अपने एक छात्र के जरिए प्रोफेसर दीपक पाटील एक कालगर्ल राबिया के चक्कर में पड़ गए. जब यह बात राबिया के हिस्ट्रीशीटर प्रेमी राज चव्हाण को पता चली तो…

महाराष्ट्र के जिला जलगांव के अमलनेर सिटी के रहने वाले दीपक पाटील जययोगेश्वर कालेज में प्रोफेसर थे. अपने सुखी वैवाहिक जीवन में मशगूल प्रो. दीपक पाटील का एक विद्यार्थी था सागर मराठे. सागर होनहार छात्र था. लेकिन एक दोस्त के माध्यम से उस की जानपहचान राबिया बानो नाम की एक कालगर्ल से हो गई थी. सागर राबिया से मिलनेजुलने लगा, जिस से उस के भी राबिया से शारीरिक संबंध बन गए थे. वैसे तो राबिया के कई ग्राहक थे लेकिन उन सब में वह सागर को बहुत चाहती थी. राबिया का जब मन होता वह सागर को फोन कर के बातें कर लेती थी. एक बार की बात है. सागर और राबिया एक रेस्टोरेंट में बैठे थे. तभी इत्तफाक से प्रो. दीपक पाटील भी वहां आ गए.

सागर ने राबिया को अपनी दोस्त बताते हुए उस की मुलाकात प्रो. दीपक पाटील से कराई. पहली ही मुलाकात में राबिया की खूबसूरती और बातों से प्रो. दीपक बहुत प्रभावित हुए. हालांकि वह शादीशुदा थे, इस के बावजूद भी राबिया को उन्होंने अपने दिल में बसा लिया. अगले दिन सागर जब कालेज आया तो उन्होंने किसी बहाने से सागर से राबिया का फोन नंबर ले लिया. प्रो. पाटील का मन राबिया से बात करने के लिए आतुर था. ड्यूटी पूरी करने के बाद उन्होंने राबिया को फोन कर के उसे अपने बारे में बताया. राबिया भी समझ गई कि यह मोटी आसामी है, इसलिए वह भी उन से रसभरी बातें करने लगी.

इस के बाद आए दिन प्रोफेसर साहब की राबिया से फोन पर बातें होने लगीं. घर में खूबसूरत बीवी होने के बावजूद वह राबिया को चाहने लगे थे. इतना ही नहीं, उस से मुलाकातें भी करने लगे थे. प्रो. दीपक पाटील का जब मन होता वह राबिया को होटल में बुला लेते और अपनी हसरतें पूरी करते. लेकिन इस के बदले में वह उसे पैसे कम देते थे. राबिया 2-4 बार तो उन से होटल में मिली लेकिन बाद में उस ने उन से मिलने के लिए मना कर दिया. इस पर प्रो. दीपक उसे बारबार फोन कर के तंग करने लगे. उन के बारबार तंग करने से राबिया परेशान हो गई. उस ने इस की शिकायत सागर मराठे से की क्योंकि उसी ने उस की मुलाकात प्रो. दीपक से कराई थी. सागर ने भी प्रोफेसर को समझाया लेकिन वह नहीं माने.

जब राबिया ने उन की काल रिसीव करनी बंद कर दी तो वह दूसरे नंबरों से उसे काल करने लगे. उस ने कई बार प्रो. दीपक को झिड़क भी दिया था, पर वह अपनी हरकत से बाज नहीं आए. अमलनेर की ही म्हाडा कालोनी में रहने वाली राबिया का एक प्रेमी था राज चव्हाण. वह हिस्ट्रीशीटर था. अलगअलग पुलिस थानों में उस पर दर्जनों केस दर्ज थे. बता दें राबिया शादीशुदा युवती थी. उस की शादी सूरत में हुई थी. शादी के कुछ ही दिनों में राबिया ने पति का घर छोड़ दिया था. बाद में वह अमलनेर में अपनी मां के यहां आ कर रहने लगी थी. पति को छोड़ने के बाद राबिया पूरी तरह आजाद हो गई थी.

