति की शंका पर परदा डाल कर विराम लगा दिया था, लेकिन उसे और सूरज को ले कर पड़ोस में होने वाली चर्चाएं बंद नहीं हुईं. इंसान का मन कब फिसल जाएगा, कोई नहीं जानता. जब से सूरज के मन में मीनू के लिए प्यार जगा था, तब से वह यह भी भूल गया था कि मीनू उस के बहनोई की बहन है. उसे इस नाजुक रिश्ते को कलंकित नहीं करना चाहिए था. लेकिन इश्क में वह सब भूल गया था.
लल्लू सिंह के मन में शक की फांस चुभने लगी थी. इसलिए वह पत्नी मीनू पर निगरानी रखने लगा था. एक दिन वह ड्यूटी पर जाने के लिए घर से निकला जरूर, लेकिन दोपहर को ही वापस आ गया. घर में उस समय सूरज मौजूद था. कमरे का दृश्य देख कर लल्लू सिंह समझ गया कि कुछ देर पहले ही कमरे में हवस का तूफान गुजरा है. सूरज और मीनू के हावभाव भी बता रहे थे कि दोनों गलती कर चुके हैं. उस रोज लल्लू सिंह अपने गुस्से पर काबू न रख सका. उस ने सूरज को तो डांटाफटकारा और गालीगलौज कर भगा दिया. उस के बाद वह मीनू पर कहर बन कर टूट पड़ा. उस ने मीनू को तब तक पीटा, जब तक वह थक नहीं गया. मीनू रात भर रोतीकराहती रही.
दूसरे रोज लल्लू सिंह अपनी ससुराल पहुंचा और अपने साले धर्मेंद्र यादव को बताया कि उस की बहन मीनू बदचलन है. उस ने उस की इज्जत खाक में मिला दी है. उस का नाजायज रिश्ता उस के साले सूरज से है. तुम सूरज को समझा दो कि वह दूसरे के घर में आग न लगाए. आज के बाद अगर मैं ने उसे घर में देख लिया तो अंजाम बुरा होगा. बहनोई की बात सुन कर धर्मेंद्र सिंह यादव के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. वह बोला, ”जीजाजी, आप को जरूर कोई गलतफहमी हुई है. मेरी बहन मीनू बदचलन नहीं हो सकती. फिर जिस सूरज की आप बात कर रहे हैं, वह मेरा साला है. वह भी ऐसी नीच हरकत नहीं कर सकता.’’
”लेकिन ऐसा ही हुआ है. उन दोनों ने ही मर्यादा तोड़ी है. विश्वास का खंजर उन्होंने हम दोनों की पीठ पर घोंपा है.’’ लल्लू सिंह ने सफाई देते हुए कहा.
सूरज धर्मेंद्र का साला था. उस ने उस की इज्जत पर हाथ डाला था, इसलिए उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. उस ने सूरज को घर बुलवाया फिर उसे खूब डांटा और सख्त हिदायत दी कि वह मीनू से मिलने न जाए. इस के बाद वह उरई पहुंचा और मीनू को भी खूब खरीखोटी सुनाई और सूरज से न मिलने की हिदायत दी. विमला ने भी ननद मीनू व भाई सूरज को खूब समझाया. उस ने आशंका जताई कि उन दोनों के गलत काम से उस का भी घर टूट सकता है.
मीनू और सूरज पर प्रतिबंध लगा तो उन का शारीरिक मिलन बंद हो गया. लल्लू सिंह मीनू पर कड़ी नजर रखने लगा तो धर्मेंद्र साले सूरज की निगरानी करने लगा. जीजासाले के बीच नफरत भी बढ़ गई थी. रिश्ते में आई दरार से विमला परेशान रहने लगी थी. वह पति को समझाने का प्रयास करती थी.
भाग कर सूरज के साथ मीनू ने क्यों की दूसरी शादी
इधर मीनू और सूरज का मिलन बंद हुआ तो वह तड़प उठे. दोनों एकदूसरे की यादों में ही खोए रहते थे. आखिर जब उन दोनों से रहा नहीं गया तो एक दिन मौका देख कर मीनू और सूरज मिले. मीनू ने कहा, ”सूरज, अब मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती. मुझे कहीं दूर ले चलो. मैं हर वक्त शक के घेरे में रहती हूं. तुम्हारी वजह से पिटती रहती हूं.’’