राबिया का अमलनेर के रेलवे परिसर में आनाजाना लगा रहता था. इसी इलाके में राज चव्हाण भी रहता था. हर रोज दोनों की नजरें मिलने लगी थीं. कुछ ही दिनों में दोनों को एकदूसरे से प्यार हो गया था. अपराध के सिलसिले में राज चव्हाण को लंबे समय के लिए दूसरी जगहों पर जाना पड़ता था. कभी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिए जाने पर उसे जेल जाना पड़ता तो राबिया के सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो जाती थी. अपने प्रेमी राज चव्हाण की गैरमौजूदगी में वह जिस्मफरोशी का धंधा करती थी. राबिया को प्रो. दीपक का बारबार फोन करना पसंद नहीं था. प्रोफेसर के अलावा उसे सागर मराठे पर भी गुस्सा आता था. एक दिन उस ने प्रोफेसर दीपक और सागर की शिकायत राज चव्हाण से कर दी. अपनी प्रेमिका की शिकायत सुन कर राज का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. उस ने दोनों को सबक सिखाने की ठान ली.

राज चव्हाण का एक दोस्त था विजय डेढ़े. विजय बदलापुर मुंबई में रहता था. राज और विजय ने राबिया को परेशान करने वाले प्रोफेसर दीपक और उन के विद्यार्थी सागर को मारपीट कर सीधा करने का प्लान बनाया. वे दोनों को एक साथ बुलाना चाहते थे. यह काम राबिया ही कर सकती थी इसलिए राज ने राबिया के माध्यम से प्रो. दीपक और सागर को साथसाथ बुलाने की योजना बनाई. राज के इशारे पर राबिया ने दोनों को 3 मार्च, 2018 की रात के 10 बजे साथसाथ अमलनेर के प्रताप महाविद्यालय के पास स्थित स्टेडियम के पास पहुंचने को कह दिया. राबिया का फोन आने पर प्रोफेसर साहब फूले नहीं समा रहे थे.

चूंकि दोनों को राबिया ने बुलाया था, इसलिए प्रो. दीपक और सागर मराठे का आना निश्चित था. उन के आने से पहले ही राज चव्हाण और विजय रात के अंधेरे में स्टेडियम के पास छिप कर बैठ गए. रात 10 बजे के करीब प्रो. दीपक और सागर मराठे स्टेडियम के पास पहुंचे तो उन्हें वहां राबिया मिल गई. तभी अचानक सागर मराठे का ध्यान अंधेरे में छिप कर बैठे राज चव्हाण की तरफ चला गया. सागर उसे पहचानता था, इसलिए वहां से भाग गया. कहीं प्रोफेसर साहब भी न भाग निकलें, इसलिए छिपे बैठे राज चव्हाण और विजय ने दीपक पाटील को दबोच लिया. उन्होंने उस समय प्रोफेसर साहब से कुछ नहीं कहा, बल्कि उन्हें एक ढाबे पर ले गए, वहां पर दोनों ने मिल कर प्रो. दीपक को जबरन जरूरत से ज्यादा मात्रा में शराब पिलाई.

छात्रों को पढ़ाने वाला प्रोफेसर अय्याशी के चक्कर में 2 गुंडों के बीच बैठा जबरदस्ती शराब पी रहा था. कुछ ही देर में प्रोफेसर पर नशा छा गया, उन्हें कुछ नहीं सूझ रहा था. इस दौरान उन का बैंक एटीएम कार्ड दोनों गुंडों ने छीन लिया. उस का पासवर्ड भी विजय ने मारपीट कर पूछ लिया. एटीएम कार्ड हासिल करने के बाद दोनों ने उन की डंडे से पिटाई करनी शुरू कर दी. इस मारपीट में प्रो. दीपक बुरी तरह से घायल हो गए. उन्हें पता था कि बदनामी से बचने के लिए प्रोफेसर मारपीट की बात किसी को नहीं बताएंगे. बाद में दोनों हमलावरों ने जख्मी प्रोफेसर को उन्हीं की बाइक से शहर के डा. हजारे के क्लीनिक तक पहुंचाया. तब तक काफी रात हो चुकी थी. उन्होंने डा. हजारे को काफी आवाजें दीं, लेकिन किसी ने गेट नहीं खोला.

आखिर राज और विजय ने जख्मी प्रोफेसर को उसी हालत में क्लीनिक के पास छोड़ दिया और उन की मोटरसाइकिल से वहां से भाग निकले. प्रोफेसर का एटीएम कार्ड उन के पास ही था, जिस से उन्होंने करीब 40 हजार रुपए निकाल लिए. अस्पताल के बाहर लहूलुहान पड़े प्रो. दीपक को इलाज नहीं मिला तो उन्होंने दम तोड़ दिया. रात लगभग 2 बजे उन की लाश पर किसी की नजर पड़ी तो उस ने इस की सूचना अमलनेर पुलिस थाने में दी. खबर मिलने पर थानाप्रभारी अनिल बड़गूजर पुलिस टीम के साथ डा. हजारे के क्लीनिक के पास पहुंची. सुबह करीब साढ़े 3 बजे इस घटना की खबर मृतक प्रो. दीपक की पत्नी तथा रिश्तेदारों को मिली तो वे सब वहां पहुंच गए. सुबह होने पर पुलिस ने जब उन की लाश का निरीक्षण किया तो उन के शरीर पर चोटों के गहरे घाव थे.

लोग इसे एक सड़क दुर्घटना मान कर चल रहे थे लेकिन उन की बाइक वहां नहीं थी. इस से पुलिस उन की मौत को संदेहात्मक मान रही थी. प्रो. दीपक की पत्नी को यह हत्या का मामला लग रहा था, इसलिए उन्होंने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करा दिया. इस घटना को ले कर अमलनेर शहर में खलबली मच गई थी. पुलिस अधीक्षक दत्तात्रेय कराले ने पूरे मामले को ध्यान में रखते हुए इस केस की जांच पर क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर सुनील कुराड़े को भी लगा दिया था. मामले की जांच थाना पुलिस के अलावा क्राइम ब्रांच के इंचार्ज सुनील कुराडे और उन की टीम भी कर रही थी.

अपराध करने के बाद राज चव्हाण, विजय डेढे और राबिया फरार हो चुके थे. इधरउधर घूमतेघूमते वे सूरत पहुंचे. सूरत में राबिया की बहन का बेटा रहता था, जिस का नाम अजीज था. कुछ दिनों तक वे अजीज के पास रहे. वहीं पर राज को पैसों की जरूरत पड़ी तो उस ने अजीज को अपना मोबाइल बेच दिया. जलगांव क्राइम ब्रांच की टीम को जांच के दौरान यह जानकारी मिल गई थी कि दीपक पाटील का राज चव्हाण की प्रेमिका राबिया के पास आनाजाना था, इसलिए यह आशंका जताई जाने लगी कि उन की हत्या में बदमाश राज चव्हाण का हाथ हो सकता है. ऐसे में पुलिस का राज चव्हाण से पूछताछ करना जरूरी था. पुलिस को राज चव्हाण का मोबाइल नंबर मिल चुका था, जो सर्विलांस पर लगा दिया था. पुलिस को उस के मोबाइल की लोकेशन सूरत की मिली. क्राइम ब्रांच की टीम तुरंत सूरत के लिए रवाना हो गई. चूंकि राज अपना फोन अजीज को बेच चुका था, इसलिए पुलिस ने अजीज को हिरासत में ले लिया. उस ने बताया कि राज और राबिया सूरत से जा चुके हैं.

राज कोई दूसरा फोन प्रयोग करने लगा था. उस से उस ने 1-2 बार अजीज को भी फोन किया था. पुलिस ने उस के दूसरे नंबर की जांच की. वह नंबर उस समय बंद आ रहा था, जिस से उस की लोकेशन नहीं मिल रही थी. जब अजीज पुलिस हिरासत में था, उसी दौरान उसे राज चव्हाण ने फोन किया. अजीज ने मोबाइल का स्पीकर औन कर के पुलिस के सामने ही उस से बात की. बातचीत के दौरान राज ने अजीज को बताया कि वह इस समय राबिया के साथ वाशीम जिले के कारंजा गांव में रह रहा है. यह जानकारी मिलने पर क्राइम ब्रांच की टीम 16 मई, 2018 को कारंजा के लिए रवाना हो गई. पुलिस ने कारंजा से लगभग 10 किलोमीटर दूर एक झुग्गी बस्ती में रह रहे राज और राबिया को हिरासत में ले लिया.

दोनों से पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार कर लिया कि प्रो. दीपक की हत्या विजय डेढे के साथ मिल कर की थी. क्राइम ब्रांच ने यह जानकारी अपने अधिकारियों को दी तो अमलनेर पुलिस ने विजय डेढे को भी गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने राबिया, उस के प्रेमी राज चव्हाण और विजय डेढे से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखने तक आरोपियों की जमानत नहीं हो सकी थी. मामले की जांच थाना अमलनेर के प्रभारी अनिल बड़गूजर कर रहे हैं.

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