सूरज भी भावुक हो उठा, ”मीनू, जो हाल तुम्हारा है, वही मेरा भी है. मैं भी तुम्हारे बिना नहीं जी सकता. अब तो बस एक ही रास्ता बचा है कि हम दोनो कहीं दूर भाग चलें और अपनी दुनिया बसा लें. वहां किसी का डर नहीं होगा.’’ इस के बाद उन दोनों ने भागने की तैयारी शुरू कर दी. नवंबर 2010 की 13 तारीख को मीनू और सूरज उरई रेलवे स्टेशन पर मिले, फिर अहमदाबाद जाने वाली ट्रेन में बैठ कर रफूचक्कर हो गए. उन्होंने भागने की ऐसी गुप्त योजना बनाई थी कि किसी को कानोंकान खबर न लगी.
इधर देर शाम लल्लू सिंह ड्यूटी से घर वापस आया तो घर में उस की पत्नी मीनू नदारद थी. उस ने मीनू की हर संभावित जगह खोज की, लेकिन जब नहीं मिली तो वह समझ गया कि मीनू सूरज के साथ भाग गई है. लल्लू सिंह ने मीनू के भागने की सूचना उस के भाई धर्मेंद्र सिंह को दी तो उस का गुस्सा बढ़ गया. उस ने सूरज के संबंध में जानकारी जुटाई तो पता चला सूरज भी घर से नदारद है, इसलिए धर्मेंद्र भी समझ गया कि उस की बहन मीनू साले सूरज के साथ ही भागी है. अच्छी बातें देर से उजागर होती हैं, लेकिन बुरी बातें आंधी की तरह उड़ती है. एक सप्ताह बीततेबीतते खलीलपुर गांव में यह बात फैल गई कि धर्मेंद्र की बहन मीनू उर्फ अमन अपने पति का घर छोड़ कर धर्मेंद्र के साले सूरज के साथ भाग गई है. नातेदारों को भी पता चल गया था. मीनू की ससुराल में भी प्रेम प्रपंच की चर्चाएं शुरू हो गई थीं.
बहन मीनू का साले सूरज के साथ भाग जाना धर्मेंद्र के लिए चुल्लू भर पानी में डूब मरने के समान था. उस की गांव व नातेदारों में बहुत बदनामी हुई थी. वह कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं बचा था. गांव के लोग ताने व फब्तियां कसते थे, जिस से गांव में उस का सिर उठा कर चलना दूभर हो गया था. धर्मेंद्र ने कसम खाई कि वह इस अपमान का बदला जरूर लेगा. बहन मीनू व साले सूरज को सबक जरूर सिखाएगा. मीनू आभूषण व रुपए साथ ले कर गई थी. लेकिन न जानें क्यों लल्लू सिंह ने मीनू व सूरज के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई थी और हाथ पर हाथ रख कर बैठ गया था. मीनू के भाई धर्मेंद्र ने भी उन दोनों के खिलाफ कोई काररवाई नहीं की थी.
उधर सूरज मीनू को साथ ले कर गुजरात के अहमदाबाद शहर पहुंचा. यहां वह 2-3 दिन एक होटल में रुका. उस के बाद नवरंगपुरा में एक कमरा ले कर मीनू के साथ रहने लगा. घर चलाने के लिए वह किसी कपड़े की दुकान पर काम करने लगा. कुछ महीने बाद सूरज ने मीनू से कोर्ट मैरिज कर उसे पत्नी का दरजा दे दिया. इस के बाद दोनों हंसीखुशी से रहने लगे. सूरज के साथ सुखमय जीवन व्यतीत करते हुए मीनू ने 4 अक्तूबर, 2013 को एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम उस ने शिवा उर्फ रामजी रखा. शिवा के जन्म से उन दोनों की खुशियां और भी बढ़ गईं. दोनों उसे खूब प्यार करते थे.
सूरज 6 भाई थे. अब तक उस के पिता छोटेलाल व एक भाई की मौत हो चुकी थी. वह अपने घरवालों से दूर जरूर था, लेकिन मोबाइल फोन के जरिए भाइयों के संपर्क में रहता था. उस ने मीनू से शादी करने और बेटे शिवा के पैदा होने की जानकारी घरवालों को दे दी थी. लेकिन मीनू न तो अपने भाई धर्मेंद्र के संपर्क में थी और न ही पूर्वपति लल्लू सिंह के. अहमदाबाद महंगा शहर था. शिवा उर्फ रामजी के जन्म के बाद खर्च भी बढ़ गया था, इसलिए सूरज ने अपने घर लौटने का निश्चय किया. मार्च 2016 में वह पत्नी मीनू व मासूम बेटे के साथ अपने गांव मदारीपुर लौट आया. गांव में कुछ माह गुजारने के बाद सूरज नौकरी की तलाश में कानपुर शहर आ गया.
कुछ दिन भटकने के बाद सूरज को दादा नगर स्थित एक जूता फैक्ट्री में काम मिल गया. नौकरी लग गई तो सूरज ने गुजैनी मोहल्ले के बी ब्लौक में एक कमरा किराए पर ले लिया. दोमंजिला बने इस मकान में 2 अन्य किराएदार भी रहते थे. यह मकान गोविंद नगर निवासी अरविंद पांडेय का था. कमरा किराए पर लेने के बाद सूरज अपनी पत्नी मीनू व बेटे को भी ले आया. सूरज को नौकरी के साथसाथ घर से भी मदद मिलती थी. अत: वह हंसीखुशी से जीवन बिताने लगा. इधर धर्मेंद्र सिंह यादव को अपनी पत्नी विमला के मार्फत पता चला कि सूरज और मीनू वापस आ गए हैं. उन दोनों ने शादी कर ली है और उन के एक बच्चा भी है. यह जान कर धर्मेंद्र को बहुत बुरा लगा.
वह मन ही मन सोचने लगा कि मीनू जब भाग ही गई थी तो वापस क्यों आ गई. उसे उस के जख्म कुरेदने वापस नहीं आना चाहिए था. धर्मेंद्र अंदर ही अंदर सुलग उठा. लेकिन वह किसी तरह अपने गुस्से को पी गया. उस ने सूरज व मीनू से संपर्क भी नहीं किया. समय बीतता रहा. धर्मेंद्र पहले पेट्रोल पंप पर काम करता था. तब उस की कमाई मामूली थी. लेकिन अब वह प्रौपर्टी डीलिंग का काम करने लगा था और लाखों रुपए कमाने लगा था, अत: उस की आर्थिक स्थिति बेहद मजबूत हो गई थी. उस ने माती व अकबरपुर कस्बे में कई प्लौट भी खरीद लिए थे. तहसील में उस का दबदबा था. प्लौट की लिखापढ़ी में हेरफेर भी करता था.
गुजैनी में रहते सूरज और मीनू को कई वर्ष बीत गए थे. उन का अब भय भी खत्म हो गया था. बेटा भी अब बड़ा हो गया था और स्कूल जाने लगा था. मीनू बेटे को बेहद प्यार करती थी. वे दोनों बेटे का जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाते थे. पड़ोसी और मकान में रहने वाले किराएदारों को दावत भी देते थे. मीनू के व्यवहार से सभी खुश रहते थे. उस की तारीफ भी करते थे. वर्ष 2020 के जून माह में मीनू ने एक बेटी को जन्म दिया. बेटी के जन्म से मीनू की खुशियां और भी बढ़ गईं. बेटी कुछ बड़ी हुई तो मीनू ने मायके जाना भी शुरू कर दिया. उस ने जमीन में दखलअंदाजी भी शुरू कर दी. वह भाई धर्मेंद्र से हिस्सा बांटने की बात करने लगी. इस को ले कर भाईबहन में तकरार भी होने लगी.
मीनू की बदचलनी की वजह से धर्मेंद्र यादव की गांव में पहले से ही बदनामी हो रही थी, जिस से वह उस से खार खाए बैठा था, ऊपर से मीनू मायके की प्रौपर्टी में हिस्सा भी मांग रही थी. इसलिए धर्मेंद्र ने मीनू, सूरज और उस के बच्चों को खत्म करने का फैसला कर लिया और 10 लाख की सुपारी दे दी थी. एसएचओ भरत कुमार ने प्रेम प्रसंग से उपजे फैमिली क्राइम का खुलासा करने और 2 आरोपियों को गिरफ्तार करने की जानकारी एसपी दीक्षा शर्मा को दी तो उन्होंने आननफानन में पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता कर हत्या का खुलासा किया.
चूंकि दोनों आरोपियों ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था, अत: पुलिस ने मृतका मीनू के पति सूरज की तरफ से बीएनएस की धारा 103/109/61 के तहत चतुर सिंह, वीर सिंह, जगमोहन, धर्मेंद्र सिंह यादव व संजीव के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा धर्मेंद्र सिंह व जगमोहन को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया. 10 अक्तूबर, 2024 को पुलिस ने हत्यारोपी धर्मेंद्र सिंह व जगमोहन को हमीरपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.
अपराधी चतुर पर पुलिस पहले ही 50 हजार का इनाम घोषित कर चुकी थी. उस की तलाश में थाना पुलिस के अलावा एसटीएफ को भी लगा दिया गया. आखिर अथक प्रयास के बाद एसटीएफ और थाना कर्नगंज पुलिस ने 14 नवंबर, 2024 को चतुर सिंह को कानपुर सिटी से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल कर ली.
कथा लिखने तक पुलिस वीर सिंह की तलाश में जुटी थी. संजीव पहले से ही जेल में है. उस पर अन्य धाराएं बढ़ा दी गई थीं.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित